Hindi/urdu sex stories of दीदी का काला जामुन। 🫐🫐 available on desixxxstories.com. Desi Sex Stories is most viewed by Indian sex story of Incest.
A short lekin Hot kahani
Completed.
Raaj Avani
Short and Hot kahani.
भाई और बहन के बिच एक अनोखा समागम, बरसात मे जामुन खाने के बाद, एक भाई अपने दीदी के काले जामुन का दीवाना हुआ, और फिर मजे से चूसा.
Full kahani .
A short lekin Hot kahani Completed. Raaj Avani Short and Hot kahani. भाई और बहन के बिच एक अनोखा समागम, बरसात मे जामुन खाने के बाद, एक भाई अपने दीदी के काले जामुन का दीवाना हुआ, और फिर मजे से चूसा. Full kahani . ...
दीदी का काला जामुन। हेल्लो दोस्तों, मै मनीष, अभी 22 वर्ष का हो गया हु। और मेरी दीदी रितु अब शादी शुदा बच्चों वाली 26 की हो गयी है। कहानी ये तब की जब मै 18 का और दीदी रीतू 20 वर्ष की थी। तब हम सभी गाँव के सरकारी स्कूल मे पढ़ते थे। पापा बहार रहते थे काम के सिल...
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The Incest Desi Sex Story of दीदी का काला जामुन। 🫐🫐
A short lekin Hot kahani
Completed.
Raaj Avani
Short and Hot kahani.
भाई और बहन के बिच एक अनोखा समागम, बरसात मे जामुन खाने के बाद, एक भाई अपने दीदी के काले जामुन का दीवाना हुआ, और फिर मजे से चूसा.
Full kahani .
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दीदी का काला जामुन।
हेल्लो दोस्तों, मै मनीष, अभी 22 वर्ष का हो गया हु। और मेरी दीदी रितु अब शादी शुदा बच्चों वाली 26 की हो गयी है।
कहानी ये तब की जब मै 18 का और दीदी रीतू 20 वर्ष की थी।
तब हम सभी गाँव के सरकारी स्कूल मे पढ़ते थे।
पापा बहार रहते थे काम के सिलसिले मे और मम्मी (सुनीता) घर ही रहती थी।
मम्मी की उम्र 36 वर्ष थी। मम्मी भी ज्यादा खूबसूरत थी। दीदी बिल्कुल मम्मी की तरह दिखती थी।
गाव के बड़े छोटे सभी हमारे घर किसी ना किसी बहाने से आते थे, बस मम्मी और दीदी को ताड़ने के लिए।
दीदी की गांड भी मम्मी की तरह बड़ी हो गयी थी। क्यू की दीदी भी जवानी शुरु होते हि लड़को से चुदना शुरु कर दी थी।
पढ़ने जाति थी और उधर हि कभी कभार किसी लड़के से चुद भी लिया करती थी।
अब कहनी पर आते है।
जून का महीना चल रहा था।
बहुत गर्मी कर रहा था उस समय, मम्मी हमे हमेसा डाटती थी कीबाहर् मत जाया करो, लू लग जाएगी। पर हम बच्चे कहा मानने वाले थे।
हम सभी दोस्तबाहर् बगीचे मे खेलने भाग जाते थे।
गांव मे मुखिया जी का ज्यादा बड़ा बगीचा था।
हम सभी बच्चे वही खेला करते थे।
दीदी और उनकी सहेली हमेशा घर घर खेलते थे।
परिचय: दीदी की सहेली मुन्नी 18साल की खूबसूरत थी।
और लीला 20 वर्ष की ये इनसे कम पर ये भी खूबसूरत थी।
दीदी के लड़के दोस्त
Pinटू 21साल का दीदी के संग पढ़ता था।
बिक्की 19 वर्ष का ये भी दीदी के संग हि पढ़ता था।
और मै, सबसे छोटा और सभी लड़कियों का प्यारा दुलारा 18साल का था उस समय।
हम सभी बगीचे मे घर घर खेल रहे थे।
दीदी और पिंटू - पति पत्नी बने थे।
ऋतू दीदी का देवर था बिक्की।
बिक्की की पत्नी बनी थी मुन्नी।
मै अपने दीदी का प्यारा भाई बना था।
दीदी लोग हम मर्दो के लिए खाना बना रही थी।
तभी पिंटू मेरे गाल धरते हुए बोला क्यू रे मनीष हम तोर जीजा है, साला हमको जीजा बोल।
