Rajsharma Sex Story : अनैतिक (Romance Special)
डैडी जी ने मेरे सर पर हाथ रखा और कहा; "बेटा मुझे तुम पर पूरा भरोसा है और शुक्रिया की कल रात तुमने केक का सारा क्रेडिट हमें दिया. वरना हम तो भूल ही गए थे!"
"डैडी जी आप केक लाओ या मैं लाऊँ बात तोएक ही है!" इतना कह कर मैं बैठ गया की नितु अपने कमरे केबाहर् से चिल्लाई; "क्या प्लानिंग हो रही है?"
"किसने कहा इधर तेरी बात हो रही है?" डैडी जी ने उसे प्रेम से डाँटते हुए कहा. पर मुझे अपने मम्मी-डैडी के इतने करीब बैठा देख नितु का दिल गदगद हो उठा!
नहा-धो कर हमें निकलते-निकलते बारह बज गए, नितु डैडी जी की गाडी ड्राइव कर रही थी. उसने पहले गाडीएक ठेके केबाहर् रोकी और मुझे रेड वाइन लाने को कहा. मैंने उसके हुक्म की तामील की, दोबारा उसने कुछ खाने के लिए स्नैक्स लेने को कहा और दोबारा गाडीएक होटल केबाहर् रोक दी. "हम इधर क्या कर रहे हैं?" मैंने पूछा.
"वही जो हम घर पर नहीं कर पाते!" नितु ने मुस्कुराते हुए कहा.
"यार ये सही नहीं है!" मैंने झिझकते हुए कहा.
"क्यों? घर पर मम्मी-डैडी होते हैं और हम संग बैठ भी नहीं पाते!" नितु ने कहा तो मुझे इत्मीनान हुआ की नितु 'उस' काम के लिए इधर नहीं आई हे. हम ने चेक इन किया और रूम के अंदर आये;
"यार बड़ा अजीब सा लग रहा है?" मैंने कहा तो नितु हँसने लगी; "क्यों डर लग रहा है?" नितु ने पूछा.
"ऐसी जगहएक बॉयफ्रेंड अपनी गर्लफ्रेंड को लाता है 'उस' काम के लिए!" मैंने शर्माते हुए कहा.
"इसीलिए तो लाई हूँ आपको यहाँ! आप तो मुझे कहीं ऐसी स्थान ले जाते नहीं, सोचा मैं ही ले जाऊँ?" नितु ने पलंग पर गिरते हुए कहा. मैं नितु की बगल में ही लेट गया और नितु ने अपना सर मेरे सीने पर रख दिया और मेरे दिल की धड़कनें सुनने लगी;
"हाय! आपका दिल तो अभी से रोमांटिक हो गया?" नितु बोली.
"रोमांटिक नहीं डर से धड़क रहा है!" मैंने हँसते हुए कहा.
"किस बात का डर?" नितु ने हैरान होते हुए कहा.
"जिस काम के लिए इधर लाये हो?" मैंने नितु को चिढ़ाते हुए कहा.
"आपका मन नहीं है?" नितु ने थोड़ा सीरियस होते हुए कहा.
मैंने नितु कोएक दम से मेरे नीचे किया और उसके उपरि झुक कर उसकी आँखों में देखते हुए कहा; "बेबी ये सभी सुहागरात तक बचा रहा हूँ मैं! वो रात हमारीएक दूसरे को सौंप देने की रात होगी!" मैंने कहा.
"और यदि वो रात नहीं आई तो?" नितु ने मेरी आँखों में देखते हुए कहा.
"क्या? ऐसा क्यों कह रही हो?" मैंने चिंता जताते हुए कहा.
"कल हम आपके घर जा रहे हैं ना, आपको लगता है की मेरा पास्ट जानकार आपके सभी घरवाले मान जायेंगे? उन्होंने अगरइसे शादी से मना कर दिया तो? हमें मार दिया तो? मरना तो मैं सह लूंगी पर आपकी जुदाई नहीं सह सकती!" नितु ने कहा.
"मैं तुम्हें कुछ नहीं होने दूँगा! समझ आया? रही हमें अलग करने की तो उसकाउन्को (मेरे घरवालों को) कोई हक़ नहीं हे. हमारी शादी तो हो कर रहेगी चाहे मुझे कुछ भी करना पड़े!" मैंने थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए कहा.
