Incest Indian Sex Story : कभी हमारे संग भी सो जाओ..!!
मुझसे अब सब्र नहीं हो रहा था, इसलिए करवट बदलकर मैने संगीता भाभी को अब नीचे गिरा लिया औरएक ही झटके मे उनके ब्लाउज के सारे बटन खोलकर उनकी ब्रा से ढकी दोनों चुँचियो पर मुँह सा मारने लगा…
संगीता भाभी ने भी अब कस कर मेरे सिर को अपनी चुँचियो पर दबा दिया और."ये पैकेट नहीं खोलोगे क्या.?" उनका इशारा उनकी ब्रा के तरफ था।
मैंने भी जोश जोश मे अब तुंरत दोनो हाथो से छिलके के जैसे उनके ब्लाउज व ब्रा को उतार फैका। ब्लाउज व ब्रा को उतारने के पश्चात मैने उनके पेटिकोट का नाड़ा भी खींच दिया था जिसे उतारे मे संगीता भाभी ने मेरी पिरी मदत की.
संगीता भाभी को नँगा करके मैने उन्हे अब दोबारा से नीचे गिरा लिया और सीधा उनके उपर चढके दोनों चुची को बदल बदल कर चूमना चाटना शुरु कर दिया.
संगीता भाभी ने भी अब दोनो हाथो से मेरे सिर को थाम लिया और धीरे-धीरे धीरे मेरे सिर पर हाथ फिराते हुए मुँह से हल्की हल्की सिसकारियाँ सी लेने लगी.
संगीता भाभी की चुँचियो का सारा रस पीने के पश्चात मैने चुँचियो को छोङ दिया और उनके पेट पर से चूमते हुए नीचे दोबारा से उनकी चूत पर आ गया।
चुत पर आके मैने पहले तो उसेएक बार होठो से ही बस हल्का सा चुमा। दोबारा बुर की फाँको को चाटते हुवे नीचे जन्नत के दरवाजे की तरफ बढ गया.
संगीता भाभी के दोनों हाथ अब दोबारा से मेरे सिर पर आ गये थे और. "इईईई… श्श्शशश… अआआ… ह्ह्हहह…अब बस्सस. ऊपर… आ.जाओ… इईईई… श्श्शशश… अआआ… ह्ह्हहह… बस्सस… मेरे उपरि आ जा.ना…" कहते हुए मुझे अपने उपरि खींचने की कोशिश करने लगी, मगर मै रुका नही.
मैनेएक बार तो कामर रश से तर बत्तर उनकी जन्नत के दरवाजे को चाट ही लिया. जिससे संगीता भाभी ने एक बार तो मीठी आह्ह्. सी भरी, दोबारा मेरे सिर को पकड़कर मुझे अपनी चूत पर से हटा ही दिया.
मैंने उनकी चूत को चाटने के लिये अबएक बार दोबारा से अपने सिर को उनकी जांघों के बीच घुसाने की कोशिश की मगरइसे बार उन्होंने मेरे सिर के बालो को अपनी मुट्ठी मे भर लिया और.
"इईईई…श्श्शशश… अब.बस्सस… अब क्या ऐसे ही तड़पाता रहेगा.?" ये कहते हुवे उन्होने जोरो से मुझे अपने उपर खींच लिया.
बालों के खिंचने से मुझे दर्द हो रहा था इसलिए मै भी खिंचता हुआ अब संगीता भाभी के उपरि जा पहुँचा.
अब बालो के खिँचने हुवे दर्द का बदला मैने संगीता भाभी के होठो से लिया.
