The Rajsharma Sex Story of सैलाब दर्द का (Romance Special)
मौसी जतिन से शादी के टाइमही मिली थी तो फोन परउन्को पहचान नहीं पाईं थी। क्या दीदी से बात.? वो तो नहीं हो सकती, शायद आपको पता नहीं दीदी की तबीयत खराब है।
जी मुझे उनकी हालत के बारे में सभी पता है। संध्या जी बीमार है पर वह सुन तो सकती हैं.? आप सिर्फउन्को फोन दे दीजिए।
जी मैंउन्को फोन देती हूँ। दीदी कोई आपसे बात करना चाहता है, नाम नहीं बताया। लीजिए फोन और सुन लीजिए।
संध्या जी टूटे-फूटे शब्दों में.हहहलो.हैलो मैं जतिन बोला रहा हूँ, शिल्पा का पापा आपने पहचान तो लिया होगा.?व्यंग्य भरी भाषा बोले जतिन।
माफ़ कीजिए संध्या जी यदि आपको परेशान किया तो चाहूँगा।शिल्पा आपसे बात करना चाहती है.आप उसकी बात सुन लीजिए। जतिन शिल्पा को फोन दे देते हैं। मम्मी आप मेरी आवाज़ सुन रही हैं।
"माँ .!!आप दादी बन गई हैं.सुना मम्मी आपने आप दादी बन. क्या. संध्या के मुँह से बिना अटके एकदम से साफ़ स्वर निकला।"
"हाँ माँ.!अच्छा होता कि आप आज मेरे पास होती.? आपके पोते को आपकी गोद मिल जाती।मेरा पोता.सुन छोटी.! मैं दादी बन गई।
मौसी और रीता आश्चर्य से संध्या को देखने लगे।यह कैसा करिश्मा हो गया।जो इतने प्रयासों के बावजूद नहीं बोल पा रही थी,वो अचानक साफ-साफ बोल गई।
अच्छा रखती हूँ माँ.अपना ध्यान रखना। थोड़ी-सी बात करके शिल्पा फोन काट देती है।बस अब खुश.?अब मत कहना बात करनी है.जतिन बोले।
संध्या जी बोल लेती है तो मयंक को अभी तक सच क्यों नहीं बताया उन्होंने. जतिन क्रोध में बोले। शिल्पा ये सुनकर रुआंसी हो गई।
बस-बस रोना नहीं. ज्यादा रो चुकी हो.अब खुशियाँ आईं हैं,उनका स्वागत करो।
शिल्पा की आँखों में आँसू देख जतिन प्रेम से उसके सिर पर हाथ फेरने लगे। बेटा तू ज्यादा भोली है, संध्या जी अपने बेटे की खुशी ही पहले देखेंगी।
तू जितनी जल्दी इन सभी यादों से निकलेगी,उतनी जल्दी अपनी ज़िंदगी को नये नजरिए से देखेगी।अब तू मम्मी बन गई है।अपने बेटे को खुशियाँ देने के लिए तेरा खुश होकर ज़िंदगी जीना जरूरी है।
आप सही कह रहे हैं पापा. मैं अपनी तरफ से पूरी कोशिश करूँगी ,मेरे बेटे पर मेरे गमों की परछाई भी नहीं पड़े।मुझे मयंक की यादों सेबाहर् निकलना होगा।
, , -हम्म ये हुई न बहादुरी बच्चों वाली बात. बढ़िया सुनएक गुड न्यूज़ है।क्या पापा.? मैंने तेरे चाचा से बात की, और तेरे बारे में सभी बता दिया।
नितिन ज्यादा गुस्सा हो रहा था।वो कह रहा है अब शिल्पा को इंडिया नही रहने देगा, वो अपने पास अमेरिका ले जाएगा। मैंने भी हाँ करदी है।
अगले महीने आ रहा है.तेरा क्या कहना है.? मैं भी इधर नहीं रहना चाहती हूँ पापा. शिल्पा बोली।यहाँ रहूँगी तो वही बातें मेरे इर्द-गिर्द घूमती रहेंगी।
पारुल मयंक को बार-बार फोन करके परेशान कर रही होती है। तुम पागल हो गई हो क्या पारुल.? बोला न फ्री होकर तुमसे मिलता हूँ।
मयंक ऐसा मत करो. वरना मैं अपनी जान दे दूँगी। तुम तो मुझसे शादी करना चाहते थे ।पर आँटी तो मुझसे नफ़रत करती हैं। क्या करती,कब तक तुम्हारा इंतज़ार करती।
मुझे लगा विक्की मेरा बढ़िया जीवनसाथी बन सकता है।पर तुम्हारे कारण वो भी मुझे छोड़ गया।अब मैं क्या करूँ.?कहाँ जाऊँ.? पारुल फोन पे रोने लगी।
