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चाहत
लेखिका_यामिनी_नेताम
स्टेशन में.
उसके सारे घर वाले उसे छोड़ने आए थे। आज से उसे नया सफर शुरुआत करना था मम्मी ने उसे कुछ हिदायत दी थी और अपना ख्याल रखने को कहा।
वहीं भाई आज भी उसे परेशान करने का बहाना बना उसके संग कुछ खूबसूरत समय बिता रहा था । आखिर यही तो वो समय है जिन्हे याद कर सकेगा उसके ना होने पर.
एक हाथ से अपने पापा का हाथ थामे वो ट्रेन की सीट पर बैठ कर वोबाहर् का नजारा देख रही थी तभी उसकी नज़र सामने खड़ी उस बच्ची पर पड़ी जो स्कूल... Continue reading
चाहत लेखिका_यामिनी_नेताम स्टेशन में. उसके सारे घर वाले उसे छोड़ने आए थे। आज से उसे नया सफर शुरुआत करना था मम्मी ने उसे कुछ हिदायत दी थी और अपना ख्याल रखने को कहा। वहीं भाई आज भी उसे परेशान करने का बहाना बना उसके संग कुछ खूबसूरत समय बिता रहा था । आखिर यही तो वो समय है जिन्हे याद कर सके...
लंच के टाइम क्लास में सबएक दूसरे से जान पहचान बढ़ा रहे थे कि तभी सर ने क्लास में अा गए। उन्होंने कहा - हमे क्लास के कैप्टन चुनना है. तो मै परसेंटेज को देखते हुए काजल और चाहत को क्लास कैप्टन चुनता हू। किसी ने कुछ नहीं कहा बस हा में अपना सिर हिला दिया। पर चाहत ने कुछ लड़कियों को कहते हुए सुना था...
आज की पढ़ाई ख़तम हो जाने के पश्चात सभी क्लास से निकल रहे थे। तभी किसी ने चाहत के कंधो पर हाथ रखा तो देखा अरे ये तो सुलेखा थी सुलेखा गोरी और पतली थी और लंबी थी। बहुत सुलझी हुई थी क्लास में जो बाते हुई थी वो सुलेखा ने बस बचपने में कि थी जिसके लिए वो चाहत के पास आती है। सुलेखा - सॉरी चाहत और काजल...
बिस्तर पर लेटे हुए उसने अपना मोबाइल चेक किया उसके पासएक ही कीपैड मोबाइल था जिसका इस्तेमाल वह अपनी मित्र काजल से बात करने के लिए करती थी यहएक नॉर्मल सा मोबाइल था जिसे चाहत की पापा ने उसे दिया था जिसका यूज वह मम्मी के ना रहने पर भी करती थी उसकी मम्मीएक हाउसवाइफ थी जो पापा के ना रहने पर घर की सभी कामों...
अब सभी सोचने लगे तो दोबारा अध्यन ने कहा देखो भाईयो वो जो भी होगी सुलेखा से बेहतर होगी और याद नहीं कैसे अपने दोस्तो का नाम लिखने के बजाए हमारा नाम लिख देती थी और दोबारा डांट भी हमे पड़ती थी ये सभी के संग ऐसा नहीं कर पाएगी तो ब्वॉयज बदला लेना है या नहीं । सारे ब्वॉयजएक संग - हा अध्यन - त...
The Rajsharma Sex Story of चाहत (Romance Special)
चाहत
लेखिका_यामिनी_नेताम
स्टेशन में.
उसके सारे घर वाले उसे छोड़ने आए थे। आज से उसे नया सफर शुरुआत करना था मम्मी ने उसे कुछ हिदायत दी थी और अपना ख्याल रखने को कहा।
वहीं भाई आज भी उसे परेशान करने का बहाना बना उसके संग कुछ खूबसूरत समय बिता रहा था । आखिर यही तो वो समय है जिन्हे याद कर सकेगा उसके ना होने पर.
एक हाथ से अपने पापा का हाथ थामे वो ट्रेन की सीट पर बैठ कर वोबाहर् का नजारा देख रही थी तभी उसकी नज़र सामने खड़ी उस बच्ची पर पड़ी जो स्कूल बेग लिए खड़ी थी और बैठने के लिए स्थान ढूंढ रही थी।
उसने उसे अपने पास बुलाया और नाम पूछा उसने प्रेम से
जवाब दिया " नियति" उसे उसने अपने पास बिठाया और बोली कौन सी क्लास में हो.
