Rajsharma Sex Story : प्रेम सेक्सी कहानी डॉली और राज की (Romance Special)
काकी कुछ काम करते हुएबाहर् निकली राज के पीछे हुई खड़ी हुई डॉली को उन्होंने देखा और जाकर जल्दी से डॉली का बैग उतार कर पास में रखी हुई टेबल पर रखा और प्रेम से पुचकारते हुए उससे पूछने लगी,,,
डॉली बेटा कैसा रहा तेरे स्कूल का पहला दिन ,,,,राज ने पानी का ग्लास भरा और गटागट पीते हुए डॉली और काकी को देखे जा रहा था ,,की काकी के पूछने पर डॉली क्या जवाब देती है ,,पर जब तक राज उसके सामने था ,उसके मुंह से शब्द नहीं निकल रहे थे ,,,काकी ने दोबारा पूछा तो डॉली ने कहा! बढ़िया ही था!!!!!
राज पानी पीते पीते अचानक रुक गया और ग्लास रखकर काकी के पास आकर डॉली की तरफ देखते हुए बोला काकी तू महारानी के कहने का मतलब समझ गई है ना ,अच्छा ही था ,मतलब जरूर कुछ लफड़ा करके आई है स्कूल में ,,अरे बढ़िया ही था क्या मतलब होता है,,,
या तो बढ़िया था ,या बुरा ,,,,
अब मेरे को सीधा सीधा बता दे के स्कूल में हुआ क्या है ,,,,
तभी अपूण सोच रहा था कि अपन को कायको कुछ बताया नहीं ,, सीधा गाड़ी में बैठी और गाड़ी के रुकते ही बैग उठाकर अंदर चली आई ,,,, काकी ने दोबारा राज को डांट लगाई ,,,राज तू उसे सांस भी लेने देगा कि वह कुछ बताए ,,,
डॉली ने बैग बोतल नीचे रखा, जूते उतारकरबाहर् रखें ,और दोबारा काकी के पास आकर बैठते हुए बोली काकी ठीक था,,, का मतलब कि बढ़िया रहा ,,मैं स्कूल गई ,बच्चों से मिली मैडम जी से मिली,,, मैडम जी ने बच्चों से मेरी जान पहचान भी करवाई ,,और हां वहां पर हर विषय की पढ़ाई अलग-अलग मैडम अलग-अलग टाइमपर करवाती है, तो वह भी की ,,और हिंदी की किताब भी मैडम जी ने मुझसे पढ़ने के लिए बोला था जो मैंने फटाफट ज्यादा अच्छे से पढ दी,,,,
हाय मेरी बच्ची मैं जानती थी कि तू बढ़िया ही करेगी ! काकी ने डॉली के का माथा चूमते हुए नीले से कहा ,,पर मेरी बच्ची जब सभी कुछ बढ़िया रहा तो तू ऐसे उदास क्यों लग रही है ,,,
काकी बसएक ही बात मुझे परेशान कर रही है कि मैं अपनी क्लास में सबसे बड़ी लगती हूं ,औरइसलिये बच्चे मुझ पर हँसते है,,,,,,
काकी ने बड़े प्रेम से डॉली को समझाया बेटा ये तो
बहुत छोटी मोटी बात है, आगे बढ़ने के लिए हमें क्या-क्या नहींदेख्ना पड़ता ,हमें लोगों के सामने शर्मिंदा होना पड़ता है ,लोगों की बातें सुनना पड़ती है ,बातों को सहन करना भी सीखना पड़ता है ,,,जब राज ने देखा कि काकी और डॉली स्कूल की बातों में व्यस्त हो गई है और स्कूल का दिन बढ़िया ही रहा ,तो वह निश्चिंत होकर ढाबे पर निकल गया ,,,
काकी ने समझाया ,,,देख डॉली यदि तू सिर्फ इतनी सी बात से उदास हो जाएगी तो आगे कुछ भी नहीं कर पाएगी,,,,
