Rajsharma Sex Story : प्रेम सेक्सी कहानी डॉली और राज की (Romance Special)
मूवी के रोमांटिक सीनों में से यहएक था डॉली ने धीरे-धीरे से राज के कान के पास आते हुए कहा, राज यदि हमें कहीं जाना हो और फिल्म के हीरो की स्थान आप हों तो क्या आप भी ऐसा ही करेंगे, मुझे अपने कंधो से जहाज तक पहुंचाएंगे क्या
राज मूवी से ध्यान हटाकर डॉली को देखने लगा ,,,
महारानी तू ये क्या उल्टे सीधे प्रश्न पूछने का है, आराम से मूवीदेख्ना अच्छी लग रही है ,,
नहीं पहले आप मुझे बताइए कि आप भी मुझे इसी तरह से नाव में बिठाएंगे
हां हां बिठा दूंगा अब खुश
ठीक इसी के पश्चात हीरो और हीरोइनएक ज्यादा ही खूबसूरत से जहाज पर सवार होकर समुद्र की रोमांटिक यात्रा पर निकलते हैं चारों तरफ ऊंची ऊंची समंदर की लहरें
घने घने बादल उसके बीच मोरनुमा खूबसूरत जहाज, जिस पर लहराते हुए वाइट पर्दे लगे थे ,,,,औरएक गाना शुरुआत होता हैइसे गाने में दोनोंएक दूसरे के ज्यादा करीब आते हैं ,और उनका प्रेम भी दिखाया जाता है ,,इसे सॉन्ग का डॉली को कब से इंतजार था ,,
पूरी मूवी में सबसे रोमांटिक सॉन्ग यही था मूवी में सांग चल रहा था
और डॉली लगातार राज से प्रश्न करती जा रही थी
गाने में ही डॉली ने दोबारा से प्रश्न किया राज!
हां बोल!!!!
डॉली ने राज के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा ,,,,
राज!!! देखिए ना मेरी तरफ
मुझे आपसे कुछ कहना है
राज ने बिना देखे ही कहा महारानी ये क्या तू बीच-बीच में पटर पटर बोलती जा रही हैएक तो स्वयं ही मूवी देखने लाई, कि ज्यादा मस्त मूवी है ,और जब मैं मन लगाकर इसको देख रहा हूं ,तो देखने नहीं देती
अभी चुपचाप मुझे मूवी देखने दे ,और तू भी देख ,,,घर चल कर आराम से बात करना
डॉली ने मचलते हुए कहा, राज मुझे आपसे अभी
बात करनी है ,और यही बात करनी है प्लीज मेरी तरफ देखिये, ना वरना मैं आपको डिस्टर्ब करती ही रहूंगी ,,,,
हॉल में अंधेरा तो था ही,, दोबारा भी राज ने डॉली को देखने की कोशिश करते हुए उसकी तरफ अपना सिर घुमाया
और कहां बोल क्या कहना है
मुझे आपसे कहना है ,क्या आप भी मुझे किसी ऐसी स्थान ले कर जाएंगे जहां सिर्फ आप ,और मैं हूँ
पर किधर उस स्थान का कुछ नाम तो होगा
बिल्कुल ऐसी स्थान जैसी आपइसे गाने में देख रहे हैं, इतना ही खूबसूरत सा जहाज हो और और ऐसे ही दूर दूर तक कोई ना हो सिर्फ आप और मैं ,इतने ही खूबसूरत मौसम में ,बिल्कुल वैसे ही जैसे कि ये दोनों
कौन दोनों
महारानी तू क्या बोले जा रही है
राज आप ये सॉन्ग देख रहे हैं
ना बस ऐसे ही आपके संग में हूं ,और कोई नहीं ,और मैं भी आपके संग ऐसे ही गाना गाना चाहती हूं ,जैसे ये दोनों गा रहे हैं
मैं भी आपके संग ऐसे ही बैठना चाहती हूं जैसे ये दोनों बैठे हैं
मैं भी आपके इतना ही करीब पहुँचना चाहती हूं ,जैसे ये दोनों आ रहे हैं
तू ये क्या बोले जा रही है
यह बात अपुन के भेजे से बाहर् है
देख मैंने कहा ना अभी तो चुपचाप मूवी देख और यदि तू इसी तरह से बोलती रही ना
तो कुछ देर में सारे सिनेमा वाले हमें हॉल सेबाहर् निकाल देंगे
