Incest Desi Sex Story : गांव की चांदनी रात
अध्याय-7
अनकही शुरुवात
कुछ दिन तक सभी अपने काम में व्यस्त रहने के पश्चात शुक्रवार के दिन शाम को चाय पीते टाइमये फैसला हुआ की कहा कहा घूमने जाना है और कौन कौन संग चलेंगे,
पीताम्बर-“तो ठीक है नैनीताल जाना तो पक्का हुआ, अब ये बताओ किस किस को जाने की इक्षा है मम्मी आप तो जा ही रही और बाक़ी लोग भी बताओ भई”
चंचल-“मेरा जाना तो मुश्किल है मम्मी जी जा रही है, तो घर में किसी को तो रहना पड़ेगा और वैसे भी आपके भैया और बाबू जी भी तो यही है, तो हमारा रहने दो”
पीताम्बर-“ठीक है भाभी जैसा आप कहे, लेखा तुम भगवती और नेहा से भी पूछ आओ ना”
लेखा ठीक है बोलके वहाँ से निकल जाती है, तीनो लड़किया कॉलेज से पुनः आके चाय पी रही थी और आपस में धीरे-धीरे धीरे कुछ बाते कर रही थी जैसे उनके मन में जाने को लेकर कुछ अलग ही योजना हो,
पीताम्बर-“पूजा तुम लोगों का क्या है किसको जाना है और किसको नहीं अभी बताओं”
पूजा-“पापा मैं और पिंकी जायेंगी रिंकी के कॉलेज के कुछ काम बाक़ी है तो वो नहीं जाएगी” और तीनो बहने वहाँ से उठकेबाहर् की ओर चल पड़ती है इसी टाइमदरवाज़े पे रिंकी और कमल की नजरेएक दूसरे से मिलती है और रिंकी उसे देख मुस्कुरा के चलते बनती है।
पीताम्बर के पीछे से लेखा आते हुए अपने पति से कहती है-“मैं भी यही रहूँगी दीदी के संग बाक़ी भगवती और नेहा तो जाने के लिए हा बोल रही है”
पीताम्बर-“तुम्हें क्या हुआ तुम क्यों नहीं चल रही बसएक ही हफ़्ते की तो बात है”
लेखा- अपने मन में कुछ सोच विचार करके “अब आप लोगएक हफ़्ते के लिए जा रहे तो किसी को दुकान में तो रहना पड़ेगा ना, पता नहीं अनी को भी जाना हुआ दोबारा तो इतने दिन बंद रखना सही नहीं”
पीताम्बर-“ठीक है जैसा तुम्हें सही लगे करो”
फिर कमल और अनिमेष भी अपने विचारो सेबाहर् आते हुए अनी अपने पापा से कहता है-“पापा कहा जाने का फैसला हुआ दोबारा और कौन कौन जाने को तैयार हो गए” अनिमेष बस येजान्ना चाह रहा था की उसकी मम्मी ने क्या फैसला किया है।
पीताम्बर-“नैनीताल जाने का फैसला किया है, अभी तो बस मैं, माँ, तुम्हारी दोनों चाची, आराधना और पिंकी बाक़ी तुम दोनों भी बताओ जाने का क्या विचार है”
कमल और अनिमेषएक दूसरे की ओर देखते हुए इशारे से अपने सर हिला के, हा बता भाई तेरा क्या कहना है चले या नहीं, दोबारा दोनों ही अनायासएक संग ना में सर हिला देते है और बस मुस्कुराते हुए बगल में बैठ जाते है,
कमल-“चाची चाय चाहिए” लेखा ये सुनते ही हा में सर हिलाते हुए वहाँ से रसोई की तरफ़ निकल जाती है बस पीछे छोड़ जाती है अपनी गांड की परछाई लड़को के दिमाग़ में,
पीताम्बर-“अनी अभी नवीन और रमल कहा है” लेखा चाय लेके आते हुए कहती है “वो दोनों तो अपने रूम में मस्ती कर रहे है।” “अनी जा उनको बुला ला” पीताम्बर ने जल्दी ही कहा और चाय की आखिरी घुट ख़त्म की और चाय की कप को बगल में रख दिया,
अब नवीन और रमल को पीताम्बर ने वही बताया और पूछा जो सभी से पूछा गया और वो दोनों तो जाने के लिए कुछ ज़्यादा ही उत्साहित हो गए,
पीताम्बर-“ठीक है दोबारा मैं, माँ, पूजा, रिंकी, नवीन, रमल, भगवती, नेहा, पामराज और अनुज का जाना पक्का हुआ, सभी तैयार हो जाना समान के संग ही हम सभी कल सुबह बजे इधर से निकलेंगे,एक हफ़्ते का सफ़र रहेगा तो सभी उसी तरह समान ले लेना” दोबारा सभी उठके वहाँ से जाने लगे,
अगले दिन सुबह सभी नाश्ता करके घर के सामने इकट्ठा होने लगे,एक दूसरे को जल्दी नीचे आने के लिए कहने लगे, जब सभीएक संग खड़े हुए तो पीताम्बर ने सभी जाने वालो को आख़िरी भाषण देना शुरुआत किया,
पीताम्बर-“आज हम सभी इधर नैनीताल की यात्रा पर जाने से पहले इकट्ठा हुए हैं। यहएक रोमांचक अवसर है, और मैं आप सभी कोइसे यात्रा के लिए शुभकामनाएं देना चाहता हूं।
यह यात्रा हमें नैनीताल के बारे में कुछ सकारात्मक बातें, जैसे "सुंदर दृश्य", "ऐतिहासिक स्थान", "सांस्कृतिक अनुभव" का आनंद लेने का अवसर देगी। मैं चाहता हूं कि हम सभी यात्रा के दौरान कुछ खास बातें, जैसे "खुले दिमाग से" या "हर समय का आनंद लेते हुए" का एहसास करें।
यात्रा के दौरान, हमें कुछ सावधानियां, जैसे "सुरक्षित रहें", "एक दूसरे का ध्यान रखें", "स्थानीय संस्कृति का सम्मान करें" का भी ध्यान रखना होगा।
मुझे विश्वास है कि ये यात्रा हम सभी के लिए यादगार और आनंददायक होगी। तो चलिए,इसे यात्रा का भरपूर आनंद लेते हैं!”
इसके पश्चात सभी समान के बैग्स को नवीन और रमल ने गाड़ी के उपरि रखना शुरुआत कर दिया, बड़े बैग्स को गाड़ी के उपरि रखा गयाएक संग बांध के और कुछ ज़रूरी सामान, पानी और खाने के थैलियों को नीचे रख दिया,
फिर गाड़ियो में बैठने से पहले सभीएक दूसरे को अलविदा कहने लगे और देखते ही देखते नैनीताल घूमने जाने वालो की गाड़ी निकल गई, नोट- इधर सेएक हफ़्ते इन गाड़ी वाले लोगो के संग जो भी होगा उनका अलग अध्याय बनेगा।
.
.