डॉली अभी तक मैंने तुझे राज के बारे में कुछ भी नहीं बताया, क्योंकि कभी कुछ कहने का मौका ही नहीं पड़ा, बेटा तू जानती है जब राज मुझे मिला था पूरे 5 वर्ष का था ,और उस वक्त मेरे ब्याह को भी 10 बरस बीत गए थे मैं 30 वर्ष की हो चुकी थी इन 30 सालों में ना मैंने पति का सुख देखा था, और ना ही भगवान ने मुझे औलाद का सुख दिया था ,दारु पीने की वजह से मेरे पुरुष के दोनों फेफड़े खराब हो गए जब मैं 30 वर्ष की थी तभी वहइसे दुनिया को छोड़ कर चला गया ,मेरे घर में सास ससुर और जेठ थे घर में थोड़ी सी खेती बाड़ी औरएक बड़ा सा घर भी था ,,पर उन लोगों को लगा कि यदि मैंइसे घर में रुक गई तो मुझे जमीन जायदाद में हिस्सा देना पड़ेगाइसलिये मुझ पर झूठे लांछन लगाकर मुझसे बदचलन कहके मुझे अपने घर से निकाल दिया ,,,मेरे मां-बाप बचपन में में चले गए थे रिश्तेदार कौन है कहा है ,मुझे स्वयं ना पता था ,जब
ससुराल से निकाली गई तो ना मेरे सर पर छात थी , ना पहनने को दूसरे कपड़े थे ,उसी रात जब मैं किसी का सहारा पाने के लिए भटक रही थी ,,तो रोता हुआ राज भी मुझे बीच सड़क पर ही मिल गया ,पहली बार में ही उसने मुझे काकी कह के पुकारा ये शब्द अपने जिंदगी में शायद मैं पहली बार सुन रही थी,,, पूरी रात हम दोनों यहां से वहां घूमते रहे भूखे प्यासे कि कुछ खाने को मिल जाए परएक निवाला भी ना मिला,, जब सुबह ही तोएक मंदिर के द्वारे जाकर बैठ गए, पेट भर गया और कुछ पैसे भी मिले लेकिन सिवा ऐसा ना था,, उस वक्त तो उसने खाना खा लिया क्योंकि वह भूखा था पर उसे पैसे लेना बिल्कुल भी बढ़िया नहीं लगा ,आखिरकार मंदिर केबाहर् ही रहकर हमने पूराएक महीना बिताया अब राज का और मेरा पक्का संग हो चुका था ,हम दोनोंएक दूसरे का सहारा बन चुके थे ,राज कोइसे तरह से मंदिर केबाहर् भीख मांग कर गुजारा करना बिल्कुल भी बढ़िया नहीं लगता था ,,,धीरे-धीरे उसनेएक ढाबे पर काम करना शुरुआत कर दिया जहां हम दोनों को दोनों टाइम का खाना और रोज कुछ पैसे भी मिल जाते थे ,रात होती तो ढाबे के अंदर ही दोनों सो जाते,, ढाबा मालिक के इधर में और राज कुछ ज्यादा काम भी कर देते थे तो ने हमारे वहां रहने से कोई परेशानी ना थी, जब ग्राहक आते तो राज अपनी मीठी मीठी बातों से सबका मन बहलाता और चाय पानी दे दिया करता था मैं ,ढावे की साफ-सफाई सब्जी काटना ,और खाने बनाने में मदद करवाना ,यह सभी काम देख लेती थी
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धीरे-धीरे ढाबे के बगल में हीएक झोपड़ी बनाकर हम दोनों उस में रहने लगे ,,राज खूब मेहनत और लगन से काम करता ढाबा मालिक हमेशा राज को खुश होकर कुछ ज्यादा ही पैसे दे देता था ,धीरे-धीरे राज की मेहनत और उसकी इमानदारी से ढाबे पर लोगों का पहुँचना भी बढ़ने लगा, ढावा बढ़िया चलने लगा ,,,हमे यहां काम करते हुए 7 वर्ष हो चुके थे ,अब राज 12 वर्ष का हो गया था ,,,राज ढाबे पर काम करता और कभी-कभी ढाबा मालिक के संग उनके खेतों पर भी चला जाता ,जहां वो ट्रैक्टर चलाते तो उनको बड़े ध्यान से देखता ,जब जब चार वर्ष और बीत गए राज 16 वर्ष का हो गया था ,, उसे ट्रैक्टर चलाना भी आ गया था,,, गाड़ी बस ट्रैक्टर में तो उसका दिमाग शुरुआत से ही बड़ा तेज था ,जब भी काम से फ्री होता खेत में ट्रैक्टर चला के सीखता,,अब वह अच्छी तरह से चलाने लगा
