Rajsharma Sex Story : प्रेम सेक्सी कहानी डॉली और राज की (Romance Special)
रोज की तरह आज भी थाने के बड़े अफसर अपने घर खाना खाने गए थे,, मैंने राज को खाने का डब्बा दिया और उस भले पुरुष को सारी बात बताते हुए उनसेएक फोन करने की मदद मांगी,, उन्होंने बिना किसी बहस के अपनी जेब से फोन निकाला और जल्दी से नंबर लगाकर मुझे फोन दे दिया कि मैंबाहर् जाकरउन्को सारी बात अच्छे से समझा दूं, और मैंने ऐसा ही किया सारी बात करने के पश्चात बड़े साहब के आने से पहले ही उनका फोन पुनः करके घर आ गई,, मैंने जैसे ही मालिक को फोन किया और राज का नाम बताया तोउन्को 1 मिनट भी नहीं लगा हमें पहचानने में वह हमारे बारे में पूछने लगे कि हम कैसे हैं ,,,,बताने से पहले मैं उनके सामने जी भर के रो ली थी पिछले 15,,,,20 दिनों में पहली बार कोई ऐसा मिला था जिसने हमारी खैरियत पूछी हो ,,,वर्ना तो सभी मेरी परछाई से भी दूर हो रहे थे , उन्होंने मुझे शांत करा कर सारी बात पूछी और मुझसे कल ही मिलने का वादा करके फोन रख दिया ,,,,
दूसरे दिन जब मैं खाना लेकर थाने पहुंची तो मुझे यकीन ही नहीं हो रहा था कि उन दोनों लड़कों के पिता और उनके संग उनकाएक वकील थाने में बैठे हुए थे ,,,मेरे लिए उनका पहुँचना किसी अचंभे से कम ना था ,मैंने सोचा भी नहीं था कि आज भी कुछ लोग ऐसे होंगे जो किसी के दुख दर्द कोइसे तरह से समझ पाएंगे,, उनको देखते ही मैं बुरी तरह से फूट पड़ी थी,,
मेरे आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे,,,, वह ज्यादा बड़े लोग थे और शहर से ज्यादा बड़ा वकील उनके संग आया था ,,ढाबा मालिक तो उनके पांव की धूल भी ना था ,,जब उन्होंने थाने में सारी सच्चाई बताई और राज की जिम्मेदारी अपने उपरि लेते हुएइसे घटना की दोबारा जांच करने के लिए कहा ,,,और ऐसा ना करने पर बड़े अफसर से शिकायत करने की धमकी भी दी तो थाने के बड़े अफसर भी बुरी तरह से डर गए ,और जब उनने अपनी पूरी टीम को ढाबा मालिक के इधर भेजा और सख्ती से पूछताछ की ,,,,राज के आने जाने का टाइम देखा , आसपास राज के बारे में पूछताछ की बात की थी ,तो उसकी सारी सच्चाई ,सामने आते देर न लगी , और जब हकीकत सामने आ गई तो दोबारा उसकी स्त्री को भी अपनी सच्चाई कबूल करनी पड़ी अंततः 20 ,,,25 दिन के पश्चात राज को छोड़ दिया गया,,,
उसके पश्चात राज घर आ गया जबएक मुसीबत ख़त्म हुई तो यहां दूसरी मुसीबत ने जन्म ले लिया था ,,सारी बस्ती में से कोई भी हम से सीधे मुंह बात करने को तैयार ना था राज पर ठरकी होने का ठप्पा लग चुका था सभी यही कह रहे थे कि बिन मम्मी बाप की औलाद अनाथ ,आवारा ,यही तो करेगा शराब और दारू पीकर ही तो बड़ा हुआ होगा,,, जिस मालिक ने इसे सहारा दिया उसी के घर में इसने ऐसा काम किया,,,
और उसके पश्चात उस बस्ती में सभी राज को ठरकी के नाम से ही बुलाने लगे थे ,,ऐसी बातें सुनकर मेरा
कलेजा मुंह को आता था जिस बच्चे ने पूरी जिंदगी में शराब को कभी छुआ भी नहीं, उसे ठरकी कहकर बुलाया जाने लगा था ,,,राज ने अपने बारे में ज्यादा सफाई दी सबको ज्यादा समझाया,, पर किसी ने उसकीएक न सुनी ,,
