The Rajsharma Sex Story of चाहत (Romance Special)
अध्यन का घर
अध्यन तैयार हो कर पापा का इंतज़ार कर रहा था । उसने लोवर और टी शर्ट पहनी थी । वह बार बट घड़ी देखता इतने में देव जी आए और दोनो जोगिंग के लिए निकाल गए ।
जोगिंग करते करते दोनो उसी स्थान पर पहुंचे जहा उन लोगो
ने देखा कुछ पपी खेल रहे थे । अध्यन पापा को रुकने को कहा और उन पपी को बिस्किट्स दी। बिस्किट्स देते वक्त उसका दिल धड़कने लगा।
उसे लगा जैसे चाहत मुस्कुराते हुए उसे देख रही हो वो भी हल्का सा मुस्कुरा दिया ।
देव जी भी उसके बिहेवियर में ये तब्दीली महसूस कर रहे थे पर कहा कुछ नहीं।
दोनों जॉगिंग कर के पुनः घर आए तो गौरी जी ने उनको जूस दिया अध्यन बाए हाथ से जूस पीते हुए दाए हाथ को देख कर मुस्कुरा रहा था । और अपने रूम में चला गया । उसके जाते है गौरी जी जो जब से चुप थी बोल उठी।
गौरी जी - देखा अपने इसे. अभी दो दिनों से ऐसे ही हरकते करते रहता है. पता नहीं क्या हुआ है.
देव जी जो अपना अखबार पढ रहे थे उन्होंने गौरी जी से कहा - प्रेम हो गया है आपके बेटे को।
गौरी जी - क्या??????!!?. आपको उसने बताया. पर कब . और किससे .????????
देव जी उनको पकड़ कर अपने करीब लाते हुए ।
देव जी - अरे!. आप समझ नहीं रही है । शायद उसे कोईपस्न्द आ गई है. तभी तो वो ऐसी हरकते के रहा है।
आप ना ज्यादा मत सोचो।
गौरी जी - अभी उसकी उम्र नहीं है ये सभी करने की. अभी तो उसको पढ़ना चाहिए. और. वो बोल ही रही थी तब ही . देव जी ने उनके होठो पर उगली रख कर कहा।
देव जी- वो आज के जमाने का लड़का है . और वो इतना समझदार है कि ऐसा कुछ नहीं करेगा जो सही ना हो. अब आते है प्रेम वाली बात पर . तो उसके लिए ये नया एक्सपीरियंस है . तो हमारा ये फ़र्ज़ बनता है कि हम उसे समझे. ना कि रोक टोक करे. यदि हमने ये किया तो वह हमसे फ्रीली कुछ शेयर नहीं कर पाएगा .। आप समझ नहीं रही हो ना ।
गौरी जी ने हा में सिर हिलाया। तो देव जी नेउन्को गले से लगा लिया ।
तभी अध्यन रूम सेबाहर् आया और दोनो को ऐसे देख कर मुस्कुराया दोबारा सिटी बजाते हुए पास रखे सोफे पर बैठ गया
। सिटी की आवाज़ सुन गौरी जी और देव जी दोनो अलग हुए ।
अध्यन ने ऐसे बिहेव किया जैसे उसने कुछ देखा ही ना हो और कहा - मॉम मुझे स्कूल जाना है . नाश्ता लगा दो ।
गौरी जी हां बोल कर किचन भाग गई और देव जी अखबार रख कर अपने रूम चले गए ।
अध्यन ने नाश्ता किया और और स्कूल आ गया।
स्कूल क्लासरूम
अध्ययन आज दोबारा चाहत का इंतजार करने लगा उसने देखा चाहत अकेले आ रही है उसके पीछे काजल भी आ रही है उसने देखा आज दोनों ही शांत थी।
अध्यन ने चाहत को देखा उसकी आंखे लाल और सुजी हुई थी ये देख अध्यन को बढ़िया नहीं लग रहा था।
वहजान्ना चाहता था कि क्या हुआ जो चाहत इतनी उदास है.
क्लास रूम
चाहत का उदास चेहरा अध्यन से देखा नहीं जा रहा था।
वो उससे पूछना चाहता था। वो क्यू उदास है?
प्रेयर की बेल बजी सभी क्लास से निकालने लगे । अध्यन हमेशा की तरह लास्ट में निकाला । चाहत दरवाज़े पर ही मिल गई । हमेशा की तरह चुप थी पर आज जो उसमे नया था वो था उदास चेहरा और लाल आंखे।।
ये आंखे ही तो थी जो उसे दूसरों से अलग बनाती थी ।एक अजब सा सुकून देती थी ये आंखे अध्यन को। पर क्यू ये आंखे खामोशी लिए बैठी है।
उसका मन ही नहीं कर रहा था उससेएक समय के लिए भी दूर जाने का पर अभी वो टाइमनहीं आया था । जिस की दुहाई देकर वो उससे कुछ पूछ सके । बस दोस्ती ही थी वो भी इतनी गहरी नहीं थी। वो चाहता था वो उसे बताए और वो समय भर में उसके सारे दर्द ले ले।
पर ये मुमकिन न था ।
प्रेयर हुई और क्लासेज भी पर दोबारा भी चाहत नेएक वर्ड भी नहीं कहा था। ना ही वो मुस्कुराई थी ।
उसे ऐसे देख अध्यन को सबसे ज्यादा तकलीफ हो रही थी और भी कोई था जिसे ये सभी तकलीफदेह लग रहा था । वो थी काजल।
वो उससे बात करने का मौका ढूंढ रही थी। लगातार क्लासेज के कारण उसे ये मौका अभी नहीं मिल रहा था।
लंच की बेल ने ये मौका दोनो को से दिया। काजल ने बिना किसी की परवाह किए लंच बॉक्स उठाया और चाहत का हाथ पकड़ कर अपने संग ले आई ।
बाहर् आकर वे लोग गार्डन के पास पहुंचे। काजल ने चाहत को देखा और गले से लगा लिया । चाहत जो अब तक चुप थी वो फूटफूट कर रोने लगी । काजल उसका पीठ सहला रही थी।
चाहत रोते हुए - मैंने कुछ नहीं किया आज तक . दोबारा क्यों उनको ये लगा.। क्या मम्मी ये नहीं जानती की मै कुछ भी ऐसा नहीं कर सकती . क्यों काजल .
