The Rajsharma Sex Story of सैलाब दर्द का (Romance Special)
संध्या रात को पानी पीने के लिए उठी।अरे ये क्या,आज छोटी पानी रखना भूल गई।अब मुझे ही रसोई में जाना होगा।
संध्या कमरे सेबाहर् आती हैं तो देखती हैं।यह क्या मयंक अभी तक जाग रहा है।कमरे में आकर देखती हैं, मयंक लेपटॉप पे बैठा था।
मयंक बेटा.! अभी तक सोए नहीं.? नींद नहीं आ रही थी माँ। सोचा कुछ काम ही कर लूँ। बेटा कब-तक स्वयं को सजा देते रहोगे।
मयंक कुछ नहीं बोलता। संध्या पास में जाकर उसके सिर पर प्रेम से हाथ फेरने लगी।अपनी मम्मी से अपना दर्द कैसे छुपाओगे मयंक।
माँ!!! मयंक के सब्र का बाँध टूट गया।माँ मैं कैसे इतनी बड़ी भूल कर सकता हूँ। शिल्पा मेरे सामने थी। मैं उसे पहचान नहीं पाया।
सही कहते हैं पापा. मैं शिल्पा के लायक नहीं हूँ। यदि होता तो शिल्पा को यूँ न खो बैठता।
मयंक की तड़प बढ़ती जा रही थी।अपने बच्चे से मिलने को लालायित मयंक ने कितने बार जतिन से मिलकर का पता जानने की कोशिश की थी।
हर बार उसे नाकामयाबी का मुँहदेख्ना पड़ा था।जतिन का बसएक ही जवाब होता था।
जिस तरह तुमने बिना कुछ सोचे-समझे शिल्पा को तलाक का दर्द दिया। उसकी सजा तो तुम्हें भुगतनी ही होगी।
शायद अब तुम्हें ये अहसास हो गया होगा।जब किसी से उसकी सबसे प्यारा चीज छीन ली जाती है।तब उसके दिल पर क्या गुजरती है।
तुमने जो चोट दी है उसे,उस घाव का भरना ज्यादा मुश्किल है।वो जहाँ है, सुकून से जी रही है।
मयंक की हर कोशिश नाकामयाब हो गई थी।पर शिल्पा का पता नहीं चला था।अब जब उसनेएक झलक शिल्पा की देखी तो बैचेन हो गया था।
माँ बसएक बार शिल्पा मुझे मिल जाए। मैं उससे माफी माँगकर अपने दिल का बोझ हल्का करना चाहता हूँ।
अब समझ आ रहा है मुझे, कितना तड़पी होगी वो जब मैंने , उसे सफाई का कोई भी मौका दिए बगैर, पारुल के कहे में आकर तलाक दे दिया।
उसकी ज़िंदगी के सबसे खूबसूरत लम्हें,जब वो मम्मी बनने वाली थी।उन खुशी भरे लम्हों में कितनी बार छुप-छुपकर रोई होगी।
मैं ज्यादा बुरा इंसान हूँ मम्मी ज्यादा बुरा।अब बस भी करो मयंक,ऐसे रोकर काम नहीं चलेगा।जो हो गया उसे अब भूल जा।शिल्पा बच्चे के संग जहाँ रहे खुश रहे।
अब तू अपने बारे में भी कुछ सोच बेटा।अब तक अकेले यूँ तड़पता रहेगा।नहीं मम्मी शिल्पा को छोड़कर मैंने ज़िंदगी में ज्यादा बड़ी गलती की है।
अबइसे जन्म में तो, मैं शिल्पा की स्थान किसी को नहीं दे सकता। और आप भी ये बातें करना बंद कर दो।
जैसी तेरी मर्जी बेटा। मैं क्या करूँ.?माँ जो ठहरी। तुझेइसे हालत में देख भी तो नहीं पाती।चल अब ये सभी बंद कर और चुपचाप सो जाओ।
शिल्पा भी इंडिया आने की तैयारी करने लगी थी। चाची मैं जाना तो नहीं चाहती।पर राघव ने मेरे लिए,मेरी फैमिली के लिए ज्यादा परेशानी उठाई है।
हम्म कोई बात नहीं शिल्पा।अब चिंटू इधर आ रहा है तो जब भी तुम्हारा माँ-पापा से मिलने का मन करेगा। हम भैया-भाभी को इधर बुला लिया करेंगे।
शिल्पा नेएक महीने की छुट्टियाँ लेली थी। काफ़ी टाइमपश्चात , लौट रही थी।तो माँ-बाप के संग टाइमबिताना चाहती थी।
हैलो मम्मी मैंने टिकट करवा लिया है।आप पापा को दिल्ली एयरपोर्ट भेज देना।
पापा को ही नहीं मैं भी आ रही हूँ। चार वर्ष पश्चात शिल्पा ने दिल्ली एयरपोर्ट पर कदम रखा तो सीने में जैसे कुछ कसक-सा गया था।
मम्मा इधर हम किसके पास जाएंगे.?वंश ने पूछा। बताया तो बेटा. आपके मामा और नानी-नानू के पास।तो चलो न. मैं ज्यादा थक गया हूँ।
