Read Naina - नारीशक्ति का घमंड on Desi Sex Stories. India sex story huge collection of Hindi/urdu adultery sex story.
Hi दोस्तों ।
Title से ही पता लग गया होगा की कहानी किस तरह की होगी ।
ये कहानी है नैना की । ये कहानी शुरुआत होती है नैना के गाँव जगतपुर से।
वो नैना जिसे घमंड है अपने संस्कारों पर , जिसे गुरूर है अपनी खूबसूरती पर । जिसे घमंड हैएक लड़की होने पर ।
घमंड हो भी क्यो ना , नैना जैसी खूबसूरती ज्यादा ही कम लड़कियों को मिलती है । और उसकी वजह थे नैना के मां-बाप ।
नैना के पापा बलराज सिंह फ़ौज से रिटायर्ड है , उनकी लंबाई 7 फुट के आसपा... Continue reading
Hi दोस्तों । Title से ही पता लग गया होगा की कहानी किस तरह की होगी । ये कहानी है नैना की । ये कहानी शुरुआत होती है नैना के गाँव जगतपुर से। वो नैना जिसे घमंड है अपने संस्कारों पर , जिसे गुरूर है अपनी खूबसूरती पर । जिसे घमंड हैएक लड़की होने पर । घमंड हो भी क्यो...
I know guys u r very disappointed due too no response from my side. I understand lekin how can I explain about the issue, I don't know. मैं आपसे कोई झूट नही बोलूंगा की मेरा accident हो गया या मैं hospitalized हूं । ऐसा कुछ नही है । I'm well. Reality ये है क...
Update- 2 _____अब तक आपने पढ़ा_____ बिस्तर पर जब गब्बर सिंह सोने लगा कि अचानक उसने दोबारा से वही खामोशि महसूस की और उसने अपने कानों पर हाथ रख लिए । दोस्तो इसकी वजह ये थी कि गब्बर सिंह के कानों में बसएक ही आवाज गूंज रही थी । और वो आवाज थी गांव वालों की - नैना...
Update - 3. ******* आपने पीछे update- 2 में पढ़ा था ----- साधु महात्मा बोले - बालक मैं तुझे उस कन्या की कुछ विशेषताओं के बारे में बता देता हूँ जिससे तुझे उस कन्या को खोजने में आसानी होगी लेकिन अपनी खोज तुझे स्वयं करनी होगी । तो सुन उस कन्या की विशेषताएं ---...
bhut badhiya story h brother.muze lga thaa Shital hi woh ldki h .par woh bi mar gyi aur woh naina kee best dost thi.ab too naina aur gabbar kee pakki dushmani hu gyi h.kyuki usne uski friend ko maar diya.aur muze lgta h woh naina hi h joo gabbar singh ko jh...
Adultery Sex Story : Naina - नारीशक्ति का घमंड
Hi दोस्तों ।
Title से ही पता लग गया होगा की कहानी किस तरह की होगी ।
ये कहानी है नैना की । ये कहानी शुरुआत होती है नैना के गाँव जगतपुर से।
वो नैना जिसे घमंड है अपने संस्कारों पर , जिसे गुरूर है अपनी खूबसूरती पर । जिसे घमंड हैएक लड़की होने पर ।
घमंड हो भी क्यो ना , नैना जैसी खूबसूरती ज्यादा ही कम लड़कियों को मिलती है । और उसकी वजह थे नैना के मां-बाप ।
नैना के पापा बलराज सिंह फ़ौज से रिटायर्ड है , उनकी लंबाई 7 फुट के आसपास होगी औरएक तगड़े तंदरुस्त पहलवानों वाले बदन की तरह हट्टे-कट्टे बदन के मालिक है ।
नैना की मम्मी विनीताएक निहायती ही शरीफ और सीधी साधी स्त्री है । यदि बात करे बदन की तो इनकी लंबाई भी 6 फुट के आसपास होगी । लेकिन खास बात ये कि ये दोबारा भी लंबी नजर नही आती और इसकी वजह है कि इनका बदन दुबला पतला नही है। इनका बदन भारी भरकम है । ना ही ये मोटी दिखती है ना ही पतली ।
नैना का भाई नवीन सिंहएक पहुंचे हुए पहलवान है । अच्छे अच्छे पहलवानों को ये 2 मिनट से भी कम टाइममे ये धूल चटा देते है ।
दोस्तो बच्चो के नैन-नक्श , बच्चो की कद-काठी , बच्चों का रंग रूप , ये सभी कुछ मम्मी बाप पर ही तो निर्भर करता है ।
यही वजह थी कि नैना अपने संग कि लड़कियों में सबसे अलग थी ।अपनी 22 वर्ष की उम्र में नैना ने बदन के मुकाबले में अपनी सारी सहेलियों को कई किलोमीटर पीछे छोड़ दिया था ।
नैना की लंबाई 5.8 फ़ीट थी । बिल्कुल अपने मम्मी बाप पर गयी थी नैना ।
नैना के बदन की यदि बात करे तो 22 की उम्र में ही नैना का फिगर 34×30×38 था।
अब आप समझ गए होंगे कि क्यो अलग थी नैना सभी सहिलयो से। नैना अपनी मम्मी की तरह ही तगड़ी और कामुक स्त्री जैसी लगने लगी थी 22 कि उम्र में।
नैना ढीले ढाले पटियाला सूट सलवार ही पहनती थी ज्यादातर जिस वजह से उसका बदन ज्यादा एक्सपोज़ तो नही होता है लेकिन देखने वाले दोबारा भी उसे पलटकर देखे बिना नही रह पाते थे । खाते पीते घर की लड़की नैना । नैना की काली आंखे , गोरे और लालिमा लिए हुए कश्मीरी सेब जैसे गाल । गले मेएक प्यारा सा लॉकेट रहता था जिसमे उसके मां-बाप की फ़ोटो थी छोटी सी। उसके नीचे उसके चूची यानी चूचे ऐसे थे बिल्कुल कड़क जैसे सीने पर पर्वत की दो चोटियां हों । नैना के चूचे उसके सीने की ज्यादा ज्यादा स्थान को घेरते थे । सीने पर बस मोटी मोटी छातियां ही नजर आती थी ।
उसके नीचे उसके गोरा पेट जिसे आजतक किसी ने नही देखा था क्योंकि हमेशा सूट सालार पहनती थी नैना ।
फिर उसके नीचे शुरुआत होता था उसका सबसे अनमोल , सबसे कीमती खजाना जिस पर उसे गुरुर था । नैना के नितंब उम्र से पहले ही भारी होकरबाहर् को निकल गए थे ।
दोस्तों किसी लड़की का पिछवाड़ा निकला हुआ हो या चूचे बड़े हो तो ये जरूरी नही की इसके पीछे किसी मर्द या पुरुष का हाथ है । कुदरती भी किसी किसी का बदन ऐसा होता है । और नैना के संग भी ऐसा ही था ।
नैना की बहार को निकली उठे उठे कूल्हों का अंदाजा उसकी सलवार पहनने के बावजूद बड़ी आसानी से लगाया जा सकता था ।
जांघे सलवार में दिखती नही थी लेकिन भारी भारी पिछवाड़े को देखकर ही लोग समझ जाते थे कि जांघे गदरायी हुई होंगी ।
नैना के अंदरएक कमी थी बस और वो थी उसका गुस्सा । नैना के गुस्से के सामने अच्छे अच्छे थर्रा जाते थे जब वो दहाड़ती तो सभी ऐसे कांप जाते जैसे कोई शेरनी सामने आगयी हो ।
अब चलते है कहानी की ओर ।
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दोस्तों ये कहानी मेरी पहली कहानी (संस्कारी परिवार की बेशर्म कामुक रंडियां) से बिल्कुल अलग है तो इसेएक अलग माइंडसेट से पढ़िएगा ।
मेरी पहली कहानी को अपने इतना प्रेम दिया उसका आभार व्यक्त करने के लिये मेरे पास शब्द नही है ।