था ,,,दो-तीन वर्ष और बीते तब तक पर सभी तरह के गाड़ी बखूबी चला लेता था चाहे वह मोटरसाइकिल हो उनकी जीप हो या दोबारा ट्रैक्टर ,,राज 19 वर्ष का हो चुका था ,लेकिन उसमेंएक जो सबसे बड़ी कमी थी वह ये कि उस बच्चे ने कभी भी स्कूल का मुंह नहीं देखा था, हां ढाबे का हिसाब किताब उसे सारा आता था ,जो उसने ढाबे पर ही देख देखकर सीख लिया था ,कितने लोगो का खाना बना ,कितना खाना खाया, कितनी सब्जी है , इन सभी का हिसाब वह उंगलियों पर ही कर लेता ,और उसे लिखना भी आ गया था ,बस इससे ज्यादा और कुछ नहीं सीखा,,,इन 14 वर्ष में राज को ढाबे पर जितने भी पैसे मिले उसने कभी भीएक रुपया खर्च ना किया था ,,,पास मेंएक छोटा सा बैंक था,, जितने भी पैसे मिलते हर महीने जाकर बैंक में जमा कर देता ,,बस दो टाइम की रोटी ही तो खानी थी ,जो हम दोनों को ढावे से ही मिल जाती थी ,,,,
1 दिन सभी ढाबे पर काम कर रहे थे, कुछ लोग खाना खा रहे थे, खाना बन रहा था मैं वहां बगल में बैठकर सब्जी काट रही थी और राज ग्राहकों को खाना देने में लगा हुआ था,,, तभी अचानक ज्यादा जोर की आवाज हुई,, सभी लोग घबरा कर खड़े हो गए जब देखा तो रोड पर ही सामनेएक गाड़ी की दुर्घटना हुई थी,,, सामने से आ रहे ट्रक से बुरी तरह से भिड़ गई थी ,,,थोड़ी ही देर में लोगों की भीड़ इकट्ठी हो चुकी थी ,,ट्रकवाला तो 2 मिनट में ही रफूचक्कर हो गया, और गाड़ी के अंदर दो लड़के थेएक कोई 19,,,20 वर्ष का रहा होगा और
दूसरा
25 ,26 के आसपास था जो लड़का गाड़ी चला रहा था उसकी हालत तो ज्यादा खराब थी, पहले तो लगा कि शायद मर चुका है लेकिन जब हल्की सी सांस चलती दिखी तो उसको गाड़ी सेबाहर् निकाला ,,और बगल बाली सीट पर जो लड़का था ,,वैसे तो ठीक था पर वह भी बेहोश हो गया था ,,लोगों को तो समझ में नहीं आ रहा था कि ये मर चुके हैं या ,,,1020 मिनट पश्चात मर जाएंगे पर सबसे पहला काम था उनको अस्पताल पहुंचाना ,इन सभी कामों में राज ही सबसे आगे था ,,उसने जल्दी-जल्दी लोगों से कहना शुरुआत किया कि फटाफट आओ इनको अस्पताल लेकर चलना है ,पर अस्पताल का नाम सुनकर ही वहाँ लोगों के नाम परएक भी कोई नहीं बचा था ,,,उस दिन दुकान मालिक भी दुकान पर नहीं था,, और जो कुछ काम करने वाले लोग थे ,,एक्सीडेंट का नाम सुनकर ही भाग खड़े हुए थे, इतने लोगों में बस मे और राज ही वहां थे ,,,राज के पास ना तो फोन था ना ही कोई ऐसी सुविधा कि वह पुलिस को