बस बेटा हमारा लगेज आ जाए. दोबारा हम घर चलेंगे। ओके मम्मा।
मयंक शिल्पा की तलाश में पुनः अमेरिका जाने के लिए एयरपोर्ट पहुँच चुका था। उसने शिल्पा की चाची का पता निकाल लिया था।
शिल्पा लगेज लेकरबाहर् जाने के लिए चल पड़ी। शिल्पा जैसे ही गेट सेबाहर् निकली।उसका टकराव मयंक से हो गया।
शिल्पा.! मयंक आश्चर्य से बोला। शिल्पा मयंक को देखते ही घबरा गई। उसने जल्दी वंश को गोद में उठा लिया। और आगे बढ़ गई।
शिल्पा!! शिल्पा मेरी बात तो सुनो। शिल्पा तब-तक जतिन आ जाते हैं। शिल्पा से कहते हैं।तुम गाड़ी में बैठों, मैं सामान लेकर आता हूँ।
, पापा प्लीज मुझे शिल्पा सेएक बार मिल लेने दो।मयंक तुम समझते क्यों नहीं.देखो वो बच्चा अचानक से तुम्हें देखकर डर गया।
मयंक के अचानक रास्ता रोकने से वंश घबरा कर शिल्पा से चिपक गया था। मयंक ये सुनकर ठिठक गया।
जतिन शिल्पा को लेकर निकल गए।अब मयंक के अमेरिका जाने का कोई मतलब नहीं था।वो भी पुनः घर लौट गया।
अरे बेटा तुम पुनः आ गए.?फ्लाइट कैंसल हो गई.? नहीं माँ. शिल्पा यहीं आ गई है।क्या,कहाँ, तुझे कैसे पता चला? मिलकर आ रहा हूँ।
क्या तू मिला उससे.? कैसी है वो और मेरा पोता वो कैसा दिखता है।माँ मेरी कार्बन कॉपी है। मेरी बचपन की तस्वीर और उसकी सूरतएक जैसी है।
मुझे भी मिलना है उससे।पर कैसे मिलना हो पाएगा.? उसने कुछ कहा तुझसे कुछ बात हुई.? नहीं मम्मी वो कुछ नहीं बोली।
चुपचाप चली गई। पापा आए थे उसे लेने, उन्होंने मुझे कुछ बोलने नहीं दिया।
मयंक को यूँ अचानक देख शिल्पा को पुरानी बातें याद आने लगी थी। रह-रहकर उसकी आँखों में नमी तैरने लगती थी।
जतिन गाड़ी चलाते हुए मिरर में शिल्पा को देख लेते थे। मैं तुझेइसे हालत में नहीं देख सकता मेरी बच्ची, कुछ न कुछ तो करना ही होगा.मन में सोचने लगे जतिन।
, शिल्पा इसी सोच-विचार में डूबी कब घर पहुँच गई पता ही नहीं चला।
माँ.! शिल्पा गाड़ी से उतरकर मम्मी के गले लगते हुए रो पड़ी। अरे क्या हुआ तुझे सभी ठीक है.?हाँ मम्मी ये तो खुशी के आँसू हैं।
तब ठीक है मैं तो घबरा गई।वंश.?वो सो रहा है माँ.वो देखो।अभी उसे उठाती हूँ शिल्पा बोली।
नहीं सोने दे थक गया होगा।माँ वंश को जगाने से मना कर देती है। चिंटू उसे संभाल कर उठा, और अंदर बेड पर लिटा दें।
जतिन रेवती को मयंक से शिल्पा की मुलाकात के बारे में बताते हैं। ओहइसलिये शिल्पा रो रही थी।
शिल्पा फ्रेश होकर आ जाती है।माँ ज्यादा भूख लग रही है। आपके हाथ के खाने को ज्यादा मिस किया मैंने,अब जल्दी कुछ खिलाओ।
शाम को राघव भी अंशु के संग शिल्पा से मिलने चला आता है।रात देर तक हँसी-मजाक चलता रहा।
अच्छा अब हम लोग चलते हैं, राघव बोला।कहाँ चलते हैं?इतनी रात को कहाँ जाओगे दोनों आज हमारे संग रुक जाओ। सुबह चले जाना शिल्पा बोली।
मैं तो रुक जाऊँगा। मेरी कौन चिंता करने वाला है.पर अंशु.? मैं फोन कर देती हूँ अंशु की मम्मी को.तब तो रुकोगे। बढ़िया बाबा ठीक है दोनों रुक जाते हैं।
, सुबह-सुबह जतिन को संध्या का फोन आता है।जतिन जीएक बार मुझे मेरे पोते से मिलवा दीजिए। मैं ज्यादा बैचेन हूँ,मुझे शिल्पा से भी मिलना है।
आप विश्वास रखिए हम वंश को कुछ पता नहीं चलने देंगे। संध्या जी ये तो शिल्पा के उपरि है वो मिलना चाहती है या नहीं, मैं पूछकर बताता हूँ।
शिल्पा चाय लेकर आई तो पापा को फोन पर बात करते देख रुक गई थी। उसने सभी सुन लिया था।