तब से ही मेरा राज ऐसा हो गया लोगों के लिए उसके मन मेंएक गुस्सा भर चुका था लोगों के मुंह से अपने लिए ऐसी बातें सुनता तो उसकी आंखों में खून उतर आता ,,और तब से उसके मन में लोगों की प्रेम की स्थान जिद और नफरत ने ले ली ,,अब हमें वहां पर कोई काम भी नहीं देता था,,राज के पास जो थोड़े पैसे थे जो उसने बैंक में इखट्टे किए थे ,,,उसी से हम अपना खर्चा चला रहे थे,, पर आखिर ऐसा कब तक चलता,एक डेढ़ महीने बादएक दिन अचानक ही हमारी खैरियत पूछने के लिए उन्हीं लड़कों के पिता ने हमें फोन किया उस वक्त राज घर पर नहीं था,, तो फोन मेंने ही उठाया उस दिन मैं ज्यादा ज्यादा परेशान थी ,और दोबारा जब उन्होंने अपनापन से पूछा तो मैंनेउन्को सारी बात बता दी ,,अपनी सारी परेशानियां एक-एक करके उनके सामने रख दी,
मेरीइसे बात पर वह हमसे बहुत नाराज थे कि उनके इतना कहने के पश्चात भी हमने अपनी परेशानीउन्को नहीं बताई उसके पश्चात दूसरे ही दिन ,, दोबारा हमारे पास हमारे घर पहुंच गए ,,,औरइसे बार उन्होंने राज को अपने पास बिठाकर बिल्कुल अपने बेटे की तरह प्रेम से समझाया ,उसके सिर पर हाथ फेरते हुए कहा बेटा
अगर आज तुम्हारे पिता जिंदा होते तो क्या तुम उन का दिया हुआ कुछ भी नहीं लेते,,,क्या मुझे अपना पिता नहीं मानोगे ,,,ऐसा कैसे हो सकता है कि किसी का बेटा मुसीबत में हो और उसका पिता उसके लिए कुछ भी ना करें,,,,
जो लिफाफा में तुझे दे रहा था वह आज भी मेरे पास बिल्कुल वैसा ही रखा हुआ है,,,, क्योंकि मैं तुम्हें दे चुका था ,,,और दी हुई चीज कभी पुनः नहीं ली जाती ,,,अब यदि तुम नहीं लोगे तो मैं समझूंगा कि तुम मुझे अपना पिता नहीं मानते ,,,और यदि इसे लेकर अपना नया जिंदगी शुरुआत करोगे तो मुझे ज्यादा खुशी होगी ,,,,,
देखो राज बर्बादी, बदनामी ,और जिद हमेशा किसी इंसान को बुरे रास्ते पर ले जाती है ,,,लेकिन इन पैसों से यदि तुम अपनी अच्छी जिंदगी शुरुआत करोगे तो तुम्हारे और काकी के लिए बढ़िया होगा ,,,
और मुझे भी बढ़िया लगेगा जब उन्होंने इतना समझाया और दोबारा मैंने भी उनके सामने ही राज को अच्छे से डांट लगाई कि बड़ों का अनादर क्यों कर रहा है इसे तरह से ,,,
आखिर वह तुमसे बड़े हैं उनके पांव छूकर पिता का आशीर्वाद समझकर ये लिफाफा रख ले,,,,,, और शायद तब ये बात राज की समझ में आ गई थी ,,,और उसने सभी की बात मान ली ,,उसने सोच लिया था कि वहइसे बस्ती को छोड़कर कहीं दूर जाकर नए तरीके से अपनी जिंदगी शुरु करेगा ,,,,,,,
राज ने सभी के समझाने पर उन लोगों से ₹5 लाख और जमीन के टुकड़े के कागजात रख लिए थे , तब राज को सच में उनमें अपने पिता ही नजर आ रहे थे, जिन्होंने पूरे अधिकार के संग राज को वह लिफाफा दिया था ,और जब राजइसे बात के लिए राजी हो गया, तो उन्होंने उसी वक्त हमसे सामान बांधने के लिए कहा,
