प्रेम सेक्सी कहानी डॉली और राज की (romance special) is read today on Desi Sex Stories. Best website for Indian rajSharma sex story!
प्रेम कहानी डॉली और राज की
आज सुबह से ही बस्ती में भगदड़ मची हुई थी,ठीक से कुछ समझ मे भी नही आ रहा था,कि हो क्या रहा है,पुलिस यु अचानकइसे तरह से आकर बस्ती क्यों खाली कराने लगी
जबकि सैकडों लोग सालों से इधर रहते आ रहे है,
लगभग 700 से 800 लोग,यही कुछ 10,12 वर्ष पहले से
इस बस्ती में रह रहे थे,,,,,,
ये जमीन किसकी है ,कैसी है ,किसी को कुछ पता नहीं था बसएक के बादएक ,दो से चार और चार से छहइसे तरह बढ़ते बढ़ते ढाई से 300 झुग्गी झ... Continue reading
प्रेम कहानी डॉली और राज की आज सुबह से ही बस्ती में भगदड़ मची हुई थी,ठीक से कुछ समझ मे भी नही आ रहा था,कि हो क्या रहा है,पुलिस यु अचानकइसे तरह से आकर बस्ती क्यों खाली कराने लगी जबकि सैकडों लोग सालों से इधर रहते आ रहे है, लगभग 700 से 800 लोग,यही कुछ 10,12 वर्ष पहले से इस बस्ती में रह रहे थे,,,,,, ये ज...
अब रोने के अलावा उसके पास कोई दूसरा चारा नहीं था,,, वह मम्मी और मामा से रो-रोकर मिन्नतें करने लगी बुरी तरह चीखने चिल्लाने लगी पर उसकी आवाज सुनने वाला कोई नहीं था,, अब तो उसकाएक ही सहारा था उसके कान्हा जी, उसके लड्डू गोपाल जिनकी आराधना वह बचपन से करती आ रही थी उसे अच्छी तरह से याद है ,जबएक बार बाजार...
राज ने हाथ मुंह धोये और नजर इधर उधर डालते हुए रसोई में आ गया,,,थोड़ा रुक कर बहुत से पूछा काकी वह कहां गई काकी उसकी बात का जवाब दिए बिना ही राज के खाने की तैयारी में लगी रही, राज काकी के पीछे रसोई में गया और दोबारा पूछा लगता है चली गई, बढ़िया ही हुआएक और आफत अपने गले पड़ जाती, अपुन को वैसे भी क...
महिला मोर्चा की महिलाएं इसकी गवाह होगी समय-समय पर आकर डॉली को देखेंगे ,कि उसे यहां किसी बात की दिक्कत तो नहीं है ,,,और जब डॉली 18 वर्ष की हो जाएगी तब स्वयं ही फैसला करेगी उसे यहां रहना है या कहीं और जाना है ,,,जो भी करना है दोबारा बह उसके ही हाथ में होगा,, बेटाएक बेटी की तरह मैं डॉली को अपने पास...
राज घर के अंदर आता और चारों तरफ देखता कि क्या ये उसका ही घर है जिसमें उसे स्वयं ही अपनी चीजों का कुछ अता पता नहीं रहता था ,,,कोई भी चीज कहीं भी पढ़ी हुई मिल जाती थी,,, और कई बार तो ढूंढने के पश्चात भी उसका अता-पता नहीं होता, पर अब सारा सामान इतनी व्यवस्था से रखा हुआ था कि अगरएक सुई भी ढूंढना है तो र...
Rajsharma Sex Story : प्रेम सेक्सी कहानी डॉली और राज की (Romance Special)
प्रेम कहानी डॉली और राज की
आज सुबह से ही बस्ती में भगदड़ मची हुई थी,ठीक से कुछ समझ मे भी नही आ रहा था,कि हो क्या रहा है,पुलिस यु अचानकइसे तरह से आकर बस्ती क्यों खाली कराने लगी
जबकि सैकडों लोग सालों से इधर रहते आ रहे है,
लगभग 700 से 800 लोग,यही कुछ 10,12 वर्ष पहले से
इस बस्ती में रह रहे थे,,,,,,
ये जमीन किसकी है ,कैसी है ,किसी को कुछ पता नहीं था बसएक के बादएक ,दो से चार और चार से छहइसे तरह बढ़ते बढ़ते ढाई से 300 झुग्गी झोपड़ियां यहां बनाई जा चुकी थी ,और लोग अपने परिवार सहित उनमें रहने लगे थे
एकएक ईंट की बनी कच्ची दीवार ,उसके उपरि डाली हुई सीमेंट शीट ,और मेन लाइन से ली गई तारों की उलझी हुई लाइने इसी में लोग अपने परिवार के संग रहकर अपना पेट पालते थे,, कुछ मजदूरी करते, कुछ औरतें बड़े लोगों के इधर जाकर बर्तन और झाडू पोछे का काम करती थी,,, तो कुछ दुकानों और होटलों पर छोटे-मोटे काम करते थे,
इन्हीं मेंएक परिवार था डॉली का, जो अपनी सौतेली मम्मी ,माँ का पियक्कड़ भाई और दो सौतेली बहनो के संग रहती थी,
आज से 8 वर्ष पहले जब डॉली सिर्फ आठ वर्ष की थी
एक अच्छी बस्ती में अपनी मम्मी और पिता के संग रहती थी