बाक़ी लोग घर के अंदर अपने अपने कमरे में कार्यो को पूरा करने के लिए तैयारी के लिए जाने लगे, रमेश जी की पत्नी तो घूमने चली गई थी अपने मन मेंएक उत्साह लेके जैसे आज से कुछ नया होने वाला हो,
और अब वो भी खेत की तरफ़ जाने ही वाले थे की तभी चंचल दोपहर के खाने के लिए पूछने उनके कमरे में जाने ही वाली थी की उसी टाइमउसके ससुर रमेश जी भी अचानकबाहर् निकल आए और दोनों आपस में टकरा गए जिससे चंचल नीचे गिरते हुए बची क्यूंकि रमेश जी ने उनको अपने हाथ से पकड़ लिया,
चंचल का दिल तो अचानक हुएइसे घटना से मानो जोरो से धकधक करने लगा था उसे कुछ देर तक तोइसे चीज का आभास ही नहीं रहा की उसके ससुर ने कसके उसे अपने दोनों हाथों से पकड़ रखा है,
लेकिन रमेश जी पूरा अहसास हो रहा था अपनी बहू के गदराए हुए बदन की, उसकी ख़ुशबू वो अपने जहन में उतार ही रहा था कीएक आवाज़ ने रमेश को अपने होश में ला दिया, चंचल अलग होते हुए कहने लगी,
चंचल-“शुक्रिया बाबू जी आपने तो मुझे गिरने से बचा ही लिया आप नहीं पकड़ते तो मैं तो गिर ही जाती” और अपनी साड़ी के पल्लू को जल्दी से ठीक करने लगी,
रमेश-“अरे नहीं नहीं बहू तुम भी ना ये सभी कहने की कोई जरूरत नहीं, ये बताओ तुम इतनी जल्दी में काहे अंदर आ रही थी”
चंचल-“मैं ये पूछने आ रही थी दोपहर में आप खाने आयेंगे या किसी के हाथ भेजा दु”
रमेश- थोड़ा सोच के कुछ पूछते हुए “कौन कौन है घर पे”
चंचल-“कमल के पापा तो कंपनी के लिए ड्यूटी निकल रहे और बच्चे तो शायद कॉलेज जाने वाले है बची लेखा वो तो दुकान के लिए निकल भी गई दोपहर में आने का बोल के”
रमेश-“और बहू तुम क्या करोगी घर पे अकेले, तुम्ही ले पहुँचना दोबारा खाना मेरे लिए और शायद तुम्हें आज वो सब्जी भी मिल जाए जिसे तुमने उस दिन छोटा कहा था” और चंचल की तरफ़ देख हँसने लगे,
चंचल को आज से पहले इतनी शर्म कभी नहीं आई थी और शर्माते हुए कहने लगी-“ठीक है बाबू जी जैसा आप कहें” और जल्दी रसोई के तरफ़ भाग खड़ी हुई, जहाँ पहुँच के उसे खिड़की से ससुर खेतों की तरफ़ जाते दिखाई दी और उस दिन की बाते याद आ जाती हैं, उसके दिमाग़ में वो दृश्य भी आ जाता है जब उसने अपने ससुर का चड्ढी के अंदर से उसका बड़ा सा लंड देखा था,
चंचल अपने पति के लिए टिफिन तैयार कर रही थी पर उसका दिमाग़ तो कहीं और ही था थोड़े देर पहले हुए घटना को वो आने वाले टाइमसे जोड़ रही थी की क्या होगा जब वो अपने ही घर में अपने पति के अलावा किसी और से संबंध बना बैठी?
पंकज ने चंचल को आवाज दी और अपना खाना लेके कंपनी काम के लिए निकल गया, निकलते टाइमउसके फ़ोन में किसी का कॉल आया था वो बात करते हुए अपनी गाड़ी में टिफिन रख ड्यूटी के लिए निकल गया,
और चंचल भी अपने कमरे में नहाने चली गई जहाँ सभी कपड़े धोने के पश्चात जैसे ही नहाने के लिए बैठती है उसकी नजर उसके बदन पे जाती है और उसके मन में कुछ अजीब सी बेचैनी आने लगती है उसका बदन एठने लगता है जैसे ज्यादा दिनों से बदन पर कुछ किया ही ना हो,
उसके दोनों हाथ अपने ही आप उसकेएक एक चुचो पर चली जाती है और आँखे बंद कर कुछ अजीब दृश्य को देखते हुए धीरे-धीरे धीरे उसे मसलने लगती है उसके चूचे अभी भी बड़े ही सख्त थे जो अब और ज़्यादा सख्त होने लगती है उसके मुंह सेएक आह निकल जाती है,
फिर चंचल अपनीएक हाथ को धीरे-धीरे से नीचे की तरफ़ बड़ाने लगती है औरएक स्थान आके रुक जाती है जहाँ पहुंचना हरएक मर्द की चाहत होती है वो उपरि से ही उसे सहलाने लगती है
और वो अपनी मस्ती में नहाने लग जाती है,
.
.
ऊपर कमरे में कमल पलंग पर बैठा अपना फ़ोन चला था और अनिमेष नहाने के लिए बाथरूम में जा चुका था की तभी वहाँ पे रिंकी आ गई और उससे बात करने लगी,
रिंकी-“भाई आज आप कॉलेज जाएँगे क्या?”
कमल- मोबाइल बगल में रखते हुए “हा जाऊँगा पर तू क्यों पूछ रही”
रिंकी-“वो आज थोड़ा काम से मार्केट जाना था आराधना और पिंकी भी नहीं है तो आप चल लेते मेरे साथ”
कमल-“ठीक है चल लेंगे पर जाना कब है” रिंकी से पूछा
रिंकी-“शाम को कॉलेज से आते हुए गए तो देर हो जाएगी आप दोपहर में आ सकते हो क्या मेरे कॉलेज के बाहर” रिंकी ने दोबारा पूछा
कमल-“मैं तुझे फ़ोन करता हूँ कोई क्लास वैगरा नहीं रहा तो या कुछ और भी रहा तो”
रिंकी-“ठीक है आप कॉल करना नहीं तो मैं ही पूछ लुंगी औरएक बात मुझे आपसे कुछ पूछना भी था वो मैं आपसे वही अकेले में पूछ लुंगी”
कमल-“अभी पूछ लेना ऐसी कौन सी बात है”
रिंकी-“नहीं कुछ ऐसी है जो मैं आपसे वही आते टाइमपूछूँगी अब चलती हूँ मैं दोपहर में मिलूँगी”
कमल थोड़ा सोच में पड़ जाता है ऐसी कौनसी बात होगी जो वो मुझे अभी नहीं अकेले में वही पूछेगी, उसके दिमाग मेंएक डर सा आने लगा कहीं उसने मुझे कुछ करते या कहीं कुछ देखते तो नहीं देख लिया ये थोड़ा डरावना हो सकता मेरे लिए,
अनिमेष जैसे ही नहा के आया कमल ने उससे पूछा “चल रहा ना कॉलेज की दोबारा कुछ और प्लान है अपने दोस्तों के साथ”
अनिमेष ने कपड़े पहनते हुए जवाब दिया “हा हा चल रहा भाई आज कौन सा मुझे कोई काम होगा घर पे”
थोड़ी देर में नीचे चंचल दोनो भाई को और रिंकी को नास्ता दे रही थी जहाँ मस्ती करते हुए चंचल ने कमल से पूछा आज भी कॉलेज जा रहे तुम लोग या ऐसे ही घूमने जा रहे, पता नहीं तुम लोग पड़ाई कैसे चल रही होगी,
फिर जल्दी ही रिंकी ने कहा “हम कॉलेज ही जा रहे बड़ी मम्मी पर दोपहर में मुझे मार्केट जाना है तो मैंने कमल भैया को संग जाने के लिए कहा है”
चंचल-“ठीक है कमल रिंकी को ले जाना मार्केट और शाम को लेट नहीं करना”
तीनों नाश्ता करके चंचल को अलविदा कहके बस लेने चौक पे पहुँच गए और कॉलेज के लिए निकल पड़े, घर पे चंचल भी नास्ता करके अपने कमरे में आराम करने लगी।
.
