The Rajsharma Sex Story of चाहत (Romance Special)
अध्यन का घर
अध्यन जब से घर आया था तब से सोच रहा था । इनोरग्रेशन है । तो उसे चाहत के लिए क्या लेकर जाना चाहिए। थक कर बैठ गया।
वोबाहर् आया देखा उसके पापा लैपटॉप पर कुछ काम कर रहे थे।
वो उनके पास गया ।
अध्यन - डेड . यदि किसी के घर इनोग्रारेशन के लिए जाना हो तो और उसे क्या गिफ्ट देना चाहिए. ???
देव जी लैपटॉप को देखते हुए - तुम्हे किसके घर जाना है.?
अध्यन - मेरी . मेरा मतलब है. मेरेएक फ्रेंड है उसके घर का इनोग्रेशन है तो .
देव जी लैपटॉप बंद करते हुए बोले - डिपेंड करता है वो तुम्हारे लिए कितना खास है।
अध्यन खोए हुए - ज्यादा खास है. दोबारा देव जी को देख कर ., मेरा मतलब है ज्यादा बढ़िया मित्र है.
देव जी - गिफ्टएक ऐसा जरिया है जिसको देकर हम सामने वाले को ये बताते है है वो कितना खास है हमारे लिए।
अध्यन - तो मै क्या दू उसे .
दोबारा देव जी सामने देखते हुए - कुछ ऐसा . जो उसके लिए खास भी हो. और जिससे उसे तुम्हारी याद भी आए ।
अध्यन - ओके मै समझ गया.
वो उठा और जाने लगा पर पता नहीं उसे क्या सूझा वो पुनः आकर देव जी के सामने खड़ा हुआ और बोला।
तब तक देव जी ने लैपटॉप दुबारा ऑन कर दिया था।
अध्यन - डेडएक बात बताओ .
देव जी अपना लैपटॉप बंद करते हुए - हा कहो
अध्यन - मुझे वो. मुझे कुछ बताना था . वो.
देव जी उसे अपने पास बैठा लेते है. और प्रेम से बोलते है - तुम रुक क्यों रहे हो. कहो बेझिझक बोलो.
अध्यनएक गहरी सांस ले के - डेड मुझे किसी से कुछजान्ना हो तो क्या करू. मतलब उसके देख कर लगता है जो मै सोच रहा हूं वो भी वहीं सोच रहा है. पर वो बोलता नहीं . मुझे उसे जानना है. तो क्या उसने आप मेरी मदद कर सकते है।
देव जी - देखो बेटा मै कोई भगवान तो हूं नहीं. पर जो तुम्हारी सिट्यूएशन है ना उसमे बस सही टाइम का वेट करो।
अध्यन - मतलब.
देव जी - मतलब किसी को भी जानना है तो उसके संग वक़्त बिताओ उसकी बातों में छिपी बातो को समझने की कोशिश करो. इन शॉर्ट उसे समझने की कोशिश करो.
अध्यन पहले ही उनकी बात ध्यान से सुन रहा था।
ये सुन अध्यन के चेहरे पर मुस्कान आ गई। और बोला - थैंक्यू डेड . लव यू।
देव जी - लव यू टू. ।।। देव जी उसे अपने पास बैठते हुए - अब बताओ. वो किसी. मेरा नहीं मेरी है ना
अध्यन की ये सुन सिट्टी पिट्टी गुम हो गई वो बोला- नहीं ऐसी कोई बात नहीं और वहा से भाग गया.
इधर देव जी जोर से हसने लगे।
अध्यन रूम में आया और उसने किसी को कॉल किया।
अंश का घर
अंश का रूम
अंश अपने रूम में सोया था उसके मोबाइल की घंटी बजी उसनेएक बार इगनोर किया। घंटी दोबारा बजी। थक कर उसने कॉल उठा लिया ।
अंश अलसाई आवाज़ में - बोल . तुझे भी दो मिनिट चैन नहीं है.
अध्यन - 10 मिनिट में चौक के पास मिल।
ये कह उसने फोन काट दिया ।
अंश गुस्से में - मेरी तो कोई वैल्यू ही नहीं है.
अंश दोबारा सो गया दोबारा उसका फोन बजा । फोन उठा कर -
आ रहा हूं . मर मत आ रहा हूं।
अम्बेडकर चौक
इधर अध्यन घर से बाइक निकाल चौक पहुंचा जहा अंश खड़ा उसे देख रहा था।
अध्यन - चल ।
अंश उसे गुस्से में देखता हुआ बाइक में चढ़ा ।
अध्यन ने उसका गुस्सा से भरा चेहरा देख । उसे हसी आ रही थी दोबारा भी वो जबरदस्ती सीरियस होकर अपनी बाइक आगे बड़ा रहा था.
अंश - हम कहा जा रहे है।
अध्यन चुप था।
अंश तंग आकर - अरे कुछ बोल भी . या तो मुझे नीचे उतर दे.
अध्यन - चुप बैठ ना।
थोड़ी देर पश्चात दोनोएक गिफ्ट शॉप पर पहुंचे। जो कि ज्यादा बड़ा था । वहा हर तरह का सामान था और गिफ्ट भी थे.
