Incest Desi Sex Story : गांव की चांदनी रात
अध्याय-8
तीसरा दृश्य
अंतिम समय - उसे सबसे ज्यादा आश्चर्य तब हुआ जब उसने अपने बहु के मुँह से ये सुना “आह बाबू जी आप क्यों नहीं आ रहे मेरे पास इधर आपकी बहू चूत सहला रही और आप नीचे आराम कर रहे” चंचल को थोड़ा भी अंदाज़ा नहीं था उसके ससुर जो बाजू में खड़े उसकी हरएक बात ध्यान से सुन रहे है,
अब उसके आगे
चंचल तो बस उस कहानी में खो चुकी है जिसे वो अपने संग घटित समझ बैठी थी वो लगातार आहे भरते अपनी चूत सहलाते बोले जा रही थी “आहह आहह ये मुझे क्या हो गया है इतना मज़ा आज तक चूत सहलाने में नहीं आया है” अपनी आँखें बंद कर चंचल ने दोबारा धीरे-धीरे से चूत में दो उँगली डाल दी,

“आह मम्मी ये मीठी दर्द और रिश्ता हुआ पानी कैसे मेरेएक हफ़्ते निकलेंगे बिना लंड के आहह बाबू जी अब तो बस आप ही इसे रोक सकते है” अब उसकी दोनो उँगली अंदरबाहर् होने लगी थी,
सीढ़ियों में खड़ा उसका ससुर पजामे के अंदर हाथ डाल अपने लंड को मसलने लगा, इतने पास से अपनी बड़ी बहू की चूत कोदेख्ना उसके लिए किसी सौभाग्य के कम नहीं था, उसके लिए अब और रुकना सही नहीं था वो अब और उपरि अपनी बहू के पास जाना चाह रहा था,
धीरे से उपरि चढ़ते हुए उसने अपनी बहू के पास जाते हुए कहा-“बहू इतनी याद करोगी तो पहुँचना ही पड़ेगा”
चंचल ने जैसे ही ये आवाज सुना उसकी हालत ऐसा हुआ जैसे किसी सदमे में चली गई हो और अचानक से जब नजरेएक दूसरे से टकराई तो पूरा सन्नाटा फेल गया, आस पास बस चिड़ियों और हवाओं की आवाज ही आ रही थी,
चंचल ने अपने आप को और साड़ी को ठीक करते हुए बिल्कुल शांत आवाज में कहा “मैं मैं वो वो बाबू जी”
रमेश-“कुछ कहने की जरूरत नहीं बहू मैंने सभी देख लिया है और सुन भी लिया जो तुम कह रही थी”
चंचल शर्म से लाल हुए जा रही उसे ये सोचकर की उसके पति के अलावा किसी और मर्द जो उसके ससुर है ने आज उसे बिल्कुल अर्ध नग्न अवस्था में देखा है वो भी उन्ही को याद कर अपनी चूत में उँगली करते हुए पकड़ी गई है,
चंचल-“वो बाबू जी आपके मोबाइल मैं आपको देने ही वाली थी कि उसमे”
रमेश बिना किसी डर और शर्म के -“तो क्या तुम्हें वो मिला जो मैं थोड़ी देर पहले देख और पढ़ रहा था”
चंचल सिर को नीचे किए हुए कहती है-“मुझे नहीं पता था बाबू जी आप अपने ही बहू के लिए ऐसा सोचते है”
रमेश-“माफ करना बहू पर तुम हो ही इतनी खूबसूरत, तुम्हारा गदराया बदन देख देख मैं ख़ुद को रोक नहीं पाया और तुम्हारे लिए ये सभी सोचने लगा, पर तुम कबसे ऐसा करने लगी जो अभी कर रही थी”
चंचल को कुछ समझ नहीं आ रहा था वो क्या बोले और कहा से सुरु करे, वो भी अब हवस के जाल में फस चुकी थी उसके ससुर ने उसे जिस हालत में देखा और रोका था जो अभी भी उसकी चूत की अधूरी प्यास थी, ये सोच कर ही उसकी उत्तेजना दोबारा से बड़ने लगी,
चंचल-“नहीं बाबू जी मैं नहीं बता सकती मुझे बताने में अजीब लग रहा है”
रमेश अपनी बहू के और नजदीक जाके उसके हाथो को पकड़ के उसे सहलाते हुए कहता है-“बहू बताओ मुझे सुरु सेजान्ना है कि ये सभी तुम्हें कबसे लगा”
चंचल ने जैसे ही देखा उसके ससुर नज़दीक आके उसके हाथ को पकड़ कर दोबारा से पूछ रहे है तो चंचल के बदन में डर में साथएक झनझनाहट दौड़ गई की जैसे अभी क्या हुआ, वो अब हल्की मदहोश सी होने लगी थी,
आगे बढ़ते हुए चंचल ने सारी बात बताई की कैसे उनका देखना, उससे द्विअर्थी बाते करना उसे बढ़िया लगने लगा, दोबारा ट्यूबवेल में उनको हाथ पांव धोते टाइमउनका वो दिखना, दोबारा आज सुबह उनका चंचल को गिरते हुए बचाने के लिए उसकी कमर को पकड़ना,
रमेश बैठे बैठे अपनी बहू के पीछे हाथ ले जाके उसे गले से लगाना चाहा पर चंचल आज अचानक हुए इन सभी के लिए तैयार नहीं थी वो पीछे हटना चाही पर उसके ससुर ने कस कर उसे अपनी बाहो ने जकड़ लिए जिससे चंचल के बड़े बड़े चूचे सीधे रमेश के सीने से जा लगे जिसके अहसास से दोनों ससुर बहू के बदन मेंएक अलग ही उत्तेजना का संचार होना सुरु हो चुका था,