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गब्बर सिंह जगतपुर गांव के प्रधान हैं। इनका इतना खोफ है कि आसपास के बड़े नेता इनके पांव छूने रोज इनके घर आते हैं । 45 वर्ष की उम्र है गब्बर सिंह की । अभी तक इन्होंने शादी नही की है और ना ही किसी लड़की या स्त्री के संग सोए है आजतक । इसकी वजह आपको कहानी में पता चलेगी ।
एक नंबर के अय्याश, आवारा और ठरकी और काले रंग का पुरुष है । पर गांव में और आसपास के इलाके में इनका पूरा दबदबा है । क्योंकि यदि कोई इनकी बात नही मानता तो उसे मार पीटकर ये गांव से भगा देते है । हर वक्त इनके संग इनके आठ दस चमचे रहते है जो सारे के सारे गुंडे टाइप के पुरुष है ।इसलिये सभी इनसे बचकर चलते है ।
आज गब्बर सिंह ने गांव मेंएक नये मंदिर का उदघाटन किया । गांव के सारे लोग लोग और लुगाई मंदिर के उद्घाटन में शामिल हुए है ।
नैना भी अपनी सहेली शीतल के संग फंक्शन में शामिल हुई थी ।
शीतलएक सीधी साधी लड़की थी ।
नैना ने पटियाला सूट सलवार पहने हुए थे और शीतल ने चूड़ीदार पजामी कुर्ती । जिसमे से शीतल की मोटी मोटी जांघे स्वच्छ दिख रही थी ।
शीतल प्रशाद लेकर भीड़ में से जैसे ही निकली उसकी नजर सामने खड़ी जीप पर पड़ी । जीप के बोनट पर गब्बर सिंह के दो गुंडे बैठे थे दो चार गुंडे अंदर जीप में थे और दो चार गुंडे जीप केबाहर् खड़े थे ।
ये सभी गब्बर सिंह की इंतजार कर रहे थे क्योंकि गब्बर सिंह अभी प्रशाद ले रहा था पंडित जी से ।
शीतल ने देखा कि नैना का नंबर मुझसे पश्चात में थाइसलिये वो अभी प्रशाद लेती रह गयी है । तभी भीड़ में से गब्बर सिंह निकला और अपनी जीप की तरफ बढ़ने लगा ।
तभी अचानक पूरा माहौल जयकारों से गूंज उठा- गब्बर सिंह जिंदाबाद , गब्बर सिंह अमर रहे , हमारा मालिक कैसा हो गब्बर सिंह जैसा हो । हमारा मालिक कैसा हो गब्बर सिंह जैसा हो ।
गब्बर सिंह नेएक बार भीड़ की तरफ मुड़कर बड़े रौब से अपना काला चश्मा उतारा औरएक कुटिल मुस्कान के संग हाथ उपरि उठाकर हिलाया । जयकारे बंद हो गए ।
तभी भीड़ में से गांव काएक बुजुर्ग बूढ़ा पुरुष लाठी के सहारे चलते हुए निकल और गब्बर सिंह के पास आकर अचानक ठोकर खाकर गिर गया ।
तभी गब्बर सिंह काएक चमचा भागकर आया और बुड्ढे आदमी का कुर्ते का कॉलर पकड़कर उठाते हुए थप्पड़ मारकर बोला - ओ बूढ़े मालिक के सामने गिरने का नाटक करता करता है चल भाग यहां से ।
पूरी भीड़ एकदम चुपचाप ये सभी देख रही थी खड़ी होकर । गब्बर सिंह ने आंख उठाकर भीड़ की तरफ देखा तो जिसकी भी तरफ गब्बर सिंह अपनी नजरें घुमाता उसी इंसान का चेहरा झुक जाता । इतना ख़ौफ़ था गब्बर सिंह का ।
बूढ़ा आदमी अपनी आंखों में बेबसी के आंसू लाते हुए लाचार नजरों से भीड़ की तरफ देखने लगा ।
तभी गब्बर का चमचा बोला - ओ बूढ़े देख क्या रहा है अभी भी यही खड़ा है साले दूसरे थप्पड़ में तू मर जायेगा चल निकल यहां से ।
बूढ़ा रोते हुए चला गया ।
अंदर नैना को टाइमलग रहा था क्योंकि उसके भाई नवीन का फोन आगया था ।
नवीन - हेलो नैना कहाँ हो ।
नैना - भैया मंदिर में ही हु । आप कहाँ हो ।
नवीन - मैं भी बस मंदिर पहुंचने वाला हूँ कुछ मिनट में ।
नैना - हां आजाओ । पर मंदिर के आगे ज्यादा भीड़ लगी है, पूरा गांव जो आया है तो आकर फोन कर लेना ।
नवीन - ok bye ।
तभी भीड़ में से गब्बर काएक और गुंडा निकला हाथ मे प्रशाद लेकर जिसका नाम शेरू था ।
शेरू जैसे ही भीड़ से निकल तो वो अपनी गर्दन पीछे भीड़ की तरफ कुछ देखते हुए निकला । औरइसे तरह निकलने से उसकि टक्करबाहर् खड़ी शीतल से हो गयी । शेरू के हाथ से प्रशाद नीचे जमीन पर गिर गया ।
शेरू जैसे ही हाथ अपने सफेद कुर्ते से झाड़ता हुआ आगे की तरफ कदम बढ़ाने को हुआ तभीएक आवाज से ठिठक गया ।
दरअसल ये सभी कुछ इतना जल्दी हुआ था कि शीतल को अभी तक समझ नही आया था कि उससे कौन टकराकर जा रहा है उसके मुंह से तो बस अचानक निकल गया - अंधे हो क्या ?
यही वो आवाज थी जिसे सुनकर शेरू ठिठक गया था । अब जैसे ही शीतल ने देखा कि वो टकराने वाला कोई गांव का आम पुरुष नही बल्कि गब्बर का गुंडा था तो उसके पैरों के नीचे से जमीन ही खिसक गई । माथे पर पसीना आगया । शीतल का गला सूख गया कि उसने ये क्या अनर्थ कर दिया ।
शेरू ने अपनी शराबी लाल आंखों से शीतल को घूरा और ज्यादा धीरे-धीरे से बोला जिसे बस शीतल ही सुन सकी ।
शेरू - क्या बोली तू बहन-की-लौड़ी दोबारा बोल ।
शीतल ने ऐसी गंदी गाली पहले नही सुनी थी , शीतल की हालत काटो तो खून नही वाली हो गयी । उसके माथे का पसीना पूरे चेहरे पर आगया । शीतल कुछ नही बोली अपनी नजरे झुकाए खड़ी रही ।
तभीएक आवाज पूरे गुर्राते हुए गूंजी तो सारी की सारी की भीड़ की नजरें शेरू और शीतल पर जम गयीं ।क्योंकिइसे बार शेरू ने धीरे-धीरे से नही बल्कि चीखकर पूछा था ।
शेरू - मैंने पूछा तू क्या बोली रंडी ।
शीतल की हालत ऐसी हो गयी कि वो सोचने लगी कि काश मैं इसी समय धरती में समा जाऊं । शीतल नजरे झुकाए चुपचाप खड़ी रही ।
शेरू नेएक नजर गब्बर सिंह की तरफ देखा जैसे पूछ रहा हो कि क्या करूँ ।
गब्बर सिंह - पर काट दे साली के ।
गब्बर की ये बात पूरी भीड़ ने सुनी । और गब्बर सिंह जीप के बोनट पर जाकर बैठ गया । तभीएक गुंडे ने गब्बर सिंह के सामने हुक्का लाकर रखा । गब्बर सिंह कभी शेरू शीतल की तरफ तो कभी भीड़ की तरफ हुक्का पीते हुए देखने लगा ।
शेरू - पर तो इसके काटने पड़ेंगे मालिक । लेकिन इसके पर आज ऐसे काटूंगा की फिरइसे गांव में दोबारा किसी की औकात नही होगी ऐसा करने की ।
शेरू ने ऐसा बोलकर शीतल के बाल पकड़े और उसे बीच मे खाली स्थान में खींच लाया ।
शीतल का दुपट्टा खींचकर फेंक दिया शेरू ने । तभी भीड़ सेएक रोती हुई आवाज आई । जो कि शीतल के मम्मी बाप की थी ।
शीतल के मां-बाप - भगवान के लिए माफ करदो मेरी बच्ची को । मेरी बेटी से गलती हो गयी । हम आपकी सारी सजा भुगतने को तैयार हैं ।
शेरू - भीड़ की तरफ देखते हुए- यदि ये आवाज दोबारा सुनाई दी तो सारे गांव की औरतों और लौंडियों से मुजरा करवाऊंगा यहां भोसड़ी वालों ।
