Rajsharma Sex Story : प्रेम सेक्सी कहानी डॉली और राज की (Romance Special)
महिला मोर्चा की महिलाएं इसकी गवाह होगी समय-समय पर आकर डॉली को देखेंगे ,कि उसे यहां किसी बात की दिक्कत तो नहीं है ,,,और जब डॉली 18 वर्ष की हो जाएगी तब स्वयं ही फैसला करेगी उसे यहां रहना है या कहीं और जाना है ,,,जो भी करना है दोबारा बह उसके ही हाथ में होगा,, बेटाएक बेटी की तरह मैं डॉली को अपने पास रखूंगी, औरएक मां
बनकर इसकी जिम्मेदारी लूंगी ,,,,
ठीक है काकी !!!! बस मुझे यही बात आपसे कहनी थी ,,,बाकी जैसा कि तुझे ठीक लगे तू बैसा कर,,,,
दूसरे दिन सुबह सवेरे ही काकी और राज
डॉली को पुलिस स्टेशन ले जाने की तैयारी कर रहे थे ,बस स्त्री मोर्चा टीम आने की ही देर थी कुछ देर में जैसे ही वह लोग आ गई राज ने जीप निकाली और सबको संग लेकर पुलिस स्टेशन पहुंच गया,,,, वहां परएक एप्लीकेशन दी जिसमें डॉली के बारे में सभी कुछ साफ-साफ लिखा हुआ था ,और काकी ने उसे गोद लेने की इच्छा भी जाहिर की कि वह डॉली को अपनी बेटी की तरह ही रखेंगी,,,,
काकी स्त्री मोर्चा से पहले से ही अच्छी तरह परिचित थी, उन्होंने बताया कि डॉली इनके यहां सुरक्षित रहेगी ,,तो उन सभी ने भी अपने दस्तखत पेपर पर कर दीये,और उनने स्वयं भीइसे बात की जिम्मेदारी ली कि वह समय-समय पर जाकर डॉली की खबर लेती रहेगी ,,,और उन्हेंइसे बात का पूरा भरोसा है कि काकी के संग डॉली सुरक्षित रहेगी,,
बस यही कुछ आज 8,10 दिन लगे कोर्ट से भी कुछ औपचारिकताएं हुई और उसके पश्चात डॉली की देखरेख की जिम्मेदारी काकी को सौंप दी गई ,,,,,इन 8 दिनों में डॉली देख चुकी थी कि काकी डॉली के लिए कितना
कर रही है, और दोबारा हर इंसान प्रेम का ही भूखा होता है यदि प्रेम मिले तो कोई अजनबी भी अपना बन जाता है ,और यदि नफरत तो अपने भी हम से कितने दूर हो जाते हैं,,,
बस दोबारा क्या था डॉलीएक सदस्य के रूप में राज के घर आकर रहने लगीएक तरफ जहां बहुत के संग अच्छे से घुलमिल कर रहती घर का सारा काम करवाती क्योंकि उसे तो बचपन से ही अच्छी तरह से काम करने की आदत थी ,,वह बहुत बड़े बड़े घरों में साफ-सफाई का काम करती थी तो उसे तौर तरीके ,कैसे रहना है ,किस सामान को कहां रखना है चाय बनाना, खाना बनाना उसको तरीके से टेबल पर सजाना,, डस्टिंग उसकोएक अच्छे परिवार की तरह सारे काम बखूबी आते थे ,,,तो वह धीरे-धीरे बहुत के संग भी घुलती मिलती जा रही थी
,,,,, पर अब भी राज की आंखों से उसे डर ही लगता था ,,वैसे तो सुबह सुबह निकलता और रात को आता पर जैसे ही राज आता बह चुपचाप अपने कमरे में चली जाती ,और सुबह भी जब राज ढाबे पर निकलता उसके पश्चात हीबाहर् आती,,,,
हालांकि काकी देखकर समझ गई थी और राज के सामने ही डॉली से कहती ,,,डॉली तुझे से डरने की जरूरत नहीं है मैं हूं तेरे संग और वह काकी किइसे बात पर चुप ही रह जाती,,, डॉली को सारे तौर-तरीके
