Rajsharma Sex Story : प्रेम सेक्सी कहानी डॉली और राज की (Romance Special)
लगभग 1 घंटे पश्चात डॉली टीचर के संग जबबाहर् आई तो वह बहुत खुश दिख रही थी टीचर सीधी प्रिंसिपल के रूम में गई और प्रिंसिपल साहब ,से डॉली और काकी को अंदर बुलाया और कहा ,कि देखिए हमें पूरा भरोसा है कि आपकी डॉली अच्छे से पढ़ पाएगी ,,इसे जो भी आता हो पर इसकी लगन और मेहनत देखकर मैं कह सकती हूं मेरा मतलब मेरे टीचर ने जो बताया कि ये बच्ची परीक्षा पास जरूर कर लेगी,,, बस आपको उसका संग देना होगा और इसकी लिखावट और इसकी समझ को देखते हुए हम कक्षा आठवीं में इसका एडमिशन कर रहे हैं ,,, और डॉली को अपने पास बुला कर टीचर ने उसकी पीठ ठोकते हुए कहा!! डॉली तुम्हें कर दिखाना है कि तुम कर सकती हो, तुम कल से स्कूल आ सकती हो ये सुनकर तो डॉली आंखों में आंसू ही आ गए थे ,,,खुशी के मारे वह टीचर से कुछ बोल भी नहीं पा रही थी,,, और तभी कुछ ही देर में राज भी वह पेपर लेकर आ चुका था उसने प्रिंसिपल साहिबा को पेपर दिया और उनका शुक्रिया
अदा किया ,,,काम इतनी जल्दी हो जाएगा उनने सोचा भी नहीं था और शायद अब डॉली की किस्मत उसका संग दे रही थी ,,, यदि वक्त ने उसको रुलाया था ,तो अब शायद उसके संग सभी कुछ बढ़िया ही होने वाला था ,डॉली से जब मैडम जी ने उनके माता-पिता का नाम पूछा तो उसने काकी की तरफ देखा,,,,
पर काकी ने डॉली के असली माता पिता का नाम ही वहां बताया ,क्योंकि वह नहीं चाहती थी कि डॉली की मम्मी जो उसको इतना प्रेम करती थी ,,उसकी स्थान कोई और ले ,जब डॉली ने बताया था कि उसके पिता पास ही किसी फैक्ट्री में काम करते थे, तोएक दिन राज ने वहां जाकर सारा पता किया और उनके पिता के जो भी कागजात थे,डॉली को संग ले जाकर सारे निकलवा लिए थे,, जिसमें उनका राशन कार्ड ,आधार कार्ड डॉली का बर्थ सर्टिफिकेट ,सब कुछ था ,
और वह सारे कागज डॉली के पास आ चुके थे ,,,तो बस उसी बेस पर डॉली का एडमिशन आसानी से हो गया ,,, ये सभी जब पुनः घर आने लगे तो राज ने , जीप घर की तरफ ना लेकर बाजार की तरफ ले ली और थोड़ी ही देर में जाकर किताबों की दुकान के सामने जीप रोक दी,, जीप से उतरने से पहले ही आवाज लगाई होए,,,, छोटू अपन को आठवीं की कक्षा काएक पूरा सेट दे दे किताबों का,,, राज तो पहले से सभी को जानता था ,,,तो उसकी तोएक आवाज पर ही उसका काम हो जाता था,,
दुकान वाला हंसा और बोला क्यों राज भैया स्कूल
जाने का इरादा कर लिया है क्या आपने ,,,,,
राज ने गाड़ी की चाबी निकाली और उंगली में चाबी को घुमाता हुआ दुकान पर खड़ा हो गया ,,,अभी तक डॉली काकी के संग जीप
में ही बैठी हुई थी,,,,
राज ने आवाज लगाई ओओ महारानी तू वही बैठी रहेगी, कि अपनी किताबों और कॉपियों को लेने यहां आएगी ,,,
