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बाब
ू
जी की फैमिली_(ख़ानदानी च
ुदाई का मिलमिला)
लेख़क-
कहानी के मख्यु ककरदारों से आपका पररचय:
बाबजू ी- नाम राजपाल, उमर 45 साल, क़द 5’9”, रंग गेहुंआ, पतली मछू रखते हैंऔर पदै ाइश से उनके दाहहने
हाथ कीएक उंगली और बीच की उंगली जुड़ी हुई हैं। इसकाइसे कहानी में बड़ा योगदान है।
राजकुमार उर्फ राज-ू घर का सबसे बड़ा लड़का, उमर 32 साल, क़द 6’2” इंच, रंग गोरा, इनकी खाससयत पश्चात में
बताएंगे।
मीना उर्फ समन्नी- घर की सबसे बड़ी बहूऔर राजूकी पत्नी, उमर 31 साल, रंग गोरा, क़द 5’6” इंच। येएक
गरीब घर की पैदाइश हैं। बड़े पररवार की सबसे बड़ी लड़की। इनके घर में कोई भी सगा भाई बहन नहीं था।
इनके पपता ने दो शाहदयां की। पहली से समन्नी हुई और दो वर्ष की उमर में मााँका देहांत हो गया। उसके पश्चात
पपता ने दसू री शादी की और उनसे दो लड़के औरएक लड़की हुई। वो सबएक गॉव में रहते हैं।
सजु ीत- घर का मझला बेटा, उमर 30 साल, रंग काला, क़द 5’8” इंच। इनकी खाससयत हैइनका हाँसमखु स्वभाव
और वो भी अपने को लेकर। सबके बीच अपना ही मजाक बना लेते हैं।
राखी- सजु ीत की पत्नी, उमर 28 साल, रंग गोरा, क़द 5’9” इंच, इनकी खाससयत कक ये घर के हर सदस्य से
प्यार करती हैं, और उनका हर तरह से खयाल रखती हैं। हााँ… पर घर के काम में कुछ कमजोर हैं।
संजय- घर का सबसे छोटा बेटा, उमर 29 साल, रंग गेहुंआ, क़द 5’11” इंच, पढ़ाई में अव्वल, काम में तेज,
हदमाग से तेज, ज्यादातर इन्हें चुप रहना पसदं है, पर जब बोलते हैंतो बाकी लोग सनु ते हैं। इनकीएक और
खाससयत है और वो है मस्ती में आकर इनका जंगलीपन। यदि कभी ये दारू पीकर टन्न हो जाएं तो जैसे की
बाकी लोग लढ़ुक जाते हैंये उसका उल्टा करते हैं। येऔर भी आक्टटव हो जाते हैं। ये खाससयत इनके बहुत
काम की है।
सखी- घर की सबसे छोटी बहूऔर सजं य की पत्नी, उमर 23 साल, रंग सांवला, क़द 5’1” इंच, सबसे चुलबलु ी,
और सबसे घलु -समल के रहने वाली। इनकी खाससयत है इनकी र्ै शन सेन्स। ककसी भी ड्रेस में ये अच्छी हदखती
हैं। दसू रे इनकी खाससयत हैइनके खूबसरूत बाल, इनके बाल इनकी कमर से भी नीचे तक लहराते हैं और ये
उनका ज्यादा खयाल भी रखती हैं।
ये सभी सदस्यएक ही घर मेंएक छोटे से शहर में रहते हैं। जैसा की छोटे शहरों में होता है गली मोहल्ले के
लोग इन्हें अच्छे से जानते हैंऔर आपस की खसुशयों और गम में शासमल होते हैं। पर छोटे शहरों कीएक
खाससयत और भी हैऔर वो हैबदं कमरों के पीछे होने वाली कहाननयां। जो चीजें बड़े शहरों में खुलेआम बबना
पदों के होती हैं वोही चीजें छोटे शहरों में पदों के पीछे होती हैं। यदि पड़ोसी को पता चल जाए तो बात कहााँ की
कहााँपहुाँच सकती है। परइसे घर का हहसाब थोड़ा अलग है।
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ये घर शहर में होते हुए भी थोड़ा अलग है। टयोंकीइसे घर के चारों तरर्एक बड़ा आाँगन है। और हो भी टयों
ना हो आफ्टर आल बाबजू ी शहर के परुाने रईसों में सेएक हैं। परूा घर और आाँगन समलाकर 4 एकड़ के करीब