क्योंकि वह सुबह से शाम तक यहीं थे और इतने टाइम में देख रहे थे कि कोई भी हमारे यहां ना आ रहा है ,ना हमसे बात कर रहा है मदद करना तो ज्यादा दूर की बात है, जब यहां आकर उन्होंने बस्ती में राज का घर पूछा था ,तब भी लोगों ने हंसते हुए राज का मजाक उड़ाया ,और कहा आप राज का घर पूछ रहे हैं ,या ठरकी का जिसने अपने मालिक का नमक खाया और उन्हीं के संग ऐसा काम किया ,वह तो ठरकी है और ठरकी को पीने के पश्चात होश ही कहां रहता है ,कि वह क्या कर रहा है,,,
सब की राज के बारे में यही राय थी ,सब उसे राज की स्थान ठरकी ही बुलाने लगे थे लेकिन उन्होंने कुछ ना कहते हुए हमारे घर का पता लगाया और घर तक आ
गए ,,
वह स्थिति से अच्छी तरह वाकिफ थे, कि राज का अब इधर रहना ठीक नहीं है,, यदि वह यहां रहा तो यही सभी बातें सुन सुनकर और ज्यादा परेशान हो जाएगा उन्होंने जबरदस्ती हमारा सामान बधवाया सामान था ही क्या ,सिर्फ थोड़े से कपड़े और कुछ रसोई का सामान, टूटी हुई निमाड़ के दो पलंग जो उन्होंने, यहीं पर छोड़ने के लिए कहे थे ,,जरा सा सामान उनकी बड़ी सी गाड़ी के उपरि और पीछे डिग्गी में ही आ गया था ,,अब चारों वही चल पड़े थे जहां पर उन्होंने राज को वह जमीन का टुकड़ा दिया था ,वह स्थान पास ही थी बस कुछ ही देर में सभी लोग वहां पर पहुंच गए थे,,
जेसे ही वहां पहुंचकर गाड़ी से उतरे तो आसपास के कुछ लोग उनसे मिलने आ गए थे ,वहां के लोगउन्को जानते थे क्योंकि यहां पर ज्यादा सारी जमीन उनकी थी, और कभी-कभी जमीन के सिलसिले में उनका पहुँचना जाना यहां हो जाता था ,सब लोग उनके पास आए तो उन्होंने राज से सभी का परिचय करवाया ,और राज को अपना खास बताकर सबसे यहां पर राज का का संग देने की बात कही, उन्होंने ये भी बताया कि राज ज्यादा मेहनती लड़का है ,और जो भी करेगा इसमें आप सभी इसका संग दे तो आपका भी फायदा होगा ,,जब उन्होंने राज की इतनी तरफदारी की, और उसके बारे में इतनी सारी अच्छी बातें बताई तो वहां के लोगों नेइसे बात को मान कर राज का अपनी बस्ती में स्वागत किया,,,,
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जगह तो मेन रोड पर थी, पर गांव के नाम पर वहां यही कोई 40, 50 घर बने हुए थे जिनमें लोग रहते थे और आसपास पड़ी जमीन में अपनी खेती करते थे ,उसी जमीन में वह जमीन का टुकड़ा था जो उन्होंने राज के नाम कर दिया था ,,
अभी तो वह जमीनएक खेत के रूप में ही थी उसमें रहने के लिए कुछ भी नहीं था, तो वहां पास ही खड़ेएक आदमी ने हमें अपने इधर रहने के लिए दो कमरे दे दिए थे, उन्होंने राज का सारा सामान उनके इधर रखवाया और जब आने लगे तो राज के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा ,कि उसे जब भी किसी चीज की जरूरत हो वह बिना किसी संकोच के कभी भी उनसे मदद ले सकता है ,,
पर राज के लिए तो उनकी यही मदद ज्यादा ज्यादा थी ,जिसे वह जिंदगी भर नहीं भूलता और जाते वक्त उन्होंनेएक बात और कहीं कि ,,मैं तुम्हें अपने बेटे की तरह आशीर्वाद के रूप में ये चीजें दे रहा हूं,, खबरदार जो कभी किसी एहसान को सोचते हुए तुमने चीजों के बारे में सोचा,, बस अब तुम यहां रह कर अपना कोई भी कम शुरुआत कर सकते हो ,और दोबारा बो लोग चले गए, अब राज की ही जिम्मेदारी थी ,कि वह स्वयं को कैसे साबित करता , और अपनी जिंदगी को कैसे आगे तक ले जाता ,,,
