प्यासी शबनम लेखिका रानू (romance special) in hindi on desixxxstories.com. Enjoy the best sex stories in hindi with gif rajSharma sex story stories on Desi Sex Stories.
प्यासी शबनम
लेखिका रानू
सूर्य ने ज्यादा देर पश्चात अपने विश्रामगृह में करवट बदली। परन्तु बादलों का लिहाफ उठाकर उसनेबाहर् नहीं झांका। हल्का दूधिया वातावरण दूर-दूर तक गहरे कोहरे में डूबा हुआ था - उदास। दोबारा भी पक्षियों ने अपने नीड़ छोड़ दिए थे। कोहरे के घनत्व में ये दिखाई नहीं पड़ रहे थे। परन्तु उनकी चहक कानों तक अवश्य सुनाई पड़ रही थी। ये चहक मानो चहक न होकरएक तरह की दर्द भरी चीख और पुकार थी। वातावरण के गाल कोहरे के आंसुओं से तर थे। ऊ... Continue reading
प्यासी शबनम लेखिका रानू सूर्य ने ज्यादा देर पश्चात अपने विश्रामगृह में करवट बदली। परन्तु बादलों का लिहाफ उठाकर उसनेबाहर् नहीं झांका। हल्का दूधिया वातावरण दूर-दूर तक गहरे कोहरे में डूबा हुआ था - उदास। दोबारा भी पक्षियों ने अपने नीड़ छोड़ दिए थे। कोहरे के घनत्व में ये दिखाई नहीं पड़ रहे थे। परन...
‘इसकी नौबत कभी नहीं आएगी।’ शमशेर सिंह ने अपने भयानक इरादों की पुष्टि करते हुए दांत पीस कर कहा था, ‘नक्शे के अनुसार अड्डे की पूर्ति होते ही मैं उस इंजीनियर का ही नहीं उसके संग काम करने वाले एक-एक मजदूर का भी नाम और निशानइसे धरती पर से सदा के लिए मिटा दूंगा। दोबारा जब नरेन्द्र सिंह के खानदान का सर्वना...
धोखेधड़ी से उसने जर्मन इंजीनियर के संग उन सभी मजदूरों को गैस चैम्बर में बंद करके गैस का बटन दबाते हुए सबके शरीरों को गलाकर भस्म कर दिया था। उसके पश्चात वह निश्चिंत हो गया था। लोगों को राख में भस्म करके लाश का कोई भी चिह्न न बच सकने का उसे यहएक अनमोल यन्त्र मिला था जिसका उपयोग उसने अपहरण किए गए पुलिस...
वन्दना अब तक उसी तरह अपनी कोठी की सबसे ऊंची मंजिल पर खड़ी हुई थी। दुर्गापुर का वातावरण देखती हुई वहइसे तरह खोई हुई थी कि मानो आज वह अन्तिम बार अपने गांव को विदाई दृष्टि से देख रही थी। दुर्गापुर में उसका कोई भी अन्तिम दिन हो सकता था क्योंकि वहइसे क्षेत्र,इसे शहर, बल्किइसे देश का छोड़कर किसी भी दिन लं...
मां को उसनेएक क्षण के लिए भी न छोड़ा।इसलिये उसे गांव के दूसरा बालकों का सुधार करने या शिक्षा देने का टाइमही नहीं मिला। ठाकुर नरेन्द्र सिंह तथा उनकी पत्नी ने अपनी बहू के दूसरे पति - अंग्रेज पति - को पहली बार देखा था। पति अंग्रेज था परन्तु सगी बहू के कारण उसके दूसरे पति को देखने के बादउन्को अपना बेटा...
Rajsharma Sex Story : प्यासी शबनम लेखिका रानू (Romance Special)
प्यासी शबनम
लेखिका रानू
सूर्य ने ज्यादा देर पश्चात अपने विश्रामगृह में करवट बदली। परन्तु बादलों का लिहाफ उठाकर उसनेबाहर् नहीं झांका। हल्का दूधिया वातावरण दूर-दूर तक गहरे कोहरे में डूबा हुआ था - उदास। दोबारा भी पक्षियों ने अपने नीड़ छोड़ दिए थे। कोहरे के घनत्व में ये दिखाई नहीं पड़ रहे थे। परन्तु उनकी चहक कानों तक अवश्य सुनाई पड़ रही थी। ये चहक मानो चहक न होकरएक तरह की दर्द भरी चीख और पुकार थी। वातावरण के गाल कोहरे के आंसुओं से तर थे। ऊंचे-ऊंचे वृक्ष, आम और नीम के, पीपल और बरगद के, ताड़ और खजूर के समीप से देखने में भीएक छाया समान थे। ये वातावरण शहर से दूरएक गांव, दुर्गापुर का था। जिसकेएक किनारे कोहरे में डूबे मन्दिर के अन्दर बजते घण्टे और शंख का स्वर भी दर्दनाक वातावरण में शान्ति की लहर फैलाने में असमर्थ था। ये मन्दिर वन्दना के दादा ठाकुर नरेन्द्र सिंह का बनवाया हुआ था ।
वन्दना, जोइसे टाइमअपनी कोठी की सबसे ऊंची मंजिल पर खड़ी गांव का कोहरा-भरा समां ज्यादा खामोश तथा उदास नजरों से देख रही थी। ये मन्दिर ही क्या, ये सारा गांव दिन के उजाले में उसकी या किसी की भी दृष्टिइसे ऊंची कोठी से जहां-जहां पहुंच सकती या और नहीं भी पहुंच सकती थी, सब-कुछ वन्दना के बाप दादों का अपना था। दुर्गापुर के नरेन्द्र सिंहएक खानदानी जमींदार थे। स्वतन्त्रता के पश्चात सरकार ने उनसे सब-कुछ छीन लिया था, भूमि किसानों में बांट दी परन्तुइसे बात का ठाकुर नरेन्द्र सिंह की शान में कोई अन्तर नहीं आया था। अब अफसोस भी नहीं हुआ था। वह अब भी जीवित हैं। धन-दौलत की कमी नहीं। कमी है तोएक बात की, मन की शांति की। प्रसन्नता तो उनसे सदा के लिए रूठ चुकी है, अब वह चाहें भी तो कभी नहीं मुस्करा सकते। वन्दना ठाकुर नरेन्द्र सिंह की पोती है। दुर्गापुर में उसका बचपन बीता है।