जगह है। चारों तरर् 8 र्ुट की दीवार और बीचोबीच 6 बेडरूम का मकान। घर की एंट्री के बादएक ज्यादा बड़ा
ड्राइंग-रूम है। उससे लगता हुआएक बड़ा सा डाइननगं एररया और उसके संग ककचेन। इसके अलावा घर के दसू रे
हहस्से में सबके कमरे हैं क्जनकोएक कामन काररडोर जोड़ता है।
सबसे पहले बाबजू ी का कमरा हैऔर उनके ठीक सामने राजूका। उनके संग सजं य का और सामने सजु ीत का।
उनके पश्चात दो गेस्टरूम हैं। हर कमरे के साथएक अटैच्ड बाथरूम है।इसे तरह 3-3 कमरों के दो सेट काररडोर
के दोनों तरर् हैं। हर सेट के कमरों में आपस में भी एक-एक दरवाजा है क्जससे कीएक कमरे से दसू रे कमरे में
जा सकें ।
घर की छत पेएक दो कमरे का सेट है क्जसमें नौकरों के रहने का प्रबंध है।इसे घर में आज से पहले हमेशा
नौकर रहा है, पर जब से दीनूकाका का देहांत हुआ तब से कोई भी बढ़िया नौकर नहीं समल पाया। आजकल ये
पररवार घर में बबना नौकर के गजु ारा कर रहा है। बसएक नौकरानी हैकमला जो कक सबुह से लेकर शाम तक
घर के काम काज में मदद करवा देती है और चली जाती है।
“अरेबड़ी बहूइधर तो आना… टया कर रही है। यदि खाली है तो आ जा जरा…” बाबजू ी ने ड्राइंग-रूम के सोर्े पे
लेटे-लेटे आवाज दी।
“जी बाबजू ी, अभी आई… हां जी लीक्जए आ गई। बताइए टया काम है?” समन्नी ने कमरे में दाखखल होते हुए
कहा। क्रीम रंग की साड़ी का पल्लूअपनी कमर में दबाए वो बाबजू ी के सामने सोर्े पे बठै गई।
“टया कर रही थी बहू? देख ना तरेा सीररयल आने वाला है। चल दोनों समल के बठै कर देखते हैं। टया कुछ काम
कर रही थी टया?” बाबजू ी ने पछू ा।
“जी नहीं, बस काम खतम करके अपने कमरे में ससु ताने जा रही थी। आजकलइसे सीररयल में मन नहीं
लगता। जब से उस हीरोनयन का पनत मरा हैतब से ये बेचारी सर्ेद साड़ी में घमू रही है। मझु े तो इसपर तरस
आता हैऔर इसके परुाने बायफ्रेंड पे भी जो आज तक इसके आगे पीछे घमू रहा है। देखखए ना बाबजू ी ये समाज
की कैसी परेशानी है कक दो प्रेम करने वालेआपस में समल भी नहीं सकत।े तो टया हुआ कक वोएक पवधवा है,
तो टया उसे प्रेम का हक नहीं है? टया उसके सीने में और उसके बदन में मेरी जैसी आग नहीं लगती होगी?”
समन्नी ने थोड़ा उदास और थोड़ा गस्ुसे में कहा।
“अरी बहू, तूटयों गस्ुसा होती है? ये तो बसएक नाटक है, कोई हकीकत थोड़े ही है, और कर्र तझु े टया तरेे
पास तो राजूहैना। या कर्र बात कुछ और है? बता मझु े यदि वो आजकल तरेा खयाल नहीं रखता तो दो चााँटे
दाँगू ा उस…” े बाबजू ी ने गस्ुसा हदखाया।
“बाबजू ी, आप गस्ुसा ना करो और ना हीउन्को चााँटा मारना पर सच तो ये है कक वो आजकल मेरी भखू नहीं
समटात।े मैंप्यासी रह जाती हूाँऔर वो अपने मजे लके र सो जाते हैं। पता नहीं कभी-कभी तो मझु े लगता है कक
इनका कोई और लर्ड़ा चल रहा है…” समन्नी उदास हो गई।
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सबसे पहले नई थ्रेड शुरुआत करने
के लिए ज्यादा बहुत बधाई ।
शुरुआत शानदार है ।
चरित्रों का परिचय भी शानदार
ढंग से दिया गया है ।
3 बेटों के संग कमसे 2 शादीशुदा
बेटी भी होनी चाहिये.