चंचल आँखे बंद करइसे नए अहसास को महसूस करना चाह रही थी पर कहीं नहींएक डर उसे सताए जा रही थी कि कहीं वो ग़लत तो नहीं कर रही है, अपने पति और बच्चों को धोखा तो नहीं दे रही है लेकिन हवश ने उसके दिमाग़ पर क़ाबू कर लिया था वो भी अब अपने ससुर को जोर से लगे लगा ली,
रमेश ने जैसे ही देखा कि उसकी बहू ने भी उसे अपने हाथों को पीछे ले जा चुकी है वो समझ गया अब उसका आधा काम पूरा हो गया और उसका सपना पूरा होने लगने लगा था,
वो बिना कुछ कहे अपनी बहू की पीठ को सहलाते हुए उसके चेहरे के सामने आकर उसके होंठों पे अपने होठ रख दिया और चंचल की आँखे भी बंद हो गई, वोइसे समय को अपने मन की आखों से देख रही थी,
रमेश अपनी बहू के होंठों को चूसना सुरु कर दिया था कभी उपरि तो कभी नीचे के अधरों कों अपने होंठों से लगातार चूसे जा रहा था संग ही उसके हाथ भी पीछे पीठ पर चल रहे थे, उसकी बहू चंचल भी अब अपने ससुर का संग देने लगी थी,
रमेश ने अब अपनाएक हाथ से उसके बड़े से बाँयी चूचे पर रख उसे मसलना सुरु कर दिया ये चंचल के हवस को भड़काने के लिए किसी आग से कम नहीं था, अपने चूचे मसले जाने से वो और उत्तेजित हो चुकी थी उसकी चूत अब उसका संग नहीं दे रही थीइसलिये पानी बहाना सुरु कर दी,
उसके ससुर ने उसे वही मचान में धीरे-धीरे से आवाज में लेटने को कहा चंचल बिना आँख खोले वही लेट गई और आने वाले समय के लिए उत्तेजित थी, रमेश भी बाजू में लेट के दोबारा से चंचल के गर्दन को चूमना सुरु किया संग ही उसने अपनेएक हाथ से अपनी बहू के ब्लाउज़ के बटन को खोलना भी चाहा पर नाकाम रहा,
चंचल आँखे खोल देखने लगी और अपने ससुर से बोली-“बाबू जी ये अभी खोलना जरूरी है क्या मुझे इतनी जल्दी ये सभी करना ठीक नहीं लग रहा है”
रमेश-“कुछ भी ग़लत नहीं है बहू, पता है अभी मुझे और तुमको इसकी कितनी जरूरत है”
चंचल बिना कुछ बोले अपने ब्लाउज़ के बटन खोलना सुरु कर देती है और दोबारा जैसे ही सारे बटन खुल जाते है ब्रा के उपरि से रमेश अपनी बहू के बड़े बड़े चूचों को मुँह में लेके चूसना सुरु कर देता है,
एक मुंह मेंएक हाथ में लेके पूरे मजे लेने लगता है, वही चंचल को तो जैसे अपने आप में कोई होश ही ना हो और अपने ससुर के सिर को अपने हाथों से चुचो पर ज़ोर से दबाने लग जाती है “आह आह बाबू जी ऐसे ही चूसो और जोर से चूसो ज्यादा बढ़िया लग रहा है”
रमेश अब अपनी बहू के उपरि आ जाता है और ब्रा को बगल में करते हुए उसके दोनों चुचो कोबाहर् निकालने लगता है दोबारा से वहीएक को मुंह मेंएक को हाथ में लेके उनके संग खेलने लगता है दोबारा से थोड़े देर पश्चात बदल लेता है,
चंचल के मुंह से लगातार आहे निकलने लगती है "आह बाबू जी खा जाइए पूरा" उसकी आंखे बंद हो गई थी वो उत्तेजना के चरम में पहुँच रही थी, जैसे ही रमेश ने अपने कमर को नीचे किया उसे अहसास हो गया की जो उसकी चूत कोबाहर् से छू रहा वो क्या है,
अपनी बहू के चुचो को चूसने के पश्चात रमेशएक बार दोबारा से होंठो की तरफ़ जाता है वहाँ से धीरे-धीरे धीरे नीचे आते हुए दोनों हाथों को अब जोर लगा के दोनों चूचों को ज़बरदस्त तरीक़े से दबाने लगता है, चंचल की चीख निकल जाती है “आह बाबू जी आराम से आज ही पूरा कसर उतार लेंगे क्या”
रमेश-“तुम्हें नहीं पता बहू मैं कितने दिनों से ये सपना देख रहा था और वो आज पूरा हो रहा है तो मुझसे रुका नहीं जा रहा है” और हाथो को वही रखे नीचे की तरफ़ जाने लगा,
चंचल को दोबारा से अपने पेट पे ससुर की गर्म साँसो ही हवा ने उत्तेजित कर दिया उसकी आँखे दोबारा से बंद हो गई और तड़पने लगी अब वो चाह रही थी जल्दी से उसकी चूत को भर दे,
