"आग्याकारी माँ"
दोस्तो मैं आपका अपना सतीश नई कहानी स्टार्ट कर रहा हु वैसे दोस्तो आपको इसका नाम कुछ अजीब लग रहा होगा कही माता पिता भी आग्याकारी होते है आग्याकारी तो बच्चे होते है पर यकीन मानिएइसे कहानी को यही नाम सही है ये कहानी मम्मी बेटा भाई बहन के सेक्स के उपरि आधारित है कैसेएक मम्मी अपने पति से उदास होकर अपने बेटे के संग संबंध बनाती है वैसे मेरी ज्यादा सारी कहानियां पहले से शुरुआत है पर मैं ये कहानी शुरुआत करने से अपने आप को नही रोक पा रहा इसमें ही सबकुछ है तो दोस्तो अपनी बकवानी बंद करता हु आप कहानी का आनंद लीजिये
………सतीश
पात्रपरिचाय:-
अविनाश- उम्र ४५ वर्ष.
एक ज्यादा बड़ा बिजनेसमैन, गुड लुकिंग लेकिन गलत संगत मे पड़ने के कारन उसे हैवी ड्रिंकिंग की आदत पड़ गइ. कई बार तो वो इतनी पी लेता की उसे कुछ अपना होश ही नहीं रहता और उसके मित्र उसे घर तक छोड़ने आते.
सोनाली- उम्र ४०, फिगर- ३४-३०-३६
एक अच्छी पढ़ीलिखी औरत, ज्यादा ही खूबसूरत और क़ातिलाना सांचे मे ढला हुआ जिस्म, जिसे देख कर बुड्ढे भी जवानी की दुहाई माँगते है जहाँ से वो गुज़रती वहां के लोगो को अपने हुस्न का दीवाना बना देती. उसने अपना फिगर मेन्टेन करके रखा है योग ओर एक्सरसाइज के द्वारा. कोई भी उसे देख कर ये नहीं कह सकता की उसकी उम्र ४० की होगी, उसकी उम्र ३० वर्ष से भी कम लगती थी.,
उम्र के संग ही सोनाली की बदन की आग बढ़ती जा रही थि, पर उस आग को शांत करने वाला रोज शराब के नशे मे आता और आते ही पलंग पर गिर पडता. और सोनाली ऐसे ही तड़प कर रह जाति, २ वर्ष से उपरि हो गया था उसे सेक्स करे रोज रात को उसे अपनी उंगलि, और अब कुछ टाइमसे डिलडो से अपने बदन को शांत करना पडता, वो चाहती तोबाहर् भी मुह मार सकती थी पर अपनी फॅमिली की इज्जत की बजह से उसने कभी भीबाहर् ट्राय नहीं किया. और ऐसे ही अपनी जिस्म की आग को मिटाने की कोशिश करने लगी. पर जिस्म की आग भला हाथ और डिलडो से कभी शांत हुई है. उसके लिए तोएक असली लंड की जरुरत होती है.
श्वेता- उम्र-२०, फिगर- ३4-२८-३4
एक सिंपल लड़की है, जवानी पुरे शबाब पर थि, उसके अंग अंग से जवानी छलकती थी. कॉलेज में हर लड़का उसके पीछे पड़ा था पर वो किसी को भी लिफ्ट नही देती थी. बेचारे सभी लड़के उसके दूध और गांड देख कर आहें भरते रहते है.
सतीश- स्टोरी का हीरो है, अपने डैड की तरह गुड लुकिंग एंड मस्कुलर शरीर का मालिक जो की उसने जिम मे २ वर्ष की मेहनत से बनाई थी.
उम्र-१९, हाइट-५ फट. ९ इंच और सबसे खास उसका हथियार 9 इंच" लम्बा 4 इंच' मोटा, न जाने अब तक कितनो की सील तोड़ चुका था.
सतीश ज्यादा चुदक्कड़ किस्म का बंदा था, यदि किसी बुर पर उसके लौडे का दिल आ जाता तो वो उसे ठोंक कर ही रहता.
शिप्रा- उम्र-१८ फिगर- २८-२६-३०
नन्ही चुलबुली सी लडकि, जिस पर अभी अभी जवानी आनी शुरुआत हुई थी.
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कहानी के बाकि के किरदार टाइमआने पर इंट्रोडुस करा दिए जाएंगे.
