Incest Desi Sex Story : पापा का इलाज [, And ] (Incest , Erotica, Romance Special)
उधर अनुराग और नैना ने धमाकेदार ओरल सेक्स के पश्चात नाहा लिया था। नैना नेएक छोटी सी पेंट और टी शर्ट पहन ली थी । उसके अंदर उसने कुछ भी नहीं पहना था। अनुराग को नहाने के पश्चात वही पुराने कपडे पहनने पड़े थे। सबके घर लौटने के पश्चात अनुराग ने अपने घर पुनः लौटने की बात की। लता ने ज्यादा रोकने की कोशिश की पर सभी माने नहीं। लता ने दोबारा कुछ खाने पीने का सामान पैक कर दिया जिसे लेकर अनुराग, वर्षा और रूबी बच्चों के संग घर लौट गए।
नैना वहीँ सोफे पर लेट कर टीवी देखने लगी। लता और शेखर भी कपडे बदल कर वहीँ आ गए। लता नेएक छोटी सी नाइटी पहन ली थी जिसमे आगेएक चेन लगा हुआ था। नैना ने लता के गोद में में सर रख लिया। नैना के चेहरे पर सकूं देख कर लता ज्यादा खुश थी। पर शेखर के संग तो खेल हो गया था। वो कुछ देरएक सोफे पर बैठा रहा दोबारा उठ कर ड्रिंक बनाने चला गया।
लता ने नैना के माथे को चूम कर कहा - खुश तो है न ?
नैना ने मुश्कुराते हुए कहा - हाँ। ज्यादा खुश।
लता उसके बालों में हाथ फेरने लगी। नैना को भी अपनी मम्मी पर प्रेम आया। उसने उसके हाथो को पकड़ा औरउन्को चूम लिया। लता ने भी नैना के हाथों को चूम लिया। तब तक शेखर भी हाथ में ड्रिंक लेकर आ गया था।
नैना ने कहा - क्या हुआ पापा , ड्रिंक लेकर बैठ गए ?
शेखर ने घूँट लगाते हुए कहा - सबकी किस्मत अनुराग जैसी थोड़े ही है।
नैना ने ये सुना तो उसे बुरा लगा और वो उठने लगी। लता ने उसे रोक दिया और धीरे-धीरे से कहा - रूबी ने बस दिखा कर छोड़ दिया। बेचारे को
लगा की आज पीने को मिलेगा पर खेल हो गया।
नैना को भी अपने पिता पर तरस आया। उसने कहा - कल चले जाइएगा। अब तो आपने और मम्मी ने अपना वादा पूरा कर दिया। रूबी तो तैयार ही है। मार लीजियेगा उसकी गांड।
नैना के बिंदास बात को सुन कर शेखर उसकी तरफ देख कर मुस्कुराया और बोला - हाँ , कब तक खैर मनाएगी। अभी तक सोचा था प्रेम से लूंगा अब उसकी गांड और छूट दोनों फाड़ दूंगा।
शेखर के उपरि नशा होने लगा था। उसने कहा - तूने तो टाइम का फायदा उठाया न ? अनुराग ने मजे दिए की नहीं।
नैना ने अपने पिता के सामने मम्मी के संग सेक्स किया था। उसके सामने नंगी भी हो चुकी थी। पर वो अपने पिता के संग दोबारा भी इतनी नहीं खुली थी। उसे थोड़ा अजीब लग रहा था। वो चुप ही रही।
तभी लता बोली - अरे स्वयं ही पीजिएगा की मुझे भी पिलाइयेगा।
शेखर - जानेमन तुमने पहले बोला होता तो तुम्हारे लिए भीएक ग्लास लेकर आता। रुको अभी ले आता हूँ।
लता - स्वयं ही पीला दो अपने स्टाइल में।
शेखर मुस्कुराता हुआ उठा। उसनेएक सिप लिया और लता के पास खड़ा हो गया। लता ने अपना मुँह खोल दिया। शेखर ने अपने ये से ड्रिंक उसके मुँह में डाल दिया। लता ने उसे पी लिया। कुछ बुँदे नैना के चेहरे पर भी गिरी। लता झुकी और उसने नैना के चेहरे पर गिरी बुँदे chaat ली। उसकीइसे हरकत ने नैना के उपरि कुछ चमत्कार सा किया। नैना ने लता के चेहरे को पकड़ा और चूम लिया।
लता बोली - तुझे भी चाहिए क्या ?