एक हाथ से साड़ी को पैरों से अलग करते हूँ रमेश में उसकी गोरी गोरी जाँघो को सहलाने लगा रमेश का लंड किसी सरिया की भाती कठोर हो चुका था अब उसने दोनों हाथों का सहारा लेके अपने बहू के टांगो को फैलाना चाहा,
पर चंचल ने शर्म के मारे अपने ससुर को मना करना चाहा और दोनों हाथों को अपने चूत के उपरि चड्डी पे रख दिया, वो नहीं में सिर हिलाने लगी पर इधर से अब पीछे हटना मतलब रमेश के लिए दोबारा ये मौक़ा नहीं मिलने के बराबर था,
वो चंचल की चड्डी को उसकी गांड की तरफ़ से खोलना सुरूर किया और अब उसे सफलता मिल चुकी थी उसने देखा उसकी बहू ने अपने हाथो से चेहरे को ढक लिया है,
चड्डी को बगल में रख उसने अपना मुँह अपनी बहू की चूत की तरफ़ ले जाने लगा जिसे चंचल हल्की आँखों से देख रही थी पर हाथ अब भी उसके चेहरे में था, उसके ससुर ने बहू के दोनों टांगो को अच्छे से और फैला दिया जिससे चंचल की चूत का मुँह खुल गया,
एकदम गोरी अंदर से लाल बड़ी बड़ी फांकों वाली चूत जिसे देख रमेश के लंड ने वहीएक बूंद पानी छोड़ दिया उसने दोनों हाथो से उसे खोल दिया,
चंचल अब और ज़्यादा तड़पने लगी उसे अब बसएक की चाह है किसी तरह उसकी बुर से पानी निकल जाए, उसका इतना ही सोचना था कि रमेश अचानक अपना मुँह उसकी चूत में रख देता है, चंचल को लगा जैसे वो अभी ही झड़ जाएगी,
उसका ससुर अब लगातार अपने मुंह और जीभ से चंचल के बुर का चूस और चाट रहा था, चंचल के दोनों हाथ अब अपने ससुर के सर के बालों में थी और उसे अपनी बुर की ओर धकेल रही थी,
इतने अच्छे से चुसाई और उँगली की अधूरी रह गई प्यास ने चंचल को आखिरी पड़ाव पे लाके रख दिया उसकी आँखो से हल्के आंशु भी निकल आए वो अपने ससुर की इतनी चुसायी सह नहीं पायी औरएक जोरदार आवाज के संग अपनी कमर उचकाते हुए लगातार अपने ससुर के मुँह में झड़ती चली गई,
तीसरा दृश्य यही तक दोस्तो
कहानी जारी रहेगी
मिलते अब अगले अध्याय में दोस्तो ये अध्याय कैसा रहा अपनी राय जरूर देना शुक्रिया
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अध्याय-9
पहला हथियार
दोनों भाई बहन अपनी भावनाओं को अंदर रखे बिल्कुल शांत बैठे थे, थोड़ी देर तक शांति के बादएक आवाज आई “बस निकलने वाला है किसी का जानकरबाहर् हो तो बुला लो”
शाम के पाँच बज चुके थे बस गाँव में पहुँच चुकी थी दोनों भाई बहन बस से उतर चुके थे तब से लेकर अब तक दोनो में कोई बातचीत नहीं हुई थी,
घर की तरफ़ बड़ते हुए रिंकी ने कमल से कहा-“भाई आप गुस्सा तो नहीं हो ना”
कमल-“नहीं तो मैं क्यों गुस्सा होऊँगा”
रिंकी-“मुझे लगा आप किताब को लेके गुस्सा ना हो जाओ घर पहुँच के मैं वो आपको पुनः कर दूँगी”
कमल-“हा वो मुझे तुम पुनः कर देना तेरे पास रखना सही नहीं है, किसी और ने देख लिए तो गड़बड़ ना हो जाए”
रिंकी-“लो भाई हम तो घर भी आ गए”
दोनों भाई बहन जैसे ही घर पहुँचे वहाँ उनकी मुलाक़ात चंचल, लेखा और उनके दादा जी से हो गई सभी चाय पीते घर केबाहर् बरामदे में बैठे बात कर रहे थे,
चंचल-“बड़ी जल्दी आ गए तुम लोग बाज़ार से”
लेखा-“ये लोग कॉलेज नहीं गए थे क्या”
कमल-“चाची हम कॉलेज गए थे पर दोपहर में बाज़ार चले गए रिंकी को कुछ समान लेना था तो”
लेखा-“अच्छा ठीक है मुझे पता नहीं था बेटाइसे लिए पूछ बैठी रिंकी क्या लेके आई बाज़ार से”
रिंकी-“कुछ ख़ास नहीं बड़ी मम्मी वही कॉलेज के लिए जरूरी समान और श्रृंगार समान बस”
रमेश-“अरे अब उनको जाने भी दो जाओ बेटा तुम दोनों और जल्दी से चाय पीनेबाहर् आ जाओ” और अपनी चाय की चुस्की लेने लगा,
दोनों भाई बहन नेएक संग कहा ठीक है दादा जी,
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अब चलते है कुछ घंटे पहले जब लेखा दुकान में थी और अनिमेष के लंड में क्रीम लगाने वाली थी,