काजल - वो बस गुस्सा थी यार. तू भी ना सच में. कुछ ज्यादा ही इमोशनल है. हो गई उनसे गलती भूल जा.
चाहत - हा. मै मानती हूं . गलती हो गई . मैउन्को बलेम नहीं कर रही. बस मुझे बुरा लगा,. मै.,मै.
करते हुए उसने कल रात की सारी बाते बता दी। दोबारा वो रोने लगी।
चाहत रोते हुए - मैंने कभी भी कुछ गलत नहीं किया है . आगे भी नहीं करूंगी . लोग कुछ भी कहे . उससे मुझे फर्क नहीं पड़ता . पर अपनों की बात चुभती है . ज्यादा ज्यादा चुभती है.
अध्यन जो बहुत देर से वहा था और उनकी बात सुन रहा था उसने वहा आकर उन दोनों से कहा।
अध्यन - चुभती है . तुम्हे बुरा लगता है . उनका शक करना. गलत लगता है . है ना.
चाहत काजल से दूर हुई और अध्यन को देखने लगी ।
अध्यन उसका हाथ पकड़ वहा पड़ी बेंच पर बिठा कर स्वयं उसके घुटनो के पास बैठ गया। और बोलना जारी रखा।
अध्यन - तुम्हे उनका तुम पर शक करना पहले नजर आया. पर उसके पीछे छुपी फिक्र नहीं . ये सभी कहते हुए अध्यन ने अपना सिर उठा उसे देख कर बोलना जारी रखते हुए बोला।
अध्यन - वो तुमसे ज्यादा प्रेम करती है. शायद इसीलिए तुम्हे कुछ गलत करते नहीं देख सकती है.
तुम स्वयं ही सोचो. यदि वो ये नहीं कहती . और कोई और आकर उनके सामने ऐसे प्रश्न करता . तब तुम क्या करती ,. उन्होंने तो तुम्हारी बात भी सुनी . और अपनी गलती का अहसास होने पर माफी भी मांगी. वो तुमसे प्रेम करती है .,इसीलिए जरा ज्यादा फिक्र करती है . तुम खामखां गलत सोच रही हो .
इतना कह कर अध्यन ने उसे वॉटर बोतल दी और कहा चलो अब फेस धो लो । चाहत ने भी उसकी बात मान फेस धोया । अध्यन ने अपना रुमाल चाहत की ओर बढ़ा दिया जिसे लेकर उसने अपना फेस साफ़ किया।
अध्यन ने दोबारा से उसे बेंच पर बिठाया। उसने काजल की तरफ देखा दोबारा बैठने का इशारा किया। उनके हाथ से टिफिन लेकर उसे खोला । उसमे मैगी थी जिसे काजल लेकर आई थी। उसेएक चम्मच से पहले काजल दोबारा चाहत को खिलाया। और खिलते हुए बोलने लगा।
अध्यन - चाहत तुम्हे पता है। . हम जिससे प्रेम करते है ना . उसकी फिक्र हमे सबसे ज्यादा होती है . तुम्हे पता है उनको कुछ हो . ये हम कभी नहीं चाहेंगे । ये बोल उसने फिरएक बाइट चाहत की ओर बढ़ा दिया दोबारा कहा।
अध्यन - इसीलिए तुम्हारी मॉम ने तुम्हे डांटा।. क्युकी. वो तुम पर भरोसा करती है. तभी तो उन्होंने दुबारा क्रॉस चेक करने यहां (स्कूल) पहुँचना जरूरी नहीं समझा . और अपनी गलती होने पर सोरी भी बोल दिया .उन्को बस फिक्र है इसीलिए उन्होंने ये किया समझी ।
चाहत ने हा में सिर हिला कर हा कहा ।
ये देख कर वो दोनो को बारी बारी से खिलाया ओर लास्ट मेंएक बाइट बचा तो उसने दोनों को देखा वो सोच ही रहा था तभीएक हाथ उसकी तरफ आया उसने हैरानी से देखा तो देखता ही रह गया उसने कहा - बट ये तो. इतना ही बोल पाया था ।
तभी चाहत ने उसेएक बाइट खिला दिया । और वो उसे देखने लगा ।
ये सभी हो जाने के पश्चात चाहत ने अध्यन को थैंक्यू कहा और दोबारा क्लास चली गई । अध्यनइसे अहसास को संभाले क्लास पुनः आ गया।
क्लासेस ख़तम हुए सभी अपनी घर की तरफ चले गए। चाहत भी घर की तरफ ही जा रही थी। तभी उसे याद आया कि जल्दी में उसने उन पपि के लिए बिस्किट्स नहीं ली उसने सोचा घर से आर्यन के संग आयेगी दोबारा खिला देगी ।
ये कह कर वो आगे बढ़ी दोबारा उसने देखा कोई उन पपी के संग है । पास जाकर देखा तो अध्यन था जो वहीं बैठ उनको बिस्किट्स खिला रहा था। वो उसके पास गई और वहीं पर
उसे देखने लगी ।
बिस्किट्स खिलाने के पश्चात वह उठा और मुड़ा तो चाहत को देख खुश हो गया. उसकी आंखो में दोबारा वही चमक आ गई थी ।
अध्यन का दिल धड़क उठा वहीं मुस्कान देख कर।
वो आज उस मुस्कान को अपने दिल मै बसा लेना चाहता था पर चाहत ने उसे अभी इसकी इजाजत नहीं दी थी,।
अध्यन - तुम अभी यहां. घर नहीं गई .
चाहत - तुम भी तो नहीं गए ना ।
अध्यन - वो . मै तो इनको खाना देने आया था,। पर तुम यहां कैसे .?
चाहत - मै घर जा रही थी . तभी तुम्हे देखा इनके संग तो यहां आ गई. थोड़ी देर चुप होकर बोली।
चाहत - अच्छा. आज के लिए.एक बार फिर. थैक्यू.
अध्यन उसके करीब आ कर - बस थैंक्यू मुझे तो लगा.
चाहत दो कदम पीछे हट कर - क्या लगा??
अध्यन उसका डरा चेहरा देख कर हसने लगा और बोला - तुम कितना डरती हो यार. तुम्हे क्या मै वैसा लगता हूं.
चाहत जल्दी से - नहीं. तुम. वैसे नहीं हो .