नैना ने सर हिला दिया।
शेखर ये देख चूका था। वो लता के बगल में सोफे के हत्थे पर बैठ गया। उसने दोबारा ड्रिंक लिया और लता के मुँह में अपने मुँह से डाल दिया।इसे बार उसने जान बुझ कर और भी कुछ ज्यादा ही बुँदे नैना के उपरि गिरा दी। लता नेएक घूँट स्वयं पिया और दोबारा झुक गई। नैना ने मुँह खोला और लता ने अपने मुँह से ड्रिंक नैने के मुँह में डाल दिया। इसे बार दोनों ड्रिंक के बादएक दुसरे को चूमती रही। इधर शेखर ने लता के नाइटी के चेन को खोल दिया और उसके अंदर हाथ डाल कर उसके मुम्मे दबाने लगा। कुछ समय में शेखर ने लता के दोनों स्तनबाहर् निकाल लिए औरउन्को मसलने लगा , लता को आनंद आने लगा था। उसने अब अपने हाथों से नैना के मुम्मे दबाने शुरुआत कर दिए थे। कुछ देर पश्चात उसने अपना चेहरा उपरि उठा लिया। शेखर ने दोबारा से कुछ घूँट मुँह में लिया और उसे वैसे ही पिलाने लगा। इसे बार उसने कुछ ड्रिंक लता के स्तनों पर भी गिरा दिया। अबकी लता नैना को पिलाने के लिए जब झुकने लगी तो उसने रोक दिया और स्वयं झुक कर लता के स्तनों पर लगे ड्रिंक्स को पीने लगा। चाटने के पश्चात उसने ड्रिंक्स की धार लता के स्तनों पर गिराते हुए कहा नैना से कहा - तू भी पी ले।
नैना ने भी लपक कर लता के दुसरे चूची पर मुँह लगा दिया। कुछ ही देर में लता के कपडे उतर चुके थे। एक तरफ जहाँ लता शेखर के लंड को चूस रही थी वहीँ दूसरी तरफ नैना लता के चूत में मुँह लगा चुकी थी। लता और शेखर नंगे हो चुके थे पर नैना ने कपडे नहीं उतारे थे।
कुछ देर लंड चूसने के पश्चात लता ने नैना से कहा - तू रहने दे। अब मुझे तेरे बाप का लंड चाहिए।
लता वहीँ सोफे पर घूम कर हाथों के सहारे कड़ी हो गई और शेखर ने पीछे से अपना लंड उसके चूत में घुसा दिया।
लता - आअह, फाड़ दो मेरी चूत। फ़क मी।
शेखर पीछे से उसे चोदने लगा। नैना उन दोनों की चुदाई देख कर दांग रह गई। उसके मम्मी बाप सच मेंएक नंबर के चोदू थे। उनकी चुदाई देख कर उसकी चूत ने भी पानी छोड़ दिया था। उसे अनुराग की याद आ रही थी। वो अफ़सोस कर रही थी की वो आज चुदी नहीं। पर उसे एकी था जब उसकी चुदाई होगी तोइसे चुदाई से भी भयंकर होगी। अनुराग उसे छोड़ेगा नहीं। इतने दिनों तक इंतजार करने के पश्चात वो उसकी चूत को बेरहमी से ही चोदेगा।
मेरी माँ, बहने और(aur) उनका परिवार is story per bhi update dijiyeReason bhai is story pedne se acha lagta hai or tension kam hoti hai
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कुछ देर डॉगी स्टाइल में चुदने के पश्चात लता ने शेखर से कहा - रुको , मेरी बेटी भी प्यासी ह। उसकी चूत की आग भी बुझाना जरूरी है।
शिकार ने अपना लंड निकाल लिया। लता नैना के पास पहुंची। वो उसके पैरों के बीच में पहुँच गई और उसकी पेंट उतारने लगी। नैना ने पहले तो मना किया दोबारा आखिर में हवस की जीत हुई। नैना के पेंट उतारते ही लता उसके चूत पर भीड़ गई। अब वो जमीन पर झोपड़ी बनी हुई थी।
शिकार उन दोनों को देख रहा था।
लता - बहनचोद , देख क्या रहे हो। चोदो मुझे।
