The Incest Indian Sex Story of मां का आशिक
शादाब अपनी अम्मी को उठते हुए देख कर डर गया और तेजी से भागता हुआ अपने कमरे में घुस गया। उसका लंड अभी भी पूरी तरह से खड़ा हुआ था।
शादाब ने जल्दी सेएक चादर उठाई और अपने जिस्म पर डालकर लेट गया लेकिन डर और जल्दबाजी की वजह से उसका पायजामा अभी तक खुला ही पड़ा हुआ था। शहनाज़ कमरे सेबाहर् निकली जिसकी आंखो में अभी भी खुमारी छाई हुई थी। लड़खड़ाते कदमों के संग वो बाथरूम की तरफ बढ़ने लगी तभी उसकी नज़र अपने बेटे के खुले हुए दरवाजे से आती हुई प्रकाश पर पड़ी तो हल्के गुलाबी रंग की प्रकाश में उसे अपने बेटे का चांद सा चमकता हुआ चेहरा नजर आया। उसे अपने बेटे पर ज्यादा प्रेम आया और उसके कदम अपने आप शादाब के कमरे की तरफ बढ़ गए। उसका दिल ज्यादा तेजी से धड़क रहा था और गला सूख गया था। जैसी ही वो कमरे के अंदर घुसी तो वो अपने बेटे के चेहरे के पास पहुंच गई और उसके चेहरे को हाथो से सहलाने लगी। उसका जिस्म पूरी तरह से कांप उठा और उसे लगा कि यदि उसका बेटा जाग गया तो उसेइसे हालत में देख कर क्या सोचेगा , ये ख्याल मन में आते ही उसका जिस्म पसीने से नहा उठा और उसने आगे होकर अपने बेटे के माथे को चूमने लगी।
शादाब जाग रहा था और अपनी अम्मी को आते देखकर अपनी आंखे बंद करके लेट गया था। जैसे ही शहनाज़ के नाजुक रसीले होंठों का एहसास उसे अपने माथे पर हुआ तो उसकी हालात खराब होने लगी। शादाब की गर्म गर्म सांसे अब शहनाज़ की गर्दन पर पड़ रही थी जिससे दोबारा से उसका जिस्म सुलगने लगा। उसने अपने बेटे केएक हाथ को पकड़ लिया और उस पर हाथ फेरने लगी। उफ्फ कितना बड़ी और चौड़ी हथेली थी सचमुच उसके बेटी की। शहनाज़ की गांड़ अपने आप थिरक उठी मानो अपने बेट के हाथ में जाने के लिए तड़प रही हो। शहनाज़ को तभी लगा कि वो गलत कर रही है उसे अपने सगे बेटे के संग ऐसा नहीं करना चाहिए। यदि उसका बेटा जाग गया तो वो उसे मुंह दिखाने लायक नहीं रहेगी, तभी उसके जिस्म में दूसरा ख्याल आया कि बेटा हैं तो क्या हुआ, बिल्कुल मेरे सपनो के शहजादे जैसा हैं। मैंने तो अपने महबूब के रूप में ऐसे ही मर्द की विचार करी थी।
उसके अंदर विचारो की जंग चलती रही और अंत में उसके दिमाग की जीत हुई और उसने अपने बेटे के कमरे सेबाहर् जाने का फैसला किया। जैसे ही वो पलटी उसकी नजर शादाब की चादर में बने हुए उभार पर पड़ी तो उसकी सांसे जैसे रुक सी गई और आंखो हैरानी से फैलती चली गई। चादर उसके जिस्म से कम से कम आठ इंच से ज्यादा उपर उठी हुई थी जिसे देखकर शहनाज़ अपनी पलके तक झपकाना भूल गई। उसने हालाकि आज तक लंड नहीं देखा था क्योंकि अपने पति का लंड भी उसने बस बार ही उसके जिद करने पर हाथ में लिया था लेकिन वो तो उसके बेटे के सामने आधा भी नहीं लगा था। लंड को महसूस करते ही उसके बढ़े हुए कदम जैसे जाम से हो गए और उसकी चूचियां दोबारा से तनकर खड़ी होते हुए उपर नीचे गिरने लगीं।
उसनेएक बार अपने बेटे की तरफ देखा तो शादाब अपनी आंखे बंद किए हुए लेटा हुआ था जिससे शहनाज़ के नाजुक होंठो परएक कातिल मुस्कान अा गई और उसके कदम शादाब के पैरों की तरफ बढ़ चले।
चार कदम का फासला तय करने में शहनाज को ज्यादा टाइमलगा क्योंकि उसकी सारी शर्म लिहाज उसे रोक रही थी। अंततः वो अपने बेटे की टांगो के बीच पहुंच गई। शादाब का जिस्म पूरी तरह से मचल रहा था। शहनाज़ ने मन बना लिया था कि आज वो कम से कमएक बार जरूर अपने बेटे के लंड को हाथ से छुवेगी। उस बेचारी को क्या मालूम था कि अंदर उसके बेटे का लंड पुरी तरह से नंगा थे। उसने धड़कते दिल के संग उसकी चादर को पकड़ लिया और जैसे ही चादर हटाई तो उसकी आंखो के सामने शादाब का लंड उछल करबाहर् आ गया जिसे देखते ही उसकी आंखे शर्म से बंद हो गई और उसके मुंह सेएक आह निकल पड़ी
" हाय अल्लाह, ये क्या आफत हैं इतना लंबा मोटा !!