अनिमेष दवाई लेने जैसे ही हाथ बड़ाया लेखा ने हाथ पीछे करते हुए कहा “बड़ा मतलबी है रे तू अपनी मम्मी को प्रेम से बोलके फसा रहा ना” और अपने हाथ में क्रीम को लेकर उसे अपने बेटे के लंड की तरफ़ बड़ा दी,
लेखा-“तू आँखे बंद कर मैं क्रीम लगा रही हूँ”
अनिमेष-“ठीक है मम्मी आप जल्दी से क्रीम लगाओ ताकि मुझे थोड़ा जल्दी आराम मिले”
लेखा अब हल्के से अनिमेष के लंड के टोपे को खोलते हुए क्रीम लगाते हुए पूछती है-“यहाँ दर्द हों रहा है क्या” और लंड पे हलचल होता देखती है,
अनिमेष अपने लंड पें पहली बार किसी स्त्री के हाथ का स्पर्श पा कर ख़ुद पे संयम खो देता है और उसके लंड नेएक ठुमका मार देता है और उसके मुह से बसएक ही शब्द निकलता है-“हाँ मां” और उसकी आँखे बंद हो जाती है,
लेखा अब उसके लंड पे क्रीम पूरी तरह लगा देती है दोबारा उसे मलने लगती है और देखती है अनी ने अपनी आँखे बंद कर रखी है, संग ही वो अपनेएक हाथ को साड़ी के उपरि रख अपनी चूत को मसलने लगती है,
लेखा भी अब अपने आपे सेबाहर् हो रही थी उसे भी अब अपनी चूत खुले में मसलनी थी, उसने अनिमेष से कहा-“हो गया लग गया क्रीम अब तू थोड़ा आराम कर दोबारा दर्द ठीक हो जाएगा”
अनिमेष-“माँ दर्द तो ठीक हो जाएगा पर ये खड़ा है उसका क्या करूँ इसे तो शांत करना पड़ेगा ना”
लेखा-“हा तो ख़ुद हिला के करले मैं उस तरफ़ जा रही हूँ”
अनिमेष-"आप दोबारा कहीं और जा रही यही रहो ना मम्मी वैसे आपने मुझे पहले भी देखा है ना हिलाते हुए”
लेखा-“बेटा देखा है पर वो गलती से देखा था जानबूझ के नहीं”
अनिमेष-“तो अब देख लो ना माँ, देखो कैसे खड़ा है ये इसे शांत करने में मदद करो ना माँ”
लेखा-“बड़ा ही ढीड़ है तू ठीक है चल हिला देख रही मैं”
अनिमेष-“माँ उतने गुस्से में मत देखो मैं कोई गुनाह थोड़े कर रहा बस अपनी तकलीफ़ आपको बता के उसको दूर कर रहा हूँ”
लेखा-“ठीक है मैं गुस्सा नहीं हूँ अब तू जल्दी से शांत हो बस”
अनिमेष अब जोर से अपने लंड को हिलाने लग जाता है जिसे देख लेखा ख़ुद पे काबू नहीं कर पा रही थी वो बस अपने बेटे को लंड मसलते देख रही थी,
अनिमेष-“आह मम्मी कितना बढ़िया लग रहा है ऐसा लग रहा ये टाइमयू ही बस चलता रहे”
लेखा अपने बेटे से नज़रे बचा के अपनी चूत को भी बीच बीच में सहलाते जा रही थी,
लेखा-“और कितना टाइमलगेगा तेरा शांत होने में”
अनिमेष-“माँ मुझे थोड़ा टाइमलगता है जब कुछ सामने हो रहा हो तो और जल्दी निकल सकता है जैसे उस दिन देखा था आपको और पापा को”
लेखा-“तू उस दिन की बात मत ला बस अपना हिला के जल्दी ला वरना मैं भी बहक नहीं जाऊ”
अनिमेष-“तो आप ही मेरे संग करलो ना मम्मी मैंने कब मना किया है”
लेखा अपने बेटे का जवाब सुनकेएक सेकंड के लिए सोचती है इसी के संग अपना पानी भी निकाल लू, पर दोबारा ख़ुद पर काबू करते हुए कहती है-“नहीं मैं पश्चात में कर लूंगी तू अभी जल्दी कर हमे आराम भी करना है”
अनिमेष-“माँ मेरा तो आ नहीं जब तक मैं आपको उस रूप में ना देखू जो मेरे ख्यालों में आता है”
लेखा-“ओह हो तू भी ना ज्यादा शैतान हो चुका है अब और क्या करना पड़ेगा मुझे बता”
अनिमेष-“माँ बसएक बार अपनी वो दिखाओ ना” लेखा के चुचो की तरफ़ इशारा करते हुए”
लेखा -“अनी तू होश में है क्या कह रहा अपनी मम्मी से”
अनिमेष-“माफ़ करना मम्मी मेरा तभी जल्दी शांत होगा जब मैं आपका पहले वाला रूप देखूँगा”
लेखा-“हे भगवान ये लड़का भी ना आज पता नहीं मुझसे क्या क्या कराएगा” और अपने ब्लाउज़ के हुक्क खोलने लगती है “ले देख और कर शांत”
लेखा जो भी कर रही थी ये हो तो उसके बेटे के हिसाब से रहा था पर कहीं ना कहीं वो ये चाह भी रही थी तभी तो अपने बेटे की हर बात मान रही थी, वो तो इधर तक सोच बैठी थी की उसका बेटा यदि उसकी चूत के लिए भी बोलेगा तो वो भी कर देगी,
