Rajsharma Sex Story : प्रेम सेक्सी कहानी डॉली और राज की (Romance Special)
तब मैडम मुस्कुराई और उन्होंने इत्मीनान से कहा !
हां राज डॉली पास हो गई है ,डॉली पांव उपरि कर कर के राज के हाथ में पकड़ी हुई मार्कशीट को बार-बार देख रही थी ,कोशिश कर रही थी कि अपने सारे नंबर देख सके तब राज ने मार्कशीट डॉली ले हाथ में पकड़ाई ,और बोला अगरदेख्ना है तो ठीक से देख लेना ,यह क्या आड़ी, टेढ़ी हो रही है पर नम्बर देखकर डॉली ज्यादा खुश नहीं थी क्योंकि उसको सिर्फ पासिंग मार्क नंबर ही मिल पाए थे,, हां हिंदी में उसके नम्बर बहुत अच्छे थे, लेकिन इंग्लिश गणित और विज्ञान में वह बॉर्डर पर ही थी ,,जब राज ने देखा कि डॉली उदास है, तो उसने घबराते हुए पूछा ,महारानी तू पास तो हो गई है ना कि,,, मैडम जी को कुछ गलतफहमी हो गई ,मैडम डॉली के अंदर की बात समझ चुकी थी,,, उन्होंने डॉली को अपने पास बुलाया और उसे समझा कर कहा ,डॉली यदि तुम पास हो गई हो तो भी हमारे लिए ये ज्यादा बड़ी बात है ,तुम जानती हो ज्यादा सारे ऐसे बच्चे भी फेल हुए हैं ,जो लगातार रोज स्कूल आ रहे हैं तुम्हें तो स्कूल छोड़े हुए 8 वर्ष हो चुके, डॉली ये तुम्हारी ज्यादा बड़ी उपलब्धि है कि तुमने सिर्फ 4
महीने में पास हो कर दिखा दिया ,तुम्हें बिल्कुल भी उदास होने की जरूरत नहीं है ,और मैं ये बात गारंटी के संग कह सकती हूं ,कि तुम आगे नौवीं कक्षा में ज्यादा बढ़िया कर पाओगी पर हां जैसे मेहनत अभी की है इसी तरह से आगे करते रहना ,जब मैडम की इतनी अच्छी बातें राज और काकी ने सुनी तो वे दोनों भी ज्यादा खुश हो गए ,,,और राज ने दोबारा कहा शहज़ादी तू पास हो गई है, यही मेरे लिए ज्यादा बड़ी बात है, अब चल तेरे पास होने की पार्टी मनाएंगे राज ने मैडम जी को शुक्रिया दिया और डॉली और काकी के संग घर आ गया, काकी और राज तो ज्यादा खुश थे, कि कम से कम डॉली पास हो गई और 9वीं कक्षा में उसका एडमिशन हो जाएगा, उनके लिए यही बहुत था ,घर आकर राज ने कहा तू बता तेरे को पास होने का क्या चाहिए ,
अपुन तुझे लाकर देगा,,, डॉली ने कहा मुझे कुछ भी नहीं चाहिए मेरे पास सभी कुछ है,, हां यदि आप शहर जाएं तो मेरे कान्हा जी के लिए कपड़े ले आइएगा ,उनके दोनों कपड़े पुराने हो गए हैं,,,
बस इतनी सी बात ,तो चल ठीक है मैं आज ही शहर जा रहा हूं ,तू और काकी भी मेरे संग चल ,,तेरे कान्हा जी के संग साथ हम सभी के नए कपड़े आएंगे ,और दोबारा तेरी वह नवी कक्षा की किताबें भी तो लेना है ,तो हम देर क्यों करें आज ही ले आते हैं स्कूल चाहे जब खूलें तू आज से ही पढ़ना शुरुआत कर दे किताबों की बात सुनकर डॉली खुश हो गई थी ,उसने और काकी ने
जल्दी से खाने-पीने का काम निपटाया ,और शहर जाने के लिए तैयार हो गई ,
डॉली ने आज राज काएक नया ही रूप देखा था ,उसका समझाना उसका खुश होना ,डॉली को आज ज्यादा बढ़िया लग रहा था,, तीनो शहर पहुंच चुके थे वहां से सबसे पहले कान्हा जी के लिए कपड़े खरीदे ,कान्हा जी भी डॉली की गोद में ही थे उनके लिए कपड़े लेने दे तो उनको तो संग लेकर पहुँचना ही था, डॉली के लिए भी कपड़े लिए ,काकी के लिएएक अच्छी सी साड़ी ली और राज के लिए डॉली ने अपनीपस्न्द कीएक हाफ जैकेट और जींस लिया ,डॉली की सारी किताबें और कुछ घर का सामान ,राज जब भीएक दो महीने में शहर जाता था, तो घर का सारा जरूरी सामान वहीं से लेकर आता था ,अब डॉली आ गई थी तो घर में और