तो आते ही थे कि शहरों में किस तरह से घर को व्यवस्थित किया जाता कैसे वहां पर सभी के बेडरूम, किचन, स्टोर रूम और,, हॉल को सजाया जाता है और अलग किया जाता है,,,,, राज का घर तो बड़ा था और पक्का बना हुआ था,,,, पर घर में था कौनएक काकी और दूसरा राज दोनों को ही सामान कहां कैसे रखना है,,,इसे बात की कोई समझ नहीं थी ,,जहां काकी अपने बुढ़ापे के कारण बिचारी उतना ही कर पाती थी कि बस घर का काम चलता रहे ,,,वही राज ने बचपन से देखा ही क्या,,,वह तो अनाथ बच्चा था जो बहुत को रोता हुआ मिला था पर उसने अपनी मेहनत और लगन के दम पर इतना सभी कुछ हासिल कर लिया था,,, तो मम्मी लक्ष्मी ने तो अपना स्थान बना लिया था इनके यहां पर,,,,,,
लेकिन सामान व्यवस्थित कुछ भी नहीं था ऐसे लगता था जैसे आज हीइसे घर में आए हो और उठापटक करते हुए सामान यहां से वहां बेतरतीबी से फैला दिया हो ,,,
डॉली को रहते-रहते तकरीबन 3 से 4 महीने हो गए थे और वह इसे अपना घर समझने लगी, जब उसने देखा कि वह अपने हिसाब से भी यहां कुछ भी कर सकती है ,,कोई उसे रोकने टोकने वाला नहीं है ,,,,,
तो उसने धीरे-धीरे घर की व्यवस्था जमानी शुरुआत की, सबसे पहले उपरि जो तीन चार कमरे खाली पड़े हुए थे
उन्हें तरीके से स्वच्छ करवाया, अच्छे से कमरे को धोया और दोबारा उपरि के कमरे में व्यवस्थित तरीके से स्टोर रूम बना दिया ,यह सारा काम वह धीरे-धीरे ही कर रही थी, नीचे बड़े कमरे में जो ज्यादा सारे तेल के कनस्तर रखे हुए थे, उन सभी को ले जाकर उपरि स्टोर रूम में रखा गया जगह-जगह पड़ी हुई गेहूं की बोरियों को भी उपरि हीएक लाइन से रखकर उनकोएक कपड़े से ढक दिया, दाल ,चावल ,,घी के कनस्तर जो ढाबे के लिए लाए गये है सारा सामान स्टोर रूम में तरीके से रखा ,औरबाहर् से दरवाजा बंद कर दिया,,,,, जब भी किसी सामान की जरूरत होती तो डॉली स्वयं जाकर उपरि से वह सामान निकलवा देती शुरुआत शुरू में राज को डॉली की इन हरकतों पर खीजन हुई ,,,,उसेपस्न्द नहीं था कि उसके काम में कोई दखलंदाजी करें,,,
पर काकी हर बार राज को डांटते हुए चुप करा देती,,,,
और उसे बताती की,,, कितना परेशान थी जगह-जगह तेरा सामान पड़ा था चूहे आते थे सामान की बर्बादी भी होती थी,,,
अब उपरि के कमरे में चूहे भी नहीं जाते और सामान भी स्वच्छ सफाई व सुरक्षा में रखा है ,तो तुझे क्या परेशानी है,, बच्ची को करने दे जो भी करना है उसका भी मन लगा रहेगा ,,,,,
जब डॉली को काकी सा का इतना सहारा मिलता तो वह मन ही मन खुश हो जाती पर राज के सामने कुछ बोलने की कुछ कहने की हिम्मत उसकी कभी भी नहीं
होती,,,