शहनाज़ ने आज पहली बार लंड देखा और वो भी अपने बेटे का ये सोच कर उसकी चूत गीली होने लगी और चूचियों के निप्पल अकड़ से गए। शादाब ने धीरे-धीरे से अपनी अम्मी के चेहरे को देखा जो कि डर के मारे पसीने से भीग कर कांप रहा था और उसकी जीभ बार बार उसके सूखे होंठो पर घूम रही थी। शहनाज़ को लंड की पहली झलक दीवाना बना गई और उसके मन में दोबारा से लंड देखने की तमन्ना जाग उठी लेकिन शर्म के मारे आंखे नहीं खुल पा रही थी। आखिर गाड़ी उसने अपनी पूरी हिम्मत जुटा कर अपनी आंखे खोल दी और उसकी आंखे दोबारा से लंड पर टिक गई। शहनाज़ सभी कुछ भूल कर एकटक लंड को देखने लगी तो उसे एहसास हुआ कि लंड लंबा होने के संग साथ ज्यादा ज्यादा मोटा भी हैं। उसनेएक बार अपने हाथ की कलाई की तरफ देखा और दोबारा से लंड को निहारा तो लंड सच में उसकी कलाई से भी ज्यादा ज्यादा मोटा था। लंड का टेनिस बॉल के आकार का सुपाड़ा लाल सुर्ख होकर दहक रहा था मानो किसी ने उसे पूरा गुस्सा दिलाया हुआ था। शहनाज़ उस लंड को कम से कमएक बार छूने का लालच अपने मन से नहीं निकाल पाई उसके हाथ अपने हाथ उसके बेटे के लंड की तरफ बढ़ गए। जैसे ही उसके हाथ लंड के सुपाड़े से टच हुए तो उसकी चूत ने अपना रस छोड़ दिया और वो चीखते हुएएक बार दोबारा से झड़ गई और उसने जोर से अपने बेटे के लंड के सुपाड़े को कसकर दबा दिया लेकिन उसे हैरानी हुई कि लंड का सुपाड़ा बिल्कुल भी नहीं दबा और उसने लंड का घमंड तोडने के लिए पूरी ताकत झोंक कर सुपाड़ा दबा दिया तो शादाब के होंठो से दर्द भरी आह निकल पड़ी तो शहनाज़ की सारी वासना उतर गई और वो डर के मारे तेजी से अपने कमरे की तरफ दौड़ पड़ी।
शादाब की आंखे खुल गई और उसने अपनी अम्मी की उछलती हुई गांड़ देखी तो अपना दर्द भूल कर गांड़ को देखने लगा। शहनाज़ अपने कमरे में घुस गई और अपनी सांसे दुरुस्त करने लगी। उसका दिल किसी बुलेट ट्रेन की गति से दौड़ रहा था और वो अपने आप पर यकीन नहीं कर पा रही थी कि उसने अपने बेटे का लंड ना सिर्फ देखा बल्कि हाथ में भर कर दबा भी दिया था। डर के मारे उसकी हालत खराब थी और वो आंखे बंद करके अपने किए पर पछतावा कर रही थी और उसने फैसला किया कि वो अब अपने बेटे से दूरी बनाकर रखेगी।इन्हीं ख्यालों के संग कब उसे नींद आ गई पता नहीं चला और शादाब भी अपने खड़े हुए लंड को हाथ में लिए हुए ही सो गया।