वो जतिन से फोन माँग लेती है। हैलो माँजी. वैसे तो मुझे माँजी कहने का भी हक नहीं है। आपको वंश से मिलने से नहीं रोकूँगी।
आपका ख़ून है,आप जब चाहें मिल सकती हैं.परएक शर्त है। आप उससे अपने रिश्ते को सच नही मान बैठना।वो सिर्फ मेरा बेटा है।
शिल्पा फोन काटकर जतिन को पकड़ा गई। शिल्पा केइसे तरह भावशून्य चेहरे को देख जतिन दंग रह गए।
अब मुझे विश्वास हो गया। शिल्पा जो फैसला लेगी बहुत
सोच-समझकर लेगी। जतिन शिल्पा पर गर्व करने लगते हैं।
संध्या और मयंक तीन बजे के करीब वंश से मिलने पहुँच जाते हैं। करीब दो घंटे तक वंश के संग खेलने के पश्चात वो लोग जाने लगते हैं।
मयंक रेवती से कहता है।माँ प्लीजएक बार मुझे शिल्पा से मिल लेने दो। शिल्पा जो कहेगी मैं वो सभी करूँगा,परएक , मौका दे दीजिए।
ठीक है मैं शिल्पा से बात करूँगी रेवती मयंक की बातों से भावुक हो गईं। शिल्पा घर पर नहीं रुकी थी।वो अंशु के संग शॉपिंग के लिए चली गई थी।
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रात को वंश के सोने के पश्चात रेवती शिल्पा को सारी सच बता देती हैं। कैसे मयंक चार वर्ष से पागलों की तरह उसे ढूँढता दोबारा रहा है।
वो तुझसे मिलना चाहता है बेटा। मैं नहीं कह रही तू उसे माफ कर दे,परएक बार मिलने में कोई बुराई नहीं है। अंशु बता रही थी। मयंक बदल गया है।
मयंक ने ऑफिस में भी सबसे बात करना छोड़ दिया। जितना काम उतना ही बोलता है।हँसते हुए तो उसे आज दिन तक कोई नहीं देखा।
जतिन भी आ जाते हैं वो भी शिल्पा से कहते हैं।एक बार मिलकर सारा किस्सा ही खतम कर दे। बार-बार क्यों इन बातों को जन्म देना।
शिल्पा और मयंक की मीटिंग फिक्स हो जाती है। संध्या की इच्छा थी, शिल्पा घर पर आए और संग में वंश को भी ले आए।
जतिन ने शिल्पा के संग रेवती को भी भेज दिया।तुम संग जाओ रेवती, मैं शिल्पा को अकेले नहीं भेज सकता हूँ।
दोपहर बारह बजे के करीब शिल्पा मम्मी और वंश के संग घर पहुँच गई। संध्या बेसब्री से इंतज़ार कर रही थी।
,एक मिनट शिल्पा वही रुक जाओ।क्यों.? रेवती ने आश्चर्य से पूछा।उन्को लगा शायद संध्या उनका अपमान करना चाहती हैं।
अरे कुछ नहीं बहन,वंश पहली बार घर में कदम रख रहा है तो बस उसकी आरती उतारने के लिए रोक रही थी।
संध्या वंश और शिल्पा की आरती उतारने लगी।मम्मा आराधना तो भगवान की होती है दोबारा ये हमारी आराधना क्यों कर रही हैं।
बेटा आप पहली बार इधर आए हो इसलिए। बढ़िया दोबारा नानी ने मेरी आराधना क्यों नहीं की.?वंश मासूमियत से बोला।
वो में खुशी के मारे भूल गई।हम पुनः जाएंगे तो ऐसे ही आपको अंदर ले जाएंगे।
आओ अंदर आओ. शिल्पा ने अंदर पांव बढ़ाया। दिल जोर से धड़कने लगा।जी करा भाग जाए इधर से। मयंक की कही बातें कानों में गूँजने लगी।
संध्या ने शिल्पा के मन के भावों को पढ़ लिया।आ बेटा मम्मी का घर समझ के अंदर आजा।हाथ पकड़कर शिल्पा को अंदर ले आई।
घर में कदम रखते ही घर की हरएक चीज शिल्पा को पुराने लम्हों की यादें दिलाने लगी ।
मयंक के संग हुए16 लम्हे, याद आने लगे ।फिर पारुल और मयंक की कही हुई वह घिनौनी बातें जो उसके दिल को चीर गई थी।
वही बातें चारों तरफ गूँजने लगी शिल्पा अपने कानों पर हाथ रख लेती है,अचानक उसके मुंह से निकल जाता बस करो मयंक मैं अब और नहीं सुन सकती।
यह सुनते ही संध्या जी बोली, क्या हुआ बेटा.? क्या कह रही हो.? शिल्पा संध्या की आवाज सुनकर अपने ख्यालों सेबाहर् आती।
कुछ नहीं माँजी,बस कुछ याद आ गया था। समझ सकती हो बेटाइसे टाइमतेरी मनोदशा क्या है ।