नियति ने कहा - 9th
ये सुन कर वो उन पलों को याद करने लगी जब उसे भी नई कक्षा में जाना था और वो हमेशा की तरह अपनी मम्मी के आगे पीछे घूम कर उनको छोटी बनाने की कह रही थी।
राजनांदगांव, छत्तीसगढ़
पुलिस लाइन.
वो - मम्मी.देर हो जायेगी. कर दो ना चोटी.
मम्मी - हा. अा कर देती हूं. तुम्हारी चोटी. हे भगवान पता नहीं कब स्वयं से चोटी बनाना सीखेगी. कब तक मै तुम्हारी चोटी करती रहूं. स्वयं सीख लो बेटा.
वो - मम्मी क्या करू. मेरे बाल ही इतने लंबे है. की मै स्वयं चोटी कर ही नहीं पाती. क्या करू. अगले वर्ष से स्वयं से कर लूंगी. आज आप कर दो प्लीज़.
उसके इतना प्रेम से बोलने पर मम्मी मान गई और उन्होंने उसकी चोटी बना दी । चोटी बन जाने के पश्चात उसने खाना खाया और निकाल पड़ी अपने स्कूल के लिए।
ऐसा नहीं था कि वो आज पहली बार स्कूल जा रही थी और आज उसकी शिफ्ट बदल गई थी।
जहा उसे पहले सुबह स्कूल जाना पड़ता था अब उसे दोपहर को स्कूल जाना पड़ रहा था उसेइसे बात की खुशी थी वो अपना साइकिल पकड़े स्कूल पहुंची और दोबारा साइकिल स्टैंड पर खड़ी कर स्कूल पहुंची ।
आदर्श विद्या मंदिर.
राजनांदगांव.
तभी किसी ने उसे आवाज दी. "चाहत"
यही नाम था उसका चाहत , दिखने में छोटी सी दो चोटी गूथे हुए सिर के बीचएक हेयर बैंड लगाए। छोटी छोटी आंखे , छोटी सी गोल नाक , होठ मीडियम साइज के, इन्द्रधनुष जैसे
भावों के बीच छोटा सा तिल , जो खूबसूरत तो नहीं था पर ये ही वो तिल था जो उसके चेहरे की रौनक था, जो उसे दूसरो से सुंदर नहीं पर अलग जरूर बनाता था , संग ही उसके मित्र था उसका सवाला रंग.
चाहत ने उसे देखा वो उसकी मित्र काजल थी। अब आते है काजल पर .
तो दिखने में काजल, चाहत से ज्यादा सुंदर थी. गोरा रंग , पतले होठ, बड़ी बड़ी आंखें आई और उठा हुआ माथा. और उस माथे और आते उसे छोटे कटे हुए बाल. ।
काजल - कहा थी.कब से तेरा वेट कर रही थी.
चाहत - अरे यार सॉरी. मम्मी ने चोटी ही लेट की . तो लेट हो गया।।
काजल - चल कोई ना. आज नए क्लास में जाना है. और डे शिफ्ट वालो को भी तोदेख्ना है. ना कैसे है वो सभी .
चाहत - कैसे होंगे . इंसान की तरह होंगे. तू भी ना. चल अब जल्दी .
काजल - ठीक है.