अध्यन दोबारा से उसे देखते हुए - बढ़िया तो दोबारा कैसा हूं?? ये बोल वो चाहत को देखने लगा।
चाहत उसकी नज़रों को देख कर अपनी पलको को झुका कर बोली - वो . तुम. मेरा मतलब था.
अध्यन उसे बीच में रोक कर बोला - इट्स ओके . मै मज़ाक कर रहा हूं।
चाहत और अध्यन संग में चल रहे थे।
अध्यन - तुम्हारे घर में कौन कौन है?
चाहत - पापा मम्मी और भाई । . और तुम्हारे???
अध्यन - पापा मम्मी और मै . बस हम तीन ही है।
चाहत - ओह.
दोनों संग में चल कर अपनी साइकिल के पास आए औरएक दूसरे को बाय बोल अपने रास्ते चले गए।
चाहत नेएक बार मुड़ कर अध्यन को देखा जो बेखबर होकर साइकिल चला रहा था। उसके मुड़ने के ठीक पश्चात अध्यन ने
उसे देखा वो भी अपने में मगन साइकिल चला रही थी। उसे देख अध्यन के होठों में मुस्कान आ गई । और ठीक यही चाहत के संग भी हुआ जब उसने अध्यन को देखा।
चाहत का घर
चाहत घर आई तो देखा उसने मम्मी ढेर सारे कार्डस के संग बैठी है। वो अपने शूज निकलते हुए बोली - मम्मी ये सभी क्या है ??
रीमा जी - कार्डस है बेटा. तुम्हारे पापा और मैंने सोचा है .इसे संडे ही नए घर में आराधना रखवा लेते है . और पार्टी भी उसी दिन रख लेते है. तुम क्या कहती हो???
चाहत - बेस्ट आइडिया मॉम. ये कह कर उसने अपनी मम्मी की गाल पर किस्सी दी दोबारा गले में बाहें डाल कार्डस देखने लगी । दोनों ने मिल करएक कार्ड सेलेक्ट किया।
रीमा जी - अब यही छपने जाएगा. तुम्हे कितने कार्डस चाहिए होंगे बता देना।
चाहत - ठीक है मम्मी।
चाहत दोबारा अपने रूम चली गई फ्रेश हुई और आर्यन के संग
होमवर्क किया । होमवर्क होने के संग पश्चात कब वो अपनी कॉपी बेग के डाल रही थी तभी उसके बेग से अध्यन का रुमाल गिर गया। रुमाल देख उसे अध्यन की याद आ गई । अध्यन कैसे आज उसके लिए जमीन में बैठा था और उसे समझा रहा था । उस अहसास को वो कभी नहीं भूल सकती । ये पहली बार था जब किसी ने उसके लिए ये सभी किया था ।
वो मुस्कुराते हुए बेड पर बैठी । तभी उसकी नजर सामने लगे शीशे पर गई उसने सामने स्वयं को देखा। अपना सावला रंग देख उसने स्वयं से कहा - तुम ज्यादा सोच रही हो . वो बस तुम्हे अपना मित्र मानता है .
स्वयं को वो ऐसे ही समझा रही थी । तभी मम्मी की आवाज़ आई - चाहत बेटा. चलो आओ और प्लेट लगा दो . ।
चाहत उठते हुए - हा मम्मी.
चाहत खाना खाती है और सो जाती है।
अध्यन का घर
अध्ययन खाना खा कर रूम आया। वहा वो पलंग पर लेट
गया । आज जो कुछ भी हुआ उसे याद करने लगा। जब उससे रहा नहीं गया तब उसनेएक डायरी निकली और उसमे लिखने लगा।।
"चाहत"
पता नहीं वो क्या है जो तुममें है. जो मुझे तुमसे दूर नहीं होने देता . वो क्या है जो तुम्हे मेरे पास और पास ला रहा है।
मैंने हर जतन कर लिए पर तुम दिल से जाती ही नहीं.
तुम्हारा हसना तोपस्न्द था ही . पर आज जब तुम रो रही थी . तुम्हारी वो आखे ओर उन आंखो में भरा वो पानी . दिल टूटता जा रहा था ये सभी देख कर.
तुम्हारे पीछे आया था . सच जानने . पर जब तुम रो रही थी . मेरा दिल भी रो रहा था. तुम सोच भी नहीं सकती . तुम कितनी जरूरी हो गई हो . मेरे लिए .
मैंने किसी को आज तक नहीं समझाया पर. पहली बार लगा. तुम्हारे आसू रोकना है. तो चला आया तुम्हे समझाने . जब तुम मेरे समझाने पर चुप हुई . तब सबसे ज्यादा मै ही खुश हुआ. तुमने हा में सिर हिलाया तोएक समय
के सभी भूल तुम्हे गले लगा लूं।. ऐसा मन हो रहा था.
पर डरता हूं कहीं मेरे कारण तुम्हे कोई छोट ना पहुंचे . कहीं कुछ बुरा ना हो जाए. तुम दूर ना हो जाओ मुझसे.
तुम्हे सुनना चाहता हूं . वक़्त बिताना चाहता हूं.
तुम्हारी हर जिद पूरी करना चाहता हूं. तुम्हे ज्यादा बहुत खुश रखना चाहता हूं.
पता नहीं वो दिन कब आयेगा. जब ये सभी तुम्हे कब कहूंगा . पर जब भी कहूंगा. पूरे दिल से कहूंगा .एक एक बात कहूंगा. उस टाइमका बेसब्री से इंतज़ार है मुझे.
तुम्हारी यादों के संग
तुम्हारा अध्यन.
इतना लिख वो उस डायरी को सीने से लगाए सो गया।
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अगले दिन
चाहत का घर
चाहत ने अपना रोज़ का काम किया । नहाकर आईं तो उसकी नजर रुमाल पर पड़ी जो अध्यन की थी। उस रुमाल को उसने धो कर साफ़ किया। उसे सूखा कर अपने बेग में रखा ।एक बार दोबारा अध्यन का ख्याल उसका दिल को धड़का गया।
स्कूल में
चाहत क्लास आईं उसने देखा अध्यन उसे ही देख रहा था । वो उसके पास जाती उससे पहले ही कोई लड़की दौड़ती हुई आईं और उसके गले लग गई।
चाहत जहा थी वहीं रुक गई.
कौन है ये?