संध्या और रेवती मौसी सभी बातों में व्यस्त हो जाते हैं। कुछ नमी तो कुछ पुरानी यादें साँझा करने लग जाते हैं। मयंक ने मौसी परेशान न हों। घर में खाना बनाने के लिए कुक लगा रखा था।
वही घर के और भी काम कर दिया करता था। मौसी उसे आवाज लगातीं हैं। राजेश बेटा.! सबके लिए चाय नाश्ता लेकर आओ।
जी मौसी जी अभी लाया, राजेश सबके चाय-नाश्ते की व्यवस्था करने लगा। मुझसे तो अब कुछ काम होता नहीं है।छोटी भी अब उतना कर नहीं पाती।के लिए घर में राजेश को रख लिया। ज्यादा बढ़िया लड़का है। सारा काम संभाल लिया है।
यह तो अच्छी बात है, वैसे भी अब आप लोगों की उम्र कहाँ है काम करने की। आप लोग तो अब बस आराम कीजिए, शिल्पा बोली।
हाँ बेटा आराम ही तो कर रहे हैं, पर अब ज़िंदगी में सुकून कहाँ,वो सभी तो तेरे संग ही चला गया। शिल्पा ये सुनकर कुछ नहीं बोली। और बोलती भी क्या?जो कुछ हुआ, और क्यों,वो सभी संध्या भी जानती थी।
मम्मा मुझे इधर पर बोर हो रहा है। वंश शिल्पा से लिपटते हुए बोला। मुझे मामा के पास जाना है। चलो न मामा के पास, इधर मेरे संग खेलने वाला कोई भी नहीं है।
मैं हूँ ना बेटा. चलो हम दोनों खेलते हैं मयंक बोला। नहीं मुझे आपके संग नहीं खेलना है। मुझे मामा के पास जाना है।बेटा ऐसे जिद नहीं करते हैं,सब लोग कहेंगे वंश कितना बैड बॉय है।
हम थोड़ी देर में घर चलते हैं।वंश आपके लिए उस रूम में ज्यादा सारे टॉयज रखे हैं।आप जाकर उन टॉयज के संग खेलो।
मेरे लिए टॉयज.!सच्ची में? हाँ आपके लिए टॉयज, मयंक बोला। वंश जाने लगता है शिल्पा रोक देती है।
वंश ऐसे किसी के कमरे में नहीं जाते।किसी का कहाँ सभी उसका ही है, मयंक बोला। शिल्पा बोली नहीं मयंक. ये गलत है।
वंश बच्चा है, सच से अनजान हैं, ऐसे उसकी आदत खराब होगी। दोबारा वह किसी के भी घर जाएगा तो उनकी चीजें उठाने लगेगा।
अच्छा ठीक है। मैं उसके लिए यहीं मँगा देता हूँ। राजेश!! जरा रूम में जाकर वंश के लिए टॉयज उठा लाओ। जी साहब लेकर आता हूँ।
राजेश जाकर ज्यादा सारे खिलौने उठा लाता है और ड्राइंग रूम में वंश के पास रख देता है। वंहै।
शिल्पा मुझे तुमसे कुछ जरूरी बात करनी है। हाँ कहो ना क्या बात करनी है.?इसलिये तो आई हूँ यहाँ।यहाँ नहीं तुम मेरे संग मेरे कमरे में चलो।
क्यों ऐसी कौन-सी बात है जो तुम इधर नहीं कर सकते हैं?नहीं मैं इधर बात नहीं कर सकता, तुमको मेरे संग कमरे में चलना पड़ेगा।
शिल्पा रेवती को देखती है। रेवती आँख से जाने के लिए इशारा कर देती है।ठीक है चलो शिल्पा मयंक के पीछे-पीछे बेडरूम की तरफ चल देती है।
बेडरूम में कदम रखते ही शिल्पा चौक जाती है। वो जैसा छोड़कर गई थी,वह आज भी वैसे ही था।कमरे की हर चीज वैसे ही करीने से रखी थी जैसे वह रखा करती थी।
शिल्पा सभी कुछ वैसे ही है, जैसा तुम छोड़ गईं थीं।बदली तो हमारी जिंदगी है।
वो भी सिर्फ मेरी गलतियों की वजह से। शिल्पा कुछ नहीं बोली साइड में पड़े सोफे पर बैठ गई। मयंक दरवाजा बंद कर देता है ।
शिल्पा सवालिया निगाहों से मयंक को देखती है। चिंता मत करो. हमारी बातें कोई न सुनेइसलिये मैं बंद कर रहा हूँ।
मयंक अलमारी में से कुछ पेपर्स निकाल कर लेकर आता है मुझे इन पेपर्स पर तुम्हारे हस्ताक्षर चाहिए।
शिल्पा आश्चर्य से देखते हुए पूछती है, क्यों मेरे हस्ताक्षर किसलिए के चाहिए? हमारे बीच अब कौन-सा रिश्ता बचा है.? कहीं तुम वंश की कस्टडी के बारे में तो नहीं सोच रहे हो.?