जब राज ने देखा कि ये रोड भी बहुत चलती है और दोनों तरफ से शहरों से जुड़ी हुई है ,इसे पर ट्रक और शहर से आने जाने वाले लोग पूरा दिन और रात गुजरते
ही रहते हैं ,और दोबारा आसपास कोई ढाबा भी नहीं था ,,क्योंकि राज को ढाबे का काम आता भी अच्छी तरह से था, तो उसने यहां पर अपनी जमीन के आगे वाले हिस्से में अपने हाथों से ही से एक बड़ी सी झोपड़ी बना ली थी और उनके दिए गए पैसों से कुछ सामान लाकर ढाबे का काम शुरुआत कर दिया अपनी मदद के लिए, गांव से कुछ लोगों को भी अपने यहां काम पर रख लिया था ,,
चूँकि राज को खाना बनाने का ज्यादा अंदाज नहीं था ,पर हिसाब किताब करना सामान लाना ,लोगों को खिलाना, उनसे पैसे लेना ,यह सारे काम उसे अच्छी तरह से आते थे ,तो अंदर खाना बनाने का काम में संभालती , राज ने दो औरतों को औरएक दो लड़कों को भी लगा दिया था मेरे संग काम के लिए ,,,झोपड़ी से राज नेएक पक्की सी दालान बनाई ,उसके पश्चात अंदर दो कमरे बनाए ,कुछ रुपया उसका बैंक में था कुछ ढाबे से आता था ,और जो रुपया उन्होंने दिया था ,,,,तो धीरे-धीरे धीरे बाकी पड़ी जमीन में बाउंड्री उठाते हुए पीछे भीएक कमरा बनवा लिया था ,अब हम अपनी जमीन के कमरे में ही रहने लगे थे,, उसके पश्चात हमने वहां पर पेड़ पौधे लगाना शुरुआत किया ,जो आज बड़े होकर फलदार वृक्ष बन चुके है,,
सबसे आगे ढाबा था ,उसके पीछे कुछ स्थान छूटी हुई थी जिसमें तरह-तरह की सब्जियां फूल और अमरूद के पेड़ लगा लिए थे,, ढाबे पर दूध की ज्यादा ज्यादा खपत थी ,,चाय बनाना ,दही की लस्सी बनाना ,पनीर
बनाना तो इन सभी के लिए शहर जाना पड़ता था दूध लाने को,,, इसको देखते हुए उसने 6,7 भेंसे भी पाल ली,, जिनकी देखरेख के लिए दो लड़के आते ,जो भैसों का दूध निकालना उनको नहलाना, और चारा देना ,सब कुछ करते थे ,राज मेहनती तो था ही, संग ही उसका मैनेजमेंट भी ज्यादा तगड़ा था, चाहे भले ही वह कभी स्कूल ना गया हो पर अपने बर्ताव और अपनी मेहनत से चार पांच वर्ष में ही उसने इतना रुपया कमा लिया था कि वह अपना घर बनवा सके ,और दोबारा पीछे पड़ी हुई जमीन में 6,,7 कमरों का ये बड़ा सा घर भी बनवा लिया था ,
जिसमें 5 कमरे नीचे और दो कमरे उपरि थे उपरि बाकी स्थान खाली पड़ी हुई थी, जिसमेंएक बड़ी सी छत थी,,,
आज के दिन राज के पास किसी चीज की कमी नहीं है, मेन रोड पर होने के कारण और राज की बेशुमार मेहनत से उसका ढाबा ज्यादा बढ़िया चल निकला ,,,
अब तो उसने ढाबा पूरी तरह से संभाल लिया था ,,और वह मुझे आराम देना चाहता है,,,,उसने मुझसे कहा कि बस में घर के काम ही देखू,,,, बाकी ढाबे का सारा काम राज ही देख लेता है,,,,
जब राज के ढाबे का शुभारंभ हुआ और बोर्ड बन कर आया तो उस पर बड़े बड़े अक्षरों में ,,ठरकी दा ढाबा,,, लिखा हुआ था ,,,में तो पढ़ नहीं पाती थी,, मैं बोर्ड देखकर खुश हो गई ,,,
और जब वह उपरि टांग चुका था तो गांव वालों ने पढ़ा