दोनो क्लास में चले जाती है वागा पर उसकी बाकी सहेलियां होती है जो उनका वेट कर रही होती है संग साथ कुछ नए लडके और लड़कियां उनको देख रही थीं
पर वो दोनो तोएक दूसरे में बिजी थी जब दोनों संग होती तो किसी का डर नहीं होता था उन्हे और थी भी वो टॉपर काजल और चाहत हमेशा संग रहती थी।
संग में पढ़ाई करना ,एक संग धुमना सभी संग करती थी। दोनो की दोस्ती को देख कर सभी कहते थे उस को भी ऐसा मित्र चाहिए पर ऐसा तो होने से रहा वो तो अलग थी और उनकी दोस्ती भी अलग थी।
जहा काजल पर उसकी खूबसूरती के नाम पर लोग मारते थे वहीं चाहत की पढ़ाई और अच्छे नेचर ने क्लास में अलग स्थान बनाई थी जो बस उसकी थी ।
जहा काजल कर पीछे लडको की लाइन लगी रहती थी ताकि वो अपना नंबर दे दे।
वहीं चाहत से लोगो को दोस्ती इसीलिए करनी था ताकि वो उनकी पढ़ाई में मदद करें।
ऐसा नहीं था लोग बस पढ़ाई के लिए इसके संग थे ज्यादा सारी चीजे में वो अलग थी उसका किसी भी बात को जानना , अपनी राय देना, सभी की परेशानियों को जानना और उनकी हेल्प करना ये सभी उसके गुण थे।
चाहत की हर अदा दूसरो से जुदा थी उसके यही गुण उसे दूसरो से अलग बनाते थे।
आज उनके क्लास की प्रयेर टर्न थी सभी ग्राउंड में इक्कठे हुए थे काजल , चाहत मानसी तीनो प्रेयर करने लगी वो डे शिफ्ट में नई थी तो सबकी नजर उन पर थी।
काजल कोइसे सभी की आदत थी तो वो ध्यान नहीं दे रही थी वहीं चाहत वो तो कभी ऐसा सोचती भी नहीं थी कि कोई उसे देख रहा है वो बस यही सोचती थी जो सुंदर होता है लोग उसे ही देखते है जो कि वो नहीं थी। तो उसे कौन देखेगा.
प्रेयर ख़तम कर वो पुनः क्लास अा गए। क्लास स्टार्ट हुई दोबारा टीचर का पहुँचना हुआ जो कि सर थे। जिनको चाहत और काजल पहले आए ही जानते थे।
आते ही उन्होंने सबसे पहले तो क्लास में सभी को सही से बैठने को कहा और रोल न. के हिसाब से उनको बैठा दिया गया। जहा पर चाहत के बगल मेंएक लड़का बैठा वहीं काजल उसकी बगल में बैठ गई और उसके संग उसकी क्लास मेट बैठ गई। पर दोनो के बेंच संग होने से उनकी ज्यादा बाते हो रही थी और चाहत भी काजल से ही बात कर रही थी।
तभी उसने अचानक अपनी नजर घुमाई तो उसकी संग बैठा लड़का उसे ही देख रहा था उसे लगा काजल को देख रहा होगा यही सोच उसने उसेदेख्ना बंद कर दिया और चुपचाप क्लास में पढ़ाई करने लगी।
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लंच के टाइम क्लास में सबएक दूसरे से जान पहचान बढ़ा रहे थे कि तभी सर ने क्लास में अा गए। उन्होंने कहा - हमे क्लास के कैप्टन चुनना है. तो मै परसेंटेज को देखते हुए काजल और चाहत को क्लास कैप्टन चुनता हू।
किसी ने कुछ नहीं कहा बस हा में अपना सिर हिला दिया। पर चाहत ने कुछ लड़कियों को कहते हुए सुना था कि पहले तो वोटिंग होती थी। अब तो नंबर देख कर ही कैप्टन बना दिए.ऐसा थोड़े ना होता है।
काजल खुश थी पर जब उसने कुछ लड़कियों को ये सभी कहते सुना तो वो चाहत के पास आई और उसने कहा - ये लोग ऐसे कैसे बोल सकते है.??
चाहत ने बिना किसी जज्बातों के कहा - उनका भी कहना सही है. ऐसे कैसे वो किसी को भी कैप्टन मान ले.अभी वो हमे जानती हो कितना है।
काजल - दोबारा भी यार सोचना चाहिए.अगर सर ने कहा है तो कुछ सोच कर ही कहा होगा. और यदि प्रॉबलम है तो और सर से कहे. या दोबारा हमसे बात करे.
चाहत -एक काम करते है हमइसे बारे के सर से बार करते बई.
काजल - और हम उनसे क्या बोलेंगे.
चाहत - यहीं की वोटिंग कर ले.और दोबारा सिलेक्ट कर ले।
काजल - बिल्कुल नहीं.
चाहत - क्यों.
काजल - क्युकी वो तुझे कैप्टन नहीं बनने देंगे. और शायद तू हार जाए.
चाहत - ऐसा नहीं होगा. चल सर से बात करते है.
ये कहते हुए दोनो सर के केबिन की तरफ चले गए।
उन्होंने ध्यान नहीं दिया कि दो जोड़ी आंखे उनके पीछे ही चल रही थी।
सर का केबिन
चाहत और काजल - मे आईं कम इन.