देखता हूं तू इन किताबों को उठा भी पाती है कि नहीं ,,,,
डॉली जल्दी से जीप से उतरी और दुकान पर जाकर राज के बगल में खड़ी हो गई ,,दुकान वाले ने जब कक्षा आठवीं की नई नई किताबें निकालना शुरुआत की तो वह एकटक उनको देखे जा रही थी ,,,जैसे सालों से बिछड़ी हुई कोई चीज उसके आगे सामने आकर खड़ी हो गई हो ,,,, किताब को छू कर देख रही थी जब दुकान वाले ने सारी किताबें निकाल दी और दोबारा राज की तरफ देखते हुए बोला भैया जी कॉपियां भी देनी है क्या
इसके संग राज ने उसे आंखे दिखाते हुए कहा !!! अबे साले अपन को क्या पता कि क्या क्या आता है उसके संग ! जो भी आता है बस सभी डाल दे फटाफट ,अपुन कभी स्कूल गया है क्या जो उसके बारे में कुछ पता होगा,,,,,
पास खड़ी डॉली को भी डांटते हुए बोला महारानी तू भी अपना मुह खुलेगी कि नहीं अरे तू तो पहले भी
स्कूल गई है, कुछ तो जानती होगी कि क्या-क्या लगता है,,
कि अपुन की इज्जत का कचरा करवाएगी सबके सामने !!!!
अब डॉली ने कहना शुरुआत किया ,भैया जी!!
कॉपियां निकाल दीजिए ,पेंसिल भी दे देना और हां कॉपियों पर चढ़ाने के लिए कबर और टेप भी दे देना ,और कलर भी दे देना!!!
दुकानदार ने डॉली से कहा तुम्हारी पढ़ाई का तो सारा सामान हो गया है ,पर स्कूल में एक्स्ट्रा एक्टिविटीज भी चलती है जिसके लिए ड्राइंग बुक और कलर भी रहते हैं यदि आप कहो तो आपको अच्छे से आयल पेंट कलर और ब्रश भी निकाल दूँ,,,, डॉली ने धीरे-धीरे से कहा नहीं भैया जी रहने दीजिए ज्यादा महंगे होते हैं वह कलर,,,,मेरा सारा सामान हो चुका है ,तब दुकान वाले ने हंसते हुये ,,,, राज की तरफ देखा और कहा ,,,,
अरे जब राज भैया आपके संग हैं तो आपको सस्ते और महंगे सोचने की क्या जरूरत ,,,और डॉली को अच्छी सी ड्राइंग बुक ,ब्रश और सारे पेंट कलर दे दिए,, जब सारा सामान पैक हो गया, तो राज ने पूछा कि सारा सामान हो गया की अब चलें कुछ और भी लेना है,,, डॉली ने सिर झुकाते हुए हां में जवाब दिया सभी कुछ हो गया ,,,
राज दोबारा अपना सिर खुजलाता हुआ डॉली से बोला,,, महारानी तुझे कुछ याद भी रहता है कि नहीं
अरे सारी किताबों को स्कूल सर पर लेकर जाएगी क्या
उसके लिए बैग भी तो चाहिए और हां क्या ये सलवार सूट दुपट्टा पहन के स्कूल जाएगी मैडम जी ने स्कूल ड्रेस के लिए भी बोला था तो वह भी सामने दुकान पर ही मिल जाएगी,, तीनों सामने की दुकान पर गए जहां वाइट सर्ट, ब्लू स्कर्ट ,जूते और संग ही लंच बॉक्स और बोतल ,,, सारा सामान पैक करवा लिया ,,,और जीप में रखकर तीनों घर की तरफ आ गए ,,,,