उनके उपरि आते ही मैंने उनके होंठों को मुँह में भर लिया औरउन्को जोरो से चूसना काटना शुरु कर दिया. तब तक संगीता भाभी ने भी मुझे अपनी दोनों जांघों के बीच में ले लिया था और मेरे लंड को पकड़कर अपनी चूत पर घिसने लगी…
दरअसल वो कोशिश तो मेरे लंड को अपनी चूत में घुसाने के लिये ही कर रही थी मगरएक तो चूत की चिकनाई की वजह से और दूसरा मैं भी उनके होंठों को चूमते हुए बहुत हिल डुल रहा था जिसके कारण बार बार मेरा लंड उनकी चूत के दरवाजे पर फिसल जा रहा था.
संगीता भाभी अब कुछ देर तो ऐसे ही कोशिश करती रही मगर जब उनसे सब्र नहीं हुआ तो उन्होंने खीजकर मेरेएक होंठ को दाँतो से इतनी जोर से काट लिया की मै कराह ही पङा.
मेरे होठ को काटने के पश्चात भाभी ने उसे छोङा नही। वो उसे वैसे ही दाँतों के बीच दबाये रही। मुझे दर्द हो रहा था इसलिए दर्द के मारे मैं अब स्थिर हो गया था…
तब तक संगीता भाभी ने मेरे लंड को हाथ से पकड़ कर पहले तो अपनी चूत के मुँह पर लगाया दोबारा अपने पैरों को उठाकरइसे तरह से मेरे पैरों में फँसा लिया कि जैसे ही उन्होंने अपने पैरों से मेरे पैरों पर दबाव डाला, मेरे लंड का सुपाङा सीधा ही उनकी चूत की गहराई में उतर गया।
संगीता भाभी केइसे चालाकी से तो मैं अब हैरान ही रह गया था। मैं सोचता था कि इन सभी कामों में मैं ही निपुण हूँ मगर संगीता भाभी भी पुरी खेली खाई लग रही थी। कसम से उनकीइसे चालाकी ने तो मेरा दिल ही जीत लिया था।
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खैर मैंने भी अपने लंड को अब पहले तो थोड़ा साबाहर् खींचा, फिरएक जोर का धक्का लगा दिया जिससे मेरा आधे से ज्यादा लंड चूत की गहराई माप गया और संगीता भाभी मेरे होठ को छोङ "अआहः. एऐऐ…" कहकर कराह सी गयी.
पर मै भी अब रुका नही। इसीके संग साथ ही मैंने अपने लंड को दोबारा से थोड़ा साबाहर् खींचा और उसी तरहएक जोर का धक्का लगाकर अब अपना पूरा ही लंड उनकी चूत में घुसा दिया.
मेरेइसे धक्के से संगीता भाभी पहले तो "इई… श्शशश… अआहः. आ ए…" कहकर हल्का सा कराही मगर दोबारा उन्होंने मुझे अपनी बांहों में भर कर इतने प्रेम व दुलार से मेरे गाल को चूम लिया जैसे की मैने कोई ज्यादा ही बङा काम कर दिया हो.
मैंने भी अबएक बार उनके गालों को चूमा और दोबारा नीचे से धीरे-धीरे धीरे धक्के लगाने शुरु कर दिये जिससे संगीता भाभी इईई…श्श्शशश… अआआ… ह्हहाहा… इईई…श्श्शशश… अआआ… ह्हहाहा… करते हुए सिसकारियाँ लेने लगी।
संगीता भाभी ने मुझे अपनी बांहों में जोर से भींच रखा था और मेरी गर्दन व गालों को चूमे जा रही थी। उनका अब संग देने के लिये मैंने भी उनके होंठों को मुँह में भर लिया और धीरे-धीरे धीरे धक्के लगाते हुए उनके होंठों को भी चूसने लगा।
अब होंठों चूसते चूसते पता नहीं कब उनकी जीभ मेरे मुँह में आ गयी. संगीता भाभी की रसीली जीभ को चूसने में मैं अब इतना मशगूल हो गया कीएक पल के लिये तो धक्के लगाना ही भूल गया.
ज्यादा नही मैं बस कुछ देर के लिये ही रुका था पर संगीता भाभी से तो अब इतना भी बर्दाश्त नही हुवा.