सर - अरे चाहत और काजल, आओ ना. तुम दोनोंएक संग क्या हुआ.
चाहत - सर हम चाहते है कि क्लास में वोटिंग हो और दोबारा आप क्लास कैप्टन चुने।
चाहत ने बिना किसी जज्बातों के सीधे अपनी बात कह दी। ऐसी ही थी चाहत , बातो को चाशनी में डाल कर बात करना उसे आता ही नहीं था। अपनी बातो को सीधे कहनापस्न्द था उसे.
सर ने उसे देखा दोबारा कहा - तुम लोग ये बात अभी क्यों कह रहे हो.वहीं कहना था ना .
काजल जो कब से चुप थी उसने एकदम से कहा - सर क्लास के लोग कह रहे है कि ये गलत है वो अपने क्लास का
कैप्टन स्वयं चुनेंगे । ऐसे आप अपने डिसिशन उन पर थोप नहीं सकते । वहा हुई सारी बाते काजल ने नमक मिर्च लगा के सर को बता दी ये सुन चाहत ने अपना हाथ सिर पर दे मारा।
वहीं सर ने कुछ सोच कर कहा - चलो क्लास.
थोड़ी देर पश्चात क्लास में.
सर - चाहत और काजल सामने आओ.
दोनो चुप चाप सामने चले गई
सर ने कहा - काजल चलो बताओ पिछले वर्ष तुम्हारे परसेंट कितने आए थे।
काजल - 95%
दोबारा यही प्रश्न जब चाहत से पूछा गया तो चाहत ने कहा - 94.7%
अगला प्रश्न सर ने दोबारा से चाहत से किया - तुम दोनों कब से क्लास कैप्टन बनती आई हो.
चाहत ने धीरे-धीरे से कहा - क्लास वन से.
ये सुन सर ने क्लास वालो को देख कर कहा - तुम सबने इतनी आसानी से कह दिया. की तुम सभी को इनका कैप्टन बननापस्न्द नहीं. ये तब से क्लास संभालती अा रही है जब
से तुम लोगो को क्लास कैप्टन का मतलब भी पता नहीं था. तुम लोग बिना सोचे समझे इन दोनों को कुछ भी बोल रहे हो. आज से ये दोनों कैप्टन है . किसी को कुछ कहना है तो कह सकता है अभी.
किसी ने कुछ नहीं कहा तो फिरएक आवाज़ गूंजी - मुझे कुछ कहना है . सभी ने उस ओर देखा ये चाहत थी जो बोल रही थी उसने कहा - सर सभी वोटिंग चाहते है तो क्यों हम उनको रोक, उनको भी हक है अपना कैप्टन चुनने का।
चाहत की बात सुन सर ने पहले चाहत को देखा दोबारा क्लास की तरफ देखते हुए कहा - ठीक है तो वोटिंग करते है।
चाहत के कहने के पश्चात वोटिंग हुई और संग में दो और लोग भी शामिल हुए जिनमें मानसी और सुलेखा रही । ये दोनों वहीं थी जिन्होंने कहा थी कि ये गलत गो रहा है।
सर ने सभी को अपने बारे में बताने का मौका दिया और कहा कि वो क्लास में किस तरह से कैप्टन बनने के लिए सही है ये बताए।
मानसी - मै मानसी देव, मैंने कभी कैप्टन कि जिम्मेदारी नहीं ली. पर मै आप सभी को यकीन दिलाती हूं कि मै अपना
काम बखूबी निभाऊंगी.
सुलेखा - हेल्लो एवरीवन आई एम् सुलेखा। मै पिछले वर्ष भी कैप्टन थी और सभी चीज़े अच्छे से की थी और संग ही मुझे लगता है किइसे वर्ष भी मै अच्छे से ये काम कर लूंगी .
काजल - मै काजल व्यास जैसा कि सर ने कहा. मै और चाहत शुरुआत से ही कैप्टन कि सारी जिम्मेदारियों को संभालते आए है. और हम आपको उदास नहीं करेंगे.
अब चाहत की बारी आई तो सभी उसे देखने लगे। चाहत ने कहना शुरुआत किया - मै चाहत , चाहत सिंह मै पहले कई वर्ष से कैप्टन थी. संग ही मेरी फ्रेंड काजल भी . पर शायद आप सभी हमे नहीं जानते । मै अपनी तारीफ नहीं करूंगी मै आप सबके सामने वैसे ही रहूंगी जैसे अभी हूं ये बसएक जिम्मेदारी है. जो मुझे उठाने के लिए आप सभी की जरूरत होगी यदि आपको लगता हो की मै ये जिम्मेदारी उठा सकती हूं तो हो आप मुझे चुने.