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,डॉली के लिए ये दिन किसी सपने से कम नहीं था,, उसने सोचा भी नहीं था कि वह स्कूल जाएगी और वह भी नई नई किताबें और नई ड्रेस पहनकर,,, आज से 8 वर्ष पहले ही उससे ऐ सभी कुछ छीन लिया गया था ,,और जब दोबारा उसका मुहूर्त आया तो ज्यादा लंबा वक्त बीत चुका था पर आज वह ज्यादा खुश थी ,,सारा काम करके तीनों शाम तक ही घर पुनः आ पाए थे ,,,,आकर हल्का सा अंधेरा होने लगा था आते ही राज ढाबे पर निकल गया और काकी दिया बत्ती करने लगी,,,,
डॉली ने अपनी सारी कॉपी किताबें खोली और उन पर कवर चढ़ाने लगी,,,
† डॉली के स्कूल का पहला दिन
डॉली को रात भर स्कूल जाने की खुशी में नींद ही नहीं आई थी,वह उठकर धीरे-धीरे से लाइट जलाटी और अपनी कॉपी किताबों को अच्छी तरह से निहार लेती , और लाइट बंद करके दोबारा सोने की कोशिश करती लेकिन उसकी आंखों में नींद का नाम नहीं था, पूरी रात ऐसे ही निकल गई डॉली को सुबह 800 बजे स्कूल के लिए निकलना था वह सुबह 500 बजे ही उठ गई जल्दी से नहा धोकर नाश्ता बनाने लगी, तभी काकी भी उठकर डॉली के पास आ गई ,वैसे तो काकी को डॉली को देखकर कर ज्यादा खुशी हो रही थी कि वह स्कूल जाने के लिए बहुत उत्साहित है ,पर प्रेम सेएक हल्की सी झिड़की लगाते हुए कहा ! तुझे क्या जरूरत थी इतनी जल्दी उठकर नाश्ता बनाने की अरे आज तेरे स्कूल का पहला दिन है ,तेरे लिए मैं बढ़िया सा नाश्ता बनाऊंगी, जब देखा तो आलू उबल चुके थे ,और आटा भी गूंथ दिया था, आटे की परात अपनी तरफ खींचते हुए काकी ने डॉली से कहा ,,,तू अपनी कॉपी किताबें अच्छे से जमा ले ,जब तक मैं तेरे लिए गरम-गरम आलू के पराठे
सेकती हूं तेरा डब्बा भी लगा दूंगी, और हां तेरे लिए हलवा भी बना देती हूं आज तेरे स्कूल का पहला दिन है तो कुछ मीठा खा कर जाना,, दोबारा हलुआ राज को भी बहुतपस्न्द है तो वह भी खा लेगा ,,, डॉली ने जल्दी सेएक तरफ चाय चढ़ा दी ,और हरा धनिया टमाटर की चटनी भी बना कर रख दी थी ,जिससे काकी को ज्यादा काम ना पड़े, उसके पश्चात काकी गरम-गरम आलू के पराठे सेकने लगी,, और डॉली जाकर स्कूल के लिए तैयार होने लगी पहला दिन था तो उसके मन में जितना उत्साह था उतना डर भी था, कि कहीं कोई चीज छूट न जाए उससे,, कोई गलती ना हो जाए ,, डॉली तैयार हुई उसने अपनी नई स्कूल ड्रेस पहनी रिबन से दो चोटियां बनाई और बैग में सारी कॉपी किताबों को सजाकर करीने से रखा ,,अब तक काकी उसके लिएएक प्लेट में गर्म चाय और पराठे के संग चटनी ले आई थी,, डॉली देखते ही कहने लगी का कितना सारा ,मैं नहीं आ पाऊंगी,, काकी ने भी डांटते हुए कहा चुपचाप खा ले वहां पता नहीं कितनी देर में तुझे खाने को मिलेगा ,पता चला भूख से तेरा मन पढ़ाई में ही नहीं लग रहा ,,जैसे ही डॉली ने पराठे का पहला कौर तोड़ा कि पीछे से राज भी आ गया, उसनेएक उड़ती सी निगाह से डॉली को देखा और बोला ,,,,
देख महारानी तेरे स्कूल का पहला दिन है और तेरे चक्कर में अपुन को भी रात भर साला नींद नहीं आई ,,सुबह ही उठ गया हूं अब तू स्कूल जा रही है ,,,,,
