The Romance Sex Story of फ़िर से
अपडेट 59
रूचि ने मन ही मन सोचा कि किस तरह की लड़की है ये! मन ही मन उसे रागिनी का ये लम्पट अंदाज़ ख़राब लग रहा था। यदि रागिनी किसी के संग प्रेम के कारण सेक्स कर रही होती, तो समझ में आता है। लेकिन वो जो कर रही थी, या कर चुकी थी, उसको वेश्यावृत्ति ही कहना उचित है। लेकिनबाहर् से उसने बसएक हल्की मुस्कान दी और कहा, “हम्म्म हम्म. देखते हैं दीदी! . वैसे तुमको तो ज्यादा आता है इन सभी चीज़ों के बारे में। मुझे तो अभी कुछ समझ ही नहीं आता।”
“सच में? तुझे सच में नहीं पता?”
रूचि ने ‘न’ में सर हिलाते हुए कहा, “माँ कुछ बताती ही नहीं!”
“क्या यार! पढ़ने लिखने में न, तू सबसे ज़रूरी बातें सीखना भूल गई।”
रूचि ने उदास सा चेहरा बना लिया।
रागिनी नेएक विजयी मुस्कान दी, और उसको दिलासा देती हुई बोली, “अरे कुछ नहीं बहना! ये सभी तो एक्सपीरियंस की बात है। तू बसएक काम करना. जब तुम दोनों अकेले हो न, तो बस अपने दिल की सुनना। अजय समझदार है. वैसे भी लड़कों को बस थोड़ा सा इशारा काफ़ी होता है। दोबारा वो तुझ पर ऐसे टूट पड़ेगा न, कि तू उड़ने लगेगी मेरी लाडो!” उसने हँसते हुए कहा।
रूचि को ये वार्तालाप असुविधाजनक लग रहा था, लेकिन वो कर भी क्या सकती थी! शुरुआत उसी ने किया था।
“वैसे,” रागिनी ने रूचि को चुप देख कर कहा, “अगर तू चाहे तो मैं तुझे कुछ टिप्स दे सकती हूँ।”
रूचि ने हल्के से हँसते हुए कहा, “टिप्स? अरे दीदी, अभी तो मेरी सगाई भी नहीं हुई है!” दोबारा बात बदलते हुए बोली, “इन दोनों के अलावा कोई नहीं? कोई ऐसा जिसके संग तुम सीरियस हो?”
“नहीं यार.एक नया बॉयफ्रेंड मिला है, लेकिन सीरियस नहीं है कुछ! . वैसे,” रागिनी ने रहस्यमई अंदाज़ में कहा, “अजय बढ़िया है,”
“हाँ दीदी! आई ऍम वैरी लकी,”
रागिनी नेएक गहरी साँस ली और पलंग पर और पीछे की ओर सरकते हुए कहा, “हाँ यार. सच में तू लकी है! और सच कहूँ. तो अजय जैसा लड़का पाना तो हर लड़की का सपना होता है। रिच फैमिली, गुड लुक्स, और जो कुछ सुना उसके बारे में. ज्यादा सुलझा हुआ भी! और इतना कमसिन भी!” कहते कहते उसकी आँखों मेंएक अजीब-सी चमक आ गई थी, “सच कहूँ बहना. बुरा न मानना. यदि तू न होती न तो मैं तो अवश्य अजय को पटाने की कोशिश करती!”
उसने कहा तो हँसते हुए था लेकिन उसकी हँसी में छुपी हुई ठंडी गंभीरता रूचि को साफ़ साफ़ समझ में आ गई। औरइसे बोध से उसका बदन सिहर गया।
प्रत्यक्ष में रूचि ने हल्के से मुस्कुराते हुए कहा, “अच्छा! तो तुम मुझसे मेरा होने वाला हस्बैंड छीनना चाहती हो?”
रूचि ने बड़ी कोशिश करी कि ये मज़ाक जैसा ही लगे, लेकिन उसकी आवाज़ मेंएक हल्की सी तल्ख़ी थी।
“अरे, मज़ाक कर रही हूँ बहना,” रागिनी ने हँसते हुए कहा। “लेकिन सच में, तू ज्यादा लकी है। अजय जैसे लड़के को पाना कोई छोटी बात नहीं है।”
“पता है? उनकी बड़ी बहन की शादी उनके मित्र के संग हो रही है,”
“जीजू का मित्र भी उन्ही के जैसा है?”