मै अपना गाल झटके से खींच लिया।
तभी मेरी दीदी बोली-क्या मजाक कर रहे हो जी मेरे भाई के साथ।
बेचारा अभी छोटा है।
तभी पिंटू बोला- अरे मेरी पत्नी जी क्या मै अब अपने साला से जीजा भी ना कहवाऊ।
ये साला तो कुछ बोलता हि नही।
तभी मेरी दीदी बोली- मेरे भाई से मजाक मत करो आप, मै तो हु न आपके पास जो करना है मेरे से करो आप।
सभी मुश्कुरा रहे थे।
ताभि बिक्की बोला- भाभी जी हमे खाना भी दो की सिर्फ बाते करोगी।
तभी दीदी पत्ता पर कुछ घास ले कर आई और बोली लो देवर जी खा लो।
तब बिक्की बोले- अरे भाभी खाना मे हम घास खाये क्या।
और सभी हसने लगे।
तभी पिंटू बोला- अरे हम खाना तो झूठ का खा ले रहे है पर प्रेम असली चाहिए हमे।
और पिंटू मेरी रीतू दीदी को अपनी गोद मे खींच लिया, और गाल को चूम लिया।
इसी तरह मौके का फायदा उठाया और बिक्की भी मुन्नी को बहों मे भर के चूम लिया।
दीदी ने झटक के भाग गयी।
लीला दीदी और मैं उनकी शैतानी देखकर हस रहे थे।
लीला दीदी मुझे अपने बहों मे पकड़ी थी।
हम सभी हसने लगे। और दीदी अब खेल ख़त्म करने लगी ताभी पिंटू बोला- अरे हमने तो प्रेम भी नही किया अभी।
और सभी ठहाका मर के हसने लगे।
और दोबारा हम सभी घर आ गये।
सौबह मैं दीदी के संग स्कूल गया।
दीदी मुझे मेरे क्लास मे छोड़ के अपने क्लास मे चाली गयी।
जब छुटी हुई तो दीदी मुझे लेने नही आई तब मै सोचा देखु कहा है?
जब मे क्लास मे जा रहा था तब स्कूल के लैट्रिन से हसने की आवाज आ रही थी।
मै जाकर उधर देखा, पिंटू दीदी को बहों मे पकड़े खड़ा था। और दीदी कभी हस रही थी तो कभी उसे चूम रही थी।
फिर पिंटू अपना निचे से पेंट खोलकर बड़ा सा लंड निकला और दीदी को दे दिया।
दीदी हाथ मे लेकर हिलाने लगी।
मै 11 वर्ष की उम्र से हि मुठ मरता था।
तो देखकर सभी समझ गया।
दीदी बड़ी प्रेम से हिला रही थी और उसे चूम रही थी।
की थोड़ी देर मे उसका माल निकल गया। और दीदी तुरन्त् वहा निकल गयी।
मै झट से क्लास मे चला गया।
फिर दीदी आई और मुझे लेकर संग चल दी।
हम घर पहुंच कर खाना खाए और दोबारा खेलने चले गए।
आज सभी मित्र लुका छुपी खेलने का प्रोग्राम बनाया।
सबसे पहले चोर ऋतू दीदी बनी।
हम सभी छुप गये और ऋतू दीदी हमे ढूंढ़ने लगी।
सबसे पहले मैं मिल गया, तो दीदी ने मुझे छुपने को कही और पहले मुन्नी को धप्पा किया दोबारा सबको।
अब चोर मुन्नी गयी, तब हम सभी छुपे।
मैएक रूम मे अंधेरे मे छिपा, उसी मे पशुओ को चारा रखा हुआ था।
उसी पे बिक्की आ कर बैठ गया, तभी दीदी आ गयी और बिक्की के पास छिप गयी।
वे लोग मुझे नही देख पा रहे थे पर मै उन्हे देख पा रहा था।
दीदी ने बिक्की कोएक चपत लगायी और बोली - ये क्या कर रहा है तु, तब उसने बोला- कुछ भी तो नही।
बिक्की दीदी के चूची को सहला रहा था।
फिर बिक्की बोला- अरे ऋतू मैं तुम्हारा देवर हु इतना तो कर हि सकता हु।
और बहों मे कस लिया।
फिर दीदी बोली- छोड़ मुझे खेल कब का ख़त्म हो चुका है और तु अभी देवर बना बैठा है।
छोड़ ना देख मुन्नी आ जाएगी।
तब बिक्की बोला- नही आएगी करने दे ना थोड़ी सा।
और बिक्की मेरी दीदी का सलवार का नाड़ा खींच दिया।
और दीदी को ओठों पर किस करने लगा।
दीदी भी उसके बाल सहला रही थी।
और दोबारा बिक्की अपना लंड निकला और दीदी के सलवार और चढी निचे कर के बूर को फैलाने लगा और हलके से अंदर अपना लंड डालने लगा।