और पूछा भैया ये कैसा नाम दिया है आपने,,,,, राज दा ढाबा कितना बढ़िया नाम लगता ,यही लिखवादो ना और जैसे ही राज कुछ कहता ,तो मैने उसका हाथ पकड़कर इशारा करते हुए राज को कुछ भी कहने के लिए मना किया,मैं नहीं चाहती थी कि राज की बात सुनकर कोई उसे दुबारा गलत समझे, और उनके मन में किसी तरह का शक हो ,इसलिए मैंने उसको पुरानी कोई भी बात बताने से मना कर दिया मेरे कहने पर राज चुप हो गया,,,
लेकिन उसके पश्चात उसनेएक ही बात कही थी,,, कि मैंने ये नामइसलिये रखा है क्योंकि ये नाम मुझे हमेशा याद दिलाएगा कि दुनिया में कभी भी कुछ भी हो सकता है जिसे हम जैसा समझते हैं ,वह बैसा नही होता,,, जिसे हम रात समझते हैं ,वहीँ सवेरा हो जाता है ,,तो बस आज के पश्चात मैं दुनिया को इसी नजरिए सेदेख्ना शुरुआत करूंगा,,, उसके पश्चात राज के ढाबे को सभी ठरकी दा ढाबा के नाम से ही जानने लगे थे ,,लेकिनइसे बस्ती में सभी राज को ज्यादा प्रेम करते हैं ,बहुत इज्जत करते हैं उसकी राज भी बस्ती वालों के लिए हमेशा खड़ा रहता है,, बस हमारी जिंदगी इसी तरह से चल रही थी जब भगवान का दिया हमारे पास सभी कुछ हो गया, तो मैंने राज से कितनी बार कहा कि अब तू अपना ब्याह कर ले ,मेरे लिए बहु ला दे मैं ,भी चाहती हूं कि तेरे बच्चों का मुंह देखूं ,,,उसने कभी भी मेरीइसे बात का जवाब नहीं दिया ,जब मैं उससे ज्यादा कहती हूं ,,तो मेरी बात हंसी में टाल देता और कहता काकी तू
ज्यादा सपने मत देख,, तेरेइसे ठरकी की को कौन अपनी बेटी देगा ,,,
तब मैं कहती हूं आग लगे उनको कीड़े पड़े उनके मुंह में ,जो तुझे ठरकी कहते है, तूने तो कभी शराब का स्वाद भी ना चखा होगा और इतना बड़ा इल्जाम लगाते हुए लोगों की जबान क्यों नहीं सड़ी ,,,,
वह बस अपने काम से काम रखता है, और ढावे के सिवा उसे कुछ दिखता ही नहीं,,
मैं तरस गई हूं कि मेरे घर में भीएक बहू होती ,,राज के छोटे-छोटे बच्चे होते,, तो मेरा टाइमकैसे निकल जाता पता ही नहीं चलता पर भगवान को जो मंजूर हो वही होता है,, बहु ना सही पर उसके पश्चात बेटी के रूप में मुझे तू मिल गई और उसके पश्चात तो तुझे सभी पता ही है ,कि क्या चल रहा है,,,,, काकी ने अपनी बात को ख़त्म करते हुए डॉली से कहा ये सारी बातें मैंने तुझेइसलिये बताई है, कि जहां तू सिर्फइसे बात से हार मान रही है कि बच्चे तुझे कक्षा में सबसे बड़ी देखकर तुझ पर हंसते हैं ,तो दोबारा राज के बारे में सोच उसने इन सभी चीजों को कैसे झेंला होगा लेकिन दोबारा भी इन सभी को पीछे छोड़कर अपनी जिंदगी में आगे बढ़ा ,और उसने वह सभी कर दिखाया जो वह कर सकता था,,,इसलिये तू भी सारी बातों को भूलकर सिर्फ उस काम को ध्यान से देख जो तुझे करना है तेरी पढ़ाई ,,,,,अरे बच्चे हंसते हैं तो हंसने दे बच्चे ही तो है ,,बच्चों के संग तू भी थोड़ा हंस लिया कर,,, काकी ने हंसते हुए डॉली से कहा ,,,तो डॉली भी संग में हंसने लगी, और डॉली
ने काकी को भरोसा दिलाया की काकी आज के पश्चात स्कूल में चाहे कुछ भी हो, पर मैं उस बात को लेकर कभी भी परेशान नहीं होंऊँगी, मैं बस अपनी पढ़ाई करूंगी और कुछ नहीं,,,,