डॉली मुंह बनाते हुए चुपचाप मूवी देखने लगी
पर वो इतनी आसानी से कहां मानने वाली थी, किसी न किसी तरह तो वह आज राज को बता ही देना चाहती थी
थोड़ी देर पश्चात उसने राज के बाजू को कसके पकड़ते हुए उसके कंधे पर अपना सिर टिका दिया
राज धीरे-धीरे से बोला तू सोने के वास्ते इधर अपन को लेके आई है
ठीक है सो जा अपन को तो,मूवी भी मस्त लग रही है ,अपन तो फुल टाइम देखेगा
राज को डॉली की छुअन का कोई एहसास नहीं था ,,उसे डॉली के प्रेम में उसकी नींद नजर आ रही थी
डॉली का दूसरा वार भी फेल हो गया था
राज को लग रहा था ,कि डॉली सो चुकी है और डॉली नेइसे बात का फायदा उठाते हुए अपने हाथ में राज
का हाथ लेकर कस के पकड़ लिया,,,,
वो धीरे-धीरे आंखें खोलते हुए राज को देख रही थी ,उसके मजबूत कंधे और परफ्यूम की भीनी भीनी महक , आज डॉली कोएक अलग ही एहसास हो रहा था
वह राज के गले लग कर कुछ देर के लिए सभी कुछ भूलना चाहती थी,,,,
कि कैसे राज को भी अपने प्रेम का एहसास हो जाये,डॉली के कानों में सिर्फ पिक्चर की रोमांटिक धुन ही गूंज रही थी लेकिन उसकी आंखों में राज था
उसकी छुअन का एहसास, उसके मजबूत बाजूओं का स्पर्श ,और उसकी महक से डॉली उसके प्रेम में डूबती जा रही थी
आज पहली बार उसे अहसास हुआ था ,
,कि प्रेम कैसे हमें किसी की ओर खींचता है उसकी हर चीज मोहित करने लगती है उसकी सारी बातें हमें अच्छि लगने लगती हैं और उसकी नज़दीकियां मदहोश करने लगती हैं ,आज प्रेम के साथ-साथ डॉली को कुछ ऐसी बातों का भी एहसास हुआ था जिनका नाम वह नहीं जानती थी
लेकिन उसकी इच्छा थी, कि कुछ देर के लिए वो दोनों किसी ऐसी स्थान पहुंच जाए जहां पर उनके अलावा कोई और ना हो
और राज उसे अपनी अपनी बाहों में छुपा ले , वह राज के गले लग कर उसकी,सांसो की गर्माहट को महसूस कर पाए,उसकी धड़कने सुन पाए ,,
अब वह राज से दूर रहना नहीं चाहती थी इज्जत ,प्यार ,देख रेख ,इन सबके संग साथ कुछ और बातें भी थी ,जो डॉली की समझ में आ रही थी ,और जिनकी चाहत उसे होने लगी थी ,वह राज का संग पा लेना चाहती थी , राज की शारीरिक नज़दीकियों को भी स्वयं में समा,लेना चाहती थी
राज डॉली को उठाने की कोशिश करता तो वह उसके और करीब आके उसके बाजू को और कस के पकड़ लेती
राज को डॉली की हरकत कुछ अजीब तो लग रही थी ,क्योंकि आज से पहले उसने ऐसा नही किया था
पर उसने ज्यादा गहराई से इसके बारे में कुछ नहीं सोचा था, कुछ देर पश्चात अचानक हॉल की लाइट जल गई ,इंटरवल हो गया था
और लोग उठ कर स्नेक्स कोल्ड ड्रिंक के लिए यहां से वहां आने जाने लगे थे
डॉली अभी भी राज के कंधे पर सर रखकर वैसे ही बैठी हुई थी ,जब आसपास के लोगउन्को कुछ गौर से देखने लगे
तो राज ने हिलाते हुए डॉली को उठाया और कहा बोल क्या खाएगी
अपुन जल्दी लेकर आता है
वरना दोबारा मूवी शुरुआत हो जाएगी, और ये क्या तू जब से आई है ,सोते ही जा रही है
अगर तुझे सोना ही था, तो दोबारा आई ही क्यों है
डॉली ने कहा आपको जो लाना है ले आइए और
चुपचाप बैठ गई.
