The Rajsharma Sex Story of चाहत (Romance Special)
चाहत का घर
चाहत स्कूल के लिए तैयार हो रही थी ।
रीमा जी - चाहत बेटा मै आज शायद लेट हो जाऊंगी .तुम जल्दी आकर खाना बना देना।
चाहत - आप कहा जा रही है
रीमा जी - वो घर में पेंटिंग का काम कंप्लीट हो गया है उसे ही देखने जा रही हूं ।
चाहत - सच में मम्मी. आप पूरा घर अच्छे से देख आना. और याद से आप अपनी दवाई ले लेना।
रीमा जी हाथ जोड़ते हुए - हा मेरी मम्मी और कुछ.
चाहत आशीर्वाद की मुद्रा में - अभी तो कुछ नहीं.बाकी बाते आपके आने के बाद।
रीमा जी हाथ उठा कर दिखाते हुए - अच्छा।
चाहत मुस्कुराते हुए घर सेबाहर् आई और स्कूल की तरफ निकाल गई।
चाहत काइसे शहर नया घर बन रहा था उसकी मम्मी वहा का काम देखने आज जा रही थी। उसका घर करीब पूरा तैयार था बस पेंटिंग का काम बाकी था।
जिसे देखने के लिए आज उसकी मम्मी वहा जा रही थी ।एक पुलिस वाले की पत्नी होने के कारणउन्को ये सभी स्वयं करना पड़ता था। वो अकेले ही हर काम करती थी क्युकी शिव जी ज्यादातर उनके संग नहीं थे पर दोबारा भी उन्होंने उनकी कमी किसी को महसूस नहीं होने दी। हर जिम्मेदारी को बखूबी निभाती आ रही थी।
शायद शुरुआत से ही अकेले रहने के और जिम्मेदारी उठने के कारण ही चाहत भी इतनी समझदार हो चुकी थी ।
वह हर काम करने से पहले सोचती थी और दूसरों को देखती थी यदि जरा सा भी बुरा प्रभाव उसे नजर आता था तो वो उस काम को नहीं करती थी। वो जानती थी कि पापा की पोस्टिंग अलग स्थान है और मम्मी वैसे ही परेशान रहती है वोउन्को बेवजह परेशान नहीं करना चाहती थी।
चाहत आज चौक पहुंची और काजल का इंतज़ार करने लगी। थोड़े देर इंतज़ार करने के पश्चात वो आ गई पर इसके संग कोई था चाहत ने उसे दूर से पहचान लिया वो उसका जूनियर था जो मॉर्निंग बेच से था उसका नाम था अनिल। पर ये काजल के संग क्या कर रहा था।
चाहत यही सोच रही थी तभी काजल आई और उसके सामने चुटकी बजाकर बोली कहा हो मैडम।
चाहत - कहीं नहीं तू बता. ये अनिल था ना तू उसके संग क्या कर रही थी।
काजल - अरे कुछ नहीं . वो रास्ते में मिल गया था तो बस नॉर्मल हाय हेल्लो कर रही थी।
चाहत ने बढ़िया कहा और दोनों स्कूल आने के लिए आगे बढ़ गए।
क्लास में
अध्यन सबसे पहले क्लास में आ गया और चाहत का इंतज़ार करने लगा।
वो बार बार दरवाज़े की तरफ देखता दोबारा पुनः बुक ने देखता। ये काम वो ज्यादा देर से कर रहा था।
क्लास के सारे बच्चे आ चुके पर चाहत और काजल अभी तक नहीं आए ये देखते हुए अध्यन उठा और अंश की सीट पर जा बैठ ।अंश जो उसे बहुत देर से देख रहा था वो बोला।
अंश - इन्तहा हो गई इतंजार की
अाई ना कुछ खबर मेरे यार की।।
अध्यन जो उसके गाने को सुन रहा था उसने उसे घुर कर देखा तभी अंश ने कहा - देखो वो आ गई ।