डॉक्टर को भुला सके,, पर अपना राज तो शुरुआत से ही दिल का सोना है ,,,,वह ऐसे कैसे छोड़ सकता था ,,,उसने जल्दी से उनकी ही गाड़ी को स्टार्ट करके देखा थोड़ी सी मेहनत के पश्चात गाड़ी स्टार्ट हो गई ,,,,क्योंकि चोट गाड़ी को तो ज्यादा नहीं आई थी ,,पर उसकी दमच से आगे वाले लड़के की चोट ज्यादा गहरी थी ,,,,राज ने दोनों लड़कों को गाड़ी में लिटाया उनके संग मैं भी अंदर बैठ गई, करीब 2 घंटे
बाद हमें जो पहला अस्पताल मिला हम जल्दी से दोनों को अंदर ले गए ,,अस्पताल ठीक-ठाक था राज ने सारी जिम्मेदारी अपने उपरि लेते हुए डॉक्टर से दोनों का इलाज शुरुआत करने के लिए कहा ,,जब डॉक्टर ने नाम पता पूछा तो राज ने सारी बातें सारी चीजें एक-एक करके साफ-साफ बता दी, उसके पश्चात काम पुलिस का था पुलिस ने जब उनकी गाड़ी की तलाशी ली तो उसमें उन लड़कों के कुछ कागज निकले जिसमे उनका पहचान पत्र था जिससे उनका पता फोन नंबर सभी कुछ मालूम पड़ गया ,,पुलिस ने उनके घर पर खबर की ,,करीब दो-तीन घंटे पश्चात दोनों लड़कों के परिवार वाले अस्पताल में आ चुके थे,,, लड़के भी अस्पताल के अंदर ही थे इलाज चल रहा था उनका ,,,,राज से जो भी पूछा गया सभी कुछ सच-सच बता दिया था ,,,,,,
लड़कों को अस्पताल पहुंचाने के पश्चात उनका इलाज शुरुआत हो चुका था ,मैं और राज तभी से बिना कुछ खाए पिए बस यही इंतजार कर रहे थे कि लड़कों के घर वालों का कुछ पता चले , उनका इलाज हो और वह ठीक हो जाएआखिर वह भी किसी के कलेजे के टुकड़े होंगे ,,डॉक्टर कभी ऑपरेशन थिएटर सेबाहर् आते , तो कभी अंदर जाते , तो कभी नर्स को अपनी मदद के लिए बुलाते इसी तरह से करीब 2 घंटे बीत चुके थे,,, अभी लड़के ऑपरेशन थिएटर में ही थे तभी अस्पताल केबाहर् बाहर दो बड़ी-बड़ी गाड़ियां आकर रुकी, जिनमें से उनके मम्मी बाप ,भाई बहन ,,परिवार के और भी लोग थे दोनों गाड़ियां लोगों से खचाखच भरी हुई थी बे ज्यादा घबराए हुए से अंदर आए और रिसेप्शन पर आकर उनके नाम बताते हुए पूछताछ करने लगे ,,,मैं और राज समझ गये कि ये लोग लड़कों के परिवार वाले हैं तो हमने जाकरउन्को बैठने के लिए कहा,, और दोबारा आराम सेएक एक बात बता दी वह सभी मेरे और राज के हाथ जोड़कर शुक्रिया अदा कर रहे थे ,,कि आज के जमाने में ज्यादा ही कम लोग आपके जैसे होते हैं,, जो बिना किसी स्वार्थ के किसी के संग कुछ बढ़िया करते हैं,,, पर अभी इन सभी बातों का वक्त नहीं था,, राज और मैंनेउन्को धीरज बंधाते हुए बसएक ही बात कही ,,कि अभी इन सभी बातों का वक्त नहीं है ,,अभी हम सिर्फ भगवान से प्रार्थना कर सकते हैं,कि आपके बच्चों के संग सभी कुछ बढ़िया हो उनके संग जो दो औरतें थी उनका हाल सबसे ज्यादा बुरा था शायद वह दोनों लड़कों की मम्मी थी,,,मैं भीउन्को समझाने की कोशिश कर रही थी, कि ऐसी स्थिति मैं टाइमसिर्फ धीरज रखने का है ,,उनको आए हुए भी 1 घंटे से उपरि हो चुका था ,तभी ऑपरेशन थिएटर का दरवाजा खुला और डॉक्टरबाहर् आए ,डॉक्टर ने बताया की ऑपरेशन किया जा चुका है,, ऑपरेशन भी सक्सेस रहा लेकिन दोबारा भी अभी उसे होश में आने में कम से कम 1 से 2 घंटे लग सकते हैं,, और उसके पश्चात ही हम कुछ बता पाएंगे कि उसकी क्या कंडीशन है ,,,