जैसे ही भीड़ ने ये सुना तो जो लोग शीतल के मम्मी बाप के पास खड़े थे उन्होंने शीतल के मम्मी बाप का मुंह अपने हाथों से भींचकर बंद कर लिया जिससे कि उनके मुह से आवाज ना निकल सके ।
यह देखकर गब्बर सिंह के चेहरे परएक कुटिल मुस्कान फैल गई । भीड़ में जिन्होंने शीतल के मा बाप का मुह अपने हाथों से बंद किया हुआ था वो शीतल के मम्मी बाप को समझाने लगे दिलासा देने लगे- आप चुप हो जाइए बेटी को भगवान के भरोसे छोड़ दीजिए , वरना ये लोग शीतल के संग साथ हमारी बेटियों के संग ऐसा ही करेंगे ।
शेरू - शीतल से - देख कुतिया तेरे मम्मी बाप की बोलती तो बंद करदी अब तेरी करनी है । शीतल की छातियों को घूरते हुवे शेरू गब्बर सिंह और अपने गुंडे साथियों से बात करने लगा । ये बाते पूरी भीड़ पुतला बनकर सुन रही थी ।
शेरू - मालिक साली पकी हुआ पपीता है ये तो बिल्कुल ।
गब्बर सिंह - निचोड़ डाल साली को ।
तभी गब्बर काएक गुंडा बोला जिसका नाम भीमा था - मालिक मैं तो कहता हूं साली के उपरि मैं और शेरू एकसाथ चढ़ जाते है ।
अपनी दशा देखकर शीतल की आंखों से आंसू निकलने लगे ।
शेरू - नही भीमाइसे साली के दाँत तो मैं तन्हा ही तोडूंगा ।
ऐसा कहकर शेरू ने शीतल की कुर्ती अपने दोनों हाथों से फाड़ दी ।
शीतल ने निचे समीज पहनी हुई थी । कुर्ती फटते ही उसकी समीज में कसी चुचियाँ सामने आगयीं ।
शीतल अपने दोनों हाथो से अपनी चुचियाँ छुपाने की नाकाम कोसिस करने लगी ।
शेरू- मालिक देखा साली के चूचे , मुझे तो लगता है अपने बाप भाइयों से मसलवाकर फुलाये हैइसे कुतिया ने ।
गब्बर सिंह - हां देखने से लग रहा है कि अपने बाप भाइयों की रात की रंडी होगी ये ।
शीतल के आंसू और तेज बहना शुरुआत हो गए ।
शेरू शीतल के पीछे आया और उसके कूल्हों के बीच मे दोनों हाथों से उसकी पजामी को फाड़कर पजामी के टुकड़ों को फेंक दिया । अब शीतल घुटनो से उपरि बस पैंटी और समीज में थी । उसकी सलवार बस अब घुटनों के नीचे ही बची थी बाकी फाड़कर फेंक दी थी शेरू ने ।
शीतल भी 24 वर्ष की जवान लड़की थी दोस्तों पिछवाड़ा नैना के बराबर तो नही था लेकिनएक सामान्य लड़की से तो भारी थी शीतल की गांड ।
गदरायी हुई शीतलएक हाथ से अपनी चुचियों को और दूसरे हाथ से अपने कूल्हों को ढकने की नाकाम कोशिश कर रही थी ।
शेरू दोबारा शीतल के पीछे आकर उसकी कच्छी को दोनों हाथों से पकड़ कर कर उसके दो टुकड़े कर दिए ।
अब तो शीतल नंगी हो गई पूरी भीड़ के सामने और जैसे ही शीतल नंगी हुई नीचे से तो गब्बर सिंह और उसके मित्र गुंडे ठहाका लगाकर ज्यादा जोर जोर से हंसने लगे हा हा हा । उनके ठहाकों भरी हंसी भरी हंसी से पूरा माहौल गूंज गया औरइसे तरह हंसने की वजह थी शीतल की झांटें ।
हां दोस्तों शीतलएक सीधी-सादी लड़की थी । अपनी झांटे उसने आज तकएक भी बार स्वच्छ नहीं की थी औरइसे वजह से उसकी झांटे उंगलियों से भी भी ज्यादा लंबी थी । उसकी चूत बिल्कुल भी दिखाई नहीं दे रही थी
तभीएक हाथ से शेरू ने शीतल के बाल पकड़े और दूसरे हाथ से शीतल के दोनों हाथों को पकड़कर उसकी पीठ पर कर दिया और शीतल को भीड़ की तरफ घुमा दिया । पूरी भीड़ आंखें फाड़ फाड़ कर शीतल की तरफ देख रही थी और शीतल अपनी नजरें झुकाकर आंखों से आंखों से आंसू बहाते हुए चुपचाप खड़ी थी ।
शेरू ठहाका लगा कर हंसते हुए भीड़ से बोला - हमारे गांव की कुतियों के पास झांटे स्वच्छ करने का भी टाइम नहीं है क्याइसे रंडी की झांटों ने तो कसम खा ली है की चूत को दिखने ही नहीं देंगी। इतनी लंबी झांटे रखती हैं मेरे गांव की औरतें और लौंडिया।
मुझे तो आज पता चला है ऐसा बोलकर शीतल के हाथ छोड़कर उसकी गांड पर जोरदार थप्पड़ मारा । थप्पड़ इतना जोरदार था कि चटाक की आवाज के संग शीतलएक दो कदम आगे को बढ़ गई ।
शेरू भीड़ से - इतनी गदरायी हुई बेटियों और बहनों को अपने घर में रखते हो तुम और हमें खबर तक नहीं करते। ऐसे कैसे चलेगा काम।
कम से कम हमें बताएं तो करें ताकि हम उनकी जवानी झाड़ सकें , इनकी नथ उतार सकें । अब तुम ही देख लो गांव वालों की लौंडिया पूरा लंड खाने लायक हो गई है । पूरे गांव के सारे मर्द गांडू और हिजड़े हैं क्या कि इनकी चूतों पर लंड नहीं बजा सकते सकते ।
ऐसा कहते हुए शेरू नंगा हो गया । शेरों का काला लंडबाहर् आ गया ।
पूरे गांव की भीड़ की नजरें झुक गई तभी शेरू बोला यदि किसी की नजर मुझे झुकी हुई मिली तो उसी की बहन या बेटी के उपरि भी चढ़ूंगा आज मैं। या तो मुझे देखो या अपनी रंडी बहन बेटियों को भेजो मेरे पास ।
पूरी भीड़ नेएक संग अपनी नजरें उठाकर आंखें फाड़ फाड़ कर शेरु और शीतल को देखने लगे । किसी ने भी नजरें झुकाने की गुस्ताखी नहीं की ।
शेरू ने अपनाएक हाथ शीतल की चूत पर ले जाना चाहा लेकिन शीतल ने पकड़ लिया । शेरू ने गुस्से से शीतल के गाल पर थप्पड़ मारा और बोला- यदि दोबारा मेरा हाथ पकड़ा या अपने हाथ तूने नीचे की तो अभी तो मैं तन्हा ही हूं दोबारा अपने सारे साथियों को चढ़ा दूंगा भोसड़ी वाली तेरे ऊपर। हाथ उपरि कर अपने ।
शीतल ने 1 सेकंड का भी टाइमनहीं लगाया अपने हाथों को उपर करने में क्योंकि वह बेहद डर गई जब उसने सुना कि वह उसका रेप सारे साथियों से कराएगा और आंखों से आंसू बहती हुई हाथ उपरि करके खड़ी हो गई।
शेरू ने अपना हाथ शीतल की चूत पर रखा और उसकी झांटों में उसकी उंगलियां उलझ गयीं । झनझना गयी शीतल चूत पर हाथ पढ़ते ही । उसकी जिंदगी में ये पहला अवसर था जब किसी ने उसकी चूत पर हाथ रखा था और यहां तो पूरी भीड़ के सामने नंगी करके उसको छुआ जा रहा था।
दोस्तों आप शीतल की हालत समझ सकते हैं । शेरू ने उसकी झांटों से खेल कर अपना हाथ अपनी नाक के पास लाया और गहरी सांस लेकर बोला।
शेरू - मालिक ये तो वैसी ही है जैसी आप ढूंढ रहे है 20 वर्ष से ।
तुरंत शेरू शीतल से दूर हट कर खड़ा हो गया ।
जैसे ही शेरू ने ये शब्द बोले सारी भीड़ आश्चर्य से उनको देखे जा रही थी।
शेरों के सारे गुंडे लोग और गब्बर सिंह के मुंह सेएक संग निकला - क्या ?
