The Incest Indian Sex Story of मां का आशिक
शहनाज़ गाड़ी से उतरी और घर के अंदर की तरफ चल पड़ी, शादाब भी उसके संग ही था, दोनो जैसे ही दरवाजे के अंदर दाखिल हुए तो शादाब के उपर छत पर से फूलो की बरसात होने लगी और लोगो ने माला पहना कर उसका स्वागत किया।
गांव की औरतें और जवान लड़कियां उसे देख कर आंहे भर रही थी,इसे सम्मान के पश्चात शादाब अपनी मम्मी के संग घर में चला गया और दोनो मम्मी बेटे दादा दादी के कमरे की तरफ बढ़ गए।
शादाब पीछे पीछे चल रहा था और शहनाज़ की गांड़ इतनी ज्यादा उछल रही थी कि ना चाहते हुए भी उसकी नजर अपनी मम्मी की गांड़ पर जमी हुई थी, हर कर कदम पर शहनाज़ की गांड़ उपर नीचे हो रही थी और बुर्के में से साफ़ नजर आ रही थी।
शादाब को बढ़िया नहीं लगा रहा था अपनी सगी मा की गांड़ केइसे तरह देखनाइसलिये वो तेजी से चलता हुआ अपनी मम्मी से आगे निकल गया।
शहनाज़ के होंठो पर मुस्कान आ गई और बोली: "" क्या बात हैं बेटा, ज्यादा जल्दी ही अपने दादा दादी से मिलने की तुझे जो इतनी तेजी से चल रहा है !!
शादाब ने मुड़कर अपनी मम्मी की तरफ देखा तो उसकी नजर दोबारा से अपनी मम्मी के खूबसूरत चेहरे पर पड़ी और वो मुस्कुरा दिया। शहनाज़ जैसे जैसे उसके पास आती जा रही थी शादाब की नजरएक समय के लिए ही सही लेकिन उसकी तनी चूचियों पर पड़ गई जो कि पूरी तरह से कपड़ों के उपरि से ही उभरी हुई नजर आ रही थी।
शादाब की आंखे दोबारा से खुली की खुली रह गई। उफ्फ वो तोइसलिये आगे निकला था कि अपनी मा की गांड़ देखने से बच जाए लेकिन चूचियों का नजारा तो गांड़ से भी ज्यादा मादक था। शादाब जैसे अपने होश ही खो बैठा और एकटक अपनी मा की तरफ देखता रहा। शहनाज़ चलती हुई उसके पास पहुंची और उसकी आंखो के आगे चुटकी बजाई तो शादाब जैसे नींद से जागा ।
शहनाज़:" क्या हुआ बेटा कहां खो गए थे? तबियत तो ठीक हैं तुम्हारी ?
शादाब हकलाते हुए:" हान अम्मी, ठीक हैं सब, बस आपको देख रहा था कि मेरी अम्मी कितनी खूबसूरत है, ज्यादा दिनों के पश्चात देखा आपको ।
शहनाज़:" हान बेटा मैं भी तरस गई थी तुझे देखने के लिए, चल पहले तेरे दादा दादी से मिल लेते है, वो बेचारे नहीं तेरीएक झलक के लिए बेचैन हैं, हम तो पश्चात में भी बात कर लेंगे आराम से उपर जाकर !!