अध्यन ने पलट कर देखा चाहत और काजल आ रही थी। आज चाहत खिलखिलाते हुए आ रही थी। उसकी हसी बेहद आकर्षक थीं वो ज्यादा ज्यादा प्यारी लग रही थी। शायद काजल ने कोई जोक मारा था ।
वो आई उसने अपना बेग रखा ही था तभी प्रेयर बेल बजी उसने सभी से कहा कि ग्राउंड में जाए पूरी क्लासेज में सबबाहर् चले गए तभी उसने देखा कोई क्लास में है उसने देखा ये अध्यन था जो बेग बंद कर के उठने लगा। दोबारा दरवाज़े की
ओर बढ़ गया।
तभी किसी ने उसे आवाज दी उसने मूड कर देखा तो देखता ही रह गया ये चाहत थी जिसने उसे पुकारा था वो तो बस उसे देखे जा रहा था चाहत ने उसे दो तीन बार पुकारा। चाहत ने जवाब ना पाकर अपना हाथ अध्यन के सामने हिलाया। ये देख अध्यन होश में आया।
तब चाहत ने कहा _ वो अंदर कोई है और वो बेहोश हो गया। ये कहते वक्त उसके चेहरे पर घबाराहट लिए वह खूबसूरत लग रही थी अध्यन ने किसी तरह स्वयं को संभाला और उसके संग चला गया ।
जहा उसने देखा कोई सर झुकाए खड़ा था उसने उसे अच्छे देखा तो गुस्से से भर गया पर चाहत के सामने कैसे बोले उसे समझ ही नहीं आ रहा था।
अध्यन की तरफ देख कर चाहत ने कहा देखो ना इसे ये कब से ऐसे ही बैठा है मैंने और काजल ने इसे उठने की कोशिश की पर ये जवाब नहीं दे रहा है।
अध्यन - मुझे लगता है ये बेहोश है तुम प्रेयर ग्राउंड जाओ मै आता हूं।
ये कह कर उसने उसकाएक हाथ अपने हाथ में लिया और औषधीय रूम में आ गया दोबारा उसने उस शख्स से कहा - नाटक बंद करो.
मैडिकल रुम
"नाटक मत करो"
अध्यन ने जैसे ही कहा वो लड़का बड़ी ही मासूम सी शक्ल बना कर अध्यन को देखने लगा।
अध्यन - देखो हर्ष तुम्हे क्या लगता है. कोई नया है तो तुम उसे बेवकूफ बना लोगे।
हर्ष जो उस की उस लड़के का नाम था वो अध्यन को देख रहा था वोएक दम से हसने लगा और बोला - यार तू तो सच में समझदार निकाला। मै तो तुझे ज्यादा भोला समझता था बट आई मस्ट से यूं आर वेरी कलेवर।
ये वो वहा के बेड पर बैठ गया ।
अध्यन - देख तू जो ये सभी कर रहा है ना वो मत कर.
काजल ज्यादा अच्छी लड़की है और पढ़ने लिखने वाली भी तू उसे कुछ मत कर।
हर्ष - काजल को कौन परेशान कर रहा है मुझे तो वो चाहिए । ये बोल वो बेड पर पसर गया।
अध्यन को लगा था हर्ष को काजलपस्न्द आ गई होगी इसीलिए वो अपने पुराने तरीके आजमा रहा है उसकी ये आदत थी हर नई लड़की से दोस्ती और दोबारा उसका यूज करना और अपने काम करवाना।
उसे बस अपने आप से और अपने काम से मतलब था।
अध्यन - कौन?
हर्ष - चाहत। यार सच में वो इतनी इमोशनल है. और टॉपर भी मेरा काम तो बन जाएगा। और उसका फिगर भी. वो बोल ही रहा था।
अध्यन ने इतना सुन । स्वयं को काबू में ना रख पाया और गुस्से में आकर हर्ष का कॉलर पकड़ कर बोला।
अध्यन - चुप. करएक वर्ड भी नहीं । वरना मै.