मुझसे ज्यादा बड़ी गलती हो गई मयंक.! प्लीज़ मुझे क्षमा कर दो। पारुल ने नया दाँव खेलना शुरुआत कर दिया। मयंक मैंने हमेशा तुम्हारी खुशियाँ चाही हैं।
कल गुस्से में तुम्हें न जाने क्या-क्या कह गई मयंक सॉरी यार.गलती हो गई। अच्छा-अच्छा रोना बंद करो।
पहले तुम चुप हो जाओ पारुल। हमइसे बारे में मिलकर बात करते हैं मयंक नरम सुर में बोला।ओह मयंक.! मेरी बात समझने के लिए थैंक्स।
मयंक काम ज्यादा होने के कारण रात ऑफिस में ही रुक जाता है।प्रोजेक्ट का काम आज ही खतम करना है,तो मौसी जी मैं घर नहीं आऊँगा।
संध्या बोलने लगी ये बात मयंक को बताने के लिए संध्कर देती हैं। दीदी आपने मयंक को क्यों नहीं बताने दिया.? अरे छोटी जरा सोच वो अचानक मुझे बोलते देखेगा तो कितना खुश हो जाएगा।
हाँ ये बात तो सही कही दीदी.! संध्या अपनी बहन को पारुल की सभी सच्चाई बता देती हैं। ओह दीदी ये पारुल तो बड़ी चालाक निकली।
हाँ छोटी.! उस लड़की मेरी भोली-भाली बहू शिल्पा की हँसती-खेलती ज़िंदगी में आग लगा दी। मैं लाचार पड़ी सभी देखती रही, मुझे भी तभी अपाहिज होना था।
काश मयंक ने पहले ही मेरी बात मान ली होती तो आज ये दिन नहींदेख्ना पड़ता।
पर अब ज्यादा हुआ.अब मयंक को उसकी गलती बतानी होगी। शिल्पा को दोबारा से उसकी जगह, उसका खोया सम्मान पुनः दिलाना होगा। मुझे मेरी बहू और पोता दोनों पुनः चाहिए।
रीता को दवा लेकर आती देख,संध्या चुप हो जाती है।अब आप आराम करिए,आपने आज ज्यादा बात कर ली। आज खुशी के मारे चलने की प्रेक्टिस करना भूल गई।
थैंक्स रीता बेटा.! आपने मेरे लिए ज्यादा मेहनत की,एक बेटी की तरह देखभाल की।बेटी भी कहतीं हैं और "आप" भी.? मुझे "तुम" कहिए आँटी बड़ी है आप।
बस अब सो जाइए सुबह बात करेंगे."गुड नाईट"रीता संध्या को दवा देकर सुला देती है। मौसी जी चलती हूँ सुबह आऊँगी. कहकर रीता घर चली गई।
, मना , में घर बना लिया।), : मयंक और उसकी टीम देर रात तक प्रोजेक्ट पर काम करती रही। अंततः काम ख़त्म हो ही गया।
"पहले पापा दोबारा मम्मी की तबियत के कारणइसे प्रोजेक्ट पूरा होने में इतना टाइमलग गया।"
" आशुतोष जी यदि ये आज खतम नहीं होता तो ये डील कैंसल हो जाती।"
"यह पापा का ड्रीम प्रोजेक्ट था।इस पर उन्होंने ज्यादा मेहनत की थी। चलिए. आप सभी आराम कर लीजिए। मैं भी थोड़ा सो लेता हूँ।
मयंक की परेशानी दूर हुई तो दूसरी पांव पसारे खड़ी थी। दूसरे भी मयंक पारुल से नहीं मिल पाया।
प्रोजेक्ट के सिलसिले में, मयंक मुंबई की पार्टी के संग मीटिंग में व्यस्त रहा।
पारुल के बार-बार फोन करके मयंक को मिलने के लिए तंग कर रही थी।इस वजह से मयंक ने मोबाइल फ्लाइट मोड पर कर देता है।
शाम को घर लौटते वक़्त.आज पारुल से मिल ही लेता हूँ।वो पारुल को फोन उठाता है,पर उधर से जो कुछ सुना,वो सुनकर उसके होश उड़ गए।
हेलो आप कौन.? ये तो पारुल का नंबर है ना.? हाँ जी ये पारुल का ही नंबर है।मैं डॉक्टर आनंद बोल रहा हूँ।पारुल मेरे हॉस्पिटलअभी तो फिलहाल ठीक है उन्होनें स्लीपिंग पिल्स खाकर आत्महत्या का प्रयास किया था।
क्या.?पर क्यों.? वह आप उनसे ही पूछ लीजिए। मयंक सीधा हॉस्पिटल पहुँच गया। पारुल तुम ठीक तो हो ना.? ये आत्महत्या, स्लीपिंग पिल्स ये सभी क्या है.?