फिर कुछ मिनट तक सन्नाटा छाया रहा। गब्बर सिंह अपने हुक्के में आखरी घूंट मारकर जीप से नीचे उतरा और शीतल की तरफ आने लगा ।
शीतल का चेहरा भीड़ की तरफ था जिस वजह से उसकी गांड गब्बर सिंह की तरफ थी ।
और शीतल की हालत ऐसी हो गई थी कि मुड़करदेख्ना तो दूर अपनी आंखें भी खोलने की हिम्मत नहीं कर पा रही थी।
गब्बर सिंह पास आया और शीतल के आगे खड़ा होकर उसे घूरने लगा।
फिर शीतल के पीछे खड़ा हुआ और ध्यान से शीतल की गांड को देखते हुए बोला।
गब्बर सिंह - नहीं शेरू ये मुझे नहीं लगती कि यही मेरी तलाश है।
शेरू- मालिक गुस्ताखी माफ करना लेकिनएक बार मेरा आपसे विनम्र निवेदन है कि ध्यान से आप इसके चूतड़ों की चौड़ाई देखिए और उसके पश्चात वह टेस्ट कीजिए कीजिए जो मैंने टेस्ट किया है । आपको अपनेइसे प्यादे की बात पर भरोसा हो जाएगा यदि आपको मुझ पर तब भी भरोसा ना हो तो आपएक रात के लिए इसे अपने नीचे सुला लीजिए। सुबह को उठकर आप इसके गुणगान करते नहीं थकेंगे । क्योंकि ये वही है जिसके बारे में तांत्रिक बाबा ने आपको बताया था ।
पूरी भीड़ बड़ी गौर से से उनकी बात सुन रही थी और समझने की कोशिश कर रही थी कि आखिर ये ढूंढ क्या रहे हैं । शीतल के अंदर भी यही चल रहा था इन्हें किसकी तलाश है ।
तभी गब्बर सिंह शेरू से बोला- यदि ये वह नहीं निकली जो तांत्रिक बाबा ने बताया है तो मैं तुझे जमीन में दफना दूंगा जिंदा ही ।
यह सुनकर शेरू का हलक सूख गया लेकिन दोबारा भी हकलाते हुए बोला- गुस्ताखी माफ करना मालिक लेकिन आपको सलाह देना आपकेइसे प्यादे का कर्तव्य है । मैं यकीन के संग नहीं कह सकता लेकिन दोबारा भी आपएक बार चेक कर लीजिए । हो सकता है ये वही हो ।
अब शीतल भी असमंजस में पड़ गई थी कि आखिर ये लोग ढूंढ क्या रहे हैं। मुझसे चाहते क्या है । मुझमें किस चीज की ये तलाश कर रहे हैं और इन्हें क्या चीज चाहिए । ये सारे प्रश्न शीतल के भी दिमाग में कौंध रहे थे।
तभी गब्बर सिंह शीतल के पीछे घुटनों के बल बैठ गया और शीतल के नितंबों पर हल्के से थप्पड़ मार कर कूल्हों को सहलाता हुआ बोला- लग तो मुझे भी रहा है शेरू लेकिन मैं भी यकीन के संग नहीं कह सकता और लग मुझेइसलिये रहा है क्योंकि ये बिना चुदे ही इतनी भारी गांड लिए हुए हैं तो लौड़ा खा कर तो ये घोड़ी की तरह हिनहीनयेगी।
तभी गब्बर सिंह शीतल के पीछे अपने घुटनों के बल बैठा और उसके चौड़े चौड़े चूतड़ों को विपरीत दिशा में फैलाता हुआ और अपनी नाक को उसकी चूत और गांड के छेद के बीच वाली स्थान में रखकर गब्बर सिंह ने अपने दोनों हाथो को चूतड़ों से हटा लिया जैसे ही हाथ कूल्हों से हटे तो जो चूतड़ अभी अभी विपरीत दिशाओं में फैले हुए थे उन दोनों मोटे मोटे नितंबों ने गब्बर सिंह का चेहरा दबा लिया। अपना चेहरा शीतल की गांड में दबाकरएक गहरी और लंबी सांस खींची गब्बर सिंह ने ।
दोस्तों जैसे हीएक संग गब्बर सिंह ने उसकी गांड में मुँह रखकर सांस ली शीतल की आंखें अपने आप खुल गई ।
गहरी सांस लेकर शीतल की गांड से अपना मुंह हटा कर गब्बर सिंह बोला- सही कहा शेरू तूने नशा तो है साली में पर कैसे पता किया जाए ये वही है या नहीं ।
गब्बर सिंह शीतल के सामने आया और उसकी झांटे भरी चूत में अपनी उंगलियां फसा दीं । गब्बर सिंह उसकी झांटों के बालों को खींचते हुए भीमा की तरफ देखते हुए बोला ।
गब्बर सिंह - देखा साली की झांटें इतनी बड़ी है कि तुम लोगों का लोड़ा झांटों में ही खो जाएगा । तुम्हारे बस की नहीं है इसे चोदना और ऐसा कहकर गब्बर सिंह ने अपने बीच वाली उंगली से शीतल की चूत के छेद को ढूंढना शुरुआत कर दिया।
फिर दोबारा बोला गब्बर सिंह - कितनी गहरी चूत होगीइसे कुतिया की। छेद ही नहीं मिल रहा बहन की लोड़ी का । तभी अपनी उंगली शीतल की चूत के छेद पर हल्की सी ऊँगली शीतल की चूत में घुसानी चाही लेकिन नाखून बराबर उंगली घुसते ही शीतल पीछे की तरफ हट गई । आह की आवाज के संग ।
यह आवाज मस्ती कि नहीं बल्कि दर्द की थी क्योंकि जिंदगी में पहली बार शीतल ने अपनी चूत के छेद पर किसी की उंगली महसूस की थी। उसकी दर्द भरी आवाज सुनकर गब्बर सिंह भीड़ से बोला ।
गब्बर सिंह - भोसड़ी वालों करते क्या हो तुम लोग । तुम्हारे घर बहन बेटियों की चूतों के छेद बंद पड़े हैं और तुम्हारे बस की नहीं है इन चूतों को खोलना ।देखा किसी ने नाखून बराबर उंगली भी चूत में नहीं गई और साली उछल पड़ी । लंड लेने में तो ये गला फाड़ कर रोएगी ।
गब्बर सिंह ने शीतल की चूत के छेद पर दोबारा से उंगली रखकर नाखून बराबर घुसाई । शीतल को दोबारा दर्द का एहसास हुआ ।
इस बार गब्बर ने उंगली को हल्की सी घुसाकर निकाल लिया और अपनी नाक के पास लाकर अपनी आंखें बंद करके उसकी खुशबू लेने लगा ।