अगले दिन सुबह मस्जिद में अजान की आवाज सुनकर शहनाज़ की नींद टूट गई और तेजी से उठ कर नहाने के लिए बाथरूम में घुस गई। जल्दी ही ठीक से गुस्ल किया और नमाज पढ़ने लगी। नमाज़ पढ़ने के पश्चात उसने ढेर सारी दुवाएं मांगी और अपने बेटे की खुशी मांग कर चाय बनाने के लिए किचेन में घुस गई क्योंकि उसके सास ससुर को सुबह नमाज़ के पश्चात चाय पीने की आदत थी। चाय बनाते हुए उसकी आंखो के आगे रात हुई घटनाएएक के पश्चात घटनाए किसी फिल्म की तरह चलने लगी । रात उसने अपने जिस्म से पूरी तरह से काबू खो दिया था ये सोचकर वो शर्म के मारे दोहरी हो गई। किस तरह उसने स्वयं ही अपनी मैक्सी उतार फैंकी थी और ऐसा पहली बार हुआ था कि उसने स्वयं अपनी चूत सहलाई थी। ये सभी सोच सोच कर उसके गाल गुलाबी हो उठे और जैसे ही उसे अपने बेटे का लंड याद आया तो उसकी सांसे तेजी से चलने लगी और डर के मारे उसका गला सूख गया। कितना गर्म था उसका लंड और मोटा तो किसी घोड़े के जैसे था, सुपाड़ा आगे से कितना ज्यादा मोटा था मानो सूज कर इतना मोटा हुआ हो। लंड की याद आते ही उसे याद आया कि उसने कितनी बेदर्दी से उसके लंड को मसल दिया, उफ्फ उसका बेटा कैसे दर्द से कराह उठा था। मेरी किस्मत भी अजीब हैं कि लंड भी सबसे पहले देखा तो अपने सगे बेटा का। उसे अपने बेटे की बड़ी फिक्र हुई और उसके कदमएक बार दोबारा से शादाब के कमरे की तरफ बढ़ गए। खुले गेट से उसने देखा कि उसका बेटा आराम से सोया हुआ था लेकिन लंड अभी तक खड़ा हुआ था शायद पेशाब के दबाव के कारण अकड़ गया था। तभी उसने देखा कि नींद में ही उसका बेटा मुस्कुरा उठा तो उसे खुशी हुई कि उसका बेटा ठीक है। उसके दिल को ज्यादा सुकून मिला और वो वापिस किचन की तरफ अाई तो देखा कि सारी चाय उबल कर निकल गई थी। उसे दुख हुआ क्योंकि आज पहली बार उसकी ज़िंदगी में ऐसा हुआ था कि चायबाहर् निकली हुई। खैर उसने दुखी मन से दोबारा चाई बनाई और ट्रे में लेकर नीचे पहुंच गई।
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उसने अपने सास ससुर को सलाम किया और चाय का कप दिया। दोनो खुश हो गए और उसे ढेर सारी दुआ दी और ससुर बोले:"
" बेटी आज बहुत सारी मेहमान आएंगे, मैंने हलवाई को बोलकर सभी इंतजाम करा दिया है , बस शादाब को अच्छे से तैयार करना ताकि मेरे पोता सबसे अलग दिखे !!
शहनाज़ :" जी अब्बू, अभी तो सो रहे हैं आपके नवाबजादे !!
सास;" अरे बेटा वो थका हुआ होगा और ज्यादा सालों कर पश्चात घर लौटा हैं तो सुकून की नींद सो रहा होगा।
ससुर:" हां बेटी, अपने घर में अलग ही सुकून मिलता हैं, उठ जाएगा थोड़ी देर पश्चात अपने आप ही। तुमएक काम करो कि नीचे कमरे में मेरीएक खानदानी पुरानी जैकेट रखी है जिसे मैं आज पहनना चाहता हूं। तुम उसे निकाल देना बेटी!!