शेखर जो नैना की खूबसूरती में खोया हुआ था उसे होश आया। वो भी वहीँ बैठा और पीछे से लता के चूत में लंड डाल कर दोबारा चोदने लगा। शेखर के हर झटके से लता का मुँह नैना के चूत पर रगड़ खाता। नैना की आँखें बंद हो गई थी। वो पूरी तरह से मदहोश थी। कमरे में उसकी सिसकारियां और लता की चीखें गूँज रही थी। कुछ ही देर में शेखर के लंड ने पानी छोड़ दिया। कांपते हुए उसने अपने लंड का पूरा पानी लता के चूत में उड़ेल दिया। दोबारा वहीँ निढाल होकर बैठ गया। पता नहीं लता को आज क्या हुआ था। वो ज्यादा चुदास हो रखी थी।
उसने कहा - इतनी जल्दी खलास हो गए। अपनी भांजी को क्या चोद पाओगे। वो टी मुझसे भी बड़ी चुदास है।
शेखर कुछ नहीं बोला। लता उठी और नैना को खींचते हुए पुनः बड़े सोफे पर लेकर गई। उसने नैना को वहां लेटा दिया और उसकाएक पेअर हाथो से सीधा उठा दिया। उसने नैना के उठे हुए पैरों के बीच में अपनी चूत सताई और कैंची नुमा स्टाइल में उसे वही सोफे पर चोदने लगी। शेखर चकित था अपनी बीबी की चुदास देख कर। सिर्फ वही नहीं नैना भी आज अपनी मम्मी केइसे रूप को देख कर हैरान थी। पर उसे तो आनंद आ रहा था। आज इतनी बार झड़ने के पश्चात भी उसकी चूत अपनी मम्मी के चूत से रगड़ खा रही थी और वो आनंद के सागर में गोते लगा रही थी।
नैना - उफ्फ्फ्फ़ मम्मी , क्या कर रही हो। मजाआआ आ रहा है। कैसे कर लेती हो ये सभी ?
लता - चुप भोसड़ी के। बहन की लौड़ी। आज मौका था चुदी नहीं। अब भाई की कसार बहन ही निकालेगी ना। आआह। बता ऐसा आनंद सुलेखा ने दिया था ?
नैना - उफ्फ्फ्फ़ , आह। ये वाला तो नहीं माँ। रगड़ दो मेरी चूत को। ज्यादा सत्ता रही है। आह आह पापा , आपकी बीबी ज्यादा चुदासी है।
शेखर का लंड दोबारा खड़ा हो गया था। उसने अपना लंड अपने हाथ में ले लिया था।
नैना ने ये देखा तो बोली - आज अब अपना पानी मत निकालिये। अब आपको रूबी की मस्त चुदाई करनी है। अपना माल संभाल कर रखिये।
शेखर शांत हो गया। नैना और लता की गुथम गुँथाई देख कर उसके लंड एकदम बेकरार था पर उसने संयम रखा। वो उठा औरएक ड्रिंक और बना कर लाया और आराम से पीते पीते दोनों की रगड़ाई देखने लगा। कुछ ही देर में नैना और लता अपने चरम पर पहुँच कर कांपते हुए स्खलित होने लगीं। लता वही नैना के उपरि ही गिर पड़ी। नैना ने उसे अपने बाँहों में ले लिया।
शेखर दोनों की हालत देख कर उठा और दो और ग्लास में ड्रिंक लेकर आ गया।
उसने धीरे-धीरे से कहा - ज्यादा पानी निकाल लिया ये लो पीयो।
लता और नैना दोनों उठ कर बैठ गईं। लता तो नंगी ही रही पर नैना ने अपने पेंट से अपने जांघों के बीच का एरिया ढक लिया । तीनो ड्रिंक पीने लगे। कमरे में तूफ़ान के पश्चात की शांति थी।
इधर तूफ़ान शांत हुआ था पर उधार दूसरा तूफ़ान आया हुआ था। रात में बच्चों के सोने के पश्चात रूबी , वर्षा और अनुराग सोफे पर बैठे हुए थे। टीवी देखते हुए वर्षा ने कहा - पापा , मुझे ससुराल जाना है।
ये सुनते ही जैसेएक धमाका सा हुआ। अनुराग चौंक कर बोला - क्या हुआ ? अचानक ?