रूचि ने ‘हाँ’ में सर हिलाया।
“हाय मेरी किस्मत! बहनचोद, क्या कर रही हूँ वहाँ रेगिस्तान में!” रागिनी के मुँह से गाली सुन कर रूचि चौंक गई, “माँ से कह कर इधर इंडिया शिफ़्ट हो जाते हैं!”
“दीदी!” रूचि ने डंपटते हुए कहा।
“सॉरी यार! निकल गया मुँह से,” वो बोली, “कब है शादी?”
“दो हफ़्ते बाद,”
“बढ़िया है! क्या पहनेगी?” रागिनी ने पूछा, “तू तो उनकी होने वाली बहू है बहना मेरी! तुमको तो एकदम सज धज के रेडी रहना चाहिए. दुल्हन की तरह!”
“एक्चुअली,एक नहीं - दो शादियाँ हैं! पहले इनकी दीदी की, और दोबारा दो दिन पश्चात इनके बड़े भैया की!”
“सही है यार,” रागिनी ने गहरी साँस भरते हुए कहा, “द मोर द मेरिअर.”
“मेरी हेल्प करोगी दीदी?”
“ड्रेस सेलेक्ट करने में?” रागिनी को जैसे अपना पसंदीदा विषय मिल गया हो, “श्योर! दिखा मुझे. क्या क्या है तेरे पास?”
रूचि ने अपनी अलमारी से साड़ियाँ और दूसरा ड्रेसेस निकालने शुरुआत कर दिए। विगत दो वर्षों में रूचि की मम्मी ने रूचि के लिए साड़ियाँ खरीदनी शुरुआत कर दी थीं - कुछ भारी तो कुछ हल्की।इसलिये नहीं कि उसकी शादी की कोई चिंता थी उनको - बल्किइसलिये कि वो चाहती थीं कि उसको समाज में उठने बैठने का समुचित शऊर आ जाय।
रूचि ने दो साड़ियाँ पलंग पर रखते हुए कहा, “वैसे दीदी, कैसा लड़का होना चाहिए जिसके संग तुम सच में सेटल होना चाहोगी?”
रागिनी नेएक समय के लिए सोचा और दोबारा कहा, “हम्म. मैं चाहती हूँ कि मेरा होने वाला हस्बैंड ऐसा हो जो मुझे हर तरह से सिक्योर कर दे. उसके पास रुपया पैसा, स्टेटस. सभी कुछ होना चाहिए,” उसनेएक नाटकीय अंदाज़ में कहा, “मैं चाहती हूँ कि मेरी शादी किसी ऐसे लड़के से हो, जो मुझे दुनिया की हर ख़ुशी दे सके. अजय जैसा. या शायद उससे भी बेहतर!”
रूचि ने मन ही मन सोचा कि ये तो साफ़-साफ़ जल रही है मुझसे, लेकिन उसने हँसते हुए कहा, “अच्छा, तो तुमको अजय से भी बेहतर चाहिए!”
रागिनी ने भी हँसते हुए कहा, “हाँ. लेकिन फिलहाल तो मैं मार्केट में सर्च कर रही हूँ! लेकिन हाँ, यदि अजय जैसा कोई मिल जाए, तो मैं तो जल्दी हाँ कर दूँगी।”
फिर उसने अपनी आँखें सिकोड़ते हुए और कहा, “तू मुझसे सभी बुलवाए ले रही है. तू बता! तू कुछ तो करी होगी न अजय के साथ! बता ना, क्या क्या किया?”
रूचि ने हल्के से अपनी नज़रें नीचे कर लीं. उसे रागिनी की जलनखोरी और बेतक़ल्लुफ़ी अजीब लग रही थी।
उसने कहा, “अरे दीदी, अभी तो हम बसएक दूसरे को समझ रहे हैं। वो सभी तो पश्चात में होगा।”
“बाद में?” रागिनी नेएक ठहाका लगाया, “अरे बहना, तू सच में ज्यादा सीधी है! गाय है गाय! तुम दोनों को अब तक कुछ न कुछ कर लेना चाहिए था।”
रूचि ने हल्के से हँसते हुए कहा, “मैं तो अभी इन सबके लिए तैयार नहीं हूँ।”
“तैयार नहीं है?” रागिनी ने हँसते हुए कहा। “अरे लाडो रानी, ये सभी तो बस फीलिंग्स की बात है। जब तू अजय के संग अकेले होगी, तो सभी अपने आप हो जाएगा।” उसने अपनी आवाज़ को और धीमा करते हुए कहा, “मैंने तो ख़ालिद और सईद के संग इतने मस्त मोमेंट्स शेयर किए है कि बस. हर बार लगता था कि मैं बादलों पर उड़ रही हूँ।”
रूचि ने बस हल्के से मुस्कुराते हुए कहा, “अच्छा? इतना मज़ा आता है?”