गिफ्ट शॉप में
अंश - यहां क्यू लाया है मुझे।।।
अध्यन - चुप चाप यहां से आगे जा. और तुझे जो गिफ्ट बढ़िया लगे वो उठा कर ले आ।
अंश - ठीक है।
अध्यन - मै लेफ्ट और तू राइट . ठीक है ओके। ये उसने हाथो के इशारे से कहा।
दोनों जाकर गिफ्ट देखने लगे।
आधे घंटे
पश्चात अध्यन को कोई गिफ्टपस्न्द नहीं आया वह खाली हाथबाहर् आया।
अध्यन काउंटर के पास अंश का वेट कर रहा था । थोड़े देर में उसने देखा अंश और उसके पीछे दो वर्कर दो बकेट में ढेर सारा सामान लिए आ रहे थे।
ये देख अध्यन खुश था । उसे लगा शायद अंश ने कुछ बढ़िया सापस्न्द किया होगा। पर उसकी खुशी ज्यादा देर तक नहीं रही ।
उसके पीछे से वो वर्कर निकाल कर आगे बढ़ गए।
अध्यन - तुझे भी कुछ बढ़िया नहीं मिला.
अंश खुश होकर - ऐसा भी कभी हो सकता है. ये बोल उसने अपना हाथ आगे किया ।
अध्यन उसका हाथ देख सिर पर हाथ रख कर बोला - ये क्या है।
अंश -देख नहीं रहा क्या. सेविंग रेजर।
अध्यन गुस्से में - मैंने तुझे गिफ्ट लाने को बोला था।
अंश मासूमियत से - लाया तो हूं . मेरे लिए. देख मै बड़ा हो गया हूं . मुझे इसकी जरूरत पड़ेगी.
अध्यन - तुझसे ना कुछ नहीं हो सकता . ये बोल उसने उपरि देखा ही था कि उसे कुछ ऐसा दिख जिसे देख उसकी आंखे चमक गई।
अध्यन ने उस और दुकानदार को उगली दिखा कर कहा - मुझे ये चाहिए.। पैक कर दो।।।
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दो दिन पश्चात अध्यन का घर.
अध्यन रेडी होकरबाहर् आया उसके हाथ मेंएक गिफ्ट था। उसकी मम्मी गौरी जी उसे देख रही थी ।
अध्यन हाथ में मोबाइल पकड़े हुए कॉल कर रहा था।
गौरी जी देव जी से - पूछो ना. उसे कहा जा रहा है।
देव जी - नहीं वो स्वयं बताएगा।
गौरी जी - और नहीं बताया तो आप पूछना उससे ।
देव जी - हा ठीक है ।
तभीबाहर् किसी की बाइक आकर रूकी ।
अध्यनबाहर् की तरफ चला गया। कुछ देर पश्चात अध्यन अंदर आया उसके संग अंश था ।
उसे देख गौरी जी जल्दी से अंदर गई और नौकरों से नाश्ते के लिए बोली।
अध्यन ने इशारे से अंश से कहा - चल खा ले संग में।
दोनों नाश्ता करने लगे ।
गौरी जी ने प्लेट्स लगाई दोबारा सभी को सर्व किया पर स्वयं नहीं खा रही थी तो अध्यन ने कहा - क्या हुआ. मॉम आप नहीं खाओगे क्या???
गौरी जी - नहीं वो. आप हद के यहां आराधना है ना तो. मुझे वहा जाना है तो मै नहीं खाऊंगी ।
अध्यन और अंशएक संग - अच्छा।
देव जी को गौरी जी इशारे कर रही थी तब देव जी ने आखिर पूछ ही लिया - वैसे तुम दोनो कहा जा रहे हो।
उनका इतना पूछना था और अंश को खासी पहुँचना शुरुआत हो गया।
गौरी जी ने उसकी पीठ सहलाने लगी।
गौरी जी - आराम से खाओ ।
अध्यन - हा भाई देख कर।
अध्यन देव जी को देख कर - डेड हम लोगएक फ्रेंड के घर इनॉर्गेशन है तो वहीं जा रहे है।
अध्यन के पापा - ओह.
अध्यन वहा से उठ बेडरूम गया और पुनः आकरएक कार्ड जो चाहत ने उसे दिया था वो पापा को दें कर उसने अपनी बात जारी रखते हुए कहा - चाहत हमारे क्लास की कैप्टन है ।साथ ही संग मेरी अच्छी फ्रेंड भी मै और अंश उसी के घर की इनोरगरेशन में जा रहे है । उसी के लिए मैंने ये गिफ्ट लिया है। शांति से अध्यन ने कहा तो अंश मुह खोलें उसे देखने लगा।
देव जी ने गौरी जी की तरफ देखा जिनके आंखो में सुकून था।
देव जी - अध्यन बेटा इसमें आराधना भी लिखा है । तुम संग में नारियल भी ले जाना ।
अध्यन - जी पापा।
ये बोल वोबाहर् की तरफ जा रहा था। तभी गौरी की ने कहा।
गौरी जी - बाबू. तुम ये जो पहन के जा रहे हो नाइसे शर्ट पर कुछ लगा है । शायद अभी ब्रेक फास्ट के टाइम लगा हो तुम जाओ और दूसरी शर्ट पहन लो।
अध्यन - ओह मैंने देखा नहीं ठीक है अभी चेंज कर के आता
हूं । ये बोल वो रूम में चले गया।
तभी एकदम से देव जी अंश से बोले - ये चाहत सिर्फ मित्र है या.