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जब इंटरवल में सिनेमा हॉल की लाइट जली और राज स्नेक्स लेनेबाहर् चला गया तो डॉली इधर-उधर देखने लगी, उसने देखा कि कुछ लोग ध्यान से डॉली की तरफ देख रहे थे शायद इसीलिए क्योंकि लाइट जलने के पश्चात भी डॉली का सिर राज के कंधे पर था
और उसने राज का हाथ पकड़ रखा था डॉली सामान्य होने की कोशिश करने लगी बस 5 मिनट पश्चात ही राजएक बड़ी सी ट्रे लेकर आ गया था
जिसमें दो बर्गर कुछ पॉपकॉर्न और दो कोल्ड ड्रिंक के ग्लास रखे हुए थे
राज ने सीट पर बैठते हुए कहा ,शहज़ादी अपुन तेरे वास्ते यहां की सबसे फेवरेट डिस लेकर आया है ,,,बर्गर!
खा कर देख इसका कितना मस्त स्वाद है अरे पूरी फिल्म में अपन तो यही सोच रहा था, कि कब इंटरवल हो और अपन तेरे वास्ते कुछ लेकर आए ,,,
राज ने वो ट्रे अपने घुटनों पर रखी और बर्गर की प्लेट डॉली को पकड़ा दी
ए तू टुकुर-टुकुर क्या इधर उधर देख रही है ले इसको जल्दी से ख़त्म कर ले ,वरना ठंडा हो जाएगा ,साला स्वाद का कचरा हो जाएगा और स्वयं भी बड़े-बड़े कौर तोड़ते हुए बर्गर खाने लगा ,,
बीच-बीच में कोल्ड ड्रिंक भी पीता जा रहा था ,,डॉली का खाने में बिल्कुल भी मन नहीं लग रहा था ,पर उसे खाना ही ठीक लगा क्योंकि वह जो चाह रही थी ,वो तो पूरा हुआ नहीं ,, बस उसने यही सोचा कि अच्छे सेएक बार खा पी लूँ, तब इंटरवल के पश्चात दूसरा ट्राय तो करना ही है
शायद राज को कुछ समझा सकूँ
बर्गर था तो सच में ज्यादा ही टेस्टी डॉली ने पूरा बर्गर खाया ,,साथ संग ड्रिंक भी पीती जा रही थी ,डॉली का बर्गर ख़त्म भी नहीं हो पाया ,कि राज ने उसकी तरफ पॉपकॉर्न का पैकेट बढ़ाते हुए कहा, महारानी पॉपकॉर्न खा मस्त बटर डलवा कर लाया हूं मसाले के संग ,,,वाह क्या लगते हैं
खा कर देख ना ,,,
डॉली अभी भी राज की तरफ देखती जा रही थी ,,राज ने एक मुट्ठी भरी औरएक संग सारे पॉपकॉर्न डॉली के मुंह में डाल दिए डॉली का मुंह पॉपकॉर्न से भर चुका था
वह पॉपकॉर्न खाती हुई आसपास देख रही थी, क्योंकि आसपास देखने वाले लोग कुछ अजीब ही तरह से दोनों को देख रहे थे
इन दोनों की स्टोरी लोगों की समझ सेबाहर् थी ,जहां
एक तरफ लड़की प्रपोज करने के मूड में लग रही थी
वही लड़के को सिर्फ और सिर्फ खाने की पड़ी है ,दोनों के बीच का प्रेम और केयर सबको समझ आ रही थी
पर उसके पश्चात भी डॉली का समझाना और राज का ना जानना ,सबकी समझ से परे था ,लोग सोच नही पा रहे थे, कि जब दोनोंएक दूसरे को प्रेम करते हैं
तो दोबारा लड़का जानकर अनजान क्यों बन रहा है ,और यदि लड़का प्रेम ही नहीं करता ,तो वह लड़की का इतना ध्यान क्यों रख रहा है ,,,बिल्कुल बच्चों की तरह उसे खिलाने ,और उसे समझाने में लगा हुआ है खैर लोगों को इन सभी से क्या
उन्हें तो जितना समझ में आता है
उतनी बात के मजे वह ले लेते हैं