उन्होंने अपने पैरो को तो पहले से ही मेरे पैरो मे फँसा रखा था। अब अपने हाथो को भी मेरे कुल्हो पर ले आई.
खीज के मारे उन्होने अपनी जीभ को तो अब मुझसे छुड़वा लिया और स्वयं ही अपने हाथ पैरों से मेरे कूल्हों पर दबाव डालकर मुझे हिलाना शुरु कर दिया.
संगीता भाभी की ये बेताबी देखकर मुझे भी अबएक शरारत सुझी। उनको तड़पाने के लिये मैंने अब उनके होंठों को चूसना शुरु कर दिया और मैं स्वयं धक्के लगाने की बजाये संगीता भाभी धक्के लगवाने का आनंद लेने लगा.
अब कुछ देर तो संगीता भाभी ऐसे मेरे कूल्हों को दबाकर मुझे हिलाती रही मगर दोबारा वो भी मेरी चालाकी को समझ गई और.
"शैतान कहीं के!, ठहर… अभी बताती हूँ तुझे…! ज्यादा चालाक बनता है ना… ठहर.!" ये कहते हुवे उन्होने करवट बदलकर मुझे अब दोबारा से नीचे गिरा लिया और स्वयं मेरे उपरि चढ़कर मेरे दोनों तरफ पांव करके अपने घुटनों पर खड़ी हो गई।
मेरे उपर चढकर उन्होंने पहले तोएक हाथ से मेरे लंड को पकड़ कर सीधा खड़ा कर लिया दोबारा अपनी गिली चूत को मेरे लंड पर टिका के उस पर बैठने लगी.
मेरा लंड अब उनकी चूत में हल्का सा घुसा ही था कि भाभी ने अपना हाथ मेरे लंड पर से हटा लिया जिससे वो उनकी चूत में घुसने की बजाय फिसल कर मेरी नाभि से जा टकराया।
पर भाभी भी अब कहाँ मानने वाली थी, उन्होंने दोबारा से मेरे लंड को पकड़ लिया और अपनी चूत के मुँह पर लगा कर दोबारा से उस पर बैठने लगी…
अबकी बार उन्होंने मेरे लंड को छोड़ा नहीं बल्कि उसे पकड़े रही… उनकी चूत पहले से ही गीली और खुली हुई थी इसलिए अबकी बार मेरा सुपाङा आसानी से गीली चूत के अन्दर प्रवेश कर गया।
सुपाङा घुसने के पश्चात उन्होंने लंड को हाथ से छोड़ दिया और "अब बोल… अब दिखा अपनी चालाकी…" ये कहते हुए वो अपने दोनों हाथ मेरे सीने पर रख कर एकदम से उसके उपर बैठ गयी जिससेएक बार मे ही उनकी गीली बुर मेरा पुरा लण्ड खा गयी।
उनकी चूत में लंड मेरा पूरा जड़ तक का उतर गया था। अब एक ही बार मे मेरा पूरा लंड अन्दर जाने सेएक बार तो संगीता भाभी के हाथ भी मेरे सीने पर कस गये थे और वो हल्का सा कराह भी दी… मगर दोबारा वो आराम से बैठ गई।
मैंने भी अब अपने दोनो हाथ बढ़ा कर संगीता भाभी की कोमल चुँचियो को थाम लिया… अब जैसे ही मैंने उनकी चूँचियो को पकङा, संगीता भाभी ने भी अपनी कमर को थोड़ी गति दे दी और.
"अब बोल… अब दिखा ना अपनी चालाकी…" ये कहते हुए धीरे-धीरे धीरे अपनी कमर को हिलाकर मेरे लण्ड से अपनी चूत की दीवारो को घिसना शुरु कर दिया.
संगीता की चूत ने मेरे पूरे लण्ड को अब अपनी गिरफ्त में ले रखा था जिससे उनकी चूत मेरे लण्ड को पूरा घर्षण प्रदान कर रही थी। उनकीइसे चुदाई के तरीके से मुझे तो ऐसा लग रहा था जैसे की उनकी चूत मेरे लण्ड को चूस रही हो.