.
वहाँ लेखा भी अब दुकान पर झाड़ू और पोछा लगा चुकी थी दोबारा आराधना पाठ करके आराम से दुकान में बैठी अपने पति को याद करने लगी थी वो उसे कॉल लगा रहा थी पर उसका फ़ोन नहीं लग रहा था दोबारा उसे कल अपनी पति की बात याद आई,
एक थोक व्यापारी कुछ सामान छोड़ने आयेगा और उसे कुछ पैसे भी देने थे पर दुकान में इतना नगद ना होने के कारण पीताम्बर ने लेखा से कहा था अनि को बोलके शहर के एटीएम से कुछ नगद निकाल लाए,
लेखा ने जल्दी अनिमेष को फ़ोन लगाया,
अनिमेष-“हा मम्मी बताओ क्या हुआ”
लेखा-“अनी तू कहा है अभी”
अनिमेष-“अभी तो बस में बैठा ही था माँ”
लेखा-“तेरे पापा ने कहा है कॉलेज से आते टाइमएटीएम से ४० हज़ार निकाल ले आने को”
अनिमेष-“कब तक लेके पहुँचना है मम्मी मैं तो शाम को ही आता हूँ ना कॉलेज से”
लेखा-“आज दोपहर में ही आ जाना ना कॉलेज से”
अनिमेष-“ठीक है मम्मी वैसे भी कमल भैया भी जल्दी निकल जाएँगे तो मैं भी पैसे लेके आ जाउंगा”
लेखा-“ठीक है बेटा” और लेखा फ़ोन रख देती है,
लेखा मन में सोचती है और उसको आज का दिन सही लगता है अनी से अकेले में बात करने की योजना, लेकिन तभी ग्राहक आते है और वो उनको समान देने में लग जाती है,
.
.
रमेश खेतों में मचान के उपरि आराम करते करते सोचने लगा, आज तो ज्यादा गर्मी है, लगता है आज ज़्यादा लोग नहीं आए खेतों में, और अपने खेतों में लगे गेहूं को देखने लगा संग ही बगल के खेतों के चारों बाजू में लगे बाजरे की ऊँची फसल को देखने लगा,
सुस्ताते हुए उसने जब अपने मोबाइल में टाइमदेखा तो दोपहर हो चुका था उसे अचानक याद आया कि बहू दोपहर का खाना लेकर आ रही होगी, बहू का ख्याल आते ही उसका लंड खड़ा होने लगा और रोंगटे भी खड़े हो गए, उसने धीरे-धीरे से मस्ती में मचल के कहा “बहू तेरी चूत”
रमेश को अपने मुंह से ये शब्द सुनकर इतना रोमांच हुआ कि उसने अपना हाथ पजामे के उपरि से ही अपने लंड पर रखा और जोर से बोला "बहू आज खेत में चुदवा ले अपने ससुर से”, अब रमेश और उत्तेजित हो उठा और चिल्लाया “बहू आज अपनी चूत लेके आ मेरे पास देख तेरा ससुर हाथ में लंड लेके बैठा है”,
रमेश खेतों में मचान के उपरि लेटा पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था और ऐसे गंदे शब्द अपनी बहू के लिए बोलकर अपने आप को और ज़्यादा गर्म कर रहा था, अपनी बहू की चूत की विचार करके रमेश पागल हुआ जा रहा था,
उसका लंड तनकर पूरी तरह से खड़ा हो चुका था, सुनसान स्थान का फायदा उठा कर रमेश जोर जोर से ख़ुद से बाते करता हुआ अपनी बहू की चूत की तारीफ़ करने लगा, दस मिनट ही हुए थे की उसे अपनी बहू दूर से आती दिखी और रमेश आँखे बंद कर आराम करने का नाटक करने लगा,
कुछ देर पश्चात चंचल मचान के नीचे आके चिल्लाकर आवाज लगाने लगी “बाबू जी नीचे आइए मैं खाना लेके आई हूँ” पर रमेश थोड़ी देर शांत रहा जैसे नींद में है, दोबारा अचानक से उठते हुए नीचे अपनी बहू को देखा और नीचे आने लगा,
मन में अपने बहू के लिए गंदे विचारो की वजह से रमेश चंचल से नजरे नहीं मिला रहा था, दोबारा चंचल ने अपने ससुर से कहा “बाबू जी आज खाना यही नीचे बैठे खाना है या उपरि ले चालू मचान में” जैसे ही रमेश नीचे पहुँचा तो उसके माथे के पसीने को देख के चंचल दोबारा बोली “बाबू जी आज गर्मी ज्यादा है आज तो आपको ज्यादा गर्मी लग रही होगी लाइये मैं पहले आपके पसीने पोछ देती हूँ उसके पश्चात आप हाथ मुंह धोने चले जाना”
और अपने ससुर के चेहरे के पसीने को प्रेम से पास जाके उसके गमछे से पोछने लगी, दोबारा रमेश वहाँ से पांव हाथ धोने चला गया वहाँ पहुँच रमेश अपने बहू के बर्ताव से अचंभित था कहीं मैं सपना तो नहीं देख रहा और पाँच मिनट पश्चात पुनः आके अपने बहू के संग नीचे ही खाने बैठ गया जो उसे निकाल के थाली में परोस रही थी,
चंचल को अपने ससुर को खाना खिलाने के पश्चात उसके मन में ये इक्षा हो रही थीं की बाबू जी किसी बहाने उनको इधर रोके पर उसके ससुर कुछ नहीं कह रहे तो चंचल को ही कहना पड़ा “बाबू जी आज तो गर्मी है तो बाक़ी खेत वाले भी आए है या नहीं”
रमेश-“आए थे पर वो लोग शायद घर चले गए खाने के लिये और मुझे नहीं लगता है अब आने वाले होंगे”
चंचल-“तो बाबू जी क्यों ना सब्ज़ी वाले खेतों से होते हुए पीछे के नहर से घूम आए आज, बड़े दिन हो गए वहाँ गए”
रमेश-“ठीक है बहू अभीएक आध घंटे यही उपरि थोड़ा आराम कर लो घर पे भी कोई होगा नहीं तो आराम से चल पड़ेंगे”
चंचल-“ठीक है बाबू जी” और बर्तनएक तरफ़ बाजू में रख उपरि मचान की तरफ़ जाने लगी,
नीचे रमेश पम्प वाले रूम की तरफ़ जाने लगा वहाँ आराम करने के लिए और इधर उपरि चंचल जैसे ही पहुँची उसने अपने ससुर का फ़ोन देखा जिसमे कुछ छूटी कॉल थी, चंचल ने सोचा बाबू जी को आवाज़ लगा के उनका फ़ोन पुनः करदे पर दोबारा पता नहीं क्या दिमाग़ में आया उसने फ़ोन में कुछ कुछ देखने लगी जैसे फोटो और वीडियो जिनमें सभी साधारण था कुछ अलग नहीं था,
फिर तभी अचानक चंचल से क्रोम ब्राउज़र खुल गया जिसमे उसने कुछ अजीब देखा जैसे कुछ नंगी तस्वीरे और अश्लील वीडियो सामने आ गई, उसने उसपे उतना ध्यान नहीं दिया जितना अभी वो उस कहानी पे दे रही थी जिसका शीर्षक था “ससुर बहू की प्रेमलीला”