अंश सकपकाते हुए - हा बस मित्र ।
देव जी अपनी आइब्रो उपरि के बस मित्र ।
तभी अध्यन आते हुए - हा डेड बस दोस्त। ये बोल वो वहा से निकल गया।
उसकेबाहर् आते ही अंश भी वहा से भाग गया ।
बाहर् आकर दोनोंएक संग - बच गए।
ये बोल अध्यन और अंश हसने लगे ।
अंदर देव और गौरी जी दोनो उनको जाते हुए देखती रही । दोबारा गौरी जी बोली - शायद आप सही कह रहे हो . हमे उसे टाइम देना चाहिए . जैसे आज उसने स्वयं बताया वैसे वो स्वयं ही बता देगा।
देव जी ने कुछ नहीं कहा वो बस मुस्कुरा दिए ।
चाहत का न्यू घर
घर में आज ज्यादा चहल पहल थी चाहत की दादी भी अाई थी।
बाकी रिश्तेदार भी आए थे। चाहत सभी से बात कर रही थी तभी उसे बाइक की आवाज़ आती है।
वोबाहर् की तरफ देखती है पर उसे कोई नजर नहीं आता।
कुछ देर में गेट खुलता है अध्यन अंदर आता है और संग में अंश भी।
चाहत नेउन्को देखा वो अंजान बन कर इधर उधर देख रहे थे । चाहत ने देखा अध्यन ने ब्लू जींस के संग व्हाइट शर्ट पहनी है । और संग में अंश ने ब्लू शर्ट के संग ब्लैक जींस पहनी है दोनो आज ज्यादा अच्छे लग रहे थे ।
उसने काजल को आवाज़ दी । काजल उसके पास अाई तो उसने उसे दोनो के पास भेजा और अंदर लाने को कहा।
दोनों को लेने जब काजल पहुंची तो अंश तो उसे देखते ही गिरते गिरते बचा। काजल ने भी ब्लू कलर का लोग वन पीस पहना था कान में चमकीले इयर रिंग पहनी थी।
वोबाहर् प्यारी लग रही थीं।
अध्यन ने अंश कोहनी मारी तो वो स्वयं को संभाल पाया था से
काजल ने दोनों से कहा - चलो अन्दर ।
दोनों ने हा में सिर हिलाया। और अंदर आ गए।
अंदर आते ही उन्होंने देखा चाहत हाथ में थाल लिए आ रही है जिसमें ज्यादा सारे फूल है।
अध्यन ने चाहत को देखा तो वो भी उसको देखता ही रह गया।
चाहत ने व्हाइट घेरे वाला सूट पहना था जो कि ज्यादा ज्यादा लॉग होने के कारण जमीन तक जा रहा था। और उस पर लाल दुपट्टा लगाया था ।कान में छोटे छोटे झुमके पहने वो ज्यादा प्यारी लग रही थीं । वो उसे पहली बार ऐसे देख रहा था।
उसने थाल जाकर पंडित जी को दी । दोबारा पुनः आकर अध्यन के पास अाई और बोली कोई परेशानी तो नहीं हुए ना।
अंश - नहीं हुई. दोनो को देख कर वैसे आज तुम दोनों बहुत अच्छी लग रही हो।
चाहत और काजलएक संग - थैंक्यू।
दोनों ने थोड़े जोर से कहा तो अध्यन जैसे नींद से जागा उसने भी हाथ में पकड़ा नारियल चाहत को देते हुए कहा - ये मेरे
साइड से इसे भी चढ़ा देना।
चाहत ने नारियल लेकर वहा पर घूम रही बच्ची से कहा- ये जाओ पंडित जी को दे आओ वो बच्ची वहा से चले गईं ।
चाहत ने अध्यन और अंश को इशारा कर केएक तरफ ले गई जहां खाने की व्यवस्था की गई थी।
चाहत दोनो को वहा लगे टेबल पर बैठा कर वहा काम के रहे आदमियों से बोल - भैया दो प्लेट ईधर भी ।
वो लोग दो प्लेट नाश्ता वहा ले आए।
दोनों ने मना किया। तो चाहत ने 4 ऑरेंज जूस मगाया दोबारा चारो संग में मिल कर जूस पीते है।
दोबारा चाहत को कोई आवाज़ देकर कहता है आओ आराधना स्टार्ट होने वाली है ।
चारो अंदर जाते है। चाहत के पापा मिल जाते हैं । चाहत अपने पापा से इंट्रोड्यूज करवाती है तो दोनों उनको विश कर करते है।
चाहत के पापा - कैसे हो आप सभी ।
अध्यन और अंश - अच्छे है
तभी उनको कोई आवाज़ देता है। तो शिव जी कहते है - मुझे
कुछ काम है. आप सभी खाना खा कर जाना।
दोबारा सभी संग मिलकर उस कमरे में जाते है जहा आराधना हो रही होती है।