गब्बर दोबारा बोला - शेरू हम अभी भी असमंजस में हैं कि ये वही लड़की है या नहीं और ऐसा कह कर उसने शीतल की चूत के छेद पर उंगली रखी और पूरी जान से उसकी चूत में उंगली घुसा दी ।
जैसे ही शीतल की चूत में उंगली गयी असहनीय दर्द के संग शीतल पैरों के पंजों पर उचक कर खड़ी हो गई मानो उंगली पर टांग ली हो गब्बर सिंह ने।
और अपने दोनों कानों पर हाथ रखकर शीतल बुरी तरह से चीखी - नैना Nainaaaaaaaa ।
दोस्तों शीतल इतनी तेज चीखी थी कि उसकी ये पुकार नैना के कानों में पड़ी । उसने जल्दी से मंदिर कीबाहर् की तरफ देखा तो सारी की सारी भीड़ मंदिर की तरफ पीठ करके खड़ी थी ।
उसे समझने में देर ना लगी कि शीतल किसी मुसीबत में है । शीतल की आवाज मानो नैना के कानों में गूंज रही थी- नैना नैना नैना नैना ।
नैना ने चाकू को अपनी पीठ के पीछे हाथ करके छुपाया और अपने दोनों हाथ पीछे की तरफ करके भीड़ की तरफ आने लगी ।
नैना बड़ी ही मस्तानी चाल से बिल्कुल निडर होकर भीड़ को चीरती हुई भीड़ को पार किया ।
जैसे ही भीड़ से निकली नैना। उसकी आंखों के सामने जो नजारा था उसे यकीन नहीं हुआ । उसकी आंखों में मानो चंडी तांडव करने लगी नैना ने अपने दांत गुस्से से पीस लिए और पीछे हाथ में लिए चाकू को हाथों से कस लिया ।
गब्बर सिंह ने जैसे ही देखा कि शीतल ने किसी नैना को पुकारा है औरएक लड़की भीड़ में से निकल कर आई है।
गब्बर सिंह हंसते हुए बोला- ये बचाएगी तुझको हा हा हा । बुलाले जिस को बुलाना है आज तो तुझे हम अपने कंधे पर उठाकर नंगी ही अपने शयनकक्ष में ले जाएंगे ऐसा बोल ही रहा था गब्बर सिंह कि नैना बढ़ते हुए उनकी तरफ आने लगी ।
जैसे-जैसे नैना गब्बर सिंह की तरफ बढ़ती जा रही थी वैसे वैसे गब्बर सिंह और उसके साथियों की आंखें चौड़ी होती जा रही थी और मुंह खुले के खुले रह गए थे उसकी वजह थी नैना का जिस्म नैना का गदराया बदन ।
क्योंकि वास्तव में नैना पर पहली बार नजर पड़ी थी गब्बर सिंह और उसके साथियों की। उन्होंने पहले ऐसी लड़की नहीं देखी थी जिसकी छातियांबाहर् को निकल कर तनी हुई हों और चलते हुए किसी मस्तानी हथनी की तरह उसके मस्ताने कूल्हे थलथला रहे हो । अजीब सा नशा था नैना की चाल में। पटियाला सलवार में चलते हुए उसके चूतड़ों की थिरकन छुपी नहीं रहती थी।
अब तक नैना पास आ चुकी थी गब्बर सिंह और शीतल के ।
नैना गब्बर की आंखों में घूरती हुई बोली- हाथ छोड़ शीतल का।
गब्बर को यकीन ही नहीं हो रहा था किइसे दुनिया में उससे कोईइसे तरीके से भी आंख मिला सकता है । उसकी हैरानी से आंखें फैल गई ।
तभी नैना गुस्से से अपने दांत पीसते हुए बोली - मैंने कहा हाथ छोड़ ।
पूरे गांव वाले आंखें फाड़ कर नैना की दिलेरी को देख रहे थे ।
तभी बराबर में जो नंगा शेरू खड़ा था वह उखड़ते हुए नैना से बोला- साली क्या बोलती है मालिक से। तेरी बोलती भी अभी बंद करता हूंइसे रंडी की तरह । ले मैं तेरा हाथ पकड़ता हूं।
फिर उसने ऐसा बोलकर जैसे ही नैना का हाथ पकड़ना चाहा। तो सारी भीड़ के हाथ अपने मुंह पर चले गए । सभी ने अपने मुंह पर हाथ रख लिया ।
दोस्तों हुआ ही कुछ ऐसा था जैसे ही शेरू ने नैना का हाथ पकड़ना चाहा नैना ने गजब की फुर्ती से अपने चाकू वाले हाथ से शेरों के लंड की जड़ पर चाकू मारा। प्रहार इतना तेज था की शेरू का लंड कट कर जमीन पर गिर पड़ा। और उसी सेकंड शेरू भी अपने दोनों हाथ लंड वाली स्थान पर रख कर जमीन पर चित हो गया । खून की नाली सी बहने लगी ।
यह नजारा देखकर गब्बर सिंह ने 1 सेकेंड के अंदर शीतल का हाथ छोड़कर दोनों हाथ उपरि कर लिए । अब गब्बर सिंह नैना के सामने ऐसे खड़ा था जैसे पुलिस के सामने चोर अपने दोनों हाथ उपरि करके खड़ा होता है ।
पूरे गांव की भीड़ ये नजारा देख रही थी और अजीब सा सन्नाटा था । तभीएक और चटाक की आवाज गूंजी और ये आवाज थी नैना के थप्पड़ की जो उसने गब्बर सिंह के गाल पर मारा था । नैना के हाथ का थप्पड़ पड़ते गब्बर नेएक हाथ अपने गाल पर रख लिया ।
तभी गांव वालों की भीड़ नेएक अजीब हंगामा उठा दिया । भीड़ वालों की आवाज से आसमान तक गूंज उठा । गांव वालों की ये आवाज सुनकर गब्बर को पहली बार डर का एहसास हुआ था । गब्बर सिंह कोइसे आवाज ने अंदर से झकझोर कर रख दिया । गब्बर सिंह के खोफ की जड़ो को हिला दिया थाइसे आवाज ने ।
हां दोस्तोंजान्ना चाहते हो ना आप की ये क्या आवाज थी ।
ये आवाज थी सभी गांव वालों की, सभी बूढ़े और बच्चो को , सभी बहन और बेटियों की , सभी पुरुषों की जो अपना हाथ बार बार उठाकर
बस बार बारएक ही शब्द बोल रहे थे - नैना नैना नैना नैना नैना .