यहां के खेतों, मुंडेरों तथा पगडण्डियों पर वह चौकड़ियां भरती नहीं थकती थी। यहां के वातावरण में उसने जिंदगी के निश्चित दिन बिताए हैं। बचपन से ही उसे घुड़सवारी का शौक थाइसलिये वह हर स्थान पर घोड़े दौड़ाए नहीं थकती थी। ये उसका क्षेत्र था, उसके बाप-दादों का। यहां के लोग उसकी प्रजा थे। तब वह मुस्कराती कली थी जो अब फूल बनी भी तो मुस्करा न सकी। मुस्कान उसके होंठों से सदा के लिए छिन गई थी। यही कारण था किइसे टाइममन में उदासीनता लिए कोठी की सबसे ऊंची मंजिल पर खड़ी कोहरे भरे समां को ज्यादा उदास देख रही
थी जिसके घनत्व ने उदय होते सूर्य के प्रकाश को पूर्णतया धरती पर पहुंचने से पहले ही रोक रखा था। स्वतन्त्रता से ज्यादा पहले दुर्गापुर की जागीरएक ओर सेएक नदी तक सीमित थी जहां जागीरदार नरेन्द्र सिंह नेएक मन्दिर बनवाया था। नदी के उस पार कभी शमशेर सिंह की जागीर बेलापुर थी। जागीरदार नरेन्द्र सिंह चरित्रवान थे, दयालु थे, अपनी प्रजा के सुख का उन्होंने सदा ही ध्यान रखा था। गांव की स्त्रियां उनकी मां, बहन, बहू तथा बेटियां थीं, यही कारण था कि स्वतन्त्रता के पश्चात आज भी पुराने लोगउन्को राजा कहकर पुकारते हैं। परन्तु नरेन्द्र सिंह के चरित्र के विपरीत जागीरदार शमशेर सिंह ज्यादा ही चरित्रहीन था,एक नम्बर का अय्याश तथा जालिम। अपनी प्रजा पर वह अपना व्यक्तिगत अधिकार समझता था। अपनी वासना की प्यास बुझाने के लिए उसने बेलापुर की जनता पर क्या अत्याचार नहीं किए। उसके राज्य में लड़कियां जवान होने से पहले ही उसके बदमाशों और गुण्डों द्वारा उठाकर उसके रंगमहल में पहुंचा दी जाती थीं ताकि वह उनसे जी भरकर रंगरेलियां मनाए। उसके पश्चात उनकी हत्या करवाकर वह पांच मील दूर चील कौओं तथा जंगली पशुओं के लिए जंगल में फिंकवा देता था।
उसकी जनता उससे तंग आ चुकी थी परन्तु अपनी गरीबी के कारण आवाज नहीं उठा सकती थी। जिसने आवाज उठाने का प्रयत्न किया उसके जिंदगी की सलामती नहीं रहती थी। जब शमशेर सिंह का दिन बेलापुर की सुन्दरियों से भर गया तो उसने अगल-बगल की जागीरों पर भी हाथ फैलाना प्रारंभ कर दिया।एक रात दुर्गापुर की बारी भी आई। शमशेर सिंह के आदमियों ने जब दुर्गापुर कीएक लड़की को उठाना चाहा तो लेने के देने पड़ गए क्योंकि गांव में शोरगुल मचते ही नरेन्द्र सिंह के सिपाहियों ने कुछ डाकुओं को पकड़ लिया। पेशी पर पता चला कि वह किस जागीर के पुरुष हैं और उनका मकसद क्या था, तो शमशेर सिंह की करतूतों का पता चल गया।
नरेन्द्र सिंह अपनी अच्छाइयों के कारण बड़े-बड़े अंग्रेज गवर्नर्स तथा अफसरों में लोकप्रिय थे। अंग्रेजी सत्ता में उनकी पहुंच थी। उन्होंने बात अंग्रेजी सरकार के आगे बढ़ाई। गुप्त रूप में जांच हुई और जब शमशेर सिंह की वास्तविकता प्रकट हुई तो अंग्रेज अफसरों ने अपने राज्य को बदनामी से बचाने तथा जनता का दिल जीतने के लिए शमशेर सिंह की जागीर बेलापुर छीनकर जागीरदार नरेन्द्र सिंह को दे दी जिसके कारण अपना अपमान समझकर शमशेर सिंह भड़क उठा। अपनी सारी बर्बादी का कारण जानने में उसे देर न लगी। अंग्रेजी सरकार की आज्ञा का पालन न करते हुए उसने खुलेआम जागीरदार नरेन्द्र सिंह से मोर्चा लेना चाहा तो अनेक हत्याएं हुईं। जब अंग्रेजी सरकार ने उसकेइसे अपराध पर उसे सजा देना चाहा तो वह अपने आदमियों सहित भाग निकला। सभी के परिवार संग थे परन्तु उसका अपना परिवार कोई नहीं था।
अय्याशी से टाइमही नहीं मिलता था तो विवाह क्या करता। अपने आदमियों सहित जंगल के उस पार, चट्टानों के अन्दर खोई हुई गुफाओं में वह ऐसे स्थान पर बस गया जहां कानून के हाथ पहुंचना अब तक असंभव सिद्ध हो रहा था। कुछेक चट्टानों के उपरि से पानी झरने के रूप मेंइसे तरह गिरता था कि कहीं-कहीं गुफाओं का मुंह पानी की मोटी चादर से ढका रहता था। ऐसे गुप्त अड्डे में सुरक्षित होने के पश्चात शमशेर सिंह ने प्रण कर लिया था कि जब तक वह जागीरदार नरेन्द्र सिंह के वंश का नाम नहीं मिटा देगा चैन की सांस नहीं लेगा। यहीं से उसने लूट-मार प्रारंभ किया और दोबारा जल्दी ही वह ठाकुर से डाकू शमशेर सिंह कहलाने लगा।