जहाँ डॉली के पिताएक फैक्ट्री में चौकीदारी करते थे,वही मम्मी बाकि सारे कामो को संभालती थी ,चाहे वह बाजार का काम हो, घर का काम हो ,या ,डॉली के स्कूल का,कुल मिलाकर उनका परिवारएक छोटा और सुखी परिवार था
सब कुछ बढ़िया ही चल रहा था,,,,,
परएक दिन अचानक बाजार से आते हुए डॉली की माँएक सड़क हादसे में चल बसीं ,,,बस दोबारा क्या था धीरे-धीरे धीरे सबकुछ बदलने लगा,,,
लोगों के कहने पर उसके पिता ने एक्सीडेंट का केस दर्ज करवाया केस चला पर कुछ महीनों तक नतीजा ना निकलने पर कुछ लोगों ने सलाह दी की सामने वाले से सला मशहिरा करके केस पुनः ले लो और हर्जाना लेकरइसे झंझट से अलग हो , यदि जीत भी गया तो कौन सा तेरी पत्नी पुनः आ जाएगी,,,, इंसान तो इंसान ही होता है कहीं ना कहीं मन में लालच आ ही जाता है ,जैसे हीइसे बात की चर्चा सामने बाली पार्टी के वकील से की,वह भी जल्दी हर्जाना देने के लिए तैयार हो गया अंततः 2 लाख लेकर केस पुनः करने को बोला और डॉली के पिता ने ऐसा ही किया जब ₹2लाख उसके हाथ में आए तो जिंदगी में पहली बार इतना सारा रुपया देखकर उसकी आदतें भी बिगड़ने लगी, शुरु शुरु में तो उसने डॉली का खूब ध्यान रखा उसे नए कपड़े दिलाए बढ़िया खाना पीना खिलाया ,जिससे वह अपनी मम्मी की याद को भूल सके ,पर धीरे-धीरे डॉली की तरफ उसका ध्यान कम होता गया ,,,,,ध्यान जो कहीं और लग गया था ,पास में ही एक और बस्ती थी ,,,जहां से उम्मी नाम की एक स्त्री रोज डॉली के बगल वाले घर में झाड़ू पोछा करने आती थी ,,,
बस दोबारा क्या स्थिति को देखते हुए धीरे-धीरे उसने नीले के पिता को अपने जाल में फंसा लिया ,,और कहते हैं ना कि स्त्री के बिना पुरुष ,,बिना घोड़े की लगाम की तरह हो जाता है ,,कोई रोकने टोकने वाला था नहीं तो बस जैसा उम्मी कहती वैसा वह करता , कुछ महीनों पश्चात बिना जांच-पड़ताल किए हीएक दिन किसी मंदिर से बरमाला पहनाकर उसे अपनी पत्नी बना कर घर ले आया,तब डॉली चौथी कक्षा में थी,वह पड़ने में बहुत अच्छी थी ,,,जिस दिन से सौतेली मम्मी घर में आई डॉली के दिन बदलने शुरुआत हो गए ,,
पहले 1 दिन,फिर 2 दिन,,, 5,और दोबारा हमेशा के लिए डॉली का स्कूल बंद कर दिया गया ,,, और धीरे-धीरे उससे घर के काम करवाने लगे ,,, जब घर के काम करके अपनी बची खुची किताबो को लेकर वह नन्ही
सी बच्ची कॉपी पेंसिल लेकर घर में ही पढ़ने बैठ जाती ,,,पर सौतेली मम्मी उसे ये भी नहीं करने देती ,और एकदिन गुस्से में आकर उसने सारी किताबें और कॉपियां जलती आग के हवाले कर दीं,,
कहते हैं जब मम्मी दूसरी आती है तो ,बाप तो तीसरा हो ही जाता है,,,, उसका बाप तो जैसे दूसरी स्त्री और दारू के नशे में अंधा हो चुका था ,,,धीरे-धीरे उसकी दारू की लत बढ़ती ही जा रही थी,,, और जब वह कमजोर होकर अपने सारे पैसे और जो थोड़ी ज्यादा डॉली के मम्मी के गहने थे उम्मी के हवाले कर चुका तो 1 दिन उम्मी अपनी दोनों बेटियों को अचानकइसे घर में ले आई और जब डॉली के पिता नेइसे बारे में उससे कुछ कहना चाहा तो पीछे से उसका पियक्कड़ भाई भी उसके संग आ गया ,,
अब उनके घर पर पूरी तरह से उसकी सौतेली मम्मी उसके मामा और उनकी दोनों बेटियों का कब्जा हो चुका था ,,,कुछ महीनों पश्चात डॉली के पिता की हालत ज्यादा खराब हो चुकी थी,जब सरकारी अस्पताल में दिखाया तो डॉक्टर ने सिर्फ 4 या 6 दिन का मेहमान बताकर उसे पुनः घर भेज दिया ,,,
उसकी मम्मी और मामा अच्छी तरह से समझ रहे थे कि ये इतने ही दिन का मेहमान है ,,,अब बस उन्हेंएक ही चिंता थी डॉली के वो दो कमरों का घर जो स्वयं ब स्वयं डॉली के 18 वर्ष होने के पश्चात उसे मिल जाता उसको कैसे हड़पा जाए तो बस पिता की बेहोशी की हालत में उनशे अंगूठे का निशान ले लिया और दस्तखत भी करवा लिए और इससे पहले कि कोई लफड़ा खड़ा
हो,, लगे हाथ उसको 7 लाख में बेच दिया ,,,