“मज़ा?” रागिनी ने हँसते हुए कहा, “मज़ा तो बस शुरुआत है बहना. जब मर्द का ‘वो’ अंदर जाता है न. उफ़!एक बार होने दे, दोबारा तू समझ जाएगी कि मैं क्या कह रही हूँ।” उसनेएक गहरी साँस ली और कहा, “वैसे, यदि तुझे कोई टिप चाहिए, तो बता दे। मैं तुझे पूरा गाइड कर दूँगी,”
रूचि ने हँसते हुए कहा, “ठीक है, जब ज़रूरत पड़ेगी, तुमसे पूछ लूँगी।” दोबारा बात बदलते हुए बोली, “लेकिन अभी मुझे ड्रेस सेलेक्ट करने में हेल्प कर दो न,”
रागिनी नेएक साड़ी उठा कर देखा और कहा, “वाओ रूचि, ये तो ज्यादा खूबसूरत है! तू इसमें हॉट लगेगी। अजय तो तुझ पर फिदा हो जाएगा।”
“सच में?”
“हाँ. पहन कर दिखा?”
रूचि ने साड़ी को उठाया और रागिनी से कहा, “उधर मुँह करो,”
रागिनी हँसते हुए बोली, “पागल है क्या?”
रूचि समझ गई कि यदि रागिनी की सच्चाई जाननी है तो ये करना ही पड़ेगा। उसने अपना कुर्ता उतारना शुरुआत कर दिया।
रागिनी ने उसकी ओर देखा और हँसते हुए कहा, “अरे बहना, तू तो सच में बिंदास है! बसएक दिन ऐसे ही हिम्मत कर के जीजू के सामने कपड़े उतार दे! दोबारा देखना!”
रूचि ने हँसते हुए कहा, “तुम्हारी बात अलग है! तुम मेरी बहन हो!”
“लाडो मेरी,एक हस्बैंड ही होता है, जिसके सामने शर्म नहीं करी जाती!”
तब तक रूचि ने अपने अधोवस्त्रों में आ गई थी। उसने पेटीकोट पहना, साड़ी से मैचिंग ब्लाउज़ पहना और दोबारा साड़ी को अपने बदन पर लपेटना शुरुआत किया। रागिनी की नज़रें रूचि के बदन पर टिकी थीं।
उसने कहा, “रूचि, तेरा फिगर कमाल का है! जीजू भी कोई कम लकी नहीं हैं।”
रूचि ने हल्के से मुस्कुराते हुए कहा, “दीदी, तुम भी कुछ कम नहीं हो! मुझसे तो बीस हो. बीस क्या, पच्चीस हो,”
अपनी सुंदरता की बढ़ाई सुन कर रागिनी भी फूल कर कुप्पा होने लगी।
रूचि कह रही थी, “वैसे, तुम भी कुछ ट्राई करो न. मेरी अलमारी में कई साड़ियाँ हैं,”
रागिनी ने हँसते हुए कहा, “अच्छा ठीक है, मैं भी कुछ ट्राई करती हूँ।”
उसने पलंग से उठकर अलमारी की ओर कदम बढ़ाए औरएक नीली साड़ी निकाली, “ये कैसी रहेगी?”
रूचि ने कहा, “परफ़ेक्ट! ये तो ज्यादा सुंदर है। ट्राई करो,”
रागिनी ने अपनी टी-शर्ट उतार दी और दोबारा अपनी जींस भी। अब वो भी सिर्फ़ अधोवस्त्रों में थी।
रूचि ने उसकी ओर देखा और हँसते हुए कहा, “दीदी, तुम तो कमाल की हो,”
रागिनी नेएक शरारती मुस्कान दी और कहा, “आई नो, लेकिन तू भी तो कम नहीं है। थोड़ा सम्हाल कर देखभाल कर अपने रूप रंग की! गज़ब लगेगी तू भी!”