शहनाज़:" ठीक हैं, मैं निकाल देती हूं अभी। वो आप पर ज्यादा ज्यादा सुंदर लगती हैं।
शहनाज़ अंदर कमरे में घुस गई और लाइट का स्विच ऑन किया तो देखा कि कमरे में बहुत धूल जमा हो गई थी क्योंकि बहुत दिन से उसकी सफाई नहीं हुई थी। कपड़ों का बॉक्स उपर रखा हुआ था और जैसे ही उसने बॉक्स की नीचे उतारना चाहा तो बॉक्स के संग साथ उसके उपर ढेर सारी धूल अा गिरी। उसने अपने चेहरे को दुपट्टे से स्वच्छ किया और बॉक्स का ताला खोलने लगी। ताला खोलकर उसने देखा कि जैकेट पूरी तरह से स्वच्छ थी, कहीं कोई दाग धब्बा नहीं बस कुछ सलवटे पड़ गई थी जो कि प्रेस करने का पश्चात आराम से निकल सकती थी।
वो अपने सास के कमरे में घुस गई औरउन्को जैकेट दिखाई तो ससुर बड़ा खुश हुआ और जैसे ही उसके उपर पड़ी हुई धूल देखी तो पूछा:"
" अरे बेटी तेरे उपर तो पुरी तरह से धूल जम गई है, कितना परेशान किया मैंने तुझेइसे जैकेट के चक्कर में ?
शहनाज़:" कोई बात हैं अब्बू, मैं दोबारा से नहा लूंगी लेकिन आपकी खुशी मेरे लिए अहम हैं।
सास:" अल्लाह तेरे जैसी बहू सबको दे, तू तो हमारे लिए बेटी से भी बढ़कर हैं। आप जल्दी से जाकर नहा ले कहीं कोई दिक्कत ना हो जाए धूल की वजह से।
अपनी सास की बात सुनकर शहनाज़ उपर की तरफ चल पड़ी और अपने कपड़े लेकर नहाने के लिए बाथरूम में घुस गई। शहनाज़ ने अपना सूट सलवार उतार दिया और अब सिर्फ ब्रा पेंटी में अा गई और उसका दूध सा गोरा जिस्म पुरी तरह से चमक उठा। उसके काले घने लहराते हुए बाल, उसका परियो जैसा गोल सुंदर मुखड़ा, गोल मटोल गाल हल्की लाला रंग की कुदरती रंगत लिए और उसके लाल सुर्ख होंठ जोएक दम पतले और रसीले लग रहे थे। उसकी खूबसूरत लम्बी सुराहीदार गर्दन, उसके गोरे चिट्टे कंधे। शहनाज़ की नजरएक बार दोबारा से अपनी काले रंग की ब्रा के कैद चूचियों पर पड़ गई तो उसकी आंख लाल होने लगी। उसकी आधे से ज्यादा चूचीबाहर् झांक रही थी और पूरी तरह से तन कर खड़ी हुई थी, निप्पल इतने सख्त हो चुके थे कि ब्रा के उपरि से ही उनका आकार स्वच्छ नजर आ रहा था। हिम्मत करके उसने अपनी आंखे बंद कर ली और अपने हाथ कमर पर ले जाकर ब्रा का हुक खोल दिया तो उसकी चूचियां ऐसे उछल करबाहर् आई मानो अंदर उनका दम घुट रहा था। उसकी बड़ी बड़ी गोल गोल चूचियां,एक दम कठोर, उठी हुई तनी हुए, निप्पल हल्के गहरे रंग की रंगत लिए हुए किसी किशमिश के दाने की तरफ अपना मुंह उठाए हुए। अभी वो मात्र 36 वर्ष की थी और स्वयं का ज्यादा ख्याल रखती थी जिस कारण उसकी चूचियां हल्की सी भी झुकी हुई नहीं थी बल्कि उसकी चूचियों की कठोरता देखकर तो आज कल की लड़कियां भी जल जाए। उसका दूध सा गोरा पेटएक दम अंदर की तरफ घुसा हुआ, चर्बी का कोई नामो निशान तक नहीं और उसकी गहरी नाभि उसके पेट की सुंदरता में चार चांद लगा रही थी। उसने बंद आंखो के संग ही अपनी पेंटी को भी अपनी टांगो को फैला करबाहर् निकल दिया और उसके मुंह से अपने आप हीएक मस्ती भरी आह निकल पड़ी।