इस दिलेरी की उम्मीद तो दूर विचार भी नहीं की थी गब्बर ने ।
गब्बर सिंह के सारे गुंडे कांपने लगे लेकिन जैसे ही गब्बर सिंह ने अपने साथियों की तरफ देखा तो गुंडों ने मजबूर होकर नैना की तरफ बढ़ना शुरुआत किया क्योंकि उन्होंने गब्बर सिंह का नमक खाया था ।
एक गुंडा नैना के पास आया और नैना को थप्पड़ मारने लगा जैसे ही उसने थप्पड़ मारने के लिए हाथ बढ़ाया कि अचानक उसका हाथ किसने पकड़ लिया । ये देखकर नैना मुस्कुरा पड़ी । अचानक गुंडे ने अपना चेहरा पीछे की तरफ घुमाया तो चेहरा घूमते ही उसके मुंह पर घुसा पड़ा जिससे वह वहीं जमीन पर चित्त हो गया । और उसी समयएक लात गब्बर सिंह के पेट में पड़ी । लात लगते ही गब्बर सिंह जीप के शीशे में जाकर लगा और जीप का शीशा टूट गया । दरअसल हुआ ऐसा जब वह गुंडा नैना को थप्पड़ मारने के लिए बढ़ा वैसे ही पीछे से नवीन ने उसका हाथ पकड़ लिया।
हां दोस्तों ये लात मारने वाला कोई और नहीं बल्कि नैना का भाई नवीन था ।
अब तो सारे गुंडे दुम दबाकर भागने लगे । सारे गुंडे गब्बर सिंह सुख को जीप में डालकर जल्दी से यहां से भागे ।
सारे गांव की भीड़ अभी खड़ी खड़ी तमाशा देख रही थी।
नैना ने अपना दुपट्टा उतारा और उससे शीतल को ढक दिया ।
तभी भीड़ में से नैना के पासएक लड़का आया जो शीतल के चाचा का लड़का था , उसने आकर नैना को शुक्रिया कहा हाथ जोड़कर , तभी उसके गाल पर नैना का तमाचा पड़ा ।
जैसे ही नैना में शीतल के चाचा के लड़के को तमाचा मारा शीतल हैरानी से नैना को देखने लगी ।
तभी किसी शेरनी की तरह दहाड़ी नैना - हिजड़ों की बस्ती में कोई ऐसा नहीं जो अपनी बहन और बेटी की रक्षा कर सके। अब मुझे तुम शुक्रिया देने आ रहे हो जब तुम्हारी बहन के यहां नंगा किया जा रहा था तब तुम कहां थे । अगरइसे गांव का यही हाल रहा। इसी तरह जलालत भरी जिंदगी जीते रहे तोएक दिन गब्बर सिंह तुम सभी की बहन बेटियों को ऐसे ही नंगी करेगा । थूकती हूं मैं ऐसे मर्दो पर मेरी नजर में तुम मर्द नहीं छक्के हो छक्के ।
पूरे गांव को शर्मिंदा करके नैना ने अपने भाई नवीन का हाथ पकड़ा और बढ़ गई अपने घर की तरफ ।
नैना और नवीन के चलने का स्टाइल कुछ ऐसा था जैसे मानो फिल्म के दो हीरो अपना मिशन पूरा करके attitude से चल रहे हों ।
रात के 9:00 बज चुके थे पूरे गांव में आज सन्नाटा था।
कोई अपने घर सेबाहर् नहीं निकल रहा था ।
उधर दूसरी तरफ गब्बर सिंह अपने साथियों के संग बैठा हुआ था ।
बीच में मेज रखी थी जिस पर दारू की चार बोतल रखी थी , और चारों तरफ उसके गुंडे बैठे थे , कुछ गुंडे खड़े भी थे जिनके हाथों में हथियार थे ।
तभी भीमा बोला - मालिक आप चिंता ना कीजिए आप मुझे हुकुम दें मैं उनका खेल अभी ख़त्म करके आता हूं ।
गब्बर सिंह - नहीं भीमा नहीं सोचना पड़ेगा , सोचना पड़ेगा मुझे उनके बारे में । ज्यादा गहराई से सोचना पड़ेगा। पहली बार आज मुझे किसी ने थप्पड़ मारा है । जिसने इतनी हिम्मत की है उसका खेल ख़त्म करने के लिए ज्यादा सोचना पड़ेगा भीमा । मुझे वह लड़की शीतल चाहिए । यदि वह लड़की वही निकली जिसे मैं 20 सालों से ढूंढ रहा हूं तो मैं तुझे क्षेत्र का राजा बना दूंगा । लेकिन मुझे वह लड़की चाहिए जो मुझे तांत्रिक ने बताया था और वह लड़की मुझे चाहिए किसी भी कीमत पर ।
भीमा - मालिक माफ कीजिएगा लेकिन मैंजान्ना चाहता हूं कि क्या वही वह लड़की है जिसे हम ढूंढ रहे हैं अपने मालिक के लिए ।
गब्बर सिंह - मुझे लग रहा है कि वही है पर मैं यकीन के संग नहीं कह सकता ।
तभी गब्बर ने हाथ से भीमा को चुप रहने का इशारा किया । और स्वयं भी चुप हो गया ।
कुछ देर पश्चात भीमा - क्या हुआ मालिक आप खामोश क्यों हो गए ।
गब्बर सिंह ने खामोशी की वजह किसी को नही बताई । और उठकर सोने चला गया सबको वही छोड़कर ।
बिस्तर पर जब गब्बर सिंह सोने लगा कि अचानक उसने दोबारा से वही खामोशि महसूस की और उसने अपने कानों पर हाथ रख लिए ।
दोस्तो इसकी वजह ये थी कि गब्बर सिंह के कानों में बसएक ही आवाज गूंज रही थी ।
और वो आवाज थी गांव वालों की - नैना नैना नैना नैना ---------
**********
दोस्तों यदि आपको कहानी समझ में आ रही हो या अच्छी लगी हो तो कृपया करके कमेंट करें ।
ताकि मैं इसे आगे लिखना जारी रखूं ।
साथ बने रहने के लिए दिल से धन्यवाद।
आपका अपना - रचित ।
**********
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I know guys u r very disappointed due too no response from my side. I understand lekin how can I explain about the issue, I don't know.
मैं आपसे कोई झूट नही बोलूंगा की मेरा accident हो गया या मैं hospitalized हूं । ऐसा कुछ नही है । I'm well. Reality ये है कि मैंने अपनी job switch की है जिस वजह से मुझे waqt नही मिल पा रहा । new job है इस वजह से एक भी meeting miss नही कर सकता अभी । so it's first week . Don't worry as soon as possible I'll post mega update .
Take waqt. Hum aap kee sehat or job ke liye dua kartr h. or majaa ayega agar naina kaa ahankar gabbar say land say tute too . Waiting
maira khyal he apko apne job pr dhyaan dena chahiye kyuki bo jaruri he. aur bese bi stories too iss forum pr ek naheen kai bhut acchi acchi chl rahi he Esliye ap apna job kariye yeh kam fursat balo k liye chhodiye
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Update- 2
_____अब तक आपने पढ़ा_____
बिस्तर पर जब गब्बर सिंह सोने लगा कि अचानक उसने दोबारा से वही खामोशि महसूस की और उसने अपने कानों पर हाथ रख लिए ।
दोस्तो इसकी वजह ये थी कि गब्बर सिंह के कानों में बसएक ही आवाज गूंज रही थी ।
और वो आवाज थी गांव वालों की - नैना नैना नैना नैना ---------
_______अब आगे_______
अबइसे घटना को 10 - 15 दिन बीत चुके थे ।
उधर गब्बर सिंह की नींद उड़ी हुई थी । वह पाना चाहता था शीतल को क्योंकि जिस लड़की की उसे तलाश थी वही शीतल है ऐसा गब्बर सिंह को लग रहा था ।
गांव में भी हालात नॉर्मल होने लगे।
1 दिन गब्बर सिंह ने भीमा को बुलाया ।
गब्बर सिंह - भीमा मैंदेख्ना चाहता हूं कि शीतल वही लड़की है क्या जिसकी मुझे तलाश है ।
भीमा - मालिक मुझे तो वही लड़की लगती है। क्योंकि उसकी गांड और चूत नहीं देखे क्या आपने ?