अनुराग को शक सा हुआ की कहीं वर्षा अनुराग और नैना की बढ़ती नजदीकियों और शादी से दुखी तो नहीं है। यही बात रूबी भी सोच रही थी।
दोनों को चिंता में देख कर वर्षा मुस्कुराते हुए बोली - अरे हमेशा के लिए नहीं। कुछ दिनों के लिएजाना चाहती हूँ।
रूबी - तुम तो डाइवोर्स लेने की बात कर रही थी। दोबारा ये अचानक पुनः जाने की बात।
वर्षा - दरअसल मुझे लग रहा है , मैं शायद दोबारा मम्मी बन जाऊं।
अनुराग - क्या मतलब ?
वर्षा ने सर झुका लिया और बोली -इसे टाइममेरा सबसे बढ़िया फर्टाइल टाइम चल रहा है। पापा के संग जिस तरह से टाइम बीत रहा है मुझे लग रहा है कहीं मैं अपने ही भाई या बहन की मम्मी ना बन जाऊं। वैसे भी अब बेटू बड़ा हो रहा है। मेरा दूध भी कम हो रहा है। दूसरा होने से पापा को कोई दिक्कत नहीं होगी।
रूबी बोली - पर उसके लिए वहां जाने की क्या जरूरत है ?
वर्षा - तू भी पागल है। लोग क्या सोचेंगे ? मैं सोच रही हूँ , वहां जाउंगी , अपने पति के संग कुछ रात बिताउंगी। वो साला चोद तो पायेगा नहीं। एक दो हफ्ते वहां बिता कर लड़ झगड़ कर आ जाउंगी। इसे बार आते टाइमडाइवोर्स को बात फ़ाइनल कर आउंगी। मेरे सास ससुर को मेरे पति की कमियां पता है। उन्को पता है मेरे पति लड़कियों से ज्यादा लड़के में इंटरेस्टेड हैं। ये बात पूरी तरह से खुलवाउंगी और डाइवोर्स फ़ाइनल करके ही आउंगी।
अनुराग - पर मान लो सच में बच्चा उसका ही हुआ तो। बेटू भी तो उसका है।
वर्षा - मैं देखती हूँ। कुछ तो करुँगी। पर यदि उसका हुआ तो क्या आपको ऐतराज है क्या ?
अनुराग - नहीं। मेरे लिए तेरे कोख से निकला बच्चा मेरा अपना ही है। अब तुम और तुम्हारे बच्चे मेरी जिम्मेदारी हैं। मुझे कोई फक नहीं पड़ताइसे बात से की असली बाप कौन है। पर अबकी जब पुनः आओगी तो दोबारा लौट कर नहीं जाओगी।
वर्षा की आँखे भर आई। वो बोली - पापा , आपको सभी सौंप चुकीं हूँ। अब कहाँ जाउंगी।
रूबी - वावू पापा। आपकी वल्ले वल्ले है। एक लंड पर दो दो चूत दीवानी।
वर्षा - चुप। ऐसे बोल रही है जैसे तू दीवानी नहीं हुई है।
रूबी - सच कहूं तो दीवानी तो मैं भी हूँ। पर मेरे ससुराल वाले मेरा इतना ख्याल रखते हैं कीउन्को नहीं छोड़ सकती हूँ। वर्ना मैं भी यहीं आकर बस जाती। पापा , आप टेंशन मत लो। आपके दूध के लिए मैं दोनों बच्चों में गैप रखूंगी।
अनुराग - तू भी ना। चलो सोते हैं। वर्षा , तुम कल अपने ससुराल में वहां आने की बात कर लेना । बाकी मैं भी तुम्हारे सास और ससुर से बात कर लूंगा।
अनुराग उठ कर कमरे में जाने लगा। रूबी ने वर्षा से कहा - अरे तू भी जा अपने सैयां के पास बच्चा नहीं करना है क्या ?
वर्षा - मुझे लगा , तुम आज रात बिताओगी।
रूबी - नहीं दी। मुझेएक दो दिन प्यासा रहना है ताकि जब फूफा का लौड़ा लून तो आनंद आये। प्यासी चूत बढ़िए से निचोड़ेगी उन्हें।
वर्षा हँसते हुए - बड़ी कमिनी है तू।
रूबी - वो तो हूँ।
फिर रूबी अपने कमरे में बच्चों के पास पहुँच गई। वर्षा किचन में जाकरएक जग पानी लेती है और अनुराग के कमरे में जा पहुँचती है।
वर्षा ने पानी का जग रखते हुए कहा - सो गए क्या पापा ?