नहीं शिल्पा मैं ऐसा कुछ भी नहीं करने जा रहा हूँ।पर जो कुछ भी कर रहा हूँ, उससे वंश का भविष्य सुरक्षित रहेगा,उसके लिए तुम्हारे ही साइन तो लगेंगे।
ऐसे कौन-से पेपर है जो मैं ही हस्ताक्षर करूँ.? ये मेरी प्रॉपर्टी के पेपर है,जो मैंने मम्मी और वंश के नाम कर दी है। संग मैं ये पावर ऑफ अटॉर्नी के पेपर हैं जो मैंने तुम्हारे नाम से बनाए हैं।तुम इन पेपर्स को पढ़ लो और हस्ताक्षर कर दो। मयंक तुम मुझे प्रॉपर्टी का लालच दिखाकर क्या साबित करना चाहते हो।
अब मैं अनपढ़ गवार नहीं हूँ।एक पढ़ी-लिखी और अपने पैरों पर खड़ी हूँ। मैं वंश को अपने दम पर पाल सकती हूँ, शिल्पा चिढ़कर बोली।
मुझे गलत मत समझो शिल्पा.! पहले मेरी पूरी बात सुन लो। मैं तुम्हें लालच नहीं दे रहा। मेरी पूरी प्रॉपर्टी पर सिर्फ मेरे बेटे वंश का हक है।
मुझे तो सिर्फ गवाह के तौर पर इन पेपर्स और ये तुम्हारे नाम की पॉवर ऑफ अटॉर्नी पर तुम्हारे हस्ताक्षर के संग तुम्हाराएक वादा चाहिए।
मैं जानता हूँ,तुम आज़ भी मुझसे प्रेम करती हो। मैं ही तुम्हारे लायक नहीं बन सका।
मैं ये नहीं कह रहा,तुम मुझे क्षमा करदो,या पुनः आ जाओ,या वंश मेरा बेटा है, मेरे संग रहे, मैं ये कहने का हक खो चुका हूँ।
पर मैंएक बात अच्छे से जानता हूँ किएक तुम ही हो जो मेरी मम्मी और मेरी प्रापर्टी को संभाल सकती हो। मेरी मम्मी को संभाल लोगी न शिल्पा.?
यह कैसी बहकी-बहकी बातें कर रहे हो मयंक.? मैं क्यों? तुम क्यों नहीं.? तुम क्या ये सभी छोड़ कर कहीं जाने वाले हो.?
क्योंइसे तरह की बातें कर रहे हो.? मेरे पास टाइमज्यादा कम है शिल्पा, मयंक बोला। मैंने तुम्हारे संग जो अन्याय किया उसकी सजा भगवान ने मुझे दे दी है।
मुझे ब्रेन ट्यूमर है!! डॉ. सिन्हा ने कहा है, जितनी जल्दी ऑपरेशन हो जाए बढ़िया है पर बचने के चांसेस है या नहीं वह मेरी किस्मत पर डिपेंड करता है।
मेरे पश्चात मेरी मम्मी को कौन संभालेगा। रिश्तेदार ऐसे हैं जो मम्मी को दुख के अलावा कुछ नहीं देंगे।
इसके लिए पागलों की तरह तो मैं ढूँढता दोबारा रहा था तुम मिल जाओ,तो सब-कुछ तुम्हें सौंपकर,मैं निश्चित होकर मर सकूँ।
मैं नहीं चाहता कि जो प्रॉपर्टी मैंने इतनी मेहनत से बनाई है उसे मेरे रिश्तेदार नोच नोच कर खा जाएं।इस पर सिर्फ मेरे बेटे वंश का हक है।
शिल्पाइसे प्रॉपर्टी को तुम ही संभाल सकती हो। और मेरी मम्मी को भी.माँ को संभाल लोगी ना शिल्पा.?यह वादा चाहता हूँ।
जब तक इधर हो, मुझे मेरे बेटे से मिलने से मना तो नहीं करोगी ना.? कहते-कहते मयंक फूट-फूट कर रोने लगा। शिल्पा तो जैसे जड़ हो गई थी।
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मयंक से नाराज़ जरूर थी।पर प्यार तो अभी-भी मयंक से ही करती थी। मयंक को रोता देख शिल्पा भी फूट-फूट कर रोने लगी।
मयंक मैं तुम्हें कुछ नहीं होने दूँगी। शिल्पा रोते हुए मयंक से लिपट गई। दोनों की आंखों से दर्द का सैलाब बह निकला।
सारे दुख, गिले-शिकवे सब आँसुओं में बह निकले। थोड़ी देर में शिल्पा खुद को सयंत करते हुए बोली। मुझे तुम्हारी मैडिकल रिपोर्ट चाहिए।
मयंक अपनी रिपोर्ट निकालकर शिल्पा को देता है। शिल्पा उनका फोटो खींचकर अपने चाची को भेज देती है।फोन करके सारी बातें भी बता देती है।
चाची मैं आपकी बात से सहमत हूँ।पर इतनी खुदगर्ज भी नहीं हूँ,अब इस परिस्थिति में भी एक बेटे को उसके पिता से दूर करके अपने बेटे की नज़र में दोषी बन जाऊँ।
पहले की बात और थी चाची।तब मैं सही थी,अब जब मयंक को इतनी बड़ी बीमारी हो गई।तो अब वंश से मयंक को दूर करके मैं ग़लत साबित हो जाऊँगी।