भी तरह-तरह का सामान आने लगा था धीरे-धीरे डॉली सारे घर में नए-नए पर्दे लगा दिए थे ,एक बड़ा सा फूल दान कोने में रखा रख दिया ,कुछ नई बेड शीट्स, सोफा कबर डॉली जब भी राज के संग शहर जाती तो हर बार घर के लिए कोई ना कोई सामान जरूर लाती थी ,धीरे-धीरे राज का घर ज्यादा स्वच्छ सुथरा और जमा हुआ लगने लगा था कोई भी आता तो डॉली की तारीफ किए बिना ना रहता, कि किसी ने सच ही कहा है लड़कियों के रहने से घर में रौनक आ जाती है ,और ऐसा ही कुछ काकी के इधर हुआ था जबसे डॉली आई थी, घर घर लगने लगा था डॉली राज की भी सारी चीजों का ध्यान अच्छे से रखती थी ,उसकी कौन सी चीज टूट रही है, कौन सी फट रही है ,उसको किस चीज की जरूरत है ,क्योंकि वह तो शुरुआत से ही अपने लिए लापरवाह रहा है, वह हमेशा ढाबे के काम में ही लगा रहता था ,पर डॉली उसका पूरा ध्यान रखती थी, हां बह राज से बात जरूर नहीं करती ,, लेकिन उसको अच्छे से समझने लगी थी ,आज भी राज के सामने कुछ कहने की हिम्मत उसकी नहीं होती थी, भले ही राज ने उससे कभी कुछ ना कहा हो ,उसकी हर बात मानी हो,उसका पूरा ध्यान रखा हो ,,,पर दोबारा भी बह राज के सामने ज्यादा नहीं बोलती थी, सभी लोग सारा सामान लेकर बाजार से घर आ चुके थे ,,,
अब डॉली की नौवीं कक्षा की सारी किताबें कॉपियां सभी कुछ आ गया था ,सब लोग बाजार से सारी खरीदारी करके घर आ गए थे, डॉली आज ज्यादा खुश थी ,और सबसे ज्यादा खुशी तो उसेइसे बात की थी उसके कान्हा जी के लिए नए कपड़े आ गए और वह भी कान्हा जी को संग ले जाकर,
उसने अच्छे से उनके लिए खरीदारी की डॉली ने नवी कक्षा के लिए अभी से पढ़ाई चालू कर दी थी, अभी स्कूल खुलने में 10,15 दिन थे ,पर वह अपनी किताबों को सजाने लगी थी ,उन तक कबर चढ़ाना, नेम चिट लगाना ,और अच्छे से जमाना ,
15 दिन पश्चात स्कूल खुलें और डॉली स्कूल भी जाने लगी,,,,
डॉली आठवीं कक्षा में 4 महीने के लिए स्कूल गई थी, तब तक उसने अपने बर्ताव और हंसमुख स्वभाव से सारे बच्चों से दोस्ती कर ली थी ,पहले जहां बच्चे उसे चिढ़ाते थे अब डॉली दीदी कह कर उसके आसपास मंडराते रहते हैं, वह बच्चों के काम के लिए हमेशा आगे रहती है ,सबकी मदद करना, स्कूल का कोई भी
काम हो उसमें भागीदारी लेना उसकी इन्हीं सभी आदतों से डॉली को स्कूल के टीचरपस्न्द करते थे, भले ही पढ़ने में ज्यादा होशियार नहीं थी ,पर उसकी मेहनत और लगन सभी को बहुतपस्न्द आती, सभी लोग देख रहे थे कि किस तरह से 8 वर्ष से छूटी हुई पढ़ाई को डॉली ने मेहनत के साथएक नया रंग दिया है ,और सिर्फ 4 महीने की पढ़ाई से पास हो कर दिखाया है, लेकिन अब नौवीं कक्षा में डॉली ज्यादा मेहनत कर रही थी डॉली 1 दिन भी स्कूल नहीं छोड़ती चाहे कितनी भी गर्मी हो ,सर्दी हो, बारिश हो किसी भी कीमत पर स्कूल जरूर जाती थी और राज भी उसका पूरा संग दे रहा था अभी भी उसको स्कूल लाना ले जाना उसकी हर तरह की मदद करना उसका ध्यान रखना राज की रोजमर्रा की ज़िंदगी में शामिल हो गया था ,इसी तरह से धीरे-धीरे वर्ष निकल चुका था, और एग्जाम भी स्टार्ट होने वाले थे परीक्षा ख़त्म हुई और जब रिजल्ट का दिन आया ,तो दोबारा सभी रिजल्ट लेने स्कूल गएइसे बार डॉली अच्छे से पास हो गई थी हां गड़ित में उसके सिर्फ पासिंग मार्क थे ,लेकिन विज्ञान और इंग्लिश में उसने आठवीं कक्षा की उम्मीद बहुत तरक्की की थी ,और हिंदी में तो वह पहले से ही अच्छी थी ,अब बस डॉली को दसवी की तैयारी अच्छे से करनी थी,,, जो कि स्कूल में मैडम ने राज को समझा दिया था ,किइसे बार डॉली की बोर्ड की परीक्षा होगी , पेपरबाहर् से आते हैं ,और कॉपी भी जांचने के लिएबाहर् ही भेजी जाती हैं ,,,
तो ये वर्ष बच्चों के लिए ज्यादा महत्वपूर्ण रहता है,,,इसलिए डॉली की पढ़ाई पर खास ध्यान रखें ,,मैडम की कही हुई बात तो जैसे राज के लिए पत्थर की लकीर होती थी डॉली जैसे ही गाड़ी में बैठी ,,राज ने उसे उपदेश देना शुरुआत कर दिया,,,