स्कूल क्लासरूम
चाहत जहा थी वहीं जम गई । वो एकटक उन दोनों को देखने लगी ।
वो लड़की अध्यन के गले लगे हुए थी । अध्यन ने उसे देखा दोबारा लड़की से कहा - सोनिया.
सोनिया - हा ।।
अध्यन - तुमसे कितनी बार कहा है. ऐसे क्लास में ये सभी नहीं करते.
सोनिया - जानती हूं. पर इतने दिन पश्चात तुमसे मिली. ना तो स्वयं को रोक नहीं पाई ।
अध्यन ने उसके सिर पर थपकी दी दोबारा उसे लेकर क्लास से
बाहर् चला गया ।
चाहत जैसे जम ही गई इतने में काजल आईं और उसे कहा - कहा खोई है.
चाहत - कहीं नहीं .
काजल - तो ऐसे बीच रास्ते में क्यू खड़ी है.
चाहत वहा से हट अपने डेस्क पर चले जाती है।
प्रेयर बेल बजी तो सभी थे बस अध्यन नहीं था । चाहत की नज़रबाहर् ही थी पर वो उसे नहीं दिखा । प्रेयर लाइन में उसे सोनिया दिखी जो कि अभी भी अध्यन के संग बातो में लगी थीं । ये देख चाहत को ज्यादा बुरा लगा पर वो समझ ही नहीं पा रही थी उसे बुरा क्यू लग रहा है।
क्लास में जब वो पहुंची तो भी सोनिया उसकी सीट पर बैठी थी ।
जब चाहत वहा पर आईं तो अध्यन ने सोनिया को वहा से जाने को कहा और चाहत के संग बैठ गया ।
क्लास में टीचर आए और पढ़ने लगे ।
सर - सो सॉल्व दिस इक्वेशन.
सर ने चाहत को देखा जिसका ध्यान नहीं था तो सर ने उसे जोर से पुकारा चाहत.
चाहत डर गई और अपनी स्थान पर खड़ी हो गई ।
सर - ध्यान कहा है. तुम्हारा.सॉल्व करोइसे इक्वेशन को ।
ये सुन चाहत गुस्से में उठी और ब्लैक बोड में जाकर इक्वेशन सॉल्व करने लगी । आंसर आ जाने के पश्चात वो रुकीं। सभी उसे देख रहे थे।
सर ने पहली बार उसे इतने गुस्से में देखा था। वो उसे कुछ नहीं बोले । वो अपनी स्थान पर बैठ गई।
अध्यन ने उसे देखा। उसे भी समझ नहीं आया कि हुआ क्या जो चाहत इतने गुस्से में है।
क्लासेस अपने हिसाब से चल रही थी काजल और अध्यन दोनो चाहत के बिहेवियर को देख हैरान थे।
सोनिया ने अध्यन को देखा और आंख मार दी । अध्यन मुस्कुराकर दोबारा अपना काम करने लगा। ये सभी चाहत ने
देखा तो उसे और गुस्सा आ गया।
चाहत अपने में ही बड़बड़ाए जा रही थी ।
चाहत - अभी भी उसे ही देख रहा है । . ये नहीं कि पूछ लू . चाहत क्या हुआ.लेकिन नहीं,.कहा फर्क पड़ता है. रहे अपनी सोनिया के संग . मुझे क्या.
अध्यन सोचता है पुछू या नहीं दोबारा हिम्मत कर के चाहत को पुकारता है ।
अध्यन बड़े प्रेम से - चाहत
चाहत उतने ही गुस्से से बोलती है - क्या है?
अध्यन - वो. तुम . तुम गुस्सा . मेरा मतलब वो.
चाहत - ये वो . वो क्या लगा रखा है। . साफ़ साफ़ कहो.
तभी लंच की बेल बजती है और चाहत कहती है।
चाहत - मुझे जाना है लंच करने तो मै तुमसे पश्चात में बात करती हूं । तुम जाओ . अपनी सोनिया से बाते करो . उसके सामने वो . वो.करो समझे ।
ये सभी बोल चाहत पांव पटकते हुए निकाल जाती है।
अध्यन बिना कुछ समझे सोचता है मैंने क्या किया ,?
तभी पीछे से सोनिया आती है और उसे अपने संग लंच
करने बोलती है।
लंच हो जाने के पश्चात वो सोनिया के संग बात कर ही रहा होता है तभी उसकी नज़र पास में खड़े काजल और चाहत पर पढ़ती है वो सोनिया को बाय बोल । उनके पास जाता है।
उसे पास आता देख चाहत काजल से चलने को कहती है और वो दोनो क्लास आ जाते है । अध्यन वहीं खड़ा होकर उन दोनों को देखते रह जाता है उसे समझ ही नहीं आता की हुआ क्या है चाहत को??
इधर क्लास में आकर चाहतएक गहरी सांस लेती है। और काजल को देखती है जो उसे देख रही होती है।
काजल उसे अजीब सी नजरो से देखती हैं।
काजल - ये क्या कर रही है तू???
चाहत - मै . मैंने क्या किया?
काजल - तू बन मत ।
चाहत - मै कहा बन रही हूं ।
काजल - ये क्या हरकत है फिर.
चाहत - क्या . कुछ भी तो नहीं . तू क्या बोल रही है. मुझे तो कुछ समझ ही नहीं आ रहा।
काजल चाहत को बोली तो तू ऐसे नहीं बताएगी।
ये बोल के उसने चाहत को पकड़ा और गुदगुदी करने लगी । दोनों क्लास मेंएक दूसरे को गुदगुदी कर रहे थे । वो तो लंच टाइम था नहीं तो आज उनकी खैर नहीं होती । दोनों ज्यादा देर तकएक दूसरे को तंग कर रही थी । और जब थक गई तो बेंच पर बैठ कर गई फिरएक दूसरे को मुस्कुराते हुए देखते है।
काजल - तू अध्यन को इग्नोर कर रही है ।
चाहत नज़रे चुराते हुए - नहीं तो
काजल - अच्छा।
चाहत उसे देखते हुए हा बस कहने ही वाली थी तभी काजल को देख वो चुप हो गई । काजल हाथ बांध कर खड़ी हुई थी दोबारा उसने कहा - तू उसे सोनिया के वजह से इग्नोर के रही है ना।
चाहत ने हा में सिर हिलाया।
काजल - क्यू?