उसने साड़ी को लपेटना शुरुआत किया, “रूचि, तूने कभी सोचा है कि जब तू अजय के संग होगी, तो वो तुझे ऐसे ही देखेगा? मतलब, इतना क्लोज़. इतना इंटीमेटली?”
रूचि का चेहरा दोबारा से शर्म से लाल हो गया।
उसने कहा, “अरे दीदी, तुम दोबारा शुरुआत हो गई! अभी तो मैं इन सबके बारे में सोच भी नहीं रही।”
रागिनी ने हँसते हुए कहा, “मेरी बहना, तो सोचना शुरुआत कर दे! वो सभी ज्यादा मज़ेदार होता है।”
थोड़ी देर में दोनों अपनी अपनी साड़ियाँ पहन कर तैयार थीं।
“मस्त लग रही हो रूचि!” रागिनी ने कहा, और दोबारा रूचि के बाल पकड़ करएक दो स्टाइल में पकड़ कर दिखाते हुए बोली, “बाल ऐसे रखना. और ज्यादा हेवी नेकलेस मत पहनना! ठीक है?”
रूचि न ‘हाँ’ में सर हिलाया।
“बढ़िया लगेगी!” रागिनी ने बढ़िया शब्द पर ज़ोर दिया।
“तो ये साड़ी पक्की?”
“हंड्रेड परसेंट!”
“ओके,” कह कर रूचि ने उस साड़ी और ब्लाउज़ को उतार दिया और दोबारा पेटीकोट भी।
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अपडेट 60
“एक सेकंड,” रागिनी ने कहा।
“क्या हुआ दीदी?”
रागिनी रूचि के पीछे आ कर उसकी ब्रा का हुक खोल देती है और उसको उसके स्तनों से अलग कर देती है।
“दीदी,” रूचि ने अपने स्तनों को ढँकते हुए अपना विरोध प्रदर्शित किया।
“अरे यार. मुझे देखने तो दे,” कह कर रागिनी ने उसकी हथेलिओं को उसके स्तनों से हटा दिया।
रूचि क्या करती! बस शर्म से रागिनी के सामने करीब नग्न खड़ी रही।
“मस्त है तू बहना,” रागिनी ने रूचि के फिगर का मूल्याँकन करते हुए कहा, “ये निप्पल्स और ब्रेस्ट्स पर न कम से कम कोल्ड क्रीम लगा लिया कर. देख कैसे इन पर हल्की हल्की दरारें पड़ रही हैं! मॉइश्चर बना रहना चाहिए इनका,”
फिर रूचि की चड्ढी की इलास्टिक पकड़ कर नीचे करते हुए वो बोली, “तेरी पूची भी देख लूँ,”
रूचि के मन में अजीब अजीब से ख़याल आ रहे थे। जब से अजय ने रागिनी के संग अपने रहस्य के बारे में उसको बताया था, तब से उसके मन में रागिनी को देखने का नज़रिया बदल गया था। लेकिन अजय की बात भी सच थी - उसके दो संस्करण थे, और दोनों में रागिनी और रूचि की भूमिका और स्थान अलग अलग थे। दोबारा भी रागिनी को ले कर रूचि के मन में सौतिया विचार आ तो गए ही थे। तिस पर रागिनी की ईर्ष्या और अब ये सब! रूचि समझ नहीं रही थी कि वो क्या करे! रागिनी ने अभी तक उसके संग कुछ गलत नहीं किया था - करती भी क्यों? ये अलग ही टाइम-लाइन थी न!
“मस्त है यार,” रागिनी ने बढ़ाई करते हुए कहा, “वर्जिन पूची! और कितने सॉफ्ट सॉफ्ट बाल हैं तेरे,”
“तुम्हारे नहीं हैं?” न जाने रूचि कैसे पूछ पाई।
“न रे! चौदह पंद्रह में ही हार्ड हो गए थे मेरे,” उसने बताया, “इसीलिए मैं हेयर रिमूवल क्रीम लगाती रहती हूँ,”
उधर रूचि शर्म से पानी पानी हो रही थी।
“शरमा मत मेरी बहना! तू खज़ाना है खज़ाना!” रागिनी ने समझाया, “जब तक मैं हूँ, मैं तेरी ग्रूमिंग में हेल्प कर दूँगी। लेकिन उसके पश्चात मेरी सिखाई बातें भूल न जाना. बस अडिशनल थर्टी टू फोर्टी मिनट काफ़ी है अपनी स्किन की बढ़िया केयर रखने के लिए! और केयर ही सभी कुछ है. समझी?”