बर्गर और ड्रिंक ख़त्म हो चुका था
लेकिन पॉपकॉर्न के पैकेट राज के हाथ में ही थे, दोबारा सिनेमा हॉल की लाइटें बंद हो चुकी थी ,और पिक्चर शुरुआत हो गई थी
राज जब भी डॉली से कुछ कहने की कोशिश करता, तो डॉली उल्टा जवाब ही देती ,,,,वह दोबारा चुपचाप बैठ जाते
राज को डॉली की बात समझ नहीं आ रही थी ,कि डॉली उससे ठीक से बात क्यों नहीं कर रही है,,,,
इस बार जब राज ने दोबारा डॉली को पॉपकॉर्न खिलाएं ,तो डॉली ने गुस्से से कहा यहां में पॉपकॉर्न खाने नहीं आई हूं
और प्लीज अब आप मुझे कुछ भी मत खिलाइए, मेरा
पेट फुल हो चुका है
राज ने मूवी छोड़कर डॉली की तरफ देखा और कहां ! महारानी मैं देख रहा हूं तू जब से सिनेमा हॉल के अंदर आई है, कुछ अजीब सी हरकतें कर रही है ,आखिर तुझे हुआ क्या है ,तू किस बात पर गुस्सा है
और किस बात का गुस्सा मुझ पर निकाल रही है ,अपन ने तो तेरे कहने के माफिक ही सभी कुछ किया है, तेरे को मूवी दिखाने लाया तूने कहा था सिर्फ दो लोग चलेंगे
तो साला अपन के आगे पीछे कोई भी नहीं है दुकान का छोटू ,सोनू ,अपन सभी को संग लेकर आता है, लेकिन तेरे कहने पर अपन ने साला सभी को मना कर दिया ,औरएक तू है कि अभी भी मुंह फुला कर बैठी है
तू सीधे मुंह बात क्यों नहीं कर रही डॉली ने राज के मुंह पर उंगली रखते हुए कहा
राज ये हमारा घर नहीं है ,जो आप इतनी जोर जोर से कुछ भी बोले जा रहे हैं
ये सिनेमा हॉल है ,यहां हमारे आगे पीछे भी लोग हैं, प्लीज अब कुछ मत कहिए
चुपचाप बैठ जाइए ,ठीक है तू अपन को बोलने भी मत दे ,अब तुझे जो ठीक लगे वह कर,,, अब अपन तेरे से कुछ भी नहीं बोलेगा और हांएक बात और ,,,तूने सच ही कहा था कि मूवी में एक्शन मस्त है ,अब एक्शन ही आने वाला है ,
अब सच में पिक्चर में बहुत एक्शन सीन आ रहे थे, जिसमें लड़ाई और सिर्फ लड़ाई ही थी ,और राज इन
सब का भरपूर आनंद ले रहा था ,वहीं डॉली सारी कोशिश करके सिर पकड़ कर बैठ चुकी थी ,उसने कितना समझाने की कोशिश की थी ,कि वह भी राज के संग किसी अकेली सुनसान स्थान में जाना चाहती है ,उसके कंधे पर सर भी रखा ,उसका हाथ भी पकड़ा, पर पता नहीं राज को कैसे समझ आएगा
सारे मार धाड़ के सीन पर राज खुश होकर तालियां ,और सीटी बजा रहा था
तब डॉली मुंह बना कर चुपचाप बैठी थी थोड़ी देर पश्चात उसको भी राज की हरकतों पर हंसी आ गई थी, जब उसने देखा की राज उसकी तरफ देख रहा है तो
मुँह दूसरी तरफ घुमा लिया
फिर भी राज डॉली को देख चुका था
उसने कहा,तू भी खुश हो गई ना
मस्त मूवी है ,,,,आखिरकार मूवी ख़त्म हुई और बुझे मन से डॉली राज के संग सिनेमा हॉल सेबाहर् आ गई,, उसकी सारी कोशिशों पर पानी दोबारा चुका था
राज डॉली का हाथ पकड़ते हुए जल्दी-जल्दी सिनेमा हॉल सेबाहर् आ रहा था, क्योंकि वैसे भी रात के 900 बज चुके थे ,औरएक से डेढ़ घंटा घर पहुंचने में भी लग जाता ,यही सोचकर करीब भागता हुआ डॉली के संग गाड़ी तक आया ,और डॉली से जल्दी से गाड़ी में बैठने के लिए कहा वैसे तो राज तन्हा होता है ,तो कितनी भी रात तक शहर आता जाता रहता है