अंश अध्यन को देख - कितना देखेगा। नजर लग जाएगी उसे।
अध्यन - तू अपना मुंह ना बंद रखा कर समझा।
अंश ने देखा हवन स्टार्ट होने वाला है उसने अध्यन से कहा - तू हवन में जाएगा ना ।
अध्यन - हा।
अंश - ठीक है।
दोनों हवन के स्थान पहुंचे और वहीं बैठ गए।
वहा बैठे शिव जी और रीमा जी को देख कर । अंश ने अध्यन से कहा - वो चाहत के पापा है। लगता है चाहत का रंग अपने पापा पर गया है। क्युकी उसकी मम्मी तो गोरी है।
अध्यन तो चाहत में ही खोया था । उसने बस हा में सिर हिला दिया।
ये देख अंश - इसका कुछ नहीं हो सकता।
आराधना ख़त्म हुई सभी को आरती दी गई । पंडित जी ने कहा
एक दिया दिया और कहा इसे पूरे घर में घूमा करबाहर् रख देना । चाहत ने हा में सिर हिलाया। और दिया लेकरबाहर् चले गई ।
पंडित जी अध्यन की तरफएक लोटा बढ़ा कर बेटा जब वो आए तोइसे गंगाजल को उस पर छिड़क देना।
शिव जी अध्यन की तरफ देख - हा बेटा जाओ।
अध्यन गेट के पास उसका इंतज़ार करने लगा।
चाहत आती है अध्यन ने उसे इशारा कर रुकने को कहा । और उसके पास जाकर लोटे से पानी ले कर दुबी से उस पर पानी छिड़क देता है। और दोनो संग में आकर सबको प्रसाद देने लगते है। चाहत सभी को खाना खा कर जाने को कहती है।
चाहत अध्यन को अपने संग खाने के लिए लेकर आती है वहा वो देखती है काजल और अंश पहले ही उनका इंतज़ार करते रहते है। दोनों उनके पास जाकर ।
चाहत - तुम लोगो ने खाना खाया।
अंश - अभी तक तो नहीं।
चाहत - चलो सभी संग में खाते है।
ये बोल सभी प्लेट निकलते है और खाने लगते है। खाने की
प्लेट लेकर वोएक टेबल पर बैठते है । काजलएक रसगुल्ला उठा कर चाहत को खिला देती हैं।
अध्यन भी चाहत को खिलाना चाहता था पर खिला ना सका। सभी खाना कर उठे । चाहत ने उनसे कहा - चलो घर दिखती हूं तुम सभी को।
चाहत आगे आगे जा रही थी। अध्यन हर रूम को देख रहा था। चाहत के रूम आते ही चाहत ने कहा - ये मेरा रूम है ।
अध्यन रुम को देखते हुए - खूबसूरत है।
चाहत सिर झुकते हुए - थैंक्यू।
अध्यन की नजर सामने लगी फोटोस पर गई जहा चाहत और आर्यन की फोटोस थी।
वो उन फोटोस को देख कर - तुम कितनी मोटी थी यार और क्यूट भी ।
चाहत - हा सभी मेरे पास इसीलिए आते थे क्युकी मै मोटी थी । सभी मेरे चिक्स पुल करते रहते थे।
अध्यन सोचते हुए - मेरा भी मन करता है इन्हे खींचने का।
चाहत उसे खोए हुए देख कर - कहा खो गए।
अंश उसके पास आकर - चल हमे चलना है।
अध्यन होश में आकर - हा चलो ।
काजल भी कहती है - हा मै भी चलती हूं ।
चाहत - चलो मै तुम सभी कोबाहर् छोड़ देती हूं।
सबबाहर् आते है ।
चाहत काजल को गले लगा लेती है तभीएक लड़का बाइक में उनके सामने आता है। काजल को छोड़ सबका मुंह बन जाता है।
अनिल काजल देख - ज्यादा प्यारी लग रही हो।
काजल उसे देख मुस्कुराते हुए उसके संग बैठ गई। सभी को बाय बोल वो चले गई।
चाहत ने अध्यन और अंश को प्रसाद का दिया । और कहा ये तुम दोनों घर के जाओ।
दोनों ने हा में सिर हिला दिया। अध्यन वहा से अपनी बाइक लेने चला गया।
इधर अध्यन ने भी अपनी बाइक निकाल ली दोबारा अध्यन ने अपनी डिक्की सेएक गिफ्ट निकाला और चाहत की तरफ बढ़ा दिया।
चाहत ने पहले ना कहा तो अध्यन ने उसे कहा - प्लीज़. तो
वो मान गई ।
गिफ्ट देकरएक नजर चाहत को देख अध्यन और अंश पुनः चले आए।
चाहत रूम में आकर उस गिफ्ट को देखने लगी.
