Update 01
ये ही मेरी प्यारी मम्मी लीलावती.
आज से कुछ वर्ष पहले में और मम्मी मासी के घर पे सोए हुए थे की मासी हमारे सुबह सुबह हमारे कमरे में आई. मासी गांव में रहती थीइसे लिए उन्हे जल्दी उठने की आदत थी.
दरवाजा खुला और मासी ने देखा की में मम्मी के सीने से लगा हुआ हु. मासी के मुंह पे प्यारी सी मुस्कान निकल आई हमे इतना प्रेम से सोते देख. वो और पास आई और. मम्मी की पीठ पर हाथ रख उन्हे आवाज दी. "चलो दीदी उठ जाओ नहा लो"
मां ने सोते हुए ही जवाब दिया "सोने दे इंदू. अभी तो अंधेरा है" और मम्मी ने मुझे कस के अपनी बाहों में भर लिया.
"दीदी वो पिछली बारिश में हमारा घुसल खाना गिर पड़ा था तो खुले में नहाना पड़ेगा आप को. अभी नहा पहोगी आप पश्चात में खुले में केसे नहा पाओगी आप"
मांएक दम से उठ खड़ी हुए और चौक के बोली "क्या बक रही है तू. में खुले में केसे नहा सकती हु. कोई देख लेगा तो." जितना मम्मी ये सुन के चौक उठी थी उस से ज्यादा मासी मम्मी के खुले ब्लाउजबाहर् निकल के हवा में तन के खड़े मम्मी में स्तनों को देख हैरान थी. मासी के दिमाग में कई प्रश्न खड़े होने लगे. इतनी उम्र में इतने कसे हुए स्तन. और बेटे के संग खुले ब्लाउज के संग क्यों सो रही थी. और क्या कुछ देर पहले तक सूरज (यानी में) दीदी के चूची मुंह में भर के सो रहा था. लेकिन मासी बस इतना ही बोल पाई."दीदी आप का ब्लाउज खुला क्यू है".
मां को अपनी हालत का पता लगते ही वोएक दम हड़बड़ा गई और जल्दी अपने ब्लाउज के बटन लगाने लगी."इंदू अब क्या कहूं ये सभी ये बदमाश किया होगा." मेरी और इशारा करते हुए मम्मी ने अपना आखरी बटन भी लगा दिया.
"आप इसे कुछ बोलती क्यों नही" मासी ने अपनी उत्सुकता से पूछा.
"क्या कहूं इंदु 24 वर्ष का जवान लड़का है. स्वयं समझ जाएगा. कुछ कहा और बुरा लगा लिया तो.एक ही बेटा है मेरा."
"दीदी कही बेटे के स्पर्श से तुम गीली तो नही हो जाती ना.
" मासी ने मम्मी के कान में धीमे से कहा.
"चुप कर. क्या बोल रही है. बेटा है मेरा. इसी सीने से उसे 3 वर्ष दूध पिलाया है."
"दीदी चलो नहा लो बातो बातो मे उजाला हो गया"
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Update 02
"दीदी चलिए नहा लीजिए" मासी ने कमरे सेबाहर् निकलते हुए कहा.
मां खटिया से उठी और कोने पे पड़ी हुए बैग से ब्लाउज पेटिकोट और ब्रा पेंटी निकाल कर. फर्श पर पड़ी हुए अपनी साड़ी को अपने बदन पे लपेट के कमरे सेबाहर् निकल आई.
आंगन केएक कोने में ही रसोई घर था जहा मासी अपना काम करने में मग्न थी. मासी अभी अभी नहा के ही आई थी मम्मी को उठाने उनके बालो से पानी की बुंदेएक एक कर मासी के ब्लाउज और पेटीकोट को भिगो रही थी. मासी के ब्लाउज के आगे के दो बटन खुले हुए थे जिस से उनके सीने के उभार और ज्यादा मात्रा में देखे जा सकते थे. मासी ब्रा नही पहनती थी उस वजह से चूची की झलक स्वच्छ दिखाई देती थी.लेकिन इतनी सुबह ये अदभुत झलकियां देखने के लिए कोई नही था. यदि कोई नौजवान मर्द मासी कोइसे हाल में देख लेता तो मासी के रूप का पक्का गुलाम बन बैठता.