पर अभी वो डॉली के संग था
और दोबारा काकी ने भी कहा था ,कि टाइमसे घर आ
जाना,इसलिये दोनों गाड़ी में बैठ गए थे ,जब गाड़ी शहर सेबाहर् रोड पर आ गई ,तो राज ने डॉली की तरफ देखते हुए कहा ,,,सहजादी अपन तेरीपस्न्द की मूवी देखने तेरे को लाया ,फिर भी तेरे चेहरे पर खुशी नहीं दिखी , बात क्या है
आखिर तू इतनी परेशान क्यों है
क्या मूवी तेरे को अच्छी नहीं लगी, अपन को तो मस्त लगी, डॉली ने बढ़बढ़ाते हुए कहा मूवी तो ज्यादा अच्छी थी
परइसे मूवी में जो मैं आपको समझाना चाहती थी ,वह नहीं समझा पाई
राज ने स्टेयरिंग से ध्यान हटाते हुए डॉली की तरफ देखा, और कहा क्याअपुन को तू क्या समझाना चाहती थी
और क्या नहीं समझा ,,,
कुछ नहीं ,अभी आप गाड़ी पर ध्यान दीजिए मैं ,मैं ,तो बस ऐसे ही कह रही थी
तेरा कुछ पता रहता भी है ,तू कभी भी कुछ भी ऐसे ही बोलती रहती है ,कुछ देर पश्चात दोनों घर पहुंच गए ,काकी दोनों का इंतजार कर रही थी ,राज ने बहुत को फोन करके खाने के लिए पहले ही मना कर दिया था क्योंकि इंटरवल में दोनों का ही पेट भर चुका था ,काकी को थोड़ी ज्यादा तो समझ फिल्मों की थी ,क्योंकि टीवी पर वह अक्सर पुरानी फिल्में देखती रहती थी ,इसलिए आते संग ही उसने डॉली से पूछा ,बेटा कैसी थी फिल्म डॉली नेएक ठंडी सांस ली,
और काकी की तरफ देखते हुए कहा ,काकी फिल्म तो अच्छी थी ,हीरो हीरोइन भी अच्छे थे
लेकिनइसे पिक्चर का जो हीरो है ना
वह पता नहीं कैसा है ,कुछ समझता ही नहीं की हीरोइनों उसे क्या समझाना चाह रही है जब हीरोइन उससे कुछ बोलती है , तो बस खाने की ही बातें करता रहता है
काकी ने कहा ,क्या सिनेमा में ये सभी था राज आया और डॉली की तरफ देखते हुए बोला, ये सभी तू क्या बोले जा रही है
मूवी में ऐसा तो कुछ भी नहीं था ,और इसका हीरो वह तो एकदम मस्त था
एक नंबर ,अरे उसने तो हीरोइन के वास्ते अपनी मम्मी से भी पंगा ले लिया था
और तू कह रही है ,कि हीरो कुछ समझता ही नहीं ,,तब तक काकी अंदर जा चुकी थी डॉली राज के पास आई और उसकी तरफ देख कर कहने लगी ,,,राज आपको मूवी अच्छी तरह से समझ में आई ना
हां अपन को तो बराबर ,,,
आपने ये भी समझा ना की हीरोइन क्या कहना चाहती थी ,और हीरो उसकी बात को कितनी अच्छी तरह से समझ जाता है
हां बराबर ,,,,
तो दोबारा मैं जो आपसे कहना चाहती हूं
आप उसे क्यों नहीं समझते,,,,
महारानी तू ये हर बात में अपुन को कायको बीच में ले आती है ,अरे वह फिल्म है हीरो है ,हीरोइन है,,,
तू ,,,तू ,,,है
और मैं ,,मैं ,,,हूं ,हम हीरो हीरोइन नहीं है
मैं पिछले 4,5 दिनों से देख रहा हूं
तू अपन से गोलमोल बातें करने लगी है
अरे जो भी है सीधा सीधा बोलने का!!!