हर्ष उसकी आंखो में देखने लगा दोबारा मुस्कुराते हुए उसका
हाथ अपने कॉलर छुडवा कर बोला - हम्म्म. तो क्लास में प्रेम का फूल खिल ही गया . ज्यादा याराना लगता है। वो भी दो दिन की आई लड़की के लिए. क्या बात है बेटे . ज्यादा सही जा रहे हो।
अध्यन ने कुछ नहीं कहा बस गुस्से मे उसे घुर रहा था।
हर्ष - मैंने सोचा नहीं था उस पर इतना इंटरेस्ट लूंगा पर.
वो अध्यन के करीब आ कर।
हर्ष - पर अब तो उसे तो तुझसे दूर करना ही होगा .किसी लड़की के लिए पहली बार कोई मुझ से लड़ रहा है मेरे कॉलर तक पहुंच चुका है. तो करना तो पड़ेगा ही। ये बोल उसने आंख मारी।
अध्यन जो उसकी बात सुन रहा था। वो मुस्कुरा कर उसके सामने की कुर्सी पर बैठ कर बोला - ठीक है तुझे जो करना है वो कर . पता है पहले मै कंफ्यूज था. समझ. ही नहीं पा रहा था मुझे चाहत को लेकर को फीलिंग आती है वो प्रेम वाली है या बसपस्न्द वाली पर अब.मुझे यकीन हो गया कि ये प्रेम है. और अब जब मुझे यकीन हो गया है तो , मै तुझे ओपनली चैलेंज दे रहा हूं . तू उसे छू कर तो बता ।
हर्ष हस कर - ओके चैलेंज एक्सेप्टेड. पर
ये कह कर उसने अध्यन को देखा और बोला - यदि मैंने उसे टच भी कर लिया तो तू उससे दूर रहेगा। . डील. कह कर उसने हाथ बढ़ाया।
अध्यन - डील । कह कर हाथ मिलता है।
हर्ष - तू उससे प्रेम करने का दावा कर रहा है और उसके नाम से डील भी ये तेरा कैसा प्रेम है?
अध्यन - मै ये डील उसे तुझ से दूर रखने के लिए कर रहा हूं और हा .ये मेरा प्रेम है तुझे समझ ही नहीं आयेगा।
तभी दरवाज़ा नॉक हुआ और चाहत अंदर आई।
चाहत हर्ष के पास जा कर तूम ठीक हो ।
हर्ष ने है में सिर हिला दिया।
दोबारा चाहत ने रूम में देखा वहा कोई नहीं है तो स्वयं ही वहा रखे ग्लास में पानी निकाल कर उसमे ग्लूकोज डाल कर घोल बना कर हर्ष को दिया।
और कहा - लो इसे पी लो. और आराम करो। ठीक लगे तो ही क्लास पहुँचना । मैंने सर स बात कर ली है तुम आराम से रेस्ट करो ।
ये बोल कर वो उठी । तभी वहा उस रूम की इंचार्ज सा गई उसने चाहत को देख कर कहा - चाहत बेटा तुम यहां कैसे . कहीं दोबारा से बीपी तो लो नहीं हुआ ना तुम्हारा।
चाहत - नहीं मैम. मैम मै तो ठीक हूं. ये हर्ष है. इसे चक्कर आ रहे थे. तो मैंने उसे ग्लूकोज घोल कर दे दिया।
मैम - ठीक किया बेटा ।
चाहत - ओके मैम अभी क्लास है तो . हम चलते है ।
मैम - ठीक है जाओ। और हर्ष तुम यहीं रुको मै तुम्हे चेक कर लू ताकि कोई प्राब्लम ना हो ।
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चाहत आगे बढ़ी। अध्यन के पास आकर उसे चलने को कहा वो जा ही रहा था तभी उसने पीछे मुड़ कर देखा तो हर्ष उसे इशारे से बेस्ट चॉइस बोल रहा था।
वो मुस्कुरा कर रह गया।
दोनों रूम सेबाहर् आए।
चाहत - थैंक्यू।
अध्यन - क्यू.?