चंचल के लिए ये एहसास नया होने वाला था उसे अपने ससुर की हरकत पे कोई ज़्यादा सक नहीं था पर अब ये सक यकीन में बदल रहा था की उसके ससुर उसके प्रतिएक आकर्षण रखते है उनका लक्ष्य चंचल को साफ़ नज़र आने लगा था की कहीं ना कहीं उसके ससुर अपने ही बहू को चोदना चाहते है,
चंचल भी इन सभी से दूर नहीं हो पा रही थी वो भी धीरे-धीरे धीरे अबइसे जाल में फसती चली जा रही थी वो ना चाहते हुए कहानी के कुछ अंस पड़ने लग जाती है जिससे उसकी उत्तेजना बढ़ रही थी नीचे उसका ससुर अपने फ़ोन की तलास में नीचे आ चुका था वो अपने बहू को आवाज़ लगाए बिना सीढ़ियों से उपरि की तरफ़ चड़ने की सोच रहा था,
इससे अनजान चंचल की उसका ससुर उपरि आ सकता है वो अब धीरे-धीरे से कहानी पढ़ते हुए अपनेएक हाथ को साड़ी के अंदर से गठीले और गोरे जांघो को सहलाने लगी थी, चंचल की काम वासना जाग रही थी उसकी चूत में हल्का साएक टीस उठा जिससेएक बूँद चूत सेबाहर् आ गई,
जिसका आभास होते ही जल्दी चंचल ने साड़ी को जांघो से हटाके अच्छे से अपने हाथ को चड्डी के अंदर ले जाके चूत को उपरि से सहलाने लग जाती है,
चंचल के लिए उसको लगने लगा येएक कहानी नहीं बल्कि ये उसके संग घटित हुई हो और कहानी को पढ़ते हुए अपनी चूत को अंदर तक रगड़ने लगी जिससे उसकीएक आह निकल गई,
नीचे रमेश ने खेतों की तरफ़ देखते हुए शांत माहौल में जैसे ही उसनेएक आह की आवाज़ सुनी उसे कोई संदेह नहीं हुआ ये कहा से आई उसने नज़र जल्दी उपरि दौड़ाई और बिना आवाज़ किए उपरि की तरफ़ चड़ने लगा, रमेश बिना किसी ज़्यादा आवाज़ किए धीरे-धीरे से उपरि की तरफ़ पहुँचने लगा,
ऊपर पहुँच जैसे ही पहली नज़र उसने अपने बहू को देखा तो उसे अपने आँखो पे यकीन ही नहीं हुआ, सामने उसकी अपनी बड़ी बहू उसका फोन लिए उसपे कुछ देख रही थी औरएक हाथ को अपने चड्डी के अंदर ले जाके अपनी चूत को रगड़ रगड़ के आह भर रही है,
उसे सबसे ज्यादा आश्चर्य तब हुआ जब उसने अपने बहु के मुँह से ये सुना “आह बाबू जी आप क्यों नहीं आ रहे मेरे पास, इधर आपकी बहू चूत सहला रही और आप नीचे आराम कर रहे”
चंचल को थोड़ा भी अंदाज़ा नहीं था उसके ससुर जो बाजू में खड़े उसकी हरएक बात ध्यान से सुन रहे है,
आज के लिए इतना ही दोस्तों देरी के लिए माफी
जल्द ही मिलते है अगले अध्याय में।
You are currently reading Incest Desi Sex Story on our website, desixxxstories.com. We regularly share and update similar sex stories
अध्याय-8
पहला दृश्य
दोपहर का टाइमऔर सूरज उपरि से बाजू में था, शाम में ठंडी हवाएं चलती हैं पर आज दिन में गर्मी कुछ ज़्यादा थी, दोबारा भी जिन्हें अपना जरूरी काम करना था वो लोग तो लगे ही थे और जिनको कोई जरूरी काम नहीं वो या तो घर पे आराम या काम के स्थान में आराम करने लगे थे,
शोर मचाते स्थान सेबाहर् आके रिंकी ने कमल को कॉल लगाया “भाई कहा हो”
सामने से कमल ने जवाब दिया “अभी तो कॉलेज में ही हूँ”
रिंकी ने दोबारा पूछा “आप आ रहे हो ना”
कमल ने थोड़ा रुक कर जवाब दिया “रिंकी आजबाहर् गर्मी ज़्यादा है शाम को चले क्या”,
रिंकी-“भाई शाम को बाज़ार जाने में भीड़ मिलेगा और घर पहुँचते दोबारा रात ना हो जाए अभी आओ ना”
कमल-“अच्छा ठिक है तूबाहर् रहना मैं अभी निकलता हूँ इधर से”
कमल अनिमेष को कॉल करके बता देता है और अगले बीस मिनट में रिक्शा लेके रिंकी के कॉलेज केबाहर् पहुँच गया और उसे आने को कहा, रिंकी ने किसी को बाय बोलते हुए कॉल का इशारा करते हुए कमल के संग रिक्शा में बैठ गई,
“कोन था वो लड़का जिसे पश्चात में कॉल करने का इशारा कर रही थी” कमल ने पूछा,
रिंकी ने पहले रिक्शा वाले को चलने कहा दोबारा कमल को जवाब देते हुए बोली “वो मेरीएक सहेली का भाई है”
कमल ने दोबारा से पूछा “तो तूने उसे क्यों कॉल का इशारा किया मैंने ये पूछा था”
रिंकी ने कहा “अरे भाई वो मुझे कुछ नोट्स भेजने है अपनी सहेली के लिए उसके मोबाइल में बसइसलिये मैं ने उसे इशारे से कहा की कॉल करके भेज दूँगी”
कमल को रिंकी का जवाब थोड़ा अजीब लगा और रिंकी को मस्ती में परेशान करते हुए “मुझे लगा तेरा बॉयफ्रेंड होगा”
रिंकी ने कमल को घूर के देखा “आप कुछ ज़्यादा ही सोच लिए भाई” और हसने लगी, थोड़ी देर में दोनों भाई बहन बाज़ार पहुँच चुके थे,
कमल-“क्या क्या ख़रीदना है तू लेके आते जाना मैंबाहर् ही वेट कर लूँगा”
रिंकी-“क्या भाई आपबाहर् क्यों रहोगे, नहीं आप भी मेरे संग अंदर चलना”
रिंकीएक स्टेशनरी के दुकान में जाके कॉलेज के लिए जरूरी सामान लेकेबाहर् आ जाती है दोबारा कमल को आगे चलने बोलती है,
आगे चलकेएक दवाई की दुकान में जाके दुकानदार से कुछ कहती है और वो उसेएक कागज में लपेट के दे देता है जिसे लेके रिंकी नीचे आ जाती है,
कमल जल्दी पूछता है “ये कागज में पैक करके क्या दिया उसने” रिंकी को थोड़ी हसी आ गई और उसे कहा-“कुछ नहीं है भैया बस दवाई है”
कमल को जिज्ञासा हुई “ऐसा कोन सा दवाई है जो कागज़ में देते है” रिंकी ने थोड़ी देर कमल को देखा दोबारा थैले में दिखाते हुए बोली “लो आप स्वयं ही देख लो”,