परइसे बात के 2 महीने पश्चात ही डॉली के पिता भी 1 दिन भगवान के पास चले गये अबइसे दुनिया में डॉली बिल्कुल अकेली थी ,,वह 8 वर्ष की मासूम बच्ची जो अपनी मम्मी के कलेजे का टुकड़ा थी जिसके डॉली आंखों को देखते हुए उसकी मम्मी ने बड़े ही प्रेम से उसका नाम डॉली रख दिया था ,, अपनी मम्मी के जाने के पश्चात कुछ ही महीनों में बिल्कुल मुरझा चुकी थी ,डॉली का घर भी बिक चुका था ,,जब तक डॉली के पिता थे तो घर खरीदने वालो ने इन पर दया दिखाते हुए इन्हें यहां से जाने के लिए नहीं कहा था ,,,पर जैसे ही पिता चल बसे तो दूसरे दिन ही आकर उसने अपना रंग दिखाना शुरुआत किया और स्वच्छ शब्दों में कह दिया कि 8 दिन के अंदरउन्को अपना घर खाली चाहिए ,नहीं तो दोबारा वे अपने तरीके से खाली करवाएंगे ,,,उसकी मम्मी और पियक्कड़ मामा ने डरते हुए आनन-फानन में अपना सामान बाधा और उसी गंदी बस्ती में चले गए जहां से वह आए थे ,,,वे चाहते तो डॉली को यहीं छोड़कर भी जा सकते थे,, परउन्को तो संग ले जाने में फायदा ही था,,,
लड़की जात थी पता था घर के चार काम करेगी और जैसे ही थोड़ी बड़ी होगी तो 4 घरों में भी काम करके पैसे कमा लेगी ,,सो उसे भी अपने संग ले गए ,,
फिर क्या था ऐसी बस्तियों में ऐसे परिवार में जो होता है वही होता था ,डॉली अपनी सौतेली मम्मी मामा और दोनों बहनों का पूरा काम करती ,खाना बनाती ,,,और जैसे ही वह ^^^^^ वर्ष की हुई तो उसकी मम्मी अपने संग उसे भी काम पर ले जाने लगी ,,,,और धीरे-धीरे तीन से चार घरों का झाड़ू कटका और स्वच्छ सफाई करने के लिए उसे लगा दिया,, अब डॉली को काम करते-करते 4 वर्ष बीत गए थे ,,,पर डॉली के संस्कार जो बचपन में उसकी मम्मी ने उसे दिए थे आज भी उसके संग थे ,,,,वह ना किसी से कुछ बोलती ना कहीं बस्ती में घूमती ,,सीधा काम पर जाती और काम से सीधे घर आती परएक दिन जब इसी तरह शाम को 6 7 बजे के करीब डॉली काम से घर लौटी तो अंदर कुछ आवाजें सुनकर उसके कदम दरवाजे पर ही ठिठक गए ,,,
उसके घर मेंकुछ तीन चार लोग बैठे हुए थे ,,जो कुछ अजीब सी बातें कर रहे थे बीच-बीच में पैसों की भी बात हो रही थी ,,वह भी लाखों में पहले तो डॉली की कुछ समझ में नहीं आया ,,
पर जब धीरे-धीरे उसने उनके बीच होने वाली बातें सुनी तो वह जान गई ,,कि उसकी मम्मी और मामा डॉली का ही सौदा किसी से करने वाले हैं,,,जहां ये कहते हुए मामा 10 लाख पर अड़ा था ,,,कि डॉली,,,,,डॉली नही किसी फिल्मी हीरोइन से कम नहीं है,,, यदि उसे किसी अच्छी स्थान जाकर उसका सौदा किया जाए तो 10 नहीं 20 लाख मिलेंगे वहीं दूसरी तरफ खरीदने वाला 8 लाख पर सौदा पक्का करना चाहता था,,,पर अंततः 10 लाख में ही बात हो गई ये सुनकर डॉली के पैरों तले से तो जैसे जमीन ही खिसक गई थी 17 वर्ष की वह मासूम बच्ची बुरी तरह घबरा गई ,,
जहां वह रह रही थी ,यह स्थान भी किसी नर्क से कम न थी ,,,जो उसे दूसरे नरक में भेजना चाहते थे,, कुछ भी हो पर अभी तक डॉली ने अपनी इज्जत को सुरक्षित रखा था ,बस्ती में कभी किसी की हिम्मत नहीं हुई जो उसे आंख उठाकर भी देख सकें,,, पर अब उसे बचाने वाला कौन था,,,जैसे ही डॉली ने सोचा कि मैं अभी यहां से भाग जाऊ,, जहां काम करती है उनके इधर चली जाए तो शायद वह डॉली की कोई मदद कर पाए ,,,,पर जैसे ही जाने को हुई उसके दुपट्टे में उलझ कर फटाक से दरवाजे की आवाज आई,,, इससे पहले वह भागती उसके मम्मी और मामा ने आकर उसे दबोच लियाऔर अंदर के कमरे में बंद कर दिया,,,,
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अब रोने के अलावा उसके पास कोई दूसरा चारा नहीं था,,, वह मम्मी और मामा से रो-रोकर मिन्नतें करने लगी बुरी तरह चीखने चिल्लाने लगी पर उसकी आवाज सुनने वाला कोई नहीं था,,
अब तो उसकाएक ही सहारा था उसके कान्हा जी, उसके लड्डू गोपाल जिनकी आराधना वह बचपन से करती आ रही थी उसे अच्छी तरह से याद है ,जबएक बार बाजार गई तो दूसरे बच्चों की तरह वह भी राखी खरीदने की जिद करने लगी तब उसकी मम्मी ने कहा कि डॉली तेरा तो कोई भाई ही नहीं है किसे राखी बांधेगी। तब दुकान पर रखी हुईएक बड़ी सी कान्हा जी की मूर्ति (लड्डू गोपाल ) पर निधि की निगाह गई और डॉली ने उन्को अपनी गोद में उठा लिया,,, मम्मी मैं कान्हा जी को अपना भाई बनाऊंगी और इन्हें ही राखी इन्हें ही राखी बांधूगी ,,,यह देख कर डॉली की मम्मी की आंखों में भी