दीदी अपनी आँखे बंद करके उसके मदहोशी मे पागल की तरह उसकी होंठ चूस रही थी।
और चुदाई का आनंद ले रही थी।
दीदी धीरे-धीरे से बोली- बिक्की अभी अंदर नही गया है।
फिर बिक्की बोला- ऐसे हि रह ना ऋतू आनंद आ रहा है।
और बिक्की आगे पीछे होते हुए, दीदी के होंठ को चूस रहा था।
तभी मुन्नी दीदी ने बिक्की और ऋतू दीदी को ढूंढ लिया वो चुदाई करते हुए।
दोनो जल्दी से अलग हुए। दीदी मुन्नी से कहने लगी।
मुन्नी किसी से कुछ कहना मत।
तब मुन्नी दीदी ने कहा- मै किसी से कुछ नही कहूँगी, बस मुझे भी करना है ।
तब बिक्की ने कहा की- लीला और पिंटू पता नही कहा छुपे है।
और मनीष भी कही छुपा है। हमे मनीष को चोर भेजना होगा उसके पश्चात हम तीनो चोदा चोदी कर सकते है।
मैं समझ गया मुझे यहां से निकलना होगा।
दोबारा मिन्नी दीदी मुझे ढूंढ़ने लगी।
मै जानबुझ् कर वहा से निकल कर बहार सामने छिप गया, ताकी आसानी से वे ढूंढ सके।दीदी मुझे जल्दी ढूंढ निकला और मुझे चोर भेज दिया गया।
मै जानता था वे तीनो उसी रूम मे चुदाई करेंगे।
मैं उधर पश्चात मे जाने का फैसला किया, और पिंटू लीला को ढूंढ़ाने लगा।
दूसरी तरफ भैस वाला रूम के तरफ गया तो देखा की लीला दीदी निचे लेटी
हुई थी, और पिंटू उपरि से उसकी चुदाई कर रहा था।
चुदाई का मतलब मैं तब समझा जब मेरा मित्र मुझे निचे लेटा मुझे पीछे से पहली बार चोदा था।
उसी ने मुझे मुठ मरना भी सिखाया था।
यहा पिंटू भैया लीला दीदी को चप चप चोद रहे थे।
फिर मैं इन्हे छोड़ कर उस रूम के तरफ गया।
तो देखा की ऋतू दीदी बिक्की के लंड पर बैठ कर उचक रही थी। और मुन्नी अपनी बूर खुजला रही थी।
तभी दीदी शांत हुई तब मुन्नी बिक्की के लंड पर बैठ गयी और दोबारा उनकी चुदाई शुरु हो गयी।
मै उन्हे ऐसे छोड़ कर घर भाग गया। और मम्मी के पास सो गया।
मम्मी मुझे प्रेम से अपने से चिपका लिया और गाल को चूमती हुई अपने गले लगा के सुला ली।
मैं जब शाम को उठा तो देखा मम्मी मेरे पास नही थी, और दीदी भी घर आ चुकी थी।
मै जब उठ कर बहार जा रहा था तब दीदी बोली- हमे छिपा कर स्वयं घर भाग आया था हा।
तब मैने कहा- दीदी आपलोग मिले हि नही तो मै क्या करता?
मा ये सुन कर हसने लगी और मैं भी हसने लगा।
फिर दीदी बोली- ज्यादा बदमाश हो गये हो।
फिर मैंबाहर् खेलने चला गया और दीदी मा के संग काम करने लगी।
सुबह मम्मी ने मुझे जगाया और बोली- पढ़ने नही जाओगे क्या बिटू जी? और मुझे प्रेम से किस की।
मै झट से उठा और तैयार होने लगा।
दीदी पहले से तैयार थी।
फिर हम नास्ता करके के चले गये।
आज मेरा पुरा ध्यान लैट्रिन पर था।
वह लैट्रिन तो खंडहर हो चुकी है, अब प्रेमियों के रासलीला करने के काम आता था।
कभी कभार सर भी मैडम को लेकर उधर जाते थे रासलीला करने।
आज छुटी होते ही उधर मैं गया ताकी आज भी दीदी को चुदते देख पाउ।
जैसे वाहा गया तो कोई नही था, पर दोबारा खूसूर फुसुर की आवाज़ आई, मैं थोड़ा अंदर की ओर झंका तो देखा, आज बिक्की लाली को खड़े करके चोद रहा था।
कल लाली दीदी पिंटू से चुदी थी ,और आज बिक्की से।
और बिक्की कल मेरी ऋतू दीदी और मुन्नी को चोदा और आज इसे।
मैं वहा से जल्दी भाग कर क्लास की ओर आया तो देखा दीदी मेरा इंतजार कर रही थी,
जैसे हि पहुचा, दीदी बोली- कहा गया था तु?