कमल ने जैसे ही पैड्स को देखा उसे थोड़ा असहज महसूस हुआ कि उसने क्यों देखने की इच्छा ज़ाहिर की और बिना कुछ कहे आगे बढ़ने लगा तो पीछे से रिंकी ने कहा “पता चल गया ना भाई क्या है” और हस्ते हुए आगे बोलने लगी “आपको तो पता ही है ये लड़कियाँ कब लेते है”
कमल को ऐसे प्रश्न रिंकी में मुंह से सुनने की आदत नहीं थी दोबारा भी कमल ने बिना हिचक के कहा “हा हा अच्छे से पता है तूने इसे क्यों लिया है और ये तो घर के दुकान में भी होगा ना चाची से पूछ लेती”,
रिंकी ने भी शर्म से लाल होते हुए आगे जवाब दिया “बड़ी मम्मी को पूछा था मैंने पर उन्होंने कहा आजकल में आ जाएगा तो उससे बढ़िया मैंने यही से लिए”
दोनों भाई बहनइसे तरह बात कर रहे थे जैसे ये सभी उनके लिए प्राचीन हो पर कहीं ना कहींइसे तरह बात करने से दोनों मेंएक नया रिश्ता बन रहा था जिससे दोनों ही अंजान थे, रिंकी जो पहले ही कमल को उसके लंड हिलाते देख चुकी थी, उसकी वजह से रिंकी का कमल के लिए लगाव और बढ़ती जा रही थी,
कहीं ना कहीं अब रिंकी में भी अपने भाई के लिए हवस जाग चुकी थी, जो उसे कमल की तरफ़ खिच रही थी वो ना चाहते हुए कमल से नज़दीकियाँ बढ़ाना चाह रही थी,
कमल ने रिंकी को हिलाते हुए कहा-“कहा खो गई तू चलते चलते और क्या ख़रीदना बचा है, सामान लेले जल्दी दोबारा नाश्ता खाते है कुछ मुझे ज्यादा भूख लग रही”,
रिंकी बिना कुछ बोले श्रृंगार सदन की दुकान में जाती है और पाँच मिनट मेंबाहर् आके कमल से कहती है “भाई चलो कहा नाश्ता करना है मेरा ख़रीदारी हो गया”
दोनोंएक होटल में पहुँच वहाँ नाश्ता करने लगते है कब साढ़े तीन बज गए बाज़ार में दोनों को पता ही नहीं चला, वहाँ से रिक्शा लेके बस स्टेशन पहुँच गए,
बस में चढ़कर दोनों भाई बहन सबसे पीछे कीएक ही सीट पर बैठे पहले रिंकी अंदर गई दोबारा कमल उसके बाजू में बैठ गया अभी ज़्यादा यात्री नहीं बैठे थे, बस निकलने में अभी थोड़ा टाइमथा, अचानक कमल ने रिंकी से कहा-“तू आज मुझसे कुछ पूछने वाली थी ना अकेले में बता क्या था वो,
रिंकी को भी अचानक याद आया-“कुछ नहीं भाई इतना जरूरी नहीं है रहने दो”
कमल-“पूछना इतना क्यों सोच रही है”
रिंकी-“नहीं भैया आप मुझपे गुस्सा करोगे रहने दीजिए”
कमल थोड़ा सोच में पड़ गया ये ऐसा क्या पूछने वाली है-“अरे नहीं करूँगा तू पूछ तो सही”
रिंकी-“नहीं पहले आप वादा करो गुस्सा नहीं करोगे”
कमल-“हा पक्का वादा है गुस्सा नहीं करूँगा”
रिंकी थोड़े देर शांत रहती है दोबारा कहती है-“भैया मैंने आपके रूम सेएक किताब उठाई थी वो आप ने अपने पास क्यों रखा था”
कमल को कुछ समझ नहीं आया-“अरे कौनसा किताब कैसा किताब अच्छे से बतायेगी”
रिंकी-“भैया वही किताब जिसमे कुछ गंदी फोटो है” और शर्म से लाल हो गई,
अब कमल की बारी थी डरने की वो रिंकी से कहता है-“कौनसा, ऐसा मेरे पास ऐसा कोई किताब नहीं है” दोबारा कहीं और देखने लगा जैसे सच में अनजान हो,
रिंकी-“भैया झूठ मत कहो घर में अपने रूम पे रखी हूँ जो मैंने आपके किताबों से निकाली थी”
कमल ने सोचा अब छुपाने से कोई मतलब नहीं घर पे किसी को बता दे उससे पहले-“इसका मतलब वो किताब तू लेके गई थी, वो मेरे मित्र ने गलती से मेरे बैग में डाल दिया था बस और कुछ नहीं”
रिंकी-“अब आए ना लाइन में आप और आप क्या करते उसे देख के”
कमल-“पहले तू ये बता उसे देखी तो उठायी क्यों और लेके अपने पास क्यों रखी है”
रिंकी को कुछ बोलते नहीं बना दोबारा उसने वो कहा जो कमल के लिए दोबारा से नया था, रिंकी ने कहा-“वो किताब में तस्वीरों को देखी तो ख़ुद को रोक नहीं पायी देखने से और उसे अच्छे से पूरा देखने के लिए रूम पे ले गई”
कमल-“ग़लत बात रिंकी ऐसी चीजे तुम्हें नहीं रखनी चाहिए पुनः देना मुझे”
रिंकी-“सॉरी भैया पर आप भी तो देखे ना और उस रात आपने” दोबारा चुप होकेबाहर् देखने लगी,
कमल को फिरएक झटका लगा उसे याद आया “कहीं उस रात मुझे और अनिमेष को इसने मूठ मारते तो नहीं देख लिया ओह शीट अब मैं इसे क्या बोलूँगा”
कमल हड़बड़ाते हुए-“रिंकी इधर देख हा मैंने देखा क्यूंकि मैं लड़का हूँ और उस रात मैंने क्या”
रिंकी बिना किसी डर के-“अच्छा आप लड़के हो तो आप देख सकते हो, मैं क्यों नहीं देख सकती मेरी भी फीलिंग्स है मेरी भी फैंटेसी है”
कमल बात को लंबा नहीं खिंचना चाह रहा था-“ठीक है रख ले उस किताब को अपने पास और जितना मर्जी देख कर अपनी फैंटेसी पूरा कर लेना” और ये बोलके हसने लगा
रिंकी-“हल्के मुक्के मारते हुए भैया आप ज्यादा गंदे हो अब आप मेरा मजाक उड़ा रहे हो, मजे तो आप ले रहे थे उस रात” और मुंह पे हाथ रख मुस्कुराने लगी
कमल को समझ आ गया अब रिंकी से कुछ भी नहीं छुपा सकता-“मतलब उस रात तूने मुझे सभी कुछ करते देख लिया ना”
रिंकी-“सॉरी भैया जानबूझ के नहीं गलती से पहुँच गई थी”
कमल-“कितनी देर तक देखा तूने मुझे वो करते”
रिंकी-“छी भैया मुझे शर्म आ रही वो सभी बताने में मत पूछो”
कमल-“अच्छा जबजान्ना था तब पूछने में शर्म नहीं आई अब बताने में शर्मा रही”