चाहत अब क्या कहे क्युकी उसे स्वयं समझ नहीं आ रहा था । कुछ सोच के उसने कहा।
चाहत - अरे यार वो अपने मित्र के संग था. उस सोनिया के संग तो. मैंने सोचा . क्यों उनके बीच आऊ
इसीलिए .
काजल - अच्छा. वैसे तुझे नहीं लगता ये मि. अध्यन कुछ ज्यादा ही ध्यान नहीं दे रहे तुझ पर.
ये बोल कर उसने चाहत को आंख मारी । तो चाहत उसके पीछे भागी और बोली रुक तुझे. मै बताती हूं कौन किसके पीछे ध्यान दे रहा है ।. रुक तू.
कुछ देर पश्चात जब दोनों शांत हुए तो काजल ने कहा।
काजल - कुछ कहूं।।
चाहत - हा बोल ना .
काजल - मुझे कुछ दिनों सेएक बात फील हो रही ।
चाहत उसकी तरफ देखते हुए - अब घुमा मत बोल ना।
काजल - मुझे . वो मुझे लगता है.
चाहत - क्या लगता है.
काजल - शायद . वो
चाहत हाथ दिखाते हुए - अब नहीं बोली ना तो कान के नीचे लगाऊंगी।
काजल ने आंख बंद की और बोली - मुझे अनिल ने परपोज किया है।
काजल कुछ देर तक वैसे ही थी । उसने आंख खोल कर देखा तो पाया।
चाहत कुछ सोच रही है।
ये देख काजल ने उसे कहा - क्या हुआ ?
चाहत नेएक गहरी सांस ली और कहा - क्या तू भी उसे?
काजल ने एकदम से कहा - नहीं । वो . मै एक्चुअली।
चाहत उसका हाथ अपने हाथ में लेकर - देख वो बुरा नहीं है पर . लड़कियों के बारे में उसका रिकॉर्ड खराब है. वो किसी भी लड़की के संग अच्छे से नहीं रहा है.
इतना बोलते ही काजल बोल पड़ी - मैंने उसे हा नहीं कहा है।. मै. वो बोल ही रही थी तभी
चाहत - तूने उसे हा कह दिया है . तेरे चेहरे पर ही दिख रहा है।
काजल अब चुप हो गई । उसे पता था कि चाहत से वो कुछ नहीं छुपा सकती। उसने सिर झुका दिया।
चाहत - तू रह उसके संग . बस यदि कहीं कुछ गलत लगे तो. सबसे पहले मुझे बताना।
काजल ने हा में सिर हिलाया।
चाहत ने काजल को गले लगाया और कहा - congratulation
काजल - थैंक्स.नाराज़ तो नहीं है ना तू.
चाहत - बिल्कुल नहीं . बस स्वयं का ख्याल रखना . वो क्या है ना.एक ही मिस्टी है. मेरे पास . तुझसे ही तो मेरी लाइफ की स्वीटनेस बरकरार है।।।
काजल हा बोल उससे दूर हुई ।
चाहत - आज चले
काजल - कहा?
चाहत - अपने अड्डे पर ।
काजल - बिल्कुल ।
कोई था जिसका दिल आज टूट चुका था . वो था अंश। गलती से उसने काजल और चाहत की अनिल को लेकर हुई बात सुन ली थी। उसने स्वयं को किसी तरह संभाला और क्लास में आकर बैठ गया था।
क्लास का टाइम हो चुका था।
सभी क्लास आने लगे। अंश को पता था ये हो सकता है पर दोबारा भीएक उम्मीद थी उसे। पर शायद वो उम्मीद भी अब टूट चुकी है।
उसे बुरा भी नहीं लग रहा था। बस उसके लिए वो पहला अहसास था।
कभी कभी ऐसा होता है। लोग किसी चीज़ को बस देख के उसेपस्न्द कर लेते है । उसे अपने पास लाने के बारे में सोचते है ।
उसके संग रहना चाहते और उसे पाने के लिए हर पॉसिबिलिटी अपनाते है ।
पर जब वो समझ जाते है वो चीज उनके लिए नहीं है तो उसे वो छोड़ भी देते है।
ये कुछ ऐसा था "जैसे की पहली बारिश में मिट्टी का भीग जाना औरएक सौंधी खुशबू का आना।" पर ये कुछ ही टाइमके होता है।
अंश बस उसी खुशबू को लिए क्लास सेबाहर् आया ।
अपना चेहरा धोया और दोबारा मुस्कुराते हुए क्लास की ओर
चला गया कहीं ना कहीं उसे पता चल चुका था "पसंद कि चीज को ना पाकर भी खुश रहा जा सकता है।
ये देखते हुए की वह चीज जिसके पास है. इससे वो चीज खुश है ।"
ऐसे ही वो क्लास आया । क्लासेस ख़त्म हुई सभी घर की तरफ निकाल गए।
चाहत हमेशा की तरह अपने साइकिल से उन पपी के पास पहुंची वहा उसे बिस्कटिट्स दे कर उसे सहलाने लगी तभी किसी कीएक परछाई वहा से गुजरी। उसे पहले तो समझ नहीं आया। उसने मुड़ के देख तो हर्ष था जो उसे देख रहा था।
चाहत हर्ष को ऐसे अचानक देख थोड़े देर के लिए रुक गई दोबारा उसने उसे देख कर पूछा।
चाहत - तुम. यहां क्या कर रहे हो?
हर्ष - क्यू मै यहां नहीं आ सकता क्या??
चाहत - नहीं ऐसा नहीं है . मै तो बस यूं ही .
हर्ष पापी की तरफ इशारा कर के - ये तुम्हारे है।।
चाहत - नहीं .
हर्ष - तो दोबारा .
चाहत - मतलब
हर्ष - जब ये तुम्हारे नहीं. तो क्यू हो तुम इनके साथ?
चाहत - हर बार जरूरी नहीं . जो चीज हमारी हो या हमसे उससे कोई फायदा हो. तभी उसके संग रहा जाए।
हर्ष कुछ देर के लिए चुप हो गया। दोबारा मुस्कुरा कर कहा।
हर्ष - शायद तुम ठीक कह रही हो ।
वो बात ही कर रहे थे। तभीएक आवाज़ गूंजी ।
"तू यहां क्या कर रहा है . "
दोनों आवाज़ की तरफ पलट गए । उस शख्स को देख चाहत के चेहरे पर गुस्सा और हर्ष के चेहरे पर मुस्कान आ गई.