काजल और चाहत शुरुआत से ही उसी स्कूल में थे। पर वो मॉर्निंग शिफ्ट में होने के कारण डे शिफ्ट वालो को उनके बारे
में ज्यादा पता नहीं था । पर उनके चर्चे सभी ने सुन रखे थे वो पढ़ने में और बाकी एक्टिविटी में ज्यादा अच्छी थी।
दोबारा स्टार्ट हुआ वोटिंग का सिलसिला। अब तक सर ने सारे वोट गिन लिए थे दोबारा वो क्लास आते और वहा उन्होंने बताया कि सुलेखा - 10
काजल - 17
और चाहत को -33
वोट मिले है। जिसे सुन कर सबने तकिया बजाई जिनमें वो आंखे भी थी जिसने किसी की मासूमियत देख अपने होश खो दिए थे।
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आज की पढ़ाई ख़तम हो जाने के पश्चात सभी क्लास से निकल रहे थे। तभी किसी ने चाहत के कंधो पर हाथ रखा तो देखा अरे ये तो सुलेखा थी सुलेखा गोरी और पतली थी और लंबी थी। बहुत सुलझी हुई थी क्लास में जो बाते हुई थी वो सुलेखा ने बस बचपने में कि थी जिसके लिए वो चाहत के पास आती है।
सुलेखा - सॉरी चाहत और काजल मैंने जो भी कहा वो गुस्से में कहा मेरा वो मतलब नहीं था ।
चाहत - इट्स ओके, कोई बात नही हो जाता है हमे बिल्कुल बुरा नहीं लगा।
तभी पीछे से काजल - और नहीं तो क्या हमे पता है कि तुम बस समझ नहीं पाई हमें कोई बात नही धीरे-धीरे धीरे समझ जाओगी।
सुलेखा - दोबारा भी मैंने जो कहा यदि तुम्हें बुरा लगा हो. वो कह ही रही थी तभी काजल ने कहा अरे यार तुम भी ना सेंटी हुई जा रही हो यार चिल ना।
चाहत - वैसे हमेएक बात ज्यादा बुरी लगी चाहत ने मुंह फेरते हुए कहा
सुलेखा के चेहरे पर टैंशन आ गई उसने पूछा
क्या?
इसे पर काजल ने भी चाहत को देखा जहां तक उसे पता था चाहत यदि ये बोल रही है तो जरूर कोई बात है पर वो समझ नहीं पा रही थी
दोबारा चाहत ने कहा- ये कि तुम हमें बधाई देने नहीं आयी और हसने लगी
इसे पर काजल ने कहा हा बात तो सही है।
दोबारा काजल और चाहत हाथ बढ़ाते हुए दोनोएक संग बोले " फ्रेंड्स" पर दोनो नेएक दूसरे को देखा दोबारा सुलेखा की तरफ़ देखा जो उनको देख कर कुछ सोच रही थी दोबारा उसने अपने दोनो हाथों से उन दोनों के हाथ को जोड़ते हुए हा में
सर हिलाया।
दोबारा तीनों मुस्कुरा दिए औरएक दूसरे से गले मिलते हुए मेन गेट की तरफ चले गए जहा पर सुलेखा ने दोनो को बाय कहा और अपने घर चले गई ।
काजल और चाहत संग जा रहे थे रोज़ के मुकाबले आज काजल शांत थी और चुपचाप चल रही उसकी ये चुप्पी देख
चाहत - तु जो सोच रही है वैसा कुछ नहीं होगा ।
काजल - मै. मै कुछ नहीं सोच रही तु भी ना।
काजल और चाहत साइकिल स्टैण्ड की तरफ बढ़ गए दोनो ने साइकिल निकली दोबारा काजल साइकिल निकाल रही थी वो आगे बढ़ ही नहीं रही थी तो उसने कुछ देर पश्चात देखा तो उसने लॉक खोला ही नहीं था अपने सर पर चपेट लगा वो चाबी लगा कर लॉक खोलने लगी वोएक बार में जल्दी से लॉक खोल कर जाने को हुई तब चाहत ने उससे पूछा।
चाहत - गुपचुप खाएगी।
काजल खुशी से - हा.नेकी ओर पूछ पूछ।