देख महारानी अब तू जो ये फालतू के काम करती रहती है, ना घर की स्वच्छ सफाई जाले छूटाना , कपड़े धोना ,यह सभी बंद कर दे ,,सीधा साधा पढ़ाई पर ध्यान दे ,सभी मैडम लोग जानती है अपुन को,, यदि तू फेल हुई तो तूने सोचा है कि अपुन की कितनी बदनामी होगी,,,, अरे किसी को क्या जवाब देगा अपुन,,,सब यही कहेंगे ना कि राज मैडम से अच्छी बनती थी ,तो 8वी और 9वी में डॉली को पास करवा दिया, और जब बोर्ड की परीक्षा आई तो तूने सभी कचरा कर दिया,,, देख किसी भी तरह तुझे ये बोर्ड की परीक्षा पास करनी ही है ,,मैडम जी ने बताया था मुझे ये सबसे कठिन परीक्षा होती है,, अब बस तू सारे काम छोड़ कर सिर्फ पढ़ाई करेगी,,, दूसरे दिन जाकर ही डॉली की दशमी की सारी किताबें कॉपियां दिला दीं, और उसे पढ़ाई के लिए कहता रहता,, डॉली ने भीएक भी दिन स्कूल जाना मिस नहीं किया ,,गर्मी हो बरसात या सर्दी डॉली पूरे नियम और टाइम से स्कूल जाती थी, स्कूल की पढ़ाई घर में पढ़ती और सारा काम याद करके ले जाती,,,,
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जब आधा वर्ष निकल गया उसके पश्चात डॉली का ट्यूशन भी लगवा दिया गया था, जिससे कि उसे पढ़ाई
में किसी तरह की दिक्कत ना हो, क्योंकि पढ़ाने के नाम पर राज को तो एबीसीडी आती नहीं थी, और ना ही काकी पढ़ी लिखी थी, तो डॉली को यदि कुछ जरूरत होती दोबारा वह परेशान होती थी, इसी को देखते हुए रोज घर पर मास्टर उसे पढ़ाने आने लगा, डॉली अपनी पढ़ाई में कोई कमी नहीं कर रही थी,, हां राज के लाख रोकने के पश्चात ,बह घर के काम जरूर कर लेती थी, जैसे ही राज जाता, झट से अंदर से कुंडी बंद करती और काकी के संग फटाफट घर के सारे काम करवा लेती, काकी जब उसे रोकती तो कहटी ,,,,,काकी मैं पढ़ पढ़ कर भी बोर हो जाती हूं ,,जब तेरे संग काम करती हूं तो मेरा मूड एकदम फ्रेश हो जाता है ,,और दोबारा पढ़ाई में भी मन लगता,,,,
तो काकी हंसते हुए उसका संग दे देती ठीक है बेटा तुझे जैसा बढ़िया लगे वैसा कर ,,,, इसी तरह पूरा वर्ष निकल गया था दसवीं बोर्ड के एग्जाम मार्च में ही शुरुआत हो गए थे ,दसवीं बोर्ड में 9वी से कुछ कम सब्जेक्ट हो जाते हैं, तो सिर्फ 5 पेपर हि थे ,,,
डॉली पढ़ने में भले ही ज्यादा होशियार नही थी, लेकिन उसकी मेहनत में उसने कभी कोई कमी नहीं छोड़ी ,, हर पेपर पर पूरी पूरी रात जागकर मेहनत की और अच्छे से पेपर दिए ,आखिर वह दिन भी आ गया जब डॉली का रिजल्ट आने वाला था ,डॉली के हाथ पांव बुरी तरह से कांप रहे थे,, और शायद उससे ज्यादा परेशान राज था उसने डॉली से कुछ कहा तो नहीं पर मन में उसके भीतर डर बैठा हुआ था ,कि कहीं डॉली फेल ना
हो जाए ,,, डॉली का रोल नंबर देखने का भी टाइमआ गया,, अब तो रिजल्ट कंप्यूटर पर भी देखे जा सकते हैं ,जैसे ही डॉली का नंबर ओपन हुआ तो,,
डॉली खुशी से चीख पड़ी ,वह सारे विषय में अच्छे से पास थी,, हां गणित विषय में उसके पासिंग मार्क से सिर्फ चार पांच नंबर ही ज्यादा थे, लेकिन ये भी उसके लिए ज्यादा बड़ी उपलब्धि थी ,उसने सोचा भी नहीं था कि वह बोर्ड की परीक्षा पास कर लेगी, डॉली के संग राज भी रिजल्ट देखने गया था डॉली ने जैसे ही देखा कि वह पास है ,,
तो पास ही खड़े राज के गले लग गई,,, और जोर जोर से बोलने लगी मैं पास हो गई मैं पास हो गई ,,राज भी ज्यादा खुश था ,राज वैसे ही खड़ा था और देख रहा था कि डॉली कितनी खुश है ,,,,उसके पश्चात डॉली जल्दी सेबाहर् दौड़ी ,,,, ये कहते हुए कि ये खुशखबरी काकी को भी देनी है ,
राज ने उसके रोल नंबर का कागज निकलवाया ,और खुश होते हुए वह भी डॉली के पीछे-पीछे घर आ गया, जब घर आकर देखा तो डॉली काकी के हाथ पकड़ कर जोर जोर से घूम रही थी,,, काकी मैं पास हो गई और मैं अब अपने मनपसंद के विषयों से ल 11 वीं कक्षा की पढ़ाई कर पाऊंगी,, काकी काकी अब मुझे पूरा विश्वास है कि मैं 11वीं और 12वीं की परीक्षा भी अच्छे से पास कर लूंगी ,,,अचानक घूमते हुए जैसे ही राज को देखती है ,तो वहीं खड़ी हो जाती है ,राज अपने हाथ में पकड़ा हुआ मिठाई का डब्बा और कंप्यूटर से
निकला डॉली के पास होने का कागज़ , काकी को देता है ,,
काकी को देकर कहता है काकी महारानी के लड्डू गोपाल को भी तो खुशखबरी सुना दो और हांएक कागज दिखा देना ,और लड्डू खिला देना ,,,,
और काकी जब मिठाई का डिब्बा लेकर कान्हा जी का भोग लगाने गई ,,तो राज ने डॉली से कहा!
