अनमोल अहसास
पाँच वर्ष के बेटे की जिद पर उसके बाल कटवाने के लिए डॉली मैन्स सैलून में बैठी थी, असहज भी लग रहा था की मैन्स सैलून में लेडीज!
पहले से कुछ कस्टमर थेइसलिये वक़्त लग रहा था, बार - बार मन मे आता की इधर से चली जाऊं क्या? नुक्कड़ वाले से ही कटवा लूँगी! कश्मकश में पड़ी डॉली से न बैठते बन रहा था, न उठते।
उसी समयएक हेंडसम औऱ खूबसूरत शख्सियत वाले पुरुष ने प्रवेश किया, सुदृढ़ चेहरा था, दोबारा भी इतना आकर्षक लग रहा था की किसी की भी नजर उसकी तरफ उठ जाये।
उसकीइसे हरकत पर उस शख्स ने दोबारा शीशे मेंएक नजर उसकी तरफ देखा, डॉली ने नजर नही उठायी , पलके झपकते हुएबाहर् देखती रही!
दोबारा कुछ देर पश्चात अंदर देखने के बहाने ही शीशे पर नजर डालते हुए ही निगाह दूसरी तरफ की तो उस शख्स को डॉली कीइसे हरकत पर रोकते रोकते भीएक हल्की मुस्कान की रेखा उसके चेहरे पर आ ही गयी।
वहबाहर् निकल गया और गाड़ी में बैठते हुए ड्राइवर से बोला, " चलो! कहीं और चले।"
ड्राइवर ने गाड़ी स्टार्ट की तो पीछे बैठे उस शख्स ने पत्रिका उठा ली और दोबारा पत्रिकाएक तरफ को रखते हुए खिड़की सेबाहर् देखते हुए मन ही मन कहा, " उम्र बत्तीस के आस पास होगी और हरकतें देखो बाइस वाली!!"
वह ठोड़ी को हथेली पर टिकाते हुए हँस दिया और चश्मा चढ़ा लिया।
कुछ महीनों बाद----
"राज ! राज .!!" दादी मम्मी 'सुभद्रा देवी ' ने राज को आवाज दी लेकिन राज कुछ नही बोला।
" बहरे हो! वैसे तो जब तुम ऑफिस में होते हो तो आवाज पहचानने में जरा भी देरी नही करते!"
" दादी मां, प्लीज! सुबह सुबह नही.!! मैं काम को लेकर पहले ही परेशान हूँ, ज्यादा जरूरी मीटिंग में जाना है; फ्लाइट है कुछ ही देर में! हम पश्चात में बात करते है!" राज ने दादी को टालते हुए नाश्ते की आखिरी बाइट लेकर कहा।
"लेकिन तस्वीर तो देखता जा, बात लौट कर करना।" दादी ने दोबारा भी पीछे भागते हुए कहा लेकिन राज ने आँखों पर चश्मा चढ़ाते हुए कदम आगे बढ़ाकरउन्को गले से लगाया औऱ तेजी सेबाहर् निकल गया।
"इसे मिला दे भगवान किसी लड़की से, अब कब शादी करेगा ये लड़का!इसे उम्र में हमारे बच्चे दस- बारह वर्ष के हो गए थे!एक ये जेनेरेशन है की अभी तक शादी ही नही हुई! हाय भगवान! क्या जमाना आ गया!!" सुभद्रा जी उसके जाने के पश्चात बोलते हुए सोफे पर बैठ गयी।
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उधर दूसरी तरफ डॉली फोन पर अपनी सहेली जैस्मीन से बात करते हुएबाहर् निकली, " हाँ! हाँ.!! जस्सी मैं निकल गयी हूँ, कुछ ही देर में पहुंच जाऊँगी एयरपोर्ट.! तू चिंता मत करइसे बार लेट होने का प्रश्न ही नही उठता।"
डॉली जहाज में पहली बार बैठी थी, फ्लाइट अभी टेक ऑफ के लिए अनाउंस नही कर रही थी, दोबारा भी डॉली ने सीट बेल्ट किसी तरह लगा तो ली लेकिन तभी फोन हाथ से छूट कर नीचे गिर गया तो वह बेल्ट खोलने की कोशिश करने लगी, लेकिन उससे बेल्ट खुली नही तो वह होठों ही होठो में बड़बड़ाई, " च्च.!! क्या मुसीबत है, अब ये खुलता कैसे है?"
साइड वाली सीट परएक शख्स आकर बैठ चुका था, उसने जब डॉली को कुछ देर परेशान हो लेने दिया तब अपनी हथेली बढ़ाई और रुआँसी होती डॉली की बेल्ट को छूना चाहा तो हिलती हुई डॉली के कमर से उसकी हथेली छू गयी , डॉली ने फौरन उसकी कलाई को पकड़ते हुए कहा, "बड़े बद्तमीज हो! मुझे तो लगा था, फ्लाइट में शरीफ लोग होते हैं!"