यहीं रहकर उसने अपने मित्र कीएक बहन से विवाह भी कर लिया। यहीं उसकी पत्नी केएक बालक उत्पन्न हुआ जिसका नाम उसने शेर सिंह रखा। जब शेर सिंह उत्पन्न हुआ तो जागीरदार नरेन्द्र सिंह के पासएक सोलह वर्षीय लड़का था। नाम था सुरेन्द्र सिंह। वह अपने पिता के समान ही दयालु था। गांववासियों का ध्यान वह उतना ही रखता था जितना उसके पिता नरेन्द्र सिंह रखते थे। उन्हीं दिनों देश स्वतंत्र हुआ। सरकार ने राजाओं, महाराजाओं तथा जागीरदारों आदि की जमीनें छीनकर किसानों को दे दीं तो डाकू शमशेर सिंह छिपा-चोरी सेएक रात अपनेएक जागीरदार भाई से मिला जो दूसरे शहर में रहता था।
अपने भाई को उसने अपार धन-दौलत तथा अय्याशी का लोभ दिया। उसे अपने अड्डे को नया तथा और भी सुरक्षित रूप देने का वह नक्शा दिखाया जो उसनेएक जर्मन इंजीनियर द्वारा बनवाया था, अपने अड्डे में ही उसे रखकर उसने कहा था, ‘मैंने उस जर्मन इंजीनियर को अपनी रियासती दौलत की चमक दिखाकर लालच देते हुए उसे अपने पास उस टाइमतक रोक लेने पर विवश कर दिया है जब तक कि मेरे अड्डे की पूर्ति नक्शे अनुसार नहीं हो जाएगी।’ ‘परन्तु यदि वह इंजीनियर तुम्हारी इतनी दौलत प्राप्त करके जर्मनी जाने के पश्चात तुम्हारे गुप्त अड्डे का स्थान किसी को बता दे तब क्या होगा?’ शमशेर सिंह के भाई ने रुचि प्रकट करके पूछा था।
You are currently reading Rajsharma Sex Story on our website, desixxxstories.com. We regularly share and update similar sex stories
‘इसकी नौबत कभी नहीं आएगी।’ शमशेर सिंह ने अपने भयानक इरादों की पुष्टि करते हुए दांत पीस कर कहा था, ‘नक्शे के अनुसार अड्डे की पूर्ति होते ही मैं उस इंजीनियर का ही नहीं उसके संग काम करने वाले एक-एक मजदूर का भी नाम और निशानइसे धरती पर से सदा के लिए मिटा दूंगा। दोबारा जब नरेन्द्र सिंह के खानदान का सर्वनाश करने के पश्चात मेरे दिल के अन्दर बदले की आग ठण्डी हो जाएगी तो मैं इसी खुफिया तथा वैज्ञानिक अड्डे के सहारे स्मगलिंग का धंधा अन्तर्राष्ट्रीय पैमाने पर करूंगा।
दोबारा मैं इतना पैसे कमाऊंगा, इतना कमाऊंगा कि---’ सहसा वहां पुलिस वैन का साइरन सुनाई पड़ा। जाने कैसे पुलिस को सूचना मिल गई थी कि डाकू शमशेर सिंह अपने भाई से मिलने आया हुआ है। पुलिस यूं भी डाकू शमशेर सिंह के लिए उसके भाई से प्रायः पूछताछ करती ही रहती थी। साइरन सुनकर शमशेर सिंह अपनी बात अधूरी छोड़कर चौंक गया। भाई को भी अपनी इज्जत की चिंता हुई। ‘तुमइसे नक्शे को अपने पास रखो।इसे पर ध्यान दो और जब चाहना इसके रास्ते द्वारा मेरे पास चले आना।’ शमशेर सिंह ने अपने भाई को नक्शा थमाते हुए कहा ‘इसकी कापी हमारे पास सुरक्षित है। मैं चल रहा हूं।
दोबारा मिलूंगा। शमशेर सिंह पुलिस के डर से वहां से भाग निकला। पुलिस आई। भाई से शमशेर सिंह के विषय में पूछा। भाई ने अज्ञानता प्रकट की। पुलिस बिना कोई सबूत पाकर पुनः चली गई तो भाई सोच में पड़ गया कि अब तक तो उसका सम्मान सुरक्षित है परन्तु कल यदि वह भी अपने भाई के समान डाकू बन गया तो क्या उसे ऐसी स्वतन्त्रता प्राप्त हो सकेगी कि वह मनमानी अपने परिवार के संग जहां चाहे तथा जब चाहे आ-जा सके? आखिर कानून से कोई कब तक बच सकता है? शमशेर सिंह अपनी लूट-मार में दोबारा लग गया परन्तु उसकाएक इरादा सदा के समान अटल था। जब तक वह जागीरदार नरेन्द्र सिंह के खानदान का नाम और निशान नहीं मिटा देगा चैन की सांस नहीं लेगा। जागीरदार नरेन्द्र सिंह का लड़का सुरेन्द्र सिंह सीनियर कैम्ब्रिज पास कर चुका थाइसलिये जागीरदार साहब ने अपने बेटे को लंदन पढ़ने भेज दिया। परन्तु सुरेन्द्र सिंह लंदन क्या गया मानो हाथ से निकल गया। वहां उसनेएक अंग्रेज लड़की से प्रेम ही नहीं किया वरन् अपने माता-पिता को बताए बिना चुपचाप विवाह भी कर लिया। दोबारा जब