खुशी के आंसू आ गए थे,,, उन्होंने झट से कान्हा जी की की निछावर के पैसे दुकानबाले को दिए,,,और उनके लिएएक सुंदर सी रेशम की राखी भी खरीदी ,,,बस तब से हमेशा डॉली कान्हा जी को ही अपना भाई मानने लगी थी ,,, और मम्मी के जाने के पश्चात तो जो भी सुख दुख की बातें होती वह कान्हा जी से ही कहती ,,,तो बस अब उसका सहाराएक यही थे
जिनके आगे हाथ जोड़कर वह आंसुओं से अपनी सारी बातों को कहती जा रही थी ,, डॉली को रोते रोते हुए ज्यादा रात हो गई थी और उसे पता भी नहीं चला कि कब उसकी आंख लग गई थी,,,,और उसके पश्चात सच में चमत्कार हो गया दूसरे दिन जब सुबह डॉली की आंख खुली तो सुबह-सुबह ही बस्ती में भगदड़ मची हुई थी,,, पुलिस का छापा पड़ रहा था माइक से अनाउंसमेंट की जा रही थी ,कि बस्ती को जल्द से जल्द खाली किया जाए,,, लोग अपना सामान निकाल निकाल कर घरों सेबाहर् निकल रहे थे,,, बस्ती में क्रेन भी आ चुकी थी ,जो लोग नहीं निकल लेउन्को जबरदस्ती निकालकर उनके सामान के संग ही उस पर चलाया जा रहा था ,,मरता क्या न करता ,,इस भगदड़ में डॉली की मम्मी और मामा भी अपना सामान समेटने लगे ,,पर दोबारा भी बह डॉली को अपने हाथ से नहीं जाने देना चाहते थे,,,,तो उन्होंने सोचा क्यों न डॉली के हाथ पांव बांधकरएक बक्से में बंद करकेइसे बस्ती से से निकाल ले ,,और जाकर अपने काम को अंजाम दे ,,,,पर ये सभी करने से पहले ही उनके दरवाजे पर
पुलिस की दस्तक होने लगी ,,और जब दरवाजा नहीं खूला तो दरवाजा तोड़कर पुलिस अंदर आ गई ,,,
तब डॉली नेइसे बात का फायदा उठाकर बिना कुछ सोचे समझे अपनी कान्हा जी की मूर्ति ली और इसी भगदड़ में बेतहाशा दौड़ पड़ी ,,,,,वह सबको पीछे छोड़ते हुए बस्ती से करीब चार-पांच किलोमीटर दूर निकल आई थी,,,,,,
डॉली उस बस्ती से दूर यहां आ तो गई ,पर दौड़ते दौड़तेएक ऐसी स्थान पहुंची , जहां दूर-दूर तक किसी घर या घर का कोई नाम नहीं था ,हांएक लाइन में कुछ छोटे ट्रक खड़े हुए थे और पास के ही खेतों से कुछ चार पांच लोग सब्जियों के बोरे ट्रकों में लाद रहे थे,, डॉली ने कुछ देर अपने आपको यहां छुपा रखा था ,,,बह सोच नहीं पा रही थी, कि अब यहां से जाए कहां ,,,फिर जो लोग हैं वह भी पता नहीं कैसे हैं किसी को देखकर उसके बढ़िया या बुरा होने का अंदाजा कैसे लगा सकते हैं, तो बस अपने कान्हा जी को गोदी में लेकर बैठकर उनका ही नाम जप रही थी,,, तभी ट्रक की ओट से उसे अपनी मम्मी और मामा इसी तरफ आते हुए दिखे डॉली ने अपना मुंह बंद कर लिया नही तो शायद उसकी चीज ही निकल जाती,,,, और तभी उसे उसी ट्रक के स्टार्ट होने की आवाज आई ,,जिसके पीछे वह छुपी हुई थी ,,अब उसके पास सिर्फएक ही चारा था कि वह उस ट्रक में बैठ जाए वर्ना ट्रक जाने के पश्चात वह आसानी से डॉली को पकड़ लेते ,,उसने सभी कुछ कान्हा जी के हवाले छोड़ते हुए स्वयं को ट्रक में रखी हुई बोरियों के बीच छुपा लिया,, अब ट्रक स्टार्ट होकर आगे
बढ़ने लगा था ,,,अब वह कहां जा रही है, क्या कर रही है उसने कुछ भी नहीं सोचा था ,बसइसे वक्त वह अपनी मम्मी और मामा से अपनी जान बचाना चाहती थी, वरना तो शायद डॉली का यही सबसे बुरा टाइमथा ,जब उसे उस नर्क में झोंक दिया जाता ,,उसे तो सबसे बड़ा सहारा अपने कान्हा जीका था और उसे विश्वास था ,कि उसके कान्हा जी उसकी रक्षा जरूर करेंगे ,,,1 घंटे बादएक ढाबे पर जाकर ट्रक रुक गया ,,तभी कुछ लोग जैसे ही बोरियां उतारने के लिए हुए तो ट्रक मालिक की आवाज आई ,,कि अभी तुम सभी जाकर खाना खा लो ,थोड़ा आराम कर लो, उसके पश्चात बोरियां उतार कर अंदर रख देना ,,,और इतना टाइमडॉली के लिए बहुत था कि वह उतरकर कहीं और चली जाए ,,,जब उसे किसी की आवाज नहीं सुनाई दी और वह समझ गई कि सभी लोग जा चुके हैं ,,,तो धीरे-धीरे से खड़े होकर ट्रक में से इधर उधर झांकने लगी कि आस-पास क्या है ,उसने देखा कि यहां भी दूर-दूर तक बस्ती नजर नहीं आ रही है ,यहएक मेंन रोड था जो सीधा शहर के लिए जाता था ,और यहाँएक ढाबा बना हुआ था ,,,और शायद उसी ढाबे के लिए ये सब्जियां लाई गई थी