जब नीचे का बड़ा कमरा खाली हो गया तो डॉली ने उस कमरे को भी अच्छे से स्वच्छ किया कमरा खाली तो हो ही गया था तो उसमें रंगाई पुताई भी करवा दी उसके पश्चात दोनों तखत कोएक संग डाल कर उसे डबल बेड का रूप दे दिया गया ,,सोफे की दो कुर्सियां और सोफा जो पूरे कमरे में फैले थे उनकोएक स्थान रखकर बीच में टेबल रखी गई और उस परएक बढ़िया सा टेबल कवर भी बिछा दिया गया,,,, राज का घर यही कोई 3 वर्ष पहले ही बना था ,तो उसमें किचन भी नए तरीके से ही बनी हुई थी,,, पर काकी से ना तो ज्यादा खड़े होते बनता था और ना ही वह खड़े होकर काम कर पाती थी,,,,तो उसने सारा सामान नीचे ही फैला रखा था ,,एक कोने में गैस ,,,नीचे फैली हुई डिब्बिया,,,,, जब भी किसी सामान की जरूरत होती तो ढाबे से ले आती और उसी तरह पननियों में या पैकेट में वहीं कोने में सरका देती ,,,,आखिरइसे उम्र में उनसे होता भी कितना ,,,डॉली ने किचन की भी एक-एक डिब्बी शीशे की तरह चमका दी थी जो खराब डिबबिया थी उन सभी को फेंका और ,काकी के संग बाजार जा कर किचन के डिब्बों काएक सुंदर सा सेट लाकर किचन में सजा दिया, जिसमें सारा सामान तरीके से भरा हुआ था, जीरा, हल्दी ,मिर्ची धनिया ,लॉन्ग ,इलायची जो भी सामान था सभी कुछ अच्छे से डिब्बों में भरकर रखा और गैस को उपरि स्लैप पर शिफ्ट किया ,,,क्योंकि अब डॉली भी काकी के
साथ काम करवा लेती थी ,,,और जब काकी को इतना सहारा मिला तो,,,किचिन भी चमक गई ,,,,अपना और काकी का कमरा तो डॉली ज्यादा पहले ही स्वच्छ कर चुकी थी,,,
अब बचा राज का कमरा उसमें जाने की हिम्मत तो डॉली ने कभी की भी नहीं ,,
एक या दो बार ज्यादा जरूरी किसी काम से वह उसके कमरे में गई, लेकिन डर के मारे उसने नजर उठाकर भी यहां से वहां नहीं देखा और जल्दी सेबाहर् आ गई,,,,
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राज घर के अंदर आता और चारों तरफ देखता कि क्या ये उसका ही घर है जिसमें उसे स्वयं ही अपनी चीजों का कुछ अता पता नहीं रहता था ,,,कोई भी चीज कहीं भी पढ़ी हुई मिल जाती थी,,, और कई बार तो ढूंढने के पश्चात भी उसका अता-पता नहीं होता, पर अब सारा सामान इतनी व्यवस्था से रखा हुआ था कि अगरएक सुई भी ढूंढना है तो रात के अंधेरे में वह भी मिल जाए,,, डॉली की आदत थी कि वह जब भी काकी के संग बाजार जाती ,,कुछ सामान खरीदती या घर में कुछ भी करती तो ,एक कॉपी पेन उठाकर उस पर नोट जरूर करती थी,,,, क्योंकि अपनी मम्मी के सामने डॉली चौथी कक्षा तक पढ़ी थी तो लिखना पढ़ना तो उसे आ ही गया था ,,,और अपने शौक के चलते वह जहां काम करती ,वहां जाकर भी उसकी कॉपी पेन और कुछ किताबें जो उसे मिल जाती, काम से फ्री होकर वह हमेशा पढ़ती रहती थी ,,,,घर में कौन सा सामान कब आया कितनी तारीख को सिलेंडर भरा दूध का
हिसाब ,,,यह सभी लिखना डॉली की आदत में शुमार था ,,,,,
तो यहां भी वह इन सभी कोएक कॉपी पेन पर अच्छे से मैनेज कर रही थी,,,एक बार डॉली की कॉपी हॉल में छूट गई थी और जब राज ने आकर वह कॉपी देखी तो यही करीब आठ से 10 पन्ने उस में लिखे हुए थे जब राज ने देखा कि डॉली की राइटिंग अच्छी है ,,और सभी कुछ सही सही लिखा है तो उसने खाना खाते वक्त काकी सेइसे बारे में बात की और पूछा कि यदि वह इतना जानती है ,,,और यदि वह चाहती है तो स्कूल जाना शुरु कर सकती है,,,