सुरेन्द्र सिंह ने अपने माता-पिता को लिखा कि वह विवाह कर चुका है तो नरेन्द्र सिंह के दिल को ज्यादा धक्का लगा क्योंकि उन्होंने अपने बेटे के लिए पहले हीएक ज्यादा बड़े ठाकुर घराने में लड़की देख रखी थी। उन्होंने तुरन्त सुरेन्द्र सिंह को भारत लौटने की आज्ञा दी। सुरेन्द्र सिंह भारत लौटा परन्तु अपनी पत्नी के साथ। विवश होकर जागीरदार नरेन्द्र सिंह को अपनी विदेशी बहू स्वीकारनी पड़ गई। उसके पश्चात अपना सम्मान तथा शान स्थिर रखने के लिए उन्होंने कुछ दिनों बादएक शानदार दावत दी। दावत में मेहमानों का समूह भर गया। परन्तु मेहमानों में भेष बदलकर शमशेर सिंह भी अपने आदमियों सहित आ धमका। ऐसे अवसर की ही तो उसे इंतजार थी। बिना किसी संकोच के, बिना कोई सन्देह उत्पन्न किए उसने अपनी पॉकेट से रिवॉल्वर निकालकर गोली तुरन्त नरेन्द्र सिंह के जवान बेटे सुरेन्द्र सिंह की छाती में दाग दी जोएक सोफे पर अपनी पत्नी के संग निश्चिंत बैठा मुस्करा रहा था। सुरेन्द्र सिंहएक ही झटके में सोफे पर अपनी पत्नी के कंधे पर गिरता हुआ ढेर हो गया। तभी चीख और पुकार मच गई। कोठी की ओर से भी बंदूकें निकल आईं तो शमशेर सिंह अपने आदमियों के संग भाग निकला। उसके सिर्फ दो मित्र मारे गए।
यदि जीवित पकड़े भी जाते तो शमशेर सिंह के लिए कोई चिंता की बात नहीं होती क्योंकि उसके अड्डे को सिर्फ गिने-चुने मित्र ही जानते थे जिनका काम डकैती करने के बजाए ये था कि जो डाकू डकैती करने के लिए जाते थेउन्को वह आंखों पर पट्टी बांधकर अड्डे से बहुत दूर सुरंग के अन्दर शमशेर सिंह के संग छोड़ देते थे। दोबारा वहीं छिपकर लौटने की इंतजार भी करते थे ताकि उनकी आंखों पर पट्टी बांधकरउन्को अड्डे के अंदर भी ले जाएं।इसे तरह शमशेर सिंह के संग डाका डालने वाले डाकुओं को स्वयं ही ज्ञात नहीं था कि उनके छिपने का अड्डा किस स्थान पर है। अड्डा ऐसा था जिसके अंदर पहुंचकर मुख्य दरवाजा पर ताला डाल दिया जाता था ताकि कोई डाकू भागकरइसे अड्डे का पता न चला सके। शमशेर सिंह ने अपने सभी साथियों को पूरी सुविधाएं, ऐश और आराम दे रखा था। अनेक डाकू अपने पूरे परिवार के संग अड्डे के अन्दर रह रहे थे। नरेन्द्र सिंह का इकलौता लड़का सुरेन्द्र सिंह मारा गया तो पुलिस ने शमशेर सिंह की खोज की परन्तु उसके ठिकाने का कोई पता नहीं चला। नरेन्द्र सिंह का संसार सूना हो गया।
विदेशी बहू मम्मी बनने से पहले ही विधवा हो गई। बेटे की मृत्यु ने नरेन्द्र सिंह के दिल में बदले की आग भड़का दी परन्तुइसे आग से होता ही क्या था? जब पुलिस को ही शमशेर सिंह के ठिकाने का पता नहीं मालूम था तोउन्को क्या पता चलता? दोबारा भी अब वह बन्दूक हर क्षण अपने पास ही रखते थे। शमशेर सिंह की तलाश में वह अकेले ही जंगल की ओर निकल जाते परन्तुउन्को उनकी पत्नी तथा विधवा बहू के प्रेम ने रोक रखा था। कुछ दिनों पश्चात जागीरदार नरेन्द्र सिंह की विधवा बहू कोएक संतान उत्पन्न हुई। संतानएक नन्ही-मुन्नी बच्ची थी, ज्यादा ही प्यारी लड़की, बिल्कुल अपनी विदेशी मम्मी के समान। बच्ची नरेन्द्र सिंह के स्वर्गवासी बेटे की एकमात्र निशानी थी।इसलिये नरेन्द्र सिंह के गमों के सागर में चन्द बूंदें कम हो गईं। बच्ची का नाम उन्होंने वन्दना रखा। वन्दना को अपने दादा-दादी से इतना प्रेम मिला कि वह मम्मी से ज्यादा उन दोनों के संग ही रहती।
मां के पक्ष में ये बढ़िया ही हुआ। जब उसके अंग्रेज माता-पिता ने उसे लंदन बुलाया ताकि जिंदगी का नया मोड़एक बार दोबारा प्रारंभ करे तो वह वन्दना को छोड़कर चली गई। वन्दना दुर्गापुर के वातावरण में पली, घूमी-फिरी और चढ़ती आयु की ओर बढ़ी। मम्मी ने लंदन जाकर दूसरी शादी कर ली थी परन्तु साल-दो वर्ष मेंएक बार भारत आकर वह अपनी बेटी को अवश्य देख लेती थी। दिल चाहता था कि बेटी को अपने संग वह लंदन ले जाए परन्तु उसका प्रेम अपने दादा-दादी की ओर ज्यादा देखकर वह बेटी को उनसे अलग करना उचित नहीं समझती थी।