दोनो मा बेटेएक संग आगे बढ़ गए और दादा दादी के कमरे में पहुंचे तो दोनो के चेहरे आपके इकलौते पोते को देख कर खुशी से खिल उठे। शादाब नेउन्को सलाम किया तो उसकी दादा दादी ने उसे अपनी बांहों में भर लिया। शादाब भी अपनी दादी मा से लिपट गया।
दादी पूरी तरह से भावुक हो गई थीइसलिये भर्राए गले के संग बोली:"
" आंखे तरस गई थी तुझे देखने के लिए मेरे बच्चे, अब जाकर सुकून मिला हैं। कितना बड़ा हो गया है तू, अल्लाह तुझे सलामत रखे बेटा।
दादा:" बेटा यदि दादी से मन भर गया तो अपने दादा के भी गले लग जाएक बार ताकि मुझ बूढ़े को भी थोड़ा सुकून मिल सके।
शादाब पागलों की तरह अपने दादा से लिपट गया तो ये देख कर दादी और शहनाज़ दोनो की आंखे छलक उठी। थोड़ी देर के पश्चात शादाब अलग हुआ औरउन्को अपने हॉस्टल की बात बताने लगा। सभी ध्यान से उसकी बात सुन रहे थे और शादाब बीच बीच में मजाक भी कर रहा था जिससे अब माहौल थोड़ा बदल चुका था। उसकी बाते सुनकर शहनाज़ बार बार मुस्कुरा रही थी जिससे उसका चेहरा और भी खूबसूरत लग रहा था।
शहनाज़ अपने ससुर से पर्दा नहीं करती थीं क्योंकि उसके ससुर ने उसे मना कर दिया था और उसे अपनी सगी बेटी की तरह प्रेम करता था। शहनाज़ भी जानती थी कि सास ससुर का उसके सिवाइसे दुनिया में कोई नहीं हैइसलिये उसने भी अपने ससुर की बात मान ली थी और अपने ससुर से पर्दा खोल दिया था।
खैर दादा दादी खाना खा चुके थे। धीरे-धीरे धीरेबाहर् अंधेरा होने लगा और दादा दादी ने शादाब को बोला:
" बेटा उपर जाकर खाना खाकर तू भी आराम कर ले, थक गया होगा सारे दिन के सफर से। जा बेटा सुबह बात करेंगे क्योंकि तेरी अम्मी शहनाज़ भी सुबह से भूखी हैं तेरे लिए।
शादाब ने अपने दादा की बात सुनकर प्रेम से अपनी अम्मी की देखा तो शहनाज़ ने उसेएक प्यारी सी स्माइल दी और दोनो मा बेटेएक संग उपर की तरफ चल पड़े।
घर थोड़े दिन पहले ही दोबारा से बनाया गया थाइसलिये आगे आगे शहनाज़ चल रही थी और सीढ़ियों पर चढने की वज़ह से उसकी गांड़ उछल उछल पड़ रही थी और शादाब दोबारा से अपनी मा की गांड़ को थिरकते हुए देखने से स्वयं को नहीं रोक पाया और उसके लंड में हलचल सी होने लगी।
खैर जल्दी ही वो उपर पहुंच गए और शादाब नहाने के लिए बाथरूम में घुस गया।
शहनाज़ अपने बेटे के लिए खाने की चीज टेबल पर सजाने लगीं। उसने सभी कुछ अपने बेटे कीपस्न्द का बनाया था ताकि उसके बेटे को खुशी महसूस हो। टेबल सजाते टाइमउसके मन में विचार उठ रहे थे कि उसका बेटा सच में ज्यादा खूबसूरत जवान बन गया है,एक दम किसी फिल्मी हीरो की तरह से सुन्दर, ऐसे ही शौहर की विचार वो किया करती थी जो कि इसके सपनों का राजकुमार था। कैसे सारे गांव की औरतें और लड़कियां उसके बेटे को आंखे फाड़ फाड़ कर देख रही थी ये सभी याद आते ही उसने अपने बेटे की चिंता हुई और उसने अपने बेटे की नजर उतारने का फैसला किया।
थोड़ी देर पश्चात शादाब नहाकरबाहर् आ गया और उसनेएक सफेद रंग का ढीला कुर्ता पजामा पहन लिया ताकि कुछ सुकून मिल सके। बेटे केबाहर् आते ही वो बोली :"
" शाद बेटे जरा पहले इधर आ तेरी नजर उतार दू, कहीं किसी की नजर ना लग गई हो मेरे बेटे को सभी तुझे अपने गौर से देख रहे थे।
शादाब के होंठो पर मुस्कान आ गई और उसने अपनी मम्मी से कहा:"
" क्या मम्मी आप भी इन बातो को मनाती हैं? ऐसा कुछ नहीं होता हैं
शहनाज़:" तुम ज्यादा मत सोचो और इधर आओ मेरे पास, मेरे दिल को तसल्ली नहीं मिलेगी जब तक कि तेरी नज़र नहीं उतर देती मैं।
शादाब अपनी अम्मी की खुशी के लिए आगे बढ़ गया और उनके सामने खड़ा हो गया। शहनाज ने कुछ लाल मिर्च ली और उसे शादाब के सिर पर से उतार कर गैस पर जला दी तो वो धुं धूं करके जलने लगी। लेकिन किसी को मिर्च के जलने की वजह से खांसी या धसका नहीं हुआ तो शहनाज़ बोली:"
" देख बेटे कितनी ज्यादा नजर थी तुझे, मिर्च कैसे आराम से जल गई और हमे कुछ नहीं हुआ !!