डॉली ने राज के हाथ से टॉवल छीन कर पुनः राज के उपरि दे मारी
और पांव पटकती हुई अपने कमरे में चली गई राज भी उसके पीछे पीछे उसके कमरे में चला गया ,उसका हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींचते हुए कहा ,देख अब तू अपन का भेजा खराब मत कर ,सीधा सीधा बोल तेरे को चाहिए क्या
ऐसी कौन सी बात है, जिस पर तू जल के अंगारा हुई जा रही है ,अपन तेरे को शहर भी लेकर गया ,तेरे कहने पर मूवी दिखाई
अगर तेरे को कुछ और चाहिए, कुछ शॉपिंग करना है ,तो बोल अपन पर वह भी करवा देगा ,पर तेरा मुंह फुला कर घूमना
अपुन की समझ सेबाहर् है
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राज मुझे कुछ नहीं चाहिए
मुझे कोई शॉपिंग नहीं करना
बस मैं ये चाहती हूं ,कि मैं जो कहना चाहती हूं ,आप वह समझ जाए
ठीक है ,अगर तू साफ-साफ नहीं बता सकती, तो भाड़
में जा ,,
अपन जा रहा है सोने ,,अपन को वैसे भी ज्यादा नींद आ रही है
और कमरे सेबाहर् निकल गया
डॉली जैसे ही बेड पर लेटने के लिए जाने लगी, कि दोबारा दोबारा कमरे में आया
और डॉली की दवाई की शीशी हाथ में पकड़ाते हुए बोला ,,,
पहले अपन के सामने ही ये दवा गटक ले अपन दोबारा जाएगा ,मैं जानता हूं तू अपना गुस्सा दवाइयों पर ही निकालेगी
तेरा नाम डॉली नहीं ,तेरा नाम तो लाल मिर्ची रखना चाहिए ,,,
जब निली ने दवाई पी ली ,तो पुनः उसके हाथ से लेकर दवाई अलमारी में रखी और कमरे से निकल गया.
दूसरे दिन सुबह सोमवार था, गांव के बाहरएक ज्यादा ही खूबसूरत छोटा सा शिव मंदिर है ,डॉली का मन हो रहा था ,कि आज वह उस मंदिर में जाये , ये वही मंदिर था जहां पर काकी अक्सर जाती रहती थी
और पिछली बार डॉली और राज को लेकर गई थी ,और डॉली किइसे मंदिर के प्रति ज्यादा गहरी आस्था थी
वह जब भी मंदिर जाती ,उसको ज्यादा शांति मिलती थी ,आज उसने सुबह उठते संग ही काकी से कह दिया था
की काकी आज मेरा मंदिर जाने का मन है मैं मंदिर जाऊंगी ,,डॉली की बात सुनकर काकी भी झट से तैयार हो गई
जब काकी ने राज सेइसे बारे में बताया
वैसे तो राज को आज ज्यादा काम थे
पर उसने डॉली के बारे में सोचते हुए कि उसका पता नहीं वैसे भी किसी बात पर मुंह फूला है ,अगर मेने ने मना कर दिया तो वह और भी नाराज हो जाएगी
इसलिए राज ने मंदिर जाने के लिए हां कह दिया ,और ये भी कहा कि जल्दी ही तैयार हो जाए जिससे मैं 1100 बजे तक पुनः आ जाँऊ
डॉलीएक बार दोबारा मंदिर के लिए अच्छे से तैयार होने लगु थी
कुछ ही देर में सभी तैयार हो गए, और आराधना की थाली लगाते हुए डॉली और काकीबाहर् आ गई थी
राज ढाबे पर ही कुछ काम समझा रहा था राज ने देखा कि बहुत और डॉलीबाहर् आ चुकी है ,तो वह भी ढाबे से निकलकर जीप निकालने लगा,एक बार दोबारा डॉली सपनों के ताने-बाने बुनने लगी थी , कि वह राज के हाथ में हाथ डाले हुये मंदिर जा रही हैं
जो वह पिछले तीन-चार दिनों से देख रही थी ,कि आखिर अपने भोलेनाथ को कैसे मनाए ,डॉली को तो अपनी तपस्या पार्वती से भी कठिन नजर आ रही थी