सर मुझे लगा मैम सो रही है। मैं अपना काम ख़त्म करके मैम को जाने की परमीशन लेने के लिए आई।
मैम कुछ बोली नहीं तो मैंने मैम को छुआ,मैम बेहोशी की हालत में नीचे गिर गई। मैंने जल्दी एंबुलेंस को फोन किया उनको हॉस्पिटल ले आई।
यहाँ आकर पता चला कि उन्होंने नींद की गोलियां खा ली थी।पारुल की मेड लीला ने मयंक से कहा,मैम किसी बात को लेकर ज्यादा दुखी थी।अब मैं चलती हूँ मैम,कल रात से यहीं हूँ।
दोनों ने आँखों ही आँखों में कुछ इशारा किया। मयंक सर मैं जाना तो नहीं चाहती,पर मेरी बेटी को बुखार आ गया है तो दो-तीन दिन नहीं आ पाऊँगी।
आप मैम को संभाल लेंगे सर.?हाँ मैं सभी सँभाल लूँगा तुम जाओ अपनी बच्ची को देखो। शुक्रिया सर. लीला वहाँ से चली गई।
यह सभी क्या है पारुल.? मयंक मैं ज्यादा अकेली हो गई हूँ। कोई नहीं है मेरा.अब मैं जीना नहीं चाहती।
पर दोबारा भी तुम मुझे अनदेखा कर रहे हो। मैंने तुमसे अपनी गलती की माफ़ी भी माँग ली.पर कोई फायदा नहीं हुआ। कहते हुए पारुल रोने लगी।
तुम तो न मिलना चाहते हो ,ना ही मुझसे शादी करना चाहते हो। तुम्हारे कारण विक्की मुझे छोड़ गया। मैं ज्यादा तन्हा महसूस कर रही हूँ।
ऐसी ज़िंदगी जीने से तो मरना बेहतर है।अब बस भी करो पारुल,जो हुआ उसे बुरा सपना समझकर भूल जाओ।हमइसे बारे में बातनहीं मयंक अब बात करने का टाइमनिकल गया।अब तो मुझे हाँ,ना में जवाब चाहिए।तुम मुझसे शादी करोगे या नहीं.?
पारुल मैंने कहा न हमइसे बारे में बात करेंगें.पर अभी तुम आराम करो।तभी डॉक्टर आकर कहता है,अब पारुल ठीक है,आपउन्को घर ले जाइए।
जी शुक्रिया डॉ आनंद. पारुल मैं डिस्चार्ज के पेपर तैयार करवाता हूँ। मयंक डॉ आनंद को पारुल के पास छोड़कर चला गया।
धन्यवाद आनंद तुमने मेरीएक मदद तो कर दी मुस्कुराते हुए पारुल बोली।बसएक और करदो.उस बेवकूफ से ये और कहदो कि मुझे तन्हा न छोड़े।
वो तो मैं कह दूँगा.पर मेरी फीस बेशर्मी से हँसते हुए डॉक्टर ने कहा। पारुल ने तकिए के नीचे से दो नोटों की गड्डिया आनंद को पकड़ा दी।
पारुल ये इतना बड़ा इमोशनल फूल है, तुमने आत्महत्या का बहाना क्यों चुना.? कोई और भी तरीका आजमा सकती थी।
हम्म आजमा सकती थी,पर इसके घर तक पहुँचने का ये आसान तरीका है।अब ये शादी करे न करे पर मुझे घर जरूर ले जाएगा।
तब-तक मयंक भी आ जाता है। चलें पारुल.? हम्म चलो।
मिस्टर मयंक पारुल का विशेष ध्यान रखना। इन्हें तन्हा मत छोड़ना, वरना डिप्रेशन में जा सकती हैं।
जी डॉक्टर मैं पारुल का अच्छे से ध्यान रखूँगा। मयंक पारुल को उसके घर ले आया।कब कौनसी दवा लेनी है वो पारुल को समझाने लगा।
छोड़ो मयंक.! मुझे कोई दवा नहीं लेना। कैसी बात कर रही हो पारुल.? क्यों नहीं दवा लेना.? ठीक कैसे होगी तुम.? बच्चों जैसी बातें मत करो।
मयंक तुम भी यहीं रुक जाओ ना.? या मुझे अपने घर ले चलो। मैं कभी नहीं रहना चाहती।पारुल तुम चिंता मत करो। मैं जल्द ही तुम्हें अपने घर ले जाने की व्यवस्था करता हूँ पर पहले मम्मी सेएक बार बात तो कर लूँ.?अब गुड गर्ल की तरह आराम करो।
मयंक पारुल को समझा-बुझाकर घर छोड़कर, अपने घर के लिए निकल गया।