सच कह रहा हुँ अभी तक मै तीन चार औरतो से सम्बन्ध बना चुका था। वो सभी भी खुलकर मजा करती थी मगर इतनी लण्डखोर स्त्री मै पहली बार देख रहा था।
चुदाई करते टाइममर्द को उपर चढके धक्के लगाते मैने देखा भी था और ऐसा किया भी था। मगर कोई स्त्री स्वयं ही अपनी चूत को चुदवा सकती है ये मै पहली बार देख रहा था। मेरे लियेइसे खेल का यहएक नया ही एहसास था।
वैसे भी यदि मैं ऊपर होकर धक्के लगाता तो बस मेरा लंड ही उनकी चूत में घिसता मगरइसे तरह संगीता भाभी के मेरे उपरि बैठकर आगे पीछे होने से उनकी साबुत चूत, संग ही उनकी भरी हुई मखमली जाँघें, इधर तकी उनके नर्म मुलायम कूल्हे भी मेरी जांघों से चिपक कर मुझे परम आनन्द प्रदान कर रहे थे।
संगीता भाभीइसे खेल की कुशल खिलाड़ी थी, मुझे भी उनसे काफ़ी कुछ सीखने को मिल रहा था इसलिए मैंने भी अब आनन्द से अपनी आँखें बन्द कर ली और संगीता भाभी की चुँचियो को दबाते हुए उनकी चूत घिसाई के मज़े लेने लगा.
धीरे धीरे-धीरे अब संगीता भाभी की कमर की हरकत भी तेज होने लगी। वो अब जल्दी जल्दी अपनी कमर को हिला हिला कर अपनी चूत से मेरे लण्ड को चूसने लगी थी। इसलिए मैं भी अब थोड़ा सा उपर उठ गया और संगीता भाभी कीएक चुँची को अपने मुँह में भरकर उसे पीना उसे शुरुआत कर दिया…
संगीता भाभी की कमर की हरकत भी अब धीरे-धीरे धीरे और भी तेज होती जा रही थी जिससे उनकी साँस फूल सी गयी और मुँह से हल्की हल्की सिसकारियाँ निकलना शुरु हो गयी.
उत्तेजना व आनन्द के मारे मेरे हाथ भी अब अपने आप ही संगीता भाभी के नँगे कुल्हो पर जा पहुँचे.
मैने दोनो हाथो से उनके कूल्हों को पकड़ लिया और स्वयं भी नीचे से धीरे-धीरे धीरे अपने कुल्हो को हिलाना शुर कर दिया.
अब कुछ देर तो संगीता भाभी ऐसे ही मुझे अपनी चुँचियाँ चूसवाती रही मगर दोबारा उन्होंने दोनो हाथो से धकेलकर मुझे पुनः पलंग पर ही गीरा दिया.
मुझे पुनः पलंग पर पटककर संगीता भाभी ने अब दोनो हाथो से मेरे कँधो को पकङ लिया और. "अब. बोल… ना… ह्हुं… ह्हुं.
अब बोल. ह्हुं." अपनी फूलती साँसों से जोर जोर की सिसकारियाँ सी भरते हुए कमर को और भी तेजी से चलाना शुरु कर दिया.
मेरे दोनो हाथ अभी भी उनके कुल्हो पर ही थे जिनसे मैने भी अब उनके कूल्हों को पकड़कर उनकी चूत को अपने लण्ड पर और भी जोरों से चिपका लिया और बुर की मखमली चमड़ी से अपनी चमड़ी को जोर जोर से घिसवाना शुरु कर दिया.