रिंकी-“ठीक है तो सुनो मैं जब पानी लेने नीचे आई तो देखा आपके कमरे की बल्ब जल रही है तो मैं खिड़की के पास गई, ये देखने की आप लोग क्यों नहीं सोए तभी मैंने देखा अनिमेष भैया आपके बगल में सो रहे है और आप कुछ बोलते हुए अपना वो हिला रहे है बस”
रिंकी के इतना सभी बताने के पश्चात कमल के लंड में हलचल मच गई, पैंट के अंदर ही अकड़ना सुरु हो गया और वहाँ रिंकी की चूत भी अब धीरे-धीरे से रिसने लग गई, उसकी चूत की फाँको में रस फैलने लगा
उसे कमल का हिलाता हुआ मोटा लंबा तगड़ा लंड दोबारा से याद आने लगा जिससे चूत और रिसने लगी,
दोनों भाई बहन अपने भावनाओं को अंदर रखे बिल्कुल शांत बैठे थे, थोड़ी देर तक शांति के बादएक आवाज आई “बस निकलने वाला है किसी का जानकरबाहर् हो तो बुला लो”
पहला दृश्य यही तक दोस्तों
कहानी जारी रहेगी
You are currently reading Incest Desi Sex Story on our website, desixxxstories.com. We regularly share and update similar sex stories
अध्याय-8
दूसरा दृश्य
अनिमेष अपने क्लास में बैठा था दोस्तों के संग तभी उसे कमल का कॉल आता है कि वो रिंकी संग बाज़ार जाने के लिए निकल रहा है, वो थोड़े देर दोबारा क्लास में दोस्तों संग रहा उसके पश्चात अपनी मम्मी लेखा को कॉल करता है और बताता है कि वो पैसे निकालते हुए वहाँ पहुँच रहा है,
यहाँ दुकान में अभी तक वो थोक व्यापारी तो नहीं आया था और अनिमेष से बात होने के पश्चात लेखा दोपहर खाने के लिए घर चली जाती है वहाँ अपनी जेठानी को ना देख समझ जाती है वो खेत में बाबू जी के लिए खाना लेके गई होगी, लेखा अपना खाना खा के पुनः दुकान पहुँच जाती है,
क़रीबएक घंटे के पश्चात जल्दी अनिमेष भी दुकान पैसे लेके पहुँच गया था, उसने अपनी मम्मी से कहा “अभी तक वो व्यापारी आया नहीं क्या?”
लेखा ने जवाब दिया “नहीं अभी तो नहीं आया पर तू पैसे लेके आया”
अनिमेष लेखा को पैसे देते हुए “हा मम्मी ले आया हूँ और जल्दी पैसे दे देता है”,
अनिमेष-“माँ आपने खाना खा लिया”
लेखा-“हा मैंने खा लिया तुम कुछ खाये अभी”
अनिमेष-”खाना तो नहीं परबाहर् ही होटल में नाश्ता किया”
लेखा-“चल ठीक है वैसे अभी घर जाएगा या दोबारा कहीं और”
अनिमेष-“अभी तो घर जाऊँगा मम्मी गर्मी की वजह से थकान लग रहा”
लेखा-“वहाँ तो अभी कोई नहीं सभीबाहर् है तूएक काम कर यही थोड़ा आराम करले”
अनिमेष-“ठीक है पर आप कब आराम करोगे अकेले दुकान में इतने देर में तो आपको भी थकान हो गया होगा”
लेखा-“ओह मेरा बेटा, कर लुंगी तू उसकी चिंता मत कर तू जा आराम कर मैं आती हूँ शटर बंद करके”
अनिमेष को शटर बंद से उस दिन की घटना दोबारा याद आ जाती है और उसके लंड में हल्का हलचल हो जाता है, वो अंदर पास में लगेएक छोटे से कमरे में रखे पलंग में जाके लेट जाता है, जहाँ पीताम्बर नेएक छोटा कूलर भी लगा रखा था,
लेखा भी अंदर आते हुए बोली-“आज तो सच में ज्यादा गर्मी है बेटा” और कूलर के सामने जाके अपने पल्लू को हटा कर अपनी छाती पे ठंडी हवा लेने लगती है, येदेख्ना अनिमेष के लिए नया तो नहीं था पर उस दिन के पश्चात आज अचानक देखने से उसका लंड दोबारा से अकड़ने लगा था,
अनिमेष की नजर जैसे ही अपनी मम्मी के गठीले और गदराई कमर में पड़ती है जिसपे पसीने के कुछ बूंदे थी ना चाहते हुए, दोबारा उसकी नजर अपनी मम्मी की मोटी बड़ी गान्ड पे जाती है और वो धीरे-धीरे से अपने लंड को उपरि से सहला देता है जिससे उसके लंड में अकड़न आ जाती है,
लेखा दोबारा पलंग में बैठने के लिए अचानक से जैसे ही पीछे मुड़ती है वो अनिमेष की हरकत देख लेती है और अनिमेष को चिल्ला के बोलती है-“अनी ये तू क्या कर रहा है”,
अनिमेष हड़बड़ाके जल्दी से हाथ को दूर करते हुए-“कुछ भी तो नहीं माँ”
लेखा-“झूठ मत बोल, देखा मैंने अभी तेरा हाथ कहा था”
अनिमेष-“माँ लड़को का आदत होता है कभी खुजली होता है तो उपरि से ऐसे कर देते है”
लेखा-“अच्छा, तो दोबारा तेरा ये क्यों खड़ा हो रखा है” उसके पैंट के उपरि की तरफ़ दिखते हुए बोलती है पर अनिमेष चुप रहता है और कुछ नहीं बोलता,
अनिमेष-“माफ़ करना माँ” लेखा मन में सोचती है ये सही टाइमहै उसे समझाने का उससेइसे बारे में बात करने का और उससे दोबारा प्रेम से समझाते हुए कहती है,
लेखा-“बेटा मैं समझ सकती हूँ कि तू अब बड़ा हो गया है और जवानी में ऐसी गलती हो जाती है पर तुझे अभी ये सभी नहीं सोचना चाहिए बल्कि अपनी पढ़ाई में ध्यान देना चाहिए”
अनिमेष-“माँ मैं पढ़ाई में ध्यान नहीं दे रहा ऐसा नहीं है पर उस दिन जबसे आपको देखा है वही ख्याल दिमाग़ में चल रहा है वही घटना बार बार याद आ जाता है जिससे मुझे कुछ कुछ होता है आप ही बताओ ऐसे में मैं क्या करूँ”
लेखा-“तो अपना ध्यान कहीं और लगा ना बेटा, तुझे अपनी मम्मी के बारे में बार बार नहीं सोचना चाहिए”
अनिमेष-“जबबाहर् रहता हूँ तो मुझे ये सभी का ख्याल नहीं आता पर जब आप सामने आती हो तो दोबारा से वही ख्याल आता है जिससे मुझे ना चाहते हुए अपने हाथ का सहारा लेना पड़ता है माफ करना यदि मैं कुछ ज़्यादा बोल रहा तो”