उसकीएक दम गोरी, केले के तने के जैसी चिकनी जांघें, पतली नाजुक कमर और उसके ठीक नीचे उसकी उभरी हुई भारी भरकम गांड़ अपना आकार दिखाते हुए बिल्कुल नंगी थीं। उसकी गांड़बाहर् की तरफ निकली हुई और तरबूज के आकार की मोटी मोटी पटे। जांघो के बीच उगे हुए बाल उसकी चूत को ढके हुए थे। उसने अपने टांगो को थोड़ा सा खोलते हुए बालो को हल्का का हाथ से हटाया तो उसकी चूत चमक उठी।एक दम पतली सी, नाजुक सी गुलाबी रंग की झिर्री हल्की सीबाहर् की तरफ निकली हुई, चूतएक दम अंदर की तरफ सिकुड़ी हुई जिसका दरवाजा पिछले 18 वर्ष में पूरी तरह से बंद हो गया था जिस कारण रात उसे उंगली हल्की सी अंदर घुसाते हुए दर्द हुआ था। चूत के गुलाबी रंग के होंठएक दूसरे से पूरी तरह से चिपके हुए उसकी सुंदरता में चार चांद लगा रहे थे।
शहनाज़ नेएक बार हाथ से अपनी चूत को सहलाया तो उसका जिस्म मस्ती से भर उठा और वो दोबारा से कांपने लगी। तभी उसे मनचलों की बात याद आ गई कि कितनी बड़ी उभरी हुई गांड़ हैं तो उसके हाथ अपने आप उसकी गांड़ की तरफ बढ़ गए। उसने मस्ती से बंद हुई अपनी आंखो के साथएक हाथ से अपनी गांड़ को छुआ तो उसके जिस्म नेएक झटका सा खाया और उसकी सिसकियां निकलने लगीं। आवेश में आकर वो अपनी गांड़ को हाथो में भरने लगी लेकिन उसके छोटे हाथो में उसकी उभरी हुई तगड़ी गांड़ कहां समाने वाली थी, उसे आज एहसास हो गया कि उसकी गांड़ सचमुच ज्यादा बड़ी और उभरी हुई है जिसे हाथों में भर कर मसलना हर किसी के बस की बात नहीं। उसे अपने बेटे के बड़े बड़े हाथ याद आए तो उसकी चूचियां खुशी के मारे हिलने लगी और चूत ने सारे बंधन तोड़ते हुएएक बार दोबारा से अपना रस बहा दिया और वहीं बाथरूम में सिसकते हुए झड़ गई। उसके पांव कमजोर पड़ते गए और वो फर्श पर ही टिक गई। उफ्फ ये कैसा मादक एहसास था, उसे तो इतना आनंद कभी नहीं आया था इससे पहले। आज पहली बार उसने अपनी गांड़ को स्वयं अपने हाथ से सहलाया था तो सचुमुच कितना आनंद आया था, उफ्फ जब उसका बेटा पूरी तरह से उसकी गांड़ को अपने हाथो में पूरी भर कर मसलेगा तो कितना आनंद आयेगा ये सोच कर वो मुस्कुरा उठी।
" उफ्फ ये मेरा बेटा भी ना, पता नहीं इतना खूबसूरत क्यों हैं, मैंएक मा होकर स्वयं को नहीं रोक पाती हू। वो बिल्कुल मेरे सपनो के शहजादे जैसा हैं !!