उस शख्स ने अचंभित होकर डॉली की तरफ देखा और बोला, " लिहाज करना सीखिए दूसरों का, तमीज से बात कीजिये।"
" आप अपनी तमीज बेचकर आये हो औऱ मुझे तमीज सीखा रहे हो!" डॉली ने गुस्से से कहा, और आगे बोली, " देखो! अपनी सीट पर चैन से बैठे रहो! मेरा दिमाग खराब मत करो, रोज निपटती हूँ आप जैसे लोगो से मैं!'
उस शख्स ने अब दाँत जमाते हुए उसकी कलाई कसकर पकड़ते हुए कहा, "आप जैसे.!! मतलब क्या है आपका?"
डॉली ने अपनी कलाई छुड़ाने की कोशिश करते हुए कहा, " हाथ छोड़िए! हद में रहिए अपनी।"
वो शख्स अब भी उसकी कलाई न छोड़ते हुए बोला, " मुझसेइसे तरह आज तक किसी ने बात नही की! हद सिखाने वाला कोई पैदा ही नही हुआ आज तक! लेकिन आज के पश्चात ज्यादा संभावना है की आपको हद में रहना पड़ जाए।"
कलाई छुड़ाने की जद्दोजहद में ही बेल्ट का ऊपरी हिस्सा उठ गया औऱ बेल्ट खुल गयी तभी अनाउंसमेंट भी हुई तो उस शख्स ने अपना हाथ उसकी कलाई से हटा लिया और अपनी बेल्ट बांधने लगा तो बेल्ट खुलने से डॉली के चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ गयी और वो होंठो ही होठों में बोली, "अच्छा ! तो ऐसे खुलती है बेल्ट।"
वो झुकी और अपना मोबाइल उठाते हुए दोबारा से बेल्ट को लगा लिया तभी विमान में एयरहोस्टेस ने बेल्ट खोलना और बन्द करना बताना शुरुआत किया तो डॉली ने मुस्कुराते हुए मन ही मन सोचा, " मैं भी पागल हूँ, कब से ख्वामख्वाह जूझ रही थी , मुझे तो पता ही नही था की ये सभी भी सिखाया जाता है।"
बगल की सीट वाला शख्स अपना टैब खोलकर बैठा हुआ था, शायद कोई ऑफलाइन सेव की हुई वीडियो देख रहा था। जैसे ही फ्लाइट ने उड़ान भरी, डॉली को लगा की उसके सिर पर किसी ने कुछ भारी सा रख दिया है! ज्यादा दबाव सा महसूस हो रहा था सिर पर, उसने फटाफट अपनी आंखें मींच ली और अपना हाथ तिरछा बढ़ाकर बगल वाले शख्स के पेट के पास शर्ट को कसकर पकड़ लिया।
"अरे.!" उस शख्स के मुंह से निकला क्योंकि उसका टैब गिरते गिरते बचा था। उसने चुपचाप डॉली को घूरना जारी रखा और जब वो रिलेक्स हो गयी तब अपनी आंखें खोलते हुए जैसे ही उसने हाथ हटाते हुए सॉरी कहना चाहा, वह शख्स पहले ही बोल उठा, " हुँह!! यही होता है लेडीज होने का एडवांटेज लेना!"
" मतलब??" डॉली ने उसकी तरफ देखते हुए पूछा।
" तीस - बत्तीस वर्ष की लगती हो! इतनी नासमझ तो नही जितनी बनने की कोशिश कर रही हो!"
- " आप भी कोई बीस - बाइस वर्ष के छोकरे नही हो, मेरी उम्र पर कमेंट करने वाले आप होते कौन हो?"
- "एकदम चुप रहो! अभी मैंने आपको यूँ पकड़ा होता न तो पूरे विमान के यात्रियों के जूते होते औऱ मेरा सिर! लेकिन आप तो मुझेइसे तरह पकड़े बैठी थी, जैसे फ्लाइट की छत खुली हो और उसमें सेबाहर् उड़ने वाली हो! बद्तमीजी इसे कहते हैं ,न की उसे जो मैने किया!
मैं आपको परेशान देखकर सीट बेल्ट खोलने जा रहा था लेकिन आपके हिलने की वजह से मेरा हाथ आपसे छू गया
था पर आप तो जान बूझकर मुझे पकड़े हुए थी।"
डॉली का मुँह खुला रह गया , वह अभी कुछ बोल भी नही पायी थी कि तभी वह शख्स बोला, " चतुर और हैंडसम लड़का देखा नही की ऐसे चिपक जाती हैं जैसे गुड़ पर मक्खियां भिनभिनाती हैं!"