संगीता भाभी तो जैसे अब पागल ही हो गयी. "बोल. ह्हुंआआ… इईई… श्शश… अआआ…ह्हहा.हा…
अब बोल… ना… अआआ… ह्हहा.हा… इईई… श्शश… अआआ… ह्हहा.हा…’ की आवाजें निकालते हुए वो अपनी चूत को और भी तेजी से मेरे लण्ड पर घिसने लगी।
संगीता भाभी अब इतनी जोरों से अपनी कमर को हिला हिलाकर मेरे लंड से अपनी चूत को घिस रही थी कि पता ही नहीं चल रहा था, वो मुझे चोद रही थी या दोबारा मैं उनको चोद रहा था?
शायद वो चरमोत्कर्ष के करीब ही थी। टाइमतो अब मेरा भी आ गया था इसलिए मैं भी उनके कूल्हों को पकड़ कर और भी जोरों से उनकी चूत को अपने लण्ड पर घिसवाने लगा। जिससे कुछ ही देर पश्चात संगीता भाभी का बदन अब अकङता चला गया.
उनकी बुर अन्दर से अब भट्टी की तरह एकदम गर्म हो उठी और उसमे ज्यादा ही जोरो का संकुचन सा होने लगा। सँगीता भाभी की बुर का ये अहसास इतना गर्म गर्म व कसाव भरा था की मानो जैसे उनकी चूत अन्दर ही अन्दर सुलगकर मेरे लण्ड को निचौङने लगी हो।
उन्होंने "इई श्शश. बोल. अआहाँ…
इई.श्शश. ह्हहाँ… अआआह…
इई.श्शश. बोल. अआहाँ… इई.श्शश. ह्आआ." कहते हुए अब अपना पूरा जोर लगाकर व कस कस कर अपनी चूत को तीन चार बार तो मेरे लण्ड पर घिसा दोबारा उनके हाथ मेरे कँधों पर कसते चले गये.
संगीता भाभी ने अपना चरमसुख पा लिया था जिससे उनकी कमर की हरकत अब स्थिर पड़ गयी थी मगर मैं अब भी प्यासा ही था। इसलिए मै अभी भी उनके कूल्हों को पकड़कर उनकी चूत को अपने लण्ड पर घिसे जा रहा था।
मेरे अब संगीता भाभी की बुर को अपने लण्ड पर घीसने से उन्हे शायद दिक्कत होने लगी थी इसलिए उनके मुँह से कराहे सी निकलना शुरु हो गयी.
"ऊऊ.ह्ह्ह्. बस अब क्या है.?" संगीता भाभी ने अब कराहते हुवे कहा और मेरे लण्ड पर से उठने की कोशिश की। मगर उनके थोड़ा सा उठते ही थी मैंने उनकी कमर को पकड़ लिया।
संगीता भाभी के उपर उठ जाने की वजह से मेर लण्ड व उनकी चूत बीच अब थोड़ा सा फासला बन गया था इसलिए नीचे पड़े पड़े ही मैने अब अपने कुल्हो को उचका उचकाकर धक्के लगाने शुरु कर दिये.
संगीता अब भी कराह रही थी, उन्होंने मेरे कंधों को जोरों भींच रखा था और मेरे धक्को के संग साथ वो ‘अआहँ… बस्सस… इई… श्शश… अआहँ… इई…श्शश…अआहँ…’ की आवाज कर रही थी मगर मैं रुका नहीं और नीचे से अपने कूल्हे तेजी से उचका उचका धक्के लगाता रहा.
संगीता भाभी की चूत में मेरे लंड के अन्दरबाहर् होने से उनकी चूत का सारा रस अब मेरे लण्ड के सहारे चूत से रिस कर मेरी जांघों पर बह आया था। अब उनकी चूत के रस से भीग कर तो मेरा लंड और भी चपल हो गया।
मेरेइसे तरह धक्के लगाने से मेरी जाँघे संगीता भाभी के कुल्हो से टकरा रही थी जिससे "पट. पट." की आवाजे तो आ ही रही थी उपर से उनकी गीली बुर मे अब चपल लण्ड के जाने से "फच्च. फच्च." की आवाजे भी निकलना शुरु हो गयी.
