नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम महेश कुमार है और मैंएक सरकारी नौकरी करता हूँ। मैं आपको पहले भी बता चुका हूँ कि मेरी सभी कहानियाँ काल्पनिक हैं जिनका किसी से भी कोई सम्बन्ध नहीं है यदि होता भी है तो ये मात्रएक संयोग ही होगा।
मेरी पिछली कहानी (एक हसीन गलती) में आपने मेरे व सुमन दीदी के बारे में पढ़ा, ये उसी टाइमकाएक छोटा सा वाकिया है लिख रहा हुँ… उम्मीद है ये भी आपको पसन्द आये.
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चलो अब सीधा कहानी पर आता हुँ। जैसा की आपने मेरी पिछली कहानी मे पढा, सुमन दीदी के संग तो मेरे सम्बन्ध चल ही रहे थे. इसी दौरान मेरी पायल भाभी के मायके में उनके पड़ोसी की लड़की की शादी थी।
मेरी भाभी के घर वालों के संग उनके अच्छे सम्बन्ध थे इसलिए उन्होंने हमारे इधर भी शादी का निमन्त्रण भिजवाया था, और वैसे भी जिस लड़की की शादी थी वो मेरी भाभी की बहुत अच्छी सहेली है।
जैसा आपने अभी तक मेरे व मेरे परीवार के बारे में पढ़ा, मेरी मम्मी की तबियत खराब रहती है इसलिए मेरी भाभी अपने मायके में ज्यादा ही कम जाती थी और जाती भी तो बसएक या दो दिन के लिये ही जाती ताकि हमें घर के काम की दिक्कत ना हो।
अब घर पर काम करने के लिये सुमन दीदी है, ये सोच कर मेरी भाभी भी उस शादी में जाना चाह रही थी और इसके लिये मेरे मम्मी पापा ने भी हामी भर दी थी, पर समस्या ये थी कि भाभी के संग कौन जायेगा.?
पहले जब मेरे भैया घर पर होते तो वो उनके संग चले जाते थे मगर मगर आपको तो पता ही है मेरे भैया आर्मी में है और उनको छुट्टी टाइमसे ही मिलती है इसलिए भाभी के संग जाने के लिये मेरे सिवाय और कोई था भी नहीं।
वैसे सुमन दीदी को छोड़कर मेरा जाने का दिल तो नहीं कर रहा था मगर मैं भाभी को मना भी नहीं कर सकता था, उपरि से मेरे पापा ने भी मुझे भाभी के संग जाने के लिये बोल दिया था।
खैर दो दिन की ही बात थी, इसलिए मैं भाभी के संग जाने के लिये तैयार हो गया और शादी सेएक दिन पहले ही हम भाभी के मायके पहुँच गये।
बढ़िया कहानी चल रही है। महेश के तो दोनों हाथों में लड्डू है पायल भाभी ना मिली तो संगीता भाभी ही सही
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हमारे घर पहुँचते ही अब भाभी के घर वाले खुश हो गये। वैसे मै इधर बताना चहुँगा की मेरी भाभी के घर में बस उनके मम्मी पापा, भैया भाभी और उनकाएक लड़का ही है, जो उस टाइमबस तीन वर्ष का ही था।
मेरी भाभी के भैया भी आर्मी में ही नौकरी करते हैं। मगर उनको छुट्टी नहीं मिली थी इसलिए वोइसे शादी में नहीं आये थे।
इससे पहले भी दो तीन बार मैं अपनी पायल भाभी के संग उनके मायके में आया हुवा था इसलिए भाभी के सभी घर वाले मुझे अच्छे से जानते थे। मैंने भी अब उनका अभीवादन किया और ड्राईंगरूम में जाकर बैठ गया।
मेरी भाभी ज्यादा ही कम अपने मायके में जाती थी इसलिए हमारे घर पहुँचते ही अड़ोस पड़ोस की बहुत सारी औरतें व लड़कियाँ मेरी भाभी से मिलने के लिये आने लगी।
अब मेरी भाभी से जो औरतें व लड़कियाँ मिलकर जा रही थी, उनमें से कुछ मुझे भी देखकर जा रही थी। तभी मैंने गौर किया कीएक दो लड़कियों ने मुझे देखकर ऐसा तँज सा कसा जैसेउन्को मेरे व मेरी भाभी के सम्बन्धों का पता हो।
मैंने भी अब सोचा कि हो सकता है मेरी भाभी ने अपनी खास सहेलियों को हमारे सम्बन्धों के बारे में बता दिया हो।
खैर इसके पश्चात मेरी भाभी तो अपनी सहेलियों के संग उस शादी की रौनक में मशगूल हो गई मगर मैं ड्राईंगरूम में ही बैठा रहा।
मेरी भाभी व उनके घर वालों को छोड़कर बाकी किसी को मैं जानता भी नहीं था इसलिए उस दिन भर मैं ड्राईंगरूम में ही बैठे टी वी देखता रहा.