तो ठीक से पढ़ाई करने का, अपुन की इज्जत का फालूदा मत बना देना , जाकर पूरा मन लगाकर पढ़ाई करना और पास हो कर दिखाना,,, जिससे अपन भी छाती चौड़ी करके वो तेरे स्कूल मास्टर के सामने जा सके और हां अपुन को स्कूल के मामले में लेटलतीफी बिल्कुलपस्न्द नहीं है,,,
देख मैं रोज बस्ती में सब्जी लेने तो जाता ही हूं रास्ते में ही तेरा स्कूल पड़ता है, तो तुझे छोड़ दिया करूंगा, बस तू सुबह टाइम पर अपुन कोबाहर् खड़ी मिलाकर,,,
डॉली राज की बात सुनते हुए सिर नीचा करके चुपचाप पराठे का कौर निगलती जा रही थी ,,,क्योंकि राज के सामने तो उसकी बोलती वैसे भी बंद हो जाती थी, और वह जब भी कोई लेक्चर देता, तब तो जैसे डॉली की जान हलक में ही अटक जाती थी,, उसने काकी का दिया हुआ एक पराठा ख़त्म किया , जल्दी-जल्दी प्लेट से चाय पीकर अपना खाने का डिब्बा बैग में रखा और जाकर कान्हा जी के सामने हाथ जोड़कर कुछ कहने लगी, आते-आतेएक बार दोबारा लड्डू गोपाल के सामने सिर झुकाया और जल्दी सेबाहर् आ गई ,
यह देखकर राज बोलने लगा ओ ,,,,सहजादी अपुन ने तेरे कान्हा जी का एडमिशन नहीं करवाया है स्कूल में ,तो खाली तेरे ही जाने का है , उनसे जो भी बात हो पश्चात में आकर कर लेना बता देना उनको बराबर के
स्कूल में क्या हुआ है ,,,,,काकी डॉली को छोड़नेबाहर् तक आई थी और जब डॉली गाड़ी में बैठी तो काकी ने प्रेम से उसका माथा चूमा और उसके भविष्य के लिए उसे शुभकामनाएं दी, संग ही राज कोएक हल्की सी फटकार भी लगाई खबरदार जो रास्ते में डॉली को तूने डांटा ,अरे वह स्कूल जा रही है 2 शब्द प्रेम से भी बोल दिया कर ,,,राज ने चुपचाप गाड़ी स्टार्ट की और स्कूल की तरफ बढ़ा दी गाड़ी स्कूल केबाहर् पहुंच चुकी थी,, डॉली गाड़ी से उतरी और राज के सामने खड़ी हो होकर उसकी तरफ देखने लगे लगी, कि शायद वह उससे कुछ कहे ,,, राज ने गाड़ी बंद की और डॉली की तरफ देख कर कहा देख तुझे किसी से स्कूल में डरने की जरूरत नहीं है ,अगर तुझसे कोई भी कुछ भी कहता है तो बिंदास अपुन को आकर बता ,,,,बस तू पढ़ाई में अपना मन लगा ,,,,,
अब जा ,,,,,,जैसे ही डॉली जाने लगी तो राज ने दोबारा उसे आबाज़ दी,,,
महारानी सुन !!!!!!!डॉली जैसे ही पलटी तो राज उससे बोला ,,,जब वह कुछ बढ़िया काम करते हैं ना ,तो कहते हैं ना,,
कि बेस्ट ऑफ लक
तो वह अपन तेरे से भी बोलता है की बेस्ट ऑफ लक ,,राज ने अपने सिर में खुजली करते हुए हंसकर डॉली से कहा ,,
डॉली ने भी राज को थैंक्यू बोला और स्कूल के अंदर चली गई ,,