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यह मयंक हमेशा आँटी का चिपकू बना रहेगा। पहले मेरी शिल्पा,मेरी शिल्पा करता था, अब माँ-माँ करता है,सारी मेहनत पर पानी फेर दिया।
मयंक को घर पहुँचने में देर हो गई थी। संध्या और मौसी सो चुके थे। मयंक को ज्यादा भूख लग रही थी। उसने फ्रिज खोली तो उसमें रसमलाई रखी थी।
वाह रसमलाई.! जरूर शिल्पा लाई होगी.? जाकर देखता हूँ। थोड़ा आगे बढ़ा ही था कि ठिठक कर रुक गया।
शिल्पा को तो मैंने ही अपनी ज़िंदगी से निकाल फैंका। तो अब क्यों उसके बारे में इतना सोच रहा हूँ।
मयंक की भूख मर गई,फ्रिज से पानी की बोतल लेकर वो कमरे में सोने चला गया।
प्रोजेक्ट और पारुल ने मयंक को ज्यादा थका दिया था। सुबह संध्या मयंक को जगाने के लिए उनके कमरे में आती हैं।
कमरे की हालत देखकरउन्को रोना आ जाता है। मयंक शिल्पा के जाने के पश्चात किसी को भी अपने कमरे में नहीं जाने देता था।
क्या हालत हो गई कमरे की, और मेरे बेटे मयंक की संध्या मन ही मन सोचने लगी।
मयंक उठ जा बेटा.! ऑफिस के लिए देर हो रही है।मयंक के बालों में उंगलियां घुमाते हुए संध्या बोली।
हम्म् मम्मी सोने दो ना. ज्यादा नींद आ रही है। दोबारा अचानक से चौंक कर उठता है।माँ.!! मुझे अभी ऐसा लगा जैसे आपने कुछ कहा.? मयंक आश्चर्य से बोला।
हाँ तूने सही सुना है बेटा.! मैंने ही तुझे आवाज दी थी।माँ आप बोलने लगी.? ओह मम्मी !!यमें सिर रखकर लेट गया मयंक।
माँ आज कितने दिनों के पश्चात मेरे दिल को सुकून मिला। आपकी आवाज सुनने को तरह गया था।
पर ये अचानक कैसे.? तेरे पापा बनने की खुशी में मयंक. संध्या बोली।
मैं पापा!! मैं कुछ समझा नहीं माँ.? साफ-साफ कहिए।तू पापा बन गया है, और मैं दादी.पर मेरी बदनसीबी देखो. मैं अपने पोते को देख भी नहीं सकती।
संध्या बताती है शिल्पा ने बेटे को जन्म दिया है।माँ मुझे उसके विषय में कोई बात नहीं सुननी है।
सुननी पड़ेगी बेटा!! यदि आज तूने मेरी बात नहीं सुनी तो सारी ज़िंदगी पछताएगा।
माँ आपको अभी भी शिल्पा की इतनी फिक्र है.? उसनेएक बार भी आपके या मेरे बारे में सोचा।उसे तो बस मम्मी के घर जाने का बहाना चाहिए था।
शादी मुझसे की,पर प्रेम तो वह सिर्फ राघव से ही करती थी।माँ वो उससे ही मिलने वहाँ जाती थी। मैंने उसे मना किया था।वो मम्मी के इधर नहीं जाएगी।
मेरे मुंबई जाते ही उसे मौका मिल गया।माँ आप ज्यादा भोली हो. "मयंक मेरी बात सुन पहले" नहीं मम्मी आप पहले मेरी बात सुनो।
मैं मुंबई से लौटा. सीधे गाजियाबाद पहुँचा।वो वहाँ मम्मी से नहीं राघव से मिलने गई थी। शिल्पा को मैंने राघव के कमरे में देखा।
और तो और वो उसे इधर तक संग ले आई। मुझे तो घिन आती है शिल्पा से,आप कहती हो मैं पापा बन गया। नहीं मैं नहीं मानता, मुझे शिल्पा पर कतई भरोसा नहीं।
मयंक.!!!बस कर अब शिल्पा के बारे मेंएक और शब्द कहाँ,तो तू मेरा मरा मुंँह देखेगा।माँ इतना सभी सुनकर आप मुझ पर गुस्सा हो रही हैं।
हाँ हो रही हूँ गुस्सा.! तुझे कहा था मैंने पारुल से दूर रह।पर तूने मेरीएक नहीं सुनी।तू शिल्पा पर इल्जाम लगा रहा है।उस मासूम , बच्ची के बारे में कुछ बोल रहा है।
तो सुन उस दिन क्या हुआ था। संध्या मयंक को सारी बातें बता देती है। क्या.? तुम सच कह रही हो माँ.?