हर्ष - मै चलता हूं । बोल कर मुस्कुराते हुए वहा से चला गया।
उस इंसान ने चाहत का रुख लिया। दोबारा कहा - ये यहां क्या कर रहा था।
चाहत - मुझे नहीं पता । ये उसने बिना किसी एक्सप्रेशन के कहा और जाने लगी ।
उसनेएक हाथ से चाहत का हाथ थाम उसे रोक लिया।
चाहत - अध्यन .
हा ये अध्यन था जिसे चाहत और हर्ष ने देखा था।
चाहत मुड़ी और पहले अपने हाथ को दोबारा अध्यन को देखा ।
अध्यन - सुन तो लो . कुछ कहना था तुमसे।।
चाहत हाथ छुड़ाते हुए - नहीं सुनना कुछ . मुझे देर हो रही है.
अध्यन - बस थोड़ी देर.
चाहत उसे देख कर - ठीक है . पर पहले हाथ छोड़ो।
सुन अध्यन ने उसका हाथ छोड़ दिया ।
अध्यन सामने देखते हुए - हर्ष सही नहीं है.
चाहत उसकी तरफ थोड़े से आश्चर्य से देखने लगी।
अध्यन बात जारी रखते हुए - वो बढ़िया लड़का नहीं है. दूर रहना तुम उससे।
चाहत - हम्म. ठीक है . वो बढ़िया नहीं है. तो कौन बढ़िया है . तुम या .,तुम्हारी वो सोनिया.
चाहत ने बस इतना कहा अध्यन झटके के संग उसे देखने लगा । चाहत ने भी अपना सिर पकड़ लिया ये उसने क्या कह दिया.
अध्यन कुछ देर चुप रहा दोबारा बोला - वो मित्र है मेरी. पापा के फ्रेंड की बेटी . और मेरे बचपन की मित्र इससे ज्यादा के कुछ नहीं.
चाहत - नहीं वो. मै . तो
अध्यन उसके पास आ कर - हा. हा. मै समझ गया.
चाहत ने जल्दी से कहा - मुझे लेट हो रहा है. मै जाती हूं.
ये कह उसने अपनी साइकिल पकड़ी और वहा से भाग गई।
अध्यन होठो पर मुस्कुराहट लिए उसे देखता रहा और कुछ देर पश्चात वो भी चला गया।
चाहत का घर
चाहत मुस्कुराते हुए घर आती है घर केबाहर् गेट पर किसी बाइक को देख वो दौड़ते हुए घर जाती है.
ये किसकी बाइक थी????
चाहत घर पहुंची . बाइक को देख वो हैरान हो गई वो बाइक चाहत के पापा की थी ।
चाहत भागते हुए अपने घर के अंदर गई वहा देखा तो शिव जी चाय पी रहे थे।
चाहत उसको देख स्वयं को रोक ना सकी।
चाहत उनके पास जाकर उनसे गले मिली दोबारा उसने धीरे-धीरे से उनके पांव छुए । वो ज्यादा खुश थी ।
शिव जी पुलिस में थे । उनकी पर्सनैलिटी थी भी दबंग टाइप थी । शांत और सपाट चेहरा सावला रंग और उनके होठ के उपरि की मुछेउन्को थोड़ा सा सख्त दिखती थी पर वो थे नहीं । आर्यन और चाहत अपने पापा पर गए थे ।
चाहत के पापा चाहत से - कैसा है मेरा बच्चा।
चाहत - अच्छी हूं ।
पापा - पढ़ाई कैसे चल रहीं है ,?
चाहत - अच्छी .
चाहत को अपने पास बैठा शिव जी उनसे बात कर रहे थे। चाहत अपने पापा के ज्यादा करीब थी । यदि उसका बस चलता तोउन्को कहीं जाने ही ना देती । पर उनका काम यही तो था जिस कारण वो उनको रोक भी नहीं सकती थी।
ज्यादा दिनों के पश्चात मिलने के कारण वोउन्को देख रही थी । और उनकी बातो का जवाब ही दे रही थी।
अपने पापा को देख उसकी आंखे भर आई थी वो बस रोने ही वाली थी तभी आर्यन - दी. हटो ना. कब से पापा से चिपकी हो मेरा नंबर कब आयेगा.
चाहत अपने पापा से दूर होते हुए - कभी नहीं.
ये बोल उसनेएक बार दोबारा अपने पापा को देखा दोबारा कहा - और ये मेरे भी पापा है., जब तक मन ना भरे तब तक मै उनसे चिपकी रहूंगी .
आर्यन मुंह फुलाए बैठ गया । ये देख चाहत उसके पास बैठी
और बोली - जा सिमरन जा .जा लग जा गले उनसे. तू भी क्या याद रखेगी.,
आर्यन मुंह बनाता हुआ उठा और बोला - हम्मम . आपको याद रखना भी कौन चाहत है . ये बोल वो भाग गया और शिव जी के गले लग गया।
चाहत गुस्से उसे देखने लगी । अपने शूज उतारते हुए कहती है. हा बड़ा आया।
इतने में रीमा जी चाय का कप लिए आती है और सभी को सर्व करते हुए - चाहत बेटा कार्ड्स आ गए है । तुम देख लो तुम्हे कितने चाहिए।
चाहत - जी मम्मी।
चाहत कार्ड्स देखती है। संग ही सोचती है कि उसे किन लोगो को कार्ड देना चाहिए.,
वो सोचते हुए रूम आती है । अपना काम पूरा कर रही होती है । उसके घर में आज जश्न का माहौल था उसके पापा जो आए थे।
ये माहौल वो हमेशा मिस करती थी। जब पापा होते थे तो घर में अलग ही चहल पहल होती थी । उनके आने से घर की
रौनक और बढ़ जाती थी।
चाहत ने आर्यन को आवाज़ दी जब वो नहीं आया तो वो स्वयं उसे बुलाने गई ।
चाहत - आर्यन . बाबू कहा है.
चाहत ने देखा आर्यन और पापा दोनो कैरम खेल रहे है। चाहत उनके पास गई और कहा।
चाहत कमर में हाथ रख कर - ये आप दोनो क्या कर रहे है.??
आर्यन - दी कुछ खास नहीं ।।। बस बम बना रहे है.