"तो मेरे लिए क्या दोबारा से अपना घर छोड़ दोगे?" नितु बोली.
"हाँ" मैंने इतना कहा और नितु की आँखों में आँखें डाले देखने लगा, वो कुछ कहने वाली थी पर चुप हो गई. उसके होंठ कांपने लगे थे और उसने मुझे किस करने के लिए अपनी बाँहों को मेरी गर्दन पर लॉक कर लिया और मुझे अपने होठों पर झुकाने लगी. मैंने अपनी ऊँगली उसके होठों पर रख दी और उसके दाएँ गाल को चूम लिया. नितु मुस्कुरा दी और बोली; "वैसे आपको सुबह वाली किसी कैसी लगी?"
"बहुत अच्छी, और आगे से मुझे ऐसे ही जगाना!" मैंने हँसते हुए कहा.
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हम दोनों उठे और नितु ने गिलास में वाइन डाली और खाने के लिए जो स्नैक्स लिए थे वो खोले और मैं वाशरूम में फ्रेश होने गया.फ्रेश हो कर आया तो नितु पलंग पर बेडपोस्ट को सहारा ले कर बैठी थी और टी.वी. जोर से चल रहा था. मैं भी जूते उतार कर उसकी बगल में बैठ गया;
"टी.वी. की आवाज कम कर दो वरना लोग सोचेंगे की इधर 'गर्मागर्म' प्रोग्राम चल रहा है!" मैंने हँसते हुए कहा.
"सही है,उन्को लगना भी चाहिए!" नितु ने हँसते हुए कहा.
कुछ देर पश्चात नितु ने मुझे अपनी तरफ खींचा और मेरा सर अपनी गोद में रखा, मेरी शर्ट का कालर पकड़ कर नीचे की तरफ किया जिससे मेरी गर्दन उसे साफ़ नजर आने लगी. धीरे-धीरे उसने अपने होंठ मेरी गर्दन पर रखे और धीरे-धीरे अपनी जीभ से चुभलाने लगी. पता नहीं उसे इसमें क्या आनंद आता था पर अगले दस मिनट तक वो इसी तरह मेरी गर्दन के माँस के टुकड़े को कभी धीरे-धीरे से काटती, कभी उसे चुभलाती और कभी उसे चूसने लगती. दस मिनट पश्चात जब नितु ने मेरी गर्दन पर से अपने गुलाबी होंठ हटाए तो जितना हिस्सा उसके मुँह में था वो लाल हो चूका था और नितु के मुख के रस की तार मेरी गर्दन और उसके होठों को जोड़े हुए थी. मेरी आँखें बंद थीं जो ये बता रही थीं की मुझे कितना मज़ा आ रहा है! नितु की नजर मेरे अकड़ चुके लिंग पर पड़ी और वो उभार देख उसकी सांसें थम गई. संभोग का डर उसे सताने लगा और उसके हाथ-पाँव काँपने लगे! मेरी आँखें खुलीं और उसकी तेजी से ऊपर-नीचे होती छातियां देख मैं उसके डर को भाँप गया.मैं उठ कर बैठा तो नितु का दिल जोर से धड़कने लगा, मैंने नितु की तरफ देखा तो उसने अपनी आँखें झुका ली. मैं सीधा हो कर तकिये पर सर रख कर लेट गया और अपने दोनों हाथ खोल कर नितु को अपने पास बुलाया. नितु का डरएक सेकंड में फुर्र हो गया और वो आ कर मेरे सीने से लिपट गई और हम दोनों ऐसे ही लेटे रहे. जब नितु के दिल की धड़कन सामन्य हुई तो मैंने उसके कान में खुसफुसाती हुए कहा; "मेरा बेबी डर गया था? आपको क्या लगा की मैं.संभोग." मैंने थोड़ा अटकते-अटकते कहा और ये सुन नितु ने हाँ में सर हिलाया. "आववव्वव्व . मेरा बेबी! डोन्ट वरी!" दोबारा हम ऐसे ही लिपटे सो गए, वाइन की कुछ खुमारी थी बाकी नितु के जिस्म की गर्माहट जिसने मुझे और नितु को सुला दिया.