और मज़ा आता ।
थोड़ी कमी शब्दों के उच्चारण में हो रही है । थोड़ा रुक कर कमी को दूर करके तब अपडेट पोस्ट करो । ये कमी दूर की जा सकती है ।
मख्यु ककरदारों से आपका पररचय
(मुख्य किरदारों से आपका परिचय)
कृपया उच्चारण ठीक करो.
Congrats brother for new kahani. bdiya start brother.sabhi character bdiya h.and ap bass thodi writing skills par dhyaan dijiye .aur too baki sab thik h.
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“अच्छा… तो तूने पिछली बार मुझे क्यों नहीं बताया? कब से चल रहा है? 3 दिन पहले ही तो हम संग थे तब तो तूने कुछ नहीं किया .
"अरे नहीं बाबू जी ये परसो रात से चल रहा है । परसो रात इनका कितना ख्याल रखा, मन लगाकर इनको कितना चूसा गोटियो को सहलाया पर ये कुछ करने के मूड में नहीं आए, और जब मै इनके मुंह पर चढ़ी इन्होंने बड़े अनमने ढंग से मेरे मुनिया में अपनी जीभ दी, मुझे तो कुछ समझ में नहीं आई.
सच कहती हूं बाबू जी यदि उस रात आपके संग करती तो मेरा कम से कम 4 बार होता । इनको देखो बस 1 बार किया और सो गए । और तो और तबसे दिन में 1 बार नहीं किया मेरे संग । और ये कहकर." मिन्नी सुबकने लगी
अरे अरे. तू रोती क्यू है मेरे होते हुए? मैं उसे सभी सिखाऊंगा आज रात । आज तुम रात को राजू को लेकर मेरे कमरे में आना। मुझे पता है की तेरा खयाल कैसे रखना है। आखिर तू घर की बड़ी बहू है और मेरी प्यारी बहु है । चल अब चुप हो जा देख तेरे पास आने से मेरा क्या हाल ही गया । देख मेरे धोती में तम्बू बन गया ।
चल आ मेरी प्यारी बहू चल आ अपने ससुर जी का ख्याल कर और अपनी मुनिया लगाइसे तम्बू पे ,
येसे रोते नहीं है आ का मै तेरे तेरे होठों पर हंसी ला दू . और देख मुझे पता है तुझे कैसे हंसना है । और देख मैंने धोती भी खोल दी , अब तो लगा दे अपने होंठइसे बेचारे पे . बाबूजी ने अपनी धोती खोलते हुए मिन्नी के चूचे सहलाए
“हाययी… कभी-कभी तो मन करता है कि आप ही को अपना मर्द बना लूं। आप कितने अच्छे से समझते हो मुझे। सच में यदि और ये ऐसे चले तो मैं आपके कमरे में शिफ्ट हो जाऊंगी, कम से कम आप मेरे नंगे बदन को देख कर दो तीन बार करोगे मुझे। ना की इनके जैसा जोएक बार भी नहीं कर पाते आजकल । अरे ये क्या बाबू जी ?
आपका तो सुपाड़ा लाल हुआ पड़ा है और ये खरोच कैसी है नीचे के हिस्से में ? “हाययी… दईया ये तो आपके गोटियों पर भी खरोच है. ये सभी क्या हो गया ? मिन्नी ने अपने ससुर जी का लोड़ा सहलाते हुए कहा
उसकी उसकी नजर उनके लण्ड पर टिकी की हुई थी देखती जा रही थी और सहलाए जा रही थी
“उउंम्म बहू, तू चिंता ना कर, बस चल अब अपने होठों की मुस्कान इसपे चिपका दे । देख कैसे तरस रहा है ।
तुझे याद है ना कि 4 दिन हो गए तुझे इसे चूसे हुए।
3 दिन पहले भी सिर्फ इसे अपने भोसड़े में लिया था।
उस दिन तेरे मुंह में दर्द था और तूने मना कर दिया था।
अब आज तो दर्द नहीं है ना? तो चल मेरी रानी आ जा इसे प्रेम से अपने होठों से पुचकार दे…” बाबूजी अब सोफे के सामने खड़-ेखड़े अपना मोटा लण्ड मिन्नी के
चेहरे के सामने लहरा रहे थे।
“हां बाबूजी, मुझे सभी याद है, और
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