उधर शमशेर सिंह की डाकाजनी जोरों पर थी। नक्शे के अनुसार वह अपना अड्डा बनवा चुका था। अड्डे की पूर्ति होने के पश्चात उसने जर्मन इंजीनियर को ही नहीं उन मजदूरों को भी धोखाधड़ी से मरवा दिया था जिन्होंने अड्डे को बनवाने में संग दिया था। उसका बेटा शेर सिंह भी अब बड़ा हो चला था। बचपन से ही वह डकैतों में अपने पिता के संग रहता था जिससे अब उसका डकैती करने का धड़का खुल चुका था। बाप ने बचपन से ही बेटे के दिल में नरेन्द्र सिंह के लिए घृणा भर रखी थी इसलिएएक रात जोश में आकर अपने पिता के संग उसने भी नरेन्द्र सिंह की कोठी पर चढ़ाई कर दी। परन्तु नरेन्द्र सिंह अपने आदमियों के संग अब सदा सतर्क रहने लगा था। शेर सिंह को नरेन्द्र सिंह की शक्ति का अनुमान तब हुआ जब नरेन्द्र सिंह की गोली का शिकार शमशेर सिंह हुआ। वह वहीं मारा गया तो उसके पुरुष भाग खड़े हुए। विवश होकर शेर सिंह को भी अपनी जान बचाना आवश्यक हो गया। वह भाग निकलने में संपन्न तो हो गया परन्तु उसके दिल के अन्दर नरेन्द्र सिंह से बदले की आग और ज्यादा भड़क उठी। कुछ दिनों के लिए डाकाजनी ठण्डी पड़ गई। टाइमके संग शेर सिंह ने भविष्य के लिए ठण्डे दिल से सोचा। अब वह डाकुओं का सरदार था क्योंकि अड्डे की ज्यादा सी खुफिया बातों को वह तथा उसकी मम्मी ही जानती थी।
दूरदर्शिता से काम लेते हुए उसने अपने ही गिरोह के साथियों के साथएक चाल चली -एक नई तथा अनूठी चाल। वह दिल का पत्थर तथा समझदारी का ज्यादा तेज था। उसने धीरे-धीरे अपने ही आदमियों की हत्या रहस्यमय ढंग से करनी प्रारंभ कर दी। उनके स्थान पर जो भी नए डाकू रखे उनके सामने जाने की कभी आवश्यकता ही नहीं पड़ी।एक विशेष कमरे में बुलाकर वह डाकुओं को टेलीविजन जैसे यन्त्र पर देख सकता था परन्तु उसके नए डाकू उसेदेख्ना तो दूर, ये भी नहीं जानते थे कि वह कहां से आज्ञा देता है?इसे तरह शेर सिंह ने अपने सिर्फ दो विशेष डाकुओं को छोड़कर सभी पुराने डाकुओं को मृत्यु के घाट उतार दिया जिनकी लाशों का भी पता नहीं चला।
ये दो विशेष डाकू जालिम सिंह तथा बब्बन खां थे जो शेर सिंह के बड़े विश्वास के पुरुष थे। पुराने डाकुओं की लाश का पताइसलिये नहीं चलता था क्योंकि शेर सिंह के अड्डे पर उसके निजी कमरे से लगाकरएक बड़े कमरे बराबर गैस चैम्बर था, बिल्कुल ऐसा ही जैसा दूसरे महायुद्ध में हिटलर ने यहूदियों को उसमें ठूंस कर मरवाने के लिए ज्यादा बड़े पैमाने पर बनवाया था - और वह भीएक नहीं अनेक गैस चैम्बर्स में हिटलर यहूदियों को, क्या पुरुष और क्या स्त्रियां, क्या बूढ़े और क्या दूध पीते बच्चे, सभी को लाखों की गिनती में बन्द कराकर जब गैस के बटन दबाता था तो तड़पते बदन से गल कर राख होते बन्दियों की चीख और पुकार भीबाहर् नहीं सुनाई पड़ती थी क्योंकि ‘एयर प्रूफ’ होने के कारण चैम्बर्स ‘साउण्ड प्रूफ’ भी होते थे। दोबारा जब चैम्बर्स खोले जाते थे तो चैम्बर्स की ठोस दीवारों पर उन बन्दियों के अमिट साये नक्श होकर मिलते थे जिन्होंने घुटती सांसों के कारण क्षण भर के लिए भी दीवार से चिपककर अपना असफल बचाव करने का प्रयत्न किया था।
ऐसी तेज गैस थी ये जो मानव का नाम और निशान तो मिटा ही देती थी संग में मजबूत दीवारों पर उन मरनेवालों की छाया भी अंकित कर देती थी, जो अपनी असहनीय तड़प के कारण दीवार में चिपक जाते थे। शेर सिंह का गैस चैम्बर्स भी कुछ ऐसा ही था परन्तु छोटे पैमाने पर, जिसे उसके पिता डाकू शमशेर सिंह ने ही बनवाया था, उसी जर्मन इंजीनियर द्वारा। अब ये चैम्बर शेर सिंह की योजना पूरी करने में बड़ा लाभदायक सिद्ध हो रहा था। शमशेर सिंह ने अपने जिंदगी काल में गैस चैम्बर के बनते ही इसका सर्वप्रथम उपयोग उस जर्मन इंजीनियर पर किया था जिसने ये भयानक गैस चैम्बर बनाया था।
You are currently reading Rajsharma Sex Story on our website, desixxxstories.com. We regularly share and update similar sex stories
धोखेधड़ी से उसने जर्मन इंजीनियर के संग उन सभी मजदूरों को गैस चैम्बर में बंद करके गैस का बटन दबाते हुए सबके शरीरों को गलाकर भस्म कर दिया था। उसके पश्चात वह निश्चिंत हो गया था। लोगों को राख में भस्म करके लाश का कोई भी चिह्न न बच सकने का उसे यहएक अनमोल यन्त्र मिला था जिसका उपयोग उसने अपहरण किए गए पुलिस अधिकारी, सरकारी जासूस तथा अपने और अपने आदमियों की अय्याशी के पश्चात ठुकराई गई स्त्रियों पर भी किया और खूब किया, आनन्द उठा-उठाकर किया, परन्तु शेर सिंह अपने पिता से भी दो हाथ आगे था।