चाहत - मेरी हेल्प करने के लिए . यदि तुम ना होते
तो .मदद के लिए हमे किसी और को बुलाना पड़ता . दोबारा शायद देर हो जाती और . हर्ष को प्रॉब्लम हो सकती थी।
अध्यन - हे!!! इट्स ओके. तुम तो ऐसे बोल रही हो जैसे मैंने कोई ज्यादा बड़ा काम कर दिया हो ।
चाहत उसे देख कर हस्ते हुए - हा तो उतने बड़े लड़के को उठाना आसान काम थोड़े ना है ज्यादा मेहनत लगती होगी।
अध्यन - हा सच में . देखो मेरे हाथ भी दुख रहे है।
ये कह कर उसने अपने हाथ दिखाए।
जिसे देख चाहत और हसने लगी उसे हस्ता देख अध्यन ने सोचा - तुम्हारीइसे हसी के लिए तो मै किसी को भी उठा कर ला सकता हूं।
चाहत हस्ते हुए - सुनो! तुम्हारा नाम क्या है?. वो मैंने सभी से बात कि पर तुमसे नहीं की तो. तुम्हारा नाम मुझे नहीं पता।
अध्यन ने उसके मासूम से चेहरे को देखते हुए कहा - अध्यन।
चाहत - और मेरा चाहत.
अध्यन - जनता हूं।
चाहत मुस्करा दी।
अध्यन - वैसे तुम्हारा नाम ज्यादा यूनिक है.किसने रखा।
चाहत - पापा ने ।
बस इतनी ही बाते हुई दो में और दोनो क्लास पहुंच गए ।
जब दोनो ने क्लास रुम में एंट्री ली तो। सभी उन दोनों को देख कर हैरान हुए जा रहे थे रंग में इतना डिफरेंस होने के पश्चात भी दोनो संग में अच्छे लग रहे थे।
इन सभी में अंश के चेहरे पर दोनों को देख कर स्माइल आ गई और वो मन में बोला सही जा रहे हो बेटा ।
दोनों अपनी डेस्क पर आ कर बैठ गए।
क्लासेस दोबारा से शुरुआत हुए । दो प्रियेड के पश्चात हर्ष आया और सभी उसे घुर रहे थे। उसकी नजर चाहत पर पड़ी। वह जान बुझ कर उससे टकराने का सोच कर चला आ रहा था।
तभी अध्यन ने पुकारा - चाहत!!
चाहत - हा।
अध्यन - ये तुम्हारा पेन है क्या। ऐसा कह उसने नीचे की तरफ इशारा किया।
तभी चाहत नीचे झुकी और देखने लगी दोबारा उसने वह पेन उठाई और कहा ये तो मेरा ही नहीं है।
अध्यन - सॉरी मुझे लगा तुम्हारी होगी।
ये पेन अध्यन ने ही गिराई थी ताकि वह उसे हर्ष से बचा सके। ये देख हर्ष मुस्कुरा दिया और अपने डेस्क के पास चला गया ।
कलास में टीचर आए और क्लासेज दोबारा से स्टार्ट हो गई। सारी क्लासेज हो जाने के पश्चात सारे बच्चे घर जाने के लिएबाहर् निकल रहे थे सबने अपनी साइकिल उठाई तभी किसी की गिरने की आवाज़ आई ।
सभी ने देखा हर्ष गिर गया था और वह बुरी तरह से छटपटा रहा था ये देख अध्यन और चाहत दौड़ कर उसके पास आएउन्को दौड़ता देख काजल और अंश भी भागे।
अंश और अध्यन ने हर्ष को उठाया और औषधीय रूम गए वहा पर मैम ने उसे देखा दोबारा बताया। इसे चक्कर आ गया
था शायद अब ये ठीक है इसके फैमिली से किसी को बुला लो।
अध्यन ने सर से बात कर उसके घर पर फोन करवा दिया । दोबारा पुनः आ कर उसने देखा । हर्ष को होश आ गया है।
अध्यन उसके पास बैठ कर - आज तुझे दोबारा से अटैक आया. जिस वजह से तु दोबारा बोहोश हो गया था। तू डॉक्टर को दिखाता क्यू नही ?