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अब तक डॉली को जहां राज से डर लगता था ,अब वही उसे राज के बारे में सोच कर ज्यादा बुरा लग रहा था ,और राज के सामने उसे अपने दुख कम लगने लगे थे उसने तो सिर्फ अपनी सौतेली मम्मी की मार ही खाई थी,,,पर राज ने तो गालियां और बदनामी भी झेली है ,जो इंसान को अंदर तक तोड़ कर रख देती है,,,पता नहीं क्यों परएक ही दिन में डॉली के लिए राज का डर बिल्कुल कम हो गया था ,,,,
काकी डॉली को राज की पूरी कहानी सुना चुकी थी, बचपन से आज तक उसके संग जो भी हुआ ,जैसे हुआ, और दोबारा उसने कैसे कैसे अपने मेहनत के दम पर ही ये सभी कुछ हासिल किया था, अपने बर्ताव से बस्ती में अपनी इज्जत बनाई ,परएक ही चीज थी जो काकी को हमेशा परेशान करती थी, बह थी राज की जिद और उसका गुस्सा ये गुस्सा उन लोगों के लिए था,जिसने राज के संग गलत किया था ,जो वह बस्ती में बताता तो नहीं था, लेकिन उसकी आंखों में हमेशा ही नजर आता था, राज ये बात किसी से कहता तो नहीं था, पर ये उसकी आंखों में दिखता था, काकी को हमेशाएक ही चिंता सताती थी ,कि उनके जाने के पश्चात राज का ध्यान कौन रखेगा ,वह तो अभी भी ठीक से अपना ध्यान नहीं रख पाता, इतना बड़ा हो गया है पर अब भी जब तक काकी थाली लगाकर ना दे ,उसके मुंह में निवाला नहीं जाता था , बहुत जब भी किसी मंदिर मस्जिद में जाती तोएक ही दुआ मांगती कि भगवान उसके राज का घर बसा दे ,यह सारी बातें काकी अपने मन में ही रखती थी किसे कहती , कौन था राज के उपरि हाथ रखने वाला ,जो
उसकी गृहस्थी बसा देता,
यह सारी बातें काकी डॉली को बता चुकी थी ,और उसने डॉली से कसम ली थी कि आज से वह सिर्फ और सिर्फ अपने बारे में सोचेगी, दुनिया उस पर हंसती है या कुछ कहती है, इन सभी के बारे में कोई भी मतलब ना रखेगी, और डॉली ने भी ये निश्चय कर लिया था, कि वह सिर्फ अपने बारे में सोचे यदि काकी और राज ने उसका संग दिया है ,तो वह उस पर खरी होकर दिखाएगी ,इसी तरह से बातें करते हुए दिन ख़त्म हो गया, और रात होते-होते दोनों सो गई,,,
दूसरे दिन दोबारा डॉली उठी और आज भी वह पूरे मन से तैयार हुई ,और टाइम पर स्कूल के लिए निकल गई थी, स्कूल जाते ही आज भी डॉली के संग वही हुआ ,कुछ बच्चे डॉली पर हंसे ,तो कुछ बच्चों ने उसे दीदी दीदी कहकर चिढ़ाया ,कई बार उसे क्लास में कुछ समझने में दिक्कत हुई और जब उसने मैम से पूछा तो भी बच्चों ने उसका मजाक बनाया कि आप तो सबसे बड़ी हो दोबारा भी कुछ नहीं आता ,,,डॉली को थोड़ी बुरा तो लगा पर वह अपनी बातों से पीछे नहीं हटी, इसी तरह से स्कूल जाते हुए और मेहनत करते हुए डॉली को 3 महीने बीत चुके थे, राज उसे रोज स्कूल छोड़ता ,और लेने भी पहुच जाता फिर भी स्कूल ज्यादा ज्यादा दूर नहीं था यही कोई 1 से डेढ़ किलोमीटर की दूरी थी घर से स्कूल की ,अगर कभी राज को कोई काम होता तो ,वह गांव के बच्चों के संग भी स्कूल से घर आ जाती थी ,,पर उसने कभी भी स्कूल की कोई छुट्टी नहीं
की, वह घर आकर भी पूरी मेहनत से पढ़ती रहती थी ,,