उसने उसे देखा जिसमें रेड कलर का रैपर लगा था और उस रैपर के साथएक चॉकलेट भी चिपकी थी । चॉकलेट निकाल चाहत मुस्कुराई ।
रैपर खोलने लगी । उसे खोल कर उसने देखा तो उसमेंएक विंड चाइम थी । जिसे देख चाहत दोबारा से मुस्कुराने लगी । स्टील की गोल लबी डंडी वाला वो विंड चाइम ज्यादा खूबसूरत था। उसने लगे व्हाइट नग उसे और खूबसूरत बना रहे थे।
उसमे सेएक चिट गिरी। चाहत ने उसे खोला तो उसमे कुछ लिखा था।
"चाहत ,
जब तुमने मुझे अपने घर बुलाया । तो मुझे लगा तुम्हे कुछ स्पेशल देना चाहिए ।
तो मै ये ले आया। इसे तुम अपने रूम में रखना इसकी आवाज़ ज्यादा प्यारी है । जितनी प्यारी तुम हो उतनी ही ये
प्यारी हैं।"
चाहत उठी और मुस्कुराते हुए उसने वो विंड चाइम अपने रूम की खिड़की पर टांग दिया।
बाहर् से चाहत को किसी ने आवाज़ दी।
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अध्यन रास्ते में अंश के संग जा रहा था।
वो चाहत को याद कर मुस्कुराए जा रहा था । तभी उसने देखा ।
अंश थोड़ा उदास था उसे देख अध्यन - काजल के बारे में सोच रहा है।
अंश - हा . पता है मुझे वो लड़का ठीक नहीं लगा।
मैंने उसके बारे ने पता लगाया था। उसके और भी चक्कर है। कितनी ही लड़कियों के संग घूमता है।
अध्यन - ऐसा है . तो कल ही हम चाहत से बात करते हैं।
अंश - चाहत से क्यू.??
अध्यन - क्युकी चाहत ही उनके बारे में सही से बता पाएगी । और यदि वो सही नहीं है तोएक वहीं है जो उसे (काजल) समझा पाएगी।
अंश - ठीक है।
अध्यन अंश को छोड़ घर आ जाता है।
अध्यन का घर
अध्यन मुस्कुराते हुए घर आया। शाम का वक्त था । सभी घर पर थे। वो आया और सबसे पहले गौरी जी के पास गया । अध्यन अपनी मॉम को पीछे से पकड़ कर - मॉम मै आ गया।
गौरी जी - दिख रहा है।।।
अध्यन अपनी मॉम को प्रसाद देते हुए।
अध्यन - मॉम ये चाहत ने दिया है।. आराधना का प्रसाद है . आप और डेड खा लेना।
गौरी जी - अच्छा.
गौरी जी ने देखा आज अध्यन और दिनों के मुकाबले ज्यादा
खुश है ये देख वो मुस्कुरा उठी ।
अध्यन अपने रूम आया। उसने अपना मोबाइल निकला। और उसने उसे ओपन किया तभीएक तस्वीर उभरी जिसे देख उसने मोबाइल अपने सीने से लगा लिया।
ये फोटो चाहत की थी । चाहत की ये फोटो उसने तब ली थी जब वो दियाबाहर् रखने गई थीं। वहा कोई नहीं था जब वो दिया रख हाथ जोड़कर आंखे बंद किए हुए बैठी थी तब ये तस्वीर अध्यन ने के की थी। उसे उसने अपने मोबाइल पर वॉलपेपर बना कर रख लिया।
चाहत का घर
सभी मेहमान के चले जाने के पश्चात घर में बस दादी ,शिव जी ,आर्यन, रीमा जी और चाहत ही बचे थे ।
चाहत टेंट वालो को समान रखवा रही थी। वहीं शिव जी आज काम कर रहे सभी लोगो को पैसे दे रहे थे। संग में बैठा आर्यन प्रसाद दे रहा था और रीमा जी ने सभी को शुक्रिया देते हुए कहा - आप सभी के कारण आज का समारोह ज्यादा बढ़िया हुआ । आप सभी का दिल से धन्यवाद।
सभी मुस्कुराते हुए प्रसाद ले कर घर चले गए।
दादी अंदर थी । वोबाहर् अाई और बोली - बेटा ज्यादा वक़्त हो गया है चलो खाना खा लो।।
सभी अंदर आ गए चाहत ने सबको कहा - मै कपड़े बदल कर आती हूं । आप सभी भी फ्रेश हो जाओ।
सभी अपने रूम चले गए। चाहत हैरम और टी शर्ट पहनकर अाई ।
सभी डायनिंग टेबल पर आए बस चाहत नहीं अाई थी। रीमा जी ने खाना सर्व किया ।