मै - दीदी मूतने चला गया था।
तब दीदी बोली- ठीक है घर चल।
फिर हम घर आ गये।
खाना वाना खाये की मौसम गर्मी से थोड़ा ठंडा होने लगा, लग रहा था बारिस होगी,
धीरे धीरे-धीरे बदल घिरने लगे थे।
मौसम सुहावना होने लगा, दीदी ने कहा- मनीष चल बगीचे मे जामुन पके हुए है खाते है।
मैं तैयार हो गया, हम जाते हुए, पिंटू बिक्की, मुन्नी को भी ले लिए, लीला बोली की उसे काम है तो नही जाएगी।
हमलोग बगीचे मे आ गये, मुखियाजी के बगीचे मे पुरा अंदर चले गये।
हवाएं खूब मस्त बहने लगी, जामुन भी इधर खूब काले-काले थे।
दीदी बोली- आह: कितने मस्त और काले काले जामुन है, चलो तोड़ते है।
विक्की और पिंटू पेड़ पर चढ़कर जामुन तोड़कर एक-एक करके गिराने लगे और मेरी दीदी अपनी फ्रॉक में उसे रोक-रोक कर खाने लगी और मुझे भी खिलाने लगी।
मुन्नी दीदी भी अपने फ्रॉक में जामुन को रोकती और खाती।
विक्की और पिंटू उपरि से जामुन को गिराते हुए मेरी दीदी की उपरि से ही चूचियों को झांक रहे थे।
ऊपर से दीदी के क्लीवेज खूब स्वच्छ दिख रहे थे वह दोनों खूब देख रहे थे और जामुन को कोशिश कर रहे थे कि उनकी चूचियों पर गिरा दे।
कई दफा उन दोनों ने मेरी रितु दीदी की चूची के उपरि जामुन को गिरा दिया।
जैसे ही जामुन मेरी दीदी की चूचियों से लगता है जल्दी वह दोनों खूब हंसने लगते हो और इधर मुन्नी भी हंसने लगती कि तभी उन दोनों ने मुन्नी दीदी पर भी फेकना शुरुआत किया और उनके भी चूचियों पर लगने लगा दोबारा सभी हंसने लगे।
मजे के संग हम सभी खूब जामुन खिये और तभी बारिश शुरु हो गयी।
हम सभी दौड़ लगाकर वाहा से भागे।
विक्की और पिंटू दौड़ने में तेज थे वह दोनों जल्दी पेड़ से उतरकर घर की ओर भागने लगे, मुन्नी दीदी थी उनके संग भागने लगी।
मैं और दिदिएक संग में भाग कर घर की ओर जा रहे थे कि तभी बारिश ज्यादा तेज हो गई,
उनलोगों का घर नजदीक था तो जल्दी भाग कर चले गए।
मैं और दीदी संग में भाग रहे थे कि बारिश ज्यादा तेज हो गई और मैं ज्यादा तेज दौड़ कर भागने लगा।
तभी दीदी पीछे से आवाज दी, कि रुक जा मनीष इतना तेज क्यों भाग रहा है मुझे भी चलना है?
मैं आगे जाकर रुक गया और मुड़कर पीछे देखने लगा कि दीदी दौड़कर मेरे पास आ रही थी एकदम से नंगी लग रही थी।
बारिश की वजह से गिला होने पर दीदी के चूची पूरे दिखाई दे रहे थे उनके कपड़े पूरे उनके बदन से चिपक चुके थे।
अंदर से उन्होंने कुछ नहीं पहना था जिसकी वजह से उनके दोनो चूची हिलती हुई दिखाई दे रही थी।
दीदी दौड़कर मेरे पास आई। मेरी नजर दीदी के हिलती हुई चूचियों पर ही थी।
कि तभी दीदी ने कहा- अरे चल जल्दी कहां ध्यान है तेरा?
मैं और दीदी संग में तोड़ते हुए जल्दी घर में पहुंच गए। हम दोनों पूरी तरह से भीग चुके थे मेरी नजर तो दीदी के चूचियों से हट ही नहीं रही थी।
तभी दीदी ने मुझे घूरते हुए पूरी किया रे कहां ध्यान है तेरा?
मैं शरमाते हुए दीदी से कहा- दीदी आपका काला जामुन दिख रहा है।
फिर दीदी ने अपने आपको देखा और पूरी तरह से शर्मा गई उनका बदन पुरा तरह से नंगा दिख रहा था ।
उन्होंने मुझेएक झापड़ लगाइ और बोली की चल जा जाकर अपने कपड़े बदल ले मुझे भी अपने कपड़े बदलने हैं।
दीदी जाकर बाथरूम से अपने कपड़े बदलकर जल्दी चली आई।
और दीदी देखी कि मैं अभी भी वैसे की वैसे ही उदास खड़ा था।
तब दीदी ने मुझे प्रेम से बोली- अरे मेरे प्यारे भाई चल तेरी कपड़े बदल देती हु।
फिर दीदी ने मेरे कपड़े बदलने लगी।
मुझे पुरी तरह से नंगा कर दी,
दीदी मेरे लंड को देखने लगी और बोली- अरे मनीष तेरा तो नुनु अब बड़ा हो गया है।
और हसने लगी, मैं भी हसने लगा।
फिर दीदी मेरे कपड़े बदल दी और बोली - चल सो जाते है, नही तो मम्मी को पता चला की बारिश मे भीगे है तो ज्यादा डांट पड़ेगी।
फिर हम दोनो पलंग मे घुस जाते है, मैं अपना सर दीदी के चूचियों पर रख कर सोने लगता हु, और दीदी मेरे सर को सहलाने लगती है।
मुझे नींद नही आ रही थी तब मैं दीदी के काले काले चूचियों पर के दाना के बारे मे सोचने लगा।
दोनो चूचियाँ हिलती हुई कितनी प्यारी लग रही थी,और दीदी तो भीगने के पश्चात क़यामत लग रही थी।
तभी दीदी मेरे सर पर हाथ फेरते हुए बोली- मनीष मेरे काले जामुन चूसेगा.