1 दिन डॉली कुछ पढ़ रही थी ,और उसे समझ में नहीं आया, वह बार-बारएक ही चीज को दोबारा याद करने की कोशिश करती दोबारा उसे पेपर पर लिखती, और परेशान होती ,,,राजनी डॉली को बड़े ध्यान से देख रहा था ,,,आखिर राज ने पूछ ही लिया,,,, महारानी तेरे को हुआ क्या है क्यों बार-बार पन्ने पलट रही है ,तब डॉली ने कहा कि मैं ज्यादा कोशिश कर रही हूं, पर ये प्रश्न मेरी समझ में नहीं आ रहा,,, राज भी विचारा क्या कर सकता था, उसे तो हिंदी ,गणित इंग्लिश की एबीसीडी भी नहीं आती थी, उस वक्त तो वह कुछ नहीं बोला लेकिन दूसरे ही दिनएक लड़के को घर लेकर आया,, डॉली से उसका परिचय करवाते हुए कहा महारानी ये तेरे को सभी कुछ बता देगा ,जो भी तेरे को नहीं आएगा ,,वह कुछ भी हो ये मास्टर पुरुष है, इसको पढ़ाई लिखाई का सभी कुछ आता है ,तू जो भी चाहे इससे बिंदास पूछ लेना क्यों रे मास्टर! सभी बता देगा न ,,,उस लड़के ने हंसते हुए कहा हां भैया मैं डॉली को अच्छे से पढ़ा दूंगा, वह लड़का गांव में पास ही रहता था ,और कॉलेज में पढ़ रहा था ,राज उसको ले आया था क्योंकि ट्यूशन से उसके पैसों का भी कुछ गुजारा हो जाता और दोबारा डॉली भी पढ़ लेती,,,
स्कूल से आने के पश्चात वह भी डॉली को पढ़ाने लगा था, डॉली कि जो भी स्कूल में समझ में नहीं आता वह आकर अच्छे से बता देता ,,,,और इससे डॉली की पढ़ाई में ज्यादा मदद मिली थी,, ट्यूटर के जाने के
बाद भी डॉली रात रात तक अपनी चीजों को याद करती ,उन्को रटती और कॉपियों पर लिखती आखिर 8 वर्ष की छूटी हुई पढ़ाई इतनी आसानी से कहां आने वाली थी ,,डॉली जब रात को पढ़ती तो काकी उसका पूरा ध्यान रखती थी , कभी उसको गर्म दूध देती तो कभी कुछ खाने को देती,,, डॉली कितना कहती कि काकी आप जाकर आराम करो में पड़ लूंगी पर काकी कहां मानने वाली थी उसने तो जैसे ठान लिया था कि वह अपनी डॉली को पास करा कर ही रहेगी,,, जब एडमिशन हुआ था तब परीक्षा के लिए 4 महीने बाकी थे,,, 3 महीने बीत गए उसके पश्चात डॉली का ट्यूशन लगा और अबएक महीना ट्यूटर को पढ़ाते हुए हो गया था ,बस दो-चार दिनों में ही डॉली के एग्जाम शुरुआत होने वाले थे ,जब डॉली का पहला पेपर था तो काकी ने उसे आशीर्वाद दिया दही शक्कर खिलाकर कान्हा जी को माथा टेकने के लिए कहा ,और उसे छोड़नेबाहर् तक आ गई ,,,,,राज पहले से ही तैयार होकर जीप में बैठा हुआ था, जब डॉली गाड़ी में बैठ गई और राज ने गाड़ी स्टार्ट की तो देखा कि डॉली ज्यादा घबराई हुई सी लग रही है, राज ने 2 मिनट के लिए बीच रास्ते में गाड़ी बंद की ,,,डॉली की तरफ देख कर कहा महारानी डरने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है ,देख तूने बिंदास मेहनत की है ,और मेहनत का फल बढ़िया ही मिलता है ,फिर वह तेरे कान्हा जी है ना उनसे तू बोल कर आई है, तो वह तेरी हेल्प करेंगे ,तेरी परीक्षा देने में ,,,डॉली ने कहा हां मैं पूरी कोशिश करूंगी कि मैं
अच्छे से परीक्षा दूं, पर दोबारा भी मुझे थोड़ा डर लग रहा है ,राज ने दोबारा नहीं डॉली की तरफ देखते हुए कहा!!