अनिमेष-“आह मम्मी बस ऐसे ही रहो थोड़ा और पास आइए ना” लेखा थोड़ा और पास आ जाती है अनिमेषएक हाथ से हिलाते हुए अपनी मम्मी केएक चूचे में हाथ रख देता है, लेखा दूर हटती है पर अनी उसे दोबारा से जिद्द करके पास बुला के अब अपनी मम्मी के चूचो को और अच्छे से सहलाते हुए अपने लंड को हिलाने लगता है,
लेखा अब अपना होश खो रही थी उसे किसी तरह अपनी चूत को भी छूना था पर वो नहीं कर पा रही थी बस अपनी टांगो को हिला के ख़ुद को रोके हुए थी, इधर अनिमेष अब लगातार अपने लंड को हिलाये जा रहा था जिसे लेखा बस मदहोशी में देखे जा रही थी,
अनिमेष-“माँ थोड़ी मदद करो ना आपएक बार और दवाई को अच्छे से लगाओ ना”
लेखा अपने बेटे के भावनाओ को अच्छे से समझ रही थी उसने भी बिना कुछ कहे उसके लंड को पकड़ के हिलाना सुरु कर दी, ये पहली बार था जब लेखा ने अपने पति के अलावा किसी और के लण्ङ कोइसे तरह हिलाया था,
उसके बेटे नेएक आह भरी “ओह मम्मी कितना आराम मिल रहा रहा आपके हाथो से बस ऐसे करते रहिए मुझे आराम मिल रहा है”,
अनिमेष अपने चरम सुख की ओर बढ़ चला था वो अपने मम्मी के कोमल हाथों का स्पर्श अपने लंड पे पाके धन्य हो चुका था उसे लगने लगा अभी कभी भी वो झड़ सकता है, लेखा अब तेजी से अपने बेटे के लंड को हिलाए जा रही थी “आह कैसा लग रहा बेटा उम्म आराम मिल रहा ना मेरे बेटे को बताओ”
अनिमेष-“हा मम्मी मुझे आपके हाथो से ज्यादा आराम मिल रहा है बस अब शांत होने ही वाला है ऐसे ही करते रहिए” अनिमेष अपनेएक हाथ को अपनी मम्मी के कमर में रख उसे अपनी ओर खिचने लगता है और लेखा आ भी जाती है,
अनिमेष जल्दी बिना टाइमबर्बाद किए अपने मुह को अपनी मम्मी के चुचो की तरफ़ बड़ा देता है,
लेखा-“आह नहीं बेटा ये मत कर मैं कहीं कुछ ग़लत ना कर बैठू”
अनिमेष -“उम्म उम्म नहीं मम्मी मुझे पता है आपको भी बढ़िया लग रहा है और मुझे तो और भी ज़्यादा”
लेखा-“बेटा ऐसा मत कर नहीं तो मैं अब सच में बहक जाऊँगी”
अनिमेष-“बस मेरा होने वाला है माँ”
लेखा के लगातार हिलाते रहने के मेहनत ने आख़िर कर अपना रंग ला ही दिया अनिमेष भल भला के लगातार लेखा के हाथो में झड़ने लगा, अनिमेष के मुह से बस “आह मम्मी अब बढ़िया लग रहा है जो मैं नहीं निकाल पाया,
लेखा अपने हाथों को दोबारा दूर करते हुए होश में आते ही वहाँ से निकल अपने हाथो को साफ़ करने लगी और कपड़ों को ठीक करते हुए अनिमेष से कहा “तू अब आराम कर थोड़े देर में संग घर चलेंगे”
अनिमेष आखे बंद किए हुए ही बोला “बहुत ज्यादा शुक्रिया मम्मी आपने मेरी इतनी मदद की” और उसी तरह सोता रहा,
अनिमेष के सोते ही पलंग और कूलर के बीच नीचे बैठ लेखा ने अपनी नजर अपने बेटे के चेहरे में देखते हुएएक बार अपनी चूत को छू के देखा जो पूरी तरह रस से भर चुकी थी
वो आगे कुछ करती उससे पहले ही,
थोड़ी देर पश्चात उस व्यापारी के आने के पश्चात उससे सामान लिए और उसे पैसे देकर वो भी थोड़ा आराम की, दोबारा पाँच बजे से पहले दोनों मम्मी बेटे घर के लिए निकल गए,
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वह खेतों में चंचल अपनी कमर उचकाते हुए लगातार अपने ससुर के मुँह में झड़ती चली गई,
और आँखे बंद कर वही चित्त होकर लेटी रही और अपने साँसो को काबू करते हुए उसके कमर अब भी झटके से धीरे-धीरे धीरे हिल रहे थे, उसका ससुर भी अब अपने मुंह पर लगे उसके बहु के चुतरश को अपने हाथों से साफ़ करते हुए उसके बगल में लेट गया और साँसो को आराम देने लगा,
चंचल ने शर्म से रमेश की तरफ़ पीठ करके उसी अवस्था में लेट गई वो अब वास्तविक दुनिया में आने लगी उसे लगने लगा उसने इतना बड़ा पाप कैसे होने दिया,
रमेश अब अपने खड़े लंड कोबाहर् निकाल उसे मसलने लगा जो अभी भी बिल्कुल तनकर खड़ा था जैसे अपनी बहू को सलामी दे रहा हो,