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डॉली जब स्कूल के अंदर पहुंची तो बच्चे स्कूल में आते ही जा रहे थे स्कूल में प्रेयर का टाइम 900 से 915 तक रहता था उसके पश्चात क्लास लगना शुरुआत होती थी ,डॉली आज टाइम से पहले ही स्कूल पहुंच गई थी और शायद ये उसके लिए बढ़िया भी था, डॉली ने वहां कुछ बच्चों से पूछा की कक्षा आठवीं किस तरफ है जैसे ही बच्चों ने सुना कि डॉली कक्षा आठवीं के लिए आई है तो हंसना शुरुआत कर दिया,, डॉली कुछ आगे बढ़ गई दोबारा उसने दूसरे बच्चे से पूछा उसने भी कुछ ऐसा ही किया तभीएक मैडम पास से गुजरी और उन्होंने डॉली की स्थिति को समझते हुए बच्चे को डांटा और डॉली को कक्षा आठवीं की तरफ इशारा किया ,बेटा वहां पर क्लास है आप उसमें
जाकर बैठो,,,
डॉली कक्षा की तरफ बढ़ते हुए अंदर जा चुकी थी ,और जब कक्षा में जाकर देखा तो सभी बच्चे डॉली से छोटे थे, जैसे ही क्लास में गईएक बार तो सभी बच्चे ठहाका लगाकर जोर से हंस पड़े ,तभी मैडम जी क्लास में आ गई और बच्चों को डांटते हुए चुपचाप बैठने के लिए कहा ,,उसके पश्चात डॉली का सबसे परिचय करवाया ,डॉली ने मुस्कुराते हुए सबको अपना नाम बताया और बच्चों से दोस्ती करने की इच्छा जाहिर की उसके पश्चात सभी प्रेयर की लाइन लगाने लगे डॉली क्लास में सबसे बड़ी दिख रही थी तो उसको सबसे पीछे लगाया गया ,,धीरे-धीरे बच्चों की लाइन ग्राउंड में आने लगीं,
प्रेयर ख़त्म हुई और बच्चे पुनः लाइन लगाकर अपनी
क्लास में चले गए,,,
टीचर ने सबसे पहले सभी बच्चों के नाम बोलकर उनकी अटेंडेंस ली और दोबारा सबसे पहले हिंदी पढ़ाना शुरुआत किया ,क्लास टीचर एक-एक करके 5 बच्चों को खड़ा कर चुकी थी ,टीचर ने डॉली की तरफ देखा जबउन्को लगा ,कि वह भी किताब पढ़ना चाहती है तो उन्होंने सीधे डॉली से ना कह कर बच्चों की राय जानी चाही,,,
क्या आप में से कोई किताब की रीडिंग करना चाहता है
डरते डरते डॉली ने धीरे-धीरे से हाथों उपरि किया फिर भी प्रिंसिपल मैडम पहले ही सभी टीचर्स को बता चुकी थी कि डॉली को किस कंडीशन में एडमिशन दिया जा रहा है तो ये हमारी जिम्मेदारी बनती है कि उसको सपोर्ट करें और उस को आगे बढ़ाएं ,, वैसे भी राज का बर्ताव बहुत बढ़िया था सभी से तो यही सोचते हुए टीचर ने डॉली को किताब पढ़ने का मौका दिया ,,,हालांकि हिंदी तो डॉली को बहुत अच्छी तरह से आती थी वह खड़ी हुई और स्वच्छ और शुद्ध शब्दों के संग पूरा पाठ पढ़कर बच्चों के सामने सुना दिया क्लास के सभी बच्चे किताब ज्यादा अच्छे से पढ़ना जानते थे,, पर नीले की कंडीशन इन सभी से कुछ अलग थी तो टीचर ने जाकर डॉली कि पीठ थपथपा कर उसका हौसला भी बढ़ाया ,और डॉली को आगे बढ़ाने के लिए इतना बहुत था ,उसके पश्चात दोबारा विज्ञान ,गड़ित औरएक एक करके सारे सब्जेक्ट के