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खैर आज अपनी चूत को स्वच्छ करने का फैसला लिया और बाथरूम में रखी ट्यूब उठा कर क्रीम को अपनी झांटों पर लगा दिया। थोड़ी देर के पश्चात उसनेएक जग में पानी लिया और अपने सिर पर डालने लगी। पानी की बूंदे उसके जिस्म पर ज्यादा खूबसूरत लग रही थीं। वो खूब अच्छे से रगड़ रगड़ कर नहाई और पानी के संग ही उसकी चूत के बाल बहते चले गए। उसकी चूतएक दम खिलकर सामने अा गई और चमक उठी।एक दम बिल्कुल छोटी सी,प्यारी की गुड़िया की तरह।
वो उठी और टॉवेल से अपने जिस्म को स्वच्छ किया और अपनी पेंटी पहनने लगीं। उसके पश्चात उसने अपनी ब्रा को अपनी चूचियो पर टिका कर पीछे की तरफ हाथ ले गई और ब्रा का हुक लगाने लगी। बड़ी मुश्किल से उसने अपनी ब्रा का हुक लगाते हुए अपनी चूचियों को जबरदस्ती कैद किया और सूट सलवार पहन करबाहर् आ गई।
शहनाज़ के बालो से पानी की टपकती हुई बूंदे और पीठ पर खुले हुए काले लहराते हुए बाल उसे दुनिया की सबसे कामुक स्त्री बना रहे थे। वो एकदम किसी ताजे गुलाब की तरह खिली हुई लग रही थी जिसकी खुसबू पूरे घर में फैल रही थी।
शादाब उठ गया था औरबाहर् गैलरी में ही कसरत कर रहा था, पसीने के कारण उसका जिस्म पूरी तरह से भीगा हुआ और सिर्फ अंडर वियर में था, उसकी मोटी तगड़ी भुजाएं, चौड़े कंधे, औरएक दम चौड़ी छाती बिल्कुल काले घने बालों से घिरी हुई उसके कसरत करने के कारण उपर नीचे हो रही थी। शहनाज़ जैसे ही बाथरूम से निकली उसकी नजर अपने बेटे पर पड़ी तोएक बार दोबारा से उसकी आंखे फैलती चली गई, सबसे ज्यादा मोहित किया उसके बेटे की चौड़ी छाती पर घने बालों ने जो उसकी कमजोरी थे लेकिन उसके पति की छातीएक दम सपाट थी। उफ्फ ये तो बिल्कुल मेरे सपने के शहजादे जैसा ही है, सभी कुछ मेरीपस्न्द का, वहीं चौड़ी छाती, मजबूत भुजाएं, सुंदर ललाट, मुझे ऐसा ही तो पति चाहिए था। शहनाज़ नजरे गड़ाए अपने बेटे को देख रही थी और आंहे भर रही थी। तभी शादाब को अपनी अम्मी की मौजूदगी का एहसास हुआ तो उसकी निगाह अपनी अम्मी पर टिक गई तो उसे अम्मी की नजरो का एहसास हुआ तो शहनाज एकदम से सकपका सी गई।
शादाब की आंखे अपनी अम्मी के सुंदर मुखड़े परएक बार दोबारा से ठहर सी गई और वो उसे बिना पलके झपकाए देखता रहा। जैसे ही शहनाज़ को अपने बेटे की आंखो का एहसास हुआ तो दोनो की आंखेएक समय के लिए टकराई और शहनाज की आंखे हया के मारे झुक गई। वो आंखे नीचे किए ही धीरे-धीरे धीरे आगे बढ़ती गई और अपने कमरे में घुस गई। शहनाज़ का दिल अब तक बुरी तरह से धड़क रहा था और आंखे दोबारा से लाल सुर्ख हो गई थी। उसे समझ नहीं अा रहा था कुछ भी, पता नहीं मैं क्यों अपने बेटे की और खींची चली जा रही हूं। उसकी वो प्यारी आंखे, खूबसूरत चेहरा, चौड़े कंधे और एकदम काले घने बालों से घिरी हुई चौड़ी छाती लगता हैं जैसे मेरे सपनो का शहजादा सपनो के निकल कर जमीन पर अा गया है।
