दोस्तों येएक इंसेट कहानी है.इसे कहानी के सभी किरदार काल्पनिक है . येएक फैंटेसी है तो बस इसे पढ़िए और एंजॉय कीजिए .ऐसा कभी हकीकत में नही हो सकता .ये बसएक कहानी है पढ़िए और आनंद लीजिए
ये कहानी में हिंदी में लिखूंगा पर यदि कोई शब्द हिंदी में न लिख पाऊं तो उसको इंग्लिश में लिख दूंगा
और आखिर में ये कहूंगा कि जिसको किंकी सेक्स और गंदी बातें नहीं पसन्द तो आप प्लीज़ इसे ना पढ़ें यदि आप को रोमांस चाहिए तो प्लीज़ आप रोमांस वाले सेक्शन में जाए येएक सेक्स कहानी है और अश्लीलता से भरपूर है
और आखिर में जो लोगइसे कहानी को पढेंगे आप लोग सेएक रिक्वेस्ट है कि इसे बसएक काल्पनिक कहानी की तरह पढ़ें और ऐसा न कभी हकीकत में होता है और न होगा. धन्यवाद
kahani toh achchi lag rahi h lekin plz regular basis pr update dena.mahine mein 1- 2 update dena vagaira aesa mat krna plz . And kahani beech me chodd ke toh bilkool nahee jana.
bhay ap pahle Puri kahani padh lijiye puri fir apni opinion do kee yeh kahani kaha dekhi h pr please pahle Puri kahani padh lo.ap ko koy rok nahii raha ap apni opinion do pr puri kahani padhne k baad na kee ek update padhne k baad
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कहानी के किरदार
१) अजय- अजय २२ लाल काएक लड़का है पांच फुट सात इंच इसकी लम्बाई है सावला रंग न जायदा कला और न जायदा गोरा हर दिन कसरत करता हैइसलिये शरीर भी अच्छी है
अजय के पिता की मौत के पश्चात घर की सारी जिम्मेदारी अजय पर आ गईइसलिये उसने पढ़ाई छोड़ दिया और अपनीएक दुकान गांव के मैंने रोड पर खोल लिया और घर का सारा खर्चा उठाने लगा
वैसे तो अजय ने सेक्स किया था तीन से चार के संग पर वो अपनी मम्मी और बहन का दीवाना था खास कर के वो अपनी मम्मी सुनीता का दीवाना था
२) सुनीता- सुनीताएक ४२ वर्ष की ज्यादा ही सुंदर स्त्री है पांच फुट चार इंच की सुनीता ज्यादा सुंदर और सुशील स्त्री है पति के गुज़र जाने के पश्चात अपने घर को समाल रही है ऐसा नहीं कि उसको मर्दपस्न्द नहीं या दोबारा उसको चुदाईपस्न्द नहीं वो भीएक स्त्री की तरह चाहती है कि कोई उसकेइसे खूबसूरत बदन को मसले कोई उसको हुकुम दे पर समाज के डर से उसने अपनी सारी इच्छा दबा ली है
सुनीता का जिस्म एकदम कातिलाना है वो मोटी नहीं है पर उसके बदन पर चर्बी एकदम समान रूप से बटी हुईं हैं उसके दूध और गांड़ की तो बात ही अलग थी
सुनीता हमेशा साड़ी पहनती थीं और रात को सोते वक्त मैक्सी
३)सुधा- सुधा अजय की बड़ी बहन हैंएक २७ वर्ष की खूबसूरत लड़की है शादी हो चुकी है पर ससुराल में नहीं रहती उसके ससुराल वाले दहेज के लिए बोलते रहते हैं ऐसा नहीं कि सुधा की शादी अच्छे से नहीं हुई पर उसके ससुराल वाले लालची हैइसलिये उसने अपना ससुराल हमेशा के लिए छोड़ दिया और अपने भाई और मम्मी के संग रहतीं हैं उसके पति ने दूसरी शादी भी कर ली
सुधा भी अपनी मम्मी की तरह ज्यादा सुंदर है उसके दूध और गांड़ तो उसको अपने मम्मी से विरासत में मिली उसका पति एकदम चुटिया था जो इतनी कामुक और खूबसूरत लड़की को पैसे के लिए छोड़ दिया
४)शालिनी:- ये गांव मेंएक टीचर है और कुछ दिन में ही इसका ट्रांसफर हो जाएगा और दोबारा ये कभी नहीं आएगीइसे गांव में शालिनी ४५ वर्ष की स्त्री है और सुनीता और शालिनी में ज्यादा बनती है और सुनीता उसकी ज्यादा इज्ज़त करती है और उसकी हर बात मानती है क्योंकि वो पढ़ी लिखी है और दूसरा वो सुनीता से उमर में बड़ी है