ऑपरेशन तो हो चुका था लेकिन अभी भी खतरा टला नहीं था,, क्योंकि जब तक डॉक्टर होश में आने के पश्चात दोबारा उनका टेस्ट नहीं कर लेते ,, तब तक कुछ भी कहना मुश्किल था ,,,
अब लड़कों के परिवार वाले तो अचानक भागे ,भागे यहां आए थे ,और दोबारा ये एरिया उनके लिए अनजान था ,तो यहां भी मेरी और राज की ही जिम्मेदारी बनती थी कि उन लोगों के थोड़ी ज्यादा खाने पीने की व्यवस्था करें,,, राज उन्हीं की गाड़ी और ड्राइवर संग लेकर ,उनके खाने-पीने की व्यवस्था करने के लिए चला गया था,थोड़ा ज्यादा खाना और चाय नाश्ता लेकर आ गया और उन सभी का ध्यान भी रखा ,,,
डॉक्टर ने 1 से 2 घंटे बोले थे ,लेकिन अभी 4 घंटे होने को आ रहे थे, तभी नर्स ने आकर बताया कि लड़के ने अभी आंखें खोल कर देखा था ,,,,तभी सभी लोग डॉक्टर की तरफ जल्दी से भागे और उन्हेंइसे बात की खबर दी ,,,डॉक्टर भी आ गए और उन्होंने अंदर जाकर उसका चेकअप किया औरबाहर् आकर बताया कि वह ठीक है,,,आप मैं से कोई भीएक जाकर उससे मिल सकता है उनके घर वालों ने लड़के की मम्मी को वहां भेज दिया ,,,थोड़ी देर पश्चात जब वह पुनः आई तो उन्होंने बताया कि वह ठीक है और उसने अच्छे से बात भी कर ली ,तब कहीं जाकर सबकी जान में जान आई हम सभी पूरी रात वही रहे, दूसरे दिन दोनों लड़कों के सारे टेस्ट हो चुके थे,और भगवान की कृपा से सभी रिपोर्ट सही आई थी ,,,हां चोट कुछ दिनों में ठीक हो जाती लेकिन अब घबराने की कोई बात नहीं थी,,, दोनों लड़के पूरी तरह से स्वस्थ थे तीन-चार दिन हॉस्पिटल में रहने के पश्चात उनकी छुट्टी हुई ,,,,इन तीन-चार दिनों में ,
मैं और राज नियमित रूप से वहां आते रहे थे ,इतने दिनों में उनसेएक रिश्ता सा बन गया था ,,बातों ही बातों में बह मेरे और राज के बारे में सभी कुछ जान चुके थे ,,उन्हें ज्यादा आश्चर्य हो रहा था कि,आज भी ऐसे लोग है जिनका स्वयं अपना कोई ठिकाना नहीं है दोबारा भी अपनी जान पर खेलकर हमारे बच्चों की जान बचाई ,,,,
राज स्वयं भी जब 19 वर्ष का था इतनी छोटी सी उम्र में सारी जिम्मेदारी लेते हुए उसनेएक अच्छे इंसान के सारे कर्तव्य पूरीतरह से निभाये थे,,,,