हर्ष - दिखाता था तो. दवाइयां दी है. अभी टाइम लगेगा. अभी तो स्टार्ट हुई है तो कुछ दिन असर तो रहेगा ना।
सभी ने देखा हर्ष की आंखे बार बार बंद हो रही है सबने उसे लेटे रहने को कहा।
थोड़ी देर में हर्ष के पापा आ गए और उन्होंने टीचर से बात की और उसे ले गए।
टीचर ने भी सभी से कहा कि सभी अपने घर जाए ।
सारे बच्चे घर की तरफ निकल गए।
अध्यन ने देखा अधेरा होने को है तो उसने चाहत और काजल को रोक लिया और कहा सुनो शाम ज्यादा हो गया है हम दोनों तुम दोनो को घर छोड़ देते है। ये कह कर कह कर। वह मुड़ा और अंश को बोला तू काजल को छोड़ आ और मै चाहत को छोड़ आता हूं।
स्कूल ग्राउंड
अध्यन - मै चाहत को घर छोड़ देता हूं।
चाहत - नहीं. मै चली जाऊंगी. । तुम खामखां परेशान हो रहे हो।
अध्यन - देखो शाम हो रही है. और तुम्हारा घर अकेले जाना सेफ नहीं मै छोड़ देता हूं।
इतना कह कर वो मुड़ा । अंश की तरफ देखते हुए ।
अध्यन - तू काजल को छोड़ आ।
अंश को तो ऐसा लगा जैसे उसकी मन मांगी दुआ पूरी हो गई हो । वो बिना कुछ बोले सिर हा में हिला कर काजल की तरफ मुड़ा। और उसे चलने का इशारा किया।
वे दोनो अपनी साइकिल लिए निकाल गए ।
अध्यन - चलो ।
चाहत - हा।
दोनो ने साइकिल पकड़ी और चाहत आगे आगे और अध्यन उसके पीछे पीछे । ऐसे ही दोनो चलते जा रहे थे । पर बोल कोई नहीं रहा था ।
तभी अध्यन ने देखा की चाहत ने अपने साइकिल की स्पीड थोड़ी कम कर दी है । वो कुछ समझता इससे पहले वो अपनी साइकिल से उतरी। अपनी साइकिल को स्टैंड पर लगा कर वो आगे बढ़ गई।
वहा वो पहुंची ही थी। तभी कुछ छोटे पपी (कुत्ते के बच्चे)बाहर् आए और चाहत नेउन्को अपने बेग से बिस्किट्स निकाल कर दिए । जिसे वो खाने लगे। चाहत ने उनके सिर पर हाथ फेरा और वहीं रुकी रही ।
जब सभी ने सारे बिस्किट्स खा लिए तो वह अपना बेग उठा कर मुड़ी ही थी कि अध्यन उसके पीछे खड़ा उसे मुस्कुराते हुए देख रहा था। पता नहीं क्यों पर जब भी चाहत अध्यन को मुस्कुराते हुए देखती तब चाहत के भी चेहरे पर मुस्कान आ
जाती थी ।
अध्यन मन में -एक ही तो दिल है. कितनी बार लोगी।
चाहत उसके पास आकर - चले
अध्यन - हा ।
दोनों संग चलने लगे ।
अध्यन का मन था कुछ बात करने का हो रहा था पर वो बोल नहीं पा रहा था ।
तभी अचानक चाहत ने कहा - आज जब मै स्कूल आ रही थी ना. तो ये बेचारे रो रहे थे। .मुझे लगाउन्को भूख लगी होगी. जब पास गई तो देखा. इनकी मा इन्हे छोड़ कर चली गई. किसी नेउन्को बेरहमी से गाड़ी से कुचल दिया था। . ये कहते वक्त उसका ग्ला भर आया था ।
दोबारा भी स्वयं को शान्त रख कर उसने आगे बताया . वहा पर थी वो । . ये कह कर उसने रोड की तरफ इशारा किया ।
चाहत - मुझसे इनका दुख देखा नहीं गया तो. मैंने सोचा इनको ज्यादा ना सही पर संभलते तक ही खाना खिला दू . कम से कम येएक टाइम का तो खाना खा पाएंगे . ये बोल उसने अध्यन को देखा।