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ये कहानी उत्तर प्रदेश केएक छोटे से गांव की है जिसका नाम रानीगंज है ये गांव शहर से ज्यादा दूर है शहर से ७५ किलोमीटर बसा हुआ ये गांव ज्यादा सुंदर है और ये के सारी आबादी खेती करती है गांव से शहर के लिए बस जाती है पर वो भी टाइमसमय से जाती गांव के मैंने रोड पे सात से दस दुकान है उसमें सेएक दुकान अजय की है
रानीगंज ज्यादा सुंदर गांव है ये चारों तरफ हरियाली है आम के बाकीचे है गांव वाले अपने में मस्त है उनको शहर से कुछ लेना देना नहीं है बस कुछ सामान चाहिए तो शहर जाते है वरना बस अपने गांव में ही रहते है सबएक दूसरे से मिलकर रहते है गांव मेंएक सरकारी स्कूल है जिसमें शालिनी पढ़ती है सारे अध्यापक आस पास के गांव से है बसएक या दो अध्यापकबाहर् से आते है और पढ़ते है और ट्रांसफर होने पर गांव से चले जाते है शालिनी भीबाहर् से आई है औरएक महीने में वो गांव छोड़कर चली जाएगी जो भी अध्यापकबाहर् से आते है सरकार ने उसके लिए रहने के व्यवस्था की है और इसी तरह शालिनी को भीएक घर सरकार की तरफ से मिला हुआ है शालिनी अकेले ही रहती है उसकाएक बेटा है राजेश नाम से वो शहर में तैयारी करता है और खाली छुट्टी के टाइमआता है शालिनी के पति ने उसको छोड़ दिया है और किसी दूसरे स्त्री के संग दिल्ली में रहता है। उसका शालिनी से कोई नाता नहीं है दस वर्ष हो गएइसे बात को।
शालिनी वैसे तो गांव में हर स्त्री से बात करती थी और सभी औरते शालिनी की ज्यादा इज्ज़त करती थी पर शालिनी की सबसे जायदा बनती थी सुनीता से वो सुनीता को ज्यादा मानती थी और उस से ज्यादा बातें किया करती थी सुनीता भी शालिनी की ज्यादा इज्ज़त करती थी वो उसको दीदी कहकर बुलाती थी क्योंकि शालिनी उम्र में बड़ी थी सुनीता उसकी हर बात मानती थी
सुनीता अपने दोनों बच्चों के संग खुशी खुशी रहती थी उसकीएक बहन और उसके बच्चे उसके घर से पांच किलोमीटर दूर रहते थे वो अपनी बहन से मिलने अक्सर जया करती थी और फोन पे तो वैसे ही बात हो जाती थी दोनो बहनों की। उसकी बहन और बच्चों के बारे में आप को अपडेट के आखिर में बता दूंगा।
सुनीता जायदा पढ़ी लिखी स्त्री नहीं थीं बस दस तक पढ़ाई की थी उसको हिंदी पढ़ना आता था वो नाचती भी ज्यादा बढ़िया थी उसने और उसकी बेटी दोनो ने ब्यूटी पार्लर का कोर्स किया था। सुनीता ज्यादा ही सुशील और संस्कारी स्त्री थीं वो यदि चाहती तो किसी भी मर्द को पलंग पे लाकर अपनी शारीरिक जरूरत को पूरा कर सकती थी क्योंकि वो इतनी कामुक और सुंदर स्त्री थी परंतु उसने ऐसा कुछ नहीं किया बस अपने बच्चों के संग रहती थीं हसी खुशी और अपनी शारीरिक जरूरत को दबा दिया।
सुनीता की सुंदरता की तो बात की अलग थी उसकी चूचियां उसकी ब्लाउज सेबाहर् आने को तरसती थी अभी भी उसकी चूचियां एकदम सुडौल और कड़क थी।क्योंकि शायद अभी तक किसी ने उसपर मेहनत नहीं की थी पर सुनीता के बदन का सबसे सुंदर अंग उसकी गांड़ थी जो कि हर मर्द ऐसी ख्वाइश रखता था कि काश ऐसी गांड़ वाली स्त्री मिल जाए।सुनीता की गांड़ एकदम कड़क और उसका आकर एकदम गोल था साड़ी में तो सुनीता कहर बरसती थी। मैक्सी में उसकी गांड़ बसबाहर् आने तरसती थी।