उसने बहू केएक हाथ को पकड़ उसने अपने लंड पे रखना चाहा पर चंचल ने शांत रहकर ही अपना हाथ हटा लिया, रमेश ने अपने बहू का हाथ दोबारा से पकड़ के अपने खड़े लंड पे रखा और उसी के संग उसे हिलाने लगा,
चंचल अपने हाथों मेंएक तगड़े लंड को पकड़ कर दोबारा से पुनः हवस की दुनिया में जाने लगी, औरइसे बार लंड से हाथ ना हटा के अपने ससुर का संग देने लगी, रमेश ने धीरे-धीरे से अपने हाथ को हटा लिया और अपने बहू के कोमल हाथों को अपने लंड पर चलते महसूस करने लगा,
रमेश-“आह बहू तुम्हारी हाथों में क्या चमत्कार है” संग ही अपनेएक हाथ को दोबारा से अपने बहू के चूत के उपरि रख दिया,
चंचल बिना कुछ बोले अब लगातार अपने ससुर के लंड को हिलाती रही दोबारा रमेश उठ कर बैठ गया और अपने उपरि के कपड़े निकाल बाजू में रख दिया और उपरि से पूरा नंगा हो गया, संग ही उसने चंचल के कपड़ों को भी उसके बदन से दूर करना चाहा पर चंचल ने स्वयं ही सभी जल्दी से कर ली,
चंचल का हाथ अब उसके लंड के उपरि ही था दोबारा जो अचानक हुआ उसकी चंचल को कोई उम्मीद नहीं थी, उसके ससुर ने उसके सर को पकड़ अपने लंड की तरफ़ झुकाने लगा, जैसे कह रहा हो अब मेरा पानी भी अपने मुँह से निकल दो बहू,
चंचल भी उनका संग देते हुए अपने ससुर के लंड पे झुकती चली गई धीरे-धीरे धीरे उसके मुंह में उसने अपने ससुर के बड़े मोटे लंबे लंड को आँखे फाड़ते अंदर जाते देखने लगी, वो अब पूरी मस्ती में आ चुकी थी और उसने अपने ससुर के लंड से पानी को निकालने की ठान ली,
फिर चंचल ने अपने दोनों हाथों से अपने ससुर के लंड को पकड़ के अपने पूरे मुँह में ले के अंदर बाहर् करना शुरु कर दी,
रमेश-“आह बहू क्या चमत्कार है तुम्हारे मुंह में”
चंचल लंड से मुंह हटाते हुए बोली-“आपको बढ़िया लग रहा बाबू जी” और लंड को मुह में लेके दोबारा से चुभलाने लगती है कभी पूरा जीभ से चाटती तो कभी टोपे को कुरेदती है,
रमेश-“हा बहू बिल्कुल तुम्हारी मुंह में मेरे लंड का होना मेरे लिए किसी सपने से कम नहीं है आह कितना बढ़िया लग रहा है बस ऐसे ही चूसती रहो”
चंचल-“बाबू जी आप ऐसे गंदे शब्द मत कहो मुझे अभी थोड़ी शर्म लग रही”
रमेश-“बहू तुम ही बताओ दोबारा मैं लंड को लंड और चूत को चूत नहीं बोलूँगा तो क्या बोलूँगा”
चंचल बिना कुछ कहे अपने जीभ और मुंह से लगातार अपने ससुर के लंड पर कहर बरसा रही थी, रमेश के लिए ये पलएक अनोखा एहसास दे रहा था, जिसे उसने कभी महसूस नहीं किया और मादक आवाज निकालते हुए उसने अपने हाथ केएक उंगली को चूत में डालकर थोड़ा अंदर की तरफ जोर दे दिया,
चंचल की चूतइसे एहसास से की उसके चूत में उसके ससुर ने उँगली डाल दी है, अपनी चूत को सिकोड़ने लग जाती है जिसका पता अब उसके ससुर को अच्छे से हो रहा था,
चंचल अपनी जीभ को निकाल पूरे लंड को चाटती दोबारा पूरे लंड कोएक बार में अपने मुँह में ले लेती,
रमेश-“आह बहू ऐसे ही ज्यादा बढ़िया लग रहा मुझसे अब रुका नहीं जाएगा, तुम्हारे मुह ने मेरे लंड को अब और ज़्यादा सख़्त बना दिया है”
वही मचान के उपरि रमेश अब खड़ा हो जाता है और अपने पजामे को निकाल फेकता है दोबारा चंचल को अपने सामने घुटने पर बैठा देता है और उसके मुंह में दोबारा से लंड घुसा देता है, बीच बीच में चंचल के सर को पकड़ उसके मुंह को भी चोदने लगता है, रमेश खुशी के संग सातवे आसमान में पहुँच चुका था,
नीचे बैठी चंचलएक हाथ से अपने ससुर के आँखों में देखते हुए उसके लंड को पकड़ मुठियाते हुए दोबारा लंड को चाटती और चूसती जाती है, और दूसरे हाथ से अपनी छूत के दाने को कुरेदने लगती है, अब चंचल को दोबारा से अपनी छूट से पानी निकालने की चुल्ल मचने लगी,
रमेश-“बहू अब मैं तुम्हारी चुचियों को चोदना चाहता हूँ इसे अपने दोनों हाथों से पकड़ो ना”
चंचल अपने ससुर की बातो को मानते हुए अपने हाथो से बड़े बड़े दोनों चुचो को पकड़ लेती है और अपने ससुर के लंड को दोनों के बीच घुसा के उनको पूरा मजे देने शुरुआत करती है,