महारानी आज मैं ज्यादा खुश हूं आज तूनेइसे बस्ती में अपुन की इज्जत बढ़ा दी है अपुन पढ़ा लिखा नहीं है, तो ना सही कम से कम अपुन के घर का कोई सदस्य तो ऐसा है जो पढ़ लिख कर नाम ऊंचा करेगा,,
मैं चाहता हूं कि तू ज्यादा पड़े और देख वह बारहवी से आगे भी जो बड़ी पढ़ाई होती है ना कॉलेज की पढ़ाई ,अगर तू अच्छे से 12वीं पास कर लेगी ,तो दोबारा मैं वह भी तुझे पढ़ा दूंगा ,,तू बस अपना पूरा मन लगाना पढ़ाई में ,,,तब डॉली ने राज की आंखों में देखते हुए कहा ,,,
जी मैं पूरी कोशिश करूंगी कि आपको कभी भी मेरी पढ़ाई से निराशा ना हो ,और हां आज सिर्फ मैं ही पास नहीं हुई हूं ,मेरे संग आपने और काकी ने मुझसे ज्यादा मेहनत की है ,मैंने तो कभी सोचा भी नहीं था कि मैं दोबारा स्कूल जा पाऊंगी ,पिछले 8 सालों में तो मैंने सिर्फ झाड़ू पोछा बर्तन ही किया है लेकिन भगवान ने मेरी मदद के लिए आपको और काकी को मुझसे मिलवाया अब मैं अपनी पढ़ाई से पीछे नहीं हटूगी, अब मैं और ज्यादा मेहनत करूंगी,,, मैंने मोबाइल में पता
किया है कि कॉमर्स विषय लेकर अच्छे से लिखा पढ़ी का काम किया जा सकता है, हिसाब किताब जोड़ने का काम इसी विषय से अच्छे से होता है ,तो मैं भी कॉमर्स लेकर ही पडूंगी, जिससे आगे चलकर ढाबे का काम में बखूबी कर पाऊं ,,
डॉली किइसे बात पर राज आश्चर्य से बोला क्या तू ढाबे का काम करेगी
तू क्यों करने लगी ढावे का काम ,वह मेरा काम है ,और मैं संभाल लूंगा ,तुझे कोई जरूरत नहीं काम करने की,,,
तभी काकी मिठाई का डब्बा लेकर आ गई थी,,, डॉली और राज को लड्डू खिलाते हुए स्वयं भी लड्डू खाने लगी,,,
तीनों ही डॉली की आगे की पढ़ाई के सपने देख रहे थे ,,अब डॉली का एडमिशन कक्षा ग्यारहवीं में हो चुका था ,,और वह अभी से पढ़ाई करने लगी थी,, 11वी की परीक्षा भी वह पास कर चुकी थी,,,,,
अब उसके लिए सबसे कठिन 12वी की परीक्षा थी जो, हमारे लिए ज्यादा ही महत्वपूर्ण होती है ,क्योंकि उससे ही कई नौकरियों का चुनाव भी होता है,, अपनी डॉली को पढ़ने की आदत लग चुकी थी,, वह आसानी से चीजों को पढ़कर समझ जाती थी ,यहां तक कि आसपास के छोटे बच्चे भी कई बार डॉली से मदद लेने आते ,तो बड़े ही प्रेम से और सहजता से उनको सभी कुछ समझा देती थी,,,, अब मोहल्ले की लड़कियों में डॉली सबसे ज्यादा पढ़ी-लिखी लड़की मानी जाती
थी ,,,
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डॉली सुंदर और समझदर तो थी ही,, वह उन्नीस की पूरी हो के बीसवीं में चलने लगी थी,,,,डॉली की 12वीं की परीक्षा शुरुआत होने वाली थी ,,,,जब डॉली 4 वर्ष पहले यहां आई थी अब उसमें और आज की डॉली में जमीन आसमान का फर्क हो गया था ,
जहां पहले की डॉली कमजोर दुबली-पतली और डरी हुई बच्ची थी ,,वही अब 20 वर्ष कीएक खूबसूरत समझदर और पढ़ी-लिखी लड़की हो गई थी,
डॉली ने अपने बर्ताव से और अपनी होशियारी से पूरे मोहल्ले को अपना बना लिया था ,,किसी का कोई लिखाई पढ़ाई का काम हो ,,किसी को मोबाइल में कुछ करवाना हो ,,बच्चे को कुछ समझाना हो ,,तो डॉली को
बुलाया जाता था डॉली की 12वीं की परीक्षा शुरुआत हो गई थी काकी और राज हर बात का पूरा ध्यान रखते ,रात में जागकर उसके लिए चाय कॉफी दूध देते ,और सुबह परीक्षा के लिए राज डॉली को छोड़ने और लेने जाता,,, राज का बर्ताव अभी नीले के लिए बिल्कुल वैसा ही था, जैसा कि 4 वर्ष पहले था ,,,बह डॉली को अभी भीएक बच्ची समझता था,, और हमेशा उसे महारानी करके ही पुकारता ,,,वह शुरुआत से ही जानता था कि ,डॉली कैसी बस्ती में रहती थी और क्या काम करती थी, पर डॉली की आदते ज्यादा अच्छी थी, जैसे कि वह किसी ज्यादा बड़े घर की बेटी हो ,और ये देखते हुए ही उसने डॉली को महारानी करना शुरुआत किया था ,,,पर इन 4 सालों में डॉली के लिए राज के मायने थोड़े से बदल चुके थे ,बह राज की ज्यादा इज्जत करती, उसके मान सम्मान का और उसकी जरूरतों का पूरा ध्यान रखती और कोई ऐसा काम नहीं करती की बस्ती वाले डॉली के उपरि उंगली उठा सके,,,,