दोनों गुपचुप वाले भैया के पास गए जहा उन्होंने गुपचुप खायी और वो दोनों घर की तरफ बढ़ेएक चौक जहा पर दोनो को अपने अपने घर की तरह मुड़ना था वहा काजल को
चाहत ने आवाज़ दी ।
चाहत - सुन
काजल - हा
चाहत अपने साइकिल को स्टैंड पर रख कर काजल के पास जाती है और उसके हाथ को अपने हाथ में लेकर कहती है।
चाहत - मैंने क्लास में करीब सभी से दोस्ती की है पर मेरी बेस्ट बडी तो तू हैं ना तेरी स्थान कोई नहीं ले सकता। दोबारा उसने उसके गाल को छू कर कहा.मै तुझे छोड़ कर कभी भी नहीं जाऊंगी।
काजल को उसकी बात सुन रही थी अचानक से रो पड़ी और बोली - मेरा वो मतलब नहीं था मुझे बस तुझे खोने का डर था।
चाहत - हा अब मै तो हूं ही खास। ये कह कर दोनों हस पड़ी। चाहत ने प्रेम से कहा मिस्टी मै तेरी माही हूं तुझे कभी नहीं छोडूंगी । काजल ने हा में सर हिलाया तो
चाहत ने कहा - ओहो छोड़ भी दें अब कोई देखेगा तो क्या सोचेगा ।
दोनोंएक दुसरे से दूर हुई और घर की तरफ चल दी।
कुछ ऐसी दोस्ती थी दोनो की बिनाएक दूसरे से बात किए भीएक दूसरे की हालत समझ जाते थे। चाहत को ये बात उस टाइम समझ आई जब काजल साइकिल के लॉक को ओपन नहीं कर पा रही थी और काजल ऐसा तब ही करती थी जब उसे कोई बात परेशान के रही हों।
दोनों में ज्यादा प्रेम था इसीलिए दोनोएक दूसरे को मिस्टी और माही कह कर बुलाते थे ।
इसकी शुरुआत चाहत ने कि थी दोबारा काजल ने भी उसे माही बोलना शुरुआत कर दिया।
चाहत घर पहुंची वहां अपनी साइकिल रख वो अपने क्वार्टर आ गई।
येएक पुलिस क्वार्टर था सही सोचा अपने चाहत के पापा पुलिस में थे जिस कारण वो ज्यादा घर पर नहीं रहते थे उनकी पोस्टिंग बार बार बदलती रहती थीइसे कारण वो कभी भी उसके संग नहीं रहते थे उस क्वार्टर में दो कमरेएक हॉल और किचन के संग बालकनी भी थी जो किएक कमरे से जुड़ी हुई थी और वो कमरा था चाहत काइसे कमरे को उसने बड़े ही प्रेम से सजाया था ज्यादा आमदनी ना होने पर भी चाहत के पापा ने कभी भी उसे कोई कमी नहीं होने दी थी पर उनकी हर जरूरत को पूरा करने के लिएउन्को उससे दूर रहना पड़ता था पर अब काम भी जरूरी था तो वो दूर थे। दोबारा भी चाहत और उसके पापा दोनोएक दूसरे के बेहद करीब थे घर में चाहत अपनी मा और छोटे भाई आर्यन के संग रहती थी आर्यन चाहत से 3 वर्ष छोटा था दोनो भाई बहनएक दूसरे पर जान छिड़कते थे और लड़ाई भी ज्यादा करते थे पर दोबारा भी उनके रिश्ते में प्रेम ज्यादा था।
आर्यन चाहत से हर बात करता था अपनी हर मुश्किल को बताता था वहीं चाहत भी उसकी हर बात गौर से सुनती पर अपनी राय देती।
चाहत घर पहुंची तो पाया कि घर केबाहर् कोई सैंडल पड़ा है जो किसी भी एंगल से उसकी मा का नहीं लग रहा था वो अंदर आती है तो देखती है उसकी मा किसी स्त्री के संग बैठी है जो दिखने मै उनकी हम उम्र थी
मा चाहत को देख कर - चाहत बेटे ये संगीता आंटी है मेरी बचपन की दोस्त
चाहत - नमस्कार । कह कर दोनो हाथ जोड़ लिए।
उसने दोबारा मम्मी को कहा। मम्मी मै फ्रेश हो कर आती हूं और बाथरूम में चली गई।