लेखा को अब समझ आ गया था वो अपने बेटे के दिमाग़ से अपनी नंगी छवि को नहीं हटा सकती दोबारा अपने बेटे से कहती है-“तो क्या तू ऐसे ही अपने उसको हिलाता रहेगा”
अनिमेष को अब लगने लगा था कहीं ना कहीं मम्मी अब गुस्सा नहीं कर रही तो वो भी थोड़ा खुलके बताने का सोचा “क्या करूँ मम्मी ये ख्याल ही ऐसा है जो मुझे हिलाने पे मजबूर कर देता है”
लेखा-“पर बेटा ज़्यादा सेहत के लिए बढ़िया नहीं होता है”
अनिमेष-“हा पर देखो ना अभी भी तना है तो ऐसे में क्या करूँ शांत तो करना पड़ेगा ना” वो अपने लंड को पैंट के उपरि से मसलते हुए कहता है,
लेखा-“बेशरम अपनी मम्मी के सामने उसे मसल रहा थोड़ा शर्म करले”
अनिमेष-“अपनी चीज को छूने में उसके संग खेलने में क्या शर्म मम्मी आप तो मुझे बचपन से देख रही हो”
लेखा-“अब तू बड़ा हो गया है छोटा बच्चा नहीं है जो तू मेरे सामने ये सभी करेगा” अब तो लेखा भी कहीं ना कहीं अपने बेटे के लंड को दोबारा सेदेख्ना चाहती थी पर वो बोल नहीं पा रही थी, और थोड़ा हस के बोलती है “और तेरा वो भी अब बड़ा हो गया है नालायक”
अनिमेष-“देखो ना मम्मी अब तो मुझे पैंट के अंदर से दर्द कर रहा है आह ऐसे टाइममें ही मैं इसेबाहर् निकाल लेता हूँ ताकि दर्द ज़्यादा ना बड़े”
कहा लेखा अपने बेटे को समझाने का सोच रही थी और अब वो अपने बेटे के मुँह से ये सुन रही थी की देखो ना मम्मी अब तो मुझे पैंट में दर्द कर रहा है, वो दुविधा में थी वो क्या करे,एक तरफ़ जहाँ उसे पारिवारिक रिश्ते समाज के नियम याद आ रहे थे तो वही दूसरी तरफ़ हवस ने दिमाग़ को जकड़ने वाला काम किया ना चाहते हुए भी उसके मुंह से निकल पड़ा,
लेखा-“तो निकाल के उसे थोड़ा आराम देदे मैंने तो इसे पहले भी देख रखा है”
लेखा को आभास ही नहीं रहा वो क्या बोल गई वही अनिमेष को भी आश्चर्य हुआ की उसकी मम्मी ये करने को कैसे बोल गई, और हाथों को नीचे ले जाके अपने पैंट को खोलने लगा, पर लेटे हुए उसे थोड़ी दिक्कत हो रही थी जिसे लेखा देख हसती हुई बोलती है,
लेखा-“बेटा दर्द ज़्यादा है क्या जो तुझे खोलने में दिक्कत हो रही” और दोबारा अपने मुंह पे हाथ रख हस्ती जाती है,
अनिमेष-“माँ आप भी ना हसो मत मुझपे, लगता है क्लिप फस गया है आप थोड़ा मदद करेंगी क्या”
लेखा-“अच्छा ठीक है हटा अपना हाथ”
लेखा बगल में बैठे हुए ही अपने बेटे के पैंट को खोलने लगती है और उससे खुल जाती है “ले खुल गया बाक़ी तू कर जो करना मैं इधर से जा रही”
अनिमेष-“क्या आप कहाँ जा रही इधर कूलर में रहो ना मम्मी नहीं तो गर्मी लगेगा कहीं और जाओगी तो”
लेखा-“मुझे अच्छे से पता है तू ये बहाना क्यों बना रहा है, तू अपने उसको हिला ले दोबारा मैं आ जाऊँगी”
अनिमेष-“पर आपने ही तो कहा था आपने देख रखा है दोबारा क्यों कहीं जा रही आपको देखकर वैसे भी इसे जल्दी आराम मिलेगा” और पैंट से अपने लंड कोबाहर् निकाल उसे मरोड़ने लगता है,
जिसे देख लेखा भी शर्म से लाल होने लगती है वोएक टक अपने बेटे के लंड को बस देखते हुए सोचने लगती है ये मुझे दोबारा क्या हो गया है सही ग़लत का पता होने के पश्चात भी मैं इससे दूर क्यों नहीं जा पा रही हूँ,
लेखा की चूत की फाँको में रस भरना सुरु हो जाता है
वो अपनी चूत को अपने बेटे की तरह छूना चाह रही थी पर झिझक उसे रोक रही थी दोबारा उसने नजरे कहीं और घुमा ली,
अनिमेष-“क्या हुआ मम्मी देखो ना इसमें उस दिन की तरह आज भी ज़्यादा दर्द कर रहा है कोई दवा होगी क्या दुकान में”
लेखा ने नज़रे कहीं और रखे ही उससे कहती है “रुक देखती हूँ” और दुकान सेएक जेल वाली क्रीम लेके अपने बेटे को देने लगती है,
अनिमेष-“माँ मुझे ठीक से नहीं दिख रहा आप थोड़ा लगा दोगी क्या”
ये लेखा के लिए थोड़ा सोचने वाली बात थी कि उसके बेटे ने आज उसे अप्रत्यक्ष रूप से अपने लंड को छूने को निमंत्रण दे दिया था,
लेखा-“नहीं मैं ऐसा कुछ नहीं करने वाली, तू मेरा बेटा है और मैं तेरी मम्मी तो ऐसा होना नामुमकिन है”
अनिमेष को पता चल गया गया अपनी मम्मी के सामने भले कुछ कर ले पर उसको पाना थोड़ा मुश्किल रहेगा और उसनेएक और प्रयत्न किया “माँ थोडा जल्दी कर दो ताकि मैं शांत हो जाऊ”
लेखा ने दोबारा से क्रीम को देते हुए ना में सिर हिलायी पर कहीं ना कहीं वो चाह भी रही थी, उसने अपने बेटे के लंड को दोबारा से तिरछी नजरों से देखा जो अपने पूरे तने हुए आकार में था और बार बार ठुमका मार रहा था जिससे उसके चूत में रस अब बहने लगी थी,
अनिमेष-“ठीक है मम्मी मुझे दर्द हो उससे आपको क्या मतलब लाइये, दवाई लगा के मैं ख़ुद शांत हो जाऊँगा”
वो दवाई लेने जैसे ही हाथ बड़ाया लेखा ने अपने हाथ पीछे करते हुए कहा “बड़ा मतलबी है रे तू अपनी मम्मी को प्रेम से बोलके फसा रहा है ना” और अपने हाथ में क्रीम को लेकर उसे अपने बेटे के लंड की तरफ़ बड़ा देती है।
दूसरा दृश्य यही तक दोस्तो
कहानी जारी रहेगी
You are currently reading Incest Desi Sex Story on our website, desixxxstories.com. We regularly share and update similar sex stories
Read खूनी रिश्तों में प्रेम (incest special) on Desi Sex Stories. India sex story huge collection of Hindi/urdu rajSharma sex story.