अनुराग - नहीं। अब पलंग पर अकेले नींद नहीं आती है।
वर्षा ने कहा - रूबी को भेज दूँ ?
अनुराग - नहीं। अब तो जब तक तू अपने ससुराल नहीं जाती रात में तू ही चाहिए।
वर्षा खिलखिलाते हुए - बढ़िया तो अपने नाती का बाप बनने का मन है।
अनुराग - अब सभी रिश्ते घुल से गए हैं। अब तो बस पुरुष और स्त्री का ही रिश्ता समझ आता है।
वर्षा पलंग पर अनुराग के पास पहुँचती है और बगल में बैठते हुए बोलती है - आप सच सच बताइयेगा , मुझे और रूबी को छोड़ते टाइमहम आपको स्त्री दिखती हैं या बेटी ?
अनुराग ने उसे अपने पास खींचते हुए कहा - बेटी।
वर्षा ने अनुराग के सीने पर हाथ फेरते हुए बोली - तो आपको बेटी चोदने में आनंद आता है। हम्म्म।
अनुराग ने उसके नाइटी को बदन से हटाते हुए कहा - हम्म
वर्षा ने अनुराग के लुंगी के अंदर हाथ डाल कर उसके अकड़ते हुए लंड को पकड़ कर कहा - और बुआ को चोदते टाइम?
अनुराग - बहन।
वर्षा ने कहा - यदि मौका मिला होता तो आप आप मादरचोद भी बन जाते।
अनुराग अब पूरी तरह से उत्तेजित हो रखा था। उसने वर्षा को पलट कर उसके उपरि चढ़ने की कोशिश की तो वर्षा ने उसे रोक दिया और बोली - आज मैं चढ़ाई करुँगी। पर उससे पहले आप दूध पी लो।
अनुराग ने उसके मुम्मे पर मुँह लगा दिया और उसके निप्पल को चूसने लगा।
वर्षा बोली - वैसे आप मेरा दूध पी चुके हो। इसे तरह तो आप मेरे बेटे हुए और मादरचोद भी।
अनुराग ने उसके निप्पल छूटे हुए कहा - हम्म्म।
वर्षा - पी लो मेरे बेटे। अच्छे से पी लो दूध अपनी मम्मी का। क्योंकि इसके पश्चात तुम अपनी मम्मी चोदोगे।
अनुराग ने उसके निप्पल उमेठते हुए कहा - अभी आज तो मम्मी छोड़ेगी अपने बेटे को।
वर्षा अब उत्तेजना के शिखर पर पहुँच रही थी। पर अनुराग तो उसके मुम्मे देख कर पागल सा हो जाता था। वर्षा ने अपने बेटे से ज्यादा दूध तो बाप को ही पिलाया था। उसके और रूबी के मुम्मे अब करीब बराबरी पर थे। रूबी के थोड़े बड़े थे पर वर्षा के मुम्मे कुछ ख़ास थे। उसके मुम्मो का कला घेरा कला और बड़ा था और निप्पल तोएक काले बड़े अंगूर जैसे।
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वर्षा के स्तनों में अब दूध बिलकुल नहीं बचा था दोबारा भी अनुराग उसके निप्पल चूसे जा रहा था। अब उसने उसके मुम्मे मथने भी शुरुआत कर दिए थे। वर्षा अब पूरी तरह से चुदास हो चुकी थी। उसने अब अनुराग को पीठ के बल लेता दिया और स्वयं उसके कमर के दोनों तरफ पांव करके बैठ गई। उसने अनुराग के लंड को चूत में नहीं डाला बल्कि ाउसके दोनों लबो के बीच में रख कर कमर हलके हलके से आगे पीछे करने लगी। उसके हाथ अनुराग के सीने पर थे और उंगलिया अनुराग के छोटे छोटे चुचकों को पिंच कर रहे थे।
वर्षा - क्यों बेटा , अब दूध पाइक मम्मी चोदेगा या अपनी बेटी ?