रात के १२ बज रहे थे, सतीश और शिप्रा अपने अपने रूम मे सो रहे थे जब कि दूसरी तरफ सोनाली अपने रूम मे अपनी बुर की आग को बुजाने मे लगी थी. टेबल लैंप की दूधिया रौशनी मे उसका नंगा दूधिया जिस्म और भी मादक और कामुक लग रहा था. उसके ३४ साइज के वेल शेप्ड मख़मली बॉब्स और उन पर पिंकिश निप्पल जो की अभी तन कर १" के करीब हो गई थी, किसी भी साधू और मुनि का पानी निकालने के लिए बहुत था. और कमरे का दृश्य(सीन) तो किसी मुर्दे को भी जिंदा कर देता, कमरे में सोनाली पूरी नंगी लेटी हुई थि, उसका सुन्दर चेहराइसे टाइमसेक्स की आग मे झुलस कर लाल पड़ गया था, वो अपनेएक हाथ से अपनी चूचियां एक-२ करके मसल रही थि, और दूसरा हाथ निचे उसकी बुर मे ५ इंच" के डिलडो को अंदरबाहर् करने मे लगा हुआ था. पुरे रूम मे सोनाली की सिसकियाँ गुंज रही थी. अब सोनाली तेजी के संग अपनी बुर मे डिलडो को अंदरबाहर् करने लगती है, सिसकियाँ और तेज हो जाती हे, और सोनाली की आँखें भी मजे की अधिक्ता के कारन बंद हो जाती हे. उसको देख कर कोई भी बता सकता था की अब वो अपने ओर्गास्म की तरफ है. तभी डोर बेल बजती है पर सोनाली उसको इग्नोर करके अपनी मस्ती मे लगी रहती है और हाथ की स्पीड और तेज कर देती है. पर गेट पर खड़े बन्दे को वेट करना शायदपस्न्द नहीं था तभी तो वोएक के पश्चात लगतार बेल बजाते जाता है. बेल के लगातार बजने पर सोनाली ये सोच कर की कही सतीश या शिप्रा मे से कोई न जाग जाए, बड़ी मुस्किल से बेड से उठती है और निचे पड़ी ब्लैक कलर की नाइटी उठा कर पहन लेती है और गेट खोलने चल देती है.
सोनाली- कमीना कही का स्वयं तो कुछ करता नहीं और जब मे स्वयं अपनी प्यास बुजा रही हूँ तो भी साला गलत वक़्त पर अपनी गांड मराने आ गया.
वैसे सोनाली कभी गाली नहीं देती थी लेकिन अपने ओर्गास्म पर आकर रह जाने के कारन ग़ुस्से मे उसके मुह से ये वर्ड्स अनायास निकल गए थे. और गुस्सा पहुँचना लाज़मी भी है क्योकि
अगर आप किसी लड़की को ओर्गास्म की स्टेज तक लेकर उसे छोड़ दे तो वो आपको गाली ही देगि, प्रेम तो नहीं करेगी ना.
सोनाली गेट ओपन करती है, सामने अविनाश ही था रोज की तरह बेहोषी की हालत में. और संग में उसका मित्र कम बिज़नेस पार्टनर दुष्यंत था, जो की रोज की तरह उसे घर छोड़ने आया था.
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अपडेट 2
सामने का दृश्य देख कर दुष्यंत की तो आज लॉटरी लग गई थि, क्योकि जो नाइटी सोनाली ने अपने शरीर पर डाली थी वो सेमि ट्रांसपेरेंट टाइप की थि, और जिसके अंदर उसने कुछ नहीं पहना था, और उस नाइटी मे से उसकी आधी से ज्यादा क्लीवेज नाइटी से एक्सपोस हो रहे थे.
दुश्यंत अपने चेहरे पर कमिनि मुस्कान के साथ- नमस्कार भाभी जि, मेरे लाख समझाने के पश्चात भी आज दोबारा ईसने कुछ ज्यादा ही पी ली.
सोनाली उसकी नजर से समझ जाती है की वो उसकी शरीर को खा जाने वाली नजर से घुर रहा है.
सोनाली थँक्स कहकर अविनाश का हाथ पकड़ कर अपने कंधे मे डाल लेती है और उसे सहारा देते हुए अंदर ले जाने लगती है. सोनाली को अविनाश को अंदर ले जाने मे दिक्कत हो रही थी.
दुश्यंत- अरे भाभी आप क्यों परेशान हो रही हो में छोड़ आता हूँ इसे रूम में. और दुश्यंत आगे बड़कर अविनाश का दूसरा हाथ अपने कंधे पर रखता है, और दूसरा हाथ जानकर उसका दूसरे हाथ (जिधर से सोनाली उसे अपने उपरि डाले हुए थी ) के कंधे पर रखकर निचे लाते हुए सोनाली की चूचि पर फेर देता है.