वह किसी तरह का रिस्क न लेने के लिए पुलिस अधिकारी, सरकारी जासूस तथा अय्याशी के पश्चात ठुकराई हुई स्त्रियों को गैस चैम्बर में बन्द करके उनका चिह्न तो ख़त्म कर ही देता था परन्तु उन लोगों को भी उसने गैस चैम्बर में बन्द करवाकर मरवाते हुए उनका चिह्न सदा के लिए मिटा दिया जो उसके पिता के टाइमसे डाकू थे, जिनकी छाया में पलकर वह जवान हुआ था, जो उसे पहचानते थे तथा जिनसे उसे डर समाया रहता था कि उसे नवयुवक तथा स्वयं को अनुभवी समझकर वह उसके संग उसकी मम्मी को भी मारकर अड्डा अपने अधिकार में ले लेंगे।इसे तरह जब पुराने डाकू ख़त्म हो गए और जो नए डाकू आए उनके सामने शेर सिंह कभी नहीं गया तो नए डाकुओं के लिए उसे पहचानने का प्रश्न ही नहीं उत्पन्न हुआ। उसे पहचानते थे तो सिर्फ उसके दो विश्वासी डाकू - जालिम सिंह और बब्बन खां।
ये दो डाकू नए डाकुओं पर शेर सिंह के मन्त्री बन कर हुक्म चलाते थे। नए डाकुओं को भी मन्त्रियों की आज्ञा का पालन करने में कोई आपत्ति नहीं थी क्योंकि शेर सिंह की ओर से सभी विवाहित तथा अविवाहित डाकुओं को पूरी सुविधाएं उपलब्ध थीं, ऐश और इशरत के साधन उपलब्ध थे। डाका उसी पुराने ढंग पर डाला जाता था जैसा कि शमशेर सिंह के टाइममें था परन्तु शेर सिंह स्वयं अब डाका डालने के पक्ष में नहीं था। वह अपने अड्डे पर ही रहता था तथा डाकुओं पर राजा बनकर राज्य करता था। शेरसिंह के नए डाकूइसे तरह शेरसिंह की वास्तविकता से अनभिज्ञ थे उसी तरह वह उसके भयानक गैस चैम्बर के विषय में भी कुछ नहीं जानते थे। शेरसिंह को अपने पिता के समान अन्तर्राष्ट्रीय पैमाने पर स्मगलिंग करने में कोई रुचि नहीं थी।
उसने दूरदर्शिता से काम लेकर अपनेइसे गैस चैम्बर का उपयोग अपने किसी भी नए डाकू पर नहीं किया था। अपनी योजना के अनुसार उसनेइसे गैस चैम्बर का उपयोग केवलएक ही दिन तथा अन्तिम बार करने की ठान रखी थी। उसके पास पैसे की कमी नहीं थी परन्तु दोबारा भी उसने अपना इरादा बना लिया था कि जब वह लूट-मार द्वारा अपार पैसे एकत्र कर लेगा तो पुलिस का डर दिखाकर अपने सभी नए आदमियों को उनके परिवार सहितइसे गैस चैम्बर की वास्तविकता छिपाते हुए इसमें शरण लेने को भेज देगा। दोबारा गैस का बटन दबाकर इनका नाम और निशान सदा के लिए मिटा देगा। उसके पश्चात वह धोखे से जालिम सिंह तथा बब्बन खां की हत्या कर देगा। और दोबारा उसके पश्चात वह अपना सारा पैसे समेटेगा, मम्मी को संग लेगा और फिरएक टाइम बम रखकर अड्डे को उड़ाने का प्रबन्ध करते हुए वह सदा के लिए यहां से चला जाएगा।
उसके यहां से जाने के बादइसे संसार में उसे कोई भी पहचानने वाला नहीं होगा क्योंकि उसे पहचानने वाले उसके दो मित्र जालिम सिंह तथा बब्बन खां भी तबइसे संसार में नहीं रहेंगे। परन्तु उसकी मम्मी को देखकर कोई भी प्राचीन आदमी संदेह कर सकता था कि वह डाकू शमशेर सिंह की पत्नी हो सकती है। उसके पिता शमशेर सिंह के संग उसकी मम्मी की तस्वीरें भी पुलिस स्टेशनों पर हो सकती थींइसलिये अपनेइसे इरादे को साकार रूप देने में शेरसिंह कभी-कभी झिझक भी जाता था। झिझक कर आने वाले उचित टाइमतथा अवसर की इंतजार करने लगता था। युग बीत जाता है परन्तु मानव का मुखड़ा नहीं बदलता।
युगों के पश्चात भी मानव के अन्दर कोई न कोई बात ऐसी अवश्य रह जाती है जिससे उसे पहचाना जा सकता है। दोबारा पुलिस की दृष्टि तो विशेष रूप से डाकू शमशेर सिंह तथा उसके परिवार पर बिछी हुई थी। शेरसिंहएक चतुर डाकू था। उसने कभी ऐसा रिस्क नहीं लिया जिससे उसकी इतनी सारी मेहनत पर पानी पड़ जाए। वह पकड़ा जाए और दोबारा कहीं का भी न रहे। अपने नए आदमियों से गैस चैम्बर का भेद छिपाए रखने के लिए उसने अपने आदमियों को उनकी छोटी-सी भूल पर भी जो सजा दी वहउन्को गैस चैम्बर में डालकर भस्म करने की सजा कभी नहीं दी।