अनुराग के हाथ भी उसके मुम्मो पर पहुँच गए औरउन्को मसलते हुए बोला - मम्मी चोदूूँगा।
वर्षा - बढ़िया बेटा , पहले मम्मी की चूत की मालिश तो कर दे।
अनुराग - अब प्लीज चोदने दो ना।
वर्षा - पहले मेरी मालिश होने दो।
वर्षा धीरे-धीरे धीरे कमर हिला रही थी। अनुराग की हालत ख़राब थी। परइसे पॉजिशन में उसका लंड वर्षा के क्लीट पर रगड़ खा रहा था और वर्षा आँखे बंद करके मजे ले रही थी। अनुराग भी निचे से उसके मुम्मे मीज रहा था। कुछ ही देर में वर्षा के चूत ने पानी बहना शुरुआत कर दिया। उसका बदन कांपने लगा। वर्षा - पापाअअअअअआआ , मैं तो गई। आआआआअह
वर्षा अनुराहगे के उपरि लेट गई। अनुराग के लंड को कोई आराम नहीं था। अनुराग चाहता था की वो अब उसे चोद दे पर वर्षा आज पुरे कण्ट्रोल में थी। कुछ देर बा वर्षा बोली - पापा आनंद आया ?
अनुराग - बेटा , बजा तो तुम्हे आया। मेरा लंड तो प्यासा ही रह गया।
वर्षा ने अपने हाथ को अंदर किया और उसके लंड को पकड़ कर बोली - अभीइसे मुन्ने को भी आनंद देती हूँ।
ऐसा कहकर उसने अपने कमर को अनुराग के उपरि लेटे लेटे उपरि उठाया और उसके लंड को अपने चूत का रास्ता दिखा दिया। उसकी चूत इतनी पनिया चुकी थी की अनुराग का लंड उसमे फिसलता चला गया। अंदर जाते ही अनुराग ने निचे से धक्का देने की कोशिश की। लता ने पूरी ताकत लगा कर उसे रोक दिया और उसके कान में फुसफुसा कर बोली - आज मैं खेलूंगी। आप चुप चाप मजे लेंगे।
अनुराग कुछ न कर सका और वर्षा उसके उपरि लेटे लेटे दोबारा से अपने कमर को आगे पीछे करने लगी। संग ही वो बड़े ही मादक तरीके से अनुराग के पुरे चेहरे को चाट रही थी। उसने अपने हाथों से अनुराग के हाथो को उपरि की तरफ फैला दिया और अपनी टांगो को भी निचे फैला लिया दोनों को उपरि से कोई देखे तो लग रहा था जैसे कोई मेढ़की अपनी टाँगे छितरा कर लेटी हुई हो। इसी अवस्था में वर्षा धीरे-धीरे धीरे अपने कमर को हिला रही थी। अनुराग तो दूसरी दुनिया में पहुँच गया था। उसकी आँखे बंद थी। उसका चेहरा वर्षा के थूक सा सना था जिसे वो स्वयं ही गिरा रही थी और चाट भी रही थी। वर्षा कभी अपने स्पीड को तेज करती कभी धीरे। उसकी चूत तो निचे से लगातार बह रही थी जिसकी वजह से दोनों के कमर के बीच गीलापन भी फ़ैल गया था। वर्षा को जब लगता अनुराग आने वाला है वो रुक जाती। अनुराग जब निचे से धक्के मारने की कोशिश करता वो जोर लगा कर उसे दबा देती।
कुछ देर में अनुराग बोला - अब मत करो ऐसा , मेरा लंड फट जाएगा। प्लीज चोद कर मेरा पानी निकाल दो।
वर्षा - बढ़िया , दोबारा कहो , मेरी मम्मी मुझे चोद कर मेरा पानी निकाल दो।
अनुराग - मेरी माँ, मैं तुमसे ज्यादा प्रेम करता हूँ। प्लीज मेरे लंड कापानी चोद कर निकल दो।
वर्षा - बढ़िया बेटा अब मम्मी चोदेगा ?
अनुराग - हाँ , प्लीज।
अब वर्षा उठ कर बैठ गई और कमर हिलाते हुए बोली -एक बात सच सच बताओ पापा। क्या सच में आप अपनी मम्मी चोदना चाहते थे ?