काकी राज किइसे बात पर ज्यादा खुश हो गई थी ,,,उसे बढ़िया लग रहा था कि कम से कम राज ने डॉली के बारे में इतना सोचा काकी ने जल्द से डॉली को आवाज दी डॉली बेटा इधर आ तुझसे कुछ बात करनी है,, डॉली को पता था कि राज खाना खा रहा है पहले तो वह डर गई थी,,, पता नहीं उसने क्या गलती कर दी ,,, लेकिन बहां काकी थी और उसे पता था काकी के सामने राज से डरने की जरूरत नई है, तो चुपचाप आकर काकी के बगल में बैठ गई ,,,काकी ने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए पूछा ,,,,
डॉली बेटा तू स्कूल जाना चाहती है,, डॉली के लिए ये सभी से बड़ी खुशी थी,,, उसने झट से हां में सिर हिला दिया,,,,,
राज ने रोटी का टुकड़ा मुंह में डालते हुए पूछा
देख महारानी तू सोच समझकर बता मेरे को अच्छे से
तू स्कूल जाकर अपनी पढ़ाई कर पाएगी ,,,मन लगाकर पड़ेगी,,, देख अपन की इज्जत का प्रश्न है यदि स्कूल में तुझे भर्ती करवाता हूं ,,तो परीक्षा पास करनी होगी ,,,,,,
राज कीइसे हिदायत पर डॉली थोड़ी सहम गई ,,,,काकी ने राज को डांटते हुए कहा,,, तू बच्ची से पढ़ाई की पूछ रहा है या उसे डरा रहा है ,,,,अरे कोशिश करेगी तो पास क्यों नहीं होगी ,,,,अगर नहीं भी हुई तो न सही पहले तू उसे स्कूल भेज तो सही ,,,
ठीक है बहुत पास में ही जो स्कूल है मैं कल वहां जाकर पता करता हूं,, वैसे भी स्कूल जाएगी पढ़ाई लिखाई करेगी तो ठीक रहेगा इसके लिए दिन भर घर के ही काम करती रहती है, उल्टे सीधे,,,,
इतना कहते हुए राज अपने कमरे में चला गया और काकी खुशी से डॉली को बांहों में भरते हुए उससे स्कूल जाने की बातें करने लगी,, और पूछा डॉली बेटा तेरा मन तो है ना स्कूल जाने का ,,,डॉली ने भी हां में सर हिलाया हां काकी मैं स्कूल जाऊंगी और खूब पढूगी,, स्कूल जाना तो मुझे सबसे बढ़िया लगता था ,,पर अब पता नहीं क्यों थोड़ा सा डर लग रहा है मैं ठीक से कर भी पाऊंगी या नहीं ,,,,,
काकी ने उसे दोबारा समझाया देख बेटा कोशिश करना हमारे हाथ में होता है फल देना तो भगवान के उपरि छोड़ दे,,,
अरे अगरएक बार फेल हो भी गई तो दूसरी बार पास
हो जाएगी कौन सा तेरी उमर निकल गई है,,,,
काकी और निली ने सामान समेटा रसोई में सफाई की और स्कूल की बातें करते हुए सो गए,,,,,
डॉली को पता था कि आज स्कूल में उसके एडमिशन की बात होने वाली है ,तो वह ज्यादा ज्यादा खुश थी सुबह सवेरे उठकर जल्दी से काकी के संग सारे काम करवाएं और तैयार हो गई, जैसे कि वह आज ही स्कूल जाने वाली हो ,सुबह राज भी आज थोड़ा जल्दी उठ गया था, वैसे तो रोज सुबह 900 बजे तक ही उसका उठना होता था पर उसे पता था कि यदि वह स्कूल में लेट पहुंचेगा तो दोबारा सभी अपने काम में लग जाएंगे और उसकी बात ठीक से मैडम जी से नहीं हो पाएगी,,,