सबसे आगे ढाबा था,बगल में बहुत स्थान पड़ी हुई थी जहां 10 बारह खटिया बिछी थी ,कुछ प्लास्टिक की
कुर्सियां और दूसरी तरफएक बढ़ी सी हौदी
(पानी का टैंक) बना था जिसमे लोग हाथ मुँह धो रहे थे, ढाबे के पीछे बहुत स्थान छूटी हुई थी ,जिसके अंदर दो ट्रैक्टर दो लोडिंग ,,औरएक खुली हुई जीप रखी थी ,,बगल मेंएक बड़ा सा सेड भी डला था,,,, जिसके नीचे 5,,,6 भैंसे बंधी हुई थी और अंदरएक बड़ा सा घर भी बना था ,,,पर घर के अंदर याबाहर् कोई भी नजर नहीं आ रहा था ,,दावे के पीछे वाली स्थान में बहुत बड़े-बड़े पेड़ पौधे, फूल पत्तियां ,और सब्जियां लगी हुई थी ,,अमरूद काएक बड़ा सा पेड़ भी लगा
था ,,,, जिसमें अमरुद लदे हुए थे ,,,डॉली ने अच्छी तरह से सारी स्थान का मुआयना कर लिया,ढाबे में बहुत चहल-पहल थी ,,सर्दियों के दिन थे तो उपरि से धूप भी अच्छी लग रही थी,,,पर डॉली को भूख भी ज्यादा तेज थी ,,उस बेचारी ने तो कल रात से ही कुछ नहीं खाया ,, जब सब्जी की बोरियो में झांका तोएक मे टमाटर और दूसरी में मटर दिखी भूख में तो इंसान कुछ भी खा लेता है, ये तो दोबारा भी ताज़ी और हरी सब्जियां थी जो अभी खेत से तोड़कर लाइ गई थी,,,फिर क्या डॉली ने जल्दी से 6,7 टमाटर और कुछ कुछ मटर की फलियां निकाली ,और वही बैठ कर खाने लगी
जब जी भर गया और धूप से बदन सिका तो नींद भी आने लगी और कुछ ही देर में कान्हा जी को गोद मे लेकर वही ढेर हो गई,,,,आखिर थी तो 16 वर्ष की बच्ची ही ,ये बात और है कि भगवान ने जिम्मेदारिया
कुछ ज्यादा ही देदी थी,,,
शाम के 500 बज चुके थे और सर्दियों में तो 500 ही धूप लौटने लगती है जैसे ही धूप ने मुंह फेरा तो ठंड की वजह से डॉली की आंख खुल गई ,,और देखा कि कुछ लोग इसी तरफ आ रहे थे ,,,शायद सब्जियों के बोर उतारने,,, कुछ ठंड से और कुछ डर से डॉली किसी सूखे पत्ते की तरह कांपने लगी ,,,,जैसे ही बोरियां उतरना शुरुआत हुई धीरे-धीरे धीरे वह पीछे की तरफ जा रही थी ,,,पर कितना छुपती अंततः जब आखिरी बोरी उतरी तो बोरी उतारने वाले लोगों ने चिल्लाते हुए कहा ! भैया जी ये देखिए जरा ,,,,
और वहां से आवाज आई ,,अभीदेख्ना क्या है जो भी बोरी बची हैं नीचे लेकर आ ,,,
तभी यहां सेएक पुरुष ने दोबारा आवाज़ लगाई ,,,भैया जी बोरी तो सारी उतर चुकी है ,पर अपनी लोडिंग मेंएक छोरी बैठी हुई है !
क्या तेज आवाज के संग वह दौड़ता हुआ ट्रक के पीछे खड़ा हो गया,, ,,,,लंबा ऊंचा कद , धूप में दबा हुआ सांवला रंग ,चुस्त तंदुरुस्त बदन ,टाइट जीन्स ,सुर्ख रेड बनियान पर जैकेट और ,माथे पर बंधी हुई ,चौड़ी पट्टी,,,,अच्छी शक्ल पर आँखों मेएक ज़िद और गुस्सा,,,जो पता नही किसके लिए था,,,,एक उड़ती सी निगाहे से डॉली को देखा और कहा ए चल उतर नीचे ,,,,जब डॉली ने उसकी तरफ देखकर कुछ कहने की हिम्मत की तो,,, उसकी आंखों से बुरी तरह डर गई और बिना कुछ कहे पलट कर खड़ी हो गई,,,,
ओए क्या तू ऊँचा सुनती है रे ,,चल फटाफट से नीचे आजा डॉली ने जब भी कोई जवाब नहीं दिया,,
तब उसके हाथ में जो डंडा था उसको जोर से ट्रक के उपरि बजाते हुए तीसरी बार उसने गुस्से में आवाज लगाई देख तू अपुन का भेजा खराब मत कर, मैं तेरे को 2 मिनट देता हूं नीचे आ जा वरना तेरी तो,,,,,,,
इस बार डॉली पलटी और दौड़कर ट्रक के किनारे खड़ी हो गई ,,,,,वह दोबारा बोला तू मेरे को क्या देख रही है उपरि नीचे,, तब डॉली ज्यादा मुश्किल से बोल पाई ,,,
मैं यहां से कूदूंगी तो गिर जाऊंगी,,, आप इसके नीचे कुछ रखा दीजिए ,,,,
देख ट्रक इतना भी ऊंचा नहीं है कि तू गिरे और तेरी हड्डी पसली चूर हो जाए ,,,चल अब ज्यादा नौटंकी करने का नई,,,,,