तुम चिंता मत करो शिल्पा. मैं यहाँ डॉक्टरों को यह रिपोर्ट दिखाकर उनकी सलाह लेती हूँ। चिंता मत करो. मयंक ठीक हो जाएगा, मैं फोन रखती हूँ।
, काश , मयंक तुम्हारे साथ माँ की दुआएँ साथ हैं,अब तुम्हारे बेटे का प्यार भी। हम तुम्हारा इलाज कराएंगे,देखना तुम जरूर ठीक हो जाओगे।
फिर तुम तुम्हारी माँ के साथ रहना। मैं मेरे बेटे के साथ रहूँगी। नहीं शिल्पा पहले इन पेपर्स पर हस्ताक्षर करके मुझे चिंता मुक्त कर दो।
शिल्पा चुपचाप सारे पेपर्स पर हस्ताक्षर कर देती है। तुम जब चाहो अपने बेटे से मिलने आ सकते हो मयंक। थैंक्स शिल्पा तुमने मुझे समझा।
शिल्पा माँ और मौसी को कुछ मत बताना। मैं उन्हें इतना बड़ा दुःख नहीं देना चाहता।पर मयंक कोई भी फैसला करने से पहले माँ की परमीशन लेनी होगी.?
खैर छोड़ो. चाची का फोन आने दो पहले,अब बाहर चलें.? हम्म चलो। शिल्पा बाहर आकर अपनी मां के साथ चुपचाप बैठ जाती है।
उसके मन में बस एक ही चीज चल रही थी। कैसे भी करके जल्दी से जल्दी मयंक ऑपरेशन कराना है।उसे अब चाची के फोन का इंतजार था।
मयंक वंश के साथ मस्ती करने लगता है। रेवती शिल्पा को विचारों में खोया हुआ देखकर चिंतित हो रही थी। पता नहीं मयंक ने ऐसा क्या कह दिया, जो शिल्पा के चेहरे का रंग उड़ गया है।
रात होने लगी थी। जतिन ऑफिस से सीधे मयंक के यहाँ पहुँच जाते हैं। अरे जतिन आप.?इतनी जल्दी कैसे?आज जल्दी निकल आया।
वंश के बिना मन नहीं लग रहा था। फिर सोचा तुम लोग अकेले रात को टैक्सी में परेशान हो जाओगे। मैं ही जाकर ले आता हूँ।
चलो अब देर मत करो,समय पर घर पहुँच जाएंगे। मयंक अब तो मिल लिए न तुम.?अब रोज-रोज शिल्पा से मिलने या और किसी बहाने से उसे परेशान करने की कोशिश मत करना।
छोड़िए ना पापा इन सब बातों को शिल्पा बोली। माँजी अब आज्ञा दीजिए ,हमें निकलना चाहिए ।वंश के भी सोने का टाइम हो रहा है।
संध्या का मन तो नहीं था कि शिल्पा और वंश वहाँ से जाएं।पर किस हक से रोके, उन्हें रोकने का हक तो बहुत पहले ही खो चुकी थीं।
सभी शिल्पा और वंश के जाने की बात सुनकर मायूस हो गए।शिल्पा ने वंश को गोद में ले लिया मयंक अब हमें चलना , चाहिए।
तुम्हारा जब भी मन करे, तुम वंश से मिलने के लिए आ सकते हो। माँजी आप भी आ जाना साथ में और मौसी को भी ले आना।
जतिन आश्चर्य से शिल्पा का चेहरा देख रहे थे।शिल्पा को क्या हो गया, ऐसा क्यों बोल रही है। रेवती भी बड़े ही चक्कर में थी।
ऐसा मयंक ने शिल्पा से क्या कह दिया। जिसने शिल्पा का मन बदल दिया।मयंक के प्रति भावनाएं बदल गई।जो कल तक वंश को मयंक से दूर रखना चाहती थी।
आज उसी ने मयंक को वंश से मिलने की इजाजत दे दी। जरूर मयंक ने किसी बात के लिए धमकाया होगा। तीनों लोग घर जाने के लिए निकल दिए।
रास्ते में जतिन मिरर में से बार-बार शिल्पा के चेहरे को देख रहा थे। शिल्पा पता नहीं किस सोच में डूबी थी। वंश बार-बार उससे कोई बात पूछ रहा था और वह उसकी बातों का जवाब नहीं दे रही थी।
यह देख वंश रोने लगा। रेवती शिल्पा से बोली,क्या हुआ शिल्पा.? बेटा मैं काफी देर से देख रही हूँ, तुम वंश की बातों का जवाब नहीं दे रही।
देखो बेचारा बच्चा,रुला दिया तूने उसको। शिल्पा यह सुन वंश को चुप कराने लग जाती है। और फिर उसकी बातों के जवाब देने लगती है।
, मैं दिन भर से देख रही हूँ, तुम इतनी चुप-चुप और परेशान सी क्यों हो।शिल्पा सोच विचार से बाहर निकल कर आती है। क्या माँ कुछ कहा क्या.?