शाम ५ बजे डैडी जी का फ़ोन आया तब हम उठे और मुँह-हाथ धो कर निकले और घर पहुंचे. कपडे बदल कर हम सभी निकले, आगे मैं और डैडी जी बैठे थे और पीछे नितु और मम्मी जी.पार्किंग में गाडी पार्क कर के हम सभी अंदर जा रहे थे की मैंनेएक कॉल का बहाना बनाया और १० मिनट के लिएबाहर् रुक गया! मैं जल्दी से अंदर आया तो नितु की नजरें बस मुझे ही ढूँढ रही थी. "सॉरी जी.वो घर से कॉल आया था!" मैंने डैडी जी को झूठ बोलते हुए कहा. नितु घर का कॉल सुनते ही थोड़ा चिंतित हो गई. मैंने गर्दन ना में हिला कर उसे कहा की कोई सीरियस बात नहीं है तब जा कर उसे इत्मीनान हुआ. खाना आर्डर हुआ और वहाँ बॉलीवुड के गाने बजने लगे, कोई हंगामा शराबा नहीं था बस सॉफ्ट म्यूजिक बज रहा था. इधर मम्मी जी ने मेरी गर्दन पर लाल निशान देख लिया और पुछा की ये कैसे हुआ, मैंने थोड़ा शर्माते हुए कहा "एक मच्छर ने काट लिया!" ये सुनते ही नितु ने टेबल के नीचे से मुझे पांव मारा और मैं हँसने लगा. डैडी जी मेरी बात समझ गए और वो भी हँस पडे. नितु ने जबउन्को हँसते हुए देखा तो वो शर्म से लाल हो गई.
फिर डैडी जी ने शादी की बातें शुरुआत की, वो मेरे घर पहुँचना चाहते थे और मैंनेउन्को कहा कि कल नितु को मिलवा कर पुनः आता हूँ और दोबारा आप सभी मिल लीजियेगा, इतने में खाना आया और हमने खाना शुरुआत किया. डेजर्ट आर्डर करने के पश्चात मम्मी जी और नितु वाशरूम चले गए और मुझे डैडी जी से कुछ पूछने का मौका मिल गया."डैडी जी.एक बात पूछनी थी?" मैंने थोड़ा झिझकते हुए कहा.
"क्या हुआ बेटा? बोलो?" डैडी जी ने मुझे इज्जाजत दी दोबारा भी मैंने थोड़ा डरते हुए कहा; "वो.वो मैं .नितु को अभी प्रोपोज़ करना चाहता था!" डैडी जी ने कहा; "भई इसमें पूछने की क्या बात है?" कुछ देर पश्चात जब नितु और मम्मी जी आये तो मैंने खड़े हो कर नितु का हाथ पकड़ लिया और उसे बैठने नहीं दिया. मैंएक घुटने पर झुका और जेब से रिंग की डिब्बी निकाली और कहा; "थोड़ा बुद्धू हूँ, थोड़ा स्टुपिड हूँ, थोड़ा पागल हूँ पर जैसा भी हूँ तुमसे ज्यादा प्रेम करता हूँ! विल् यू म्यारी मी?" नितु ख़ुशी से कूद पड़ी और हाँ में गर्दन हिलाते हुए अपना बायाँ हाथ आगे कर दिया. मैंने नितु को अंगूठी पहनाई और उठ के खड़ा हुआ. नितु फ़ौरन मेरे गले से लग गई और बोली; "आई लव यू!" मम्मी-डैडी भी उठ खड़े हुए और हमें अपने गले लगा लिया. ज्यादा सारा आशीर्वाद दिया और ज्यादा सारा प्रेम दिया. डेजर्ट आ गया था और वो खाने के पश्चात डैडी जी ने जबरदस्ती बिल पे किया. दोबारा हम घर आ गये, मम्मी जी ने सभी को सोने के लिए कहा क्योंकि कल सुबह नितु और मुझे घर के लिए जल्दी निकलना था. पर नितु कहाँ सोने वाली थी. चेंज करने के पश्चात मैं पानी पीने किचन जा रहा था की वो मुझे खींच कर सोफे पर ले आई. टी.वी ऑन कर के हम दोनों बैठ गए, ड्राइंग रूम में आज बहुत सर्दी थी पर नितु ने सारि तैयारी कर रखी थी. नितु नेएक डबल वाला कंबल अपने और मेरे उपरि डाल दिया. अपने घुटने उसने अपनी छाती से चिपका लिए और मेरे कंधे पर सर रख कर टी.वी. देखने लगी. "बेबी! आज रात सोना नहीं है क्या?" मैंने खुसफुसाते हुए कहा. नितु ने ना में गर्दन हिलाई और कंबल के अंदर मेरा दायाँ हाथ पकड़ लिया. दस मिनट पश्चात मम्मी जी नितु को बुलाने आई; "बेटी सो जा और सागर को भी सोने दे! कल सुबह तुम दोनों को जाना है!"