कोई मर्द यदि होता तो मैक्सी उठाकर हाचक के उसको कुतिया की तरह पेलता।और हर स्त्री जो इतनी कामुक और सुंदर हो वो भी यही चाहती होगी और शायद सुनीता भी यही चाहती होगी पर वो समाज के नजर से डरती थी। सुनीता के बाल भी उसकी गांड़ तक आते थे जो उसकी सुन्दरता को चार चन्द लगा देते थे। जैसे सुंदर वो थीं वैसे ही सुंदर उसकी बेटी सुधा थी वो भी अपने मम्मी पर गई थी वहीं चूचियां वही गांड़ वही नैन नक्शे सभी वही थे पर सुनीता अपनी बेटी से थोड़ी से जायद सुंदर थी।
अजय भी ज्यादा बढ़िया लड़का था।गांव वालों की नजर में वो ज्यादा बढ़िया था जो अपने परिवार की जिम्मेदारी उठाता था। अजय कीएक दुकान थी गांव के मैंने रोड पे और उन लोगों के पास कुछ खेत थे जिस से वो लोग अपने घर का खर्चा चलते थे। अजय के दुकान के पास हीं सविता का घर था।जो कि गरीब थी और अजय के दुकान पे काम करती थीं।असल में सविता अजय को बहुतपस्न्द करती थी।सविता भी ४४ वर्ष की थी जिसका पति मुंबई में रिक्शा चलता था।और वर्ष में बसएक बार घर आता था।सविता कीएक बेटी थी २० वर्ष की नाम दिव्या था।वो भी अजय को ज्यादा चाहती थीं पर कभी अपनी दिल की बात नहीं बता पाई।सविता और अजय में शरीक संबंध थे।और सविता अजय का ज्यादा खयाल रखती थी।अजय भी उसके घर का खर्चा उठा लेता था कभी कभी।और सविता ईमानदार भी थीइसलिये ज्यादा बार अजय अपनी दुकान सविता और दिव्या के भरोसे छोड़कर किसी काम सेबाहर् भी चला जाता था।
अजय ने तो वैसे चुदाई की थी और सविता तो उसको शारीरिक सुख देती थीं।पर अजय अपनी मम्मी सुनीता और बहन सुधा का दीवाना था।दिन रात बस अपनी मम्मी के सपने देखा करता था।पर कभी हिम्मत नहीं हुई अपने मन की बात सुनीता से कहने की।वो अपनी मम्मी की कच्ची चुराकर उसमें अपना माल गिरता था ।अपने मम्मी की कच्ची को खूब सुगंता था।उसको अपने जीभ से कब चाटता था।और दोबारा अपने अलमीरा में छुपा देता था।
अजय के गांव में कुछ घर कच्चे थे और कुछ पक्के। अजय का घर दो मंजिल का था।नीचेएक बड़ा हॉल था लैट्रिन और बाथरूम किचेन था।और नीचे दो रूम थेएक में सुनीता सोती थी और दूसरे में सुधा ।ऊपर के मंजिल में भी रूम थे।एक में अजय रहता था और दूसरा खाली पड़ा था।उसके उपरि छत थी और छत पे भीएक मचान बना हुआ था जिसमें खाली उपरि से ढाका हुआ था और चारों तरफ से खुला हुआ था। अजय का घर ज्यादा ऊंचा था छत पर कोई क्या कर रहा है कोई नहीं बता सकता था क्योंकि और सबके घर छोटे थे और बड़े घर अजय के घर से ज्यादा दूर थे। घर के आगे के बड़ा गलियार था और उसके आगे भैंस के लिए घर था।चारों तरफ से बॉउंड्री थी।
अजय सुबह उठ कर कसरत करके अपने दुकान चला जाता था।और दोपहर को खाना खाने घर आ जाया करता था।उसके पास स्कूटी भी थी जिसका वो घर आने जाने के लिए इस्तेमाल किया करता था।कभी कभी सुनीता ही दुकान चली जाया करतीं थी खाना लेकर । और दोबारा शाम को ७ बजे तक अजय दुकान बंद करके घर आ जाया करता था।वैसे भी गांव में सभी आठ या नो बजे तक सो जाया करते हैं। सुनीता भी सुबह उठकर नाश्ता बनती दोबारा नहाती और दोपहर में सो जाया करती और चार बजे घांस काटने निकल जाती सुधा के संग और गांव की और भी औरते रहती संग में घांस काटने के लिए। सुधा भी घर के कम में सुनीता की मदद करती।और तीनों लोगों हसी खुशी रहते थे।
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