हाँ यही कि तेरा ध्यान किधर है.? पहले तो यह बता क्या हुआ.? कुछ नहीं हुआ माँ, मैं ठीक हूँ बस मयंक के बारे में सोच रही थी।
क्यों मयंक ने ऐसा क्या कह दिया,जो तू उसके बारे में सोच रही है। शिल्पा कहती है माँ कभी-कभी परिस्थितियाँ हमें ऐसे मोड़ पर लाकर खड़ा कर देती हैं कि हमें समझ में नहीं आता है कि हम किधर को जाएं।
यही आज मेरे साथ भी हो रहा है। मुझे समझ में नहीं आ रहा, सही क्या है, गलत क्या है।पता तो चले ऐसा क्या हो गया जतिन बोले।
माँ-पापा घर पहुँच कर बात करते। जतिन कहते हैं ठीक है, रेवती शिल्पा को फोर्स मत करो, हम घर पर चल कर बात करते हैं।
तीनो लोग घर पहुँच जाते हैं। शिल्पा वंश को दूध पिलाकर सुला देती है, रेवती कॉफी बना लाई, और फिर तीनों लोग ड्राइंग रूम में आकर बैठ जाते हैं।
अब बता क्या बात हुई है।आज दोपहर से देख रही हूँ जब से तेरी मयंक से बात हुई है, कुछ तो ऐसा-वैसा मयंक ने तुझसे कह दिया है कि तू इतनी सोच विचार में डूबी है।
तूने उन लोगों को यहाँ आने और वंश से मिलने की इजाजत , क्यों दे दी.?इसकी वजह.? शिल्पा बोली बहुत बड़ी वजह है माँ।
शिल्पा मयंक की बीमारी के बारे में बताने लगी।यह सुनकर,क्या!! जतिन और रेवती आश्चर्य से बोले। वह झूठ बोल रहा होगा।
नहीं पापा यह उसकी रिपोर्ट देखिए।मैंने चाची को भी भेज दी है रिपोर्ट। चाची डॉक्टर से सलाह लेकर एक-दो दिन में सारी जानकारी देंगी।
यह तो बहुत बुरा हुआ।डॉक्टर का क्या कहना है.? डॉक्टर का तो एक ही कहना है, पापा ऑपरेशन ही एक मात्र उपाय है।
ऑपरेशन भी पूरी तरह सफल होता है या नहीं,यह मयंक की किस्मत और भगवान के करिश्मा पर निर्भर है।अगर उसकी कृपा होगी तो मयंक बिल्कुल ठीक हो जाएगा।
नहीं तो कुछ भी हो सकता है।यह बात न तो माँजी जानती हैं और न ही मौसी जी इस बारे में नहीं मयंक में अभी माँ को नहीं बताया।
उसने तुझसे क्या कहा. जतिन बोले। उसने मुझसे पावर ऑफ अटॉर्नी साइन करवाई है। और वंश के लिए अपनी वसीयत बनाई है।
उस पेपर्स पर मेरे साइन लिए हैं। मयंक कह रहा था कि मेरे मरने के बाद मेरी माँ को संभाल लोगी ना शिल्पा।यह कहकर शिल्पा रोने लगी।
, रेवती शिल्पा के कंधे पर हाथ रख कर उसको सहलाने लगी। मैं अचानक इस मोड़ पर आकर खड़ी हो जाऊँगी, मैंने नहीं सोचा था।
हाँ मैं मयंक से नाराज थी।उसने जो कुछ किया वो पारुल के कहने पर गलतफहमी में आकर किया था। क्योंकि वह मुझसे बेहद प्यार करता था। शायद इसीलिए गलत सह नहीं पाया।
मैं तो मयंक से आज भी प्यार करती हूँ पापा। कैसे संभालूँ खुद को. आज मयंक की हालत देखकर मैं अपने आपको संभाल नहीं पा रही हूँ।
मैंने नहीं सोचा था ना कि मुझे यह दिन भी देखना पड़ेगा।आज मयंक को मेरी सबसे ज्यादा जरूरत है।और मैं चाह कर भी उसकी मदद नहीं कर सकती।
हमारे रिश्तो के बीच में दूरियाँ आ गई है पापा। और ऐसी दूरी जो हम लोगों को अजनबी बना रही है। बस एक ही रिश्ता बचा है कि हम वंश के माता पिता है।
इसलिए मैंने उससे बोल दिया कि जब चाहें तब वंश से मिल सकता है। मैं नहीं चाहती कि वंश अपने पिता के प्यार से महरूम रहे।
यह तूने अच्छा किया बेटा, हमें भी मयंक के लिए बहुत बुरा फील हो रहा है। नाराज तो हम अब भी है, उसने मेरी बेटी की जिंदगी बर्बाद की,पर इंसानियत के नाते हमसे जो बन पड़ेगा वो करेंगे।