पार्वती ने तो चुपचाप वन में जाकर एकांत में रहकर तपस्या की, और शिव जी प्रसन्न हो गए थे ,पर डॉली के शिवजी तो ऐसे थे जो सभी कुछ कहने के बाद
भी ,बताने के पश्चात भी कुछ समझने के लिए तैयार ही नहीं थे
कुछ ही देर में तीनों मंदिर पहुंच चुके थे मंदिर पहुंचकर काकी ने राज, डॉली से आराधना करवाई, स्वयं भी आराधना की और पंडित जी से दोनों को आशीर्वाद दिलवाया
पंडित जी ने ध्यान से डॉली का चेहरा देखते हुए उसे आशीर्वाद दिया ,और आरती देते हुए कहा मम्मी जी आप दोनों बच्चों को सामने ही स्थित गणेश मंदिर के 11 परिक्रमा लगवा दें बच्चों के मन में जो भी इच्छा होगी बाबा गणपति जरूर पूरा करेंगे
शिव जी के ठीक सामने गणपति मंदिर था काकी तो इतना चल नहीं सकती थी
इसलिए कहा कि तुम दोनों ही 11 परिक्रमा लगा आओ ,,,
राज जानता था कि यदि भगवान को लेकर कोई कमिटमेंट की ,तो काकी ज्यादा नाराज होती है,इसलिये वह चुपचाप डॉली के संग परिक्रमा लगाने चला गया ,पत्थरों से बना छोटा सा गणेश मंदिर ,
उसके चारों तरफ ऊंचे ऊंचे आम पीपल नीम और बरगद के वृक्ष ,क्यारियों में लगे हुए रंग बिरंगे फूल ,और चारों तरफ हरी भरी घास का मैदान, सुबह के टाइम मंदिर के धुले हुए पत्थर ,अगरबत्तीयों की खुशबू ,और हवन के धुंए से मंदिर में आकर ज्यादा बढ़िया लग रहा था ,मंदिर की घंटियों की गूंज जब कानों में पड़ती ,तो सकारात्मक एनर्जी का संचार होने लगता ,ऐसे ही सुंदर और मधुर वातावरण में डॉली कोएक बार दोबारा राज से अपनी बात कहने का मौका मिला था
परिक्रमा लगाते हुए डॉली ने धीरे-धीरे से राज का हाथ पकड़ा ,
और उसके कदम से कदम मिलाकर चलने लगी, राज ने मुस्कुराते हुए डॉली की तरफ देखा ,और कहां सहजादी अब तू मुझसे नाराज तो नहीं है
डॉली ने राज की बात का कोई जवाब नहीं दिया
और कहा! राज आपको पता है
कि शिव जी को नीलकंठ भी कहा जाता है हां पता है ,काकी जब भीइसे मंदिर आती है तो कोई ना कोई बात शिव के बारे में जरूर बताती है ,,,,
और आपको ये भी पता है किउन्को नीलकंठ क्यों कहा जाता है
हां अपन को ये भी पता है क्योंकि,, क्योंकि भोला भंडारी ने ज्यादा सारा जहर पिया था औरइसे वजह से उनका कंठ नीला हो गया था ,इसलिएउन्को नीलकंठ कहते हैं
राजएक बात पूछूं आपसे
अरे तू अपन से बार-बार कयको को पूछती हैं कि,एक बात पूछूँ,,,,
पूछ तेरे को जो कहना है ,बिंदास कह
आपको नहीं लगता की शिव जी गौरी मैया को प्रेम से डॉली बुलाते होंगे
डॉली किइसे बात पर राज जोर से ठहाके मारकर हंसने लगा था
महारानी तू भी ना ,कुछ भी लॉजिक लगाती हैं ,,,अरे कायको बुलाते होंगे
उनका नाम तो पार्वती था, गौरी था ,सती था, तो उसी नाम से बुलाते होंगे
नहीं राज जैसे कि शिव जी का नाम नीलकंठ है ,तो नीलकंठ जिसको प्रेम करते हैं ,और जिसको सात जन्मो तक अपना बना कर रखा था,,तो वह हो गई ना डॉली यानी कि अपने नीलकंठ के रंग में रंगने वाली डॉली नीलकंठ की डॉली ,,
जैसे कि विष्णु की विष्णु प्रिया ऐसे ही नीलकंठ की डॉली यानि की राज की डॉली.
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