हाँ सच कह रही हूँ. पारुल जिस दिनइसे घर में आई थी। मैंने तुझे आगाह किया था, इससे दूर रह पर तूने मेरीएक नहीं सुनी। तेरे पिता भी दिन-रात इसी चिंता में डूबे रहते थे।
पारुल ने मेरा घर बर्बाद कर दिया मयंक। मैं उसकी शक्ल भी नहींदेख्ना चाहती हूँ।
मयंक सारी सच्चाई सुनकर सदमे में आ गया।यह मैंने क्या कर दिया माँ.!! बिलखते हुए मयंक बोला। मेरी मति मारी गई थी माँ, मुझे शिल्पा कर ऐसे अविश्वास नहीं करना चाहिए था।
यह क्या हो गया मुझसे.? मैंने उस मासूम को कितना भला-बुरा कह डाला। मैंने स्वयं इन हाथों से अपना घर जला डाला।
पर माँ.? शिल्पा ने मुझे क्यों नहीं बताया कि वो मम्मी बनने वाली है.?
कैसे बताती.तू उसका विश्वास करता.?कभी नहीं करता। तू तोइसे कदर पारुल के रंग में रंगा हुआ था। शिल्पा तुझे ये सच बताती तो तू अपने बच्चे को ही नाजायज ठहरा देता था।
शायद यही वजह रही होगी,जो उसने तुझे ये सच नहीं बताया।कितनी खुश थी वो,इसलिये मम्मी के पास रुकी नहीं।
वो तुझे ये खबर सुनाने के लिए बेताब थी।इसलिये सुबह-सुबह जतिन जी और राघव हमें इधर छोड़ने चले आए थे।
पर अब तो कुछ बचा ही नहीं।सब ख़त्म हो गया। मयंक तूने सही नहीं किया।वो पारुल सिर्फ और सिर्फ तेरे पैसों से प्रेम करती है, तुझसे नही।
मयंक शिल्पा का सच सुनकर होश खो बैठा। और संध्या की गोद में सिर रखकर रोने लगा।
माँ अब क्या होगा। मैं अपने बच्चे कोदेख्ना चाहता हूँ।उसे गोद में लेना चाहता हूँ।पर कैसे.?किस मुँह से शिल्पा के सामने जाऊँ।अब तो हमारे बीच कोई रिश्ता भी नहीं रह गया है।, वह ठीक तो है ना.? जी , please read next part),e : पारुल ने मेरी ज़िंदगी बर्बाद कर दी।यह जो कुछ भी हुआ माँ, इसमें मेरी ही गलती थी।
मैं शिल्पा को ज्यादा अच्छे से समझता था। पारुल के कहे में आकर भोली-भाली शिल्पा पर शक कर बैठा।
मैंने ही पारुल को ज्यादा ज्यादा छूट दे दी थी। तभी उसकी हिम्मत बढ़ी कि वह मुझसे ही मेरी शिल्पा की बुराई कर सके। सही कहती है पारुल.मेरा घर मेरे कारण टूटा,मैं ही जिम्मेदार हूँ।
बस कर, शांत हो जा बेटा.अब जो हो गया उसे कैसे ठीक करें,यह सोचो.?
मुझे मेरी बहू और पोता दोनों चाहिए।हम वहाँ जाएंगे,उन लोगों से मुझे भी माफी मांगनी पड़ी तो मैं माँग लूँगी। पर मैं अब शिल्पा के बगैर नहीं रह सकती।
क्या मुँह लेकर वहाँ जाऊँगा माँ.!वो लोग मुझे कभी क्षमा नहीं करेंगे। मैं शिल्पा का सामना नहीं कर सकता।
तो मुझे ले चल, मैं बात करूँगी। कोशिश तो करनी पड़ेगी, दोबारा उपरि वाले की मर्जी।
ठीक है मम्मी जैसी तेरी मर्जी.अभी दो-तीन ऑफिस में ज्यादा काम है, काम खतम होते मैं आपको वहाँ जरूर ले चलूँगा।
जैसी तेरी मर्जी बेटा.दो दिन पश्चात तो तेरा जन्मदिन भी आ रहा है।संध्या उठकर अपने कमरे में आराम करने चली जाती हैं।
मयंक सोच में डूबा हुआ था। कैसे वो और शिल्पा बच्चों को लेकर आपस में लड़ जाते थे।
मयंक जब हमारे शिल्पा आज़ तुम ये कैसी बातें लेकर बैठ गई.?