पीरियड लगाए गए,, डॉली को कुछ चीजें समझ में आई तो कुछ उसके उपरि से भी निकल चुकी थी,, पर हां इतना जरूर था कि पूरे दिन में 1 मिनट के लिए भी उसकी कोशिश कम नहीं हुई थी ,,टीचर का लेक्चर हो चाहे बोर्ड पर लिखी हुई कोई बात हो डॉली ने सभी बातों को ज्यादा ध्यान से सुना और समझा था,, दोपहर काएक बज चुका था,और बस छुट्टी होने ही वाली थी जैसे ही घंटी बजी बच्चे बैग लेकर दौड़ते हुए क्लास सेबाहर् जाने लगे ,डॉली ने भी अपना बैग लगाया और धीरे-धीरे धीरे चलती हुईबाहर् आ गई ,,,जहां उसे राज की जीप खड़ी हुई दिखी , राज आसपास नहीं दिख रहा था ,
पर उसने जब नजर घुमाई तो राज स्कूल के अंदर जाता हुआ दिखा, वह शायद डॉली को लेने ही जा रहा था ,,और डॉली जाकर जीप के पास खड़ी हो गई ,,,, पर शायद मैडम जी ने अंदर से ही देख लिया था कि राज डॉली को लेने आ गया है, तो डॉली को स्कूल सेबाहर् जाने की परमिशन दे दी थी, हां ये टीचर की ही रिस्पांसिबिलिटी रहती थी कि जब तक बच्चों के अभिभावकउन्को लेने ना आए या उनकी तरफ से कोई सूचना ना दी गई हो बच्चों को स्कूल सेबाहर् नहीं निकाला जाता था, गाड़ी में पीछे सामान भरा हुआ था,तो डॉली राज के बगल में आगे वाली सीट पर ही बैठ गई बैग को कंधे से उतारते हुए अपनी गोदी में रखा और बोतल से पानी पीने लगी,, राज ने गाड़ी
स्टार्ट करके आगे बढ़ाई और डॉली से पूछा !
महारानी कैसा लगा तेरे को स्कूल में
डॉली जब स्कूल से आकर राज की जीप में बैठी और राज ने घर जाने के लिए जीप स्टार्ट की तो रास्ते में डॉली से पूछा
महारानी कैसा लगा तुझे स्कूल में ,डॉली कुछ देर चुप रही उसे तो राज की किसी भी बात का जवाब देने में वैसे ही डर लगता था और आज तो वह वैसे ही थोड़ी घबराई हुई थी ,उसे स्वयं ठीक से समझ में नहीं आ रहा था कि उसका ये दिन कैसा रहा इसको वह बढ़िया कहे या बुरा, दोबारा उसे डर था कि वह राज से कुछ भी कहेगी पर उसे डांट जरूर पड़ने वाली है,,
स्टेरिंग पर हाथ रखते हुए राज ने दोबारा डॉली की तरफ देखकर पूछा, तू अपुन के सामने गूंगी क्यों बन जाती है , जो पूछ रहा हूं उसका सीधा सीधा जवाब क्यों नहीं देती, तेरे को स्कूल में कोई प्रॉब्लम तो नहीं हुई ना मेरा मतलब ,किसी तरह की कोई परेशानी तूने पढ़ाई वढ़ाई तो कि स्कूल में,,,
या दोबारा साला अपनी इज्जत का कचरा करने के वास्ते इतनी उठापटक करवाई,, डॉली कुछ जवाब देती इससे पहले ही वह दोनों घर पहुंच चुके थे ,डॉली ने नीचे उतरने के लिए जब गेट खोलना चाहा तो वह कहीं
अटक गया था ,वह बार-बार गेट खोलने की कोशिश करने लगी, जब राज ने देखा कि डॉली से गेट भी नहीं खोला जा रहा है ,,तो दूसरी तरफ आकर गेट खोला और डॉली के उतरने के पश्चात उसमें से बैग बोतल निकालकर डॉली को पकड़ा दिए,, जल्दी से गाड़ी की चाबी निकाली और भागता हुआ डॉली से पहले ही अंदर पहुंच गया ,अंदर जाते संग ही काकी को जोर से आवाज लगाई ,काकी ,काकी ,,,,,
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