387k 9.3k 0 5 days agoHindi/urdu sex stories of Baap kee icha available on desixxxstories.com. Desi Sex Stories is most viewed by Indian sex story of incest sex story.
59.8k 3.2k 4 5 months agoRead Maa(माँ) kaa ladla bigad gaya with image By boy (fantasy saga) and explore thousands of incest sex story stories on Desi Sex Stories. Visit desixxxstories.com today.
297.1k 7.2k 9 2 weeks agoRead Kya Govind yunhi tarasta rahe gaa.. and explore thousands of incest sex story stories on Desi Sex Stories. Visit desixxxstories.com today.
1.4M 8.7k 86 2 weeks agoRead adultery sex story stories! Read Broken by Her! (kahani of a mann) suspense thriller, (incest, adultery special) on Desi Sex Stories - only at desixxxstories.com.
913.4k 1.4k 363 4 months agoRead Jawani kaa madhosh and many exciting incest sex story on Desi Sex Stories. Read on desixxxstories.com.
103.8k 9k 15 2 weeks agoRead Janat and other exciting incest sex story in hindi at desixxxstories.com.
43.5k 9.5k 1 5 months agoaabhar zindagii is read today on Desi Sex Stories. Best website for Indian incest sex story!
52.2k 3.1k 8 5 months agoRead ADITYA and ANJALI (mummi son) (Full Story) on Desi Sex Stories. India sex story huge collection of Hindi/urdu incest sex story.
1.2M 6.8k 10 5 months agoMaa beto ka pyar (माँ बेटों का प्यार) is read today on Desi Sex Stories. Best website for Indian Incest! Maa beto ka pyar (माँ बेटों का प्यार). Maa beto ka pyar (माँ बेटों का प्यार) story is written by Manju.jangra and this story is one of the most famous and popular Incest sex stories on the internet. This story is based on the close relationship between a mother and her son in a family. This is a long explanatory story with sex GIFs, hot photos, and more. You can feel the real sex experience here. This story is about the hot and sexy relationship between a mother and her son, how the son loves his mother, and how a normal relationship turns into a sexual relationship. This story is packed with drama, real sex experiences, softcore, hardcore, scene sex, romantic sex, adult sex and incest.
Mohabbat Ya Sirf Junoon? Maa beto ka pyar (माँ बेटों का प्यार) by Manju.jangra ek incest chudai kahani hai jo indian latest Hot sex ka ultimate taste degi.
Enjoy reading ye Ghalat h (Behan-bhay kaa pyaar) by ashokafun30, a incest sex story sex story in hindi. Desi Sex Stories has the best collection.
59k 1.7k 1 1 month agoRead Galti say bnaa Madarchod and other exciting incest sex story in hindi at desixxxstories.com.
61.9k 6.9k 1 5 months agoRead Akhirkar. Family Hi Sahara Bani. in Hindi/urdu on desixxxstories.com. Find more incest sex story stories on Desi Sex Stories.
35.9k 2k 5 5 months agoBest incest sex story sex story: Nafrat Veer kee. Daily updated hindi sex stories collection on Desi Sex Stories.
101.4k 6.1k 9 5 months agoEnjoy reading Mere ek galti say, maa kee barbadi...!, a Incest sex story in hindi. Desi Sex Stories has the best collection. Mere ek galti say, maa kee barbadi...!. Mere ek galti say, maa kee barbadi...! story is written by luststory and this story is one of the most famous and popular Incest sex stories on the internet. This story is based on the close relationship between a mother and her son in a family. This is a long explanatory story with sex GIFs, hot photos, and more. You can feel the real sex experience here. This story is about the hot and sexy relationship between a mother and her son, how the son loves his mother, and how a normal relationship turns into a sexual relationship. This story is packed with drama, real sex experiences, softcore, hardcore, scene sex, romantic sex, adult sex and incest.
Yeh Rishta Sabse Alag Hai! Yeh latest incest sex kahani Mere ek galti say, maa kee barbadi...! by luststory tumhari indian Hot sex com fantasies ko reality banayegi.
Read mummy kaa dudh phir say aane laga full story at desixxxstories.com. Most Popular India sex stories in hindi incest sex story.
38.7k 4.8k 5 2 weeks agoLatest incest sex story sex story: THE DREAM LIFE.. Read full hindi sex stories with images on desixxxstories.com.
67.5k 8.7k 8 5 months agoEnjoy LAAL prem - SAFAR bhay BEHEN kaa (ACTION, THRILLER , incest, romance special) - Full Story and many more incest sex story on Desi Sex Stories.
821.9k 4.4k 199 5 months agoEnjoy reading story (Rishton main chudayi), a incest sex story sex story in hindi. Desi Sex Stories has the best collection.
611.4k 5k 5 5 months agoRead Didi Bani Randi in Hindi/urdu only on desixxxstories.com. Enjoy top incest sex story on Desi Sex Stories.
428.6k 9.4k 9 5 months agoEnjoyed it? Please Give it a rating!
Welcome to desixxxstories.com - a place where you'll find a huge collection of Indian Desi sex stories in Hindi and Urdu, along with hot GIF pics. Whether you're into romantic mom son fantacy, wild sex stories, or real incest stories. We keep regular updates, so you'll always find new sex stories to enjoy. Desi Sex Stories is the grate source of all type incest stories to read without any interruptions.
Copyright © Desi XXX Stories com.
The content available on Desi XXX Stories may contain pornographic materials.
Desi XXX Stories is strictly limited to those over 18 or of legal age in your jurisdiction, whichever is greater.
One of our core goals is to help parents restrict access to Desi XXX Stories for minors, so we have ensured that Desi XXX Stories is, and remains, fully compliant with the RTA (Restricted to Adults) code. This means that all access to the site can be blocked by simple parental control tools.
To enter Desi XXX Stories you must be 18 or older
bhay ji ab update nahii ayenge kya ap kee kahani me yrr itni superb aur kamuk kahani ko chod kr kyu ja rahe hu Ese hi Arthur morgan bhay bi apni dono kahani chod ke chale gye yrr kam say kam ap too esa na kro
Yakeen maniye aapko kisi stri ko chudte dekh krr jara bi nahee lagega woh randi wali harkat krr rahi jb tak use kisi ne chheda na hu
ap sai kah rahe pr kahin ayese jagah bi hote h jaha hero k alawa do loug kuch krr rahe hu too hero ko kese ptaa unke bich kya huwa iss liye jinke bich joo hoga vahi batayenge us waqt simple
Maaf krna late say suru kia pr aapko agle update say nirasha nai hongi. jab jab update likhte jaunga vaise vaise ap logo ko milta rahega
अगला अध्याय शारीरिक परिचय पोस्ट कर दिया है कृपया पढ़के अपना मत साझा करे
अभी आपने सिर्फ पात्रों का परिचय दिया है और 50 लाइक्स चाहते हो ? यानी दोबारा से अगले वर्ष अपडेट देंगे आप !