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वह सभी इसे बात से ज्यादा खुश थे, जब उनके जाने का टाइम आया,तो दोनों ने खुश होकर राज को इनाम देना चाहा,राज ने सोचा कि शायद कुछ छोटा मोटा गिफ्ट होगा तो उसने वह पैकेट ले लिया,,, लेकिन जब उसने उस पैकेट को खोला तो उसमें 5 लाख का चेक और हमारे ढाबे से करीब 2 किलोमीटर आगेएक छोटी सी जमीन का टुकड़ा था,,,,क्योंकिउन्को राज के और मेरे बारे में सभी कुछ पता था कि हम किस हालात में किसी ढाबे पर काम करते हैं ,,तो उन्होंने राज से स्वयं का काम शुरुआत करने के लिए कहा और उसके लिए ही वह पैसे व जमीन का टुकड़ा राज को गिफ्ट स्वरूप दिया था पर अपना राज तो शुरु से ही स्वाभिमानी था,,,, आखिर किसी की जान बचाने के बदले बह पैसे कैसे ले सकता था,,,उनके लाख कहने के बावजूद भी राज नेउन्को बह सभी कुछ लौटा दिया ,,,,
सच बताऊ मेरा भी मन था ,,, कि राज उनके दिए हुए गिफ्ट रख ले ,,,क्योंकि वह ज्यादा बड़े लोग थे5 लाख तो उनके लिए 5 सिक्कों के जैसे थे यदि रख भी लेता तो राज का भला हो जाता, पर उसने ऐसा नहीं किया और वह सारे पैसेउन्को लौटा कर हम पुनः अपने काम पर अपने ढाबे पर आ गए ,और दोबारा से अपने उसी काम में लग गए,,
लगभग 5 से 6 महीने बीत चुके थे, हम पूरी ईमानदारी से अपना काम कर रहे थे, ढाबे का मालिक ढावे से दूर शहर में रहता था और कभी-कभी राज को किसी काम से उसके यहां जाना पड़ता था ,,,
अपना राज दिखता तो शुरुआत से ही किसी फिल्मी हीरो की तरह था,, उम्र के साथ-साथ उसका कद ऊंचा हो गया,,,,,बचपन से ही उसे कसरत का और भागदौड़ का बड़ा शौक था ,तोइसे उम्र तक आते-आते उसने अपने बदन को चुस्त तंदुरुस्त और बलवान बना लिया था,,, मेरा राज हजार लोगों में भी खड़ा हो तो अलग दिखता था ,,
उसके बदन की सुंदरता और चेहरे का भोलापन किसी को भी मोहित कर लेता था,,, पर उसे हमेशा सिर्फ और सिर्फ अपने काम से ही मतलब रहा है,,,
पर मैं कुछ दिनों से देख रही थी कि जब भी वह मालिक के इधर जाता ,तो उसकी स्त्री राज को किसी ना किसी बहाने बार-बार अपने घर बुलाने लगी थी,,,
मैंने राज से पूछा भी पर वह मन का भोला कुछ न समझ पाया,,,
और 1 दिन राज दोबारा किसी काम से उनके घर गया, तो उसके घर पर उसकी स्त्री के अलावा कोई और ना था,,उसने राज के सामने राज को पाने की इच्छा जाहिर की,, ये सुनकर राज घबरा गया क्योंकि उसने तो हमेशा ही दुकान मालिक को अपने पिता का दर्जा दिया था उसी तरह से उनकी बात मानी थी, राज वहाँ से घबराता हुआ कैसे भी जल्दी से निकल कर ढाबे आ गया ,,,वहां से चला तो आया,,, लेकिन उसकी जो सबसे बड़ी गलती थी ,,कि राज ने आकर ये बात मुझे नहीं बताई,इसे बात को कुछ दिन बीत गए दोबारा 1 दिन दुबारा किसी काम से मालिक ने उसे अपने घर भेजा ,,,राज ने थोड़ी ना नुकुर की पर काम कुछ ऐसा था कि उसे जाना ही पड़ा और इत्तेफाक था कि उस दिन भी घर पर वह अकेली थी,,, वह दोबारा राज से अपनी बात मनवाने के लिए जबरदस्ती करने लगी जब बात ज्यादा बढ़ गई तो ,राज ने उसे धक्का दिया और भला बुरा कह के यहां चला आया ,,,,,और राज ने ये सारी बातें मालिक को बताने की धमकी भी दी ,,,पर ये बात सुनकर वह और भी बौखला गई थी ,,,और उसे डर भी था कि कहीं सच में राज ये बातें उसके पति को ना बता दे, दोबारा क्या राज के ढाबे लौटने से पहले ही उसने ढाबा मालिक को फोन करके राज के बारे में उल्टी-सीधी बातें लगाते हुए शिकायत कर दी,, कि राज ने उसके संग जबरदस्ती करने की कोशिश की है ,,और मारपीट करते हुए चोरी भी की ,,,,,