अध्यन - डोंट वरी. मै सुबह इनको खाना देकर चले जाऊंगा । . और तुम शाम में ।
और हा. मुझे कोई तकलीफ भी नहीं होगी . क्युकी मै सुबह पापा के संग यहां जोगिंग करने आता हूं . तो मुझे प्रॉब्लम भी नहीं होगी ।
चाहत ने उसे देखा और मुस्कुरा रही थी। उसे ये समझ ही नहीं आया की कैसे बिना कहे ही अध्यन ने उसकी बात समझ ली।
दोनों अपनी साइकिल पर आए और चलने लगे अपनी मंजिल की ओर ।
इधर अंश और काजल साइकिल चला रहे थे। अंश काजल से बात करना चाहता था। पर बात हो तो कैसे वो समझ ही नहीं पा रहा था। तभी काजल ने कहा - अंश ।
अंश जो की कब से उससे बात करने को मरा जा रहा था । उसे तो ऐसा लगा जैसे डूबते को तिनके का सहारा मिल गया हो। उसने खुश होकर कहा - हा कहो ना ।
काजल - मेरी गली का मोड़ आ गया है अब मै स्वयं चले जाऊंगी . बाय एंड थैंक्यू।
अंश का तो जैसे मन ही उतर गया उसने बुझे मन से कहा - इट्स ओके । . एंड बाय।
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अंश का तो जैसे मन ही उतर गया उसने बुझे मन से कहा - इट्स ओके । . एंड बाय।
काजल दोबारा वहा से चले गई ।
अंश ने अपना हाथ सिर पर मार लिया । और कहा -इसे मोड़ को भी अभी पहुँचना था।
ये बोल वो भी अपने घर की तरफ निकाल गया।
चाहत के घर के अपने घर के सामने रुक कर ।
चाहत - ये मेरा घर है ।
अध्यन - पता है।
चाहत - तुम्हे कैसे पता ,?
अध्यन सोचते हुए बोला- वो.अरे तुमने अभी तो बताया .
चाहत - ओह. हा ।
चाहत अध्यन को रोकना चाहती थी पर उसे अचानक याद आया मम्मी घर पर नहीं है ।
उसने उसे कहा- थैंक्यू । . सच में तुमने आज ज्यादा हेल्प की ।
अध्यन - थैंक्यू से काम नहीं चलेगा । . चलो चाय पिलाओ।
चाहत ने सिर झुका लिया और प्रेम से कहा - आज मम्मी घर पर नहीं है . और आर्यन भी नहीं होगा तो.
अध्यन को समझते देर ना लगी उसने कहा - हा मै समझ गया . इट्स ओके . दोबारा कभी ।
उसनेएक बार नज़र उठा कर चाहत को देखा और हाथ बढ़ा कर कहा- फ्रेंड्स।।।।
चाहत ने सिर उठा कर कहा - फ्रेंड्स।।।
दोनों ने हाथ मिलाया और मुस्कुराते हुएएक दूसरे को बाय बोला । अध्यन के जाने के पश्चात साइकिल नीचे रख चाहत सीढ़ियों से उपरि आ गई ।
चाहत का घर
चाहत दरवाज़े के पास पहुंची तभी उसने देखा की दरवाज़ा खुला है। उसे याद आया आज तो मम्मी घर का काम देखने
गई थी पर आज इतनी जल्दी कैसे आ गई तभी उसकी नजर घड़ी पर गई ।
घड़ी 7 बजने का इशारा कर रही थी । चाहत भाग कर किचन में गई । वहा देखा तो मम्मी काम कर रही थी ।
ये देख चाहत ने सोचा पहले मुंह हाथ धो कर कपड़े बदल लू दोबारा उनसे आज के बारे में बता दूंगी ।
ये बोल कर बाथरूम में चले गई ।
यहां रीमा जी गुस्से से लाल हो गईं थी । कोई भीउन्को देख कर बोल सकता था कि वह गुस्सा है .पर क्यू,,?