आज डॉली का 12वीं का रिजल्ट आने वाला था , अब डॉली इतनी होशियार हो चुकी थी ,कि अपना सारा काम मोबाइल से स्वयं ही कर लेती थी ,जैसे ही उसने टीवी पर न्यूज़ सुनी की 12वीं कक्षा का रिजल्ट आ चुका है ,तो वह अपना रिजल्ट देखने के लिए बेचैन हो उठी थी, लेकिन राज अभी ढाबे पर ही था, तो वह जल्दी से राज से मोबाइल लेने ढाबे की तरफ दौड़ी,, और वहां जाकर बताया कि मेरा रिजल्ट आ चुका है, जैसे ही राज ने डॉली के रिजल्ट की बात सुनी, उसने फटाफट अपनी पॉकेट से मोबाइल निकाला और डॉली को देते हुए कहा,, ये ले सहज़ादी और जल्दी से अपना रिजल्ट देख कर बता,,, डॉली ने मोबाइल लिया और नेट ओपन करके अपना रोल नंबर डालकर रिजल्ट देखने लगी ,राज और ढावे पर काम करने वाले सारे लड़के एकटक डॉली की तरफ देख रहे थे, कि वह रिजल्ट देख कर क्या कहने वाली है, सबको डॉली के रिजल्ट का बेसब्री से इंतजार था ,डॉली ने अपना रोल नंबर फोन में एंटर कर दिया था, सर्वर घूम रहा था, बस कुछ ही देर में डॉली का रिजल्ट आने वाला था , और
अब डॉली का रिजल्ट फोन स्क्रीन पर आ चुका था ,,
वह 58% मार्क्स के संग 12वीं में पास हो गई थी, डॉली के लिए ये उसकी सबसे बड़ी उपलब्धि थी, और शायद उससे कहीं ज्यादा राज के लिए,, राज ने डॉली का सपना अपनी आंखों में बसा रखा था, रिजल्ट देख कर डॉली खुशी से चीख पड़ी और मोबाइल में राज को दिखाते हुए कहा !
देखिए मैं ज्यादा अच्छे नंबरों से पास हो गई हूं राज भी दिमाग पर जोर देकर रिजल्ट को समझने की कोशिश कर रहा था ,लेकिन उसके पल्ले कुछ पढ़ा नहीं ,क्योंकि रिजल्ट इंग्लिश में था, पर जब डॉली ने कहा कि वह पास हो गई है, राज के लिए इतना ही बहुत था, राज ने ढावे पर जोर से चिल्लाते हुए कहा ,,होय अपनी महारानी पास हो गई है ये स्कूल की सारी पढ़ाई कर चुकी है ,,आज मेरी तरफ से अपने ढावे के भाइयों के लिए मस्त शानदार पार्टी होगी ,और छोटू तू सबका आर्डर लेले जिसको जो खाना होगा वह बनेगा,,, राज खुश होते हुए घर की तरफ गया कि वह काकी को भी ये खुशखबरी देदे,, उसने अंदर जाकर काकी को गोद में उठाया और घूम गया, राज ज्यादा खुश था ,उसने कहा काकी देख अपनी महारानी पूरे गांव में सबसे ज्यादा पढ़ी-लिखी लड़की बन गई है,, इसके जितना कोई भी नहीं पड़ा ,,अपनी महारानी पास हो गई है ,,तभी राज के पीछे पीछे डॉली भी अंदर आ गई थी,, डॉली जब भी राज और काकी को देखती ,तो उसे लगता उसने जरूर पिछले जन्म में कोई ज्यादा अच्छे
कर्म किए होंगे ,बहुत पुण्य किए होंगे, जो उसे काकी और राज का संग मिला, इतना तो कोई अपनों के लिए भी नहीं करता, जितना ये दोनों मेरे लिए कर रहे हैं ,,अब डॉली बड़ी हो गई थी, अच्छे बुरे का और सही गलत का भेद कर सकती थी ,और वह समझ रही थी कि काकी और राज की भावनाएं डॉली के लिए क्या है , राज इतना खुश तो अपनी जीत पर भी नहीं हुआ होगा, जितना खुश डॉली के पास होने पर हो रहा था ,काकी ने राज से कहा राज यदि तेरी खुशी पूरी हो गई हो ,,तो मुझे नीचे उतार दे ,,और सुन मैंने पास के गांव में जो देवी जी का मंदिर है वहां पर मन्नत मांगी थी, कि जब अपनी डॉली स्कूल की पढ़ाई पूरी कर लेगी, और पास हो जाएगी ,तो हम मम्मी के दर्शनों के लिए जाएंगे अब मैं नहीं चाहती कि इसमें देर हो, हम कल सुबह ही मंदिर के लिए निकल चलेंगे,, बचपन में अक्सर हर नवदुर्गा में मैं तुझे लेकर वहां जाती थी ,लेकिन जब से तू बड़ा हुआ अपने काम में ऐसा उलझा की मम्मी को भूल ही गए हैं, तुझे भी मम्मी का आशीर्वाद मिल जाएगा ,अभी जो भी काम करना है रात को जरा जल्दी निपटा कर सो जाना ,,