मासी की चोटी लेकिन उभरी हुई उरोज देख ऐसा लगता जैसे उनके चूची उनके कसे हुए ब्लाउज को फाड़बाहर् आने को तड़प रहे हो. पतली कमर पतला और कसा हुआ बदन उपर से छोटी कद काठी मासी को उनकी उम्र से कही ज्यादा जवान बना देती.
दूसरी और मम्मी अपनी किस्मत को कोसते हुए पानी की टंकी की और चल दी. और वहा पहुंच के आस पास नजर घुमा के देखने लगी.मां सुबह की सूरज की सुनहरी किरने खेतो में देख मन ही मन सोचने लगी "कहा फस गई उनको पता चला में इसे खुले में नहा रही हू तो कितना गुस्सा होंगे." मम्मी अपने आप से ही बाते करते हुए. अपनेएक एक कर ब्लाउज के बटन खोलने लगी. और उनका हाथ पेटिकोट के नाडे पे जाते हीउन्को अपनी स्थिति का अहसास हुए की वोएक खेत में टंकी के आगे बस कुछ पेड़ और पौधो ही थे जो कुछ हद तक दूर से उनके देखने वालो की नजर सेउन्को बचा पा रहे थे लेकिन यदि कोई पास से गुजरा तो क्या होगा. क्या उनके मखमले जिस्म के दर्शन कोई पराया मर्द इतनी आसानी से करेगा. क्या जिस जिस्म को देखने का हक सिर्फ मम्मी ने पापा को दिया था आज उसे कोई अंजान अपनी आखों से देख उसे पाने के हसीन सपने देखेगा.
मां के दिल में कही विचार घूम रहे थे. कोई देख लेगा उसका दर उन्हे सताई जा रहा था. मम्मी को कई वर्ष से पूरे कपड़े उतार के नहाने की आदत सी लग गई थी लेकिन आज उन्होंने अपना पेटिकोट नही निकला और उसे अपने चूची तक उपर कर नहाने लगी. मम्मी का ध्यान आज नहाने में कम और आस पास ज्यादा था की कोईइसे और न आ रहा हो.
मां ने कुछ ही समय में अपने जिस्म को पानी से भिगो दिया और अपने जिस्म को इसे जल्दी जल्दी में साबुन से रगड़ने लगी जैसे दो मिनट ज्यादा नहाने में टाइमले तो उनको कोई जान से मार देने वाला हो. लेकिन जैसे ही आखिर में मम्मी का हाथ उनकी योनि को स्वच्छ करने उस पे गया. मम्मी जैसे अपना सभी कुछ भूल उसे बड़े प्रेम से सहलाने से स्वयं को रोक न पाई. "क्या हो गया है तुझे इतना क्यों मचल रही है. आह आह." मम्मी ने अपनीएक ऊंगली योनि की गहराई में उतार दी और खुली हवा मम्मी को अपनी योनि में उंगली करएक अलग ही मस्ती चढ़ रही थी की मासी की पुकार ने मम्मी का ध्यान भंग किया "दीदी कितनी देर.सो गई क्या"
मां को जैसे टाइमका पता ही न रहा था. वो जब अपनी आखें खोल देखी तो सूरज की किरणे कई गुना तेज हो चुकी थी. वो फट से पानी अपने जिस्म पे डाल. अपने गीले जिस्म को कुछ हद तक सुखा के फट से अपनी गुलाबी ब्रा को पहन ली और दुसरे ही समय नया पेटिकोट उपरि कर ली और गिला पेटिकोट उनके टांगों पे सरकता हुआ नीचे जा गिरा.