एक छोटी-सी भूल पर भी वह अपने आदमियों को कभी नहीं क्षमा करता था। उनके लिए हर बात की सजा मृत्यु थी। किसी पर शेरसिंह को अकारण ही गद्दारी का सन्देह हो जाता था तो वह उसे जालिम सिंह या बब्बन खां द्वारा गर्दन से कटवाकर बदन जंगल में या झील में फिंकवा देता था। दोबारा उन गद्दारों का सिर अपने अड्डे के ऐसे स्थान पर टांग देता था जिसे हर आने-जाने वाला देखकर कोई आदमी अपने सरदार के संग गद्दारी करने का स्वप्न भी नहीं देखे। जंगल में या नदी में बहती ऐसी अनेक लाशें पाई जाती थीं। पुलिस को ये भी अनुमान था किइसे क्रूर हत्याओं के पीछे सिर्फ शेर सिंह का हाथ है दोबारा भी अनथक प्रयत्न करने के पश्चात् पुलिस शेर सिंह के अड्डे का पता लगाने में असमर्थ थी। शेर सिंह के अत्याचार से गांववासी ही क्या अच्छे निवासी तथा सरकारी विभाग के पुलिसवाले भी डर खाते थे।
उन्हीं दिनों शेरसिंह की मम्मी का निधन हो गया। परन्तु मरते-मरते भी मम्मी ने उसे चुनौती देकर उसके अन्दर बदले की वह भावना ताजी कर दी थी जिसे उसका पति शमशेर सिंह अधूरी छोड़ गया था। मम्मी की दृष्टि में उसके पति की सारी बर्बादियों का जिम्मेदार ठाकुर नरेन्द्र सिंह सदा ही रहा था। न ही उसका पति बर्बाद होकर बदले की भावना में डाकू बनता और न ही आज उसके एकमात्र बेटे शेरसिंह को भी डाकू बनकर ये दिनदेख्ना पड़ता।
मांएक खूंखार डाकू की बहन थी, निर्दयता की छाया में उसने सांसें ली थींइसलिये मरते टाइमभी यदि उसने अपने बेटे को नरेन्द्र सिंह से बदले के लिए उकसाया तो कोई बड़ी बात नहीं की। शेर सिंह ने भी मम्मी की तड़पती सांसों को वचन देकर शांत कर दिया था कि वह अपने खानदान की बर्बादी का बदला अवश्य लेगा, कभी-न-कभी, किसी-न-किसी स्थिति में ही, उसके खानदान का नाम मिटाते हुए। मम्मी का निधन हो गया तो शेरसिंह को अपना इरादा पूरा करने का आसानी से मौका मिल गया। अब वह अपने साथियों का खात्मा धोखे-धड़ी से करकेइसे अड्डे को भी डाइनामाइट द्वारा तहस-नहस कर सकता था। उसके पश्चात वह अपना सारा पैसे लेकर जहां भी जाता कोई भी उसेे नहीं पहचान सकता था। शेर सिंह गैर कानूनी काम करते-करते थक गया था। उसका स्वभाव प्रारंभ से ही एडवांस था।
अड्डे की बन्द दीवारों से अन्दर वह उत्पन्न हुआ था। बचपन में यहां के बन्द माहौल में उसकी सांस कभी-कभी घुटने भी लगती थीं।इसलिये अब वह हर टाइमस्वतन्त्र जिंदगी की आवश्यकता महसूस करता रहता था जिसे वह तुरन्त सदा के लिए प्राप्त भी कर सकता था क्योंकि यहां से जाने के पश्चात उसे कहीं कोई भी पहचानने वाला नहीं था कि वही डाकू शेर सिंह है। अपना नाम शेर सिंह से बदल कर वह कुछ भी रखते हुएएक नया जिंदगी प्रारंभ कर सकता था। देश-विदेश की सैर करते हुए स्वतन्त्र होकर अय्याशी कर सकता था याएक घर बसा सकता था।
पत्नी तथा बच्चों में खोकर वह अपना गन्दा अतीत भी भूल सकता था । मम्मी की मृत्यु ने उसके लिए स्वतन्त्रता के रास्ते खोल दिए थे। परन्तु वह ये सभी तभी कर सकता था जब मम्मी की अन्तिम सांसों में उसे दिया वचन निभाता, ठाकुर नरेन्द्र सिंह के खानदान का नाम और निशान मिटाकर अपने पिता की आत्मा की शांति का साधन बनता। और ऐसा करने के लिए वह तैयार था - पूरे मन से तैयार था वरना वह अपने-आपको ठाकुर समझ कर कभी नहीं क्षमा करता। और इसीलिए शेर सिंह को अपने नए जिंदगी का प्रारंभ स्थगित कर देना पड़ा, उस टाइमतक के लिए जब तक वह अपना वचन निभाने में कामयाब नहीं हो जाता है।
दुर्गापुर पर छाया कोहरा कम होने लगा। सूर्य ने बादलों का लिहाफ उठाकर झांकना प्रारंभ किया तो दूधिया वातावरण में चमक उत्पन्न होने लगी। किसानों ने अपने खेतों पर जाना प्रारंभ कर दिया था। गांव की कुछ औरतें भी अपने-अपने कामों पर निकल पड़ी थीं। खपरैल तथा कुछेक अधपक्के मकानों के समाने जहां कहीं अंगीठियां जल रही थीं, अब सिर्फ वहीं धुएं ने छटते कोहरे में मिलकर घनी धुंध बना रखी थी। वृक्ष की पत्तियों का रंग झलकने लगा था। पंछी छाया बनकर दिखाई पड़ने लगे। गांव का मन्दिर भी झलक आया।एक किनारे पुलिस की वह चौकी भी स्वच्छ दिखाई दे रही थी जिसका प्रबंध सरकार ने अभी कुछ ही दिन पहलेइसे गांव में पहली बार किया था।इसे चौकी का प्रबंध सरकार को डाकुओं से तंग आकर करना पड़ा था।
You are currently reading Rajsharma Sex Story on our website, desixxxstories.com. We regularly share and update similar sex stories
गुजारिश (adultery special) sexy story at desixxxstories.com. Desi Sex Stories brings you the best indian rajSharma sex story.