जी मैं सच में नहीं उतर पाऊंगी आप इसके नीचे कुछ रख दीजिए ,,,,,,तब उसने आसपास नजर दौड़ाई तभी वहां मटर की कुछ बोरियां रखी थी ,,,,बगल वाले लड़के को आवाज देते हुए कहा वह तुम दोनों आकर ये मटर की बोरी ट्रक के नीचे बिछा दो उस पर कूद जाएगी ,,,
डॉली ने कोशिश की पर उसे अब भी डर लग रहा था ,,,
जी इसके ऊपरएक बोरी और रख दीजिए वरना मैं गिर जाऊंगी ,,,,,
तब उसने थोड़ा परेशान होकर डॉली की तरफ देखा और कहा ,,,,,ओ,ओ,ओ,, महारानी चल फटाफट से
कूद जा कि मैं उपरि आकर धक्का दे दूं तुझे ,,,,
तब डॉली डर गई और कान्हा जी को वही बिठाकर मटर की बोरी के उपरि छलांग लगा दी ,,,,लंबा सा स्कर्ट ढीला ढाला टॉप बंधी हुई दो चोटी और ठंड से कांपते हुए डॉली उसके सामने जा खड़ी हुई ,,,,उसने उपरि से नीचे तक नहीं डॉली को देखा ,,डॉली के पैरों में चप्पल नहीं थी ,,और इतनी ठंड मेंएक भी स्वेटर उसके बदन पर नहीं था,,, जब उसने डॉली से पूछा ,,,,तू है कौन और अपन की लोडिंग में कैसे आई,,
डॉली ने कुछ कहना चाहा पर ठंड के मारे उसके होंठ और पूरा बदन थरथर कांप रहे थे ,,, ठंड सच में बहुत बढ़ती जा रही थी ,,,
तब उसने कुछ ना कहते हुए वहीं खड़े होकर ज़ोर से आवाज लगाई काकी यहां आओ,,,, और तभी अंदर से 50 ,,55 वर्ष कीएक स्त्री भागती हुई बाहरर आई क्या हुआ काहे घर सर पर उठा रहा है,,,,,
तब उसने डॉली की तरफ इशारा किया,,,
उस स्त्री ने डॉली के चेहरे को देखा, जिसमे डर और घबराहट स्वच्छ दिख रहे थे ,,,वह थोड़ी देर डॉली को देखती रही ,उसका मासूम चेहरा ,,और बड़ी बड़ी आंखें जोइसे वक्त किसी का सहारा चाह रही थी,,,, बह कुछ देर डॉली को देखती रही ,,,,
तभी उसने दोबारा आवाज लगाई ,,,काकी देख क्या रही है पूछ जरा इससे कहां से आई है ,कौन है ,,और इसको यहां सेबाहर् निकालो ,,,,,
उसके मुंह से ऐसी बात सुनकर बह स्त्री उस पर बुरी
तरह बरस पड़ी,,, तू इंसान है या राक्षस जरा भी दया धर्म है तेरे मन में ,,,,अरे देख ये मासूम ठंड से कैसे कांप रही है अपनी बकवास बंद कर और जल्दी से अंदर से इक वर्ष लेकर आ इसके लिए,,,, पर वह कुछ कहता इससे पहले ही काकी ने अपना उड़ा हुआ वर्ष डॉली के चारों तरफ लपेट दिया और उसे पकड़ कर अंदर ले जाने लगी ,,,तभी डॉली पीछे आती हुई बोली ,,,,, पर मेरे कान्हा जी बैठे हैं उनको भी अंदर ले चलो ,,,,,तब उस स्त्री ने डॉली की तरफ देखा और पूछा तेरे कान्हा जी हां मेरे कान्हा जी ट्रक में ही है जब मैं उतर रही थी तोउन्को ट्रक में बिठा दिया था ,जिससेउन्को चोट ना आए ,,,,उसकीइसे बात पर वह ज्यादा जोर से हंस पड़ा था तब उस स्त्री ने डांटते हुए कहा,,, अभी हंसना बंद कर और ट्रक में से इसके कान्हा जी इसे देदे,,,,
औरएक ही झटके में वह ट्रक के उपरि छलांग लगाते हुए ट्रक में खड़ा था ,,,हां सच में कपड़े में लिपटी हुईएक लड्डू गोपाल की बड़ी सी मूर्ति रखी थी ,,उसने हाथ में लड्डू गोपाल को पकड़ा और आकर उस लड़की के हाथ में मूर्ति पकड़ा दी ,,,,अब काकी डॉली को लेकर अंदर जा चुकी थी,,,
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राज ने हाथ मुंह धोये और नजर इधर उधर डालते हुए रसोई में आ गया,,,थोड़ा रुक कर बहुत से पूछा काकी वह कहां गई
काकी उसकी बात का जवाब दिए बिना ही राज के खाने की तैयारी में लगी रही, राज काकी के पीछे रसोई में गया और दोबारा पूछा लगता है चली गई, बढ़िया ही हुआएक और आफत अपने गले पड़ जाती, अपुन को वैसे भी कुछ सरकी हुई लग रही थी वह ,काकी ने थाली लगाकर राज के हाथ में पकड़ाई और अपनी थाली लेकरबाहर् बड़े कमरे में आकर जमीन पर बैठकर खाना खाने लगी, राज को उन्होंने किसी बात का जबाब नही दिया था ,,,,,बस खाना शुरुआत करने के लिए बोला रात के 1030 बज चुके थे ,,रोज की तरह काकी बोलती जा रही थी, और राज चुपचाप रोटियां ख़त्म करने में लगा था,