सुबह 500 बजे ही हमें वहां के लिए निकलना होगा,,,, रात को सभी ढाबे वालों की पार्टी हुई, जिसको जो खाना था राज ने सभी कुछ छूट दे रखी थी ,,बाद में आइसक्रीम और केक भी सभी को खिलाया गया,,,, कभी-कभी डॉली को अपनी खुशियों से डर लगने लगता था ,,कि जहां 8 वर्ष उसने नर्क की जिंदगी
भोगी है, वहीएक संग इतनी खुशियां और देवता स्वरूप राज और काकी
जो उसकी हर खुशी का ध्यान रखते हैं, उसके लिए कितना करते हैं ,यह सभी देख कर कभी-कभी डॉली का दिल भर आता और खुशी से उसकी आंखें नम हो जाती, कि उसने तो ऐसा कुछ भी नहीं किया , कोई भी स्वार्थ ना होते हुए मेरे लिए कितना किया है,, रात को सबने पास होने की खुशी मनाई और खा पीकर 1112 बजे तक सभी सोने चले गए थे, सुबह 400 बजे ही काकी डॉली और राज को उठाने लगी,, सभी नहा धोकर तैयार होने लगे थे, और कम से कम 500 बजे तक यहां से निकलना था, मंदिर पहुंचने में भी 2 घंटे लगते हैं, सभी जल्दी उठ गए और नहा धोकर तैयार होने लगे ,
राज प्रसाद का सामान और पानी लेकर जीप में बैठ चुका था ,काकी भीएक थैला लेते हुए जल्दी सेबाहर् निकली औरबाहर् आकर डॉली को आवाज़ लगाने लगी,,,
डॉली बेटा जल्दी सेबाहर् आ, हम लेट हो रहे हैं और हां आते-आतेएक बार गैस को चेक कर लेना ,,डॉली ना अंदर से ही आवाज लगाई हां काकी बस आ ही रही हूं,,,
जब डॉली जल्दी जल्दी अपने कान्हा जी को लेकर बाहर् निकली,और ताला लगाकर गाड़ी में बैठने लगी,, तो राज ने देखा कि डॉली ने साड़ी पहन रखी थी ,तैयार होकर हल्का सा मेकअप भी था ,और खुले
बालों में वह डॉली लग ही नहीं रही थी ,
बड़ी ,समझदार ,और ज्यादा खूबसूरत दिख रही थी ,,
राज ने डॉली से नजर हटाते हुये गाड़ी स्टार्ट की और उसको जल्दी बैठने के लिए कहा ,,पर डॉली ने साड़ी पहन रखी थी तो वह ठीक से बैठ भी नहीं पा रही थी,, और राज की तरफ देखते हुए उसने इशारा किया कि वह उसकी हेल्प करें , राज खींजते हुए गाड़ी से उतरा और कहने लगा महारानी जब ये तेरे बस का नहीं था तो तुझे साड़ी पहनने की जरूरत ही क्या थी, जो कपड़े रोज पहनती है वही नहीं पहन सकती थी क्या उसका हाथ पकड़कर गाड़ी में बिठाया और डोर बंद करके गाड़ी स्टार्ट करने लगा,,
राज अब भी बोलता ही जा रहा था की काकी इससे कहो ना ये सभी पहनने की जरूरत नहीं है ,जो रोज
पहनती है सलवार और कुर्ता वही ठीक है इसके लिए ,अरे बच्ची है बच्चों जैसा रहना चाहिए ना, ये सभी साड़ी पहनने की क्या जरूरत है ,,
तब काकी ने हंसते हुए कहा राज अब हमारी डॉली बच्ची नहीं है ,,
वह बड़ी हो चुकी है ,20 वर्ष की हो गई है और अब तो उसने 12वीं की परीक्षा भी पास कर ली है ,अरे अब साड़ी नहीं पहनेगी तो कब पहनेगी ,,कुछ दिनों पश्चात इसकी शादी भी होगी, तो साड़ी पहनना तो इसे सीखना ही पड़ेगा ,राज ने गाड़ी चलाते हुए ही कहा काकी तुझसे ये किसने कह दिया कि शादी के पश्चात लड़कियों को साड़ी ही पहनना चाहिए ,और आपने क्या ये अभी से इसकी शादी की रट लगा रखी है ,अभी तो इसको और पढ़ना है ,पढ़ लिख कर अपने पैरों पर खड़ा हो जाने दो ,उसके पश्चात इसकी शादी के बारे में सोचेंगे,,,,,,,,,,,
काकी राज डॉली तीनों मंदिर पहुंचने ही वाले थे ,गर्मियों के दिन थे सुबह 600 बजे का सफर बहुत बढ़िया लग रहा था, खुली हुई जीप में तेज़ ठंडी हवा और आसपास के नजारे, मन को सुकून देने वाले थे ,आगे गाड़ी में बैठे हुए डॉली के बाल उड़ उड़ कर उसके चेहरे पर आ रहे थे ,,डॉली साड़ी में ज्यादा ही खूबसूरत दिख रही थी ,और खूबसूरत क्यों नहीं दिखती उसे आज अपने पास होने की खुशी थी, जो उसके चेहरे पर भर भर के आ रही थी ,कानों में झुमके और लहराता हुआ साड़ी का पल्ला उसे बड़े होने का एहसास करा रहा था ,डॉली ने पहली बार साड़ी पहनी थी ,और साड़ी को संभालते हुए वह बच्ची से एकदम बड़ी दिखने लगी थी तीनों मंदिर पहुंच चुके थे, राज ने गाड़ी रोकी और गाड़ी से सामान निकालते हुए काकी और डॉली को नीचे उतारा ,,,