162.6k 4.5k 0 14 hours agoमम्मी हुई बेटे के लंड की दीवानी (incest special) in hindi on desixxxstories.com. Enjoy the best sex stories in hindi with gif rajSharma sex story stories on Desi Sex Stories.
278.5k 4.3k 0 2 days agoसाँझा पलंग साँझा बीबियाँ - New rajSharma sex story sex story in hindi. Visit desixxxstories.com for more hot stories.
169.7k 3.8k 0 10 hours agoRead चाहत (romance special) and other exciting rajSharma sex story in hindi at desixxxstories.com.
27.4k 3.7k 0 3 minutes agoHindi/urdu sex stories of मेराअतृप्त कामुक यौवन (incest special) available on desixxxstories.com. Desi Sex Stories is most viewed by Indian sex story of rajSharma sex story.
73.1k 6.8k 0 1 hour agoEnjoy सैलाब दर्द का (romance special) and many more rajSharma sex story on Desi Sex Stories.
47.8k 7.6k 0 4 days agoदुक्खम्-सुक्खम् - Hot rajSharma sex story sex story in hindi. Best collection of Indian sex stories on Desi Sex Stories.
57.6k 2.9k 0 6 hours agoRead rajSharma sex story stories! Read कांता की कामपिपासा on Desi Sex Stories - only at desixxxstories.com.
717.7k 6.1k 0 8 hours agoBewash (meri atmakatha) - Hindi/urdu fantasy sex story only on Desi Sex Stories. Visit desixxxstories.com.
32.9k 5.2k 2 5 months agoRead नंगो का खानदान and other exciting rajSharma sex story in hindi at desixxxstories.com.
112.8k 7.8k 0 2 days agoRead सौतेली मम्मी से बदला at Desi Sex Stories. India sex story #1 source for Hindi/urdu rajSharma sex story.
143k 1.4k 0 1 week agoससुर बने साजन (sasur bane sajan) - Hindi/urdu rajSharma sex story only on Desi Sex Stories. Visit desixxxstories.com.
135.1k 6.4k 0 1 week agoReading rajSharma sex story stories! खजाने-की-तलाश (Khazane kee Talash) is available on desixxxstories.com - powered by Desi Sex Stories.
12.8k 9.1k 0 1 week agoRead ख़तरनाक जुआरी (Khatarnak Juaari) on Desi Sex Stories. India sex story huge collection of Hindi/urdu rajSharma sex story.
23.5k 4.4k 0 1 week agoगदरायी मदमस्त जवानियाँ in hindi on desixxxstories.com. Enjoy the best sex stories in hindi with gif rajSharma sex story stories on Desi Sex Stories.
94.7k 8.2k 0 2 days agoRead मैं लड़की नहीं. लड़का हूँ in Hindi/urdu on desixxxstories.com. Find more rajSharma sex story stories on Desi Sex Stories.
125.9k 3.5k 0 10 hours agoRead विधवा मम्मी के अनौखे लाल (incest special) and other exciting rajSharma sex story in hindi at desixxxstories.com.
531.7k 5.8k 0 6 days agoRead अदला बदली and explore thousands of rajSharma sex story stories on Desi Sex Stories. Visit desixxxstories.com today.
597.4k 3k 0 3 days agoRead प्यासी जिंदगी in Hindi/urdu on desixxxstories.com. Find more rajSharma sex story stories on Desi Sex Stories.
142.2k 2.8k 0 1 day agoरोंये वाली मखमली चूत in hindi on desixxxstories.com. Enjoy the best sex stories in hindi with gif rajSharma sex story stories on Desi Sex Stories.
15.5k 7.5k 0 1 week agoEnjoyed it? Please Give it a rating!
Welcome to desixxxstories.com - a place where you'll find a huge collection of Indian Desi sex stories in Hindi and Urdu, along with hot GIF pics. Whether you're into romantic mom son fantacy, wild sex stories, or real incest stories. We keep regular updates, so you'll always find new sex stories to enjoy. Desi Sex Stories is the grate source of all type incest stories to read without any interruptions.
Copyright © Desi XXX Stories com.
The content available on Desi XXX Stories may contain pornographic materials.
Desi XXX Stories is strictly limited to those over 18 or of legal age in your jurisdiction, whichever is greater.
One of our core goals is to help parents restrict access to Desi XXX Stories for minors, so we have ensured that Desi XXX Stories is, and remains, fully compliant with the RTA (Restricted to Adults) code. This means that all access to the site can be blocked by simple parental control tools.
To enter Desi XXX Stories you must be 18 or older