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"मम्मी मैं बस थोड़ी देर में आ रही हूँ!" नितु ने उनकी तरफ देखते हुए कहा. मम्मी जी मुस्कुरा दीं और सोने चली गई. उनके जाते ही नितु ने मेरी गोद में सर रख दिया; "वैसे बेबी .थैंक यू!" मैंने कहा.
"क्यों?" नितु ने पूछा.
"आपने मेरा इतना ध्यान रखा,एक समय भी मेरा ध्यान साक्षी पर जाने नहीं दिया. उसके लिए." मैंने कहा तो नितु मुस्कुरा दी दोबारा कुछ सोचते हुए बोली; "आज रात हम यहीं सोते हैं?"
"क्यों बेबी? मैंने थोड़ा हैरान होते हुए कहा.
"बस ऐसे ही, आज आप से अलग सोने को मन नहीं कर रहा है!" मैं समझ गया की उसके मन में कल के लिए डर पैदा हो चूका हे.
"बेबी कल कुछ नहीं होगा! एवरीथिंग विल् बी फाइन!" मैंने नितु को आश्वासन दिया पर उसका दिलइसे आश्वासन को मानने वाला नहीं था.
"कल यदि हम नहीं रहे. तो कम से कम ये रात तो याद रहेगी ना?" नितु की आँखें छलक आई. मैंने नितु को उठा के बिठाया और उसके चेहरे को अपने हाथों में थाम लिया; "तुम्हें पता है आज ही मैंने मम्मी-डैडी से वादा किया है की मैं तुम्हारी आँखों में आँसू काएक कतरा नहीं आने दूँगा और तुम हो की रो रही हो? क्यों मुझे झूठा बना रही हो?आई प्रॉमिस तुम्हें कुछ नहीं होगा!" मैंने कहा.
"और यदि आपको कुछ हो गया तो? मैं तो तब भी मर जाऊँगी!" नितु ने अपने आँसू पोछते हुए कहा.
'किसी को कुछ नहीं होगा!" मैंने कहा परइसे बार मेरी बात में वजन कम था. मैं मन ही मन तैयारी कर चूका था की यदि हालत बिगड़े और हालत ऐसे बने जैसे तब बने थे जब भाभी वाला काण्ड हुआ तो मुझे कैसे भी कर के नितु को बचाना हे. उसे मेरी वजह से कुछ नहीं होना चाहिए! उस काण्ड के बारे में सोचते ही मेरे रोंगटे खड़े हो गए थे!सुबह नाहा धो कर तैयार हुए और नाश्ता कर के मैं और नितु मम्मी-डैडी का आशीर्वाद ले कर निकले.मम्मी-डैडी ने कहा था की यदि मेरे घर वाले नहीं माने तो वो स्वयं चल कर बात करेंगे और हम दोनों बस मुस्कुरा कर हाँ में गर्दन हिला कर रह गए थे. घर केबाहर् से ऑटो किया और ऑटो मैंने बैठते ही नितु ने मेरा हाथ थाम लिया, आज नितु की पकड़ में कठोरता थी और डर भी छलक रहा था. ऑटो से हम बस स्टैंड उतरे और दोबारा बस में बैठ गये. बस में भी नितु ने हाथ पकड़ा हुआ था. मैंने नितु का हाथएक बार चूमा और नितु के चेहरे पर मुस्कराहट आ गई. कुछ देर पश्चात जब बस हॉल्ट के लिए रुकी तो मैंने घर फ़ोन कर दिया; "जी पिताजी. मैं बस रास्ते में हूँ.हाँ जी.मेरे संग ही है. जीएक बजे तक पहुँच जाऊंगा. आप सभी घर पर ही हैं ना? जी ठीक है. ओके जी!" मैंने कॉल काटा और नितु बोली; "क्या कहा पिताजी ने?"