चाहत फ्रेश होकर आई तो देखा आर्यन वहीं अपना होमवर्क कर रहा है ।।
चाहत उसके पास बैठ अपनी नोट बुक निकाल कर बैठ गई और बोली - क्या बात है आज मेरे आने तक का भी इतेजार नहीं किया .
ये बोल कर उसने आर्यन के गाल खींचे ओर कहा । मेरा मोटू . मेट लड्डू . मेरी सोनपापड़ी. मेरा रसगुल्ला . मेरी डेरिमिलक सिल्क .
आर्यन - क्या है दी.आपको भी चैन नहीं है. होमवर्क करू तो प्रॉब्लम ना करू तो प्रॉब्लम . तो मै करू क्या . ये कह कर उसने सिर पर हाथ रख लिया . दोबारा कहा उसके पश्चात आप मुझे ये सभी बोलते हो . मुझे भूख लग जाती है. ।
चाहत उसकी बाते सुन और हसने लगी । और उसने कहा हा मेरी पपड़ी चाट. तुझे तो पता है . जब तक मै तुझे ये सभी ना कह दू . मुझे चैन नहीं मिलता .
ये कह उसने दोबारा उसके गाल खींचे और दोनो अपना होमवर्क करने लगे ।
जब दोनो का होमवर्क फिनिश हुआ । तब चाहत ने देखा 9 बज रहे है उसने जल्दी से आर्यन को चॉक्लेट दी औरबाहर् आई । देखा तो डायनिंग टेबल पर सभी कुछ रखा था । चाहत को थोड़ा अजीब लगा आज मम्मा ने आवाज़ क्यू नहीं दी।
वो आर्यन को भी संग ले आई अब सभी डायनिंग टेबल पर बैठ कर खाना खा रहे थे । चाहत ने खाना फिनिश किया के आर्यन को देखा उसने भी खाना खा लिया था।
चाहत ने देखा तो बर्तन उठने लगी तभी रीमा जी आई और उसके हाथ से बर्तन लेकर स्वयं धोने लगी । चाहत को अब समझ आया कि रीमा जी उससे गुस्सा है पर क्यू.
वह हमेशा से यही करती थी जब भीउन्को गुस्सा आता था तो वो घर के काम करने लग जाती थी। ताकि उनसे किसी कोई परेशानी ना हो और उनका गुस्सा भी निकाल जाए।
वो ये सोच ही रही थी । दोबारा उसने स्वयं से कहा - चाहत मम्मी स्वयं तुझे कुछ नहीं बताएगी. तो तू स्वयं बात कर उनसे और वजह जान. और भगवान का नाम लिया।
मम्मी के पास गई दोबारा उसने कहा - मम्मी क्या हुआ??? आप नाराज़ है मुझसे ।
रीमा जी नेउन्को घुर कर देखा और कहा कुछ नहीं ।
मम्मी के घूरने पर चाहत को लगा बात ज्यादा ही ज्यादा सीरियस है।
इतने वक़्त में उन्होंने बर्तन स्वच्छ कर दिया । और अपने रूम में आकर चादर ओढ़ कर लेट गई । चाहत भी आ गई दोबारा उसने उनके पांव के पास बैठ कर कहा - क्या हुआ मा.
मुझसे कोई गलती हुई है तो मुझे बता दो. पर यु मुझसे नाराज़ ना हो .
रीमा जी उठ कर बैठी और कहा।
रीमा जी - वो लड़का कौन था ???
चाहत - कौन लड़का मा ???