अनुराग - सच में। सुलेखा को भी ये पता था। मेरी कभी हिम्मत नहीं हुई। पर क्या करें मेरी शादी के कुछ टाइम पश्चात ही तेरे दादा दादी एक्सीडेंट में चल बसे थे।
वर्षा ने कमर की थिरकन को तेज कर दिया था। अनुराग के हाथ दोबारा से उसके मुम्मे तक पहुँच गए थे।
वर्षा - उफ्फ्फ्फ़ , आआह । यदि दादी जिंदा होती तो आपउन्को चोद लेते ?
अनुराग - हाँ , तेरी मम्मी ने तो पूरी तैयारी कर ली थीउन्को अपने ग्रिप में लेने की
वर्षा - आह , मम्मी तुम कितनी कमिनी थी। पर हमें क्यों नहीं चुदने दिया।
अनुराग ने भी अब निचे से धक्के लगाना शुरुआत कर दिया था ।
अनुराग - तेरी मम्मी तो चाहती थी। पर मैंने ही मन कर दिया था।
वर्षा तेजी से कमर हिलाते हुए - क्यों पापा। चोद लेते न हमें। अब तो चोद ही रहे हो। आह आह पापा , आपने मुझे बेटी और मम्मी दोनों बनाकर चोद लिया। आह आह माआआआ। काश तुम भी होती।
दोनों के कमरएक ले से हिल रहे थे। कमरा सिसकारियों की आवाज से गुन्ज रहा था। तूफ़ान अपने चरम पर था। अब अनुराग ने जल्दी पाला बदला और वर्षा को निचे कर दिया। कुछ ही देर में वर्षा का बदन कांपने लगा। वर्षा को देख कर लग तो लग रहा था जैसे उसे करेंट के झटके लग रहे हो। अनुराग अपने लंड को वर्षा की चूत में पुरे अंदर तक डाल रहा था। जैसे ही अनुराग के लंड ने पानी छोड़ना शुरुआत किया , वर्षा ने अपने पैरों के जोर से उसे पूरी तरह से भींच लिया। अनुराग का लंड उसके चूत के एकदम अंदर तक धार छोड़ रहा था। वर्षा ने भी अपने छोट को ऐसे सिकोड़ लिया था जैसे कोई सक्शन पाइप के अंदर लंड हो। वो दरअसल उसके वीर्य केएक एक बूँद को नोचोद लेना चाहती थी। उसका बदन और मन होश में नहीं था। पर मम्मी बनने की चाहत ने उसके दिमाग को जाग्रत रखा हुआ था। उसने अनुराग को अपने बंधन से तब तक मुक्त नहीं किया जब तक उसने उसके लंड केएक एक बूँद को अंदर नहीं गिरा लिया। उसे यकीन था की इधर बीच हुई चुदाई से वो पक्का प्रेग्नेंट हो जाएगी। उसका बेस्ट टाइम चल रहा था।
कुछ देर में दोनों निढाल होकर लेट गए। वर्षा पीठ के बल ही लेटी रही। अनुराग बैठ गया था। वो उसके बालो को सहलाते हुए बोला - क्या तुम्हे सच में ससुराल जाना है ?
वर्षा - आपको बच्चा नहीं चाहिए तो बोलिये ?
अनुराग ने झुक कर उसे चूमते हुए कहा - चाहिए मेरी माँ।
वर्षा खिलखिला उठी - मम्मी , बेटी या बीवी।
अनुराग - मेरी जान।
वर्षा - दोबारा कल बात कर लीजियेगा। और मैं दो दिन में चली जाउंगी। उसके पश्चात रूबी के संग मजे कीजियेगा। मन करे तो नैना को पटक कर चोद लीजियेगा। पर तब तक आपका ये लंड मेरी चूत में ही पानी डालेगा।
अनुराग उसके बगल में लेट गया और बोला - कहो तो अभी दोबारा से डाल दूँ।
वर्षा - मैं थक गई हूँ। सुबह।
दोनों दोबारा सो गए।
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मेरी माँ, बहने और(aur) उनका परिवार is story per bhi update dijiyeReason bhai is story pedne se acha lagta hai or tension kam hoti hai
bhay, hope aapne dekha hoga kee mene ek or nayee kahani shuru kee h.hope ap us pr bi nazar daaloge!! Will wait for your comments. Ek number
Baap k ilaaz k bahane sari aurte sbhi mardo say chudi. writer k sbhi kahaniyan aisi hi h start ek say hotha h bad mai sbhi stri mard shamil karke randikhana bnaa deta h. phir sari excitement khtm.ek male kaafi thaa yrr