दादी शिव जी से - भगवान की कृपा से आज का काम सकुशल हो गया ।
शिव जी - हा मा। मैंने तो सोचा भी नहीं था सभी इतनी आसानी से हो जाएगा।
दादी जी - सभी भगवान की कृपा है।
इतने देर में चाहत भी अाई और दादी और शिव जी की बात सुनने लगीं।
दादी चाहत को देख - बेटा वहा क्यू खड़ी हो. यहां आओ ।
चाहत दादी के पास आ गई। दादी ने प्रेम से चाहत की तरफ
खाने का निवाला बढ़ा दिया। चाहत ने भी बिना देर किए उसे खा लिया। वहीं आर्यन ये देख चीढ़ गया ।
वह रीमा जी से बोला - मम्मी आप मुझे खिलाओ। यहां तो किसी को मेरी कोई फिक्र ही नहीं है।
ये सुन रीमा जी ने उसेएक निवाला खिला दिया ।
दादी आर्यन की तरफ देख कर - मेरा राजा बेटा किसने कहा । की किसी को तेरी फिक्र नहीं । अरे मै तेरे पापा, तेरी मम्मी और चाहत बेटा सभी को तेरी फिक्र है।
आर्यन मुंह बनाते हुए - नहीं आप झूठ बोल रही है सबको बस दी अच्छी लगती हैं। कोई मुझसे प्रेम नहीं करता ।
चाहत आर्यन के पास आ कर - बात तो सही है. तेरी. ये बोल उसनेएक निवाला तोड़ा और उसे आर्यन को खिला दिया।
रीमा जी तीसरा निवाला खिलते हुए - ऐसा नहीं है. बेटा सभी तुमसे भी ज्यादा प्रेम करते हैं ।
शिव जी चौथा निवाला खिलते हुए - खबरदार जो किसी ने मेरे भोलू को कुछ कहा तो. मैएक एक कि खबर लूंगा।
दादी दोबारा से उसके पास अाई । उसे अपनी गोद में बिठाया और माथे को चूमते हुए बोली -
तुझे सूरज कहूं या चंदा ।।
तुझे दीप कहूं या तारा ।।
मेरा नाम करेगा रौशन जग मेरा राज दुलारा।।
ये गाते हुए उन्होंने अपना गाल आर्यन के गाल से लगा लिया।
ये गाना सुन आर्यन और चाहत जोर जोर से हसने लगे तो दादी ने कहा - क्या हुआ मैंने कुछ गलत गाया क्या?.,. तुम्हे पता है तुम्हारे पापा को मै यही गाना गा कर सुलाती थी ।
सबने कुछ नहीं कहा तो दादी जी चुप हो गई।
दादी जी - ठीक है अब से नहीं गाऊंगी। ये बोल वो जाने लगी। तो आर्यन ने उनका हाथ पकड़ करउन्को अपने हाथ से खिलते हुए कहा - नहीं दादी ऐसी बात नहीं है।
चाहत भी आर्यन का संग देते हुए - हा दादी वो आप पहली बार गाना गा रही थीं. । वो भी ये वाला तो समझ नहीं आया कैसे रिएक्ट करे अपनों बुरा लगा क्या ?
दादी उसका चेहरा पकड़ते हुए ना में सिर हिला दिया। चाहत नेउन्को खाने का इशारा किया दोबारा स्वयं भी खाने लगी । सभी ने खाना ख़त्म किया।
शिव जी को कल जाना था इसीलिए रीमा जी सारा समान
पैक करने लगी। वहीं चाहत आज दादी को अपने रूम ले अाई और वो दोनो आज मिल गिफ्ट को खोल कर देखने लगी। तभी तेज हवा चली और खिड़की में लगा विंड चाइम हिलने लगा तो चाहत का ध्यान वहा चले गया। चाहत के होंठो पर अपने आप स्माइल आ गई।
चाहत ने खिड़की बंद की । सारे गिफ्ट कोएक स्थान रख कर दादी के पास लेट गईं ।
चाहत दादी से - दादी आप यही रह जाओ ना ज्यादा मज़ा आयेगा । हम सभी ज्यादा मस्ती करेंगे। ये बोल उसने दादी के पेट पर अपना सीधा हाथ लपेट दिया।
दादी उसके हाथ पर अपना हाथ रखते हुए - बेटा गांव में भी काम होते है वहा की खेती भी तो देखनी है।
तुम सभी यहां सुकून से हो और मुझे सुकून मेरे उस घर में मिलती है। मै चाहूं तो भी वहा से दूर नहीं रह सकती।
मुझे वहा ही रहना है वहीं ही मर जाना है।
चाहत एकदम से उठ कर गुस्से में कहती है, - दादी आप ऐसे बोलोगी ना तो मै.
दादी मुस्कुराते हुए, - तो क्या.