रीमा जी - वहीं जिसका हाथ तुमने पकड़ा था . कहो बताओ . चाहत को जब पता लगा की उसकी मम्मी उस पर शक कर रह है तो वोउन्को देखने लगी और रोने लगी ।
ये देख रीमा जी कुछ देर उनको भी बुरा लगा पर मन कठोर कर के उन्होंने अपने बात जारी रखते हुए कहा - क्यू. तुमने उसका हाथ पकड़ा था.??? और उनकी आवाज़ ज्यादा तेज थी ।
चाहत डर के कारण कापने लगी दोबारा उसने कहा मम्मी वो क्लासमेट था। मुझे छो. वो बोल ही रही थी तभी.
रीमा जी - नहीं वो कोई और था. यदि वो क्लासमेट होता तो तू उसे घर लाती. यूबाहर् से नहीं जाने देती. सच
कहो चाहत
चाहत - नहीं मम्मी . वो क्लासमेट था ये बोल उसने सारी बात रीमा जी को बता दी । और रोने लगी ।
रीमा जी ने जब ये सुना तोउन्को अपने किए पर पछतावा हुए और उन्होंने कहा - मुझे क्षमा करना बच्चा . मैंने तुम्हे गलत समझा .
ये कह कर उन्होंने उसे गले से लगा लिया चाहत उनके गले लग कर रोती रही और गले लगे हुए ही सो गई।
रीमा जी ने देखा तो उन्होंने चाहत को माथे पर किस किया और अपने गले लगा कर सो गई।।।
रीमा जी गलत नहीं थी । चाहत के पापा के जाने के पश्चात घर का ख्याल रखती थी । चाहत के पापा की ड्यूटी हमेशाबाहर् ही रही ऐसे मेंउन्को हमेशा डर लगा रहता था कि कहीं उनके बच्चे पिता के ना होने पर कहीं गलत रास्ते पर ना चले जाए। इसीलिए उन्होंने स्वयं को मजबूत बना करएक पिता और मा दोनो की जिम्मदारियां निभानी थी जिस वजह से वो थोड़ी रूड हो जाती थी ।पर अपने दोनो बच्चो से ज्यादा प्रेम करती थी।
अगली सुबह
चाहत का घर
सुबह चाहत की नींद हमेशा की तरह काजल के मैसेज से खुली वो उठी। फ्रेश होकर घर का काम किया । आर्यन को दूध दिया।
नहाकरबाहर् आईं तो देखा। डायनिंग टेबल पर कुछ रखा है पास जाने पर पता लगा अरे ये तो मैगी है ।
मैगी को देख चाहत को पता चल गया ये काम उसकी मम्मी का है।
वो मुस्कुराई तभी मम्मी उसके पीछे खड़ी हो गई । और कहा - आई एम् सोरी ।. वो कल कुछ . वो बोल ही रही थी तभी चाहत ने कहा - मम्मी आप ऐसे मत कहो ।
उसने मम्मी का हाथ पकड़ा औरउन्को वहीं चेयर में बिठा कर उनके हाथ को अपने हाथ में लेकर बोली । क्या हुआ था. मम्मी जो आप इतनी गुस्सा थी. क्युकी आप कभी भी मुझसे ऐसे बात नहीं करती और इसकी वजह मै तो नहीं
हूं.
रीमा जी सर झुका कर - बेटा कल मै घर को देखने गई थी।. वहा पेंटिंग का काम पूरा हो चुका है. । तो तुम्हारे पापा को बताने के लिए कॉल किया था ।. उन्होंने मुझसे ढंग से बात तक नहीं की.उल्टा सीधा कह दिया और जब तुम्हे उस लड़के के संग देखा तो स्वयं को रोक नहीं पाई. तुम्हे वो सब.ये कह कर वो दोबारा से रोने लगी.
चाहत ने मम्मी के आंसू पोछे । उसने मैगी कीएक बाइट मम्मी की तरफ बढा कर खाने का इशारा किया । दोबारा स्वयं भी उसके संग खाने लगी । इसी तरह दोनो ने नाश्ता किया नाश्ता हो जाने के पश्चात चाहत ने अपना बचा हुआ होमवर्क किया। स्कूल के लिए तैयार होने लगी ।
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