चंचल-“अब ठीक है बाबू जी आनंद आ रहा है ना आपको”
रमेश आँखे बंद कर चुचो की चूदाई करते हुए -“आह बहू पूछो ही मत मुझे कितना आनंद आ रहा है ऐसा आनंद आज से पहले कभी नहीं आया था” और लगातार चंचल के चुचो को चोदने लगता है,
चंचल भी बीच बीच में अपने ससुर के लंड को जीभ से चाट लेती है,
थोड़े देर पश्चात रमेश-“आह बहू मैं अब और नहीं रुक सकता हूँ मेरा लंड तुम्हारी चूत को पाना चाह रहा है और उसे वही सामने घुटने नीचे कर आगे झुकने बोलता है,
चंचल का बदन अब हवस से भर चुका था रोम रोम बसएक ही चीज की माँग रही थी लंड, जिसकी चाहत ने उसे सामने घुटनो पे झुकने पे मजबूर कर दिया, वो सभी कुछ भूल चुकी थी कि कहा और किसके संग है अब तो उसे बस लंड की मोटाई और लंबाई ही दिखाई दे रही थी,
रमेश भी झुक करएक बार अपनी जुबान को चूत से लगा कर उसेबाहर् से हीएक बार अच्छे से चूस लेता है, चंचलइसे हमले से पूरी तरह गनगना जाती है और उसकी चूत की प्यास और बड़ जाती है,
फिर खड़े होकर अपने लंड को अपनी बहू की बुर मेंबाहर् लगा देता है,
ये पहली बार है जब किसी और मर्द ने चंचल की चूत को पाने का रास्ता पार कर लिया था, उसे पता था वो समय दूर नहीं जब उसकी चूतएक नए लंड को अपने अंदर समाने वाली थी, उसे अपने चूत का नया मालिक मिलने वाला था,
चंचल अब तन और मन से पूरी तरह अपने ससुर के लंड को अपनाने को तैयार हो चुकी थी वो सामने झुकी हुई अबइसे आनंद के लिए बिल्कुल तैयार थी, पीछे से उसके ससुर ने कमर पेएक हाथ रख दूसरे हाथ से लंड को अपनी बहू की बुर के उपरि ही रगड़ना शुरुआत किया,
चंचल नेएक मधुर आह भरी जो आसपास को और मादक बना रहा था उसके ससुर ने अब धीरे-धीरे से रगड़ते हुए अंदर डालना शुरुआत किया और ससुर बहू नेएक संग मादक स्वर में कहा
चंचल-“आह बाबू जी अब बस अपने सपने को पूरा कीजिए और बिना चूके लगातार अपने हथियार से मेरी मुनिया को चीर दीजिए आह मम्मी ये अहसास कितना बढ़िया है”
रमेश-“आह बहू तुम्हारी चूत इतनी गीली हो चुकी है मेरा लंड तो फिसलते हुए अंदर जा रहा है”
फिरएक बार अच्छे से पूरा अंदर डालने के पश्चात थोड़ाबाहर् निकाल के दोबारा से चंचल के ससुर ने पूरा लंड उसके बुर में भर दिया और अपनी रफ़्तार पकड़नी शुरुआत किया,
चंचल ने आह भरते हुए अपनेएक हाथ को पीछे ले जाकर अपनी गांड को पकड़बाहर् की तरफ़ खिचने लगी जिससे उसके ससुर का लंड और अच्छे से अंदरबाहर् हो सके, दोबारा नीचे दूसरी हाथ से अपनी चूत को लंड के संग सहलाना भी शुरुआत कर दी,
चंचल-“ओह आह ऊह बाबू जी थोड़ा तेज मारिये ना बड़ा आनंद आ रहा है, आह मम्मी ओह बाबू जी और जल्दी जल्दी करिए, हा ऐसे ही वैसे भीइसे तरह का ये मेरा पहला हथियार है”
रमेश-“ओह बहू तुम तो सच में ज्यादा गर्म स्त्री हो मुझे नहीं लगा था तुम्हें मैं कभी चोद पाऊँगा”
चंचल-“आह बाबू जी अब मिल गई तो करते रहिए बिना रुके” और अपनी गांड को पीछे धकेलने लगी,
रमेश अपनी बहू की गांड को सहलाते हुए उसे चोदे जा रहा था ये अहसास सोच कर ही की वो आज अपनी बड़ी बहू को चोद रहा है उसके लंड में जरा भी नरमी नहीं थी, वो बस चोदे जा रहा था,
थोड़ी देर पश्चात लंड कोबाहर् निकाल रमेश अपनी बहू को लेटने को कहता है चंचल तो बिल्कुल होश में नहीं थी बिना ज़्यादा टाइमगवाये जल्दी अपने ससुर के सामने लेट जाती है उसके दोनों टांगो को अगल बगल में कर रमेश अपनी बहू के उपरि चड़ जाता है,
और अपनी बहू को चूमने से पहले चंचल से कहता है “बहू लंड को रास्ता दिखाओ ना अपनी चूत का” और उसके होठों को चूमने लगता है, चंचल आँखे बंद किए जल्दी हाथ नीचे ले जाकर अपने हाथों से ससुर जी का लंड मुट्ठी में पकड़ के सीधे चूत की तरफ़ ले जाती है,