मंदिर के लिए थोड़ी सा चलना पड़ रहा था क्योंकि भीड़भाड़ के कारण गाड़ी मंदिर से थोड़ी पहले ही रोक दी जाती थी, काकी के हाथ मेंएक थैला और डॉली के हाथ में फूलों के गजरे की थाली थी, डॉली ठीक से नहीं चल पा रही थी ,कभी उसका पल्ला उसके हाथ में
उलझता, तो कभी उसके खुले हुए बाल उसके चेहरे पर आने लगते और कभी-कभी साड़ी पैरों में उलझती उसके दोनों हाथों में फूलों की थाली थी ,कभी वह थाली पकड़ती तो दूसरे हाथ से पल्ला ,कुल मिलाकर वह चलते हुए बड़ी अस्त-व्यस्त सी लग रही थी ,और मंदिर आने जाने वाले लोग भी उसे देख रहे थे ,लेकिन डॉली को ये समझ नहीं आ रहा था कि वह खूबसूरत लग रही है,इसलिये लोग उसे देख रहे हैं या दोबारा कुछ अटपटी , शायद खूबसूरती लग रही होगी ,क्योंकि खूबसूरत लड़कियां जो भी करती हैं, वह सबकोपस्न्द आता है ,लेकिनइसे तरह से लोगों का मुड़ मुड़ के डॉली कोदेख्ना राज को बिल्कुल बढ़िया नहीं लग रहा था ,,उसने डॉली के हाथों से थाली ली और डांटते हुए बोला महारानी थाली मुझे पकड़ा और जरा ठीक से चल, क्या ये उल्टा सीधा कुछ भी करती रहती है ,,डॉली राज किइसे बात पर जरा गुस्सा हो गई थी ,कि वह इतनी सुंदर लग रही है ,और राज नेएक भी बार उसकी तारीफ तो की नहीं ,उल्टा उसे डांट लगा दी डॉली ने गुस्से में राज को थाली दी और काकी की तरफ देखते हुए कहने लगी!!! काकी चाहे हम कितने भी अच्छे लगे कुछ लोग ऐसे होते हैं जो कभी किसी दूसरे की तारीफ कर ही नहीं सकते ,,,
क्या राज ने डॉली की तरफ देख कर कहा ! तू क्या मुझे सुना रही है , अरे तू चलती फिरती नौटंकी लग रही है ,,,
तू ,तू ,,क्या समझती है कि तू बड़ी सुंदर लग रही है
इसलिए लोग तुझे देख रहे हैं,, नहीं तू कार्टून लग रही है ,औरइसलिये वह पलट पलट के तुझे देख रहे हैं ,,डॉली ने कुछ नहीं कहा ,और पांव पटकती हुई जल्दी-जल्दी आगे चलने लगी,डॉली के गुस्से को देखकर राज काकी की तरफ देख कर हंस गया,,, और धीरे-धीरे से काकी के कान में आकर बोला काकी ये महारानी जब गुस्सा हो जाती है ना तब किसी ततैया से कम नहीं लगती,, काकी राज को डांटने लगी कि वह कितनी खुश है ,अच्छे नंबरों से पास हुई है ,तो क्यों उसको चिड़ा रहा है , काकी ने आवाज देते हुए कहा डॉली बेटा आराम से चल अब सीढ़ियां आ गई है, तो गिर मत जाना ,डॉलीएक एक सीढ़ी आराम से चढ़ने लगी, उसने अपने हाथों से अपनी साड़ी को पकड़ रखा था ,और एक-एक कदम धीरे-धीरे रख रही थी ,राज और काकी उससे बहुत आगे निकल चुके थे ,जब बहुत ने ध्यान दिया कि डॉली उनसे पीछे रह गई है, तो राज को कहा! राज मैंने तो ध्यान नहीं दिया तू भी नहीं उसका ध्यान नहीं रखता देख वो कितने पीछे रह गई है, बेचारी कैसे आएगी साड़ी पहन के ,जा उसकी मदद कर और उसको हाथ पकड़ के उपरि ले आ ,राज बही रुककर उसका इंतजार करने लगा ,,
डॉली ज्यादा धीरे-धीरे उपरि आ रही थी,तो राज बड़ी बड़ी डगे भरते हुए डॉली के पास पहुंचा ,और उसका हाथ पकड़ कर उसे उपरि चढ़ाने लगा ,थोड़ी ही देर पश्चात तीनों मंदिर पहुंच गए थे, मंदिर पहुंचकर काकी ने आराधना का सामान निकाला पंडित जी से आराधना करवाई ,डॉली
और राज को उनका आशीर्वाद दिलवाकर,, कन्यायो को खाना खिला कर पुनः घर के लिए निकल आए,, घर पहुंचकर सबसे पहले डॉली ने कपड़े चेंज किये, साड़ी में चलते-चलते बह ज्यादा थक चुकी थी ,और दोबारा तीनों मंदिर का प्रसाद खाने लगे, खाना खाते खाते राज ने डॉली से उसकी पढ़ाई के बारे में पूछा ,,कि आगे अब क्या करना है ,,और डॉली की तरफ देख कर कहा कॉलेज के फार्म भरने लगे हैं ,तू कहे तो जाकर मैंएक तेरे लिए भी ले आऊँ, खाना खाते हुए ही डॉली बोली पर कॉलेज तो यहां से ज्यादा दूर है ,उसके लिए तो शहर जाना पड़ेगा ,और दोबारा मैं कैसे जाऊंगी शहर यहां से रोज-रोज,,