राज जैसे ही ढाबे पर आया ढाबा मालिक का गुस्से से खून ख़ौल रहा था,,,
राज के आते ही उसने राज की बुरी तरह से पिटाई की,,, भला बुरा कहते हुए पुलिस को भी बुला लिया,,, मैं रोती रही पर हमारी बात सुनने वाला था कौन,,,
हमारी सालों की मेहनत ईमानदारी और हमारे दिल की सच्चाई सबएक झटके में ख़त्म हो चुकी थी,,, उसे राज के मासूम से चेहरे की सच्चाई बिल्कुल भी नहीं दिखाई दी ढाबा मालिक बुरी तरह चिढ़ गया था,,
और उसने सोच लिया था कि चाहे कुछ भी हो जाए वह राज को बर्बाद करके ही रहेगा पुलिस के आने से पहले उसने राज को ढाबे में बांधकर उसे शराब पिलाई ,,
जिससे राज के खिलाफ की गई रिपोर्ट को सही साबित किया जा सके, और पुलिस के आने के पश्चात सारे झूठे बयान लिखवा दिए कि शराब के नशे में राज ने उसकी पत्नी के संग गलत करने की कोशिश की है ,,,
और उसके घर से चोरी भी कि ,,,
पहली बार शराब राज के बदन के अंदर गई थी,,, पुलिस के आने के पश्चात जब पुलिस ने कुछ भी पूछा तो राज बेहोशी की हालत में कुछ भी नहीं बोल पाया ,,,इसलिएउन्को भी यकीन हो गया था ,कि ये रिपोर्ट सही है और वह राज को पकड़कर थाने ले गए,,,
राज पुलिस को थाने ले जा रही थी ,और मैं रोती बिलखती दूसरों से मदद की गुहार लगाती पुलिस की गाड़ी के पीछे भाग रही थी, लेकिन उस एरिया में ढाबे के मालिक की ही चलती थी, और सबको यही लग रहा था कि राज ने सच में ये सभी कुछ किया है पुलिस राज को थाने ले जा चुकी थी, और मैं भी उसके पीछे जाती हुई थाने तक पहुंच गई , मैंने पुलिस के हाथ पांव जोड़े उनसे सारी सच्चाई भी बताई ,पर मेरी वहां कौन सुनने वाला था,, पुलिस ने मेरी किसी भी बात पर कोई ध्यान नहीं दिया और राज की मारपीट करते हुए उसे थाने में बंद कर दिया,,,
ढाबा मालिक ने करीब दो-तीन पेज कीएक बड़ी सी रिपोर्ट राज के खिलाफ लिखवाई थी ,,जिसमें उसको शराब पीकर उसकी पत्नी की इज्जत पर हाथ डालने का और चोरी करने का इल्जाम दिया गया था,,, मुझे थाने में बैठे-बैठे रात हो गई मुझे थाने सेबाहर् निकाल दिया गया ,मैंबाहर् बैठ कर रोती रही गिड़गिड़ाती रही पर मेरी किसी ने कोई बात नहीं सुनी ,फिर मैं घर आई औरइसे उम्मीद से कि कोई मेरी मदद करेगा बस्ती के आसपास जितने भी घर थे हर घर में जाकर मैंने राज