बोलो न मयंक.?
अच्छा जरा सोचने तो दो.?हम्म हाँ मैं अपनी बेटी का नाम
वंशिका रखूँगा। और बेटे का.? उसके लिए कोई नाम नहीं सोचा।
देखो शिल्पा जब बच्चे होंगे तो नाम भी रख लेंगे। बेटी होगी तो मुझे तुम्हारे साथ-साथ उसका भी प्रेम मिलेगा। बेटियाँ पापा की जान होती है।
बेटा तो मम्मी का लाडला होता है।तब तुम मुझसे ज्यादा उससे प्रेम करोगी। ओह ये बात.?आप अभी से मेरे बेटे से जलने लगे।
देखो चिढ़ गई.? मैं सच ही तो कह रहा था। मयंक!! बेटा चल नाश्ता करले। मौसी की बात सुनकर मयंक चौंक गया।
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शिल्पा कितने दूर हो गए हैं हम, जब बच्चे नहीं थे.?तब तुम उनके नाम के लिए इतना सोचती थी। बच्चों की तरह रूठ जाती थीं।
आज़ जब हमारा बेटाइसे दुनिया में आ चुका है।तो हमारे बीच इतनी दूरियाँ आ गई कि मैं उसका नाम रखना तो दूर उसका चेहरा भी न देख सका।
उफ़ ये मैं क्या कर बैठा। पारुल मेरा घर तोड़कर तुमने बढ़िया नहीं किया।
पारुल नेएक बड़े रिसॉर्ट में मयंक की बर्थ डे पार्टी रखती है। उसने वहाँ अपने सभी कॉलेज फ्रेंड और अपने पापा को भी बुलाया था।
मयंक तुम मुझसे कितना भी दूर भागते रहे हो।परइसे पार्टी में तुम्हें मुझ से सगाई करनी पड़ेगी।
मैंने पापा को इसीलिए बुलाया है। वो हमारी चट मंगनी पट शादी कर देंगे। दोबारा देखती हूँ तुम्हारी अकड़।
मयंक भी बर्थ डे पार्टी में शामिल होने के लिए निकल जाता है। पारुल ये तुम्हारे संग मेरी ज़िंदगी की आखिरी पार्टी होगी।आज , तुम्हें पता चलेगा किसी की ज़िंदगी तबाह करने की सजा क्या है।
मयंक बर्थ डे पार्टी में पारुल को खूब खरी-खोटी सुनाता है। तुम्हारे झूठ में फसकर,तुम्हारी बात सच मानकर शिल्पा के संग ज्यादा ग़लत किया। मुझे तुम पर भरोसा नहीं करना चाहिए था।
यह क्या कह रहे हो मयंक तुम्हें मुझ पर भरोसा नहीं है मैं तुम्हारा बुरा चाहूँगी.? तुम ऐसा कैसे सोच सकते हो.? अरे आँटी कुछ भी कह रही हैं।
तुम उनकी किसी बात का भरोसा मत करो.?वह सिर्फ शिल्पा के बेटे को अपना पोता समझ बैठी हैं और कोई बात नहीं है।
उन्हें सिर्फ पोते का लालच में है।इसके उन्होंने शिल्पा को लेकर चाल चलनी शुरुआत कर दी। शिल्पा तुम्हारे लायक नहीं थी मयंक!!यह आँटी की चाल है।
"माँ के लिए कुछ मत कहो पारुल" कमाल है यार. कोई मम्मी को लेकर इतना अँधा हो सकता है।तुम्हारी मम्मी अपने मतलब के लिए इतना नीचे कैसे गिर सकती है.?