चाहत चौक कर - क्या. बम
आर्यन चाहत को देखते हुए - हा सोच तो रहे है.एक आपके स्कूल में औरएक मेरे स्कूल में फोड़ देते है. बताओ कैसा आइडिया है.
चाहत के बोलने से पहले शिव जी बोले - अरे . टू गुड. मै तुम दोनों की पूरी हेल्प करूंगा. वैसे ये करना कब है. ??
चाहत ने दोनो को घुरा और कहा - पापा इसका तो हमेशा का है . पर अब आप भी शुरुआत हो गए ।।
चाहत आर्यन को देख कर - और तू . उठ अभी
आर्यन - पर क्यू.???
चाहत। - क्युकी . तुझे तेरा होमवर्क करना है. चल अब।।।
आर्यन का चेहरा उतर गया । तो वो शिव जी की तरफ देख कर हेल्प मांगने लगा। शिव जी कुछ बोलने ही वाले थे उससे पहले चाहत बोली।
चाहत - पापा इसका होमवर्क हो जाने के पश्चात . आप इसके संग खेल लेना।. मै भी आऊंगी आपके संग खेलने. पर अभी इसका होमवर्क जरूरी है. नहीं तो कल ये स्कूल भी नहीं जाएगा।
अब शिव जी के पास भी कोई तर्क नहीं बचा उन्होंने हार मान कर आर्यन को देखा जो चाहत के संग जाने लगा।
शिव जी ने देखा दोनो पढ़ने में बिज़ी है तो वो किचन की तरफ चले गए जहा रीमा जी कुछ मसाले पीस रही थी। शिव जी नेउन्को देखा। वो उनको एकटक देख रहे थे।
आखिर वो भी दूर रहते थे उनसे और उनके पास ये ही टाइम
था जो उनको सुकून दे सकता था।
वो उनके करीब आए और स्वयं बाकी की सब्जी धोने लगे । दोबारा कड़ाई निकाल छौका लगा कर दाल फ्राई किया । और संग साथ बाकी काम करने लगे।
चाहत पानी लेने किचन आई तो पाया उसके पापा और मम्मी दोनो मिल कर काम कर रहे थे। ये उसके लिए नई बात नहीं थी । उसने बचपन से अपने पापा और मम्मी कोएक दूसरे की मदद करते हुए देखा था।
उसे ये चीजपस्न्द थी। जहा दूसरे घरों में लोग लड़का लड़की में भेद करते थे वहीं चाहत की फैमिली ऐसी ना थी। सभी को सामान्य मानती थी। उन्होंने कभी भी आर्यन और चाहत में कोई फर्क नहीं समझा था।
उसने पानी पिया औरबाहर् चले आईं थोड़ी देर में चाहट पर आर्यन का होमवर्क हुआ और वो दोनोएक साथबाहर् आए। मम्मी पापा को आवाज़ दी वो दोनो भी आ गए । सभी वहीं बैठ कर कैरम खेलने लगे।
हमेशा की तरह आज भी आर्यन और शिव जी की टीम जीत गई थी। चाहत मुंह फुला कर बैठ गई थी।
तभी रीमा जी ने घड़ी देखा जो 9 बजने का इशारा कर रही थी। उन्होंने कहा बाकी कल अभी खाना खा लो।
सबने खाना खाया। चाहत और आर्यन सो गए।
शिव जी रूम में आए तो रीमा जी उनको देख रही थी दोबारा एकदम से उनके गले लग गईं।
शिव जी उनका सिर सहला रहे थे। और वो उनके गले लगी रही थी। हर स्त्री जो अपने पति से दूर हो. तो उसका भी यही हाल होता है जोइसे वक़्त रीमा की का था।
रीमा जी - उनसे गले लगे हुए,. ज्यादा याद करती हूं आपको.
शिव जी - मै भी।
रीमा जी -एक दिन भी बात ना हो तो नींद नहीं आती.
शिव जी - मुझे भी।
रीमा जी - पता है . आपको याद ना करने के लिए मै अपने आप को काम में बिज़ी रखती हूं।.
शिव जी उनको अपने पास बिठा लिया और कहा - अब तो सामने हूं अब बात कर लो।
रीमा जी ने देखा शिव जी उनके पास बैठे थे। थोड़े देर के लिए तो उनको समझ नहीं आया दोबारा जब रीमा जी ने देखा शिव जी उनको प्रेम से देख रहे है ।
तो वो सभी भूल उनकी आंखो में खो गई।
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अध्यन का घर
हमेशा की तरह आज भी अध्यन चाहत के ख्यालों में गुम दाल में चम्मच घुमा कर मुस्कुरा रहा था।
वहीं दूसरी तरफ देव जी और गौरी उसे देख रहे थे।
गौरी जी - बाबू . दाल आलरेडी घुल गई है. तुम उसे और मत घोलो।
देव जी - हा और इससे ज्यादा पीली भी नहीं होगी . और ना ही गाढ़ी होगी।
अध्यन दोनो की बात सुन रुक गया । दोबारा मुस्कुराते हुए खाने लगा।
गौरी जी ने देवजी कि तरफ देखा तो उन्होंने इशारे सेउन्को खाने को कहा।
अगली सुबह
चाहत का घर
सुबह चाहत की नींद खुली हमेशा की तरह अपने काम को कर वो किचन गई । वहा पापा खाना बना रहे थे। चाहत वहा उनके पास गई ।
चाहत - क्या बन रहा है??
पापा - दही कचौड़ी.
चाहत - अरे वाह,. लव यू पापा।
पापा - लव यू टू. चलो जाओ रेडी हो जाओ । जल्दी से।
चाहत - ओके
नाश्ते की टेबल
चाहत का घर
चाहत ने नाश्ता किया दोबारा उसके स्कूल जाने का टाइम हो गया । वो रेडी होकरबाहर् जा रही थी । तभी उसकी मम्मी ने
आवाज़ दी ।
मम्मी - ये कार्ड्स तो ले जा। रीमा जी हाथ में कार्ड्स लिए बोलीं।
चाहत - ठीक है मम्मी।
चाहत कार्ड्स ले कर चले गई ।
चाहत रास्ते में सोच रही थी। उसके किन दोस्तो को वो ये कार्ड्स देगी।
स्कूल क्लासरूम
चाहत क्लास पहुंची । वहा पहले अध्यन को देखी। अध्यन हमेशा की तरह चहरे पर मुस्कान लिए उसे देख रहा था।
चाहत चलते चलते रुक गई। उसकी आंखे देख वो भी रुक कर सभी कुछ भूल कर उसे देखने लगा।
क्लासरूम स्कूल
अध्यन और चाहत यू ही कुछ देरएक दूसरे को देख रहे थे । अध्यन चाहत को देख कर.