इधर मम्मी ने चाहत की तारीफों के पुल बांधना स्टार्ट कर दिया।
रीमा जी(चाहत की मम्मी) - हमारी चाहत तो ज्यादा प्यारी है घर का सारा काम कर लेती है, खाना भी बना लेती है और पढ़ाई में भी ज्यादा अच्छी है हमेशा फर्स्ट आती है।
संगीता जी -बिल्कुल तेरी तरह पर यार बस गोरी होती तो बिल्कुल तेरी तरह होती ।
ये सुन रीमा जी की चेहरे की रौनक थोडी कम हो गई।
तभी चाय लेकर चाहत आती है और सभी को चाय देकर पुनः अपने कमरे में आ गई। रीमा जी संगीता जी से बात
करते रही और थोड़े देर में वो चले गई।
यहां रूम में चाहत अपनी नोट बुक निकाल कर उसमे मैथ्स के क्वेश्चन सॉल्व कर रही थी
मम्मी हर बार की तरह रूम में आती है और चाहत से बोली चाहत बेटा आज क्या बनाऊं।
चाहत - क्या क्या सब्जी है?
मम्मी - गोभी ,पत्तागोभी ,शिमला मिर्च, गाजर, और वो बोल ही रही थी तभी चाहत ने एकदम से कहा शिमला मिर्च। चाहत की बात सुन मम्मी के चेहरे पर मुस्कान आ गई और वो मुस्कुराते हुए किचन में चले गई।
चाहत दोबारा अपने नोट बुक में देखने लगी तभी उसकी दाईं आंख से आंसू कीएक बूंद गिरी और उसने नोट बुक के उस पन्ने को पर पढ़ उस पन्ने को गीला करने लगे। बस यही कम थी चाहत उसे बचपन से ये सभी सुनना पड़ा था वो हर बार स्वयं को समझती पर हर बार वो टूट जाती कभी कभी वो भगवान से पूछती थी उनको क्या जरूरत थी दो रंगो के लोग बनाने की क्यु उसे हर बार स्वयं को साबित करना पड़ता है क्यू सभी उसे घृणा की या दोबारा दया की नजर से देखते है। आखिर क्यों उसे हमेशा अलग ट्रीट किया जाता है। क्या उसे कोई हक नहीं की वो नॉर्मल तरह से जी सके।
ये प्रश्न उसे परेशान करता क्यू रंग के नाम पर लोगों को
तोला जाता है क्या उसका अच्छी तरह रहना औरएक बढ़िया इंसान होना बहुत नहीं था। हर किसी को खूबसूरती के नाम पर ही जज किया जाता है क्यू उसकी काबिलियत देखने से पहले लोग उसका सावला रंग देखते है आखिर क्यों.?
इसे सभी विचारो को लिए बैठी की तभी दरवाज़े के बजने की आवाज़ आती हैं उस आवाज़ को सुन चाहत के चेहरे पर मुस्कान आ गई. ये कोई और नहीं उसका भाई आर्यन था जो खेल कर आ रहा था बड़े ही स्टाइल के संग सोफे पर बैठ कर सिटी बजाते हुए अपने जूते खोल रहा था।बस उन जूतों को दोनो हाथों में पकड़ कर फेकने ही वाला था तभी उसके नज़र दरवाज़े पर खड़ी उसकी मम्मी पर पड़ी जो कि उसे देख रही थी उनकी ख़तरनाक आंखो और हाथ में पकड़े बेलन को देख आर्यन को याद आया कि वो घर पर है उसने मम्मी को अपनी हे हे करती हुई स्माइल दी और दोबारा जूतों को उठा कर शू रेक में रख कर चुपचाप बाथरूम में चला गया।
वहा से हाथ मुंह धोकर पुनः आ गया दोबारा वह चाहत के संग बैठ कर अपना होमवर्क करने लगा।
आर्यन छठवीं में था दिखने में बिल्कुल चाहत की तरह बस उसके माथे पर तिल नहीं था चाहत के लिए दो लोग थे जो
उसे सुकून देते थेएक उसके पापा औरएक उसका ये शैतान भाई जो कि उसके सामने मासूम बन होमवर्क कर रहा था।