पारुल.!!तडाक. पारुल के गाल परएक जोर का थप्पड़ पड़ा। मैं मम्मी के खिलाफएक शब्द नहीं सुन सकता।
दूर हो जाओ मेरी ज़िंदगी से, दोबारा कभी-भी अपनी शक्ल नहीं दिखाना।
मुझ पर हाथ उठाने तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई।आप कुछ नहीं बोलेंगे पापा.?इस दो कोड़ी के इंसान ने आपकी बेटी पर हाथ उठाया।
जय,नेहा,राहुल तुम सभी भी चुपचाप खड़े तमाशा देख रहे हो।
हम क्या बोले पारुल.?तू आज हम सबकी नजरों से गिर चुकी है।हँसी-मजाकएक अलग बात है,पर किसी की जिंदगी तबाह करने में हम तेरे संग नहीं।
सॉरी मयंक पिछली पार्टी में जो कुछ भी हुआ था।वो हमने इसके कहने पर मजाक किया था।आज जब हमें ये पता चला,तेरा घर टूटने का कारण ये पारुल है।तो इसकेइसे कृत्य में हम भी स्वयं को कहीं न कहीं दोषी समझ रहे हैं। हमें माफ कर देना मयंक. मयंक के कॉलेज के सभी मित्र वहाँ से चले गए।
पारुल के पापा भी अपनी बेटी की करतूतों के लिए मयंक से माफी माँगने लगे।
पारुल अब अपना सामान समेटो, और मुंबई चलने की तैयारी करो।यह मेरे ही गलत लाड़-प्यार का नतीजा है जो आज तुमइसे कदर गिर चुकी हो।
एक बिन मम्मी की बच्ची को मैंने दुनिया की हर ख़ुशी दी, सिवाए संस्कारों के,अब तुम वही करोगी जो मैं चाहूँगा समझी।
मैं मुंबई नहीं जाऊँगी पापा.आप जो चाहें कर लो।हाँ वही तो करने जा रहा हूँ।अब इधर का कारोबार तुम्हारे चाचा संभालेंगे।
तुम्हें इधर रहना है रहो.?पर तुम्हें घर सेएक फूटी कौड़ी नहीं मिलेगी ये बात गाँठ बाँध लेना।
पारुल समझ गई,अब इधर उसकी दाल नहीं गलने वाली। मयंक को भी सारी सच्चाई पता चल चुकी है।
अब इधर टाइमबर्बाद करने से कोई फायदा नहीं, वह गुस्से में पांव पटकती हुई वहाँ से चली गई।
शिल्पा अस्पताल से घर आ गई थी।समय अपनी रफ्तार से चल रहा था। मयंक शिल्पा के पास जाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था।
शिल्पा के चाचा भी अमेरिका से आ जाते हैं। सुबह-सुबह डोरबेल की आवाज से शिल्पा आकर दरवाज़ा खोलती है। अरे चाचू आप.!आप तो अगले हफ्ते आने वाले थे।
हम्म झूठ बोला था मैंने. नितिन मुस्कुराते हुए बोला। मैं तो अपने नाती से मिलने के लिए इतना बेताब था। मैंने अपनी छुट्टियों की डेट बदलवा ली।
कहाँ है छोटू.? चाचू अंदर झूले में है,जाग रहा है। तभी मम्मी की आवाज आती है। शिल्पा इतनी सुबह-सुबह किससे बात कर रमाँ आप आकर देख लो. कोई आपसे और पापा से मिलने आया है। चाचू मैं आपके लिए चाय बनाती हूँ.आप पापा और मम्मी को सरप्राइज देते रहो. शिल्पा मुस्कुराते हुए चाय बनाने चली गई।
नितिन पीठ करके खड़ा हो जाता है।जी कहिए क्या काम है.?इतनी सुबह-सुबह आने की वजह.? जतिन ने पूछा। जी आपसे मिलना चाहता था. नितिन ने पलटते हुए कहा।
नितिन.!! जी भैया मैं. नितिन भाई-भाभी के पांव छूकर आशीर्वाद लेता है।पर तुम्हें तो दस दिन पश्चात पहुँचना था.?इतनी जल्दी क्यों.?