मां ने जैसे ही अपना पेटीकोट पहन लिया वो इतना खुस हो गई जैसे कोई जंग जीत ली हो. अब उनके गीले जिस्म से ठंडी हवाएं जब टकराने लगी उनके अंदरएक मस्ती सी जाने लगी और वो मुस्कराते हुए. अपना ब्लाउज अपने के लिए अपने हाथ में ब्लाउज डाला ही था की. की मम्मी की नजर और सामने से आ रहे मौसाजी की नजरेएक दुसरे से टकरा गई. मम्मी शर्म से पानी पानी हो गई.
मौसाजी भी मम्मी को पहली बार ऐसी हालत में देख सुन पड़ गई. ऊंह कुछ समझ ही ना आया क्या करे. वही उनकी नजरे ना चाहते हुए भी मम्मी की गुलाबी रंग की ब्रा में उभर रहे चूची पे गड़ सी गई. ये बस दो समय का नजारा था उनके लिए. मम्मी दूसरे ही पल. अपना मुंह दूसरी और कर दी.लेकिन उस से पहले ही मौसाजी भी नीचे मुंह कर घर की और चल दिए.
मौसाजी ने बस फिल्मों में ही देखा था किसी स्त्री को ब्रा में. आज अपनी आखों से ऐसा नजारा देख उनके दिल में आज दोबारा वो तमन्ना जाग गई.जिसे वो कभी पूरा न कर पाई थे. अपनी प्यारी पत्नी यानी मासी को ब्रा में देखने की. मासी बड़ी ही घरेलू और साधारण स्त्री थी जो अपने जिस्म का इतना तो ख्याल रख लेती थी की उसका मर्दबाहर् मुंह न मारे लेकिन कभी गांव के रहन सहन से हट के कुछ नही की. ना ही उन्हे हिम्मत होती की बाजार में जाके ब्रा खरीदे. हा ऐसा नही था की वो कोशिश न की हो. अपने पति की उसे ब्रा पेंटी में देखने की ख्वाइश को पूरा करने के लिए वोएक ब्रा ले तो आई थी. लेकिन मासी के चूची के लिए को ब्रा बहुत बड़ी थी. लेकिन आज मौसाजी ने अपनी पत्नी को न सही अपनी पत्नी की बड़ी बहन को ब्रा पेटिकोट में देख ही लिया था. लेकिन वो उस खूबसूरत नज़ारे को भुलाने की पूरी कोशिश करने लगे लेकिन बार बार उनके आगे गुलाबी ब्रा अपना ब्लाउज पहन रही मम्मी का बरन आ जाता.
वो अपने आप को रोक न पाई और रसोई घर में काम कर रही अपनी पत्नी इंदुमती को पीछे से पकड़ के उसके चूची को अपने हाथो में थाम के मसलने लगे और मासी की गीली गर्दन को चूमने लगे. मासीएक दम से नरम पड़ गई और. अपने पति को ये मनमानी करने से रोक न पाई.
मासी भले हीएक शर्म से स्वयं की इच्छाओं को खुल के बोल नही पाती थी और घरेलू स्त्री थी लेकिन उनकीएक कमजोरी थी की वो बड़ी जल्दी गर्म हो जाती थी.और अपनी योनि का अमृत गिराने लगती.
तभी में अपनी नींद से जाग के आधी नींद में ही रसोई घर की और पानी पीने के लिए आया और मेरी आंखे चमक उठी. मेरी प्यारी मासी अपना काम जारी रख अपने जिस्म के संग मौसाजी द्वारा हो रहे इसे मादक खिलवाड़ को रोक नहीं रही थी. मेरी नींद ऐसा कामुक नजारा देखएक समय में भाग गई. और मेने अपनी आदत से मजबूर होके मेने मासी की कुछ कामुक तस्वीर निकल ली.और दोबारा हल्की सी आवाज की तो मासी ने अपने पति को फट से धक्का दिया और धीमे आवाज में बोली "हटिए कोई आ रहा है" और मौसाजी अपना मुंह लटका केबाहर् निकल आई.