मगर ऐसा नहीं था कि मुझ पर किसी ने ध्यान नहीं दिया, ड्राईंगरूम में ही चाय नाश्ते से लेकर खाने पीने तक का मेरा भी पूरा ख्याल रखा गया।
मेरी भाभी के घर वालों ने मेरी खातिरदारी में कोई कसर नहीं रखी और बीच बीच में मेरी भाभी की सहेलियाँ व संगीता भाभी (मेरी भाभी की भाभी) मुझसे हंसी मजाक भी करके चली जाती थी जिससे मेरा वो पुरा दिन ऐसे ही बीत गया।
अब इसी तरह दिन ढल गया और रात हो गयी। रात को मेरे सोने का प्रबंध उपरि छत परएक कमरे में कर दिया गया। आपने शायद मेरी भाभी की कहानी में मेरी भाभी के घर व घर वालों के बारे में पढ़ा होगा.
मगर दोबारा भी मैं आपको बता देता हूँ कि मेरी भाभी का घर दो मंजिल का है, नीचेएक कमरा, ड्राइंगरूम, रसोई और लैटरीन बाथरूम है, उपरि दो कमरे और उनके बीच में सांझा लैटरीन-बाथरूम है।
नीचे के कमरे में मेरी भाभी के मम्मी-पापा रहते हैं और उपरि काएक कमरा उनके भैया-भाभी का है और दूसरा शादी से पहले मेरी भाभी का था मगर अब वो खाली ही रहता है।
मेरे सोने का प्रबंध मेरी भाभी का जो खाली कमरा थ उसी में किया गया था। मैं भी कमरे में जाते ही सो गया और सुबह देर तक सोता रहा। अब अगले दिन तैयार होने के पश्चात मैं जिनके इधर शादी थी उनके घर चला गया.
उस रात को शादी होने वाली थी और शादी वाले दिन आपको तो पता ही है, दिन भर शादी में आने वाले मेहमानों का ताँता लगा ही रहता है, संग ही उनके खाने पीने का व नाच गाने का कार्यक्रम भी चलता रहता है।
मैं भी दिन भर वो सभी देखता रहा और शादी में आने वाली सुन्दर सुन्दर लड़कियों व औरतों को ताड़ता रहा है।
अब दिन में तो मेरी पायल भाभी मुझेएक बार भी दिखाई नहीं दी थी मगर रात को जब वो शादी में सज-सँवर कर आई तो मैंउन्को देखता ही रह गया.
वैसे तो शादी में आने वाले हरएक महेमान सजे सँवरे रहते हैं मगर मेरी भाभी सज सँवरने के पश्चात कुछ ज्यादा की खूबसूरत लग रही थी। इससे पहले मैंने उनको स्वयं उनकी ही शादी में इतना सजे सँवरे देखा था।
अपनी पायल भाभी की खूबसूरती देखकर मेरा स्वयं पर अब काबू नहीं हो रहा था। मैं उनको ही घूर घूर कर देखे जा रहा था। तभी पायल भाभी की नजर मुझ पर पड़ी और हम दोनों की नजर मिल गई…
भाभी कोइसे तरह से सजे सँवरे देखकर मेरा शैतानी दिमाग अब कहाँ चैन से बैठने वाला था। मैंने आँखों ही आँखों में उन्हेंएक तरफ आने का इशारा सा कर दिया.
पता नहीं मेरी भाभी ने मेरा इशारा देखा भी या नहीं… मगर हाँ, मेरे इशारा करते ही पायल भाभी सभी औरतों के बीच से निकल कर अबएक तरफ आ गई और दोबारा शादी वाले घर सेबाहर् निकल गयी।
मैं भी अब उनके पीछे पीछे हो लिया मगर घर सेबाहर् आने पर मुझे पायल भाभी कहीं भी दिखाई नहीं दी। मैंने सोचा कि शायद पायल भाभी अपने घर पर गई होगी इसलिए मैं अब उनके घर पर आ गया मगर घर पर भी मुझे वो कहीं दिखाई नहीं दी.