शादाब को अपनी अम्मी पर बड़ा प्रेम आया क्योंकि वो उसकी ज्यादा फिक्र कर रही थीइसलिये अपनी मा की हान में हान मिलाते हुए बोला:"
" हान अम्मी सच में, आपने ज्यादा बढ़िया किया जो मेरी नजर उतार दी, आप कितनी अच्छी हो और मेरा कितना ख्याल रखती हो।
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शहनाज़ अपने बेटे की बात से खुश हो गई और आगे बढ़ कर उसका माथा चूम लिया और बोली :" बेटा अल्लाह तुझे हमेशा बुरी नजर से बचाए।मेरा बेटा वैसे भी कितना सुंदर है तो ऐसे में नजर तो लग ही सकती हैं !!.
ऐसा कहकर वो अपने बेटे को एकटक देखने लगी तो शादाब ने अपनी अम्मी को मजाक में बोला : अम्मी यदि आप मुझे ऐसे देखती रहेगी तो और का तो मुझे पता नहीं लेकिन आपकी नजर जरूर लग जाएगी !!
शहनाज़: बेटेएक मा की नजर अपने बेटे को कभी नहीं लगती हैं, मैं तो बस ये देख रही थी कि तुम सच में ज्यादा खूबसूरत दिखते हो!
शादाब अपनी मा की बात पर झेंप सा गया और बात को बदलते हुए बोला:"
" अम्मी मुझे ज्यादा तेज भूख लगी हैं,अगर आपकी इजाज़त हो तो खाना खाया जाए !!
शहनाज़ थोड़ा फिक्र करते हुए:" अरे तेरी नजर उतारने के चक्कर में मैं तो भूल ही गई थी कि मेरा लाडला बेटा भूखा हैं, आ जा चल जल्दी खाना खाते हैं।
उसके पश्चात दोनो मा बेटे खाने की टेबल पर बैठ गए और शहनाज़ ने खाने काएक निवाला बनाया और शादाब के मुंह के करीब लाते हुए बोली: इतने वर्ष के मेरा बेटा आया हैं अपने हाथ से खाना खिलाऊंगी तुझे।
शादाब अपनी मा का इतना प्रेम देखकर खुश हो गया और बड़े प्रेम के संग अपना मुंह खोल कर निवाला खा लिया।एक के बादएक निवाले बनाकर शहनाज़ अपने बेटे को खिलाने लगी।
शादाब को अपनी अम्मी का ख्याल आया और वो भी अपने हाथ से निवाला बनाकर अपनी मा के लाल सुर्ख होंठो के पास ले गया तो शहनाज़ ने अपना मुंह खोलते हुए निवाला खा लिया। दोनो मा बेटे ज्यादा प्रेम के साथएक दूसरे को खाना खिला रहे थे।
शादाब खाना खाते हुए:" अम्मी ये सभी इतना जायकेदार खाना आपने स्वयं बनाया हैं क्या ?