राज ने उठकर ही काकी को कमरे से ही चाय के लिए आवाज लगाई ,काकी शायद आराधना कर रही थी तो डॉली ने जल्दी से चाय बनाई और राज को चाय देने उसके कमरे में चली गई ,अभी तो राज की आंखें भी ठीक से नहीं खुली थी उसने लेटे-लेटे ही चाय का कप हाथ में लिया और कहने लगा,,,
काकी उस महारानी से भी कह दे कि वह तैयार हो जाए मैडम जी सबसे पहले तो उसी से मिलना चाहेंगी और हां उससे कह देना कि वहाँ मुंह लटका कर बैठना नहीं है ,अगर मैडम जी कुछ पूछेंगी तो उस बात का ठीक-ठीक और सही सही जवाब देना है, और उसे जो
भी लिखना पढ़ना आता है,
तो वहां जाकर अच्छी तरह से बता दे,,,
डॉली चुपचाप सुनती रही और जब राज का कहना बन्द हुआ तो पुनः रसोई में आ गई ,वह अपने आपको तैयार करने लगी थी उसने तो सोचा ही नहीं था कि स्कूल जाकर उसे ये सभी भी करना पड़ेगा ,, जल्दी-जल्दी उसने कुछ कठिन शब्दों की स्पेलिंग लिखीउन्को याद किया ,औरएक पर किताब उठाकर फर्राटे के संग पड़ने लगी ,अब तक राज भी नहा धोकर तैयार होकरबाहर् आ चुका था,, और काकी भी आराधना से निबट गई थी ,,,
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आज डॉली सलवार सूट पर दुपट्टा डालकर तैयार हुई उसने अपने धुले हुए बालों की पीछेएक चोटी बनाई ,और पैरों में जूतियां पहनी हुई थी ,,,,
जब राज ने उसकोइसे तरह से तैयार देखा तो उसके हंसी छूट गई ,,,,काकी ने नीले के पास जाते हुए राज को डांट कर कहा कितनी अच्छी लग रही है मेरी डॉली ,क्यों हंस रहा है उसे देखकर ,,,
काकी ये कैसी तैयार हो गई है
किसी कॉलेज में नहीं जाना है इसको ,अरे स्कूल के लिए तैयार हुई है ये सूट और दुपट्टा स्कूल में ये सभी नहीं चलेगा जैसी रहती है वैसे ही ठीक है ,,,काकी ने राज की बात को अनसुना किया और डॉली का हाथ पकड़ करबाहर् निकलने लगी और राज को भी पीछे से आवाज दी,,,
कि बात ना बनाते हुए जल्दी चल, हमें देर हो गई तो
आज बात ना हो पाएगी,,,
राज के आने से पहले ही डॉली और काकी जीप में बैठ चुके थे ,,,स्कूल की बात सुनकर डॉली खुशी से फूली नहीं समा रही थी उसके चेहरे की खुशी बता रही थी उसको स्कूल जाना कितना बढ़िया लगता है,,,
राज ने जीप स्टार्ट की और बस 10 मिनट में वह स्कूल के सामने थे ,,,,
आसपास के सभी लोग राज को और काकी को अच्छी तरह से जानते थे ,स्कूल की टीचर जी भी काकी को पहचानती थी, जैसे ही स्कूल के अंदर गए और प्रिंसिपल साहिबा से मिलने की बात कही तो जल्दी हीउन्को अंदर जाने दिया ,,,,स्कूल छोटा ही था पर दसवीं कक्षा तक था और आसपास के छोटे-छोटे गांव के सारे बच्चे इसी स्कूल में पढ़ने आते थे, आठ
बारह, चौदह लोगों का स्टाफ था, एक