तव राज ने बोला ,तुझे चिंता करने की क्या जरूरत है ,,अपने ढावे केबाहर् से ही बस निकलती है ,मैं बस वाले से बोल दूंगा वह तुझे कॉलेज तक छोड़ देगा ,और वहां से लेकर भी आ जाएगा ,,,
परइसे तरह से रोज रोज बस में जाने का डॉली का मन नहीं हो रहा था, अब उसे स्वयं से भी पढ़ना आ गया था ,वह BA करना चाहती थी ,और उनके सारे विषयों की पढ़ाई घर पर भी बखूबी हो सकती थी, तो डॉली ने फैसला लिया कि वह प्राइवेट फॉर्म भर के सिर्फ परीक्षा देने ही शहर जाएगी, और उससे पहले उसने नौकरी करने की इच्छा बताई कि अपने गांव में अभीएक भी आंगनबाड़ी नहीं है ,और मैंने कल ही पड़ा है कि आंगनवाड़ी की स्थान निकलने वाली है उसमें अपने गांव का भी नाम जरूर होगा मैं ठीक से पता लगाती
हूं ,और यदि ऐसी कोई स्थान अपने गांव के लिए होगी तो मैं कोशिश करूंगी कि उसमें नौकरी कर लूँ, राज का मन था ,कि अभी डॉली पूरी तरह से अपनी पढ़ाई में ध्यान दें ,इसलिए वह थोड़ी आनाकानी कर रहा था ,कि तुझे अभी से नौकरी करने की क्या जरूरत है ,तू बस अपनी पढ़ाई पूरी कर ,उसके पश्चात नौकरी तो लग ही जाएगी ,,,
तब डॉली ने समझाया ,,की काकी ऐसे मौके रोज-रोज नहीं आते ,अगर गांव मेंएक बार आंगनबाड़ी खुल गई तो दोबारा सालों पश्चात ही कोई दूसरी वैकेंसी आ पाएगी ,और फिरइसे गांव में तो मैं सबसे ज्यादा पढ़ी लिखी हूं, तो मुझे नौकरी मिलने में भी कोई कठिनाई ना होगी, और हां काकी अब तो आंगनबाड़ी की तनख्वाह भी 12 से 15 हज़ार हो गई है दोबारा हमें अपने ही गांव के छोटे बच्चों और महिलाओं के विकास करने का मौका भी मिलेगा ,उनके लिए कुछ करना मुझे ज्यादा बढ़िया लगेगा ,,काकी ये नौकरी के साथ-साथएक समाज सेवा भी होती है जिसमें हम अपने गांव के बच्चों और महिलाओं को अच्छी शिक्षा के संग साथ उनके खान-पान का भी पूरा ध्यान रख सकते हैं, उनको खाने पीने का सामान बांटना, बीमे की सुविधाएं देना,, सभी कुछ समझाना ये सारे काम आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के ही अंडर आते हैं, और मुझे खुशी होगी कि मैं ऐसे लोगों के लिए कुछ कर पाऊं, औरउन्को सही सीख दे पाऊं ,काकी सिर्फ नौकरी नहीं है ,यह मेरा सपना है कि मैं अपने गांव के लिए कुछ करूं, और दोबारा मैं कहां कह
रही हूं कि मैं पड़ूंगी नहीं,,, मैं अपनी पढ़ाई भी करूंगी प्राइवेट फॉर्म भर कर ,,
बीए करना इतना कठिन नहीं होता जितना हमें लग रहा है ,मैं आपको विश्वास दिलाती हूं कि नौकरी की वजह से अपनी पढ़ाई को पीछे नहीं करूंगी ,बसएक बार मैं अच्छे से पता कर लेती हूं ,,कि नौकरी के लिए हमें किन-किन कागजों की जरूरत पड़ेगी, डॉली ने इतने अच्छे से समझाया तो बहुत और राज को उसकी बात अच्छे से समझ में आ गई ,,,, और राज डॉली की नौकरी के लिए राजी हो गया ,,,
डॉली ने दूसरे दिन जाकर साइबर कैफे पर पता किया ,तो बताया गया कि फॉर्म भरे जा रहे हैं,, औरइसे गांव में भीएक वैकेंसी है दोबारा क्या था डॉली ने जल्दी से सारा प्रोसीजर समझा और अपने सारे कागज लेकर पहुंच गई फॉर्म भरने के लिए ,,एक छोटी सी परीक्षा भी होती थी तो फॉर्म भरकर डॉली अपनी परीक्षा की तैयारी में लग गई वह चाहती थी कि यदि काकी और राज ने उसकी इतनी मदद की है,, इतना संग दिया इतना हौसला बढ़ाया तो वह भी कुछ करके दिखाएं ,बसएक महीने पश्चात ही उनकी परीक्षा थी जिसमें डॉली को कैसे भी निकालना ही था ,,आखिरएक महीना भी बीत गया वह पूरी तैयारी के संग परीक्षा देने जा रही थी, काकी ने उसे चम्मच से दही चक्कर खिलाया और उसके भविष्य के लिए शुभकामनाएं दी ,जब शाम को डॉली परीक्षा देकर आई तो वह बहुत खुश लग रही थी क्योंकि उसका पेपर
बहुत बढ़िया गया था और फिरइसे गांव में वह सबसे ज्यादा पढ़ी-लिखी लड़की थी ,तो उसे पूरा विश्वास था कि ये नौकरी उसे ही मिलेगी,,,,
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