उफ्फ्फ ये बस सुनना था और मेरे बदन मेएक अलग शिहरण हुई।
मैं बिना दीदी को देखे, अपना सर को हा मे हिलाया।
तब दीदी ने मुझे अपने सीने से हटाया और मेरे होंठ को चूम ली।
उफ्फ्फ ये एहसाह भी न्या था मेरे लिए।
मैं तो पागल हो रहा था,
तभी दीदी ने अपना सूट निकल दिया और दोनो चूचियों को आजाद कर दी।
मैं उनके चूचियों को पकड़ कर दबाने लगा।
दीदी चुप चाप लेट गयी और मैं उनके उपरि आकर उनके चूचियों को सहलाने लगा।
दीदी मेरे सर पर हाथ फेरते हुए बोली- चूस ले अपने काले जामुन को, और दीदी मेरे सर को अपने चूची मे दबा दी।
मैं बारी बारी से उनकी चूचियों को चूसने और सहलाने लगा।
दीदी अपनी आँखे बंद करके निचे ऊँगली करने लगी।
मैं कभी चूची को चूसता तो कभी उनके जामुन को काटता।
दीदी की मुह से सिर्फ आअह्ह्ह निकल रही थी।
दीदी अपनी बूर मे तेजी से ऊँगली करने लगी।
मैं उनकी चूचियों को चूसने और जामुन को काटने मे कमी नही कर रहा था।
दीदी की ऊँगली और तेज हुई औरबाहर् हो रहे बारिश के संग झाड़ कर दीदी भी शांत हो गयी। और मझे बहो मे भर कर सो गयी।
शाम को मैं उठा तो देखा दीदी मम्मी के संग काम कर रही थी।
तो मैंबाहर् खेलने गया।
फिर रात मे हम सभी खा पीके के सो गये, मम्मी अभी जग रही थी तो दीदी मुझे जामुन नही छूने दी।
बकी आग दीदी की भी भड़की हुई थी।
सुबह जब हम स्कूल गये, तब दीदी ने पिंटू और बिक्की को कुछ इशारे की, शायद उन्हे मिलने को बोल रही थी किसी अड्डे पर।
मैं इनकी लैट्रिन वाली अड्डा जानता था।
छुटी होते हि मैं उधर भगा तो देखा, दीदी के सलवार निचे से खुली हुई थी, दोनो मेरी दीदी को बाहों मे पकड़े उसे चूम रहे थे।
बिक्की पुरा तैयार था, दीदी मे अपना लंड घुसाने के लिए, मुझे ज्यादा गुस्सा आया।
मैं पास पड़े पथर उठाया औरएक टीन के गेट पर मार दिया।
आवाज़ इतनी तेज थी की वे दोनो जल्दी से भाग गये, दीदी ने भी अपना सलवार का नाड़ा बांधी और वहा से भाग गयी।
मैं तब तक क्लास मे आ चुका था, दीदी आई और मुझे संग लेकर घर आ गयी।
मम्मी ने हमे खाना दी और खिला के बोली कीबाहर् मत जाना घर मे सो जाओबाहर् धुप है।
हम दोनो वैसे हि किया और मैं दीदी की संग आकर लेट गया।
मम्मी काम् करती रही तो हमे दरवाजा बंद करने का मौका हि नही मिला।
फिर शाम को मुन्नी दीदी ऋतू दीदी को बुलाने के लिए आई और बोली- चलो लुका छुपी खेलने।
फिर दीदी मुझे संग लेकर आ गयी।
हम सभी खेलने लगे, पिंटू नही था आज, लीला दीदी आई थी आज।
लीला दीदी चोर बनी, विक्की ऋतू दीदी के संग छुपना चाहता था पर मैं नही चाहता था, मैं दीदी के संग छोड़ हि नही रहा था।
बिक्की मजबूरी मे मुन्नी दीदी के संग छुपा और मैं ऋतू दीदी के संग हि अपनी पुरानी स्थान पर छिपा,
मैं दीदी के काले जामुन चूसना चाहता था।
फिर दीदी अपनी सूट के उपरि सेएक चूची निकल के मुझे दे दी और मैं उनकी चूची के काले जामुन को बड़े प्रेम से चूसने लगा।