को बचाने की विनती की कि ,कोई उसकी जमानत दे दो, उसकी मदद करो आप सभी तो जानते हो कि अपना सिवा कैसा है ,,उस पर ये सारे झूठे इल्जाम लगाए गए हैं ,पर किसी ने भी मेरी बात पर विश्वास नहीं किया और मुझे भी अपने घर से भगा दिया,,, इसी तरह से करीब 15 दिन निकल चुके थे ,,राज थाने में ही बंद था और हमारी कहीं पर भी कोई सुनवाई नहीं थी ,अब मैं ढाबे में भी काम नहीं करती थी, मैं थोड़ा ज्यादा खाना बनाती और खाने का डिब्बा लेकर राज के पास जाती थी,, किइसे बहाने कम से कम मैं उसे देख तो सकूं, कुछ दिन तो मुझे थाने के अंदर जाने ही नहीं दिया ,,पर वहां भगवान ने किसीएक भले पुरुष को भेज दिया था ,,वह मेरी स्थिति देखता रहा औरएक दिन जब उसने देखा कि बड़े साब थाने में नहीं है, तो चुपचाप मुझसे कहा कि मैं दोपहर में 100 से 200 के बीच जाऊं तब वह खाना खाने जाते हैं तो मैं राज को उस टाइम खाना खिला सकती हूं,, दोबारा मैं ऐसा ही करने लगी थी ,,इसी बीच उनसे मेरी कुछ बात भी हो जाती थी ,और दोबारा उन्होंने मुझे बताया कि यदि तुम्हारी कोई सुनवाई नहीं हुई ,,या तुमने अपनी तरफ से कोई वकील नहीं किया ,तो राज कभी नहीं छूट पाएगा,, क्योंकि उस परएक स्त्री के संग दुर्व्यवहार करने का केस लगा है,, औरइसे केस में फंसे लोग इतनी आसानी से नहीं छूटते,,,,
मेरी तो कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं , दूसरे दिन जब मैं खाना बनाने को बैठी तो घर
की करीब सारी चीजें ख़त्म हो चुकी थी ,और मेरे पास जो कुछ थोड़े ज्यादा पैसे थे ,वह भी ख़त्म हो चुके थे ,, मैं बक्से में और डिब्बे में पैसे ढूंढ रही थी ,,कि कहीं कुछ मिल जाए तो आज के खाने का इंतजाम हो सके, तभीएक छोटा सा बटुआ दिखा ,,जिसमें मुझे कुछ पैसे मिले औरएक कार्ड भी मिला,, कार्ड अंग्रेजी में था तो मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा था ,कि ये क्या है ,,,हां लेकिन दिमाग पर जोर डालने के पश्चात मुझे याद आया कि ये कार्ड उन लड़कों के घर वालों ने मुझे अस्पताल में दिया था,,,
हां पक्का ये वही कार्ड है,,, जब राज ने वह पैसे और वह जमीन का टुकड़ा लेने से इनकार कर दिया और हम वहां से आने लगे राज मुझ से थोड़ा आगे निकल आया था तो उस लड़के के पिताजी ने मुझे रोकते हुए ये कार्ड मेरे हाथ पर रख दिया था,, कि यदि आपको कभी भी किसी वक्त किसी भी काम के लिए मेरी जरूरत पड़े तो ,इसमें मेरा फोन नंबर और मेरा पता लिखा हुआ है ,आप मुझसे इसे पर बात कर सकती हैं ,,,
और यकीन मानिए आपको जब भी मेरी मदद की जरूरत होगी तो मैं आपकी मदद जरूर करूंगा, और मुझे आपकी मदद करने में खुशी होगी,,,
बस अंधेरे में मुझेएक आशा की किरण दिखने लगी थी ,,,परइसे वक्त तो मेरे पास कोई फोन भी नहीं था ,मैंने वो कार्ड अपनी साड़ी के छोर में बांधा, और जैसे तैसे खाने का इंतजाम करके खाने का डब्बा ले
थाने पहुंच गई,,,,
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