चाहत अपनी उग्लियो को घूमते हुए,- मै आपको . आपको ज्यादा सारी गुदगुदी करूंगी ये बोल वो दादी के पेट में गुदगुदी
करने लगती है।
चाहत दादी को गुदगुदी कर के हस्ती हुई उनसे लिपट जाती है। दादी ने भी अपनेएक हाथ से उसकाएक हाथ पकड़ा और उसका सिर सहलाने लगी।
वह दादी को और कर के जकड़ कर सो गई वहीं दादी भी उसे सीने से लगाए सो जाती है।
अगली सुबह
चाहत का घर
चाहत की नींद पहली बार काजल के मैसेज से नहीं बल्कि विंड चाइम के आवाज़ से खुली वो आख मसलते हुए उठी।
रेडी होकरबाहर् अाई तो देखा उसके पापा पुनः ड्यूटी पर जा रहे है। ये देख वो थोड़ा उदास हो गई। दोबारा स्वयं को शांत कर बाहरी तौर से खुश हो कर आगे बढ़ गई।
वो पापा के पास गई तो उन्होंने उसे गले से लगाया और बोले - खूब पढ़ना और अपने भाई मम्मी का ख्याल रखना।
चाहत ने हा में सिर हिलाया।
चाहत और रीमा जी ने शिव जी के पांव छुए । दोबारा शिव जी ने भी सुमित्रा जी ( चाहत की दादी ) के पांव छुए।
शिव जी मुस्कुराते हुए अपने फर्ज को निभाने चले गए।
रीमा जी स्वयं को रोके हुए थी। उनके जाने के ठीक पश्चात अपने रूम में गई और मुंह में हाथ रख रोने लगी।
चाहत को पता था उसने बचपन से देखा था उनको ऐसे रोते हुए । उसे पता था वो थोड़े देर में ठीक हो जाएंगी।
चाहत ने देखा दादी बोर हो रही है। तो उसने दादी से कहा - चलो दादी आज आपको मंदिर ले चलती हूं। ये कह कर उसने मम्मी को आवाज़ दी ।
चाहत - मम्मी मै दादी को मंदिर के जा रही हूं।
गौरी जी स्वयं को संभाल करबाहर् आते हुए।
गौरी जी - ठीक है ले जाओ।
चाहत और दादी मंदिर गईं ।
वहा मंदिर में
मंदिर ज्यादा सुंदर था। मंदिर के सामनेएक गार्डन भी था।
चाहत दादी का हाथ पकड़ कर मंदिर की सीढ़ियों पर अाई। वो अंदर दर्शन करने चले गए ।
ये मंदिर राधा कृष्ण का था। दोनों की मूर्ति ज्यादा सुंदर थी उस मूर्ति के पास पीले कपड़ों में पंडित जी थे । दर्शन के पश्चात दोनोबाहर् गार्डन में बैठ गई।
चाहत दादी से - यहां कितना बढ़िया लग रहा है ना।
दादी ने कहा - हा बेटा।
तभी चाहत के कानों मेंएक भजन सुनाई दिया।
" यशोमती मैया से बोले नंदलाला.
राधा क्यू गोरी मै क्यूं काला."
उस भजन को सुन चाहत ने दादी से कहा । दादी पहले का जमाना कितना बढ़िया था ना लोग भेदभाव नहीं करते थें । पर आज तो सभी को रंग , कपड़े , स्टेटस ये सभी देखते है।
दादी कुछ बोलने को हुई तभी पीछे से किसी स्त्री की थोड़ी भारी आवाज़ गूंजी - ऐसा नहीं है बेटा।।।
चाहत ने पलट कर देखा तोएक स्त्री हल्के हरे रंग की साड़ी में लिपटी हुई उनके सामने थी। उनके सारी में लाल रंग
का बॉर्डर था।
वो चाहत के पास आई और बोली - रंग , कपड़े या स्टेटस मायने नहीं रखता। हमारी सोच हमे दर्शाती है।
ये बोल वो उनके पास बैठ गई। अपनी बात जारी रखते हुए उन्होंने कहा। " क्या जब तुम रोती हो तो तुम्हारे रंग को देख कर तुम्हारी मा तुमसे दूर चले जाती है???"
चाहत ने ना में सिर हिलाया ।
वो स्त्री - क्या तुम्हारी दादी के पुराने जमाने के कपड़े देख तुम्हे शर्मिंदगी महसूस होती है।
चाहत ने ना में सिर हिला दिया ।
स्त्री ने कहा - तो ये बाते तुम्हारे दिल की अच्छाई बताते है। तुम कैसी हो .तुम्हारी सोच कैसी है?. ये बात ज्यादा जरूरी है। रंग बस आकर्षण है। अच्छाई और अच्छी सोच परमानेंट है जो कभी कोई आपसे छीन नहीं सकता । ना ये कम ही सकता है और ना ही कोई इसमें कुछ कर फेर बदल कर सकता है।
चाहत ने उनकी बात सुन कर कहा - पर आंटी लोग तो खूबसूरत लोगो को ज्यादा महत्व देते है । आज के जमाने में
रंग , कपड़े स्टेटस ज्यादा मायने रखता है।
वो स्त्री - बेटा तो ऐसे फेक लोगो से दूर रहो । ये बस समय भर के लिए हमारी जिंदगी में आते है इनको लोगो को बस दिखावे से मतलब होता है।एक सच्ची मित्र वहीं होता है जो आप जैसे हो जो हो उसे देख कर आपके पास रहे। जो टाइमके अकॉर्डिंग चेंज ना हो।
चाहत सोचते हुए - यदि ऐसा कोई हमारी जिंदगी में हो तो क्या करे?