दीदी की आँखे बंद हो गयी।
मैं उनकी चूची पिने के संग हि दूसरी चूची को दबा रहा था।
की तभी लाली बिक्की और मुन्नी को खोज निकली।
तब दीदी बोली- चलो निकलते है नही तो यही आ जाएगी वो।
फिर हम दोनो निकल केबाहर् आ गयी, और इसबार चोर मुन्नी बनी,
हम दोबारा छिप गये,इसे बार दीदी मेरी लंड निकाल के हाथ से सहलाने लगी।
मेरा लंड दीदी के स्पर्श पाते हि टाइट हो गया।
दीदी मेरे लंड पर किस करते हुए बोली- तेरा नुनु तो विशाल लंड बन गया है रे।
मैं बोला- आपका हि दीदी इसे मुह मे लो न।
दीदी नेएक चपत लगा दी लंड पर और हसने लगी।
मैं भी मुश्कुराने लगा।
दीदी ने बड़े प्रेम से उसे मुंह में ले लिया। मेरी तो सांस हि रुक गया। दीदी के मुलायम मुह मे मेरा लंड और तन गया।
उउफ्फ्फ्फ़ दीदी।
तभीबाहर् हंगामा होने लगी, हम दोनो भी झट सेबाहर् आ गये।
इस बार चोर लाली गई।
लाली के चोर जाते ही मुन्नी और विक्कीएक संग छिपने चले गये।
दीदी मुझे देखकर मुस्कुराई और मुझे अपने संग दोबारा से वहीं पर छुपाने लेकर चले।
अपने अंधेरे रूम में पहुंचते ही दीदी मेरी पेंट उतार कर दोबारा से वह मेरे लंड को देखने लगी।
मेरे लंड कोएक बार दोबारा से मुंह में लिया और मेरे लंड को चूसने लगी।
मेरा लंड पहले सही ज्यादा टाइट था उनके मुंह में लेने से और ज्यादा हो गया।
इस बार दीदी बोली- की तू लेट जा।
मैं वहीं पर लेट गया और दीदी को देखा कि वह अपनी सलवार का नाड़ा खोली और अपने बुर को मेरे सामने कर दिया।
चिकनी बूर देखकर मेरे तो एकदम से लंड में तूफान आ गया।
मैं सिहर उठा, गजब की उनकी बूर थी,
दीदी के बूर पर हलकी हलकी बाल थी, और मालपुआ जैसा फुला हुआ था।अंदर पुरा लाल दिख रहा था।
मैं हाथ से छूना चाहा,
तभी दीदी मेरा हाथ पकड़ लिया।
और बोली चुपचाप लेटा रह, दोबारा दीदी अपनी बूर को मेरे लंड पर रखा और बैठ गयी।
मेरे तो जैसे मजे मे सवर्ग दिखने लगे, दीदी अपनी आँखों को बंद कर ली और हलकी हलकी हिलने लगी।
तभीबाहर् बहुत हंगामा मचा, दीदी जल्दी उठ करबाहर् चाली गयी।
मैं भी थोड़ा देर मेबाहर् आया तो पता चला की बिक्की और मुन्नी भीएक दूसरे मे लगे हुए थे, और लाली उन्हे पकड़ ली थी।
इसलिए सभी हस रहे थे।
दीदी बोली- चल मनीष शाम हो गयी, वर्णा डाट पड़ेगी मम्मी से।
हम दोनो भाई बहन वहा से चले आये।
रात को खाना पीना हुआ।
उसके पश्चात हम सोने चले आये।
आज घर पे पापा आये थे, तो मा खाना जल्दी ख़तम कर के पापा के पास सोने चाली गयी।
उधर मम्मी ने अपना दरवाजा बंद किया और इधर दीदी ने अपना।
आज दीदी मेरे संग लेटते हि बोली- क्यो रे आज जामुन नही चुसोगे।
मैं तो इसका इंतजार हि कर रहा था, तभी दीदी मेरा और अपना कपड़ा निकाल दी, हम दोनोएक दूसरे के पास नंगे लेट गये।
मैंने दीदी से पूछा कि दीदी अंदर मम्मी और पापा क्या कर रहे हैं?