ढाबे में चाहे लाख तरह के अच्छे व्यंजन बनते थे, पर जब तक काकी के हाथ की रोटी न खा ले उसका पेट नहीं भरता ,,,, काकी ने देखा जब राज खाना ख़त्म कर चुका है ,और सोने की तैयारी में था, उससे पहले ही काकी ने डॉली के बारे में चर्चा छेड़ दी,,,, डॉली पर तरस खाते हुए उसकी कहानी राज को बताने लगी,, जब राज ने सारी बात सुन ली,,,
तो बड़े गौर से काकी के चेहरे को देखते हुए उसने प्रश्न किया
काकी तू भी बड़ी भोली है तुझसे कोई कुछ भी कहेगा तो मान लेगी ,अरे क्या भरोसा उसके संग कोई हो कुछ ऐसा जो हमें नहीं दिख रहा हो ,,आजकल लोगों को लूटने के और नए नए तरीके के बहाने बनाने में देर नहीं लगती,,, देख अपुन का सीधा साधा काम है ढाबे का ,,,अपना ढाबा ,,,
ठरकी द ढावा
के नाम से वर्ल्ड फेमस है और अपुन नहीं चाहता कि उस पर कोई भी उंगली उठाए,,, अपुन किसी लफड़े में पढ़ने वाला नहीं है, अरे छोरी के पीछे क्या लफड़ा है ,साला कुछ समझ में नहीं आ रहा,,,, काकी तू इतनी जल्दी किसी की बात पर विश्वास कैसे कर सकती है,,, यदि कहीं वह लड़की झूठी निकली तो साला पुलिस का लफड़ा ज्यादा ही खतरनाक होता है ,,,,तू जेल जाएगी और साथ-साथ मेरे को भी ले। जाएंगी,,,
काकी ने राज की पीठ परएक चपत लगाते हुए कहा !!!तू जैसे उल्टी खोपडी का है ,,,वैसे ही उल्टे
खयाल तेरे दिमाग में आते हैं ,,,,अरे तूने कभी किसी की आंखों में ठीक से देखा है,,,, राज मेरी बूढ़ी आंखें किसी की आंखों में देखकर धोखा कभी नहीं खा सकती ,,,
वह मासूम इतना में भरोसे के संग कह सकती हूं, कि उसने जो भी कहा वह सच है लेकिन दोबारा भी तू अपनी तसल्ली के लिएएक बार जाकर बस्ती में पता लगा,,, तेरे मन की तसल्ली हो जाएगी तो बढ़िया ही होगा ,,,,बात तो तू किसी की मानने वाला है नहीं,,,,,
ठीक है कल मुझे वेसे भी बस्ती मैं जाना है कुछ काम है ,,तोइसे बारे में भी पता कर लूंगा ,लेकिन तू ये बता कि अभी वह छोरी है कहा,,,,
राज अभी वह मेरे कमरे में सोई हुई है और तू उससे कुछ नहीं कहेगा,,, कितनी भूखी थी बेचारी अरे इतना तो सोचो उसके कान्हा जी उसके संग है ,,और चाहे कुछ भी हो भगवान जी झूठ का संग कभी नहीं दे सकते, तू अभी जाकर आराम कर सुबह अपनी तसल्ली के लिए पता कर लेना,
पर सच कहूं मुझे तो उसमें अपनी बेटी ही दिख रही है ,मैं छोरी को घर से जाने के लिए कभी नहीं कहूंगी,, परएक बात अच्छी तरह से सोच ले यदि उसकी बताई हुई सारी बात सही निकली ,और तुझे उस बात से तसल्ली हो गई तो दोबारा तू उसकोइसे घर में रहने से मना नहीं करेगा,,,
क्या !!!!कहते हुए राजइसे बात पर बुरी तरह से चौक गया था ,इसे घर में रहेगी क्या मतलब छोरी
यहां क्यों रहेगी अरे यदि सारी बात सही हुई तो उसकी मदद करके पुलिस स्टेशन में बता देंगे,,, दोबारा उनकी जो मर्जी वो करें ,,,,अरे गरीब लड़कियों के लिए तमाम अनाथ आश्रम खुले रहते हैं ,,,सरकार उनकी मदद करती हैं ,तो दोबारा वो यहां क्यों रहेगी,,,,
देख राज एक बात अच्छी तरह से सुन ले यदि सच्चाई जानने के पश्चात तूने डॉली को घर से निकाला तो तेरी काकी भी उसके संग जाएगी, अब तुझे जो हो मंजूर हो तू बता देना ,,,,,
काकी तेरा दिमाग सटक गया है क्या
अरे 1 दिन की आई छोरी के लिए तू मुझे छोड़कर जाएगी ,,,,अरे 20 वर्ष से तू मेरे संग रह रही है,, हां राज मैं तेरे संग रह रही हूं ,और इसी अधिकार से तुझसे कह रही हूं ,,,एक अनाथ बच्ची को हम अपने घर में पनाह देंगे तो पूण्य का काम भी होगा और दोबारा हो सकता भगवान ने उसे इसीलिए आज तेरे ट्रक में भेजा हो ,कि उसे हमारे घर पर आसरा मिल जाए ,,,अरे तेरी ढावे में रोज 5,,,10 गरीब खाना खाते हैं ,,अगर ये बच्ची दो टाइम की रोटी खा लेगी तो तेरे यहां किसी चीज की कमी नहीं हो जाएगी,,,और दोबारा तुझे क्या तू तो सुबह से लेकर रात तक ढाबे में रहता है, मैं यहां अकेली घर पर दीवारों से बातें करूं क्या, अरे अब बुढ़ापे में इतना काम भी नहीं होता,,, बच्ची के रहने से घर में रौनक हो जाएगी और काम में भी मेरा हाथ बटा दिया करेंगी, यदि बुढ़ापे में मुझे थोड़ी सी खुशी मिल जाएगी तेरा क्या चला जाएगा अब तू जा,,,,,