वो स्त्री - उनसे कोई एक्सपेक्टेशन ना रखो । और सबसे जरूरी बात उनकी बातो को दिल से ना लगाओ। बस अपना काम करो। आखिर कृष्ण जी भी कहते है ना
" कर्म करो फल , की चिंता मत करो"
चाहत ने हा में सिर हिला दिया । तभी उनकी ही उम्र काएक पुरुष वहा आया । उस पुरुष ने उनसे कहा - चलो नहीं तो हम लेट हो जाएंगे। शायद ये पुरुष उन आंटी के पति थे।
ये बोल उस पुरुष ने चाहत को देखा और स्माइल दी।
वो स्त्री चाहत के पास आकर - कभी स्वयं को कम मत जानना । यदि कृष्णा ने तुम्हे कोई कमी दी है तो संग में
तुम्हे किसी खूबी से नवाजा भी है बस उसे पहचान लो ।
चाहत ने हा में सिर हिला दिया । उस स्त्री ने चाहत और उनकी दादी से विदा ली।
उस स्त्री की बाते चाहत परएक गहरा असर छोड़ गई। चाहत और दादी घर आ गई।
चाहत स्कूल जाने के लिए रेडी हुई और स्कूल आ गई।
स्कूल क्लासरूम
आज चाहत जल्दी अाई थी । क्लास खाली थी। तो चाहत ऐसे ही बैठी बाकी लोगों का इंतज़ार कर रही थी।
अध्यन जैसे ही क्लास आता है । चाहत को डेस्क पर बैठा देख कर खुश हो जाता है। वो उसके पास आया दोनो बाते करने लगे।
ऐसे ही दोनो बाते करते रहते है । काजल और अंश जो कब से दोनो को देख कर मुस्कुरा रहे होते है।
उनके पास जाकर अंश उनसे कहता है - अरे हम भी यही है।. पर किसी को तो फिक्र ही नहीं। . लगे है अपने में.
अध्यन ये सुन कर अंश के गले में हाथ डाल उसका गला दबा कर - क्या कहा. जराएक बार दोबारा बोलना।
अंश उससे गला छुड़ाते हुए - अरे यार मै तो मज़ाक कर रहा था। ये सुन अध्यन ने उसे छोड़ा । तो वो भागते हुए बोला - तुम दोनो कपल को किसी की नजर ना लगे।और वहा से भाग गया।
काजल ये सुन जोर ज़ोर से हसने लगीं अध्यन की हालत ही खराब हो गई। वो भी वहा से भाग गया। और चाहत ने भी नज़रे झुका ली
ऐसे ही चारो की दोस्ती बढ़ते गईं । अंश के संग औपचारिक तौर पर हुई दोस्ती भी अब सच्ची दोस्ती में तब्दील हो चुकी थी। चारो का ग्रुप ज्यादा ही बढ़िया हो गया था। जहा अंश काजल की दोस्ती में अपने मन में उठ रही भावनाओ को दबा चुका था। वहीं चाहत के मन में भी अध्यन अपनी स्थान बना चुका था। ऐसे ही वक़्त गुज़रा सभीएक दूसरे के करीब आते जा रहे थे।
एक दिन स्कूल में सर आते है और सभी से कहते है।
सर - हम सभी टीचर्स ने मिल कर ये सोचा है । आप सभी को
पिकनिक पर ले जाएंगे। पर ज्यादा दूर नहीं यही डोंगरगढ़ में बम्लेश्वरी मंदिर है और पास में हीएक गार्डन और ज्यादा सारी घूमने की स्थान है तो हम आपको वहा ले जाएंगे। सुबह निकलेंगे और शाम तक पुनः आ जाएंगे । आपके खाने की व्यवस्था भी वहीं होगी।
सारे बच्चे खुश हो गए। सर ने अपनी बात जारी रखते हुए - हम सभी परसो जाएंगे । आप सभी में जो जाना चाहता है । कल तक बता देना ।
वे चाहत की तरफ देख कर - कल तुम लिस्ट तैयार कर के से देना।
चाहत ने हा में सिर हिला दिया ।
काजल चाहत के पास आकर - वाओ यार . पहली बार घर से दूर वो भी पूरा दिन के लिए. कितना मज़ा आयेगा ना।
चाहत - हा पता है मै सोच रही थी कि क्यू ना मै घर से कैमरा ले आऊ दोबारा सभी ढेर सारी फोटोस लेंगे।
काजल - हा ये सही है. ले आना।
अध्यन जो बगल मै खड़ा उनकी बाते सुन रहा था। उनके पास आकर कहा - चाहत तुम रहने दो मै ले आऊंगा कैमरा ।
चाहत - ठीक है।
अंश - और मै क्या लाऊ.
काजल उसके सिर पर मारते हुए - तुम स्वयं टाइम पर आ जाओ ना वहीं ज्यादा बड़ी बात है।
अंश अपनीएक आइब्रो उठा कर - अच्छा।
काजल भागते हुए - हा ।
अंश उसके पीछे आते हुए - काजल की बच्ची . रुको तुम्हे मै बताता हूं.
ये कह दोनो लड़ने लगे । चाहतउन्को देख कर मुस्कुराने लगी । और चाहत को देख अध्यन मुस्कुराने लगा।
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