संगीता भाभी की कराहों के संग "फच्च… पट… फच्च… पट…
फच्च… पट…
फच्च… पट." की आवाजों से अब पूरा कमरा गूंजने सा लगा था मगर मैं किसी की भी परवाह किये बगैर लगातार धक्के लगाता रहा.क्योंकि मैं भी अब अपनी मंजिल के करीब ही था…
फिर चार पाँच वार के पश्चात ही मैंने भी हथियार डाल दिये और संगीता भाभी को जोरों से अपनी बांहों में भींच कर उनकी चूत को अपने वीर्य से भरना शुरु कर दिया.
अब जब तक मै उनकी बुर मे वीर्य उगलता रहा तब तो संगीता भाभी अपने बदन को कङा किये ऐसे ही मेरे लण्ड पर बैठी रही फिर. "हहाँ…हहाँ… जान…ही… निकाल दी… हहाँ… मेरी… हहाँ… हहाँ…" संगीता भाभी ने अब कराहते हुए कहा और धीरे-धीरे से मेरे उपर लेट गयी।
ज्यादा नही बस अब कुछ देर तो संगीता भाभी ऐसे ही मेरे उपर पङी रही दोबारा अचानक से उन्होने अपने कूल्हों को थोड़ा सा उपरि उठा लिया…
मेरा लंड मूर्छित सा होकर अभी तक उनकी चूत में ही घुसा हुआ था पर अब जैसे ही संगीता भाभी ने अपने कूल्हों को उँचा किया, हल्की "फच्च…" की सी आवाज के संग मेरा लण्ड उनकी चूत से निकल कर मेरी नाभि पर आ गिरा.
अब बुर से लण्ड के निकलते ही उनकी चूत सेएक गर्म गर्म से द्रव की धार सी निकली और वो पुरा द्रव मेरे पेट पर फैल गया।
ये मेरे और संगीता भाभी के कामरस का मिश्रण था इसलिये. "बहुत मेहन की है ना इसे निकालने के लिये.,ये ले अब सम्भाल इसे.!" संगीता भाभी ने अब हंसते हुए कहा और अपनी चूत को भी मेरे पेट पर ही रगड़ कर स्वच्छ करके खड़ी हो गयी।
मैं अब भी ऐसे ही पलंग पर पड़ा रहा मगर संगीता भाभी पलंग से उठ कर अपने कपड़े पहने लगी.
"कहाँ जा रही हो.?" मैंने उनको दोबारा से पकड़ते हुवे पूछा।
"छोड़ मुझे… मरवायेगा क्या अब.?बाहर् देख… दिन निकल आया है कोई आ गया तो.?" संगीता भाभी ने मुझसे छुड़वाते हुए कहा और दोबारा से अपने कपड़े पहनने लगी।
"इतनी जल्दी…" मैंने खिड़की की तरफ देखते हुए कहा।बाहर् हल्की सी प्रकाश दिखाई दे रही थी, शायद उजाला हो गया था।
संगीता भाभी के कपड़े पहन लेने के पश्चात मैंनेएक बार दोबारा उनका हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया जिससे वो भी अब मुझ पर झुक गई…
"आप रात में पहले क्यों नहीं आई.?" मैंने उनके गालों को चूमते हुए शिकायत के लहजे में कहा।
"अच्छा… अब मुझे ही उलाहना दे रहे हो. मैं तो कब से सभी कुछ निकाल कर तुम्हारे पास सो रही हूँ मगर तुम्हारी ही नींद कुम्भकर्ण की है जो खुलती ही नहीं, आखिर में मुझे ही तुम्हें जगाना पड़ा, पता है तुम्हारी वजह से मैं रात भर सोई भी नहीं…" संगीता भाभी ने मुझ पर झुके झुके ही कहा और अपने तकिये के नीचे से कुछ निकाला।
वो उनकी पेंटी थी जो रात में उन्होंने स्वयं ही निकाल कर अपने तकिये के नीचे रख ली थी। भाभी ने अब अपनी पेंटी से मेरे पेट पर गिरे हुए हम दोनों के कामरस को साफ कर दिया और."अब तुम भी कपड़े पहन लो, नहीं तो तेरी पायल भाभी उपरि आती ही होगी… और हाँ, ये सभी पायल को मत बता देना, नहीं तो वो मुझे जीने नहीं देगी!"