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" समझता क्या है स्वयं को, चतुर होगा अपने लिए! इतनी अकड़ किस बात की?" वह खिड़की की तरफ मुँह करते हुए बड़बड़ाई दोबारा उसकी तरफ चेहरा करते हुए बोली, " सुनो! विमान की छत खुलकर मैं उड़ भी जाऊँ न, तो भी आपकी मदद न लूँ। होंगे आप गुड़ लेकिन मैं मक्खी नही हूँ! समझे.!!"
उसने कुछ नही कहा, चुपचाप अपने टैब में कुछ देखता रहा तो डॉली भी खिड़की सेबाहर् देखने लगी। जब विमान लैंड हो गया तो सभी उतरकर अपने अपने गंतव्य के लिए गेट सेबाहर् निकल गए।
(बाहर् निकलकर डॉली ने इधर उधर देखा तो सामने ही नेम प्लेट लिए हुए पुरुष पर नजर पड़ गयी तो वह मन ही मन बोली, " ये जस्सी भी न! मैं टैक्सी कर लेती स्वयं ही लेकिन इसने पहले ही सभी इंतज़ाम कर दिया।"
गाड़ी के पास खड़ा वो पुरुष भी उस तरफ देखकर मुस्कुराया और नेम प्लेट नीचे करते हुए गाड़ी में बैठ गया तो डॉली भी दरवाजा खोलकर पीछे बैठ गयी , तभी दूसरी तरफ का दरवाजा खुला औरएक शख्स ने अंदर बैठते हुए दरवाजा बंद कर दिया तो डॉली ने चौंक कर उसकी तरफ देखा! उसने भी डॉली की ओर देखते हुए चश्मा उतारा तो ड्राइवर भी पीछे पलटकर देखने लगा।
उस शख्स ने ड्राइवर को गाड़ी स्टार्ट करने का इशारा किया तो उसने सीधे देखते हुए गाड़ी स्टार्ट कर दी।
डॉली ने अब पर्स साइड में रखते हुए उससे कहा, " परेशानी क्या है आपकी? ड्राइवर गाड़ी रोको! इन्हें नीचे
उतारो, उसके पश्चात ही हम आगे जाएंगे।"
"माफ कीजियेगा मैम लेकिन आप.!" ड्राइवर की बात पूरी होने से पहले ही उस शख्स ने उसकी बात काट दी।
" गाड़ी चलाइये! किसी के प्रश्न का जवाब देना जरूरी नही है।" उस शख्स ने खिड़की सेबाहर् देखते हुए कहा।
"मैं आपको फ्लाइट से ही देख रही हूँ, आप तो पता नही कहाँ का शहंशाह समझ रहे हैं स्वयं को!"
उस शख्स ने कोई जबाब नही दिया, उसके चौड़े कन्धे ही डॉली को दिखाई दे रहे थे! करीने से कटे हुए स्टाइलिश बाल, अच्छे से आयरन की हुई फीटिंग की पैंट, और शर्ट पहनी हुई थी, चेहरे से ज्यादा मजबूत, दृढ़ संकल्प वाला आदमी लग रहा था।
इसमें तो कोई संदेह नही था कि वह अतुलनीय रूप से आकर्षक और सुंदर था, लेकिन था ज्यादा अभिमानी! किसी भी बात का जबाब न देने में मानो अपनी शान समझता था।
इतना सभी होने के पश्चात भी उसकी उपस्थिति डॉली को जरा भी नही भा रही थी।
" सुनिये! मैं कोई लड़ाई झगड़े नही चाहती, फ्लाइट में अपनी पहली उड़ान को लेकर मैं ज्यादा उत्साहित थी पर भगवान की दया से सारा उत्साह ठंडा पड़ गया, क्योंकि आपका सानिध्य जो प्राप्त हो गया! लेकिन अब मैं शांत मिजाज के संग अपने काम पर जाना चाहती हूँइसलिये मेहरबानी करके आपइसे गाड़ी से उतर जाइये।
देखने से तो आप अच्छे खासे अमीर लग रहे हैं, गाड़ियों की कोई कमी तो होगी नही, फोन करके जहां कहेंगे वही गाड़ी मंगवा लेंगे, दोबारा क्यों खामख्वाह मुझे परेशान कर रहे हैं?"
अपनी बात कहकर जैसे ही डॉली चुप हुई तो उस शख्स ने ड्राइवर की तरफ शीशे में देखा और दोबारा खिड़की सेबाहर् देखने लगा।
अब ड्राइवर ने गला स्वच्छ करते हुए कहा, " मैम , आप गलत गाड़ी में चढ़ी है! ये गाड़ी साहब की ही है और मैं उनका ड्राइवर हूँ, आपने शायद नेम प्लेट पर गौर नही किया होगा! और साहब को ज्यादा बात करना और मुस्कुराना पसन्द नही है।"
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