रमेश अब बिना टाइमगवाये अपनी बहू की चूत का भोसड़ा बनाना शुरुआत कर देता है उसके झटके इतने तेज हो चुके थे की चंचल को भी अब दर्द का अहसास हो रहा था,
चंचल-“आह बाबू जी दर्द हो रहा है पर आप अब तेज रफ़्तार को रोकिए मत और ऐसे ही करते रहिए आह बाबू जी ज्यादा बढ़िया लग रहा है आह ओह मम्मी मेरा आने ही वाला है हा और तेज और तेज आह ह ह ह ह ह माँ” और अपने आप को दोबारा से झड़ते महसूस करने लगती है,
रमेश भी अब लगातार इसी तरह पाँच मिनट चोदने के पश्चात अपने लंड पे तनाव महसूस करता है उसने चंचल से कहा “आह बहू लगता है मेरा भी आने वाला है,
चंचल-“हा बाबू जी और तेज कीजिए आपका और ज़्यादा पानी आयेगा” चंचल ने अपने ससुर कोबाहर् निकालने को कहा,
रमेश को अगले समय जैसे ही लगा कि वह आने वाला है उसने अपने लंड को अपनी बहू की चूत सेबाहर् निकाल उसके पेट में लगातार पिचकारी मारते हुए झड़ने लगा,
रमेश-“आह बहू लो मेरा पानी अपने ऊपर”
चंचल संग देते हुए बोली-“हा बाबू जी दीजिए मुझे डालिए मेरे ऊपर”
रमेश अब पस्त होके अपने बहू के बगल में लेट गया और दोनों ससुर बहू मचान के छत की तरफ़ देखने लगे दोनों इतने थक चुके थे कि उनको पता ही नहीं चला और बिना अपने आप को ठीक किए उसी तरह उनकी आँख लग गई,
क़रीब घंटे भर पश्चात जब अचानक चंचल की नींद खुली तो उसे अपने हालात पर यकीन नहीं हुआ उसने मन ने सोचना शुरुआत किया चूत की भूख ने उसे आज ये क्या करवा दिया पर जैसे ही उसकी नजर अपने ससुर और उसके हल्के तने लंड पर गई थोड़ी शर्मा गई,
उसने कपड़ो को खोज के जल्दी से अपने आप को ठीक करना शुरुआत कर रही थी की तभी उसके ससुर भी उठ गए लेकिन जैसे ही आँख खुली और सामने का नजारा देखा तो वो अपनी बहू को कुछ बोल नहीं पाया, दोबारा अपने आप को ठीक करके जल्दी नीचे आ गया,
हाथ पांव धोके पुनः आया तो देखा उसकी बहू नीचे आ चुकी थी, उसने अपने बहू से कहा-“जाओ बहू हाथ मुंह दो आओ”
चंचल बिना कुछ बोले चली गई और पुनः आके सामान समेट लिया जैसे ही अपने ससुर को घर जाने के लिए बताने वाली थी,
रमेश-“मुझे माफ करना बहू यदि आज मैंने जोश जोश में कुछ ग़लत किया हो तो”
चंचल बिना बोले एकटक कहीं और देख कुछ सोच रही थी दोबारा उसने अपने ससुर से कहा-“इसमें आपकी नहीं बाबू जी हम दोनों की ही गलती थी, जो भी हुआ दोनों की मर्जी से हुआ है और कहीं ना कहीं हम दोनों ही चाह रहे थे तो इसके लिए आप अपने आप को ग़लत मत बोलिए”
रमेश-“धन्यवाद बहू मुझे तो लग रहा था कहीं तुम बुरा ना मान जाओ”
चंचल-“ये छोड़िये बाबू जी टाइमदेखिए आज तो मुझे ज्यादा देर हो गई घर का बाक़ी काम भी पहुँच के पूरा करना पड़ेगा”
रमेश-“मुझे ख़ुशी है बहू तुमने बुरा नहीं माना और ये बात हम दोनों के बीच ही रहेगी”
चंचल-“मैंने कहा ना बाबू जी आप ये सभी छोड़िए अभी और आप भी चल रहे संग में चलिए, अब आपको भी आराम की जरूरत है तो सीधे मेरे संग घर चलिए” और हंसते हुए आगे बढ़ना चाही पर,
रमेश आगे बड़के सीधे अपने बहू को जाके गले लगा लेता है और कहता है-“तुम बड़ी बहू के साथएक समझदार बेटी भी हो मेरे लिए कितना सोचने लग गई हो, शुक्रिया मेरी बेटी” और उसके गर्दन मेंएक चुम्मा दे देता है,
चंचल अचानक से अपने ससुर केइसे हरकत से शर्मा जाती है और चुम्मा लेने के जल्दी बादउन्को दूर हटाते हुए कहती है “दूर हटिये बहु जी इधर कोई देख लेगा तो मुसीबत हो जाएगी” और दोनों सीधे घर की तरफ़ चल पड़ते है।
आज के लिए इतना ही दोस्तो मिलते है अगले अध्याय में शुक्रिया
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Maaf krna late say suru kia pr aapko agle update say nirasha nai hongi. jab jab update likhte jaunga vaise vaise ap logo ko milta rahega
अगला अध्याय शारीरिक परिचय पोस्ट कर दिया है कृपया पढ़के अपना मत साझा करे
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