भैया वो सुनयना के पापा की तबियत ठीक नहीं थी।तो सोचा अभी चलते हैं, सुनयना भी अपने पापा से मिल लेंगी।
शिल्पा को भी ट्रैवलिंग के टाइमबच्चे को संग ले जाने में आसानी होगी। वाह चाची भी आईं हैं. शिल्पा चाय लेकर आ जाती है।
हाँ परसों इधर आ जाएगी। दोबारा हम शिल्पा को लेकर इधर से चले जाएंगे।
पर अभी जाना ज्यादा जल्दी नहीं हो जाएगा नितिन.?बच्चा ज्यादा छोटा है अभी. रेवती चिंता करने लगी। भाभी आप खामखां चिंता कर रही हो।
बच्चों की डॉक्टर संग में जा रही है दोबारा कैसी चिंता.?हाँ रेवती. नितिन सही तो कह रहा है। सुनयना के होते हुए हमें कैसी चिंता.?सब बढ़िया होगा।
शिल्पा बेटा क्या-क्या सामान चाहिए लिस्ट तैयार करलो।हम तुम्हारे जाने की तैयारियाँ करते हैं।
उसकी कोई जरूरत नही है भैया. मेरे होते हुए शिल्पा को कभी कोई कमी नहीं होगी। आप तो जानते ही हो सुनयना शिल्पा से कितना प्रेम करती है।
जानते हैं नितिनइसलिये तो शिल्पा को तुम्हारे संग भेजने को तैयार हैं। सुनयना ने हमेशाएक बेटी की तरह शिल्पा से प्रेम , किया।
भगवान भी अच्छे लोगों को दुख देता है। इतने ममता भरे दिल वाली सुनयना. ममता के सुख से वंचित रह गई।
छोड़ो भैया मैंने तोइसे विषय में सोचना ही बंद कर दिया। मैं नहीं चाहता. मेरे कारण कभी सुनयना को अपनी कमी का अहसास हो।
मयंक अपनी हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था, इसमें और तीन-चार दिन निकल गए। और कितने दिन हमें इंतज़ार करना पड़ेगा।
मैं अपने पोते और शिल्पा से मिलने के लिए ज्यादा बैचेन हो रही हूँ । तुझे टाइमनहीं है तो छोटी को लेकर चली जाऊँ।
नहीं माँ.!बस दो-तीन और दोबारा हम चलेंगे और मौसी को भी संग ले चलेंगे।
जैसी तेरी मर्जी.तू कभी मेरी बात नहीं सुनता। हमेशा ही अपने मन की करता हैइसलिये तो दुखी रहता है।
माँ आप ऐसा क्यों कह रही हो.? ठीक है बाबा.कल सुबह चलते हैं।अब खुश.आप भी न मुझे परेशान करने के बहाने ढूँढती रहती हो।
सुबह मयंक मम्मी और मौसी को लेकर गाजियाबाद पहुँच गया। जतिन और रेवती इन लोगों को देखकर चौंक जाते हैं।
आप लोग यहाँ.?यूँ अचानक आने का क्या मतलब है.?
जतिन थोड़ा रूखी आवाज में बोले।
जतिन जी हमें मालूम है आप हमसे ज्यादा नाराज़ हैं। मैं भी क्या करती, मेरी लाचारी के कारण, सब-कुछ आपस ऐसे उलझा. सुलझाने का मौका ही नहीं मिला।
मुझे शिल्पा से मिलकर माफी माँगनी है।अगर मैं बोलने में असमर्थ नहीं होती तो आज मेरी बहू और पोते मेरे पास मेरे घर में होता।
ओह समझा.आप लोग शिल्पा से नहीं. उसके बच्चे के लिए इधर आए हो।
नहीं पापा आप ग़लत समझ रहे हो.? मैं शिल्पा से माफी माँगने , हो.?आया हूँ।
पापा नहीं. अब हमारे बीच कोई रिश्ता नहीं है।यह बिना मतलब के रिश्तों में हमें मत बाँधिए।
रेवती बहन आप तो समझिएइसे बात को.जो हुआ भूलकर आगे बढ़ने में भलाई है।
आपने सही कहा संध्या बहन.आगे तो बढ़ना है पर उस सफर में हमें आपके परिवार का संग नहीं चाहिए।
और किस पोते की बात करने आए हैं आप लोग। मेरी इन आँखों के सामने,आपके बेटे ने, मेरी बेटी के दामन पर अपनी गंदी सोच का मिट्टी उड़ेला था।
यह बात न तो मैं कभी भूलूँगा.न ही किसी को भूलने दूँगा।रही बात मिलने की,तो शिल्पा आप लोगों की पहुँच से दूर जा चुकी है।
चलो माँ. मैंने तो पहले ही कहा था।यह लोग मुझे कभी भी क्षमा नहीं करेंगे। संध्या मयंक से लिपटकर रोने लगी। तो रेवती की आँखें भर आईं। : माफ करें वो भी तुम्हें मयंक.?तुमने माफी के लायक कोई काम नहीं किया है मयंक। तुमने तो गुनाह किया है और गुनाह की कोई माफी नहीं होती।
आप सच कह रहे जतिन जी.संध्या बोली।मयंक ने गलती नहीं गुनाह किया है।परएक बार मुझे मेरे पोते से मिल लेने दो।
मैंने कहा न आप लोगों से शिल्पा इधर से जा चुकी है। कहाँ गई है.? वह मैं आपको नहीं बताऊँगा।
जिस दिन मुझे लगेगा अब मयंक को सच में पछतावा है ।उस दिन मैंइसे बारे में कुछ सोचूँगा।
पर अभी आप लोग फिलहाल के लिए हमें तन्हा छोड़ दें. जतिन ने कहा।
चलो माँ.! मैंने तो पहले ही कहा था। मैंने काम ही ऐसा किया है, मुझे माफी कहाँ से मिलेगी।
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