ये सभी इतनी तेजी से हुआ की न तो सोनाली को कुछ कहने का मौका मिला और न ही कुछ करने का. पर अपने चूचि पर दुश्यंत का हाथ पड़ते ही उसका बदनएक दम सिहर उठता है. और वो उसके तरफ देख कर- नहीं इसकी जरुरत नहीं है में इन्हे स्वयं ले जाउंगी.
दुश्यंत- एज यु विश्, मैं तो बस आपकी मदद करना चाहता था. और इसी के संग दुश्यंत अपना हाथ हटाते हुए जान बुज कर सोनाली के दूध को हलके से दबा देता है. सोनाली उसकीइसे हरकत पर उसे घूर कर देखती है तो दुश्यंत ऐसे शो करता है की जैसे ये अन्जाने में हुआ हो, और दोबारा वो सोनाली को गुड नाईट बोलकर निकल जाता है.
सोनाली अविनाश को लेकर अपने रूम की तरफ बढ़ जाती है. और रूम में मे पहुच कर अविनाश को बेड पर लिटा देती है. और दोबारा में डोर को लॉक करके आती है, दोबारा अविनाश के शूज और शॉक्स उतार कर उसे ठीकसे बेड पर लिटा देती है. और दोबारा थोड़ी देर अपनी किस्मत को कोसने के पश्चात अपनी नाइटी को उतार कर फेक देती है और अपना अधुरा काम पूरा करने में लग जाती है यानी की बुर की खुजली मिटने में, उसके हाथ और बुर में फिरएक जंग छिड़ जाती है.
उसी रात जहाँएक तरफ सोनाली अपने जिस्म की आग बुजाने में लगी हुई थी. वही दूसरी तरफ लगातार बेल्ल बजने के कारन सतीश की आँख भी खुल गई थि, सतीश को समझते देर न लगी की गेट पर उसके डैड हैं जो की रोज की तरह लेट नाईट ड्रिंक करके आये हे, इसलिए सतीश दोबारा सोने के लिए लेट गया पर ज्यादा देर ट्राय करने के पश्चात भी उसे नींद नहीं आई, तभी उसे प्रेशर लगा तो वो उठ कर अपने रूम के टॉयलेट में चला गया और हल्का होने के पश्चात पुनः अपने बेड पर आकर लेट गया, और सोने की कोशिश करने लगा अभी आँख लगने ही वाली थी की उसे जोर की प्यास लगती है, वो अपने बेड की साइड में रखी टेबल पे रखी बोतल को उठता है, पर बोतल बिलकुल खली थि,इसलिये सतीश अपने रूम से निकलकर निचे पानी लेने के लिए चल देता. सीढ़ियों पे से ही उसकी नजर अपनी मम्मी के बेडरूम के थोड़े से खुले डोर से आती रौशनी पर पड़ती है.
सतीश- मम्मी इतनी लेट नाईट लाइट जला कर क्या कर रही हे. खैर मुझे क्या? अभी तो पानी पीलु पहले क्योकि- ये प्यास है बड़ी.
ओर सतीश किचन की तरफ बढ़ जाता है. और पानी पीने के पश्चात वो सीढ़ियों की तरफ चल देता है. सीढ़ियों और किचन के बीच मे ही उसके मम्मी डैड का रूम था अभी वो अपने मम्मी के रूम से जरा सा आगे बड़ा ही था की तभी उसके कान मेंएक आवाज़ पड़ी और उसके कदमएक दम ठिठक गए और तभी उसे दूसरी आवाज़ सुनाई दि. आवाज हलकी होने के कारन उसे कुछ समझ नहीं आया. पर उसके कदम उसके मम्मी के रूम की तरफ बढ़ गए और उसने थोड़ेसे खुले डोर को हलके से खोला और दोबारा अंदर का सिन देख कर उसके होश उड़ गये. उसकी आँखें आस्चर्य की अधिक्ता के कारन फैलती चलि गई. और अभी थोड़ी देर पहले तर किया हुआ गला पुनः ऐसे सुक्ख गया जैसे वर्षो का प्यासा हो.
सामने का दृश्य देख कर उसकी साँसे थम सी गई.
सामने उसकी मम्मी उसकी आँखों के सामने अपने नंगे जिस्म में वासना का नंगा नाच कर रही थी.एक समय को तो सतीश वहां से हटा पर दूसरे ही समय वो पुनः गेट पर आकर अंदर का दृश्य देखने लगा.
सतीश (अपने आप से)- नहीं ये गलत है मुझे अपनी मम्मी कोइसे हालत में नहींदेख्ना चाहिए. वैसे ही सतीशने उनके डोर को बिना नॉक करे खोलकर पाप किया है और अब में मम्मी को ऐसा देखकर महापाप नहीं कर सकता.