दीदी ने मुस्कुराते हुए और मेरे हॉट को चूमते हुए बोली -कि वही जो हम करने वाले हैं मेरे भाई मम्मी के काले जामुन को पापा अपने होंठ में लेकर चूस रहे हैं तु भी मेरा लेकर चूसना।
मैं दीदी के दोनों चूचियों को अपने हाथ से मसलकर उसे पर लगे काले जामुन को एक-एक करके जीभ से चाटने लगा और कभी-कभी दांतों से काटने लगा।
दीदी अपने आंखें बंद करके मेरे बालों को सहला रही थी और अपने दांतों से अपने होठों को काट रही थी और आआह्ह्ह्ह् ऊफ्फ्फ्फ्फ् कर रही थी।
दीदी के मुंह से ये शितकार सुनकर मेरा तो लंड एकदम से टाइट हो गया मैं अपना आपा खो दिया और दीदी के चूचियों को कस कर काट दिया।
दीदी की आआअह्ह्ह्ह् निकल गई।
फिर दीदी मुझे नीचे लेटआई और मेरे होठो को चूमने लगी।
दीदी मेरे होठों से होते हुए कभी गर्दन को चुमती तो कभी छाती को चूमती उसके पश्चात मेरे नभी चूमते हुए मेरे लंड को अपने मुट्ठी में पकड़ कर उसके टोपी को अपनी जीभ से चाटने लगी।
थोड़ी देर टोपी को चाटने के पश्चात मेरे लंड को पूरी तरह से अपने मुंह में लेने लगी दीदी अपने थूक से पूरी तरह मेरे लंड को गिला कर दी और प्रेम से उसे चुस रही थी चाट रही थी कभी मेरे अंडकोष को अपने जीव से रगड़ देती तो कभी मेरे टोपी को अपनी जीभ से रगड़कर उत्तेजित कर देती।
उसके पश्चात दीदी स्वयं लेट गई और अपनी टांगे को फैला दी और बोली कि मनीष आजा और मेरे रसभरी बूर को अपने जीभ से चाट कर इसे पवित्र कर दे मेरे भाई।
मैं ठीक वैसे ही किया अपने दीदी के बुर को हाथों से थोड़ा सा फैलाया और उसमें निकले दाने को अपने जीभ से चाटने लगा तो कभी उसे अपने दांतों से रगड़ देता है दोबारा मैं अपनी जीभ को उसके योनि के जो रास्ता थी उसमें घुसेड देता पूरा अंदर तो कभी पूराबाहर् तक ले चाट लेता आनंद आ रहा था।
दीदी अपनी आंखें बंद किए हुए खूब मस्त हो रही थी।
फिर मैं धीरे-धीरे उनके नाभि को चाटते हुए उपरि की ओर गया और दोबारा से उसके काले जामुन को अपने मुंह में भरकर चूसने लगा उसके।
दीदी मस्त मेरा बाल सहला रही थी और अपनी आंखें बंद करके आह्ह् भर रही थी।
फिर मैं उपरि बढ़ा और दीदी के होंठ को चुमते हुए अपने लंड को दीदी के बुर पर सेट किया और धीरे-धीरे अंदर डालने लगा।
दीदी मुझे अपने बाहों में कस ली थी और मेरे होठों को कस कस के चूस रही थी।
मैं अपना लंड को दीदी के बूर में पुरा नीचे तक् उतार दिया दीदी अपनी आंखें बंद करके मुझे कस के अपने बाहों में भिंच ली।
हम दोनों पूरी तरह से उत्तेजित हो चुके थे दीदी मुझे अपने बाहों में कस के मेरे बाल को सहलाती तो कभी पीठ में नाखून को गड़ा देती और मैं लगातार नीचे अपनी गांड को हिला कर दीदी के बूर में लंड को पेल रहा था।
फिर दीदी मुझे नीचे कर दी और स्वयं मेरे उपरि आकर चढ़ गई और उपरि से हिलना शुरुआत किया।
मैं अपने दीदी के दोनों काले जामुन को मसल रहा था और दीदी मेरे लंड पर उछल कूद कर रही थी और अपनी आंखों को बंद की हुई थी।
दीदी जोर-जोर से लंड पर उछल रही थी जिसकी वजह से मैं एकदम उत्तेजित हो गया और मैं गिरने के करीब आ गया तब मैंने दीदी को बोला कि दीदी अब मेरा होने वाला है तब दीदी ने और तेज झटके मारने शुरुआत किया और जैसे ही मैंने अपनी आंखों को पूरी तरह से भींच ली,दीदी समझ गयी अब नही रुक सकता तभी उन्होंने मेरे लंड को उपरि से निकाली और मेरे लंड पर बैठकर उपरि से ही रगड़ दि थी जिसकी वजह से सारा पानी मेरे पेट पर आकर गिरा।
दोबारा दीदी उठी और अपने पेन्टी से मेरी सारी पानी को स्वच्छ किया और दोबारा अपने बुर को भी पुरी तरह से स्वच्छ किया और दोबारा आकर मेरे संग लेट कर सोने लगी कि तभी मैंने कहा दीदी मम्मी का भी हो गया होगा क्या?
तब दीदी ने मुस्कुराते हुए मुझेएक चपत लगाकर बोली कि तेरा हो गया ना चलो सो जा। मम्मी का नहीं भी हुआ होगा तो क्या तु जाके कर देगा क्या?