"वो पूछ रहे थे की अपने बिज़नेस पार्टनर को संग ला रहा है ना? और दोबारा मैंने पुछा की सभी घर पर ही हैं ना तो उन्होंने कहा की सभी हमारा ही इंतजार कर रहे हैं." ये सुन कर नितु के दिल की धड़कनें तेज हो गईं, उसके हाथ काँपने लगे थे. मैंने नितु को कस कर अपने गले लगा लिया और नितु ने जैसे-तैसे स्वयं को संभाला. कुछ टाइमपश्चात बस ने हमें बस स्टॉप उतारा और वहाँ से १५ मिनट की वॉक थी. मैं और नितु हाथ पकडे चल रहे थे और हरएक कदम आगे बढ़ाते हुए दोनों के दिलों की धड़कनें तेज होती जा रही थी. जब मुझे घर दूर से दिखाई देने लगा तो मैंने बात शुरुआत की; "बेबी! यदि मैं आपसे कुछ माँगू तो आप दोगे?"
"हाँ" नितु नेएक दम से कहा.
"प्रॉमिस?" मैंने पूछा.
"प्रॉमिस!" नितु ने आत्मविश्वास से कहा.
"अगर अभी हालात बिगड़े और बात मरने-मारने की आई तो आप इधर से भाग जाओगे! मैं जितनी देर तक हो सकेगा सभी को रोकूँगा पर आप बिना पीछे मुड़े भागोगे! मेरे अल्वा इधर आपको कोई नहीं जानता, आपके घर का पता कोई नहीं जानता तो आप इधर बिलकुल नहीं रुकोगे! समझे?" मैंनेएक साँस में कहा. ये सुनते ही नितु एकदम से ठिठक कर रुक गई. उसकी आँखें भर आईं और वो ना में गर्दन हिलाने लगी. "नितु आपने अभी प्रॉमिस किया था ना?" पर नितु अब भी ना में गर्दन हिला रही थी. मैंने नितु के दोनों कंधे पकडे और उसे समझाया; "बेबी.मैंने मम्मी-डैडी को प्रॉमिस किया था. मेरा परिवार कैसे रियाक्ट करेगा मुझे नहीं पता ये सिर्फएक इमरर्जन्सी प्लॅन है! कम से कम आप भाग कर मेरे लिए मदद तो ला पाओगे ना? प्लीज.इसे सभी में आपको कुछ नहीं होना चाहिए! प्लीज.मेरी बात मानो! आपको मेरी कसम!" मेरे पास जो भी तर्क थे मैंने वो सभी दे डाले पर नितु नहीं मानी! "मरना है तो संग मरेंगे!" नितु ने रोते हुए कहा. नितु की बात सुन कर मुझे उस पर गर्व हो रहा था. वो पीठ दिखा के भागना नहीं चाहती थी बल्कि मेरे संग कंधे से कन्धा मिला कर हालात से लड़ना चाहती थी! मैंने नितु के आँसू पोछे और उसका हाथ पकड़ कर दोबारा से घर की ओर चल दिया.
जब घर करीब ५० कदम की दूरी पर रह गया तो नितु ने मेरा हाथ छोड़ दिया ताकि हमें कोई ऐसे ना देख ले.आखिर घर पहुँच कर मैंने दरवाजा खटखटाया और दरवाजा ताऊ जी ने खोला, जहाँ मुझे देख करउन्को ख़ुशी हुई वहां जैसे ही उनकी नजर नितु पर पड़ी उनके ख़ुशी फ़ाख्ता हो गई! वो बिना कुछ बोले अंदर आ गए और आंगन में सभी के संग बैठ गये. "ताऊ जी, ताई जी, माँ, पिताजी, भाभी और भैया ये हैं नीता साहिवाल, मेरी बिज़नेस पार्टनर जिसने मेरे मुश्किल टाइममें मुझे संभाला और दोबारा अपने संग बिज़नेस में पार्टनर की तरह काम करने का मौका दिया." ये सुनने के पश्चात ताऊ जी को इत्मीनान हुआ,उन्को लगा था की मैं और नीता शादी कर के इधर आये हैं!