उसने अपने आपको संयत किया और प्रेस लगा दी ताकि अपने ससुर की जैकेट पर प्रेस कर सके। वो अपने काम में लग गई और थोड़ी देर पश्चात ही सारे कपड़े प्रेस हो चुके थे। शादाब भी कसरत करने के पश्चात नहाने के लिए बाथरूम में घुस गया और नहाने लगा, जैसे ही उसने अपने लंड को साबुन लगाया तो लंड के सुपाड़े मेंएक हल्की सी दर्द भरी टीस उठी, उसने अपने लंड को धीरे-धीरे धीरे पानी से स्वच्छ किया और नहाकर बाथरूम सेबाहर् निकल गया। शहनाज़ ने सारे काम खतम करने के पश्चात अपने बेटे के लिए कपडे निकाल दिए और उसके कमरे में रख अाई ताकि वो तैयार हो सके। शादाब नहाकर अपने कमरे में अा चुका था और अपने कपड़े पहनने लगा। थोड़ी देर पश्चात वो तैयार हो गया। शादाब नेएक सफेद शर्ट और काले रंग का कोट पेंट पहना हुआ था। उसने अपने जिस्म परएक परफ्यूम लगाया जिसकी महक उसके पूरे जिस्म में फैल रही थी।
दूसरी तरफ शहनाज भी तैयार होने लगी और उसनेएक ज्यादा ही सुन्दर सफेद रंग की ड्रेस पहन ली जिसमें वोएक दम परी की तरफ खूबसूरत लग रही थी। आंखो में गहरा काला काजल और होंठो पर लाल रंग की लिपस्टिक उसे और सुंदर बना रहे थे। उसने स्वयं कोएक बार शीशे में देखा और अपने आपको देख कर वो शर्मा गई जिससे उसके गालएक दम गुलाबी हो उठे।
वो जानती थी कि उसका बेटा रात से भूखा हैंइसलिये वोएक गर्म दूध का ग्लास और कुछ ड्राई फ्रूट लेकर अपने बेटे के रूम की तरफ चल पड़ी। शादाबएक दम किसी फिल्मी हीरो की तरह लग रहा था जिसे देखकर शहनाज का दिल दोबारा से धड़क उठा। दूसरी तरफ शादाब को लगा जैसे उसकी अम्मी नहीं बल्कि आसमान से उतर कोई परी सामने अा गई है। वो पलके गड़ाए अपनी अम्मी को देखता रहा तो शहनाज की हालत खराब होने लगीं और उसने अपने बेटे से पूछा:"
" क्या हुआ बेटा? ऐसे क्यों देख रहे हो अपनी अम्मी को ?
शादाब जैसे किसी दूसरी दुनिया सेबाहर् आया और बोला:"
" देख रहा हूं कि मेरी अम्मी कितनी खूबसूरत हैं, अल्लाह ने आपको बनाने में कितनी मेहनत की हैं।
शहनाज अपने बेटे के मुंह से अपनी इतनी तारीफ सुनकर शर्मा गई और उसके गाल दोबारा से गुलाबी होने लगे और बोली:"
" चुप कर शैतान, कुछ भी बोलता हैं, इतनी भी खूबसूरत नहीं हूं मैं।
शादाब अपनी अम्मी के थोड़ा करीब अा गया तो शहनाज के जिस्म में हलचल सी हो गई और उसके हाथ में पकड़ी हुई ट्रे हिलने लगी तो उसने ट्रे को टेबल पर रख दिया और सीधी खड़ी हो गई। अब तक शादाब उसके पास अा चुका था और उसकाएक हाथ पकड़कर बोला:
"अम्मी आप सच में ज्यादा खूबसूरत हैं, मैंने अपनी ज़िंदगी में आज तक आपसे हसीन कोई नहीं देखी।
शादाब ने जैसे ही उसका हाथ पकड़ा उसके जिस्म ने उसका संग छोड़ दिया और उसे लगने लगा कि वो शर्म के मारे गिर ना जाएइसलिये उसने जोर से अपने बेटे का हाथ थाम लिया और मुंह नीचे किए हुए बोली:
" क्यों मजाक करता हैं बेटा, अब इतनी भी खूबसूरत नहीं हूं मैं, क्यों अपनी मा की झूठी तारीफ करता हैं।
शादाब ने अपना दूसरा हाथ आगे बढ़ा कर अपनी मा के चेहरे को उसकी ठोड़ी से पकड़ कर उपर की तरफ उठाया तो शहनाज़ नेएक बार हिम्मत करके अपने बेटे की आंखो में झांका और उसकी नजरे दोबारा से शर्म से झुक गई और उसके होंठो पर हल्की सी मुस्कान थिरक उठी। शादाब ने आगे बढ़कर अपनी अम्मी काएक गाल चूम लिया तो शहनाज का पूरा जिस्म लरज उठा और उसने हाथ में पकड़े हुए अपने बेटे के हाथ को हल्का सा जोर से दबा दिया। शादाब ने जोश में आकर दोबारा सेएक बार अपनी अम्मी का गाल चूम लिया तोएक कामुक एहसास से शहनाज की आंखे मस्ती से खुल गई।
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