तभी गब्बर सिंह ने घूरते हुए भीमा की तरफ देखा , भीमा सपकपा गया।
भीमा - माफी चाहता हूं मालिक , मैं अपनी होने वाली भाभी के बारे में ऐसा बोला। मैं तो कहता हूं शीतल ही हमारी भाभी है । जिसकी आपको तलाश है।
यह सुनकर गब्बर सिंह मुस्कुरा पड़ा ।
गब्बर सिंह - भीमा हम उस लड़की की पहचान करना चाहते हैं। हमदेख्ना चाहते हैं कि वह वही लड़की है क्या या कोई सामान्य लड़की ।इसलिये आज अपने आदमियों को लेकर जाओ और उसे हमारी हवेली पर लेकर आओ । हम तैयार मिलेंगे ।
भीमा समझ गया उसे क्या करना है , वो बस इतना ही बोल पाया- जी मालिक । और गब्बर सिंह के सामने से चला गया ।
दोस्तों गब्बर सिंह की हवेली गांव के बिल्कुल बीचो-बीच बनी हुई थी ।
उसकी हवेली से 200 मीटर के आस पास कोई घर नहीं था , बिल्कुल खाली स्थान में बनाई थी गब्बर सिंह ने अपनी हवेली ।
भीमा अपने संग 10-15 गुंडे लेकर निकल गया।
उधर शीतल अपने घर बैठे हुई थी । शीतल अपनी मम्मी सावित्री से बिल्कुल खुली हुई थी
कहने का मतलब है दोनों मम्मी बेटियों में दोस्ती का रिश्ता कुछ ज्यादा था।
इसलिए दोनों अपने दिल की बातएक दूसरे से शेयर कर लेती थी ।
घर पर सिर्फ शीतल और उसकी मम्मी सावित्री थे ।
सावित्री- बेटी में सोच रही हूं तेरी शादी कर देनी चाहिए ।
शीतल- मुझे नहीं करनी अभी शादी वादी । अभी तो मेरे खेलने खाने के दिन है मम्मी ।
सावित्री- रहने दे बेटी । तू मेरा मुंह मत खुलवाया कर ।
शीतल हंसते हुए - अब मेरी कमीनी मम्मी दोबारा कुछ ना कुछ उल्टा सीधा बोलेगी।
सावित्री - क्यों ना बोलूं उल्टा सीधा जब तू बात ही ऐसी करती है कि अभी तो मेरे खेलने खाने के दिन हैं । बेटी अब तेरे खेलने खाने के नहीं अपने उपरि चढ़ाने के दिन हैं ।
मम्मी- कितनी गंदी बातें करती हैं आप । मुझे शर्म आती है ।
सावित्री- पगली ये शर्म ही तो लड़की का गहना होती है । जो लड़की जितनी शर्मीली होती उसके अंदर उतनी ही ज्यादाएक बेशर्म स्त्री होती है । अब तू इतनी शर्मीली है तो सोच रही हूं कि बेशर्म कितनी होगी तू ।
शीतल - मुझे तो लगता है मम्मी मैं बेशर्म हूं या नहीं लेकिन आप पक्की बेशर्म हो ।
सावित्री - जब मैं बेशर्म हूं तभी तो तू बेशर्म है , आखिर तू बेटी किसकी है।
अचानक शीतल को कुछ शैतानी सूझी वह मुस्कुराते हुए बोली- मैं उसकी बेटी हूं जिसे चलते हुए अपने नितंब हिलाने में आनंद आता है , जिसे अपना पिछवाड़ा हिलाकर चलने में आनंद आता है ।
सावित्री - अपनी मम्मी का पिछवाड़ा तो तूने देख लिया अपना भी देख लिया कर मेरी बेटी । मुझसे भी 10 कदम आगे लगती है । मेरा तो पिछवाड़ा ही हिलने लगा है लेकिन तेरे चूतड़ कैसे पीछे लटकने से लगे हैं , इसका राज तो बता ।
यह सुनकर शीतल शर्मा गयी ।
शीतल - रहने दो मम्मी आपको तो बस में ऐसी ही लगूंगी जैसी आप स्वयं हो । अभी मैं बच्ची हूं , कह दिया तो कह दिया। मुझे नहीं करनी अभी शादी ।
सावित्री - ना बेटी ना शादी तो तेरी करनी पड़ेगी क्योंकि अभी से तू ऐसी हो गई है जैसे दिन-रात जमकर किसी के नीचे सो रही हो , दो चार वर्ष पश्चात तो जलवे खड़े कर देगी । दोबारा तेरे लायक में लड़का कहां से ढूंढूंगी । दोबारा तेरी मारने वाला लड़का बड़ी मुश्किल से मिलेगा। तू अबइसे लायक हो गई है कि अच्छे अच्छों को पलंग में हरा सके ।
शीतल बुरी तरह शरमा गई गई लेकिन वे शरारत से अपनी मम्मी की बात से बात मिलाते बोली ।
शीतल - अपनी बेटी को कमजोर मत समझो मम्मी मैं अभी भी हरा सकती हूं ।
इतनी बात हो ही रही थी तभी दरवाजे पर भीमा दिखाई दिया ।
शीतल और सावित्री की तो जैसे जान ही सूख गई ।
भीमा- ये रही दोनों मम्मी बेटियां । इसकी बेटी को उठा लो ।
तभी 4-5 गुंडों ने शीतल की तरफ लपक्का मारा और शीतल को दबोच लिया ।
एक ने रुमाल निकाल कर शीतल के मुंह को बंद कर दिया ।
और शीतल को जबरदस्ती घर सेबाहर् ले जाकर गाड़ी में डाल दिया ।
उधर सावित्री ने भी रोना पीटना शुरुआत कर दिया - मेरी बेटी को छोड़ दो, कहां ले जा रहे हो मेरी बेटी को । तुम्हें जो चाहिए मुझसे लो मेरी बेटी को छोड़ दो।
लेकिन भीमा और उसके गुंडों ने उन दोनों की चीखों को अनसुना कर दिया और शीतल को गाड़ी में डालकर चल पड़े हवेली की तरफ ।
तभी शीतल की मम्मी रोते हुए दौड़ती हुई नैना के घर गई (बलराज सिंह के घर गई ) ।
सावित्री बलराज से गेट पर रोती हुई बोली - भाई साहब मेरी बेटी को बचा लो । मेरी बेटी को गब्बर सिंह के पुरुष उठाकर ले गए हैं , वो मेरी बेटी को भी मार देगा।
हां प्यारा पाठकों यही सच्चाई थी कि जिस लड़की को भी गब्बर सिंह के गुंडे उठाकर गब्बर सिंह के पास ले जाते थे उसकी लाश ही पुनः आती थी ।
अंदर घर में नैना खाना खा रही थी । नैना ने जैसी ही ये सुना उसे लगा कि ये तो सावित्री की मम्मी की आवाज है । नैना जल्दी भाग खड़ी हुई और पेट पर आई ।
नैना - क्या हुआ चाची जी ।
सावित्री ने रोते हुए बताया - नैना बेटी तेरी सहेली शीतल को गब्बर सिंह के पुरुष उठाकर ले गए हैं ।
नैना ने जैसी ही ये सुना , नैना की आंखों में सफेद रंग की स्थान लाल रंग ने ले ली ।
उसकी आंखों में चंडी उतर आई ,
नैना का गुस्सा उसके सर पर तांडव करने लगा ।
उसकी मुट्ठियाँ भिंचती हुई चली गयी ।
दूसरी तरफ जैसे ही शीतल को गाड़ी से उतारकर हवेली में ले जाया गया ।
गब्बर सिंह की आंखों मेंएक अजीब चमक आ गई । उसके माथे पर हैरानी के जज्बातों दिखे क्योंकि शीतल को देखकर गब्बर सिंह का मुंह खुला का खुला रह गया ।
शीतलइसे वक्त जींस टॉप में गजब की कयामत थी । उसकी गदरायी हुई जांघे थोड़ा साबाहर् को निकल हुआ पिछवाड़ा जानलेवा लग रहा था ।
गब्बर सिंह बोला- इसे हमारे शयनकक्ष में ले जाकर छोड़ दो मैं इससे वही मिलता हूं ।
शीतल कोएक कमरे में पहुंचा दिया गया। शीतल ने वह कमरा देखा तो उसकी आंखें बड़ी हो गई और उसके मुंह से निकला - नहीं -- मेरी इज्जत बचा लो भगवान ।
क्योकि दोस्तों कमरे में ना कोई बैड था , ना कोई सोफा , ना कोई कुर्सी , ना ही कमरे में कुछ सामान था , ना ही कोई अलमारी ।
उस कमरे में नीचे मोटे मोटे गद्दे बिछे हुए थे और गद्दों पर सफेद रंग की चादर और उस पर कुछ गुलाब के फूल ।
जैसे ही शीतल कमरे में घुसी जल्दी भीमा ने दरवाजाबाहर् से लगा दिया।
शीतल दरवाजा पकड़ कर रह गई । आने वाले समय के बारे में सोच कर घबराने लगी । तभी शीतल की नजर अपने पैरों पर गई उसने चप्पल पहने हुई थी । शीतल गद्दों पर खड़ी थी जिस वजह से उसकी चप्पल से सफेद चादर गंदी हो रही थी ।