सतीश का हरामी दिमाग- अबे कोई पाप नहीं है बे. सामने का दृश्य देख भूल जा की सामने जो नंगी स्त्री है वो तेरी मम्मी है. और बता की आज तक तूने अपनी लाइफ में इतना हसीन जिस्म देखा है. साले देख उसके बॉब्स को कितने बड़े, गोल और सुड़ौल हे. कितना आनंद
आएगा जब वो चूचियां तेरे हाथ में होंगीं और तूउन्को मसल रहा होगा.
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अपडेट 3
सतीश- नहीं मेइसे बारे में सोच भी नहीं सकता वो मेरी मम्मी हे. तुम मुझे बहका रहे हो.
ह. द.(हरामी दीमाग )- अबे ध्यान से देख सामने जो है वो किसी की मम्मी बहन नहीं हो सकती, वो तोएक लाचार स्त्री है, जिसका पति उसकी सेक्स की आग को कम नहीं करता. देखइसे स्त्री को इसे देख कर ही लगता है की ये बर्षो से किसी मर्द के स्पर्श को तड़प रही है, बरसो की प्यासी है ये औरत. और देख इसे यदि येएक इशारा भी कर दे तो लोगो की भीड़ लग जायेगी पर ईसने अपने परिवार की इज्जत के लिएइसे आग में झुलसना क़बूल किया. तु इसकी प्यास बुजा सकता है.
सतीश- “मैं. मैं कैसे,. ये मेरी मम्मी है”
ह.दी.- “आगे कुछ बोलने से पहले अपने शार्ट में बने टेंट को देख ले.
सतीश अपने शार्ट की तरफ देखता है तो उसे पता चलता है की उसका लंड पूरा खड़ा हो कर उसके शार्ट में टेंट बना रखा है.
सतीश चौकते हुये- ये कैसे खड़ा हो गया, वो भी अपनी मम्मी को देख कर.
ह.दी- मित्र लंड की कोई मम्मी और बहन नहीं होति, इसे बस बुर से मतलब होता है चाहे वो किसी की भी हो. और इसे तुम जितनी जल्दी समझ लोगे उतने ही ज्यादा तुम जिन्दगी को एन्जॉय करोगे. जैसे की अभी अपनी मम्मी को देख कर, कर रहे हो.
सतीश- शायद तुम सही कह रहे हो. क्योकि मुझे पता ही नहीं चला की कब मेरा हाथ मेरे लंड को सहलाने लगा.
अब सतीश अंदर का सिन देख के ज्यादा गर्म हो गया था और अपने शार्ट को निचे खिसका देता है, और अपने लंड को हाथ में लेकर हिलाना शुरुआत कर देता है. रूम में सोनाली अपनेएक हाथ से अपनी बुर में तेजी से डिलडो को अंदरबाहर् कर रही थी लेकिन दूसरे हाथ से अपनी बुर की क्लीट को रगड रही थी. पूरे रूम में उसके मुह से निकलती सिसकारियां गुंज रही थी जिन्हे सुनकर गेट पर खड़ा सतीश और भी गर्म होकर अपने लंड को तेजी से हिलाने लगा. अन्दर सोनाली की आँखे पूरी मस्ती में बंद हो गई थी और वो तेजी से अपनी बुर को चोदने लगि, सोनाली मस्ती में अपने चूतडो को उछाल-२ कर डिलडो को अपने अंदर लेने लगी थी और थोड़ी देर में ही उसका जिस्म अकड जाता है, और उसकी बुर का बंद टूट जाता है, और उससे ढेरसारा कामरस निकलने लगता है.
सतीश की तो हालत ही ख़राब हो गई थी ये सभी देख कर,एक समय को उसका मन किया की अभी अंदर जाकर अपनी मम्मी की बुर में अपना मुह घूसा दे और उसका सारा रस पि जाए, पर उसने अपने आपको रोक लिया क्योकि वो जल्दवाजी करके काम बिगाडना नहीं चाहता था.
अंदर सोनाली का जिस्म अब शांत पड़ गया था और वो अपनी साँसे कण्ट्रोल कर रही थि, जिसके कारन उसकी चूचियां उपरि निचे होने लगी थी. सतीश का तो दीमाग ही ख़राब हो रहा था वो समझ गया की अब अंदर कुछ स्पेशल नहीं होने वाला है, इस्लिये वो शार्ट को उपरि करके तेजी से अपने रूम की तरफ बढ़ जाता है.
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