दिन भर में अपने चचेरे भाई बहन के संग मस्ती मजाक करते हुए निकाल दिया. वो दोनो मुझे अपने संग सोने के लिए बोलने लगे. मेरी चचेरी बहन पायल और मुझ से कुछ वर्ष छोटी थी.
हम दोनोंएक दुसरे से बहुत करीब थे. सच कहूं तो में बस उसके लिए ही मम्मी के संग गांव आने को तैयार हुआ था. में पायल से कुछ दो वर्ष बार मिल रहा था. लेकिनएक ही दिन एम हम इतने घुल मिल गई जैसे कभी दूर ही न हुए हो. में अपनी कॉलेज के पहले वर्ष में था और वो 12वी क्लास में पड़ रही थी. जब में उस से 2 वर्ष पहले मिला था और आज जिस से में मिला था उन दोनो पायल में बहुत कुछ बदलाव आ चुका था. मेने इतना ध्यान दिया नही था लेकिन उसकी ब्रा का उभार और उसकी पीठ पे हाथ रखने से उसकी ब्रा की पट्टी का अहसास. से मेने जाने अंजाने ही सोच लिया की अब पायल भी मम्मी की तरह ब्रा पहने लगी हे.और क्या कहूं में मम्मी के स्तनों को उसके छोटे छोटे चूची के संग तुलना करने से स्वयं को रोक न पाया.
वो बार बार मुझ से लिपट जाती.तब उसके चूची जब मेरी छाती में दब रहे होते थे में किसी और ही दुनिया में पहुंच जाता. और जब वो बोली की संग में सोते हे. में खुशी से झूम उठा लेकिन. में कल रात को भी केसे भूल जाता. मम्मी के रसभरे चूची को मुंह में लेकर चूसते हुए मम्मी की गोद में सुकून से सोया जो था.
में सोच में पड़ गया अब क्या करू. लेकिन दोबारा सोचा कि पायल के छोटे भाई के होते हुए यहां में क्या ही उसके संग करूंगा. और मेरे उसे मना कर दिया. मेरे मना करने से वो जैसे उसके कई अरमान पानी में मिल गई. वो बिचारी तो सपने सजो के ही बैठी थी की मेरी बाहों में रात निकल दे. उसकी आखों मे निराशा साफ़ दिखाई दी. मुजे भी अब बुरा लगा लेकिन में माना कर अब हा बोलने में झिझक रहा था. में मम्मी वाले कमरे में चला गया. वो पापा से फोन पे बाते कर रही थी. मेरे जाते ही वो कुछ देर में फोन रख दी और.वो लेट गई. और मेरी और देख के मुस्कुरा दी.और कुछ देर दिन भर की बाते की और फिर.मां ने अपनी साड़ी उतार दी. और बोली "सोनू बेटा फोन रख दे. अब सोते है" और वो लेट गई. मेने उन्हे पीछे से पकड़ अपनी बाहों में कस के दबोच लिया.और कुछ देर हमएक दूसरे के जिस्म के टकराव से उत्पन हो रही काम आग में जलते रहे. दोबारा मेने हिम्मत की और डरते हुए अपना हाथ मम्मी के ब्लाउज पे रख दिया और कुछ देर पश्चात जब मम्मी ने मुझे कुछ ना कहा मेने उनके ब्लाउज के उपर केएक बटन को खोलने की कोशिश में लग गया. जब में उनके ब्लाउज के बटन को न खोल पाया.में और ज्यादा मजबूती से मम्मी के ब्लाउज को खोलने की कोशिश करने लगा. मम्मी तभी धीमी आवाज में बोली "रुक जा क्या कर रहा है इसे तो ये फट जायेगा मेरे लाल"
और वो मेरी और करवट ली और अपने हाथ सेएक एक कर अपने ब्लाउज के बटन खोलने लगी.मेरी आखों के चमक आ गई. मेरा दिल जैसे फट सा गया. की तभी मम्मी को कुछ याद आया और वो बोली "सोनू बेटा. में कुछ बोल नही रही हूइसे का ये मतलब नही की कहीं भी मेरा ब्लाउज खोलने लगो. मेरे लाल कोई देख लेगा तो. वो तो बढ़िया हुआ तेरी मासी ने ही देखा. कोई और होता तो कितनी बात होती." मम्मी ने भारी आवाज में मुझे डाटते हुए कहा.