नितु ने सभी को हाथ जोड़ कर नमस्कार किया और एक-एक कर सभी के पाँव छुए.सब ने उसे आशीर्वाद दिया और ख़ास कर मम्मी ने उसे अपने गले लगा लिया! "बेटी.मेरे पास शब्द नहीं है. तेरा ज्यादा बड़ा एहसान है!" मम्मी ने रुंधे गले से कहा. "माँ एहसान कह कर मुझे शर्मिंदा मत करो!" नितु ने बड़े प्रेम से मम्मी से कहा. अश्विनी उस वक़्त सबसे पीछे खड़ी थी और चूँकि मैं ने अश्विनी से नितु का तार्रुफ़ नहीं कराया थाइसलिये वो सड़ी हुई सी शक्ल ले कर पीछे खड़ी रही. नितु उसके पास नहीं गई और गोपाल भैया से नमस्कार कर के पुनः मेरे संग खड़ी हो गई. "बहु बेटा चाय रखो!" ताऊ जी ने भाभी से कहा पर मैंने भाभी को रोक दिया; "भाभी रुक जाओ, आप बैठो कुछ बात करनी है!" मैंने थोड़ा गंभीर होते हुए कहा. "पिताजी कुछ दिन पहले आप ने कहा था ना शादी कर ले! तो मैंने नितु से शादी करने का फैसला किया हैं!" मैंनेएक गहरी सांस ली और पूरी हिम्मत जुटाते हुए कहा. घर वाले कुछ कहते उसके पहले ही अश्विनी पीछे से बोल पड़ी; "अच्छा? ये तो वही हैं ना जिनके पति के इधर आप पहले ऑफिस में काम करते थे! फि उसी पति ने कोर्ट में डाइवोर्स का केस किया था और कहा था की तुम्हारे इनके संग नाजायज तालुकात हैं!" ये सुनते ही मैं गुस्से से उठने लगा तो नितु ने मेरा हाथ पकड़ के रोक दिया. उसे भीजान्ना था की अश्विनी के मन में कितना ज़हर भरा हैं! "और हाँ.वो बंबई जाना, ट्रैन में इनका आपकी गोद में सर रख कर लेटना प्रकाश भैया के चाचा ने भी तो देखा था ना? फिरएक ही होटल में,एक ही कमरे में मिस्टर अँड मिसेस सागर मौर्य बन कर रात बिताना! ये सभी भी तो बताओ!" अश्विनी बोली और दोबारा वही घिनौनी हँसी उसके होठों पर आ गई! ये सभी सुन कर सारे घर वाले अवाक मुझे देखने लगे.
"ये सच हैं की मैं नीता के पति के ऑफिस में ही काम करता था पर तब हमारा रिश्ता सिर्फएक मालिक और नौकर का था. मुंबई जाने का प्लान बॉस ने बनाया था और मुझे फँसाने के लिए उसने मुझे इनके संग भेजा था. ट्रैन में कुछ नहीं हुआ, वहाँ मेरी गोद में इनका सर रख कर लेटना सिर्फ और सिर्फइसलिये था क्योंकि हमारी बोगी में दो गुंडे जैसे लड़के थे जो नीता को गन्दी नजर से देख रहे थे. हम ने बस मिल के नाटक किया ताकि वो कोई गलत हरकत न करें! मुंबई पहुँचते-पहुँचते हमें देर रात हो गई थी. वहाँ कोई होटल नहीं मिला तो मजबूरन हमेंएक कमरे में रात गुजारनी पड़ी वो भी अलग-अलग पलंग पर! पिताजी, ताऊ जी आप तो मुझे जानते हैं क्या आपको लगता हैं की मैं कभी किसी की मजबूरी का कोई फायदा उठाऊँगा? या कोई ऐसी हरकत करूँगा? वो पुरुष ज्यादा नीच था और इनसे छुटकारा पाना चाहता था. उसने इन्हें कभी कोई सुख नहीं दिया. पत्नी होने का कोई एहसास नहीं दिलाया और दिलाता भी कैसे उसका खुदबाहर् चक्कर चल रहा था!" मैंने घर वालों को सारी सफाई दी.
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