और हम दोनों हंसने लगे तब मैंने दीदी को काले जामुन को मसलते हुए कहा कि दीदी मैं तो मम्मी का भी कर दूंगा आप बस बुरा मत मानना।
तब दीदी बोली -मैं क्यों बुरा मानो तेरी मम्मी है जा जो करना है कर ले वैसे भी वह तो कहींबाहर् करती ही होंगे?
तब मैंने दीदी से कहा -अच्छा दीदी आपने कभी देखा क्या मम्मी कोबाहर् कुछ करते हुए ऐसा?
तब दीदी ने कहा नहीं मुझे बस शक है जो रिजवान अंकल है ना हमारे पड़ोस के हमारे हिंदी के टीचर, वह बार-बार हमारे घर पर आते हैं और मम्मी सेइसे तरह मजाक करते हैं और स्कूल मे भी पूछते रहते है, ऐसा लगता है कि इन दोनों के बीच कुछ चल रहा है।
तब मैंने हंसते हुए कहा बढ़िया दीदी लगता है मम्मी के काले जामुन को भी मुझे ही चखना पड़ेगा तब जाकर मम्मी शांत होगी।
फिर हम दोनों हंसने लगे और हंसते हुएएक दूसरे के बाहों में पकड़ कर सो गए।
फिर सुबह जब हुई तो मैं और दीदी स्कूल गए स्कूल में अब दीदी विक्की और पिंटू से नहीं मिलती थी वह सिर्फ और सिर्फ मुझसे ही वो सभी करती मुझे भी अब लैट्रिन में ले जाती और अपनी काले जामुन को चुसवाती थी।
फिर हम दोनों घर आते और लुका छुपी में भी अब दीदी मुझे खूब आनंद लेती थी हम दोनों खूब आनंद लेते थेएक दूसरे के संग लेकिन कुछ ही सालों में मम्मी ने दीदी का शादी कर दी और वह अपने ससुराल चली गई उसके पश्चात हम दोनों के बीच ये सभी कुछ नहीं हुआ।।
यह कहानी यही ख़त्म होती है। धन्यवाद।।।
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Jaisa kee ap sabko maloom h abi pichhle hafte hi humne USC kee announcement kee h aur abi kuch waqt pahle Rules and Queries thread bi open kia h aur Chit Chat thread toh pahle say hi Hindi section main khula h.
Well iske baare main thora aapko bata dun yeh ek short kahani contest h jisme ap kisi bi prefix kee short kahani post krr sakte hu, joo minimum 700 words and maximum 8000 words k bich honi chahiye (kahani k words count karne k liye iss tool kaa use kare — Characters Tool) . iss liye mein aapko invitation deta hoon kee ap iss contest main apne khayaalon ko shabdon ka roop dekar ismein apni kahaniyan daalein jisko pura XForum dekhega, yeh ek bohot acha kadam hoga aapke aur aapki kahaniyan k liye kyonki USC kee kahaniyan ko poore XForum k readers read karte haen. ap XForum k sarvashreshth lekhakon main say ek haen. or aapki story bi bhut achchi chl rahi h. iss liye hum aapse USC k liye ek choti story likhne kaa anurodh karte haen. hum jaante haen kee aapke pas waqt kee abhav h halanki iske bawajood hum yeh bi jaante haen kee aapke liye kuch bi asambhav nahee h.
or joo readers likhna nahee chahte wo bi iss contest main participate krr sakte haen "Best Readers Award" k liye. Aapko bus krna yeh hoga kee contest main posted kahaniyan ko read karke unke upar apne views dene honge.
Winning Writer's ko well deserved Cash Awards milenge, uske alawa aapko apna thread apne section main sticky karne kaa mouka bi milega taaki aapka thread top pr rahe uss dauraan. iss liye aapsab k liye yeh ek behtareen mouka h XForum k sabhi readers k upar apni chhaap chhodne kaa aur apni reach badhaane ka. yeh ap sabhi k liye ek bhut hi sunehra avsar h apni kalpanao ko shabdon kaa raah dikha k yahan pesh karne kaa. iss liye aage badhe or apni kalpanao ko shabdon main likhkar world ko dikha de.
Entry thread 25th March ko open hu chuka matlab ap apni kahani daalna shuru krr sakte haen aur wo thread 25th April 2025 tak open rahega iss dauraan ap apni kahani post krr sakte haen. iss liye ap abi say apni kahani likhna shuru kardein toh aapke liye better rahega.
or ha! story ko sirf ek hi post main post kia jaana chahiye. kyonki yeh ek short kahani contest h jiska matlab h kee hum kewal choti kahaniya kee ummeed krr rahe haen. iss liye apni story ko kayi post / bhaagon main post karne kee anumati nahee h. Agar koy bi issue hu toh ap kisi bi staff member ko Message krr sakte haen.
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