“समझ गई दीदी,”
“गुड,” दोबारा स्वयं को नीली साड़ी में प्रदर्शित करती हुई बोली, “मैं कैसी लग रही हूँ?”
“बहुत सुन्दर,” ये अतिशयोक्ति नहीं थी - रागिनी थी भी बड़ी सुन्दर! कोई भी रंग उस पर फ़बता था।
वो मुस्कुराई, “बहना. तू न, मेरी वो रस्ट कलर वाली साड़ी रख ले,”
“क्यों दीदी?”
“क्यों क्या? मेरी चीज़ है और मैं तुझे देना चाहती हूँ, बस! रख ले!” वो बोली, “अच्छा, दूसरी शादी में क्या पहनेगी?”
“इनमें से कौन सी ट्राई करूँ? तुम्ही बता दो?”
रागिनी ने हर साड़ी पर निगाह डाली, “इन सबसे तो मेरी रस्ट कलर वाली साड़ी ही बेहतर है,” कह कर उसने अपने सूटकेस में से वो साड़ी निकाली। रागिनी वो साड़ीइसलिये लाई थी कि दिवाली पर पहनेगी। लेकिन दिवाली मनाई ही नहीं गई।
“लास्ट ईयर सिलवाया था इसका ब्लाउज़. अभी टाइट आता है मुझे. लेकिन तुझे सही पहुँचना चाहिए। पहन न?”
रूचि ब्रा पहनने लगी तो रागिनी ने उसको रोक दिया, “इसमें ब्रा नहीं पहनना होता. सॉफ्ट पैड्स हैं सामने!”
ब्लाउज़ बढ़िया फिटिंग की थी - रूचि का वक्ष-विदरण भी दिखाई दे रहा था। और साड़ी ज्यादा ही सेक्सी अंदाज़ में रूचि के बदन से चिपकी हुई थी।
“सेक्सी,” रागिनी ने अनुमोदन किया, “इसको भैया की शादी में पहनना,”
“ओके,”
“और क्या क्या है?”
“अरे हो तो गया! दो इवेंट्स. दो ड्रेस,”
“पागल है क्या?” रागिनी हँसने लगी, “दो और चाहिए! दोनों इवेंट्स के लिए कम से कमएक एक और,”
“ये कैसा रहेगा?” रूचि नेएक रेशमी शलवार कुर्ता दिखाया।
“हाँ, ठीक है. लेकिन दीदी की शादी है, तो इससे बेहतर भी यदि हो सकता है, तो वो पहनो,”
“अब जो है, यही है!”
“हम्म.एक काम करते हैं, कल शॉपिंग कर लेते हैं! दो दिन पश्चात मैं चली जाऊँगी. और तेरी कपड़ों की चॉइस देख कर मज़ा नहीं आ रहा!”
रूचि ने थोड़ी देर न नुकुर किया दोबारा मान गई।
“और सुन,” रागिनी ने कहा, “शॉपिंग के सारे पैसे मैं दूँगी! ज्यादा माल है मेरे पास,”
जब सारे कपड़े इत्यादि पुनः अपनी अलमारी में रख कर रूचि पुनः पलंग पर आई, तो रागिनी ने कोई लोशन अपने हाथों में उड़ेंल कर चुपड़ते हुए कहा, “आ जा,”
“क्या दीदी?”