मैंने कहा ना तू डर मत बस बिंदास ओके परीक्षा दे ,,,, ठीक है यदि तुझे डर लग रहा है ,तो चल इधर आ डॉली राज कीइसे बात पर भी थोड़ा डर गई थी ,जब डॉली उतरी नहीं तो राज गाड़ी की दूसरी तरफ गया और डॉली का हाथ पकड़कर खींचते हुए नहर के पास ले आया ,उसने डॉली से आंखें बंद करने के लिए कहा ,,,
जब डॉली ने आंखें बंद कर ली, तो नहर में सेएक छोटा सा पत्थर उठाकर डॉली के हाथ पर रख दिया, और कहा तेरी जो भी मन्नत हो तू लपेट देइसे पत्थर में ,और आंखें बंद करके पानी में फेंक, ये कहकर चुपचाप बगल में खड़ा हो गया ,डॉली ने कस के उस पथ्थर को अपनी मुट्ठी में दबा लिया और कुछ बुदबुदाते हुए पुनः पानी में फेंक दिया जब आंखें खोली तो राज बगल में खड़ा हुआ मुस्कुरा रहा था ,उसने नीले से पूछा,,तेरा डर कुछ कम हुआ, तब डॉली भी मुस्कुरा उठी थी, उसने हां में सर हिलाया और दोबारा गाड़ी की तरफ जाते हुये उसने कहा ठीक है चल अब जल्दी से गाड़ी में बैठ वरना हम तेरी परीक्षा के लिए लेट हो जाएंगे राज ने बताया कि बचपन से ही जब उसे किसी भी चीज से डर लगता है , या उसे किसी चीज की मन्नत होती है तो वो ऐसे ही मुट्ठी में पत्थर बंद करके नहर में फेंक देता है और उसकी बह मन्नत जरूर पूरी होती है और साला डर भी ख़त्म हो
जाता है,,,
तूने ऐसा किया अबदेख्ना तेरी मन्नत भी पूरी होगी,,,, डॉली को राज के मुंह से ऐसी बात सुनकर ज्यादा बढ़िया लगा , उसका मन ज्यादा हल्का हो गया , और उसके होठों पर मुस्कान भी आ गई थी ,आज उसने राज काएक अलग ही रूप देखा था ,तभी स्कूल आ गया राज ने उसको गाड़ी से उतारा और दोबारा से बोला बेस्ट आफ लक डॉली ने मुस्कुराते हुए सेवा से कहा थैंक्यू और स्कूल के अंदर चली गई ,इसी तरह से डॉली के सारे पेपर ख़त्म हो गए थे, हर पेपर में राज उसको छोड़ने आता ,उसे बेस्ट आफ लक कहता ,और दोबारा लेने आता तब भी पूछता कि उसने परीक्षा कैसी दी परीक्षा के पश्चात 15 दिन इंतजार किया और आज वह टाइमआ गया ,जब डॉली का रिजल्ट आने वाला था काकी, डॉली और राज तीनों उसका रिजल्ट लेने स्कूल जा रहे थे ,सारे बच्चे क्लास में लाइन से अपने माता पिता के संग बैठे थे और मैडम जी रोल नंबर के अनुसारएक एक करके बच्चों को अपनी टेबल के पास बुलाकर उन की मार्कशीट देती जा रही थी अब वह टाइमभी आ गया जब मैडम जी ने डॉली का नाम बोला जैसे ही मैडम जी ने
डॉली को अपने पास बुलाया, डॉली थोड़ा नर्वस हो गई थी, पर काकी ने कस के नीले का हाथ थामा और उसको लेकर मैडम जी के पास गई,, और सामने खड़े होकर अपने रिजल्ट का इंतजार करने लगी,,,
मैडम ने कुछ मार्कशीट उपरि नीचे की और डॉली का
नाम देखकर मार्कशीट निकालते हुएएक हल्की सी मुस्कान के संग डॉली की पीठ थपथपाई ,और मार्कशीट राज के हाथ में पकड़ा दी ,,राज बड़े ध्यान से मैडम को देख रहा था ,उसने डायरेक्ट मैम से बोला अपुन को बस येजान्ना है कि महारानी पास तो हो गई ,,,
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