मुझसे सुबह बात करना,,,, इतना कहकर काकि आई और डॉली के बगल में उसको अच्छे से रजाई उड़ाते हुए उसके उपरि हाथ रख कर सोने लगी,,, काकी को ना जाने क्यों उसके भोले चेहरे सेएक दिन में ही बड़ा प्रेम हो गया था उधर राज अपने कमरे में जाकर यही सोच रहा था कि ये काकी भी ना जिद पर आ जाए तो अपनी बात मनवा के ही रहती है ,,और बस रोज की तरह घोड़े बेच के सो गया,,,,
सुबह जब उठा उसके दिमाग मेंएक ही बात घूम रही थी, कि वह बस्ती जाए और जाकर पता करें कि ये बात सच है या झूठ और सच कहूं तो उसके मन में यही चल रहा था कि काश ये लड़की झूठ बोल रही हो तो इससे पीछा छूटे,,,उठकर हाथ मुँह धोया चाय पी और जीप लेकर चल पड़ा बस्ती की तरफ़,,, 1 दिन पश्चात ही बस्ती पूरी तरह से उजड़ी हुई लग रही थी, पुलिस ने ज्यादा सारी कच्ची झोपड़ियां क्रेन से तूड़वा दी थी, कुछ लोग कहीं बैठकर नारेबाजी कर रहे थे, तो कुछ अपॉजिट पार्टी के लोग उनके खिलाफ लड़ रहे थे,, पुलिस का पहरा अब भी वहां पर सख्त था,,, कुल मिलाकर पूरी बस्ती उजड़ी और वीरान लग रही थी, जब उसने कुछ लोगों से जाकर पूछा की बस्ती में रहने वाले लोग कहां है ,,,,तो सभी ने यही जवाब दिया कि अब कुछ नहीं पता ,,,अचानक से जिसको जहां स्थान मिली, जो जैसे भाग पाया भाग गया वहीं पास में 8,10
औरते बैठी थी ,जो बस्ती की लग रही थी ,,,राज ने
उनके पास जाकर ,,,डॉली का नाम लेकर डॉली के बारे मेंजान्ना चाहा ,,,पहले तो वो चुप हो गई ,लेकिन दोबारा उल्टा राज से प्रश्न किया,,, आप उसके बारे में क्यों पूछ रहे हैं ,,,,राज ने कहा कि वह मेरे यहां सफाई का काम करती थी ,और 2 दिन से आई नहीं बसइसलिये पता करने आया हूं,, तोएक स्त्री ने डॉली के बारे में दया दिखाते हुए उसकी परेशानी बताइ,,,,,
आप तो जानते ही होंगे कि वह अपनी सौतेली मम्मी के संग रहती थी मैं तो कहती हूं बढ़िया ही हुआ वह आजाद हो गई , तो बढ़िया है अरे उसके जैसी गन्दी स्त्री तो कोई दूसरी नहीं होगी,,, सुनने में तो ये भी आया था कि वह डॉली का सौदा करना चाहती थी,,,पर आगे का भगवान जाने उसके संग क्या हुआ कहां गई हम कुछ नहीं जानते,,,, राज ने यही बात वहां पर तीन चार स्थान जाकर पता कि ,,और हर स्थान उसे यही उत्तर मिला,,एक स्थान तो उसने डॉली की फोटो तक दिखाइ जो मोबाइल में खींचकर लाया था,,, यही जवाब मिला और उसे पूरा यकीन हो गया कि जो भी कह रही है वह सच है,,,, जब घर गया और काकी ने पूछा लगा लिया पता क्या हुआ ,,,
तव वह कुछ बोल नहीं पाया लेकिन आज उसकी आंखों में उस लड़की के लिए दया और , उसकी मम्मी के लिए गुस्सा स्वच्छ झलक रहा था ,,,,उसने गाली देते हुए कहा साली अपन को उसकी मम्मी मिल जाए तो अभी के अभी उसको जेल की चक्की पिसवा दूं,,,, काकी ने
राज को शांत करते हुए उसे पानी पिलाया ,,,,और हंस कर बोली राज अब इसको रहने की इजाजत है कि नहीं,,,
राज ने कहा कि क्यों तू अपन को शर्मिंदा करती है,,,,
अपन अपनी हरकत के लिए पहल ही ज्यादा ,,,,,,,
काकी जैसा तू चाहती है वैसे ही होगा पर कल के दिन यदि पुलिस आकर पूछती है ये पता करती है उसके बारे में तो हम क्या कहेंगे ,कि कौन है लड़की कहां से आई है,,, बेटा इसकी चिंता तू मत कर, बस तूने हां कह दी है ,,
डॉली को कैसे अपने पास रखना है ये मैंने अच्छी तरह से सोच लिया है ,,,अरे वह जो स्त्री मोर्चा की बहन जी है ना ,अपने यहां कभी-कभी आती रहती हैं,, तो आज सुबह ही वह हमारे घर पर आई थी ,और मैंनेउन्को डॉली की सारी कहानी बता दी ,,डॉली के बारे में सभी कुछ बता दिया, और उन्होंने कहा है कि हमें पुलिस में जाकर सभी बताना होगा सारी सच्चाई जो भी है ,,और दोबारा हमें डॉली को अपने पास रखने की इच्छा बताकर हम इसकी जिम्मेदारी ले लेंगे,,,,,
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