तभी मुझे उपरि के दोनों कमरों का दरवाजा खुला दिखाई दिया और उनकी लाईट भी जल रही थी, मैंने सोचा शायद भाभी उपरि होंगी.?
मेरे लिये ये तो और भी बढ़िया हो गया था क्योंकि उपरि मैं जिस कमरे में कल सोया था, वो खाली ही था, इससे बढ़िया मौका मुझे मिल भी नहीं सकता था. मैंने अपने दिल में ही सोचा और उपरि छत पर आ गया.
ऊपर छत पर आकर मैंने उस कमरे में देखा जहाँ मैं पिछली रात को सोया था.? उस कमरे में कुछ बच्चे व दो तीन बूढ़ी सी स्त्री सो रही थी।
पायल भाभी को देखने के लिये मैं अब दूसरे कमरे में चला गया, मगर वहाँ जाकर देखा तो कमरे में संगीता भाभी सोई हुई थी। मुझे देखते ही वो उठकर बैठ गई और मुझे टोकते हुए. "क्या हुआ, किसे देख रहे हो.?"
संगीता भाभी के प्रश्न से मैं अब हड़बड़ा सा गया। मुझे लगा जैसे मेरी चोरी पकड़ी गई हो इसलिए हकलाते हुए. "क्क्… कुछ नहीं.!"
"खाना खा लिया.?" संगीता भाभी ने दोबारा से पूछ लिया।
"ह्… ह्.हाँ खा लिया.!" घबराहट में मैंने हकलाते हुए ऐसे ही झूठ बोल दिया।
तभी मुझे बहाना सुझ गया… मुझे ये तो पता ही था कि जिस कमरे में मैं कल सोया था, वो अब खाली नहीं है इसलिए मैंने सोने के लिये स्थान ना होने का बहाना बना लिया औरउन्को बताया कि मैंने खाना खा लिया है और मुझे अब सोना है इसलिए पायल भाभी को ढूँढ रहा हूँ.
"क्यों पायल के बिना आपको नींद नहीं आती क्या.?" उन्होंने हंसते हुए कहा।
उनकी बात सुनकरएक बार तो मैं झेंप सा गया और सोचने लगा कि कहीं इनको भी तो मेरे व मेरी भाभी के सम्बन्धों के बारे में नहीं पता.?
मगर दोबारा जल्दी ही मैंने अपने आपको सम्भाल लिया और हिचकिचाते… "न्. न्.नहीं. नहीं, मैं तो वो बस सोने के लिये…"
मैंने अब अपनी बात पूरी भी नहीं कही थी की. "हाँ.हाँ.घर जाकर अपनी पायल भाभी के संग ही सो जाना…पर कभी हमारे संग भी सो जाओ.!"
उन्होंने दोबारा से मुझे छेड़ते हुए कहा और हंसने लगी।
"भाभी. संगीता भाभी… बारात आने वाली है, आपको चाची बुला रही है…!" तभी नीचे से किसी की आवाज सुनाई दी।
"हाँ हाँ आ रही हुँ.!" संगीता भाभी ने जोरो से कहा और जाने के लिये अब उठकर खड़ी हो गयी।
सामान्य होकर संगीता भाभी ने मुझे अब बताया कि "वो बस बच्चे को सुलाने के लिये इधर आई थी और अब जा रही है, उस कमरे में मेहमानों के बच्चे सो गये हैं इसलिए मैं इसी कमरे में सो जाँऊ…’" इतना कहकर संगीता भाभी अब कमरे सेबाहर् चली गई।
संगीता भाभी के चले जाने के पश्चात मैं बैड पर बैठ गया और सोचने लगा कि अब क्या किया जाये… मैंने झूठ में संगीता भाभी को बोल तो दिया कि मैंने खाना खा लिया है और अब सोने के लिये आया हूँ, लेकिन मैंने खाना खाया भी नहीं था।
मुझे अब अपने आप पर ही गुस्सा आ रहा था क्योंकि मैं अब अपने ही बनाये बहाने में फँस गया था। वैसे मुझे इतनी भूख नहीं थी इसलिए मुझे खाने की तो नहीं पड़ी थी मगर मैंने अपनी पायल भाभी के लिये जो अरमान बनाये थे वो सारे अब धरे के धरे रह गये थे।
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बढ़िया कहानी चल रही है। महेश के तो दोनों हाथों में लड्डू है पायल भाभी ना मिली तो संगीता भाभी ही सही