कुछ देर में चाहत का होमवर्क कंप्लीट हो गया और वो उठने लगी तो आर्यन ने उसे हाथ पकड़ कर रोक लिया और नोटबुक उसकी तरफ बढ़ा दी ये देख चाहत मुस्कुराई और उसकी नोटबुक को देख उसे समझ आ गया कि उसे उसकी मदद चाहिए चाहत पुनः बैठी और आर्यन की मदद करने लगी ये सभी करते हुए उसे तकरीबनएक घंटा लग गया था।
मम्मी ने उन दोनों के रूम में जाकर उनसे कहा पहले कुछ खा लो फ़िर पढ़ना संग में चाय और नमकीन रख कर चले गई । कुछ देर में दोनो ने नाश्ता ख़तम किया और दोबारा पढ़ाने लगी वो पढ़ा लेने के पश्चात नाश्ते का बर्तन उठा वाशबेसिन की तरफ चले गई और उसने बर्तन साफ़ किए और चले गई अपना सीरियल देखने
"दीवाने हम"
ये नाम था उस सीरियल का जिसे आधा घंटा देख वो खुश हो जाती ये वो सीरियल था जिसे देख वो आगे के सपने बुनने लग जाती क्यूकी कहीं ना कहीं उसे ये लगता था कि जैसे सीरियल में सभी सही हो जाता है वैसे ही उसकी जिंदगी में भी
सभी सही होगा लोग जैसे सीरियल में लड़की के गुण देखते है वैसे ही लोग उसके गुणों को भी देखेंगे. जैसे सारी खूबसूरत लड़की को छोड़ हीरो बस हेरोइन को देखता है जो सिम्पल सी होती है उसे भी कोई ऐसा हो मिलेगा ,,,, और वो भी हर परेशानी से लड़ अपने सपनों को पूरा कर लेगी बस इसीलिए वो ये सीरियल देखा करती थी।
आज उस सीरियल में हीरो हेरोइन को चोर नजरो से देख रहा था और हेरोइन को लगा वो किसी और को देख रहा है तभी उसे भी क्लास वाला किस्सा याद आ गया जब वो लड़का उसे देख रहा थाएक समय के लिए उसे लगा कि कहीं उसे ही तो नहीं देख रहा ये सोच कर उसके चेहरे पर मुस्कान आ गईं दोबारा उसने सोचा शायद उसे गलत फहमी हुई है . तभी मम्मी की आवाज़ आती
बेटा चाहत पानी निकाल दे और प्लेट्स लगा दो मै खाना ले कर आ रही हूं।
चाहत - हा मम्मी।
चाहत आर्यन के पास गई उसने पूछा होमवर्क हुआ उसने हा में सर हिला दिया उसने दोबारा धीरे-धीरे से अलमारी का दरवाज़ा खोला । वहाएक छोटे से बेग में चाकलेट थी जिसमे सेएक
उसने आर्यन को दिया औरएक स्वयं खाकर मम्मी के संग किचन में आ गई ये चॉकलेट उसे उसके पापा ने दी थी जिसका यूज वो आर्यन को होमवर्क करवाने में करती थी क्युकी आर्यन बस चॉकलेट के नाम से ही होमवर्क करता था कुछ देर पश्चात आर्यन भी आ गया । सबने मिल कर खाना खाया और चाहत बर्तन उठा कर उसे साफ़ कर रैक में रखने लगी बर्तन स्वच्छ होने के पश्चात वो अपने रूम में आ रही थी तभी आर्यन की आवाज़ आती है दी जल्दी आओ पापा की कॉल आई है। सभी छोड़ चाहत पापा से बात करने जाती है।
चाहत जहा थी वहा से भागते हुए आयी मोबाईल के कर पापा से बात करने के लिए गई
शिव (चाहत के पापा)- हेल्लो।
चाहत - प्रणाम पापा।
शिव जी - कैसे हो बेटा कैसा रहा आज का दिन ।
चाहत - अच्छी हूं और आज का दिन भी बढ़िया था।
शिव जी- तुमने खाना खाया ??
चाहत - हा और अपने ?
शिव जी - हा मैंने भी
चाहत - आप कब आओगे ।
शिवजी - ज्यादा जल्दी।
इसी तरह चाहत ने अपने पापा से कुछ देर बातें की दोबारा वह सोने के लिए चली गई।
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