शहनाज खुश होते हुए:" बिल्कुल बेटा, अपने लाडले के लिए मैंने खुश तेरीपस्न्द का सभी कुछ बनाया हैं।
शादाब:" ओह अम्मी, मन करता है कि आपके हाथ चूम लू।
इतना कहकर शादाब ने अपनी अम्मी के हाथो को चूम लिया तो शहनाज खुश के मारे फूली नहीं समाई और अपने बेटे को खीर खिलाते हुए बोली :"
" बेटा खीर कैसी लगी तुझे ? बचपन में तो तुझे बहुतपस्न्द थीं, रोज खीर खाया करते थे तुम
शादाब:" अच्छी बनी हैं अम्मी, मुझे पहले से ही दूध और उससे बनी चीज़े बहुतपस्न्द हैं।
दोनो मा बेटे बात करते हुए खाना खा रहे थे कि तभी शहनाज़ कोएक झटका सा लगा और शादाब ने तेजी से पानी का गिलास अपनी अम्मी की तरफ उठा कर बढ़ा दिया तो जल्दबाजी में वो पूरा ग्लास शहनाज़ की छाती पर गिर गया जिस कारण उसका बुर्का पूरी तरह से भीग गया। शादाब ने दूसरा ग्लास उठा कर जल्दी से अपनी अम्मी को पिलाया तो उसे कुछ सुकून मिला और वो थोड़ा नॉर्मल हुई।
पानी से गीला हो जाने के कारण शहनाज का बुर्का उसके जिस्म से पूरी तरह से चिपक गया था जिस कारण उसकी चूचियो का उभार साफ़ नजर आने लगा और उनकी बनावट पुरी तरह से उभर रही थी जिससे साफ़ पता चल रहा था कि उसकी चूचियां सच में ज्यादा तगड़ी और मस्त है।
शादाब की नजरे एकदम से अपनी अम्मी के सीने पर पड़ी तो उसकी सांसे तेज गति से चलने लगी। शहनाज को जैसे ही अपने बेटे की नजरो का आभास हुआ तो उसने अपनी चुचियों की तरफ देखा तो उसे ज्यादा शर्म महसूस हुई और तेजी से उठकर अंदर कमरे में भाग गई।
उसकी सांसे तेज गति से चल रही थी और गला पूरी तरह से सूख गया था। उसका चेहरा शर्म के मारे लाल सुर्ख हो चुका था और चूचियां तेज सांसों के संग उपर नीचे हो रही थी।
उसने अपना बुर्का उतार दिया और उसके नीचे से गीला सूट भी उतार करएक दूसरा सूट पहन लिया और उसके पश्चात दोबारा सेबाहर् की और चल पड़ी जहां उसका बेटा बैठा हुआ था। शहनाज़ के पांव बुरी तरह से कांप रहे थे और वो ज्यादा बड़ी उलझन में थी कि उसकेइसे तरह भागने से शादाब क्या सोच रहा होगा।
खैर कांपते हुए कदमों के संग वो दोबारा से अपने बेटे के सामने टेबल पर बैठ गई और उसके कुछ भी बोलने से पहले स्वयं ही सफाई देने लगीं:
" बेटा वो पानी गिरने के कारण कपडे गीले हो गए थे जिस कारण मुझे ठंड लग रही थीइसलिये मैंएक दम से चली गई थी।
शादाब तो डर रहा था कि कहीं उसकी अम्मी उसे डांट ना दें, "क्योंकि वो अपनी मा की चूचियां घूरते हुए पकड़ा गया था, अपनी अम्मी की बात सुनकर शादाब ने सुकून की सांस ली और खीरे खाने लगा। दोनों मम्मी बेटे जानते थे कि शहनाज़ के भागने की असली वजह क्या थी
लेकिन दोनों ही डरे हुए थेइसलिये किसी की हिम्मत आगे प्रश्न पूछने की नहीं हो रही थी। शादाब के मुकाबले शहनाज की हालत ज्यादा खराब थी क्योंकि वो ज्यादा ज्यादा शर्मीली जिस्म की स्त्री थीइसलिये जब से आई थी उसकी नजरएक बार भी शादाब से नहीं मिल पाई थी और वो चुपचाप मुंह नीचे किए हुए खीर खा रही थी और उसके हाथ कांप रहे थे। शादाब की नजर अपने आप ही ना चाहते हुए भी बार बार दोबारा से अपनी अम्मी के सीने पर पड़ रही थी लेकिनइसे बार उसे पहले की तरह कुछ नजर नहीं आ रहा था।
शादाब:" अम्मी आप ठीक तो हो ? क्या हुआ आपके हाथ इतने क्यों कांप रहे है ?
अपने बेटे की बात सुनकर शर्म के मारे शहनाज़ का चेहरा शर्म सेएक दम बिल्कुल लाल हो गया और उसे लगा जैसे उसकी सांसे रुक सी गई है। उसने बड़ी मुश्किल से अपनी हिम्मत बटोरकर नीचे ही मुंह किए हुए कहा:" बेटा वो पानी गिरने से ठंड ठंड लग गई थी ना शायद इसलिए!
कमरे में एसी चल रही थी और तापमान बिल्कुल ठीक थाइसलिये सर्दी लगने का तो कोई प्रश्न नही था, शादाब को भले ही सेक्स और जिस्म के बारे में कुछ नहीं पता था लेकिन इतना वो जरूर समझ गया था कि उसकी अम्मी ठंड की वजह से नहीं बल्कि किसी और वजह से कांप रही है।
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