"जरूरत से ज्यादा
बेमिसाल हो तुम
थोड़ी सावली हो
पर बवाल हो तुम" ( unknown)
चाहत और अध्यनएक दूसरे में खोए ही रहते यदि प्रेयर बेल नहीं बजती ।
चाहत अध्यन से ध्यान हटा कर । प्रेयर ग्राउंड जाती है वो अपने दिल पर हाथ रख अपनी बढ़ी हुई धड़कन को काबू करने की कोशिश करती है।
इधर अध्यन भी उसे भागते हुए देखता है । और अपने सिर पर हाथ फेर कर पलटा है । अंश उसे घूरते रहता है।
अंश - क्या कर रहा है.????
अध्यन - कुछ नहीं. कुछ भी तो नहीं ।
अंश - तो पागलों की तरह मुस्कुरा क्यू रहा है???
अध्यन उसके गले में हाथ डाल - ऐवई।।।।।
अंश सिर पर हाथ रख- होता है . होता है. शुरुआत शुरु में ऐसा ही होता है.
अध्ययन उसे खींच कर - चल ना.
दोनों ग्राउंड में पहुंचे प्रेयर हुई और क्लास आ गए।
क्लास स्टार्ट थी चाहत ने अध्यन को देखा। और सिर झुका कर पढ़ने लगी पड़ते हुए उसनेएक बार भी अध्यन की तरफ नहीं देखा था।
वहीं दूसरी तरफ अध्यन बेहद खुश था आज उसने पहली बार चाहत की आंखो में भी उस शिद्दत की झलक देखी थी जो उसकी आंखो में थी।
ये देख वो खुश था। उसने मन ही मन कहा -" अभी तो बस झलक देखी है.दीदार अभी बाकी है।"
ऐसे ही लंच हुआ । क्लास में सबबाहर् जाने लगे । चाहत ने अध्यन से पूछा - क्या तुम मुझे थोड़ी देर में ग्राउंड में मिलोगे.?
अध्यन - हा ठीक है।
चाहत काजल को लेकर चले जाती है।
काजल - तूने उसे ग्राउंड में क्यू बुलाया ।
चाहत - इसके लिए. और कार्ड्स दिखाती है।
काजल - ये क्या है. कह के कार्ड्स ले लेती है.
चाहत - ये मेरे न्यू घर की इनॉर्गरेशन हो रही है. ।तो उसका कार्ड है .। और ये तेरा कार्ड. । ये बोल वो कार्ड उसकी तरफ बढ़ा देती है।
इतने देर में अध्यन और अंश ग्राउंड मेंएक संग आ जाते है।
चाहत - ये लड़के कहीं पर भी अकेले नहीं जा सकते क्या?
काजल - क्यू.
चाहत - देख ना. अब अंश को ले आया. स्वयं नहीं आ सकता था।
काजल - वो वैसे क्यूट है.
चाहत - कौन
काजल - अंश
चाहत - सच में
काजल - हा
चाहत - हा. वो तो है।
अंश और अध्यन संग में उनके पास आ रहे थे ।
अध्यन - तू मेरे संग क्यू चल रहा है. जा ना अपना काम कर।
अंश - बिल्कुल नहीं. ।।
अध्यन - हा चल ना . बारात ले कर जा रहा हूं ना . सभी जाएंगे. दो चार लोगो को और बुला ले।
अंश दात दिखाते हुए उसे देखता है। ये देख ।
अध्यन - दांत मत दिखा .
दोनों उनके पास पहुंचते है।
चाहत - ये तुम दोनो के लिए.
दोनों हाथ में कार्ड लेकर । उसे देखते है।
चाहत - मेरे घर का इनोर्गरेशन है . तो मै तुम दोनो को भी इन्वाइट कर रही हूं. टाइम मिले तो जरूर आना।
अंश और अध्यन संग में - ओके।
अंश धीरे-धीरे से - इसका बस चले तो ये ( अध्यन) जहनुम में भी तुम्हारे लिए आ जाए।
चाहत - तुमने कुछ कहा .
अंश - नहीं तो आवाज़ आईं क्या.?
चाहत - नहीं तो पर मुझे लगा. खैर छोड़ो . पहुँचना जरूर।
ये बोल दोनो क्लास के साइड चले गई।
काजल - चाहत तू तो बोल रही थी. कि तू बस अध्यन को कार्ड देगी।. पर तूने अंश को भी कार्ड दे दिया।
चाहत - अब वो भी आया था तो उसे भी दे दिया.
छोड़ ना .
काजल -एक बात पूछूं.
चाहत - हा बोल ना.
काजल - मुझे लगता है. की अध्यन तुझेपस्न्द करता है.
चाहत रुक गई और काजल को देखते हुए बोली
चाहत - पता है मुझे भी लगा था दोबारा .
काजल - दोबारा क्या.
चाहत अध्यन की तरफ इशारा कर - देख उसे और मुझे देख . लोग हमेशा अपने लिए खूबसरत पार्टनर ढूंढते है . तो मै श्योर हूं कि वो ऐसा नहीं सोचता।
काजल - यदि मान ले इन सभी चिजो के पश्चात भी वह तुझेपस्न्द करे तो.
चाहत अब चुप हो गई ।उसकी चुप्पी देख काजल ने बात जारी रखी.
काजल - उसने जैसे तुझे समझाया . जैसे वो तुझे देखता है . मुझे लगता है he likes you.
चाहत अभी भी सोच रही थी क्या होगा यदि काजल की बात सच हुई तो. ये सोचते हुए दोनो क्लास चले गई।
तभी टीचर आ गए और क्लासेज चलने लगी । अध्यन और अंश आए तो सर नेउन्को अंदर आने को कहा।
अध्यन भी चाहत को देख वहीं बैठ गया। इधर चाहत भी परेशानी में सोच रही थी। यदि ये हुआ तो वो क्या कहेगी। दोबारा उसने अपना सिर झटका और पुनः सर को देखने लगीं।
ऐसे ही क्लासेज हुई और सभी घर के लिए निकाल गए।
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