हम उसका बुरा भी नहीं चाहते। संध्या जी ने तुझे हमसे , ज्यादा बेटी की तरह प्यार दिया जिसके लिए हम संध्या जी की बहुत इज्जत करते हैं।
ऐसी सास मिलना, बहुत नसीब वालों को ही नसीब होती है। मयंक की गलती की सजा उन्हें तो नहीं दे सकते।
भगवान ने खुद मयंक को उसकी गलती की सजा दे दी। तो हम भला कौन होते हैं, उसको सजा देने वाले। तूने अच्छा किया जो कुछ किया मैं तेरे साथ हूँ।
मयंक ठीक तो हो जाएगा ना पापा.? सिसकते हुए शिल्पा बोली।अभी तक तो मैं मयंक नाराज थी,पर फिर भी मैं जी रही थी।
अगर उसे कुछ हो गया तो मेरे लिए जीना बहुत मुश्किल हो जाएगा पापा। मैं मयंक से चाह कर भी नफरत नहीं कर पाई पापा, और ना ही कभी कर पाऊँगी।
मैं मयंक से बेहद प्यार करती हूँ और उसकी जगह जिंदगी में कभी भी किसी को नहीं दे सकती, शिल्पा के आँसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे।
तूने कभी किसी का बुरा ना चाहा, तो भगवान भी अब तुझे कोई बड़ा दुख नहीं देगा। यह मेरा विश्वास है।सब ठीक हो जाएगा।
पर अब जो भी कुछ करना है जल्द से जल्द करना होगा हाँ पापा हमारे पास समय बहुत कम है।बस चाची के फोन का इंतजार है।
सुनयना भी डॉक्टर से सारी जानकारी लेकर शिल्पा को फोन , करती है।डॉक्टर रिपोर्ट देखकर वही बोल रहे हैं जो डॉक्टर सिन्हा ने बोला है।
मयंक का जल्दी से जल्दी ऑपरेशन करना होगा। क्योंकि ट्यूमर कभी भी फट सकता है।ऑपरेशन के बाद भी कह नहीं सकते कि मयंक पूरी तरह से ठीक हो जाए।
वह कोमा में भी जा सकता है,या अपनी याददाश्त भूल सकता है।अगर तुम्हारी किस्मत अच्छी होगी तो पूरी तरह ठीक भी हो सकता है।
मेरे ख्याल से इस बीमारी के बारे में संध्या जी को भी बता देना चाहिए जतिन बोले। संध्या जी अपने बेटे को इस ऑपरेशन के लिए तैयार कर सकती है।
ठीक है जी मैं मयंक से बात करती हूँ। ऑपरेशन कहाँ कराना ठीक होगा चाची.? शिल्पा वहाँ तुम सब लोग हो और इंडिया में भी एक से एक डॉक्टर मौजूद हैं।
वहाँ रहकर भी ऑपरेशन करवा सकती हो फिर भी यहाँ आना चाहो तो मुझे बता देना। मैं यहाँ सारी तैयारी करवा दूँगी।
थैंक्यू चाची मैं मयंक से बात करती हूँ फिर आपको बताती हूँ। ओके बेटा.फोन रखती हूँ। सुबह राघव और अंशु आते हैं। शिल्पा चलो शादी की कुछ शॉपिंग करनी है।
शिल्पा कहती है आज मेरा मूड नहीं है, राघव तुम दोनों चले जाओ।क्यों भाई ऐसा क्या हो गया.? शिल्पा राघव और अंशु को सारी बातें बता देती है।
, मुझे कुछ शक तो होता था,जब सर अचानक मीटिंग छोड़कर अपने केबिन में चले जाते थे।जब काफी देर बाद बाहर आते थे तो पसीने से लथपथ रहते थे।
एक-दो पूछने की कोशिश की थी।पर उन्होंने मुझे गुस्से में आकर डांट दिया था।
यह सुनकर राघव भी टेंशन में आ जाता है। यह तो बहुत बुरा हुआ, शिल्पा चल कोई नहीं तू मयंक पर ध्यान दें। हम लोग अपना देख लेंगे, हो सके तो थोड़ा सा समय देती रहना।
वैसे भी अभी हम शादी में तो बहुत टाइम है। तू पहले यह काम देख ले यह ज्यादा जरूरी है। थैंक्यू तुम दोनों ने मुझे समझा।
अभी यह थैंक्यू कहाँ से आ गया.?तू भी ना शिल्पा कभी नहीं बदलेगी।चल हम चलते हैं, कोई भी जरूरत हो तो फोन करना।
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