मेनेएक मासूम बच्चे जैसे कहा "मां गलती हो गई.आगे से नही होगा." और मेरी आखों से आसू निकल आई.
मां ने मुझे सीने से लगा लिया जिस से मेरा मुंह उनके चूची पे आ गया लेकिन उन्होंने ब्रा पहनी हुए थी.
"मेरा बच्चा. आजा मेने माना नही किया है. बस आगे से ध्यान रहे दरवाजा बंद किया करो. ये हम दोनो के बीच की बात है बेटा. हर कोई इसे समझ नही पाएगा"
में खुशी से झूम उठा और मम्मी के गालों को चूम के उठ के दरवाजा बंद किया. जब में मम्मी के पास लेटा मम्मी ने अपनी ब्रा निकल दी थी.और वो कुछइसे हालत में लेटी थी.
मां ने अपनी आखें बंद की हुए थी और उनके चहरे पे हल्का सी जिजक थी. और इंतजार की कब में उनके चूची को मुंह लूंगा.
मेने उनकेएक चूची को हाथ से सहलाते हुए कहा."मां आखें खोलो ना"
मां का कोई जवाब नही आया.तो मेने उनके स्तनों को चूसने और बड़े प्रेम से मसलन लगा.
मां को पहले तो बड़ा ही आनंद आने लगा जब मेने छोटे बच्चे के जैसे उनके स्तनों को चूसा लेकिन जैसे ही मेने उनके चूची के निप्पल को मरोड़ दिया उनकी आखें खुल गई और वो मेने देखा की उनकी आखों में दर्द के साथएक प्रश्न था "क्यों." लेकिन में नही रुका और मम्मी तड़पती रही.
"बेटा आउच. मेरे लाल ये क्या करने लगा. आह मत कर." मम्मी ने दर्द और कामुक आवाज में कहा.
मेने मम्मी के चूची की मासपेशियों को और ज्यादा मात्रा में चूसा और खींचा जिस से मम्मी की सिसकारियां निकलने लगी.
कुछ टाइमतक मम्मी के स्तनों को मसलने और चूसने के पश्चात में मम्मी के निपल्स को मुंह में भर के ही कब सो गया में भी नही जानता.
आप सभी का शुक्रिया. कहानी जारी रहेगी. आप अपना अमूल्य सुझाव दे की मम्मी को केसे और कहा चोदा जाई.
भूल चूक माफ करना दोस्तो. मम्मी बेटे के उपर कामुक कहानी लिखना सच में मेरे लिए आसान नहीं. कहानी लिखते हुए ही अपनी विचार ने कभी कभी होस नही रहता.
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story bhut achhi chl rahi h.ab ismein flashbacks bi aana chahiye kee golu or mummy (unki puri kahani.kaha say h .ghrr mai kon kon h etc.)or kese yeh sab shuru huwa.
जरूर आएगी मित्र, लेखक ने जब इतना सोच कर कहानी को बीच से आरंभ किया है तो उन्होंने आगे फ्लेशबैक्स का भी ध्यान रखा होगा ! थोड़ा धैर्य रखे.
आप सभी का शुक्रिया. कहानी जारी रहेगी. आप अपना अमूल्य सुझाव दे की मम्मी को केसे और कहा चोदा जाई.
भूल चूक माफ करना दोस्तो. मम्मी बेटे के उपर कामुक कहानी लिखना सच में मेरे लिए आसान नहीं. कहानी लिखते हुए ही अपनी विचार ने कभी कभी होस नही रहता.