प्रिंसिपल,10,11टीचर, और 2 चपरासीइसे स्कूल में काम करते थे ,जैसे ही अंदर गए तो प्रिंसिपल साहिबा ने हंसते हुए काकी और राज को अंदर बुला कर बैठने के लिए कहा,,, डॉली को आये हुई अभी कुछ ही महीने हुए थेइसे बात की खबर तो प्रिंसिपल साहिवा को लगी थी ,कि कोई लड़की आकर काकी के संग रहने लगी हैं ,पर कौन है, क्या है,इसे बात के बारे मेंउन्को ज्यादा कुछ पता नहीं था,,,
काकी ने वहां जाकर प्रिंसीपल साहिबा को डॉली के बारे में सारी बातें बताई और उसकी जो स्कूल आने की इच्छा थी, पढ़ने की इच्छा थी ,उसकी विनती प्रिंसिपल साहिबा से की प्रिंसिपल साहिबा ने इनकी सारी बात ज्यादा ध्यान से सुनी,,,,, पर असमर्थता जताते हुए कहा सॉरी,,,, आप लोग लेट हो गए हैं हमारे एडमिशन तो जुलाई या अगस्त तक ही चलते हैं ,अब शायद आपको अगले वर्ष ही एडमिशन मिल पाएगा ,यह बात सुनकर डॉली का हंसता हुआ चेहरा उदास हो गया था ,,,वह जितनी खुशी के संग यहां आई थीएक समय में उतनी ही उदास हो गई, जब काकी ने प्रिंसिपल साहिबा से कहा कि आप कोई तो रास्ता निकाल ले हमारी डॉली का ज्यादा मन है पढ़ने का ,अगर अगले वर्ष का इंतजार करेंगे तो ज्यादा सारा टाइमबर्बाद हो जाएगा ,,,,
अब कुछ सोचते हुए उन्होंने स्कूल के क्लर्क को बुलवाया और उनसेइसे बारे में बात की कि क्या कुछ हो पाएगा
हम क्या कर सकते हैं
तब उन्होंने कहा मैडम जीएक रास्ता है हमारे पास अथॉरिटी रहती है किइसे कंडीशन में यदि कोई बच्चा हमारे यहां आता है तो हम किन्हीं भी तीन बच्चों को एडमिशन दे सकते हैं ,जो परीक्षा के 4 महीने पहले तक लागू रहता है, औरइसे नियम के चलते हमइसे बच्ची को एडमिशन दे सकते हैं ,,,पर हां इसके लिए सरपंच के साथ-साथ गांव के किन्हीं भी 5 लोगों के दस्तखत की जरूरत रहती है,,
कागज का फॉर्मेट में बता देता हूं यदि आप कंप्लीट करा कर लाते हैं तो डॉली को एडमिशन मिल सकता है,, पर आप सोच लीजिए आपके पास सिर्फ 4 महीने हैं इनमें पढ़ाई करके यदि पास हो सकती हैं तो मैं आपके लिएएक कोशिश कर सकता हूं,,, ये बात सुनकर डॉली को तो , डूबते को तिनके का सहारा मिला हो, ऐसे लगा था उसने झट से हां कह दी कि वह पूरी कोशिश करेगी ,,,राज ने भी डॉली के चेहरे को देखा कि वह कितनी उत्साहित है,, उसने भी कहा कि ठीक है आप कागज तैयार करवाये, मैं सभी के दस्तखत ले आऊंगा,, दोबारा क्या प्रिंसिपल साहब नेएक टीचर को बुलाया और उनसे डॉली का इंटरव्यू लेने के लिए कहा ,,,
,कि डॉली का इंटरव्यू लेकर देखते हैं कि इसका एडमिशन किस कक्षा के लिए कर सकते हैं,,,, और डॉली उस टीचर के संग चली गई ,,,लगभग आधे घंटे बैठने के पश्चात क्लर्क ने आकर राज को कागज बना कर दे दिया ,और उस पर 5 लोगों के दस्तखत कराने के
लिए कहा ,,,,
राज और काकी का बर्ताव तो ज्यादा बढ़िया था ही ,तो कोई बड़ी बात नहीं थी उनके लिए तो सारा गांव ही तैयार रहता था राज दस्तखत करवाने गांव में चला गया,,, और काकीबाहर् बैठकर डॉली और राज का इंतजार करने लगी,,,,
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