अपनी पेंटी से मेरे पेट को साफ करके संगीता भाभी ने पेंटी को बैड के नीचे छुपा दिया और दोबारा दरवाजा खोलकर पहले तो दरवाजे केबाहर् दोनों तरफ देखा और दोबारा जल्दी सेबाहर् चली गई।
मैं भी अब अपने कपड़े पहन कर दोबारा से पलंग पर लेट गया… और पता नहीं कब मुझे नींद आ गई।
करीब दस बजे मेरी पायल भाभी ने मुझे जगाया। इसके पश्चात मैं और मेरी पायल भाभी पुनः अपने घर आ गये मगर उस रात को मेरे जो संगीता भाभी की चुदाई हुई, वो आज भी चालू है, मैं जब कभी भी उनके इधर जाता हूँ तो भाभी की चुदाई हो ही जाती है।
दोस्तों जैसा की मैने पहले भी बताया था मेरी कहानियाँ छोटी छोटी ही होँगी मगर सैक्स से भरपुर मिलेँगी.
अगर आपको ये पसन्द आती है तो कोमन्टस मे बताना, और यदि पसन्द नही आती तो प्लीज अपने किमती सुझाव जरुर देना। अब ईसी के संग मै अपनी ये कहानी ख़त्म कर रहा हुँ.
!!.समाप्त.!!
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Hello Everyone
We are Happy too present too you The annual kahani contest of Xforum "The Ultimate kahani Contest" (USC).
Jaisa kee ap sabko maalum h abi pichle hafte he humne USC kee announcement kee h aur abi kuch waqt pahle Rules and Queries thread bi open kia h aur Chit chat thread toh pahle say he Hind section main khulla h.
Iske baare main thora aapko btaadun yeh ek short kahani contest h jisme ap kissi bi prefix kee short kahani post krr shaktey hu joo minimum 700 words and maximum 7000 words takk hu taqat h. iss liye mein aapko invitation deta hoon kee ap is contest main apne khayaalon ko shabdon ka Rupp dekar ismein apni kahaniyan daalein jisko poora Xforum dekhega yeh ek bohot accha kadam hoga aapke aur aapki kahaniyan ke liye kyonki USC kee kahaniyan ko pure Xforum ke readers read kartey haen. aur joo readers likhna nahee caahtey wo bi is contest main participate krr shaktey haen "Best Readers Award" ke liye aapko bas krna yeh hoga kee contest main posted kahaniyan ko read karke unke Uppar apne views dene honge.
Winning Writer's ko well deserved Awards milenge, uske aalwa aapko apna thread apne section main sticky karne ka mouka bi milega Taaki aapka thread top pr rahe uss dauraan. iss liye aapsab ke liye yeh ek behtareen mouka h Xforum ke sabhi readers ke Uppar apni chaap chhodne kaa aur apni reach badhaane ka.
Entry thread 7th February ko open hoga matlab ap 7 February say kahani daalna suru krr shaktey haen aur wo thread 21st February takk open rahega is dauraan ap apni kahani daal shakte haen. iss liye ap abi say apni kahani likhna suru kardein toh aapke liye better rahega.
koy bi issue hu toh ap kissi bi staff member ko Message krr shaktey haen.
Regards : XForum Staff.
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बढ़िया कहानी चल रही है। महेश के तो दोनों हाथों में लड्डू है पायल भाभी ना मिली तो संगीता भाभी ही सही