“अपनी टी शर्ट और ब्रा उतार,”
“मैं लगा लूँगी न दीदी,”
“बहस मत कर! उतार इनको. जल्दी,”
रूचि ने दो तीन बार और कहा दोबारा हार मान कर दोबारा से अपने स्तनों को उघाड़ कर रागिनी के सामने थी।
रागिनी ने उसके दोनों स्तनों पर बारी बारी से अच्छी तरह से लोशन लगाया। रूचि के चूचकइसे पूरी प्रक्रिया में उत्तेजना के मारे कड़े हो गए थे। रागिनी ने मज़ाक में उसके दोनों चूचकों को अपनी दोनों तर्जनियों और अंगूठों में पकड़ कर थोड़ाबाहर् की तरफ़ खींचते हुए उसको छेड़ा,
“क्यूट है तू,”
फिर उसका पजामा और चड्ढी उतार कर उसने रूचि के पुट्ठों और योनि पर भी लोशन लगा दिया।
“अपने एसेट्स का अच्छी तरह से ख्याल रखा कर बहना,” उसने उसकी योनि पर लोशन लगाते हुए कहा, “ये तुझे और अजय को खूब मज़ा देंगे! और सेक्स से अलग भी तो ये इम्पोर्टेन्ट हैं! तेरे बच्चे इधर से निकलेंगे [उसने उसकी योनि को छू कर बताया] और इधर से दूध पियेंगे [उसने उसके स्तनों को छुआ].इसलिये इनकी हेल्थ प्रॉपर होनी चाहिए!”
“जी माता जी,” रूचि अब पूरी तरह से कंफ्यूज हो गई थी।
वो रागिनी को किस रूप में देखे? मौसेरी बहन के, या दोबारा अपनी सौत के? रागिनी ने रूचि काएक पैसे का नुकसान नहीं किया था। हाँ - उसका अपना जिंदगी जीने का अंदाज़ था जो रूचि के अंदाज़ से ज्यादा अलग था। लेकिन वो तब से सिर्फ रूचि के लिए ही सभी कर रही थी। उसने सोचा कि रागिनी बुरी नहीं है. उसके हालात अलग रहे होंगे अजय को ले कर! भूतपूर्व अजय को भविष्य की रागिनी के संग कैसे कैसे एहसास हुए, उसके आधार पर वो उसके संग अपना व्यव्हार और सम्बन्ध तो नहीं बिगाड़ सकती न? वैसे भी अजय ने भी कहा था कि वो रागिनी से नाराज़ नहीं है, बल्कि स्वयं से उदास है! शायद रागिनी आगे चल कर इतना बिगड़ी हो कि अपने लाभ के लिए दूसरे का नुकसान कर दे?
रूचि कपड़े पहनने लगी तो रागिनी ने दोबारा से रोका, “सूखने दो कुछ देर.” और दोबारा अपने भी कपड़े उतारने लगी।
रूचि उत्सुकतावश उसको देखने लगी।
उसने अपनी ब्रा और चड्ढी उतार दी और अब वो भी रूचि की ही तरह पूरी तरह से नग्न थी।
रूचि नेएक समय के लिए उसकी ओर देखा और दोबारा हँसते हुए कहा, “अरे दीदी, तुम सच में ज्यादा बिंदास हो!”
रागिनी ने हँसते हुए कहा, “अरे, तेरी बहन हूँ न। दोबारा शर्म कैसी?” उसने अपनी बाहें फैलाईं और कहा, “देख बहना, ये है कॉन्फिडेंस। तुझमें भी ऐसा ही कॉन्फिडेंस होना चाहिए।”
रूचि ने हँसते हुए कहा, “हाँ दीदी! वाह दीदी. तुम तो सच में ज्यादा खूबसूरत हो!”
रागिनी ने हँसते हुए कहा, “तू भी कम नहीं है, रूचि।”
रूचि मुस्कुराई, “वैसे दीदी, तुम्हारे ये. ज्यादा अच्छे हैं।”
रागिनी नेएक ठहाका लगाया, “ये? मतलब मेरे बूब्स? हाँ यार, ये तो मेरी यू.एस.पी. हैं!”
उसने अपने स्तनों के नीचे अपनी हथेलियों को लगा कर हल्के से उछाला और कहा, “सॉलिड हैं! चेक करेगी?”
रूचि नेएक शरारती मुस्कान दी और कहा, “ठीक है। देखूँ तो सही।”
उसने रागिनी के पास जाकर उसके दाहिने चूची को हल्के से छुआ और दोबारा उसे चूम लिया।
रागिनी हल्के से हँसी और कहा, “अरे रूचि, तू तो सच में बिंदास हो रही है!”