अचानक उसके मन में पता नहीं क्या आया उसने अपनी चप्पल उतार करएक तरफ रख दी और नंगे पांव बेड पर खड़ी हो गयी।
शीतल बिल्कुल मौन चुपचाप घबराए हुए अपनी आंखों से आंसू बहाते हुए खड़ी थी ।
भीमा गब्बर सिंह से आकर बोला - मालिक पहुंचा दिया है आपके कमरे में , जाइये और पहचान कर लीजिए ।
गब्बर सिंह अपनी सोच में डूबा हुआ बैठा था तभी भीमा की आवाज से उसे झटका सा लगा और बोला ।
गब्बर सिंह- हां मैं भी यही सोच रहा हूं लेकिन भीमा यदि ये शीतल मर गई तो ।
भीमा मालिक इतना मत सोचिए आपको जिस लड़की की तलाश है उसकी पहचान कीजिए। मर भी जाएगी तो भी आप का कोई बाल भी नहीं उखाड़ सकता । आप चिंता मत कीजिए ।
यह सुनकर गब्बर सिंह शीतल के कमरे की तरफ चलने लगा।
उसने कुर्ता पजामा पहना हुआ था काले रंग का । उपरि से गब्बर सिंह का रंग भी काला था । लेकिन दोस्तों गजब की फुर्ती और ताकत थी गब्बर सिंह में ।
गब्बर सिंह में अकेले 30 आदमियों का सामना करने की ताकत थी। इतना ताकतवर था वो । अपनी ताकत के दम पर ही अपने इलाके में राज करता था ।
शीतल को महसूस हुआ जैसे दरवाजे को कोईबाहर् से खोल रहा हो। शीतल के दिल की धड़कन बढ़ गयीं।
तभी शीतल को दरवाजे पर गब्बर सिंह दिखा , क्योंकि दरवाजा खुल चुका था ।
गब्बर सिंह के चेहरा और उसके बदन को देखकर कांप गई शीतल ।
उसके अंदर का डर और घबराहट शीतल के चेहरे पर दिखने लगी ।
गब्बर सिंह ने दरवाजा बंद कर दिया जूते उतार करएक तरफ रख दिये।
कमरे के बीचो बीच गद्दों पर आकर खड़ा हो गया ।
बड़ी गौर से से शीतल को देखने लगा । शीतल की जीन्स का साइज तो बड़ा लग रहा था लेकिन वो जीन्स फंसी हुई थी शीतल की जांघो में ।
शीतल के बदन को देखकर गब्बर सिंह बोला - मुझे तुझसे कोई दुश्मनी नहीं है लेकिन मैं तुझ में अपना भविष्य देख रहा हूं । शीतल तुम मुझेएक गुंडा समझती हो मैं जानता हूं लेकिन। तुम ये भी जानती हो कि मैंने आज तक किसी लड़की को नहीं छेड़ा। किसी भी लड़की के संग गुंडागर्दी नहीं की । मैं मानता हूं कि मैंने लोगों को मौत के घाट उतारा है । मैं जानता हूं कि मेरे खिलाफ बोलने वाले हर शख्स की गर्दन कटती आई है आज तक लेकिन मैंने आज तक कभी किसी स्त्री या लड़की को नहीं छेड़ा ।
शीतल ने जैसे ही ये सुना उसकी आँखों ने डर की स्थान नफरत और गुस्से ने ले ली । तभी शीतल चीखते हुए बोली ।
शीतल - तुम्हारे जैसा कमीना गुंडा और जल्लाद इंसान मैने आजतक नही देखा । तुम कहते हो कि तुमने आजतक किसी लड़की को नही छेड़ा बल्कि सच्चाई तो सारा गांव जनता है कि तुम सैकड़ो लड़कियों की हत्या कर चुके होउन्को अगवा करके । पता नही कितनी लड़कियों को अगवा किया है तुमने ।
गब्बर सिंह ने पूछा - तुम मुझसेजान्ना नहीं चाहोगी इसकी वजह क्या है ?
शीतल-एक गुंडे की वजह क्या हो सकती है ये सभी जानते है ।
गब्बर सिंह बोलने लगा - शीतल जब मैं 18 वर्ष का था तब मैंनेएक साधु महात्मा की धर्मपत्नी को छेड़ दिया था, उनका रेप कर दिया था मैंने और उसी बीच वह साधु महात्मा वहां पहुंच गए । उन्होंने मुझे अपनी पत्नी के संग जबरदस्ती करते हुए देख लिया । उन्होंने दरवाजे पर खड़े हुए अपनी ऊंची आवाज में मुझे श्राप दिया ।
साधू महात्मा - हे नीच बालक अपनीइसे ताकत के मद में चूर होकर तूने मेरी पतिव्रता धर्मपत्नी पर अपनी ताकत का प्रदर्शन करके मेरी पत्नी के पतिव्रता व्रत को तोड़ा है । मैं तुझे श्राप देता हूं कि तेरी यही ताकत 30 मनुष्यों के बराबर हो जाए , तुझमे अकेले हीएक हाथी के बराबर बल आजाये । और इतनी ताकत आने के पश्चात तेरे नीचे तेरे शयन कक्ष में जो भी स्त्री या कन्या तेरे संग सोएगी वह तेरे लिंग के प्रहारों से मर जाएगी , तेरे लिंग की ताकत से वो कन्या मर जाएगी जिस वजह से तू कभी स्खलन का सुख नही ले पायेगा , मेरा श्राप है तू कभी यौन सुख का आनंद नही ले पायेगा ।
गब्बर सिंह - हां शीतल यही सच है श्राप मिलने के पश्चात मैंने देखा कि मेरा बदन दोगुना हो गया है । मेरे अंदरएक अजीब सी ताकत आ गई । मैंन जो कपड़ें पहन रखे थे वो चर्रर चर्रर करते हुए फट गए । मैं स्वयं हैरान रह गया क्योंकि 30 इंसानों की ताकत आने की वजह से और मेरा बदन दोगुना होने की वजह से मेरे लिंग का साइज भी दोगुना हो गया। मेरा लिंग उस वक्त 8 इंच का था जो कि 16 इंच का हो गया । मैं बिल्कुल घबरा गया मैं रोते हुए बाबा के साधु महात्मा के चरणों में गिर गया
और माफी मांगने लगा - हे साधु महात्मा जी मुझे माफ कर दीजिए मुझसे घोर अपराध हुआ है मुझे ये श्राप मत दीजिए । मैं आपका ऋणी रहूंगा। मुझे आप श्रापमुक्त कीजिए। जब मैं ज्यादा रोने पीटने लगा तो साधु महात्मा को मुझ पर दया आ गई और वे बोले।
साधू महात्मा - ये श्राप मेरा दिया हुआ हैइसलिये कभी पुनः नहीं हो सकता है लेकिन इसका उपाय जरूर हो सकता है बालक । मैं तुझे श्राप के संग साथएक वरदान भी देता हूं । कुछ टाइमके बादइसे धरती परएक ऐसी कन्या जन्म लेगी जो पूरी दुनिया में सबसे अलग होगी । तेरी ही तरह तगड़ी होगी । जब तू उस कन्या के संग संभोग करेगा तो वह कन्या नहीं मरेगी सिर्फ वही कन्या होगी जो तुझे सहन कर पाएगी , तेरा सामना कर पाएगी , तेरे लिंग के प्रहारों को सिर्फ उसी की योनी झेल पाएगी। उसकी तलाश तुझे स्वयं करनी होगी।
मैं दोबारा रोते हुए बोला - महात्मा जी इतनी बड़ी दुनिया में उस लड़की की तलाश कैसे करूंगा मैं ।
साधु महात्मा बोले - बालक मैं तुझे उस कन्या की कुछ विशेषताओं के बारे में बता देता हूँ जिससे तुझे उस कन्या को खोजने में आसानी होगी लेकिन अपनी खोज तुझे स्वयं करनी होगी । तो सुन उस कन्या की विशेषताएं ---
1- उस कन्या का बदन उसकी उम्र से ज्यादा बड़ा प्रतीत होगा ।
2- उस कन्या के वक्ष जैसे उसकी छातियां और नितंब भी विशालकाय होंगे।
3- उस कन्या को तेरे अलावा कोई और संतुष्ट नही कर पायेगा ।
4- और उस कन्या की सबसे बड़ी विशेषता ये होगी कि उसके बदन से उसके मूत्र की महक हर टाइमबिखरेगी, लेकिन उसे वही सूंघ पायेगा जिसके सामने वो नग्न होगी या जब उसके कोई बिल्कुल करीब होगा ।।
__________
कहानी जारी रहेगी next updateएक दो दिन में ही आएगा ।
दोस्तों कहानी का प्लॉट कैसा है बताना जरूर ।
आपका अपना - रचित भाई।
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