रूचि ने रागिनी के चूची को ध्यान से देखा और दोबारा कहा, “दीदी, तुम्हारे ब्रेस्ट की गहराई में तोएक लाल तिल है।”
उसका दिल तेज़ी से धड़कने लगा. उसे अजय की बात याद आ गई थी।
रागिनी ने हँसते हुए कहा, “हाँ. मेरे दोनों बॉयफ्रेंड्स को भी ये बहुतपस्न्द था।”
रूचि हल्के से मुस्कुराई।
लेकिन मन ही मन वो अजय की बातों को याद कर रही थी। उसे अब यकीन हो गया था कि अजय जो कह रहा था, वो सच था। रागिनी वही लड़की थी, जिसने उसके भविष्य को बर्बाद किया था। लेकिन वो नहीं चाहती थी किइसे बात से उसके और रागिनी के सम्बन्ध पर कोई बुरा असर पड़े। लेकिन वो ये भी चाहती थी कि रागिनी आगे चल कर ‘वैसी’ स्त्री न बने, जैसी वो अजय के संग हो गई थी। क्याइसे बात का कोई इलाज़ है?
अगर अजय का जिंदगी बदल सकता है, उसमें सकारात्मक सुधार आ सकते हैं, तो रागिनी का जिंदगी भी तो बदल सकता है न? रूचि ने सोचा कि रागिनी के बेहतर भविष्य के लिए जो संभव होगा, वो करेगी।
उसने हँसते हुए कहा, “दीदी अब कपड़े पहन लेते हैं। सभी इंतज़ार कर रहे होंगे।”
रागिनी ने हँसते हुए कहा, “हाँ, ठीक है।”
रूचि ने हल्के से मुस्कुराते हुए कहा, “और दीदी, तुम भी किसी अच्छे लड़के को ढूंढ कर शादी कर लो!”
रागिनी नेएक गहरी साँस ली और कहा, “हाँ यार. देखते हैं। तेरा कोई और मित्र है क्या? यदि अजय जैसा कोई हो, तो बता दे मुझे! मैं तो जल्दी हाँ कर दूँगी।”
दोनों ने अपने कपड़े पहने औरबाहर् मेहमानखाने में चली गईं।
रूचि के मन मेंएक अजीब-सी उथल-पुथल थी। उसने मन ही मन फैसला किया कि वो अजय से रागिनी के बारे में और जानने समझने की कोशिश करेगी - जिससे उसका और उसके होने वाले परिवार का जिंदगी बर्बाद न हो।
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मामूली लिखैया.. कौन? avsji जी आप?.
जय जय. सुबह-सुबह का बड़ा मज़ाक.
यहां जिसे साहित्य कि समझ न हो ऐसा अल्पज्ञ भी ये नहीं कह सकता।
आपका अपने भाषा कौशल, वर्तनी पर पकड़, रचना कि मौलिकता, शील और अश्लील के मध्य कि रेखा का ज्ञान और उसे पार करना अथवा नहीं करना -- उतना विनय, विश्वास। और सबसे बढ़कर आपके स्वभाव कि विनम्रता का आपके पात्रों के वर्तन में परिलक्षित होना ही आपके श्रेष्ठ लेखक होने का प्रमाण है। कथानक का सामाजिक परिप्रेक्ष्य और प्रभाव, पाठकों कि टिप्पणी पर भी संयम और संयत बर्ताव ही लेखक के गुण हैं जो आपके बर्ताव में दिखते हैं।
यहां का साहित्य निम्न स्तरीय है। यहां मतिमान पाठकों कि बजाय दरबारी चाटुकार और निम्न श्रेणी के आलोचकों कि भरमार है। जिन्हें न साहित्य का ज्ञान है न लेखन कि समझ।
ऐसे १०० अज्ञ पाठकों का आपके कथानक पर न हो कर SANJU ( V. R. ) भाई जी और Ajju Landwalia जैसे १ पाठक का होना ही ज्यादा है। जो कथानक और लेखक को मार्गदर्शन देते रहें।
यहां आपको साहित्य अकादमी पुरस्कार जैसे पारितोषिक नहीं मिल सकते। परन्तु आपके लेखन को किंचित भाट- चारण/ बन्दिजनों कि बिरुदावली कि आवश्यकता नहीं है। आपका लेखन हि आपकी पहचान है। आपका लेखन रात में टिमटिमाते जुगनू के समान नहीं है ये तोएक दीपक का अद्वितीय प्रकाश है।
लिखते रहिये।
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